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Shivaji Maharaj
05/06/2024

Shivaji Maharaj



Jay Bhawani
27/05/2024

Jay Bhawani

16वीं सदी में जिनसे डरता अफगान था,जिनके आगे सिर झुकाता पूरा जहान था,जिनके गम के साथ लगता महान था,राजपूताना का जो शान थाव...
25/05/2024

16वीं सदी में जिनसे डरता अफगान था,
जिनके आगे सिर झुकाता पूरा जहान था,
जिनके गम के साथ लगता महान था,
राजपूताना का जो शान था
वो कोई और नहीं महाराणा प्रताप थे.
जय राजपूताना 🏹

#पृथ्वीराज_चौहान #महाराणा_प्रताप



कुआ छोड़िए अब बताएं हिंद किसका?⚔  #ठाकुर का है कुँआ खेत, खलिहान,बैल ही नहीं बल्कि 565  #रियासते, 43  #गढ़, 18700  #किले,...
24/05/2024

कुआ छोड़िए अब बताएं हिंद किसका?⚔ #ठाकुर का है
कुँआ खेत, खलिहान,बैल ही नहीं बल्कि 565 #रियासते,
43 #गढ़, 18700 #किले, 40 लाख एकड #जमीन
देकर भारत देश बनाने वाला भी #राजपूत #ठाकुर है
⚔️⚔️⚔️💪💪🚩🚩🚩🚩🚩🗡🗡🗡🗡🗡
क्या यही सुनने के लिए हमने दान और बलिदान दिया था

मैंने भारत की उत्तर दिशा के किवाड़ों को देखा जो पहली बार गजनी के किले में लगाये गये। फिर स्यालकोट और भटनेर में लगाए गए। ...
17/05/2024

मैंने भारत की उत्तर दिशा के किवाड़ों को देखा जो पहली बार गजनी के किले में लगाये गये। फिर स्यालकोट और भटनेर में लगाए गए। फिर केहरोर और तन्नोट गढ़ में लगाये गये। फिर देरावर और भटिंडा में लगाये गये। फिर लुद्रवा और अन्त में जैसलमेर में लगाये गये। मैंने उन किवाड़ों को देखा, उनके तालों को देखा, अर्गला और शूलों को देखा। पराक्रमी विजयराज चूंडाला को देखा, साहसी देवराज को देखा, भोज और जेसल को देखा। मूलराज और रतनसी के चरण कदमों को बालू रेत पर उभरते देखा। जैसलमेर के किले में मूलराज और रतनसी को केसरिया बाना पहने देखा, जौहर की ज्वालाओं को देखा। ज्योंही वे बुझने लगी दूदा और तिलोकसी ने फिर प्रज्वलित की। तीसरी बार लूणकरण ने उसी अग्नि को अतःकरण में समेट कर तीसरा शाका किया। बारह-बारह वर्षों तक चलने वाले संसार के अद्वितीय घेरों को देखा। यमराज से युद्ध करने के लिये वृद्ध चाचकदेव की रणयात्रा देखी। मैंने महारावल घड़सी को देखा। किले को उजड़ते और आबाद होते देखा। सूखी भूमि में नरनाहरों के पुरुषार्थ के पानी को लहराते देखा। मैंने सतियों को देखा, मानिनी ऊमादे भटियाणी को देखा जिसने जीवनपर्यन्त पतिमुख न देखकर अन्त में पतिव्रत धर्म के लिये पति के शव के साथ अग्नि प्रवेश किया। मैंने महारावल अमरसिंह को रोहड़ी के पास लोमहर्षक युद्ध करते देखा और उसी गाँव के पास सतियों की पहाड़ी देखी जिस पर अब भी बुझी हुई ज्वाला धधक रही है और मेरे मुँह से बरबस निकल पड़ा - वाह जैसलमेर ! वाह !!

~ पूज्य श्री तनसिंह जी।



इतिहास सिर्फ ,  #सोशलमीडिया पे हमारे खिलाफ करने से नही बनता,इतिहास हमारी एक परम्परा है जो पीढ़ी दर पीढ़ी सैकड़ों हज़ारों...
16/05/2024

इतिहास सिर्फ , #सोशलमीडिया पे हमारे खिलाफ करने से नही बनता,

इतिहास हमारी एक परम्परा है जो पीढ़ी दर पीढ़ी सैकड़ों हज़ारों बर्षो से चलती आयी है..

जोधपुर के मेहरानगढ़ किले में रखे करीब 100 बर्ष से लेकर प्राचीन #इतिहास के सभी दस्तावेज आज भी मौजूद है।

जो #क्षत्रियों का स्वर्णिम इतिहास है।

🚩जय क्षात्रधर्म सर्वोत्तम 🙏🚩🗡️

इतिहास के पन्नो में उतना नहीं दिखाया....! जितना राणा तुम्हारा बलिदान था..!!
09/05/2024

इतिहास के पन्नो में उतना नहीं दिखाया....! जितना राणा तुम्हारा बलिदान था..!!

