जाट

जाट जाट समाज के लिए बनाया गया यह पेज
धर्म पाखण्ड ओर हिंसा के बिल्कुल खिलाफ है
यहां केवल वैचारिक जाट जुड़े

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29/12/2023

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भारत का सबसे मिक्स DNAइनकी जाति के लोगजाटलैंड में गोलगप्पे ओर चुहेमार दवाइयां बेचते हैओर साले बराबरी करते ह जाट समाज कीच...
29/12/2023

भारत का सबसे मिक्स DNA
इनकी जाति के लोग
जाटलैंड में गोलगप्पे ओर चुहेमार दवाइयां बेचते है
ओर साले बराबरी करते ह जाट समाज की
चुनमंगे ओर भिखमंगे

नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में जाटों की एक तरफा चौधर ❤️ 12 भार वर्ग में देश के कुल 300 महिला मुक्केबाज इस प्रतियोगिता में...
28/12/2023

नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में जाटों की एक तरफा चौधर ❤️

12 भार वर्ग में देश के कुल 300 महिला मुक्केबाज इस प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे थे ।

12 में से 12 गोल्ड जीते,12 सिल्वर में 8 सिल्वर 5+ ब्रोंज सहित कुल 48 मेडल में से 50 प्रतिशत यानी 24 से मेडल पर लगा जाट पंच 👊

48 - मीनाक्षी हूडा GOLD (HR),गीतिका नरवाल SILVER (HR)
50 - अनामिका हुड्डा GOLD (HR) कल्पना चौधरी SILVER (HR)
52 ज्योति गुलिया GOLD (HR) शिवेंद्र कौर सिद्धू SILVER (PB)
54-शिक्षा नरवाल GOLD (HR) दर्शना घनघस SILVER (HR)
57-सोनिया लाठर GOLD (HR),साक्षी ढांडा SILVER (HR)
60 -जैसमीन लंबोरिया GOLD (HR), मनीषा मौन SILVER (HR)
63-प्राची धनखड़ GOLD (HR), सोनू पुनिया SILVER (HR)
66 -अरुंधति चौधरी (दागोलिया) GOLD (RJ)
70 -ललिता गुलेरिया GOLD (RJ),सलाखा सनसनवाल SILVER (DL)
75-पूजा बोहरा GOLD (HR)
81 -स्वीटी बूरा GOLD (HR)
81+ -नूपुर श्योराण GOLD (HR)

Bronze - मनदीप कौर संधू (PB),सिमरनजीत कौर बाठ(PB),अनुपमा कुंडू (HR),कोमल भाल(PB)

सभी को ढेर सारी बधाई एवं शुभकामनाएं ❤️🔥



Vijender Singh

राजा झुके, झुके मुगल-अंग्रेज, झुका गगन सारा।सारे जहां के शीश झुके, झुका ना कभी सूरज मल हमारा।कुशल प्रशासक, अजेय महायोद्ध...
25/12/2023

राजा झुके, झुके मुगल-अंग्रेज, झुका गगन सारा।
सारे जहां के शीश झुके, झुका ना कभी सूरज मल हमारा।

कुशल प्रशासक, अजेय महायोद्धा महाराजा सूरजमल जी को उनके बलिदान दिवस पर उन्हें कोटि-कोटि नमन।🙏

25/12/2023

ज़हरीले लोग ओर उनका दबदबा कुचला गया

24/12/2023
दबदबे ही कुचले है जाटो न
24/12/2023

दबदबे ही कुचले है जाटो न

24/12/2023

एक बात ये भी याद रखना कि साक्षी के आंसुओं पर हंसने वालो में एक भी मुसलमान नहीं था...!
#किसान_समाज

पहलवान राजनीति और गंदे लोगो से हारे हैंशरीर से नहीबाजुओं में जोर ज्योँ जा त्यों है2 कौड़ी के it सेल वाले कल किसानों को आत...
23/12/2023

पहलवान राजनीति और गंदे लोगो से हारे हैं
शरीर से नही
बाजुओं में जोर ज्योँ जा त्यों है
2 कौड़ी के it सेल वाले
कल किसानों को आतंकी बोल रहे थे
आज पहलवानों के बारे में अश्लील लिख रहे हैं
अगर कल देश के सैनिकों ने अपनी कोई समस्या जाहिर की तो
ये it सेल वाले कुत्ते उनको भी गद्दार बताएंगे

कल यह चित्र Twitter पर पूरे दिन वाइरल रहा ।मामला राजस्थान का है । एक ब्राह्मण नेता के स्मृति स्थल पर तोड़ फोड़ करी गई और...
19/12/2023

कल यह चित्र Twitter पर पूरे दिन वाइरल रहा ।
मामला राजस्थान का है । एक ब्राह्मण नेता के स्मृति स्थल पर तोड़ फोड़ करी गई और जय जाट देवता लिखा गया ।
हमने पहले ही कहा था के इसमें किसी की साज़िश है ।
पूरा दिन मीडिया का एक वर्ग ब्राह्मण और राजपूत समाज के नेता व लोग लगे हुए थे हमे कोसने ।
मामला खुला तो पता लगा के तीन आरोपी पुलिस ने पक्कड़ लिए और वे ब्राह्मण जाति के है । जो लोग न्याय की माँग कर रहे थे सब ग़ायब हो गये जैसे बिल में छिप कर बैठ गये हो ।

हमे बहुत संगठित रहने की ज़रूरत है । क्यूकी ऐसे कई षड्यंत्र का सामना करना पड़ेगा ।

हरयाणा का योद्धा चौ राम सिंह ,हरियाणा का गुमनाम जाट योध्दा जिसने दो बार हराया था अंग्रेजो को। ये करनाल के बल्ला गाव के म...
02/12/2023

हरयाणा का योद्धा चौ राम सिंह ,हरियाणा का गुमनाम जाट योध्दा जिसने दो बार हराया था अंग्रेजो को। ये करनाल के बल्ला गाव के मान जाट थे। घुड़सवारी और तलवार चलाने मे बिल्कुल निपुण थे। 1857 की जंग के लिए अपने गांव के 900जाट बन्दूकचियो की फौज बनायी ।जिनका काम गांव की हिफाजत करना था। खुद एक 50जाट घुड़सवार का जथा बनाकर एक जगह से मोर्चा सम्भाला । मेजर हुघस के नेतृत्व में 1स्त पंजाब घुड़सवार फौज जिसमे अफ़ग़ान और सिख सैनिक थे। इन्होंने गाँव पर हमला किया जिसमे जाटों ने बन्दूको से गोलियों की बौछार करी ।पास आते ही राम सिंह की घुड़सवार जाट फौज ने अंग्रेज़ी फौज पर हमला किया और काफी सैनिकों को काट डाला। यहा से हारने के बाद अगले दिन अंग्रेजी फौज फिर से और संख्या मे आयी लेकीन जाट योद्धा की बहादुरी के कारण सिख पठान फौज को फिर भागना पड़ा । निरंतर दो बार हारने के कारण अब अंग्रेजो ने बड़ी तोपे और ज्यादा सैनिक भेजे ।तोपो की मार से कई जाट बन्दूकची मारे गये । अब जाट योधाओ ने अपनी आखरी लडाई के लिये पगड़ी बान्ध,तलवार लिये जंग करने कूद पड़े । राम सिंह के नेतृत्व में मात्र 50जाट घुड़सवार के सामने तोपो के गोले और उनसे बड़ी सिख पठान फौज जिनके पास आधुनिक हथियार थे। भीषण युध्द हुआ जिसमे राम सिंह और उनके जाट वीर सब के सब कट मरे लेकीन एक कदम भी पीछे नही हटाया।
ऐसे जाट वीर की एक भी मुर्ति ना ही जयंती बनाता ।जय जाट पुरख ।

