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फरवरी का महीना फलों के पौधे लगाने के लिए बहुत अच्छा समय होता है, खासकर गमलों में उगने वाले छोटे बौने (ड्वार्फ) और मध्यम ...
02/02/2025

फरवरी का महीना फलों के पौधे लगाने के लिए बहुत अच्छा समय होता है, खासकर गमलों में उगने वाले छोटे बौने (ड्वार्फ) और मध्यम आकार के पौधों के लिए। फलदार पौधे छाया भी देते हैं और बगीचे को सुंदर बनाते हैं। वसंत के मौसम में आप गमलों में कई तरह के फलों के पौधे लगा सकते हैं, जो उचित देखभाल से अच्छी उपज दे सकते हैं।

🔴 छोटे बौने आकार के फलदार पौधे :- ये पौधे गमलों में अच्छे से उगते हैं और छोटी जगहों पर भी फल देते हैं।

🍋 ■ नींबू
✅ 12-16 इंच के गमले में उगाया जा सकता है।
✅ तेज धूप और नियमित पानी की जरूरत होती है।
✅ 8-12 महीने में फल देना शुरू कर देता है।

🍌 ■ केला
✅ 16-20 इंच के बड़े गमले में लगाया जाता है।
✅ पर्याप्त धूप और पानी की जरूरत होती है।
✅ 8-12 महीने में फल देना शुरू कर देता है।

🍓 ■ स्ट्रॉबेरी
✅ 8-12 इंच के गमले में लगाया जा सकता है।
✅ अच्छी धूप और जैविक खाद की जरूरत होती है।
✅ 3-4 महीने में फल लगते हैं।

🔴 मध्यम आकार के फलदार पौधे:-

🥭 ■ आम-ड्वार्फ
✅ 18-24 इंच के गमले में उगाया जा सकता है।
✅ नियमित धूप और जैविक खाद ज़रूरी है।
✅ 2-3 साल में फल आने लगते हैं।

🍑 ■ अमरूद-ड्वार्फ
✅ 16-20 इंच के गमले में उगाया जा सकता है।
✅ कम पानी और कम देखभाल में भी अच्छे फल देता है।
✅ 1-2 साल में फल देना शुरू कर देता है।

🍒 ■ बेर
✅ 12-16 इंच के गमले में उगाया जा सकता है।
✅ शुष्क और गर्म जलवायु में भी अच्छी तरह से बढ़ता है।
✅ 1-2 साल में फल देना शुरू कर देता है।

🍍 ■ अनानास
✅ 12-16 इंच के गमले में उगाया जा सकता है।
✅ कम पानी और ज़्यादा धूप में अच्छी तरह से उगता है।
✅ 18-24 महीने में फल देना शुरू कर देता है।

🍎 ■ अनार
✅ 18-30 इंच के गमले में उगाया जा सकता है।
✅ जैविक खाद 15 दिन में और ज़्यादा धूप में अच्छी तरह से उगता है।
✅ 3 से 4 साल में फल देना शुरू कर देता है।

🍋 ■ पपीता
✅ 20-30 इंच के गमले में उगाया जा सकता है।
✅ कम पानी और ज़्यादा धूप में अच्छी तरह से उगता है।
✅ 6-12 महीने में फल देना शुरू कर देता है।

🍎 ■ लीची
✅ 18-24 इंच के गमले में उगाया जा सकता है।
✅ अच्छी तेज धूप में तेजी से बढ़ता है।
✅ 3-5 साल में फल देना शुरू कर देता है।

🔴 बड़े गमलों में उगाए जाने वाले फलदार पौधे:-

🥥 ■ नारियल-ड्वार्फ
✅ 24-30 इंच के बड़े गमले में उगाया जा सकता है।
✅ हरी किस्म (मलयान ड्वार्फ) सबसे अच्छी है।
✅ 3-5 साल में फल देना शुरू कर देता है।

🍊 ■ संतरा
✅ 18-24 इंच के गमले में उगाया जा सकता है।
✅ जैविक खाद, नियमित पानी की आवश्यकता होती है।
✅ 2-3 साल में फल देता है।

🥑 ■ एवोकाडो
✅ 20-24 इंच के गमले में उगाया जा सकता है।
✅ अच्छी धूप और सही मिट्टी में तेजी से बढ़ता है।
✅ 3-5 साल में फल देना शुरू कर देता है।

🌰 ■ चीकू
✅ 20-30 इंच के गमले में उगाया जा सकता है।
✅ अच्छी धूप और गोबर की खाद से तेजी से बढ़ता है।
✅ 2-5 साल में फल देना शुरू कर देता है।

🍇 ■ जामुन
✅ 24-30 इंच के गमले में उगाया जा सकता है।
✅ अच्छी तेज धूप में तेजी से बढ़ता है।
✅ 4-8 साल में फल देना शुरू कर देता है।

🥚 ■ कटहल-ड्वार्फ
✅ 24-30 इंच के गमले में उगाया जा सकता है।
✅ जब तक पौधा 3 फ़ुट का न हो जाए, उसे तेज़ धूप से बचाएं।
✅ 4-6 साल में फल देना शुरू कर देता है।

