09/05/2023
*आपको और आपके परिवार को ज्येष्ठ मास के प्रथम मंगलवार की हार्दिक शुभकामनाएं संकट मोचन हनुमानजी हम सब के कष्टों को दूर करे*
*जय श्री राम*
*जय बजरंग बली*
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निखिल सिंह कुशवाहा
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हनुमान चालीसा" उत्पत्ति की कथा... प्रियवर... यह कहानी नहीं, एक सत्य कथा है, शायद कुछ ही लोगो को यह किस्सा पता होगा, पवन पुत्र हनुमान जी की आराधना तो सभी लोग करते हैं, और हनुमान चालीसा का पाठ भी करते है, पर इसकी उत्पत्ति कहाँ और कैसे हुई, यह जानकारी बहुत ही कम लोगो को होगी, बात 1600 ईस्वी की है, यह काल अकबर और तुलसीदास जी के समय का काल था, एक बार तुलसीदास जी मथुरा जा रहे थे, रात होने से पहले उन्होंने अपना पडाव आगरा में डाला, लोगों को पता लगा की तुलसी दास जी आगरा में पधारे हैं, यह सुन कर उनके दर्शनों के लिए लोगों का ताँता लग गया, जब यह बात अकबर को पता लगी तो उन्होंने बीरबल से पूछा की यह तुलसीदास कौन है, तब बीरबल ने बताया, इन्होंने ही हनुमान जी की कृपा से, रामचरितमानस" की रचना की है, यह परम रामभक्त तुलसीदास जी हैं, मैं भी इनके दर्शन करके आया हूँ, अकबर ने भी उनके दर्शन की इच्छा व्यक्त की, और कहा में भी उनके दर्शन करना चाहता हूँ, बादशाह अकबर ने अपने सिपाहियों की एक टुकड़ी को, तुलसीदास जी के पास उन्हें लालकिला बुलाने हेतु भेजा, और सैनिकों ने तुलसीदास जी को, अकबर का संदेश सुनाया, की आप लाल किले में उपस्थित हों, यह संदेश सुन कर तुलसीदास जी ने कहा की, मैं भगवान श्रीराम का भक्त हूँ, मुझे अकबर और लाल किले से क्या लेना देना, और लाल किले जाने को साफ मना कर दिया, जब यह बात अकबर तक पहुँची, तो उसे बहुत बुरी लगी, और अकबर गुस्से में लाल लाल हो गया, और उसने तुलसीदास जी को जंज़ीरों से जकड़ कर, लाल किला लाने का आदेश दिया, जब तुलसीदास जी, जंजीरों से जकड़े लाल किला पहुंचे, तो अकबर ने कहा की आप कोई चमत्कारी व्यक्ति लगते हो, कोई चमत्कार करके दिखाओ, तुलसी दास जी ने कहा, मैं तो सिर्फ भगवान श्रीराम जी का भक्त हूँ , कोई जादूगर नही हूँ , जो आपको कोई चमत्कार दिखा सकूँ , अकबर यह सुन कर आग बबूला हो गया, और आदेश दिया की इनको जंजीरों से जकड़ कर, काल कोठरी में डाल दिया जाये, दूसरे दिन इसी आगरा के लाल किले पर, लाखों बंदरों ने एक साथ हमला बोल दिया, पूरा किला तहस नहस कर डाला, लाल किले में त्राहि त्राहि मच गई, तब अकबर ने बीरबल को बुला कर पूछा की बीरबल यह क्या हो रहा है, बीरबल ने कहा, हुज़ूर आप चमत्कार देखना चाहते थे तो देखिये चमत्कार, अकबर ने तुरंत तुलसी दास जी को काल कोठरी से निकलवाया, और जंजीरे खोल कर क्षमा, याचना कर सम्मान किया, तुलसीदास जी ने बीरबल से कहा कि मुझे बिना अपराध के सजा मिली है, मैंने काल कोठरी में भगवान श्रीराम और हनुमान जी का स्मरण किया, मेरी आखों से अश्रुधारा निकल रही थी, और मेरे हाथ अपने आप कुछ लिख रहे थे, यह 40 चौपाई स्वतः , हनुमान जी की प्रेरणा से लिखी गई हैं, जो भी व्यक्ति कष्ट में या संकट में होगा, और वो इनका १०० बार निष्ठा पूर्वक पाठ करेगा, उसके कष्ट और सारे संकट प्रभू कृपा से दूर होंगे, इस रचना को "हनुमान चालीसा" के नाम से जाना जायेगा, अकबर बहुत लज्जित हुआ, और उसने तुलसीदास जी से बार बार क्षमा मांगी, और पूरे सम्मान और सुरक्षा, लाव लश्कर से मथुरा भिजवाया, आज हनुमान चालीसा का पाठ सभी लोग कर रहे हैं, और हनुमान जी की कृपा उन सभी पर हो रही है, और सभी के संकट दूर हो रहे हैं, हनुमान जी को इसीलिए "संकट मोचन" भी कहा जाता है... जय सिया राम... जय राधे श्याम... जय श्री हनुमान... सुस्वागतम्... साभार... जय श्री गणेश...