Kumbh Darshanam

Kumbh Darshanam कुम्भ-दर्शनम् पत्रिका 2010 से हिंदी और स?

भारत स्वास्थ्य एवं शिक्षा परिषद द्वारा क्षय रोगियों को पौष्टिक आहार का वितरण
02/05/2023

भारत स्वास्थ्य एवं शिक्षा परिषद द्वारा क्षय रोगियों को पौष्टिक आहार का वितरण

हरिद्वार। समाज सेवी संस्था भारत स्वास्थ्य एवं शिक्षा परिषद द्वारा क्षय रोगियों के लिए भारत सरकार द्वारा संचालित ...

https://thekumbhdarshanam.com/kaun-thee-devee-tulasee/
01/12/2022

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हम प्रतिदिन देवी तुलसी की पूजा करते हैं और बहुत श्रद्धा भाव से तुलसी के पत्ते को भगवान को अर्पित करते हैं तो आप सभी .....

13/12/2021

मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी उपवास रखा जाता है। धार्मिक मान्यतानुसार श्री हरि व.....

मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी उपवास रखा जाता है। धार्मिक मान्यतानुसार श्री हरि विष्णु प्...
13/12/2021

मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी उपवास रखा जाता है। धार्मिक मान्यतानुसार श्री हरि विष्णु प्रसन्न होकर मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं और मृत्यु के उपरांत बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है। इस बार मोक्षदा एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग बन रहा है जो कि किसी भी शुभ कार्य को करने हेतु अत्यंत लाभकारी माना गया है।...

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मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी उपवास रखा जाता है। धार्मिक मान्यतानुसार श्री हरि व.....

मेरी रामकहानी से जैसे गंगामैया अलग नहीं हो सकती वैसे ही अलग नहीं किए जा सकते कुम्भ (Kumbh) और अर्द्धकुम्भ पर्व। गंगास्ना...
12/12/2021

मेरी रामकहानी से जैसे गंगामैया अलग नहीं हो सकती वैसे ही अलग नहीं किए जा सकते कुम्भ (Kumbh) और अर्द्धकुम्भ पर्व। गंगास्नानों के विभिन्न पर्व जैसे बैसाखी, संक्रातियों के पर्व, चन्द्र सूर्यग्रहणों के पर्व, पूर्णिमा अमावस्या एकादशी के स्नान पर्व और कांवड़ जैसे लक्खी मेले से मुझे अलग करके देखा ही नही जा सकता। साधु-सन्यासियों के साथ उनके मठ- आश्रम और अखाडे़ तथा तीर्थपुरोहित नामक वह ब्राह्मण वर्ग जो तीर्थ के कारण ही आबाद है, भी मेरी रामकहानी के हिस्से हैं। आइये इन सबकी क्रमशः चर्चा करें और आपबीती को आगे बढ़ाएं।...

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मेरी रामकहानी से जैसे गंगामैया अलग नहीं हो सकती वैसे ही अलग नहीं किए जा सकते कुम्भ (Kumbh) और अर्द्धकुम्भ पर्व। गंगास्.....

मध्यप्रदेश के अशोकनगर जिले से 35 किलोमीटर दूर करीला ग्राम में रंगपंचमी के दिन एक भव्य मेला का आयोजन होता है। मान्यता है ...
12/12/2021

मध्यप्रदेश के अशोकनगर जिले से 35 किलोमीटर दूर करीला ग्राम में रंगपंचमी के दिन एक भव्य मेला का आयोजन होता है। मान्यता है कि यहां माता सीता और उनके पुत्र लव-कुश का एक मात्र ऐसा दुर्लभ मंदिर है जो भारत में कहीं नहीं हैं। माता सीता करीला में भगवान राम के बिना अकेले ही स्थापित हैं। कहते हैं यहां जब भगवान श्रीराम ने माता सीता का त्याग कर दिया था उस समय सीता जी वाल्मीकि आश्रम में रही थीं। संभवतः उस समय वाल्मीकि आश्रम यहीं था, ऐसा लोग आज भी मानते हैं। माता सीता ने लव को यहीं जन्म दिया था। और बाद में कुश का अवतरण भी यहीं हुआ। इस खुशी में उस समय यहां रहने वाले लोगों ने नाच-गाकर उन्हें बधाई दी थी।...

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मध्यप्रदेश के अशोकनगर जिले से 35 किलोमीटर दूर करीला ग्राम में रंगपंचमी के दिन एक भव्य मेला का आयोजन होता है। मान्यत....

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06/07/2021

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लौकी का नाम सुनते ही ज्‍यादातर लोग नाक-मुंह सिकोड़ने लगते हैं। जी हां आमतौर पर लौकी खाना किसी को भी पसंद नहीं होता ह...

चंडीदेवी के शिवालिक क्षृंखला के पहाड़ आज शाम से भयंकर आग से दहक रहे हैं।आग से कई किलोमीटर वन्य भूमि  प्रभावित हुई है। आग ...
02/05/2021

चंडीदेवी के शिवालिक क्षृंखला के पहाड़ आज शाम से भयंकर आग से दहक रहे हैं।आग से कई किलोमीटर वन्य भूमि प्रभावित हुई है। आग शाम के वक्त किसी समय लगी और सुलगते सुलगते दावानल बन गई।इस समय जंगल में तेज लपटें उठ रही हैं।हालात यह हैं कि श्यामपुर कांगड़ी वनीय क्षेत्र तक आग पहुंच गई है।वन व फायर विभाग के अधिकारी मौके पर आग पर नियंत्रण के लिए जुटे हुए हैं।डीएफओ हरिद्वार नीरज शर्मा ने मौके से बताया कि आग से वनीय सम्पदा का नुकसान हुआ है।फिलहाल आग बुझाने का काम चल रहा है।हालांकि हवाएं आग बुझाने में बाधा उत्पन्न कर रही हैं।उधर आग के चंडीदेवी रोपवे की ओर बढ़ने की आशंका के बाद रोपवे प्रबंधन ने भी अपने सुरक्षा तंत्र को एलर्ट कर दिया है।यूनिट हेड मनोज डोभाल ने बताया कि आग जैसी घटनाओं से निपटने के लिए ऊषा ब्रेको का अपना तंत्र है।जिसे आग को देखते हुए सावधान रहने को कहा गया है।उन्होंने बताया कि आजकल लॉकडाऊन के चलते रोपवे बंद है।इसलिए आग की इस घटना से रोपवे पर कोई असर नहीं पड़ा है।