महान क्रांतिकारी, दानवीर और सामाजिक पुरोधा महाराजा महेंद्र प्रताप सिंह ठेनुवा को उनकी 137वीं जयंती पर सादर नमन।
01/12/2023

महान क्रांतिकारी, दानवीर और सामाजिक पुरोधा महाराजा महेंद्र प्रताप सिंह ठेनुवा को उनकी 137वीं जयंती पर सादर नमन।

 #सेठ_चौधरी_छाजूराम_लाम्बा_जयंती।  🙏🙏। दानवीर सेठ चौधरी छाजूराम लांबा का जन्म  28 नवंबर 1861 में भिवानी (हरियाणा) के  #अ...
28/11/2023

#सेठ_चौधरी_छाजूराम_लाम्बा_जयंती। 🙏🙏। दानवीर सेठ चौधरी छाजूराम लांबा का जन्म 28 नवंबर 1861 में भिवानी (हरियाणा) के #अलखपुरा गांव में हुआ था .....!
1883 में वे रोजगार की तलाश में कलकत्ता चले गए जहाँ पर धीरे धीरे उनकी गिनती कलकत्ता के बडे व्यापारियों में होने लगी और एक दिन वे अपनी लगन और परिश्रम से कलकत्ता के सबसे बडे जूट व्यापारी बन गए।लोग उन्हें जूट का बादशाह (जूट किंग) कहने लगे।
#छाजूराम जी - रहबरे-आज़म चौधरी छोटूराम के धर्म-पिता भी थे | इन्होंने रोहतक में चौ. छोटूराम के लिए नीली कोठी का निर्माण भी करवाया (याद रहे चौ. छोटूराम जी को उच्च शिक्षा का खर्च वहन करने वाले चौ. छाज्जूराम ही थे)| कहा जाता है कि अगर चौ. छाज्जूराम जी नहीं होते तो चौ. छोटूराम जी भी नहीं होते और अगर चौ. छोटूराम नहीं होते तो किसानो के पास आज भूमि नहीं होती ....!
#सेठ छाज्जूराम की दानदक्षता उस समय भारत में अग्रणीय थी| #कलकत्ता में रविंद्रनाथ टैगोर के शांति निकेतन से लेकर लाहौर के डी. ए. वी. कॉलेज तक कोई ऐसी संस्था नहीं थी, जहाँ पर उन्होंने दान न दिया हो| सेठ साहब ने शिक्षा के लिए लाखों रूपये के दान दिए, फिर वह चाहे हिन्दू विश्वविधालय बनारस हो, गुरुकुल कांगड़ी हो, हिसार-रोहतक (हरियाणा) व् संगरिया (राजस्थान) की #जाट_संस्थाए हों, हिसार और कलकत्ता की आर्य कन्या पाठशालाएं हों, हिसार का डी ए वी स्कूल हो अथवा अलखपुरा और खांडा खेड़ी के ग्रामीण स्कूल, हर जगह अपार दान दिया| इसके अलावा इंद्रप्रस्थ महिला महाविद्यालय दिल्ली, डी ए वी कॉलेज #लाहौर, शांति निकेतन, विश्व भारती में भी बार-बार दान दिए| आपने गरीब, असमर्थ व् होनहार बच्चों के लिए स्कालरशिप प्लान निकाले, जिसके तहत वो सैंकड़ों बच्चों की शिक्षा स्पांसर करते थे|
#कलकत्ता में रविन्द्र नाथ टैगोर के शांति निकेतन विश्वविद्यालय से लेकर लाहौर के डीएवी कॉलेज तक उस समय ऐसी कोई संस्था नहीं थी, जिसे सेठ छाजूराम ने दान न दिया हो। #बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, गुरूकुल कांगड़ी(हरिद्वार), रोहतक तथा हिसार की जाट संस्थाएं, हिसार का वर्तमान जाट कॉलेज, सीएवी स्कूल आदि तो पूर्णत: उन्हीं द्वारा बनवाए गए। #आजादी की लड़ाई लड रहे लगभग सभी बड़े नेताओं को इन्होंने मुक्त हाथों से दान दिया।
#महात्मागांधी से लेकर पंडित मोतीलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस, जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल, राजगोपालाचार्य, कृपलानी, जितेंद्र मोहन सैन गुप्ता तथा श्रीमती नेली सेन गुप्ता सहित तमाम आजादी की जंग लडने वाले नेताओं को सेठ छाजूराम ने दिल खोलकर दान दिया। इस विषय में उन्होंने कभी भी अंग्रेजी सरकार के नाराज होने की परवाह नहीं की .....!
#एक बार #लालालाजपतराय को कलकत्ता में पैसे की जरूरत पड़ी तो उन्होंने 200 रूपए की मांग सेठ चौधरी छाजूराम से की तो उन्होंने 200 रूपए की बजाय 2000 रूपए उदारतापूर्वक भेज दिए। सेठ छाजूराम ने ही सुभाष चन्द्र बोस को जर्मनी जाने के लिए उन्हें खर्च दिया था। उन्होंने उस समय नेताजी को 5000 रुपये आजादी के संग्राम में लड़ने के लिए दिए थे।जिसका उपयोग नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने जर्मनी और जापान जाने के लिए उस धन का किया था।
#असहयोग और स्वदेशी आंदोलन के लिए उन्होंने 15000 रुपये दान दिए। कलकत्ता और #पंजाब के अकाल पीडितों को सेठ जी ने दिल खोलकर पशुओं के चारे व इंसानों के अनाज के लिए योगदान देकर अनेक जानें बचाईं। सेठ चौधरी छाजूराम की दान सूची इतनी बड़ी है कि उसे एक लेख में पूरा लिख पाना संभव नहीं है।
#वे एक महान देशभक्त थे। जब 17 दिसंबर, 1928 को भगतसिंह ने अंग्रेज अधिकारी सांडर्स की गोली मारकर हत्या की तो वे दुर्गा भाभी व उनके पुत्र को साथ लेकर पुलिस की आंखों में धूल झोंकते हुए रेलगाड़ी द्वारा लाहौर से कलकत्ता पहुंचे और कलकत्ता के रेलवे स्टेशन से सीधे सेठ छाजूराम की कोठी पर पहुंचे, जहां सेठ साहब की धर्मपत्नी व
ने उनका स्वागत किया और एक सप्ताह तक अपने हाथ से बना हुआ खाना खिलाया। #अमरशहीदभगतसिंह लगभग अढ़ाई माह तक उनकी कोठी की ऊपरी मंजिल पर रहे। उस वक्त इतनी हिम्मत और जोखिम तो सिर्फ एक सच्चा देशभक्त ही उठा सकता था ....!
#आज उनकी #जन्म_जयंती है
#ऐसे महान #दानवीर को #नमन!