🍏 ■ सेब (हरिमन 99)
✅ 20-24 इंच के गमले में उगाया जा सकता है।
✅ इस सेब का पौधा गर्म जलवायु में उगाया जा सकता हैं।
✅ 3 साल के बाद इस पौधे में फल लगने लगते हैं।

🔴 बेल वाले फलों के पौधे:-

🍉 ■ तरबूज और खरबूज
✅ 16-20 इंच के गमले में उगाया जा सकता है।
✅ गर्म मौसम और अच्छी धूप की जरूरत होती है।
✅ 3-4 महीने में फल लगते हैं।

🍈 ■ पैशन फ्रूट
✅ 15-20 इंच के गमले में बेल के रूप में उगाया जा सकता है।
✅ ट्रेलिस (सहारा) देकर लगाया जाता है।
✅ 1-2 साल में फल देना शुरू कर देता है।

🍇 ■ अंगूर
✅ 15-20 इंच के गमले में बेल के रूप में उगाया जा सकता है।
✅ धूप और सहारे के लिए ट्रेलिस की जरूरत होती है।
✅ 1-2 साल में फल देना शुरू कर देता है।

🥝 ■ कीवी
✅ 15-20 इंच के गमले में बेल के रूप में उगाया जा सकता है।
✅ धूप और सहारे के लिए ट्रेलिस की जरूरत होती है।
✅ 1-2 साल में फल देना शुरू कर देता है।

🔴 फलों के पौधों की देखभाल कैसे करें?

1) उचित जल निकासी:
✅ छोटे पौधों के लिए 14-16 इंच और बड़े पौधों के लिए 18-30 इंच के गमलो का उपयोग करें।
✅ गमले के नीचे जल निकासी के लिए छेद होना चाहिए।
✅ पौधों को धूप में रखें क्योंकि ज़्यादातर फलों के पौधों को 5-6 घंटे सीधी धूप की ज़रूरत होती है।
✅ बौनी किस्में (बौना केला) गमलों में अच्छी तरह उगती हैं।

2) मिट्टी और खाद:
✅ सही मिट्टी का मिश्रण: 50% बगीचे की मिट्टी + 30% जैविक खाद + 20% कोको पीट या रेत।
✅ हर 15-20 दिन में जैविक खाद जैसे गाय का गोबर या वर्मीकम्पोस्ट डालें।

3) पानी देने का तरीका:
✅ ज़्यादातर फलों के पौधों को नियमित रूप से पानी देने की ज़रूरत होती है, लेकिन ज़्यादा पानी देने से जड़ें सड़ सकती हैं।
✅ गर्मियों में रोज़ाना ज़्यादा पानी दें लेकिन सर्दियों में कम।

4) छंटाई और कीट नियंत्रण:
✅ नई वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए समय-समय पर सूखी और मृत शाखाओं को काटें।
✅ नीम के तेल या गाय के मूत्र जैसे जैविक कीटनाशकों का छिड़काव करें।

#वसंत बगिया की ABC

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01/02/2025

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सवाल बहुत सीधा सा है। क्या हर सार्वजनिक स्थान जैसे हर रोड, हर गली, हर मोहल्ले, हर गांव, हर शहर में जहां भी सजावटी पौधे ल...
31/01/2025

सवाल बहुत सीधा सा है। क्या हर सार्वजनिक स्थान जैसे हर रोड, हर गली, हर मोहल्ले, हर गांव, हर शहर में जहां भी सजावटी पौधे लगे हैं, उनको हटा कर वहां केवल फलदार पेड़ नहीं लगाए जा सकते?

फलदार पेड़ न केवल स्वादिष्ट और पौष्टिक फल देते हैं, बल्कि पर्यावरण को भी हरा-भरा रखते हैं। मेरा मानना ​​है कि सार्वजनिक स्थानों पर सजावटी पेड़ लगाने की बजाय अगर मौसमी फलों के पेड़ लगाए जाएं, तो कल्पना कीजिए कि नजारा कैसा होगा। आम, जामुन, शरीफा, अमरूद, चीकू, बोर, इमली, सेतुत, अनार, मोसम्मी, संतरा, आंवला, आड़ू आदि ऐसे फल हैं, जो हर किसी को पसंद होते हैं। आजकल तो सेब की ऐसी किस्म भी आने लगी हैं, जो राजस्थान की भीषण गर्मी में भी उगाई जा सकती हैं।

जरा सोचिए, जहां भी देखो, कोई न कोई फलदार पेड़ लगा हुआ है, जिससे फल तोड़ने से कोई नहीं रोक रहा और न ही कोई उस पर अपना हक जता रहा है। सब कुछ सबका है। आप कल्पना भी नहीं कर सकते कि तब नजारा कैसा होगा। मौसमी फल खरीदने की जरूरत नहीं होगी और न ही महंगाई की चिंता। बस जाइए, तोड़िए और खाइए।

ये फलदार पौधे अनेक पशु-पक्षियों को भोजन और आश्रय प्रदान कर सकते हैं, अनेक असहाय लोगों को भोजन प्रदान कर सकते हैं, आज की और आने वाली पीढ़ी को उनका वास्तविक बचपन लौटा सकते हैं। यह विचारणीय विषय है और इस पर सभी को अवश्य विचार करना चाहिए।

फरवरी में वसंत (Spring) का मौसम भारत में बागवानी करने के लिए बहुत अच्छा समय होता है क्योंकि यह ठंड और गर्मी के बीच का सं...
31/01/2025