🙏सोमवती अमावस्या 12 अप्रैल 2021, सोमवार👍* सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। सोमवार चंद्र देवत...
11/04/2021

🙏सोमवती अमावस्या 12 अप्रैल 2021, सोमवार👍*

सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। सोमवार चंद्र देवता कों समर्पित दिन है,भगवन चंद्र को मन का कारक माना जाता है अतः इस दिन अमावस्या पड़ने का अर्थ है की यह दिन मन सम्बन्धित दोषो को दूर करने के लिए उत्तम है। हमारे शास्त्रो में चंद्रमा को ही दैहिक, दैविक और भौतिक कष्टो का कारक माना जाता है,अतः यह पूरे वर्ष में एक या दो बार ही पड़ने वाले पर्व का बहुत अधिक महत्त्व माना जाता है। विवाहित स्त्रियों के द्वारा इस दिन पतियों की दीर्घ आयु के लिये व्रत का विधान है।

सोमवती अमावस्या कलयुग के कल्याणकारी पर्वो में से एक है, लेकिन सोमवती अमावस्या को अन्य अमावस्याओं से अधिक पुण्य कारक मानने के पीछे भी पौराणिक एवं शास्त्रीय कारण है। सोमवार को भगवान शिव एवं चंद्र का दिन माना जाता है। सोम यानि चन्द्रमा अमावस्या और पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा यानि सोमांश या अमृतांश सीधे-सीधे पृथ्वी पर पड़ता है।

शास्त्रो के अनुसार सोमवती अमावस्या के दिन चन्द्रमा का अमृतांश पृथ्वी पर सबसे अधिक पड़ता है।

*अमावस्या अमा और वस्या दो शब्दों से मिलकर बना है। शिव पुराण में इस संधि विच्छेद को भगवान् शिव ने माँ पार्वती को समझाया था।क्योंकि सोम को अमृत भी कहा जाता है अमा का अर्थ है एकत्रित करना और वास को वस्या कहा गया है। यानि जिसमे सभी वास करते हो वह अति पवित्र अमावस्या कहलाती है यह भी कहा जाता है की सोमवती अमावस्या में भक्तो को अमृत की प्राप्ति होती है।*

निर्णय सिंधु व्यास के वचनानुसार इस दिन मौन रहकर स्नान-ध्यान करने से सहस्त्र गौ दान का पूण्य मिलता है।

शास्त्रो के अनुसार पीपल की परिक्रमा करने से ,सेवा पूजा करने से, पीपल की छाया से,स्पर्श करने से समस्त पापो का नाश,अक्षय लक्ष्मी की प्राप्ति होती है व आयु में वृद्धि होती है।

पीपल के पूजन में दूध, दही, मिठाई,फल, फूल,जनेऊ, का जोड़ा चढाने से और घी का दीप दिखाने से भक्तो की सभी मनोकामनाये पूरी होती है। कहते है की पीपल के मूल में भगवान् विष्णु तने में शिव जी तथा अगर भाग में ब्रह्मा जी का निवास है। इसलिए सोमवार को यदि अमावस्या हो तो पीपल के पूजन से अक्षय पूण्य लाभ तथा सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

इस दिन विवाहित स्त्रियों द्वारा पीपल के पेड़ की दूध, जल, पुष्प, अक्षत, चन्दन आदि से पूजा और पीपल के चारो और 108 बार धागा लपेट कर परिक्रमा करने का विधान होता है और हर परिक्रमा में कोई भी मिठाई या फल चढाने से विशेष लाभ होता है। ये सभी 108 फल या मिठाई परिक्रमा के बाद ब्राह्मण या निर्धन को दान करे।इस प्रक्रिया को कम से कम 3 सोमवती तक करने से सभी समस्याओ से मुक्ति मिलती है।इस प्रदक्षिणा से पितृ दोष का भी निश्चित समाधान होता है।

इस दिन जो भी स्त्री तुलसी या माँ पार्वती पर सिंदूर चढ़ा कर अपनी मांग में लगाती है वह अखंड सौभाग्यवती बनी रहती है।

जिन जातको की जन्म पत्रिका में कालसर्प दोष है। वे लोग यदि सोमवती अमावस्या पर चांदी के बने नाग-नागिन की विधिवत पूजा कर उन्हें नदी में प्रवाहित करे, शिव जी पर कच्चा दूध चढाये, पीपल पर मीठा जल चढ़ा कर उसकी परिक्रमा करें, धुप दीप दिखाए, ब्राह्मणों को यथा शक्ति दान दक्षिणा दे कर उनका आशीर्वाद ग्रहण करे तो निश्चित ही काल सर्प दोष की शांति होती है।

इस दिन जो लोग व्यवसाय में परेशानी उठा रहे है, वे पीपल के नीचे तिल के तेल का दिया जलाकर ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मन्त्र का कम से कम 5 माला जप करे तो व्यवसाय में आ रही दिक्कते समाप्त होती है। इस दिन अपने पितरों के नाम से पीपल का वृक्ष लगाने से जातक को सुख, सौभाग्य, पुत्र की प्राप्ति होती है, एव पारिवारिक कलेश दूर होते है।

*👆सोमवती अमावस्या तिथि*👆

अमावस्या तिथि: 12 अप्रैल, सोमवार

सोमवती अमावस्या का प्रारंभ: 11 अप्रैल, रविवार प्रात: 06 बजकर 03 मिनट से.