म्हारा राम , सर छोटूराम 🙏🙏किसान , मज़दूर , गरीब और हम सबके रहबर दीनबंधु सर छोटूराम जी की जयंती पर शत शत नमन 👏👏आप हमेशा अ...
24/11/2023

म्हारा राम , सर छोटूराम 🙏🙏

किसान , मज़दूर , गरीब और हम सबके रहबर दीनबंधु सर छोटूराम जी की जयंती पर शत शत नमन 👏👏

आप हमेशा अमर रहे 👏👏

जीती हुई ट्रॉफी पर पैर रखकर बैठे हैं क्योंकि यह लोग इस खेल को सिर्फ खेल की नजर से देखते हैं , इसमें धर्म मजहब नहीं घुसात...
20/11/2023

जीती हुई ट्रॉफी पर पैर रखकर बैठे हैं क्योंकि यह लोग इस खेल को सिर्फ खेल की नजर से देखते हैं , इसमें धर्म मजहब नहीं घुसाते
अगर दुआओं में पूजा पाठ , यज्ञ हवन में असर होता तो ट्रॉफी इंडिया के पास होती ।
ऑस्ट्रेलिया की टीम दिखा रही है कि देखो जिस पर हम पैर रखे बैठे हैं उसे सिर्फ मेहनत और हिम्मत से जीता जाता है , धार्मिक कार्यकलापों से नहीं ।

कपिल देव की गलती सिर्फ इतनी थी की वो अन्याय के खिलाफ बोलने में सचिन तेंदुलकर की तरह मुँह में दही जमाकर नहीं बैठते हैं..उ...
20/11/2023

कपिल देव की गलती सिर्फ इतनी थी की वो अन्याय के खिलाफ बोलने में सचिन तेंदुलकर की तरह मुँह में दही जमाकर नहीं बैठते हैं..उन्होंने महिला पहलवानों के पक्ष में बोला था..और इसीलिए उनको गुजरात के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में क्रिकेट देखने के लिए बुलाया ही नहीं गया..कपिल देव जी को चीफ गेस्ट के तौर पर बुलाना चाहिए था..उनसे ट्रॉफी दिलवानी चाहिए थी..क्रिकेट में जिन मोदी जी को ये भी नहीं मालूम की हंसना कब है..उनसे ट्रॉफी दिलवाई गयी..मोदी खेल के मैदान में भी रैली मोड से बाहर नहीं आ पा रहे थे..उनको लग रहा था स्टेडियम में भीड़ उनकी रैली के लिए भाड़े पर लायी गयी है..कैमरा आ गया तो हॅसमुख प्रधानमंत्री बनने के चककर में असमय हसने लगे..लोग #पनौती लिख रहे हैं ये सही नहीं है..पनौती नहीं हैं वो..प्रधानमंत्री हैं.. को टी ब्रेक में उनके एक भाषण का भी प्रोग्राम रखना चाहिए था..घर के लड़के को BCCI में सचिव बनाने का क्या फयदा हुआ. .

अत्यधिक धार्मिक परवर्ती का मनुष्य अंधा होता हैवो मान नही सकता कि पाखण्ड भी कोई चीज हैऐसे लोगो के मन मे ये तस्वीर पाखंडी ...
20/11/2023

अत्यधिक धार्मिक परवर्ती का मनुष्य अंधा होता है
वो मान नही सकता कि पाखण्ड भी कोई चीज है

ऐसे लोगो के मन मे ये तस्वीर पाखंडी पर सवाल पैदा करने की बजाय
गुस्सा दिलाएगी उसपर जिसने ये पोस्ट की

पाखण्ड से बचे
19/11/2023

पाखण्ड से बचे

 #पनोती
19/11/2023

#पनोती

 #जाट_राजा_हर्षवर्धन_बैंस_थानेश्वर_हरयाणा* सर्व खाप हरियाणा के निर्माता जाट सम्राट हर्षवर्धन बैंस , इन्होंने ही ‘सर्वखाप...
11/11/2023

#जाट_राजा_हर्षवर्धन_बैंस_थानेश्वर_हरयाणा

* सर्व खाप हरियाणा के निर्माता जाट सम्राट हर्षवर्धन बैंस , इन्होंने ही ‘सर्वखाप पंचायत’ की नींव सन् 643 में रखी। जिसके इतिहास का समुचित रिकार्ड 7वीं सदी से लेकर आज तक का, स्वर्गीय चै० कबूलसिंह गाँव शोरम जिला मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) के घर लगभग 40 किलो भार में जर-जर अवस्था में उपलब्ध है।

* नोट जाटों में खाप शुरू से ही है 5 वी शताब्दी में भी यशोवर्धन विर्क के नेतृत्व में खाप पंचायत का बहुत बड़ा सम्मेलन हुआ था । यशोवर्धन विर्क के नेतृत्व में ही जाट देवताओं ने हूणों को कूटा था ॥
* बौद्व धर्मी जाट सम्राट राजा हर्षवर्धन -

कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी ।

सदियों रहा है दुश्मन दौरे जहाँ हमारा ॥

* महाराजा कनिष्क (कुषाणवंशीय जाट) से लेकर (सन् 73 ई०) से महाराजा हर्षवर्धन) (बैंस गोत्री जाट सन् 647 तक) सभी के सभी बौद्व धर्म के मानने वाले जाट राजा थे। कभी किसी हिन्दू राजपूत राजा ने बौद्व धर्म नहीं अपनाया क्योंकि यह कभी संभव नहीं था, क्योंकि उस समय तक इस संघ की उत्पत्ति नहीं हुई थी। सभी मौर्य राजा जाट मोरवंशज थे। गुप्त राजाओं ने अपने समय को भारतीय इतिहास का ‘स्वर्णकाल’ बना दिया। गुप्त इनको इसलिए कहा गया कि इनके पूर्वज मिल्ट्री गवर्नर थे, जिन्हें गुप्ता, गुप्ते व गुप्ती के नाम से जाना जाता था। इसलिए इस राज के संस्थापक राजा का नाम तो श्रीगुप्त ही था। इनके सिक्कों पर धारण लिखा पाया जाता है। क्योंकि इनका गोत्र व वंश धारण था, जो आज भी क्षत्रियवंशी जाटों में है। इनके राज प्रशासन से स्पष्ट हो जाता है कि इन्होंने कभी धर्म व जाति-पाति तथा ऊंच-नीच का भेदभाव नहीं किया। साम्राज्य को प्रान्तों में बांटा गया था तथा पंचायतों को समुचित अधिकार थे। ब्राह्मणों को क्षत्रियों से श्रेष्ठ नहीं माना जाता था।