फरवरी में वसंत (Spring) का मौसम भारत में बागवानी करने के लिए बहुत अच्छा समय होता है क्योंकि यह ठंड और गर्मी के बीच का संक्रमण काल होता है। इस समय गमलों में कई तरह के फूल, सब्जियाँ, जड़ी-बूटियाँ और सजावटी पौधे लगाए जा सकते हैं।

1) फूलों के पौधे - फरवरी में ये फूलों वाले पौधे गमलों में लगाने के लिए उपयुक्त होते हैं:-

● वर्षभर खिलने वाले फूल:-
✅ गुलाब (Rose) – नियमित देखभाल से सालभर खिल सकता है।
✅ सदाबहार (Periwinkle/Vinca) – कम देखभाल में भी हर मौसम में खिलता है।
✅ गेंदा (Marigold) – यह तेज़ी से बढ़ता है और लंबे समय तक फूल देता है।

● मौसमी फूल:-
✅ पिटूनिया (Petunia) – रंग-बिरंगे फूल होते हैं और धूप में अच्छा बढ़ता है।
✅ गुलदाउदी (Chrysanthemum) – सर्दियों के अंत और वसंत में खिलता है।
✅ डहेलिया (Dahlia) – बड़े और सुंदर फूल देता है।
✅ एस्टर (Aster) – फरवरी से अप्रैल तक फूल देता है।

2) सब्जियों के पौधे - फरवरी में ये सब्जियाँ गमलों में उगाई जा सकती हैं:-
✅ टमाटर (Tomato) – 12-15 इंच के गमले में आसानी से उग सकता है।
✅ शिमला मिर्च (Capsicum) – छोटे गमले में भी बढ़ सकता है।
✅ बैंगन (Brinjal) – गर्मी के लिए तैयार किया जा सकता है।
✅ गाजर (Carrot) – गहरे गमले में उगाया जा सकता है।
✅ मूली (Radish) – जल्दी बढ़ने वाली सब्जी।
✅ पालक (Spinach) – 6-8 इंच के गमले में भी बढ़ सकता है।
✅ धनिया (Coriander) – मसालों में इस्तेमाल के लिए उत्तम।
✅ मेथी (Fenugreek) – छोटी जगह में भी आसानी से उगती है।

3) जड़ी-बूटियाँ;-
✅ तुलसी (Basil) – धार्मिक और औषधीय गुणों से भरपूर।
✅ पुदीना (Mint) – तेज़ी से बढ़ने वाली जड़ी-बूटी।
✅ अजवाइन (Carom/ Oregano) – पाचन के लिए लाभकारी।
✅ लेमन ग्रास (Lemongrass) – सुगंधित और औषधीय गुणों से भरपूर।
✅ अश्वगंधा (Ashwagandha) – आयुर्वेदिक दवाओं में उपयोगी।

4) सजावटी पौधे:-
✅ मनी प्लांट (Money Plant) – घर के अंदर भी अच्छा बढ़ता है।
✅ एरेका पाम (Areca Palm) – हवा शुद्ध करने के लिए बढ़िया।
✅ स्नेक प्लांट (Snake Plant) – कम देखभाल में भी अच्छा बढ़ता है।
✅ स्पाइडर प्लांट (Spider Plant) – इंडोर बागवानी के लिए उपयुक्त।

5) लताओं और बेल वाले पौधे:-
✅ मधुमालती (Rangoon Creeper) – सुंदर और सुगंधित फूल देता है।
✅ अपराजिता (Butterfly Pea) – सुंदर नीले फूलों वाली बेल।
✅ हरसिंगार (Night Jasmine/Parijat) – रात में महकने वाले फूल देता है।
✅ बोगनवेलिया (Bougainvillea) – तेज धूप में भी अच्छा बढ़ता है।

■ बोनस टिप्स:
✔ गमले के लिए अच्छी मिट्टी तैयार करें – 50% गार्डन मिट्टी, 30% गोबर खाद या वर्मी कम्पोस्ट, और 20% रेत या कोकोपीट।
✔ पौधों को सुबह की धूप दें और जरूरत के अनुसार पानी दें।
✔ हर 15-20 दिन में जैविक खाद डालें ताकि पौधे स्वस्थ रहें।

Big shout out to my new rising fans! Big shout out to my new rising fans! Pooja Vishwakarma, Pushpa Diwan
31/01/2025

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आज के अपराजिता के फूलAparajita Flower 💙
31/01/2025

आज के अपराजिता के फूल
Aparajita Flower 💙

फरवरी का महीना गमलों में नींबू के पौधों की देखभाल के लिए महत्वपूर्ण समय होता है। वसंत ऋतु पौधे में नई वृद्धि और फूल आने ...
29/01/2025

फरवरी का महीना गमलों में नींबू के पौधों की देखभाल के लिए महत्वपूर्ण समय होता है। वसंत ऋतु पौधे में नई वृद्धि और फूल आने की तैयारी का समय होता है। वसंत ऋतु में सही देखभाल से पौधा स्वस्थ रहेगा और गर्मियों में खूब खिलेगा। अगर आप नींबू का नया पौधा लगाना चाहते हैं तो फरवरी में नया नींबू का पौधा लगा सकते हैं।