सोमवती अमावस्या का समापन: 12 अप्रैल, सोमवार को प्रात: 08:00 बजे तक. सोमवती अमावस्या पर

*🔱भाग्यवर्धक उपाय💎*

 इस दिन पवित्र नदियो में स्नान,ब्राह्मण भोज,गौ दान, अन्नदान,वस्त्र,स्वर्ण आदि दान का विशेष महत्त्व माना गया है,इस दिन गंगा स्नान का भी विशिष्ट महत्त्व है।

माँ गंगा या किसी पवित्र सरोवर में स्नान कर शिव-पार्वती एवं तुलसी की विधिवत पूजा करें।

 भगवान् शिव पर बेलपत्र, बेल फल,मेवा,मिठाई,जनेऊ का जोड़ा आदि चढ़ा कर ॐ नमः शिवाय की 11 माला करने से असाध्य कष्टो में भी कमी आती है।

 प्रातः काल शिव मंदिर में सवा किलो साबुत चांवल दान करे।

 सूर्योदय के समय सूर्य को जल में लाल फूल,चन्दन डाल कर गायत्री मन्त्र जपते हुए अर्घ देने से दरिद्रता दूर होती है।

 सोमवती अमावस्या को तुलसी के पौधे की ॐ नमो नारायणाय जपते हुए 108 बार परिक्रमा करने से दरिद्रता दूर होती है।

 जीन लोग का चन्द्रमा कमजोर है वो गाय को दही और चांवल खिलाये अवश्य ही मानसिक शांति मिलेगी।

 मन्त्र जप,साधना एवं दान करने से पूण्य की प्राप्ति होती है।

 इस दिन स्वास्थ्य, शिक्षा, कानूनी विवाद, आर्थिक परेशानियो और पति-पत्नी सम्बन्धि विवाद के समाधान के लिए किये गए उपाय अवश्य ही सफल होते है।

 इस दिन धोबी-धोबन को भोजन कराने,उनके बच्चों को किताबे मिठाई फल और दक्षिणा देने से सभी मनोरथ पूर्ण होते है।

 सोमवती अमावस्या को भांजा, ब्राह्मण, और ननद को मिठाई, फल,खाने की सामग्री देने से उत्तम फल मिलाता है।

 इस दिन अपने आसपास के वृक्ष पर बैठे कौओं और जलाशयों की मछलियों को (चावल और घी मिलाकर बनाए गए) लड्डू दीजिए। यह पितृ दोष दूर करने का उत्तम उपाय है।

 सोमवती अमावस्या के दिन दूध से बनी खीर दक्षिण दिशा में (पितृ की फोटो के सम्मुख) कंडे की धूनी लगाकर पितृ को अर्पित करने से भी पितृ दोष में कमी आती है।

 अमावस्या के समय जब तक सूर्य चन्द्र एक राशि में रहे, तब कोई भी सांसरिक कार्य जैसे-हल चलाना, कसी चलाना, दांती, गंडासी, लुनाई, जोताई, आदि तथा इसी प्रकार से गृह कार्य भी नहीं करने चाहिए।🅿️

*🏆सोमवती अमावस्या कथा*🏆

सोमवती अमावस्या से सम्बंधित अनेक कथाएँ प्रचलित हैं। परंपरा है कि सोमवती अमावस्या के दिन इन कथाओं को विधिपूर्वक सुना जाता है।

एक गरीब ब्राह्मण की कन्‍या बहुत सुशील थी लेक‍‍िन धन न होने के चलते उसका विवाह नहीं हो पा रहा था। ब्राह्मण ने एक साधु से इसका उपाय पूछा तो उन्‍होंने कहा क‍‍ि कुछ दूरी पर एक गांव में सोना नाम की धोबी महिला अपने बेटे और बहू के साथ रहती है, जो क‍‍ि बहुत ही आचार- विचार और संस्कार संपन्न तथा पति परायण है। यदि यह कन्या उसकी सेवा करे और इसकी शादी में अपने मांग का सिन्दूर लगा दे, तो कन्या का वैधव्य योग मिट सकता है। साधु ने यह भी बताया कि वह महिला कहीं आती जाती नहीं है। यह बात सुनकर ब्रह्मणि ने अपनी बेटी से धोबिन कि सेवा करने कि बात कही।

कन्या सुबह ही उसके घर का सारा काम करके वापस आ जाती। सोना धोबिन अपनी बहू से पूछती है कि तुम तो तड़के ही उठकर सारे काम कर लेती हो और पता भी नहीं चलता। बहू ने कहा कि मां जी मैंने तो सोचा कि आप ही सुबह उठकर सारे काम न‍‍िपटा देती हैं। इस पर धोबिन ने नजर रखी तो देखा कि एक एक कन्या मुंह अंधेरे घर में आती है और सारे काम करने के बाद चली जाती है। जब वह जाने लगी तो सोना धोबिन उसके पैरों पर गिर पड़ी, पूछने लगी कि आप कौन है और इस तरह छुपकर मेरे घर की चाकरी क्यों करती हैं। तब कन्या ने साधु द्बारा कही गई सारी बात बताई।

सोना धोबिन पति परायण थी, उसमें तेज था। वह तैयार हो गई। लेक‍‍िन जैसे सोना धोबिन ने अपनी मांग का सिन्दूर कन्या की मांग में लगाया, उसका पति गुजर गया। उसे इस बात का पता चल गया। वह घर से निराजल ही चली थी, यह सोचकर की रास्ते में कहीं पीपल का पेड़ मिलेगा तो उसे भंवरी देकर और उसकी परिक्रमा करके ही जल ग्रहण करेगी।

संयोगवश उस दिन सोमवती अमावस्या थी। ब्राह्मण के घर मिले पुए- पकवान की जगह उसने ईंट के टुकडों से 108 बार भंवरी देकर 108 बार पीपल के पेड़ की परिक्रमा की और उसके बाद जल ग्रहण किया। ऐसा करते ही उसके पति को जीवन दान मिल गया।

सोमवती अमावस्या के दिन से शुरू करके जो व्यक्ति हर अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ को भंवरी देता है, उसके सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। परिक्रमा करते वक्त :ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करते जाइये। साथ ही सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या के दिन 108 वस्तुओं की भंवरी देकर सोना धोबिन और गौरी-गणेश का पूजन करना भी अखंड सौभाग्य देता है।🅿️

*🌟ॐ देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्यः एव च ।🌟*
*🌞नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नमः ।।🌞*
ज्योतिषचार्य संचितअवस्थी(M.A संस्कृत)
7887058859

