
19/05/2025
😍प्यारे बच्चों की एक कहानी:
एक बार की बात है, एक गाँव में एक गरीब परिवार रहता था। उनके पास एक सुंदर और प्यारा बच्चा था, जिसका नाम राम था। राम बहुत ही भोला और नासमझ था, लेकिन वह बहुत ही प्यार करने वाला और दयालु था।
एक दिन, राम की माँ ने उसे कुछ फल लेने के लिए गाँव के बाजार में भेजा। राम बहुत खुश हुआ और अपने घर से बाहर निकल गया। रास्ते में, उसने एक सुंदर और बड़ी गुड़िया देखी। राम को वह गुड़िया बहुत पसंद आई और वह उसे खरीदने के लिए दुकान के पास गया।
दुकानदार ने राम से गुड़िया की कीमत पूछी, लेकिन राम के पास इतने पैसे नहीं थे। राम ने दुकानदार से गुड़िया को मुफ्त में देने के लिए कहा, लेकिन दुकानदार ने उसकी बात नहीं मानी। राम बहुत दुखी हो गया और वह वहाँ से चला गया।
रास्ते में, राम को एक गरीब औरत मिली। औरत ने राम से खाना माँगा, लेकिन राम के पास भी खाने के लिए कुछ नहीं था। राम ने औरत को अपने घर ले जाने के लिए कहा, लेकिन औरत ने उसकी बात नहीं मानी। राम बहुत दुखी हो गया और वह वहाँ से चला गया।
राम अपने घर वापस आया और अपनी माँ को सब कुछ बताया। उसकी माँ ने उसे समझाया कि दुनिया में ऐसे लोग भी होते हैं जिनके पास कुछ नहीं होता है और उन्हें भी मदद की जरूरत होती है। राम ने अपनी माँ की बात समझ ली और उसने तय किया कि वह हमेशा दूसरों की मदद करेगा।
राम बहुत ही प्यार करने वाला और दयालु था और वह हमेशा दूसरों की मदद करता था। उसकी इस आदत से गाँव के लोग बहुत खुश थे और उन्होंने उसे अपना हीरो मान लिया।
राम की कहानी हमें सिखाती है कि हमें हमेशा दूसरों की मदद करनी चाहिए और दयालु रहना चाहिए।
एक और प्यारी कहानी:
एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में दो बच्चे थे, मोहन और सोहन। मोहन बहुत ही शरारती था, जबकि सोहन बहुत ही शांत और दयालु था।
एक दिन, मोहन ने सोहन को एक गुड़िया देने के लिए कहा, लेकिन सोहन के पास वह गुड़िया नहीं थी। मोहन ने सोहन से कहा कि वह उसकी गुड़िया ले ले, लेकिन सोहन ने मना कर दिया। मोहन बहुत गुस्सा हो गया और उसने सोहन को डांटना शुरू कर दिया।
सोहन ने मोहन को शांत रहने के लिए कहा और उसे समझाया कि वह उसकी गुड़िया नहीं ले सकता। मोहन ने सोहन की बात नहीं सुनी और उसने सोहन को पीटना शुरू कर दिया।
सोहन ने मोहन को रोकने की बहुत कोशिश की, लेकिन मोहन ने उसकी बात नहीं सुनी। आखिरकार, सोहन ने हार मान ली और वह वहाँ से चला गया।
मोहन ने सोहन को बहुत परेशान किया और उसने सोहन को बहुत दुखी किया। मोहन ने अपनी गलती का एहसास किया और उसने सोहन से माफी माँगी। सोहन ने मोहन को माफ कर दिया और दोनों फिर से दोस्त बन गए।
मोहन और सोहन की कहानी हमें सिखाती है कि हमें हमेशा दूसरों के साथ दयालु रहना चाहिए और उनकी भावनाओं को समझने की कोशिश करनी चाहिए।