■ फरवरी में नींबू के पौधे की देखभाल के लिए सुझाव:-

1. धूप और स्थान:-

● नींबू के पौधे को हर दिन 6-8 घंटे सीधी धूप की आवश्यकता होती है।

◆ गमले को ऐसी जगह रखें जहाँ पर्याप्त धूप हो।

● ठंडी हवाओं और छायादार जगहों से बचाएं।

2. पानी देना:-

● फरवरी में मध्यम मात्रा में पानी दें।

● मिट्टी को हल्का नम रखें लेकिन जलभराव से बचें, इससे जड़ें सड़ सकती हैं।

● गमले में अच्छी जल निकासी होनी चाहिए।

● पानी देने का समय: सुबह या शाम को रखें।

3. मिट्टी और उर्वरक:-

◆ मिट्टी की जाँच करें:

मिट्टी को ढीला करें और सुनिश्चित करें कि यह पोषक तत्वों से भरपूर और अच्छी तरह से सूखा हुआ हो।

◆ उर्वरक डालें:

● हर 15 दिन में वर्मीकम्पोस्ट या गोबर की खाद जैसी जैविक खाद डालें।

● सुपरफॉस्फेट जैसे पोटाश और फॉस्फोरस युक्त उर्वरक डालने से पौधे को बेहतर फूल और फल मिलते हैं।

● नीम खली जैसे नाइट्रोजन युक्त उर्वरक डालें, जो पत्तियों की वृद्धि में मदद करता है।

4.) छंटाई:-

● फरवरी का महीना नींबू के पौधे की छंटाई के लिए आदर्श है।

● सूखी, मृत या कमज़ोर शाखाओं को हटा दें।

● छंटाई से पौधे को नई शाखाएँ और अधिक फूल उगाने में मदद मिलती है।

5.) कीट और रोग नियंत्रण:-

● नींबू के पौधे एफिड्स, एफिड्स और स्केल कीटों से ग्रस्त हो सकते हैं।

● नीम के तेल का छिड़काव करें।

● यदि पत्तियों के नीचे सफेद या काले धब्बे दिखाई दें, तो तुरंत उपचार करें।

● यदि मिट्टी में फफूंद संक्रमण हो, तो उसे सुखाकर नई खाद डालें।

6.) गमले की देखभाल:-

● गमले का आकार पौधे की जड़ों के लिए पर्याप्त होना चाहिए। नींबू के पौधे के लिए 14-20 इंच का गमला उपयुक्त होता है।

● हर साल फरवरी में मिट्टी की ऊपरी परत हटा दें और उसमें नई मिट्टी और खाद डालें।

7.) फूल और फलों की देखभाल:-

● अगर पौधे पर फूल खिलने लगे हैं, तो गमले को हिलाने से बचें।

● फूलों को गिरने से बचाने के लिए पौधे में संतुलित पानी और पोषण बनाए रखें।

● बोरॉन युक्त स्प्रे का इस्तेमाल करें, जिससे फूलों और फलों की गुणवत्ता बढ़ती है।

8.) सिंचाई का ध्यान रखें:-

● फरवरी के आखिर में गर्मी बढ़ने लगती है। इस दौरान पौधे को पानी की मात्रा थोड़ी बढ़ा दें।

● मिट्टी को सूखने न दें, लेकिन ध्यान रखें कि पानी ज़्यादा न डालें।

9.) अतिरिक्त सुझाव

● महीने में एक बार गमले को घुमाएँ ताकि पौधे को हर तरफ़ से बराबर धूप मिले।

● गमले के आस-पास खरपतवार न उगने दें।

● पौधे की पत्तियों को स्वस्थ रखने के लिए नियमित रूप से साफ करें।

सारांश:-

फरवरी में नींबू के पौधे की देखभाल का उद्देश्य उसे नई वृद्धि और फूल आने के लिए तैयार करने में मदद करना है। धूप, पानी, सही खाद और नियमित छंटाई पर ध्यान देकर, आप गमले में एक स्वस्थ और फल देने वाला नींबू का पौधा पा सकते हैं।

29/01/2025

वसंत में नींबू के पौधें की देखभाल कैसे करें | How to Care Lemon Plant in Spring
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कंटेनर गार्डनिंग किसे पसंद नहीं होती? आजकल हर कोई गमलों में पौधे लगाना और फल-सब्जियाँ उगाना पसंद करता है। लेकिन सही जानक...
28/01/2025

कंटेनर गार्डनिंग किसे पसंद नहीं होती? आजकल हर कोई गमलों में पौधे लगाना और फल-सब्जियाँ उगाना पसंद करता है। लेकिन सही जानकारी न होने के कारण पौधे 2 से 3 महीने में ही मरने लगते हैं। सर्दियों का मौसम सर्दियों के पौधों को छोड़कर हर पौधे के लिए बहुत मुश्किल होता है। और सर्दियों के बाद वही पौधे उचित देखभाल के अभाव में मरने लगते हैं। आज की पोस्ट के माध्यम से मैं आपके साथ फरवरी के महीने में कंटेनर गार्डनिंग के लिए सही देखभाल और तैयारी के बारे में आवश्यक जानकारी साझा कर रहा हूँ, जब सर्दियों का मौसम खत्म हो रहा होता है और वसंत ऋतु शुरू हो रही होती है।