05/04/2021

नागा संन्यासियों के सबसे बड़े अखाड़े श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा में आज से ‘सन्यास दीक्षा’ का बृहद आयोजन शुरू हो गया है। जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय सचिव व कुंभ मेला प्रभारी महंत महेशपुरी के मुताबिक संन्यास दीक्षा के लिए सभी चारों मढ़ियों, जिसमें चार, सोलह, तेरह और चौदह मढ़ी शामिल हैं, उन नागा संन्यासियों का पंजीकरण किया गया। आवेदकों की बारीकी से जांच के बाद दीक्षा के लिए केवल योग्य एवं पात्र साधुओं का ही चयन किया गया। नागा संन्यासी बनने के लिए कई कठिन परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है। इसके लिए सबसे पहले नागा संन्यासी को महापुरुष के रूप में दीक्षित कर अखाड़े में शामिल किया जाता है। तीन सालों तक महापुरुष के रूप में दीक्षित संन्यासी को संन्यास के कड़े नियमों का पालन करते हुए गुरु सेवा के साथ-साथ अखाड़े में विभिन्न कार्य करने पड़ते हैं। तीन साल की कठिन साधना में खरा उतरने के बाद कुंभ पर्व पर उन्हें नागा बनाया जाता है। दीक्षा प्रक्रिया आचार्य महामंडलेश्वर के दिशा–निर्देशन में चल रही है।

धार्मिक मान्यताओं के आईने में हरिद्वार  - ब्रह्मकुण्ड में ब्रह्मा जी ने तो हर की पैड़ी पर भतृहरी ने की थी तपस्यामहान सांस...
02/04/2021

धार्मिक मान्यताओं के आईने में हरिद्वार
- ब्रह्मकुण्ड में ब्रह्मा जी ने तो हर की पैड़ी पर भतृहरी ने की थी तपस्या

महान सांस्कृतिक धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व की धरोहरों को खुद में समेटे हुए उत्तराखंड के प्रवेश द्वार पर स्थित है पौराणिक नगर हरिद्वार। यहां पर हम हरिद्वार के शाब्दिक अर्थ की बात करें तो हरिद्वार का नाम दो तरह से उच्चारित किया जाता है, हरिद्वार से तात्पर्य है भगवान विष्णु का द्वार यानी उत्तराखंड के बद्रीनाथ धाम जाने वाला द्वार।
जबकि कुछ लोग इस नगरी को हरद्वार कहकर पुकारते हैं। यहां पर हर का अर्थ भगवान शिव से है। हरिद्वार यानी भगवान शिव के धाम केदारनाथ के धाम जाने का द्वार। वैदिक शास्त्रों के अनुसार गंगा यहां ब्रह्मा, विष्णु, महेश को स्पर्श करती हुई धरती पर उतरी है। अर्थात साक्षात ईश्वरीय या तत्व युक्ता गंगा यहीं पर गंगा का वास्तविक रूप धारण करती है।
वैदिक संस्कृति वाला एक पौराणिक नगर हरिद्वार मूलतः हिंदू धार्मिक संस्कृति का केंद्र है। पौराणिक और वैदिक ग्रंथ कहते हैं कि हरिद्वार स्वयं सृष्टी के रचयिता जी की तपस्थली रही है। हरिद्वार में हर की पैड़ी के मुख्य कुण्ड ब्रह्मकुंड से है। इसका अर्थ उस स्थान से है जहां ब्रह्मा जी द्वारा तपस्या का विवरण आता है। यहीं पर हरि पादुकाई बनी हुई है। जिसे इस कथानक का प्रतीक माना जाता है। भगवान शिव के ससुराल यानी शिव की पहली पत्नी देवी सती के पिता दक्ष के यज्ञ के विध्वंस के बाद दक्ष को पुनर्जीवन देकर दक्षेश्वर महादेव की स्थापना का प्रश्न यहां सदा सर्वदा प्रसांगिक है। क्योंकि आज भी हिंदू धार्मिक आस्था के प्रतीक दक्षेश्वर महादेव को हरिद्वार का अधिष्ठात्री कहा जाता है।
स्कंद पुराण के केदारखंड में तो यहां तक लिखा है कि कनखल में दक्षेश्वर और माया देवी मंदिर के दर्शन के बिना तीर्थाटन निष्फल होता है। भगवान राम के सूर्यवंशी पूर्वज राजा भागीरथ से जुड़ा गंगा का प्रसंग हो या रावण के वध के बाद भगवान राम द्वारा हरिद्वार सहित कई धर्म स्थलों पर पंडा परंपरा की स्थापना करना ऐसी पौराणिक कथाएं हैं। जो हरिद्वार की पौराणिकता को स्पष्ट करती है। इतना ही नहीं भगवान कृष्ण, अर्जुन और पांडवों से जुड़ी सैकड़ों कहानियों के संदर्भ इधर उधर उपलब्ध हैं। ऐसा नहीं कि हरिद्वार सिर्फ हिंदू धर्म अवतारों और मान्यताओं से जुड़ा है। सिख धर्म के कई पातशाहियों के हरिद्वार आने और धार्मिक आयोजनों के प्रश्न भी साक्ष्य सहित उपलब्ध हैं। वस्तुत पौराणिक नगरी हरिद्वार को इतिहास के लंबे सफर का एहसास भी है। उत्खनन में मौर्य काल के कुछ साक्ष्य पाए जाने के कारण यह माना जाता है कि हरिद्वार एक समय चंद्रगुप्त मौर्य शासन का हिस्सा रहा। इस बात का आधार जनपद देहरादून के कालसी और खिजराबाद, ग्राम टोपरा से प्राप्त शिलालेखों को माना जाता है।
कथानक कहते हैं 38 ईसा पूर्व विक्रम संवत के संस्थापक उज्जैन के राजा विक्रमादित्य के बड़े भाई राजा भतृहरी ने अपने गृहस्थ जीवन से विमुख होकर हरिद्वार में कई जगह पर तपस्या की, उन जगहों में प्रमुख रूप से हर की पैड़ी और गुरु गोरखनाथ की गुफा है। अपने बड़े भाई भतृहरि की स्मृति में राजा विक्रमादित्य द्वारा गंगा के किनारे बनवाई गई कक्रीट की सीढ़ियों को नाम दिया गया था भतृहरी की पैड़ी। जो कालांतर में उच्चारण के भ्रंश होने से हर की पैड़ी हो गया। यानि यह हरिद्वार नगर में संभवत पहला सार्वजनिक कंस्ट्रक्शन माना जाता है।
चीनी यात्री ह्वेनसांग ने तारीफ की थी हरिद्वार की
राजा हर्षवर्धन के शासनकाल में चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपने यात्रा वृतांत में हरिद्वार का विस्तृत वर्णन किया है। चंद्रबरदाई के पृथ्वीराज रासो से लेकर आईने अकबरी में अबुल्फजल ने अकबर काल के वृतान्त में हरिद्वार का विस्तृत वर्णन किया है। ब्रिटिश सरकार द्वारा संचालित आर्कलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के डायरेक्टर जनरल पुरातत्व वेता अलक्जेंडर कंनिगम ने हरिद्वार आकर कई सर्वे किए। उनके यात्रा वृतांत के अनुसार यह कहा जाता है कि हरिद्वार पौराणिक काल ही नहीं ऐतिहासिक काल में भी दुनिया के आकर्षण का केंद्र रहा है। हरिद्वार में कई ख्याति प्राप्त राजाओं और धनी-रईसों ने यहां धर्मशालाएं बनवाई।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि कई छोटे-बड़े धार्मिक पर्व और मेलों का शहर भी हरिद्वार को माना जाता है। विश्व के सबसे बड़े मेले कुंभ मेले का केंद्र होने के कारण सामाजिक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्तर पर विश्व की हर सभ्यता से जुड़ने का ऐसा मंच भी हरिद्वार बना रहा है।