* राजतंत्र होते हुए भी गणतंत्र प्रणाली लागू करने वाले जाट सम्राट हर्षवर्धन बैंस

* जाट सम्राट चन्द्रगुप्त मोर/मौर्य, जाट सम्राट अशोक मोर/मौर्य के बाद अगर कोई जाट सम्राट महान हुआ
है तो वो जाट राजा हर्षवर्धन बैंस है ।

* जाट राजा हर्षवर्धन बैंस के पूर्वज

#भोगवतीपुरी का शासक नागराज वासुकि नामक जाट सम्राट् था। यह वसाति/बैंस गोत्र का था जो कि जाट गोत्र है। इस वंश का राज्य वसाति जनपद पर भी था । इस वंश का वैभव महाभारतकाल में और भी अधिक चमका। होशियारपुर (पंजाब) के समीप श्रीमालपुर प्राचीन काल से वसाति बैंस जाट क्षत्रियों का निवास स्थान है। वर्तमान में भी श्रीमालपुर के आसपास जाट बैंस बहुत बड़ी संख्या में निवास करते है ।

पुष्पपति नामक पुरुष अपने कुछ साथियों सहित श्रीमालपुर से चलकर कुरुक्षेत्र में आया और यहां श्रीकण्ठ (थानेश्वर बसाकर इसके चारों ओर के प्रदेश का राजा बन गया। इसका पुत्र नरर्व्धन 505 ई० में सिंहासन पर बैठा। इस के पुत्र राजर्व्धन और आदित्यर्वधन पहले गुप्तों के सामन्त (जागीरदार) थे गुप्त वंश के कमजोर होने का सबसे बड़ा प्रभाव पंजाब,हरियाणा पश्चिमी उत्तर प्रदेश और इन्द्रप्रस्थ के जाट गणतंत्रो पर पड़ा सभी गणराज्यो को पुनः अपनी शक्ति को संगठित करने का अवसर मिल गया था । इस अवसर का जाट गणराज्यों ने भरपूर लाभ उठाते हुए अपने आप को पुनःस्थापित करने में सफलता प्राप्त कर ली थी ।

चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य से पराजय के बाद अर्जुनायन,नाग ,यौधेय ,मालव जाट गणतंत्रो (खापो ) ने एक नवीन संगठन बनाया जिसमे सभी गणराज्यो की समान रूप से भागीदारी थीद्य प्रारंभ में इसका प्रधान पद मालव विर्क जाटों के पास था बाद में प्रधान नागवंशी बैंस जाटों को बनाया गया अश्व सेना का प्रधान अर्जुनायन (कुंतल ) जाटों को ,महासेनापति यौधेयो को बनाया गया थाद्य यह नागवंशी बैंस जाट श्रीमालपुर (पंजाब) के मूल निवासी से थेद्य इस संघ के शक्ति शाली होने पर यह नागवंशी जाट बैंस थानेश्वर के महाराजाओ के रूप में प्रसिद्ध हुए

आदित्यर्व्धन की महारानी महासेनगुप्ता नामक गुप्तवंश की कन्या थी। इससे पुत्र प्रभाकरर्व्धन की उत्पत्ति हुई। ए० स्मिथ के लेख अनुसार प्रभाकरर्व्धन की यह माता गुप्तवंश (धारण जाट गोत्र) की थी । प्रभाकरवर्धन जाट सम्राट हर्ष के पिता है ।

पुष्पभूति वंश का पहला महान् शासक प्रभाकरर्व्धन था। प्रभाकरर्व्धन की रानी यशोमती से राज्यर्व्धन का जन्म हुआ। उसके चार वर्ष बाद पुत्री राजश्री और उसके दो वर्ष बाद 4 जून 590 ई० को हर्षर्व्धन का शुभ जन्म हुआ। राज्यश्री का विवाह मौखरीवंशी (जाट गोत्र) कन्नौज नरेश ग्रहवर्मा के साथ हुआ था। किन्तु मालवा और मध्य बंगाल के गुप्त शासकों ने ग्रहवर्मा को मारकर राज्यश्री को कन्नौज में ही बन्दी बना दिया। इनमें मालवा का गुप्तवंश का राजा देवगुप्त था और मध्य बंगाल का गौड़ आदिवासी राजा शशांक था

सम्राट् प्रभाकरर्व्धन की मृत्यु सन् 605 ई० में हुई थी, जब हर्षवर्धन हूणों से युद्ध कर रहा था । उसी समय कुरगक कुंतल (अर्जुनायन) ने हर्षवर्धन को उनके पिता के ज्वर से पीड़ित होने का समाचार दिया था इसके बाद उसके बड़े पुत्र राज्यवर्दधन ने राजगद्दी सम्भाली। उसने 10 हजार सेना के साथ मालवा पर आक्रमण करके देवगुप्त का वध कर दिया। फिर वहां से बंगाल पर आक्रमण करने के लिए वहां पहुंच गया। परन्तु मध्यबंगाल में गौड़ राजा शशांक ने अपने महलों में बुलाकर धोखे से राज्यवर्धन का वध कर दिया। हर्ष चरित्र के अनुसार जब राज्यर्व्धन की मृत्यु का समाचार देने के लिए ब्रह्देश्वर कुंतल (अश्व सेना का प्रधान) ने अपने एक अश्व सैनिक को थानेश्वर भेजा ।

यह सन्देश पाकर अपने भाई की मृत्यु का बदला लेने के उदेश्य से जाट सम्राट हर्ष अपनी सेना के साथ ब्रह्देश्वर के पड़ाव की तरफ बढ़ा हर्ष का साथ देने के लिए यशोधर्मन का पुत्र भांडी ( हर्ष का ममेरा भाई ) भी आया हर्ष ने सिंघनाद यौधेय, ब्रह्देश्वर कुंतल ,भांडी विर्क को गौड़ शासक शशांक पर आक्रमण करने को कहा और स्वयं माधवगुप्त के साथ विंध्याचल की तरफ अपनी बहिन राजश्री को खोजने के लिए चल दिया सिंघनाद यौधेय , ब्रह्देश्वर कुंतल ,भांडी ने कन्नोज पर अधिकार कर लिया राज्यवर्धन की मृत्यु के पश्चात् 606 ई० में विद्वानों के कहने पर मात्र 16 वर्ष की आयु में जाट सम्राट हर्षवर्धन राजसिंहासन पर बैठा।

हर्षवर्धन ने विशाल हरयाणा सर्वखाप पंचायत की स्थापना की। इसके लेख प्रमाण आज भी चै० कबूलसिंह मन्त्री सर्वखाप पंचायत गांव शोरम जि० मुजफ्फरनगर के पासं हैं। हर्षवर्धन के अपनी पत्नी दुर्गावती से 2 पुत्र थे- वाग्यवर्धन और कल्याणवर्धन। पर उनके दोनों बेटों की अरुणाश्वा नामक ब्राहमण मंत्री ने हत्या कर दी। इस वजह से हर्ष का कोई वारिस नहीं बचा। हर्ष की मृत्यु के बाद, उनका साम्राज्य भी धीरे-धीरे बिखरता चला गया और फिर समाप्त हो गया। लेकिन उनके वंश के बैंस जाट आज भी थानेश्वर में 20 गामो में निवास करते है । हर्ष के पूर्वजो का गाम श्रीमालपुर में भी आज तक बैंस जाट निवास कर रहे है।