1) मिट्टी को तैयार करना:-

● कंटेनर की मिट्टी को पलटकर ढीला करें।

● पुरानी मिट्टी में गोबर की खाद, वर्मीकम्पोस्ट, नीम की खली, ह्यूमिक एसिड आदि डालकर पोषण बढ़ाएँ।

● मिट्टी का पीएच जाँचें और सही करें।

2) गमलों की सफाई:-

● पुराने गमलों को अच्छी तरह से साफ करें। गंदगी और फफूंद हटाएँ।

● सुनिश्चित करें कि गमले का जल निकासी छेद खुला हो।

3) नई बुवाई है आदर्श:-

◆ फूल: मैरीगोल्ड, गुलदाउदी, पोर्टुलाका और पेटुनिया, आदि।

◆ सब्ज़ियाँ: टमाटर, मिर्च, बैंगन, भिंडी, पालक और धनिया, आदि।

◆ जड़ी-बूटियाँ: तुलसी, पुदीना, अजवायन और नींबू घास, आदि।

4) धूप और गमले की जगह:-

● पौधों को ऐसी जगह रखें जहाँ उन्हें सुबह की अच्छी धूप मिले।

● जिन पौधों को आंशिक छाया की ज़रूरत होती है, उन्हें छायादार जगह पर रखना चाहिए।

5) सिंचाई:-

● ज़्यादा पानी न डालें, क्योंकि सर्दियों के बाद मिट्टी नम रहती है।

● गर्मी के मौसम के आते ही पानी की ज़रूरत धीरे-धीरे बढ़ जाती है, इस पर नज़र रखें।

6) कीट और रोग नियंत्रण:-

● गमलों को साफ रखें ताकि कीट और फंगस हमला न करें।

● प्राकृतिक कीटनाशकों (नीम तेल, लहसुन स्प्रे) का उपयोग करें।

7) टहनियों और पुरानी पत्तियों की कटाई:-

● मुरझाए हुए पत्तों और फूलों को हटा दें ताकि नई टहनियाँ अच्छी तरह से उग सकें।

● बेलों और झाड़ियों की हल्की छंटाई करें।

8) मल्च:-

● कंटेनरों की मिट्टी को सूखे पत्तों, लकड़ी के टुकड़ों या घास से मल्च करें।

● इससे मिट्टी की नमी बनी रहती है और खरपतवारों को रोकने में मदद मिलती है।

9) नए पौधे लगाना:-

● फरवरी में आप नर्सरी में तैयार पौधों को गमलों में लाकर ट्रांसप्लांट कर सकते हैं।

10) खाद तैयार करना:-

● नए गमले भरने के लिए और लगातार पोषण के लिए नई खाद तैयार करें।
● पत्तियों की खाद, गोबर की खाद, किचन वेस्ट आदि तैयार करें।
● बायो एंजाइम, तरल खाद आदि तैयार करें।

इन टिप्स को अपनाने से आपका कंटेनर गार्डन फरवरी के बाद आने वाले मौसम के लिए तैयार हो जाएगा और पौधे स्वस्थ और सुंदर बने रहेंगे।

27/01/2025
मधुमालती एक फूलदार लता है जो मुख्य रूप से एशियाई देशों में पाई जाती है। यह आम तौर पर भारत, फिलीपींस और मलेशिया में पाई ज...
27/01/2025

मधुमालती एक फूलदार लता है जो मुख्य रूप से एशियाई देशों में पाई जाती है। यह आम तौर पर भारत, फिलीपींस और मलेशिया में पाई जाती है। अंग्रेजी में इसे रंगून क्रीपर या चाइनीज हनीसकल के नाम से जाना जाता है, बंगाली में इसे मधुमंजरी के नाम से जाना जाता है, तेलुगु में इसे राधामनोहरम के नाम से जाना जाता है, उर्दू में इसे शबे मलिका के नाम से जाना जाता है, असमिया में इसे मालती, झुमका बेल के नाम से जाना जाता है। पौधे का वानस्पतिक नाम कॉम्ब्रेटम इंडिकम है।

मधुमालती के फूलों की एक दिलचस्प बात यह है कि वे रंग बदलते हैं। खिलने के पहले दिन वे सफेद रंग के होते हैं। दूसरे दिन वे गुलाबी हो जाते हैं और तीसरे दिन वे गहरे लाल रंग के हो जाते हैं। फूलों का यह रंग परिवर्तन अधिकतम परागण के लिए विभिन्न प्रकार के कीटों को आकर्षित करने की एक रणनीति है। हालाँकि कई पौधे गर्मियों के मौसम में फूल नहीं देते हैं, लेकिन यह लता गर्मियों में हमेशा फूलों से भरी रहती है।

मधुमालती कैप्रिफोलियासी परिवार में आती है। इसकी लगभग 180 प्रजातियाँ ज्ञात हैं। इनमें से लगभग 100 प्रजातियाँ चीन में, 20 भारत में, 20 यूरोप में और 20 उत्तरी अमेरिका में पाई जाती हैं। इसकी सबसे प्रसिद्ध प्रजातियाँ हैं - लोनिसेरा जैपोनिका या जापानी मधुमालती या चीनी मधुमालती, लोनिसेरा पेरीक्लिमेनम या वुडबाइन और लोनिसेरा सेम्परविरेंस या ट्रम्पेट हनीसकल या वुडबाइन हनीसकल। मधुमालती की कुछ प्रजातियों के फूलों की ओर हमिंग बर्ड बहुत आकर्षित होते हैं।