हरिद्वार में लगने वाले कुंभ मेले ने स्वतंत्रता संग्राम में भी बड़ी भूमिका अदा की है। 1857 के कुंभ मेले के दौरान स्वामी दयानंद के बुलावे पर तात्या टोपे, अजीमुल्ला खां, नाना साहेब, बालासाहेब और बाबू कुंवर सिंह हरिद्वार आकर एकजुट हुए। इन क्रांतिकारियों ने आजादी के संग्राम की प्रथम रूपरेखा भी यहीं तय की है। इस तरह आजादी की क्रांति की ज्वाला भी पूरे देश में फैल गई।
हरिद्वार अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के काल में भारतीय व्यापारियों के साथ पर्शीया, नेपाल, श्रीलंका, लाहौर, तांतार, कबूल आदि देशों से व्यापारी आकर राजा और धनपतियों को घोड़े, सांड, हाथी, ऊंट बेचते थे। दस्तावेज कहते हैं कि ईस्ट इंडिया कंपनी अपनी सेना के लिए भी घोड़े हरिद्वार की मंडी से ही खरीदते थे। आज भी हरिद्वार में घोड़ा मंडी नामक जगह हर की पैड़ी के पास मौजूद है।
सन 1837 में हरिद्वार में भीषण अकाल पड़ा। इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने गंगाजल को उपयोगी बनाने की योजना बनाई और कर्नल प्राची काटले के नेतृत्व में सन 1848 में गंगा की एक धारा को सिंचाई की दृष्टि से नहर बांधने का काम शुरू किया। 6 साल की लंबी अवधि में नहर बनकर तैयार हो गई, जिसका लोकार्पण सन 1854 के 8 अप्रैल को गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी ने किया। जिससे पूरे उत्तर प्रदेश को खेती के लिए पानी उपलब्ध हुआ। 1868 में हरिद्वार नगर पालिका का गठन होने से शहर की सफाई, पीने का पानी, पथ प्रकाश मिला। इस तरह सन् 1900 में शिक्षा के नए आयाम के लिए गुरुकुल कांगड़ी की स्थापना हुई। 1964-65 में भारत हेवी इलेक्ट्रिकल के रूप में रोजगार के अवसर हरिद्वार को मिल गए। पहले तहसील बाद में जिला बनने के कारण हरिद्वार के पास आज हर आधुनिक सुविधा और विकास के अवसर हैं। आज हरिद्वार उत्तराखंड राज्य का महत्वपूर्ण जिला है और अपने गौरवशाली इतिहास और सांस्कृतिक विरासत को हरिद्वार विस्तार दे रहा है। हरिद्वार की खासियत यह रही है कि एक धर्म नगरी होने के बाद भी हरिद्वार से धर्मांधता हमेशा कोसों दूर रही है।

01/04/2021

बैरागी क्षेत्र में अव्यवस्थाओं से नाराज बैरागी संतो ने अपर मेलाधिकारी हरवीर सिंह की पिटाई कर दी है, बीच-बचाव करने आए पुलिसकर्मियों को भी गुस्सेए संतों ने नहीं छोड़ा, हरवीर सिंह निर्मोही अखाड़े में संतो के साथ मुलाकात करने पहुंचे थे तभी कुछ संत भड़क गए और मारपीट शुरू कर दी, हरवीर सिंह के चोटे भी आई हैं फिलहाल मौके पर तनाव की स्थिति बनी हुई है और मेला आईजी संजय गुंज्याल मौके पर पहुंच गए हैं

उत्तराखंड सरकार ने 1 अप्रैल से प्रदेश में आने वाले तमाम लोगों के लिए एडवाइजरी जारी की है। जिसके तहत महाराष्ट्र केरल पंजा...
30/03/2021

उत्तराखंड सरकार ने 1 अप्रैल से प्रदेश में आने वाले तमाम लोगों के लिए एडवाइजरी जारी की है। जिसके तहत महाराष्ट्र केरल पंजाब कर्नाटका छत्तीसगढ मध्य प्रदेश तमिलनाडु गुजरात हरियाणा उत्तर प्रदेश दिल्ली या राजस्थान से सडक मार्ग, हवाई मार्ग या ट्रेन से उत्तराखंड आने वाले लोगों को आरटी पीसीआर नेगेटिव टेस्ट रिपोर्ट लानी अनिवार्य होगी।
सरकार द्वारा जारी की गयी गाइडलाइन में कहा गया है कि जो भी इन राज्यों से लोग आ रहे हैं या फिर उत्तराखंड के लोग सभी को सोशल डिस्टेंसिंग और केंद्रीय गृह मंत्रालय व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तमाम गाइडलाइन का पालन करना होगा। 65 साल से ऊपर के बुजुर्ग , प्रेग्नेंट महिलाएं और 10 साल से कम उम्र के बच्चों को सलाह दी गयी है कि जब तक बेहद जरूरी ना हो यात्रा से बचे। सभी जिला प्रशासन रेन्डम कोविड टेस्ट की व्यवस्था एयरपोर्ट,रेलवे स्टेशन,बस स्टेशन और सभी बोर्डस पर करें। जो भी यात्री पॉजिटिव आए वह केंद्र व राज्य सरकार की एसओपी का पालन करें। राज्य के अंदर और अन्य राज्यों से उत्तराखंड आने के मूवमेंट और खाद्य सामग्री मैं किसी भी तरीके की रोक नहीं होगी।

