29/01/2023
'चातुर्वर्ण्यं मया सृष्टं गुणकर्मविभागशः।' अर्थात् गुण और कर्मों के विभागपूर्वक चारों वर्ण (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र) मेरे द्वारा रचा गया है।
अर्थात् : - हे परन्तप ! ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र के कर्म स्वभाव से उत्पन्न गुणों के अनुसार विभक्त किये गये हैं।
यानी जिसका जैसा कर्म और स्वभाव है, उसी के अनुसार उसका वर्ण निर्धारित होगा। यानी राजा का बेटा तभी राजा होगा जब उसमें राजा के समान कर्म और स्वभाव होंगे। श्री राम इसलिए राजा नहीं बने कि वो सबसे बड़े थे। राजा इसलिए बने क्योंकि वे श्रेष्ठ क्षत्रिय गुण वाले थे तथा प्रजा एवं मंत्री मंडल को भी वो राजा के रूप में स्वीकार थे।