मधुमालती को वसंत से लेकर बरसात के मौसम में कटिंग से आसानी से उगाया जा सकता है। इसे नर्सरी से तैयार पौधा लाकर भी लगाया जा सकता है। इसके परिपक्व पौधे को फूलों के ठीक से खिलने के लिए नियमित रूप से पानी देने की ज़रूरत होती है। गर्मियों में दिन में एक या दो बार पानी देना अच्छा रहता है। सर्दियों में आप हर 3 दिन या हफ़्ते में एक बार पानी दे सकते हैं। मधुमालती सूखी और गीली दोनों तरह की मिट्टी में जीवित रहती है। पौधे की उचित वृद्धि के लिए, आप महीने में एक बार 2-4 मुट्ठी जैविक खाद डाल सकते हैं। फूलों के मौसम में आप केले या प्याज के छिलके की खाद का इस्तेमाल कर सकते हैं। पौधे पर आमतौर पर कोई कीट या बीमारी नहीं लगती है।

फरवरी के महीने में मधुमालती के पौधे की देखभाल करना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह समय पौधे की बढ़वार और फूल आने के लिए अनुकूल होता है।

1.) सही प्रकार का पानी देना:-
● मधुमालती को नियमित रूप से पानी दें, लेकिन मिट्टी को ज्यादा गीला न होने दें।
● यह सुनिश्चित करें कि मिट्टी अच्छी तरह से जल निकासी वाली हो।
● सर्दियों के बाद फरवरी में धीरे-धीरे पानी की मात्रा बढ़ाएं, क्योंकि पौधे की बढ़वार फिर से शुरू होती है।

2.) धूप का ध्यान रखें:-
● मधुमालती को अच्छी धूप की आवश्यकता होती है। इसे ऐसी जगह लगाएं जहां इसे कम से कम 4-6 घंटे धूप मिले।
● अगर पौधा किसी छायादार जगह पर है, तो इसे धूप वाली जगह पर स्थानांतरित करें।

3.) कटाई-छंटाई:-
● फरवरी का महीना मधुमालती की कटाई-छंटाई के लिए आदर्श है।
● सूखी, मरी हुई या कमजोर शाखाओं को हटा दें।
● पौधे को सही आकार देने और नई शाखाओं के विकास के लिए हल्की छंटाई करें।

4.) खाद और पोषण:-
फरवरी में पौधे को जैविक सुखी और तरल खाद दें। यह फूलों और पत्तियों के विकास को प्रोत्साहित करेगा।
नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटाश युक्त खाद का उपयोग करें। कैमिकल खाद से बचें।

5.) कीट और रोग नियंत्रण:-
पौधे पर पत्तियों को ध्यान से देखें। यदि कीट या फंगस दिखाई दें, तो जैविक नीम के तेल का छिड़काव करें।
फरवरी में नमी और ठंड की वजह से फफूंद हो सकते हैं, इसलिए समय-समय पर निरीक्षण करें।

6.) मिट्टी को हल्का ढीला करें:-
पौधे की जड़ों के चारों ओर मिट्टी को हल्का ढीला करें ताकि हवा और पोषक तत्व जड़ों तक अच्छे से पहुंच सकें।

7.) सहारा देना:-
मधुमालती एक बेल है, इसलिए इसे चढ़ने के लिए सहारे की जरूरत होती है। सुनिश्चित करें कि आपका पौधा किसी का सहारा ले सके। लेकिन अगर ड्वार्फ प्रजाति का पौधा है तो उसे सहारे की आवश्यकता नहीं होती बल्कि उसे गमले में भी उगाया जा सकता है।

इन देखभाल के उपायों का पालन करने से आपका मधुमालती का पौधा स्वस्थ रहेगा और फरवरी के बाद आने वाले महीनों में सुंदर फूल देगा।

■ मधुमालती के औषधीय लाभ:-
मधुमालती एक औषधीय पौधा है जो आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा में अपने स्वास्थ्य लाभों के लिए प्रसिद्ध है। इसके फूल, पत्ते और बीज विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं में उपयोग किए जाते हैं। जैसे:-

1) पाचन तंत्र को सुधारना
2) एंटीऑक्सीडेंट गुण
3) बालों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है।
4) डिटॉक्सिफिकेशन
5) सर्दी-खांसी और बुखार में लाभदायक
6) त्वचा संबंधी लाभ
7) मधुमेह में सहायक
8) स्नायु तंत्र को शांत करना

■ उपयोग के तरीके:
काढ़ा: पत्तों या फूलों का काढ़ा बनाकर सेवन करें।
पेस्ट: पत्तों का पेस्ट त्वचा पर लगाएं।
बीज: बीज को पीसकर पाचन तंत्र संबंधी समस्याओं में उपयोग करें।

■ सुझाई गई मात्रा:-
वयस्क: मधुमालती के बीज का पाउडर 1 से 3 ग्राम तक प्रतिदिन लिया जा सकता है। इसे गर्म पानी, शहद, या काढ़े के साथ सेवन करें।
बच्चे: बच्चों के लिए बीज की मात्रा बहुत कम आधा ग्राम तक होनी चाहिए। बच्चों के लिए उपयोग से पहले डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।