हरिद्वार, नीलधारा चण्डी टापू में कुंभ मेले के लिए सूचना एवं लोकसंपर्क विभाग की ओर से कुंम मेला 2021 के भव्य व लाइव कवरेज़...
28/03/2021

हरिद्वार, नीलधारा चण्डी टापू में कुंभ मेले के लिए सूचना एवं लोकसंपर्क विभाग की ओर से कुंम मेला 2021 के भव्य व लाइव कवरेज़ के लिए बने मीडिया सेंटर में रविवार को हरिद्वार कुंभ-मीडिया का बदलता स्वरूप-समाधान और चुनौतियां विषय पर मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया।
मुख्य अतिथि मेलाधिकारी दीपक ने कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए कहा कि वर्तमान परिदृश्य में मीडिया के समक्ष चुनौतियां बढ़ीं हैं। इन चुनौतियों के बीच कोविड अनुरूप आचरण करते हुए कुंभ को भव्यता भी देना है। कुंभ के अन्तर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय स्तर के कवरेज, लाइव कवरेज के लिए जो भी सुविधाएं मौजूद होनी चाहिए वह मीडिया सेंटर में दी जा रही है, और यह भी कहना चाहूंगा कि जो भी काम शेष रह गए हों वह भी जल्द करा दी जाए। मेलाधिकारी ने शाही स्नान के लिए मीडिया प्रतिनिधियों के कवरेज के लिए पास और कवरेज के दौरान सुविधाओं पर सुझाव मांगा। जिस पर मीडिया के प्रतिनिधियों ने अपनी बात रखी। प्रेस क्लब के महामंत्री धर्मेंद्र चौधरी ने कहा कि हर बारह वर्ष में आने वाले महाकुंभ के कवरेज के लिए देश विदेश से आने वाले वरिष्ठ मीडिया प्रतिनिधियों का पूरा ख्याल रखना होगा, आपसी सामंजस्य से कुंभ के भव्य आयोजन में मदद मिलेगी। मीडिया प्रतिनिधियों की सुविधाओं पर फोकस रखने की जरूरत है। रतनमणि डोभाल ने कहा कि कुंभ के कवरेज में जुटे मीडिया प्रतिनिधियों के कवरेज में आसानी के लिए मीडिया और प्रशासनिक समिति का गठन किया जाए। महत्वपूर्ण जगहों पर महत्वपूर्ण टेलीफोन और मोबाइल नंबर का डिस्प्ले कराया जाए। जिससे असुविधा की स्थिति में उससे मदद मिल सके।
नोडल अधिकारी हरिद्वार कुंभ मेला 2021 मनोज कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि हरिद्वार कुंभ को अलौकिक, दिव्य, भव्य कराने के साथ ही कोविड की बाध्यताओं को देखते हुए कोविड गाइडलाइंस का भी ख्याल रखना होगा। कुंभ को भव्य बनाने के लिए मीडिया के प्रतिनिधियों से सुझाव और राइट अप भी आमंत्रित किया जा रहा है। जिसको एक पुस्तक के माध्यम से प्रकाशित किया जाएगा।
प्रभारी अधिकारी कुंभ मेला राजेश कुमार ने भी विषय वस्तु पर प्रकाश डालते हुए मीडिया प्रतिनिधियों के सुझावों का स्वागत किया। नोडल अधिकारी कुंभ मेला मनोज कुमार श्रीवास्तव ने अंत में अतिथियों और मीडिया प्रतिनिधियों को होली की शुभकामनाएं देते हुए आयोजन में सहभागिता करने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यशाला में मुदित अग्रवाल, सुमित सैनी, सनोज कश्यप, मनोज कश्यप, बालकृष्ण शास्त्री, प्रमोद गिरि, नरेंद्र प्रधान, विकास चौहान, विजय भुर आदि मीडिया प्रतिनिधि मौजूद थे।

हरिद्वार। महाशिवरात्रि पर्व पर गुरूवार को हरिद्वार महाकुंभ का प्रथम शाही स्नान परम वैभव, दिव्य-भव्य रूप से सकुशल सम्प्पन...
11/03/2021

हरिद्वार। महाशिवरात्रि पर्व पर गुरूवार को हरिद्वार महाकुंभ का प्रथम शाही स्नान परम वैभव, दिव्य-भव्य रूप से सकुशल सम्प्पन हुआ। अखाड़ों के साधु-सन्यासियों ने हर-हर महादेव और हर-हर गंगे का जयघोष करते हुए ब्रहमकुंड पर गंगा में आस्था की डुबकी लगाई
गुरूवार को सबसे पहले श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के संतजनों ने जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज, अन्तर्राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री महंत प्रेमगिरि महाराज, अन्तर्राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री महंत सोहन गिरि, महामंडलेश्वर स्वामी विमल गिरि आदि ने सबसे पहले शाही स्नान किया। हर हर महादेव, हर हर गंगे के जयघोष के साथ साधु संत गंगा स्नान करके निर्धारित रूट से वापस अखाडे़ की छावनी में वापस लौटे। अग्नि, आवाहन के साथ ही किन्नर अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी, आवाहन अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर ब्रह्मनिष्ठ स्वामी कृष्णा नंद और बड़ी संख्या में नागा सन्यासियों ने भी शाही स्नान किया।
इसके बाद पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के साधु सन्यासियों ने आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री महंत नरेंद्र गिरि, अखाड़े के सचिव और अखाड़े के मेला प्रभारी श्री महंत रविंद्र पुरी महाराज आदि ने शाही स्नान किया।
इसी बीच मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत भी हरकी पैड़ी पहुंचे। उन्होंने संतजनों पुष्प वर्षा कर उनका अभिनंदन किया। मुख्यमंत्री का श्री गंगा सभा के पदाधिकारियों ने कार्यालय में स्वागत करते हुए गंगाजली, प्रसाद व चुन्नी भेंट की। मुख्यमंत्री श्री तीरथ सिंह रावत ने मां गंगा से प्रदेशवासियों की सुख समृद्धि की कामना की।
श्री महानिर्वाणी और श्री पंचायती अटल अखाड़े के संतजन शाही स्नान के लिए अपने अखाड़े से दोपहर में निकलकर डामकोठी, तुलसी चैक, ललतारौ पुल होकर ब्रह्मकुंड पहुंचे, जहां बड़ी संख्या में साधु-सन्यासियों ने शाही स्नान किया। शाही स्नान के बाद अखाड़े के संतजन निर्धारित मार्ग से अखाड़े की छावनी में वापस लौटे।
इससे पूर्व सुबह मेलाधिकारी दीपक रावत ने हरकी पैड़ी व आसपास के घाटों पर पहुंचकर व्यवस्थाओं का जायजा लिया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि कहीं पर भी भीड़ को एकत्रित न होने दें। श्रद्धालुओं से कोविड से बचाव के लिए मास्क अवश्य लगाने और सोशल डिस्टेंशिंग का पालन करने की भी मेलाधिकारी ने अपील की।
डीजीपी अशोक कुमार, गढ़वाल आयुक्त रविनाथ रमन और आईजी कुंभ संजय गुंज्याल आदि ने भी हरकी पैड़ी के घाटों व मीडिया प्लेटफार्म पर पहुंचकर व्यवस्थाओं की निगरानी कर आवश्यक दिशा निर्देश दिये।