पुरे भारतवर्ष में बैंस जाटों के 200 से ज्यादा गाव है जिनमे उत्तरप्रदेश के अमरोहा में 27 गाव(बसेड़ा कंजर,बलदाना,रुस्तमपुर ,बधोहिया,धनौड़ा,ध्योती,ड्योडी वाजिदपुर ,घोसीपुर ,मंडिया,इसेपुर,कालाखेडा,खजुरी ,खंड्सल,खुनपुर ,कूबी,लाम्बिया ,मंदयिया ,मुकारी,शाहपुर ,तसीहा,अकवादपुर है हापुड में पांच गाम जिनंमे बहलोलपुर प्रमुख है हरिद्वार में रुहल्की ,दयालपुर ,मुरादाबाद में सात (हाकीमपुर,मुन्डाला) ,पीलीभीत में 6,रामपुर में 2,बदायूं में 3 आगरा जिले में पांच ,गावो में शाहजहांपुर ,लखीमपुर ,नैनीताल ,उधमसिंह नगर में बड़ी संख्या में बैंस जाट निवास करते है । राजस्थान में भरतपुर जिले में 14 ग्राम(चिकसाना ,फतेहपुर,भोंट ,भौसिंगा ,कुरका ,पूंठ) बैंस (बिसायती) जाटों के है धोलपुर जिले में 4ग्राम बैंस जाटों के है मध्यप्रदेश में जाट पथरिया ,पारदी ,रायपुर में बैंस जाट है हरियाणा में कुरुक्षेत्र थानेश्वर के आसपास 20 गाम है शाहबाद,शादीपुर ,शाहीदा ,उदरसी,कमोदा,बागथळा, जटपुरा,अम्मिन,अधोल यमुनानगर में 7 गाम ,फरीदाबाद के दयालपुर में हिसार के खेहर और लाथल में कैथल और करनाल जिले में भी बैंस जाट है ।

पंजाब के गुरदासपुर में 16 गाव ,पटियाला जिले में 18,लुधियाना में 5 (मुश्काबाद ,तप्परियां ) जालंधर जिले में 28 गाव (तलहन ,आदमपुर ,कन्दोला,माजरा कलान,शहतपुर ,पुनु माजरा ,चक बिलसा ,मीरपुर ,महमूदपुर ,सरोवल ,सुन्दरपुर ,खोजपुर ,बैंस कलां, होशियारपुर जिले में 35 गाम (बैंस कलां ,बैंस खुर्द ,बैंस तनिवल,नांगल खुर्द ,कहरी,चब्बेवाल ,श्रीमालपुर,महिलपुर,गणेशपुर ,भलटा ) इसके अतरिक्त पंजाब में अलग अलग जिलो मंे 50 से अधिक गांवो में बैंस जाट निवास करते है ।

#महान_जाट_राजा_हर्षवर्धन_बैंस का जन्म 590 ई . में हुआ था । इनके पिता का नाम प्रभाकर वर्धन बैंस व माता का नाम यशोमति था । इनका बचपन बड़े लाड - प्यार से बीता तथा इन्हें उच्च शिक्षा दी गई । इसके साथ - साथ शस्त्र शिक्षा का भी प्रबंध किया गया । ये इतने निपुण हो गए थे कि इन्होने मात्र 14 वर्ष की अल्प आयु में युद्ध में भाग ले लिया था । ये अच्छी शिक्षा के कारण ही उच्चकोटि का विद्वान व साहित्यकार तथा नाटककार बने । इनके बड़े भाई राजवर्धन की अचानक मृत्यु हो गई थी इस कारण इनको छोटी सी आयु में ही राजगद्दी पर बैठना पड़ा और समय इनके राज्य में अनेक कठिनाइयां थीं । राज्य को शत्रुओं से भय था । जाट सम्राट हर्षवर्धन जी बुद्धि के साथ - साथ तलवार के भी धनी थे युद्ध कला , साहित्य कला प्रबंध कला व अन्य कलाओं में निपुण थे ।

जाट सम्राट हर्षवर्धन अपने युग का एक महानायक था । इसने अपने राज्य का काफी विस्तार किया, अशोक के बाद यह सबसे ज्यादा शक्तिशाली जाट राजा था । इसने अपने राज्य का विस्तार उत्तर , दक्षिण पूर्व व पश्चिम चारों दिशाओं में किया था तथा वहां पर एक कुशल शासन प्रबंध स्थापित किया था । तलवार के साथ - साथ यह कलम का भी धनी था । इसके जीवनकाल में राज्य ने साहित्य में बहुत उन्नति की थी । जाट सम्राट हर्षवर्धन ने अपनी स्वयं की कलम से भी कई महान कलाकृत्तियों की रचना की थी । थानेश्वर नगर इसकी उन्नति का आधार था । जब वह राजगद्दी पर बैठा तो इसके पिता , भाई व अन्य सगे संबंधियों की मृत्यु हो चुकी थी और इनका राज्य चारों तरफ से संकटों में घिरा हुआ था ।

हर्षवर्धन बैस ने अपनी बुद्धि , अच्छे विचार , कुशल शासन प्रबंध , मानसिक हौंसला तथा युद्ध कला कौशल के कारण उसे सभी संकटों से उभारा और अपने राज्य की सीमाओं की ओर विस्तार किया । सही मायने में जाट राजा हर्षवर्धन बैंस में जाट सम्राट अशोक महान मोरध्मौर्य गोत्री जैसे गुण थे । इसने राज्य विस्तार के साथ प्रजा हितार्थ कार्य भी करवाये व अपने शासन को उच्चकोटि का प्रबंध किया तथा एक विशाल व महान राज्य की सुदृढ़ नींव रखी । जाट सम्राट हर्षवर्धन बैंस ने राज्य विस्तार के साथ - साथ अपने राज्य को भी बहुत ही कुशल ढंग से चलाया । जाट सम्राट हर्षवर्धन बैंस ने साधन सीमित होते हुए भी बहुत ज्यादा प्रजाहितार्थ कार्य करवाये थे । इसने जनता व यात्रियों के लिए विश्राम गृह बनवाये व वहां पर खाने पीने का उचित प्रबन्ध करवाया । उसके राज्य के लोगों को कहीं भी आने जाने की स्वतंत्रता थी । उसने अपनी सहायता व राज्य के कुशल प्रबन्ध के लिए मंत्री परिषद् का गठन किया हुआ था ।