■ उपयोग का समय:
इसे भोजन के बाद लेना बेहतर होता है, खासकर यदि पाचन तंत्र से संबंधित समस्या है।

◆ सावधानियां:
मधुमालती का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए, क्योंकि अधिक सेवन से पेट में जलन या अन्य समस्याएं हो सकती हैं। गर्भवती महिलाओं और बच्चों को इसका उपयोग डॉक्टर की सलाह से करना चाहिए। अगर इसका सेवन पहली बार कर रहे हैं, तो कम मात्रा से शुरू करें और शरीर की प्रतिक्रिया को समझें। यह एक प्राकृतिक औषधि है, लेकिन इसे उपयोग करने से पहले विशेषज्ञ से सलाह लेना बेहतर होता है।

स्नेक प्लांट जिसे "सेन्सेविरिया" के नाम से भी जाना जाता है, पर फूल आना एक दुर्लभ घटना है। स्नेक प्लांट पर फूल आने की प्र...
26/01/2025

स्नेक प्लांट जिसे "सेन्सेविरिया" के नाम से भी जाना जाता है, पर फूल आना एक दुर्लभ घटना है। स्नेक प्लांट पर फूल आने की प्रक्रिया धीमी होती है और यह आमतौर पर पौधे के परिपक्व होने के बाद होता है। स्नेक प्लांट पर फूलों का दिखना इस बात का संकेत हो सकता है कि पौधे की सही देखभाल की गई है और उपयुक्त परिस्थितियाँ हैं।

स्नेक प्लांट पर फूल पौधे की पत्तियों के बीच से निकलता है। यह एक लंबे और पतले डंठल के रूप में निकलता है, जो पत्तियों के केंद्र से ऊपर की ओर बढ़ता है।

■ फूल की विशेषताएँ:-

◆ स्थान: फूल एक फूल के डंठल पर उगते हैं, जो पत्तियों के समूह के केंद्र से सीधे निकलता है।

◆ रंग: फूल सफेद, क्रीमी या हल्के हरे रंग के होते हैं।

◆ आकार: ये फूल छोटे और ट्यूब के आकार के होते हैं।

◆ सुगंध: फूलों की गंध मीठी और सुगंधित होती है, जो रात में अधिक तीव्र होती है। फूल एक चिपचिपा मीठा तरल Nectar स्रावित करते हैं, जो कीड़ों और मधुमक्खियों को आकर्षित करता है।

■ स्नेक प्लांट पर फूल आने के कारण:-

● आयु: स्नेक प्लांट को फूल आने में कई साल लग सकते हैं। जब पौधा परिपक्व हो जाता है, तो उसके फूल आने की संभावना अधिक होती है।

● प्रकाश: पौधे को अप्रत्यक्ष लेकिन पर्याप्त धूप मिलनी चाहिए। अत्यधिक धूप या पूर्ण छाया से बचें।

पानी: पौधे को ज़्यादा पानी न दें। इसकी जड़ों को सूखने के लिए समय चाहिए, इसलिए मिट्टी में अच्छी जल निकासी होनी चाहिए।

● तनाव: जब स्नेक प्लांट हल्के "तनाव" में होता है, जैसे कि लंबे समय तक थोड़ा सूखा रहना, तो उसके फूल आने की संभावना अधिक होती है।

● फूल आने का समय: स्नेक प्लांट पर फूल आमतौर पर वसंत या गर्मियों में दिखाई देते हैं, जब परिस्थितियाँ अनुकूल होती हैं।


Big shout out to my new rising fans! Big shout out to my new rising fans! Pooja Vishwakarma
24/01/2025

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भारत में स्ट्रॉबेरी को बीज से उगाना थोड़ा समय और धैर्य का कार्य है, लेकिन सही प्रक्रिया अपनाकर इसे सफलतापूर्वक उगाया जा ...
24/01/2025

भारत में स्ट्रॉबेरी को बीज से उगाना थोड़ा समय और धैर्य का कार्य है, लेकिन सही प्रक्रिया अपनाकर इसे सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है। स्ट्रॉबेरी मुख्यतः ठंडी जलवायु में अच्छी तरह बढ़ती है, लेकिन इसे भारत के कुछ क्षेत्रों में उगाना संभव है।

◆ स्ट्रॉबेरी उगाने का सही समय:
भारत में इसे ठंडी जगहों (जैसे हिमालयी क्षेत्र) में फरवरी-मार्च में उगाया जा सकता है।
अगर आप मैदानी क्षेत्रों में हैं, तो सितंबर-नवंबर इसका सबसे अच्छा समय है।
तापमान: 15°C से 25°C का तापमान स्ट्रॉबेरी के बीज अंकुरण और पौधों की वृद्धि के लिए आदर्श है।

◆ बीज से स्ट्रॉबेरी उगाने की प्रक्रिया:

1. बीज तैयार करना:-
यदि आपके पास स्ट्रॉबेरी का फल है, तो बीज निकालने के लिए:
फलों को धोकर सुखाएं। चाकू से बीज निकालें और कागज़ पर सुखा लें। बेहतर अंकुरण के लिए, बीजों को ठंडा करने की प्रक्रिया (stratification) अपनाएं। बीज को 3-4 सप्ताह के लिए रेफ्रिजरेटर में रखें। यह प्राकृतिक ठंडे मौसम का एहसास कराता है, जिससे अंकुरण बढ़ता है।