आखिर कौन थे ?सम्राट पृथ्वीराज चौहान पुरा नाम :-          पृथ्वीराज चौहान अन्य नाम :-         राय पिथौरा माता/पिता :-    ...
06/05/2024

आखिर कौन थे ?
सम्राट पृथ्वीराज चौहान

पुरा नाम :- पृथ्वीराज चौहान
अन्य नाम :- राय पिथौरा
माता/पिता :- राजा सोमेश्वर चौहान/कमलादेवी
पत्नी :- संयोगिता
जन्म :- 1149 ई.
राज्याभिषेक :- 1169 ई.
मृत्यु :- 1192 ई.
राजधानी :- दिल्ली, अजमेर
वंश :- चौहान (राजपूत)

आज की पिढी इनकी वीर गाथाओ के बारे मे..
बहुत कम जानती है..!!
तो आइए जानते है.. #सम्राट #पृथ्वीराज #चौहान से जुडा इतिहास एवं रोचक तथ्य,,,

''(1) प्रथ्वीराज चौहान ने 12 वर्ष कि उम्र मे बिना किसी हथियार के खुंखार जंगली शेर का जबड़ा फाड़
ड़ाला था ।

(2) पृथ्वीराज चौहान ने 16 वर्ष की आयु मे ही
महाबली नाहरराय को युद्ध मे हराकर माड़वकर पर विजय प्राप्त की थी।

(3) पृथ्वीराज चौहान ने तलवार के एक वार से जंगली हाथी का सिर धड़ से अलग कर दिया था ।

(4) महान सम्राट प्रथ्वीराज चौहान कि तलवार का वजन 84 किलो था, और उसे एक हाथ से चलाते थे ..सुनने पर विश्वास नहीं हुआ होगा किंतु यह सत्य है..

(5) सम्राट पृथ्वीराज चौहान पशु-पक्षियो के साथ बाते करने की कला जानते थे।

(6) महान सम्राट पुर्ण रूप से मर्द थे ।
अर्थात उनकी छाती पर स्तंन नही थे ।

(8) प्रथ्वीराज चौहान 1166 ई. मे अजमेर की गद्दी पर बैठे और तीन वर्ष के बाद यानि 1169 मे दिल्ली के सिहासन पर बैठकर पुरे हिन्दुस्तान पर राज किया।

(9) सम्राट पृथ्वीराज चौहान की तेरह पत्निया थी।
इनमे संयोगिता सबसे प्रसिद्ध है..

(10) पृथ्वीराज चौहान ने महमुद गौरी को 16 बार युद्ध मे हराकर जीवन दान दिया था..
और 16 बार कुरान की कसम का खिलवाई थी ।

(11) गौरी ने 17 वी बार मे चौहान को धौके से बंदी बनाया और अपने देश ले जाकर चौहान की दोनो आँखे फोड दी थी ।
उसके बाद भी राजदरबार मे पृथ्वीराज चौहान ने अपना मस्तक नहीं झुकाया था।

(12) महमूद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान को बंदी बनाकर अनेको प्रकार की पिड़ा दी थी और कई महिनो तक भुखा रखा था..
फिर भी सम्राट की मृत्यु न हुई थी ।

(13) सम्राट पृथ्वीराज चौहान की सबसे बड़ी विशेषता यह थी की...
जन्मसे शब्द भेदी बाण की कला ज्ञात थी।
जो की अयोध्या नरेश "राजा दशरथ" के बाद..
केवल उन्ही मे थी।

(14) पृथ्वीराज चौहान ने महमुद गौरी को उसी के भरे दरबार मे शब्द भेदी बाण से मारा था ।
गौरी को मारने के बाद भी वह दुश्मन के हाथो नहीं मरे..
अर्थार्त अपने मित्र चन्द्रबरदाई के हाथो मरे, दोनो ने एक दुसरे को कटार घोंप कर मार लिया.. क्योंकि और कोई विकल्प नहीं था ।

दुख होता है ये सोचकर कि वामपंथीयो ने इतिहास की पुस्तकों में टीपुसुल्तान, बाबर, औरँगजेब, अकबर जैसे हत्यारो के महिमामण्डन से भर दिया और पृथ्वीराज जैसे योद्धाओ को नई पीढ़ी को पढ़ने नही दिया बल्कि इतिहास छुपा दिया....
जय भारत, जय वीर 🏹

૧૦ લાખની ભીડ મેદાનમાં એકઠી થઈ, એક લાખ જેટલા ક્ષત્રિયો ટ્રાફિકમાં અટવાયા છતાંય કોઇ કાંકરી ચાળો નહિ.આ સભ્યતા ક્ષત્રિયોના સ...
15/04/2024

૧૦ લાખની ભીડ મેદાનમાં એકઠી થઈ, એક લાખ જેટલા ક્ષત્રિયો ટ્રાફિકમાં અટવાયા છતાંય કોઇ કાંકરી ચાળો નહિ.
આ સભ્યતા ક્ષત્રિયોના સંસ્કાર છે.
જે સમાજ પાસે નમવાની સભ્યતા હોય એની પાસે નમાડવાની પણ તાકાત હોય છે.

राजकुमारी रत्नावती जैसलमेर की वीरांगना थी जिसने तुर्क अल्लाउदीन की सेना को 100km तक दौड़ा कर हराया था। ऐसी वीरांगना को शत...
13/04/2024

राजकुमारी रत्नावती जैसलमेर की वीरांगना थी जिसने तुर्क अल्लाउदीन की सेना को 100km तक दौड़ा कर हराया था। ऐसी वीरांगना को शत शत नमन🙏🚩💯

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