उसके राज में हर कार्य का पूर लेखा - जोखा रखा जाता था । प्रत्येक मंत्री का कार्य बांटा हुआ था तथा मन्त्री के कार्य के लिए अनेक कर्मचारी थे । अपने शासन को सही व सुचारू रूप से चलाने के लिए राजा हर्षवर्धन बैंस ने अपने राज्य को कई प्रान्तों बांटा हुआ था । उसके बाद आगे भी कई भागों में बंटा हुआ था । इस में राज्य की सबसे छोटी इकाई ग्राम थी जिसक मुखिया गांव के ही किसी व्यक्ति को बनाया जाता था जाट राजा हर्षवर्धन के राज्य में राजतंत्र होते हुए भी गणतन्त्र प्रणाली लागू थी । उसका प्रत्येक पदाधिकारी अधिकारी व कर्मचारी सभी अपने - अपने कार्यों व पदों के जिम्मेवार थे । सारे कार्य का लेखा - जोखा रखा जाता था । प्रत्येक विभाग का एक उच्च अधिकारी था । उसकी सहायता के लिए अनेक कर्मचारी होते थे जो प्रशासन व कानून व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में सहायक थे प्रत्येक कार्य सिद्धांत व सही सम्पन्न होता था तथा प्रत्येक अधिकारी का दायित्व था कि वह अपने कार्य का लेखा - जोखा प्रस्तुत करें ।

जाट राजा हर्षवर्धन के राज्य में ये संगत आदेश थे कि राज्य में आय व व्यय का लिखित ब्यौरा होना चाहिए राजा की आय का प्रमुख साधन भूमिकर था । इसके अलावा वस्तुओं पर कर लगाकर व जुर्माने की वसूली से खजाने को भरा जाता था । उसके बाद उस धन का बड़े सुनियोजित ढंग से प्रयोग करते हुए खर्च किया जाता था ।

कुछ धन सरकारी काम पर खर्च होता था । कुछ कर्मचारियों को दिया जाता था । कुछ विद्वानों व साहसिक कार्य करने वालो पर खर्च होता था शेष धन प्रजा के कार्यों पर खर्च किया जाता था । जाट सम्राट हर्षवर्धन के राज्य की न्याय प्रणाली बहुत कठोर थी । सभी अपराधियों को इसी कठोर न्याय प्रणाली के आधार पर दण्ड दिया जाता था । इसके लिए अलग से भी अधिकारी नियुक्त कर रखे थे ताकि राज्य में अपराध का फैसला किया जा सके । ग्राम स्तर पर मुखिया इसका फैसला करते थे ।

जाट राजा हर्षवर्धन ने अपने राज्य को सही चलाने के लिए व राज्य के बाहरी शत्रुओं का मुकाबला करने के लिए एक सेना रखी हुई थी । इनकी सेना में 1 लाख 20 हजार घुड़सवार व लाखों की संख्या में पैदल सैनिक थे । इनका कार्य राज्य में सही व्यवस्था बनाना तथा लड़ाई के समय युद्ध में भाग लेना था । सेना के मुखिया को सेनापति कहा जाता था । शिक्षा के ऊपर भी जाट राजा हर्षवर्धन बैंस ने मुख्य रूप से ध्यान दिया । शिक्षा के प्रसार के लिए अनेक विद्यालयो की स्थापना की व नालंदा विश्वविद्यालय को फिर से ऊंचा उठाया व पूर्ण रूप से दान दिया इनके दरबार में अनेक विद्वान थे । बाण उनमें प्रमुख है । उसने अनेक ग्रन्थों को लिखकर तैयार किया इनके राज्य में साहित्य , भूगोल , ज्योतिषी व चिकित्सा का बहुत विकास हुआ था इनके राज्य में तलवार के साथ - साथ साहित्य को भी महत्वपूर्ण स्थान दिया गया व विकास किया गया । जाट सम्राट ने स्वयं भी तीन प्रसिद्ध नाटक लिखे थे जिनके नाम रत्नावली , प्रियदर्शिका, नागानन्द थे ।

इन्होंने अपने राजदरबार में अनेक साहित्यकारों को शरण दी व साहित्य का खुद विकास करवाया । जाट सम्राट काव्य कला का भी प्रेमी था । इनके विद्वानों ने इनकी तुलना कालिदास जैसे कवि से की थी । इन सब प्रशासनिक कार्यों के साथ - साथ जाट सम्राट हर्षवर्धन अपने राज्य की सीमाओं को समय - समय पर बढ़ाया व अपने राज्य को संगठित शक्तिशाली व विशाल बनाया था । अनेक प्रदेशों पर विजय प्राप्त की जिसमें प्रमुख विजयों का वर्णन यहां कर रहा हूँ ।

#जाट_सम्राट_हर्षवर्धन_की_विजय -

ह्यूनसांग के वृत्तान्त तथा बाण के हर्षचरित से उसके निम्नलिखित युद्धों एवं विजयों का ब्यौरा मिलता है -

1, जाट इतिहास उर्दू पृ० 356 लेखक ठा० संसारसिंह।

2. जाट वीरों का इतिहास - दलीप सिंह अहलावत, पृष्ठान्त-244

बल्लभी अथवा गुजरात की विजय - हर्ष के समय धरुवसेन द्वितीय (बालान गोत्र का जाट) बल्लभी अथवा गुजरात का राजा था। हर्ष ने उस पर आक्रमण करके उसको पराजित किया परन्तु अन्त में दोनों में मैत्री-सम्बन्ध स्थापित हो गये। हर्ष ने प्रसन्न होकर अपनी पुत्री का विवाह उससे कर दिया।

गुजरात विजय के बाद जाट सम्राट हर्षवर्धन ने अपना कदम कामरूप राज्य की ओर बढ़ाया । वहां के राजा ने शीघ्र ही जाट सम्राट की अधीनता स्वीकार कर ली और उसके बाद उन्होंने बंगाल पर भी आक्रमण किया और दोनों की राजनैतिक व सैनिक शक्ति ने वहां के राजा को हराया था । कामरूप के बाद जाट सम्राट हर्षवर्धन से जो बंगाल का आधा अधूरा कार्य रह गया था । बगाल पर पहला आक्रमण करके जाट सम्राट हर्षवर्धन ने अपने भाई के वध का बदला लिया था परन्तु वह बंगाल की शक्ति को पूरी तरह से कुचल नहीं सका था । अंत में जाट सम्राट ने बंगाल के राजा शशांक को पूरी तरह समाप्त करने के लिए कामरूप राज्य के राजा के साथ मिलकर बंगाल पर आक्रमण कर दिया इस युद्ध में बंगाल के राजा की बुरी तरह से हार हुई थी व जाट सम्राट हर्षवर्धन बैंस की जीत हुई और बंगाल को अपने राज्य में मिला लिया । इससे उसका राज्य और विस्तृत हो गया ।

इस बंगाल विजय के जाट राजा हर्षवर्धन जो बैंस गोत्री था , इनकी ख्याति चारों और फैल गई । बंगाल विजय के बाद जाट सम्राट हर्षवर्धन पश्चिमी उत्तर की ओर बढा । उसने वहां पर पंजाब को विजित किया और अपने उत्तर पश्चिमी भाग को और विस्तृत किया और उसके बाद उत्तर भारत के बिहार व उड़ीसा को विजय किया और अपने राज्य को और विस्तृत किया । इस प्रकार लगभग समस्त उत्तरी भारतवर्ष पर जाट सम्राट हर्षवर्धन बैंस का राज्य स्थापित हो गया ।