श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा, अग्नि अखाड़े और उनके सहयोगी किन्नर अखाड़े की भव्य व दिव्य पेशवाई आज  निकलीहरिद्वार। श्री पंचदशना...
04/03/2021

श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा, अग्नि अखाड़े और उनके सहयोगी किन्नर अखाड़े की भव्य व दिव्य पेशवाई आज निकली

हरिद्वार। श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा, अग्नि अखाड़े और उनके सहयोगी किन्नर अखाड़े की भव्य व दिव्य पेशवाई आज ज्वालापुर गुघाल रोड पांडेवाला से निकली। पेशवाई में साधु-संत हर हर महादेव का जयघोष करते हुए आगे बढ़ रहे थे। बैंडबाजे और ढोल नगाड़ों की धुन से पूरा वातावरण गुंजायमान हो रहा था। पेशवाई जब देवपुरा तिराहे पर पहुंची तो पेशवाई में शामिल अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्री महंत हरि गिरि, जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि, श्री महंत प्रेमगिरि जी महाराज, किन्नर अखाडे़ की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी, श्री महंत उमेश गिरि आदि का मेलाधिकारी दीपक रावत, जिलाधिकारी सी रविशंकर, आईजी संजय गुंज्याल, एसएसपी कुंभ जनमेजय खंडूड़ी, एसएसपी हरिद्वार सेंथिल अबूदई कृष्ण राज एस आदि ने माल्यार्पण कर स्वागत करते हुए आशीर्वाद प्राप्त किया। जिला जज हरिद्वार श्री विवेक भारती शर्मा ने भी संतों का दर्शन किया। मेलाधिकारी दीपक रावत ने कहा कि भगवान भोलेनाथ और मां गंगा के आशीर्वाद से दिव्य और भव्य कुंभ का आयोजन पूर्ण रूप से सफल होगा। स्वागत के दौरान अपर मेलाधिकारी डा ललित नारायण मिश्र, हरबीर सिंह, उप मेलाधिकारी किशन सिंह नेगी आदि मौजूद रहे.

सन्यासी तथा बैरागी अखाड़ो में धर्म ध्वजा अत्यंत महत्वपूर्ण सन्यासी तथा बैरागी अखाड़ो में धर्म ध्वजा अत्यंत महत्वपूर्ण होती...
03/03/2021

सन्यासी तथा बैरागी अखाड़ो में धर्म ध्वजा अत्यंत महत्वपूर्ण
सन्यासी तथा बैरागी अखाड़ो में धर्म ध्वजा अत्यंत महत्वपूर्ण होती है । इसकी रक्षा के लिए सर्वस्व बलिदान कर देना एक सन्यासी का परम कर्तव्य होता है। धर्मध्वजा का एक निश्चित तथा पारम्परिक विधान है। उसी का पालन करते हुए इसकी विधिवत स्थापना की जाती है। जूना अखाड़े के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व प्रवक्ता श्रीमहंत विद्यानंद सरस्वती बताते है कि धर्म ध्वजा बावन हाथ उॅची होती है,इसमें बाबन बंध लगाये जाते है तथा इसे चार रस्सियों जिन्हे आम्नांएॅ कहते है के सहारे स्थिर किया जाता है। इन चारों आम्नाओं पर अखाड़े की चारों मढियों,13 मढी, 4मढ़ी,14 मढी तथा 16 मढी के श्रीमहंत अपना शिविर स्थापित कर इसकी रक्षा के लिए नागा सन्यासी योद्वा तैनात कर देते है। उन्होने बताया मुगलशासन काल में नागा सन्यासियों की मुस्लिम आक्रान्ताओं,राजाओं से खुनी संधर्ष होते रहते थे,जिनमें विजय प्राप्त कर लेने के बाद नागा फौज धर्म ध्वजा स्थापित कर देते थे।जो उनकी विजय का प्रतीक होती थी। इन धर्म ध्वजाओं को कोई हानि न हो या इसके कोई ध्वस्त न कर दे इसलिए उसके चारों आम्नाओं या तनियों पर नागा सैनिक दिन रात तैनात रहते थे। श्रीमहंत विद्यानंद सरस्वती बताते है कि बावन हाथ उॅची धर्मध्वाजा वास्तव में बावन मढियों,बावन शक्ति पीठ,बावन सिद्व पीठ की परिकल्पना है। इसका उददेश्य पूरे देश की सनातन धर्म शक्ति का सामूहिक सांगठिनक एकता प्रदर्शित करना है। उन्होने कहा आदि गुरू शंकराचार्य ने सनातन धर्म की रक्षा के लिए चारों दिशाओं में चार मढों ज्योतिषपीठ,शारदापीठ,गोर्वधन पीठ तथा द्वारिकापीठ की स्थापना कर चार शंकराचायर्य बनाए थे। इन चारों पीठ को चार आम्नाओं से जोड़ा गया। धर्म ध्वजा की चार रस्सियाॅ इन्ही आम्नाओं का प्रतीक है जो कि पूरब,पश्चिम,उत्तर तथा दक्षिण को एक सूत्र में बाॅधकर धर्म की रक्षा करती है। उन्होने कहा अब मुगलकालीन परिस्थितियाॅ नही है,लेकिन परम्परा कायम है। धर्म ध्वजा की स्थापना उसकी रक्षा तथा परम्परा को अब भी उसी भव्यता से निभाया जाता है। कुम्भ मेले का वास्तवित शुभारम्भ धर्मध्वजा स्थापित हो जाने के बाद ही होता है। तथा समापन भी धर्मध्वजा उतारने जिसे तनी ढीली करना कहते है से होता है।