2. मिट्टी तैयार करना:-
मिट्टी को हल्का और जैविक खाद से भरपूर बनाएं।
1 भाग रेत, 1 भाग मिट्टी और 1 भाग खाद मिलाकर मिश्रण तैयार करें। सुनिश्चित करें कि मिट्टी में अच्छी जलनिकासी हो।

3. बीज बोना:-
गमले या बीज ट्रे में मिट्टी भरें। बीज को सतह पर छिड़कें और हल्के से मिट्टी की पतली परत से ढकें।
गहराई: बीज को 0.5 से 1 सेमी गहराई पर लगाएं।
पानी का छिड़काव करें।

4. अंकुरण प्रक्रिया:-
गमले को ऐसी जगह रखें जहां परोक्ष सूर्य का प्रकाश और हल्का गर्म वातावरण मिले। मिट्टी को नम रखें लेकिन जलभराव से बचें। बीज को अंकुरित होने में 2-4 सप्ताह का समय लग सकता है।

5. पौधों को स्थानांतरित करना:-
जब पौधे 4-6 इंच बड़े हो जाएं और उनमें 3-4 पत्ते आ जाएं, तो उन्हें बड़े गमलों या जमीन में स्थानांतरित करें।
पौधों के बीच 12-18 इंच की दूरी रखें।

■ स्ट्रॉबेरी पौधों की देखभाल:-

◆ सूरज की रोशनी:
पौधों को 6-8 घंटे प्रतिदिन परोक्ष सूर्य का प्रकाश दें।
◆पानी:
मिट्टी को नमी बनाए रखने के लिए नियमित पानी दें।
जलभराव से बचें क्योंकि यह जड़ों को सड़ा सकता है।
◆खाद:
हर 3-4 सप्ताह में जैविक खाद या तरल उर्वरक डालें।
◆कीट नियंत्रण:
नीम का तेल या जैविक कीटनाशक का उपयोग करें।

■ फसल तैयार होने का समय:-
बीज से उगाए गए पौधों को फल देने में लगभग 6-8 महीने लगते हैं।

सुझाव
यदि आप ठंडी जगह पर नहीं रहते हैं, तो स्ट्रॉबेरी को ग्रीनहाउस या कंटेनरों में उगाएं। हाईब्रिड और भारतीय किस्में जैसे चांडलर, स्वीट चार्ली, और कैमरोसा भारत में उगाने के लिए बेहतर हैं। सही ध्यान और धैर्य के साथ, आप बीज से स्ट्रॉबेरी उगाकर एक मीठी फसल का आनंद ले सकते हैं!

खरपतवार की चाय (W**d Tea) पौधों के लिए बहुत फायदेमंद हो सकती है। यह एक प्रकार का जैविक उर्वरक है, जो पौधों को आवश्यक पोष...
24/01/2025

खरपतवार की चाय (W**d Tea) पौधों के लिए बहुत फायदेमंद हो सकती है। यह एक प्रकार का जैविक उर्वरक है, जो पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है। इसे खरपतवारों से तैयार किया जाता है, जो मिट्टी और पौधों के लिए उपयोगी होते हैं।

1.) पौष्टिक तत्वों का स्रोत
खरपतवार में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम, और सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे आयरन, मैग्नीशियम आदि होते हैं, जो पौधों की वृद्धि को बढ़ावा देते हैं।

2.) मिट्टी की उर्वरता बढ़ाना
यह चाय मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाती है और पौधों की जड़ों को मजबूत बनाती है।

3.) रासायनिक उर्वरकों का विकल्प
खरपतवार की चाय प्राकृतिक होने के कारण रासायनिक उर्वरकों का जैविक विकल्प है। यह पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित है।

4.) कीट नियंत्रण
कुछ खरपतवार में प्राकृतिक कीटनाशक गुण होते हैं, जो पौधों को कीटों से बचाने में मदद करते हैं।

5.) सस्ती और टिकाऊ
इसे घर पर आसानी से तैयार किया जा सकता है, जिससे यह सस्ता और टिकाऊ विकल्प बनता है।

खरपतवार की चाय बनाने की विधि:-

■ सामग्री:
● ताजे खरपतवार (जैसे बिच्छू घास, गाजर घास)
● पानी
● एक बाल्टी या कंटेनर

■ विधि:
● खरपतवार को काटकर बाल्टी में डालें।
● बाल्टी को पानी से भर दें।
● मिश्रण को 1-2 हफ्ते तक धूप में रखें। इसे रोज़ाना हिलाएं।
● जब मिश्रण सड़कर गहरे रंग का हो जाए और उसमें बदबू आने लगे, तो इसे छान लें।

■ उपयोग:
● इस चाय को 1:10 (चाय:पानी) के अनुपात में पतला करें और पौधों की जड़ों या पत्तियों पर छिड़कें।

**dTea

गुड़हल में जबरदस्त फ्लॉवरिंग ❤️जपापुष्प, Hibiscus
23/01/2025

गुड़हल में जबरदस्त फ्लॉवरिंग ❤️
जपापुष्प, Hibiscus

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