इसके बाद हर्षवर्धन ने अपना कदम सिन्ध राज्य की ओर बढ़ाया तथा सिन्ध को अपने राज्य में मिलाया । कहते हैं सिन्ध अलग प्रान्त था वह अलग व स्वतंत्र था , परन्तु बाद में सिन्ध जाट राजा हर्षवर्धन बैंस के अधीन हो गया था । सिन्ध विजय के बाद जाट हर्षवर्धन ने अपने कदम नेपाल की और बढ़ाए तथा नेपाल को विजय किया और अपने राज्य में मिलाया था । नेपाल को विजय करने के बाद जाट सम्राट ने अपने कदम गजम की ओर बढ़ाये तथा दो या तीन युद्धों के बाद ही गजम पर अधिकार कर लिया था । यह उत्तरी पूर्वी भाग का प्रदेश था । इन विजयों के बाद राजा हर्षवर्धन बैस ने अपने राज्य को स्थापित व सुदृढ़ किया ।

इसके बाद जाट राजा हर्षवर्धन बैंस ने अपने सम्बन्ध दूसरे देशों के साथ बनाने शुरू किये । चीन , श्रीलंका, बर्मा व अन्य कई पड़ोसी देशों के अन्दर अपने राजदूत भेजे । अपनी संस्कृति व कला का प्रचार पूरी दुनिया में करने के लिए कार्य किया । वहां के कई राजाओं ने भी राजा हर्षवर्धन की दोस्ती स्वीकार करते हुए उसे अनेक बहुमूल्य उपहार के रूप भेजे थे ।

पुलकेशिन द्वितीय (अहलावत जाट) से युद्ध - ह्यूनसांग लिखता है कि “हर्ष ने एक शक्तिशाली विशाल सेना सहित इस सम्राट् के विरुद्ध चढाई की परन्तु पुलकेशिन ने नर्वदा तट पर हर्ष को बुरी तरह पराजित किया। यह हर्ष के जीवन की पहली तथा अन्तिम पराजय थी। उसके साम्राज्य की दक्षिणी सीमा नर्वदा नदी तक ही सीमित रह गई। इस शानदार विजय से पुलकेशिन द्वितीय की प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई और उसने ‘परमेश्वर’ की उपाधि धारण की। यह युद्ध 620 ई० में हुआ था।”

राहुल सांकृत्यायन अपनी पुस्तक ‘वोल्गा से गंगा’ पृ० 242-43 पर लिखते हैं कि “सम्राट् हर्षवर्धन की एक महाश्वेता नामक रानी पारसीक (फारस-ईरान) के बादशाह नौशेखाँ की पोती थी और दूसरी कादम्बरी नामक रानी सौराष्ट्र की थी।”

हर्ष एक सफल विजेता ही नहीं बल्कि एक राजनीतिज्ञ भी था। उसने चीन तथा फारस से राजनीतिक सम्बन्ध स्थापित कर रखे थे। हर्ष एक महान् साम्राज्य-निर्माता, महान् विद्वान् व साहित्यकार था। इसकी तुलना अशोक, समुद्रगुप्त तथा अकबर जैसे महान् शासकों से की जाती है। हर्षवर्धन की इस महत्ता का कारण केवल उसके महान् कार्य ही नहीं हैं वरन् उसका उच्च तथा श्रेष्ठ चरित्र भी है। हर्ष आरम्भ में शिव का उपासक था और बाद में बौद्ध धर्म का अनुयायी बन गया था। इसकी कन्नौज की सभा एवं प्रयाग की सभा बड़ी प्रसिद्ध है। हर्ष हर पांचवें वर्ष प्रयाग अथवा इलाहाबाद में एक सभा का आयोजन करता था। सन् 643 ई० में बुलाई गई सभा में ह्यूनसांग ने भी भाग लिया था। ह्यूनसांग एक चीनी भ्रमणकारी नागरिक था ।

इस सभा में पांच लाख लोगों तथा 20 राजाओं ने भाग लिया। इस सभा में जैन, बौद्ध और ब्राह्मण तथा सभी सम्प्रदायों को दान दिया गया। यह सभा 75 दिन तक चलती रही। इस अवसर पर हर्ष ने पांच वर्षों में एकत्रित किया सारा धन दान में दे दिया, यहां तक कि उसके पास अपने वस्त्र भी न रहे। उसने अपनी बहिन राज्यश्री से एक पुराना वस्त्र लेकर पहना। चीनी यात्री ह्यूनसांग 15 वर्ष तक भारतवर्ष में रहा। वह 8 वर्षो तक हर्ष के साथ रहा। उसकी पुस्तक सि-यू-की हर्ष के राज्यकाल को जानने का एक अमूल्य स्रोत है।

इनसे मिलने के लिये आने वाला वंगहुएंत्से के नेतृत्व में चीनी राजदूतदल मार्ग में ही था कि उत्तराधिकारी विहीन वैस साम्राज्य पर ब्राह्मण सेनापति अर्जुन ने अधिकार करने के लिए प्रयत्न प्रारम्भ कर दिया किन्तु वंगहुएंत्से ने तिब्बत की सहायता से अर्जुन को बन्दी बनाकर चीन भेज दिया। बताया जाता है कि वहा चीन के राजा ने इस नीच ब्राहमण की आंखे निकाल दी थी जिससे आप हांगसान की किताब में भी पढ सकतो हो ।

डूंडिया खेड़ा - सम्राट् हर्षवर्धन के वंशधरों की सत्ता कन्नौज से समाप्त होने के पश्चात् डूंडिया खेड़ा में स्थिर हुई। वहां प्रजातन्त्री रूप से इनकी स्थिति सन् 1857 ई० तक सुदृढ़ रही। 1857 के बाद अवध में सत्ताप्राप्त जैस लोगों ने अपने आप को राजपूत घोषित कर दिया। इन लोगों से अवध का रायबरेली जिला भरा हुआ है। जनपद के रूप में इनका वह प्रदेश वैसवाड़ा के नाम पर प्रसिद्ध है। वैस वंशियों की सुप्रसिद्ध रियासत डूंडिया खेड़ा को अंग्रेजों ने इनकी स्वातन्त्र्यप्रियता से क्रुद्ध होकर ध्वस्त करा दिया था।

फगवाड़ा से 7 मील दूर बैंसला गांव से हरयाणा और यू० पी० के वैस जाटों का निकास माना जाता है। लुधियाना की समराला तहसील मुसकाबाद, टपरिया, गुड़गांव में दयालपुर, हिसार में खेहर, लाथल, मेरठमें बहलोलपुर, विगास, गुवांदा और बुलन्दशहर में सलेमपुर गांव बंैस जाटों के हैं। यह सलेमपुर गांव सलीम (जहांगीर) की ओर से इस वंश को दिया गया था। फलतः 1857 ई० में इस गांव के वैसवंशज जाटों ने सम्राट् बहादुरशाह के समर्थन में अंग्रेजों के विरुद्ध भारी युद्ध किया। अंग्रेजों ने इस गांव की रियासत को तोपों से ध्वस्त करा दिया।