कुम्भ के लिए अखाड़ों को सरकार ने बांटे एक एक करोड़ !अखाड़ों की धर्मध्वजाओं के लिए वनों से बल्लियाँ काटकर लाया मेला अधिष्ठान...
20/02/2021

कुम्भ के लिए अखाड़ों को सरकार ने बांटे एक एक करोड़ !
अखाड़ों की धर्मध्वजाओं के लिए वनों से बल्लियाँ काटकर लाया मेला अधिष्ठान !
अखाड़ों आश्रमों को मुफ्त मेला भूमि दे रही सरकार , तंबुओं में बिजली , पानी , सड़कें भी मुफ्त !
संतों के लिए मेला भूमि सजाएगी सरकार !

नगर प्रवेश , पेशवाईयाँ और धर्मध्वजा स्थापन कराएगा मेला प्रशासन ,,,
शंकराचार्य नगर और महामंडलेश्वर नगर बसाकर संतों को सौंपेगा मेला प्रशासन ,,,
शाही स्नानों के तमाम रास्ते तैयार कराएगी सरकार !
संतों के लिए तंबू नगर बसएगी सरकार !
संतों को मुफ्त वैक्सीन लगाएगी सरकार !
तो अखाड़े , आश्रम और मठ वाले हजारों लाखों साधु क्या करेंगे ?
स्नान करेंगे ?
अखाड़ों आश्रमों को बड़े बड़े गगनचुम्बी आशियाने बनाएंगे ?

तो यह जन कुम्भ है या सिर्फ संत कुम्भ ?
जो करोड़ों श्रद्धालु अपना धन खर्चकर अमृतमयी गंगा में डुबकी लगाने आएंगे , उनके लिए कौन करेगा ?
उनके रहने खाने की व्यवस्था करेगा प्राइवेट सैक्टर !
उनका कोविड टैस्ट कराएगा उनका पर्स !
सैकड़ों माध्यमों के रास्ते उनसे धन कमाएगी सरकार !
टैस्ट रिपोर्ट न होने पर उन्हें बॉर्डर से लौटाएगी सरकार !
यही है न जनता के टैक्स से चलने वाली जनसेवी सरकार ?

कुम्भ नगर के लाखों व्यवसाइयों को दर्द देने के लिए कुम्भ मेलाकाल 120 दिनों से घटाकर 30 दिन करने वाली सरकार ?
यह तंत्र क्या सचमुच जन का है , लोक का है ?
या फिर सिर्फ संतों का ?

इस बार का हरिद्वार कुंभ अनेकों सवाल लेकर आया है । दरअसल उज्जैन कुम्भ हुआ तो शिवराज चौहान ने यही किया , नासिक कुंभ हुआ तो यही किया । पिछली बार प्रयाग में तो अर्धकुंभ था । योगी सरकार ने बहुत आगे बढ़कर तमाम अखाड़ों को 5 - 5 करोड़ बांट दिए । अर्धकुंभ को महाकुंभ बताकर दुनियाभर में प्रस्तुत कराया । तो फिर त्रिवेंद्र सरकार कैसे पीछे रहती । वैसे भी यह राज्य शत प्रतिशत केंद्र के अनुदान पर निर्भर है । तो आव देखा न ताव , अखाड़ों को बांट दिए एक एक करोड़ । कम से कम मेलाकाल घटाने का संत स्वागत तो कर रहे हैं ।

कुम्भ तो जन पर्व है । आम आदमी का मेला । संतों का भी और साधारण जनता का भी । अब यह तो बेचारी जनता की बदक़िस्मती है कि शाही स्नान के दिन हर की पैडी 12 घण्टों के लिए संत स्नान हेतु आरक्षित हो जाती है । अमृतमयी बृह्मकुण्ड में गोता लगाने का अवसर आम जनता को तो मिलता ही नहीं । अब तो किसी भी दल की सरकार हो , उसका उद्देश्य साधु संत हैं , प्राथमिकता अखाड़े हैं । धर्मनगरी के भगवामय दर्शन टीवी और अखबारों में हो जाएं और बस । अब जिसका वास्तव में कुम्भ मेला है , वह लम्बी कतारों में लगे , मीलों पैदल चले , सरकार की बला से । एक ही लक्ष्य , संत नहा जाएं , कुम्भ सम्पन्न हो जाए तो सरकार अपनी पीठ थपथपाए ।
श्री कौशल सिखौला जी की वाल से

10/02/2021

कुंभ मेले 2021 को लेकर राज्य सरकार ने जारी किया एसओपी
कल होने वाले मौनी अमावस्या में भी लागू होगी एसओपी, 72 घंटे पहले की आरटीपीसीआर नेगेटिव रिपोर्ट, पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना हुआ अनिवार्य, रजिस्ट्रेशन और कोविड-19 की निगेटिव जांच के बाद ही होटल ,आश्रम धर्मशाला में मिल सकेगा कमरा, मेले में सामूहिक भजन कीर्तन और भंडारों पर भी रोक, 65 साल से ज्यादा के बुजुर्ग, गर्भवती महिलाओं और 10 साल से कम उम्र के बच्चों को कुंभ मेले में प्रवेश करने पर किया जाएगा हतोत्साहित, कल के मौनी अमावस्या स्नान को लेकर कुम्भ पुलिस ने की तैयारी, आज दोपहर से यातायात प्लान लागू , 2 दिन तक हरिद्वार में भारी वाहनों का प्रवेश वर्जित,

Address

B-72, New Vishnu Garden, Kankhal
Haridwar

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