14/12/2024
साल 1949 के मई महीने में एक विश्लेषक ने अपने एक लेख में तलाक के मुद्दे पर बात करते हुए लिखा था 'तलाक मांगने के अधिकार पर कोई आपत्ति नहीं हो सकती है, लेकिन महिलाओं को इसका अधिकार देना अपने आप में बेमतलब की बात होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत में महिलाओं के तलाक मांगने पर कुछ भी अच्छा होने वाला नहीं है बल्कि चीजें पहले से बहुत ज्यादा खराब हो सकती हैं।' यही एक वजह भी है कि बदलते जमाने के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने का दावा करने वाले लोगों की महिलाओं की बदलती स्थिति पर सोच ज्यों की त्यों हैं।
आज भी तलाकशुदा महिला को बुरी नजरों से देखा जाता है। तलाक लेने के फैसले पर न केवल उसके कैरेक्टर पर हमला बोला जाता है बल्कि सास ससुर-घर परिवार की जिम्मेदारियों को सही से नहीं निभाने का ठिकरा भी उसी पर फोड़ा जाता है। ऐसा हम यूं ही नहीं बल्कि साउथ फिल्मों की अभिनेत्री सामंथा रुथ प्रभु (Samantha Ruth Prabhu) को भी अपने पति नागा चैतन्य अक्किनेनी (Naga Chaitanya Akkineni) से अलग होने के बाद ऐसा ही सब झेलना पड़ रहा है।
दरअसल, सामंथा रुथ प्रभु और नागा चैतन्य अक्किनेनी ने अपनी चार साल पुरानी शादी को खत्म करते हुए एक-दूसरे से अलग होने का फैसला किया है। दोनों ने तलाक लेने की वजह को बेहद निजी रखा था, जिसके बाद इस एक्स कपल के रिश्ते को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे। एक तरफ जहां सामंथा ने नागा चैतन्य की तरफ से मिलने वाली 200 करोड़ रुपए की भारी भरकम एलिमनी को भी ठुकरा दिया है। वहीं दूसरी तरफ गलत आचरण के कारण तलाक लेने के मुद्दे को हाइलाइट किया जा रहा है, जिस पर एक्ट्रेस ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए लोगों का मुंह बंद किया है।
तलाक लेने की खबरों पर अपना दर्द बयां करते हुए सामंथा रुथ प्रभु ने एक लंबा-चौड़ा नोट लिखते हुए कहा 'मेरे पर्सनल क्राइसिस में आपके इमोशनल इंवेस्टमेंट ने मुझे बहुत मजबूती दी है। आप सभी की गहरी सहानुभूति-चिंता के लिए धन्यवाद जिससे मुझे गलत अफवाहों और खबरों के विरुद्ध खड़े रहने का साहस दिया है।
वह कहते हैं कि मेरे कई अफेयर हैं...मैं बच्चे नहीं चाहती, मैं मौकापरस्त हूं और अब ऐसा भी कहा जा रहा है कि मेरे कई ऍबोर्शन हुए हैं। तलाक अपने आप में एक बेहद दर्दनाक प्रोसेस है। मुझे अकेले इससे उबरने का समय चाहिए। मेरे कैरक्टर पर पर्सनली अटैक बहुत ही गलत है। लेकिन मैं वादा करती हूं कि मैं किसी चीज या किसी को अपने आपको तोड़ने नहीं दूंगी।'
हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब तलाक लेने के बाद किसी महिला के चरित्र को यूं निशाना बनाया गया हो। इससे पहले टीवी एक्ट्रेस श्वेता तिवारी पर भी दूसरी शादी तोड़ने का इल्ज़ाम लगाया था। लोगों ने यहां तक कह दिया था जरूर इसी की गलती रही होगी तभी दूसरी शादी भी टूट गई।।
इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि तलाक अभी भी एक ऐसी प्रथा है, जिसे पूरी तरह से सामाजिक कलंक के बिना स्वीकार किया जाना मुश्किल है। तलाक लेने वाले जोड़े अक्सर उपहास और असंवेदनशील पूछताछ के अलावा सामाजिक प्रभावों का सामना करते हैं।
कुछ लोग जहां कारणों को जानते हुए बिन मांगी सलाह देने का काम करते हैं, तो कइयों के साथ परेशानी यह है कि वह तलाक के असल मुद्दे को न जानते हुए कुछ इससे गुजर रहे लोगों पर तमाम तरह की बातें करने लगते हैं, जिसमें सबसे ज्यादा गुजरने वाली महिलाएं ही हैं। हालांकि, ऐसे लोगों को समझना चाहिए कि तलाक का फैसला अपने आप ही बेहद जटिल है।
साल 1950 में संसद में हिन्दू बिल पारित हुआ, जिसमें महिलाओं को संपत्ति का हक देते हुए बहू विवाह पर रोक और तलाक मांगने का अधिकार भी दिया गया था। बाद में साल 1976 में इस कानून में संशोधन करते हुए पति-पत्नी के बीच सहमति से तलाक़ की अनुमति दी गई।
हालांकि, जीवनसाथी से अलग होने के विचार पर पति-पत्नी दोनों का ही फैसला होना चाहिए लेकिन जब इसकी पहल कोई महिला करती है, तो इसे एक धब्बे की तरह देखा जाता है। यही एक वजह भी है कि ज्यादातर लोग एक बुरी शादी में रहने को मजबूर हैं। जहां महिलाएं तलाक न देकर पति से अलग रहना पसंद करती हैं। वहीं ज्यादातर पुरूष पत्नी के होते हुए भी दूसरी महिला संग जिंदगी बिताते हैं।।
तलाक़शुदा महिलाओं के प्रति भेदभाव होना कोई नया नहीं है। भारत में महिलाओं को तलाक का तो हक है लेकिन दूसरी शादी होना अभी भी बहुत मुश्किल है। ऐसा इसलिए क्योंकि शादी तोड़ने में पति से ज्यादा अभी भी एक पत्नी की गलती मानी जाती है। समाज में रह रहे एक पक्ष का कहना है कि तलाक तभी होता है, जब महिला अपनी शादी को निभाने की कोशिश नहीं करती है। हालांकि, ऐसे लोगों से सवाल यह है कि क्या महिलाएं खुद तलाकशुदा रहने का फैसला कर लेती हैं।
✍️ तृप्ति शर्मा