सन् 647 ई० में इस प्रतापी जाट सम्राट हर्षवर्धन का निस्सन्तान स्वर्गवास हो गया और उसका साम्राज्य विनष्ट हो गया।

ाट_पुरख
मेरी भोली कौम जाट

भारत में करवाचौथ को लोकप्रिय बनाने का श्रेय यश चोपड़ा और एकता कपूर को जाता है... डीडीएलजी बनाकर यश चोपड़ा ने प्रेमिकाओं ...
01/11/2023

भारत में करवाचौथ को लोकप्रिय बनाने का श्रेय यश चोपड़ा और एकता कपूर को जाता है... डीडीएलजी बनाकर यश चोपड़ा ने प्रेमिकाओं के भीतर करवाचौथ की जो ज्वाला भड़काई उसमे लीटरों घी डालकर प्रज्वलित करती रहीं एकता कपूर.... पूंजीवाद को आज के दिन इन दोनो व्यक्तियों का शुक्रगुजार होना चाहिए...

मेरे बचपन में मेरे घर में करवाचौथ होता था... मां भी करती रहीं और दादी के जमाने मे नही था... पर कभी माँ को मेहंदी रंगते,पार्लर जाते,भारी भरकम साज सज्जा करते मैने नही देखा... पता ही नही चलता था करवाचौथ कब आया कब चला गया...

डीडीएलजी आने के बाद गर्ल्स हॉस्टल की छत पर भयानक तरीके से करवाचौथ मनाने का ऐसा क्रेज शुरू हुआ जो आज तक बदस्तूर जारी है.... बेचारी निब्बियां कैसे कैसे अपनी मम्मी से पेट में दर्द होने का बहाना बनाकर खाने से बचती बचाती डीडीएलजी की काजोल बन पाती थीं... पूछो मत....

16 -17 वर्षीय निब्बियों पर यश चोपड़ा का अत्याचार चल ही रहा था कि भला हो एकता कपूर का... एकता कपूर ने निब्बियोँ के साथ निब्बा लोग को भी करवाचौथ व्रत रखना चाहिए का कॉन्सेप्ट प्रेमियों और पतियों को दिया....
"बेबी तुम नही खाओगे दिन भर कुछ तो मैं भी नही खाऊंगा" वाला स्लोगन असल में एकता कपूर का ही है....

एकता कपूर के शुरू के सीरियल आप देखिए... डेली सोप की नायिका के पति की मौत खबर करवाचौथ पर जरूर आती थी.... सजी धजी नायिका दो किलो बेला के फूलों का गजरा लगाकर जब जेठानी देवरानी के साथ छत पर चांद का इंतजार कर रही होती थी कि तभी नायिका की थाली का दिया अचानक बुझ जाता था, उसी वक्त एक फोन आता था कि नायिका के पति का कार एक्सीडेंट हो गया है.... इसके बाद सब कुछ क्रमवार होता था....पहले नायिका के हाथ से पूजा की थाली गिरती थी... फिर दोनो हाथों से अपने कान बंद करते हुए नायिका "नही" कहते हुए धप से जमीन में बैठ जाती थी... इसके बाद बदहवास नायिका अस्पताल पहुंचती थी,जहां डॉक्टर उसके पति को मृत घोषित कर चुके होते थे......
अब शुरू होता था नायिका का तांडव... सीधे जाकर दुर्गा मां को चैलेंज करती थी वो, नायक को उसके वादे याद दिलाती थी... उसकी छाती पर हाथ पटक पटक कर तीन चार मिनट चीखती थी.... और अचानक उसके पति की हाथ की उंगलियां चलने लगती थीं... डॉक्टर कहता था ये तो चमत्कार हो गया.... बिना रत्ती भर मेकअप बिगड़े नायिका अपने पति के प्राण वापस ले आती थी....

इस तरह भारत में करवाचौथ लोकप्रिय हुआ.... एकता कपूर और उनकी हिरोइनों की इतनी मेहनत के बाद.... फिर कहीं जाकर पूंजीवाद ने इसको कैश करना शुरू किया... करवाचौथ का पारंपरिक स्वरूप खतम हुआ और पूंजीवाद के करवाचौथ का जन्म हुआ.....

खैर.......
सभी महिलाओं और पुरुषों को करवाचौथ की बधाई..... फेसबुक पर जो लड़के ,लड़की बने बैठे हैं उनको स्पेशल बधाई..... और हां महिला साथियों, आज कुछ भी हो जाए प्रेम का सार्टिफिकेट पति से मांग कर रहना... पति के हलक से भी निवाला या पानी न उतरने देना चांद निकलने तक....... अब तुम्हारे हवाले करवाचौथ साथियों............

लठ्ठ गाड़ दिया म्हारे छोरे नहरियाणा की धरती के लाड़ले सुमित अंतिल ने एशियाई पैरा गेम्स में एक साथ 3 रिकॉर्ड तोड़कर बता द...
26/10/2023

लठ्ठ गाड़ दिया म्हारे छोरे न

हरियाणा की धरती के लाड़ले सुमित अंतिल ने एशियाई पैरा गेम्स में एक साथ 3 रिकॉर्ड तोड़कर बता दिया कि दुनिया में वह जेवलिन थ्रो में सबसे बेहतरीन खिलाड़ी हैं।

सुमित अंतिल ने 73.29 मीटर दूर भाला फेंककर गोल्ड मेडल जीतने पर बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।
#जाट

भक्त मणिपुर पर चुप रहेंगेलेकिन घर बैठे इजराइल के स्पॉट में रहेंगे🤣
19/10/2023

भक्त मणिपुर पर चुप रहेंगे
लेकिन घर बैठे इजराइल के स्पॉट में रहेंगे🤣

जातिवाद नही गर्व है हमे अपने जाट होने पर🤘🔥जब जाट किसी आंदोलन का हिस्सा बनते हैं तो वह विशेष जाति हो जाते हैं, सब कहने लग...
12/10/2023

जातिवाद नही गर्व है हमे अपने जाट होने पर🤘🔥

जब जाट किसी आंदोलन का हिस्सा बनते हैं तो वह विशेष जाति हो जाते हैं, सब कहने लगते हैं जाट ही तो है, जाटों का ही तो आंदोलन हैं, अरे बस जाट जाट ही तो बैठे हैं! लेकिन जब जाट के बालक मैडल लेकर आते हैं तो उसको जाट कहने पर लोगों को आपत्ति होती है। अब होती है तो होती रहे, जाटा के बालक तो जाटा के ही रहेंगे।
कुछ मीठी चटनी की पैदाइश बजरंग पुनिया की हार पर जश्न मनाकर खुश हो रहे हैं ऐसे लोगो से कश्मीर और मेवात से चप्पलें नही उठाकर लाई गई
जबकि जाट चीन से सोना लेकर आ गए
88 किलो के वजनी भालो के वंशज केवल कागजी शेर ह असल मे उनके बस का कुछ नही
वो केवल अपने पुरखों के फर्जी इतिहास पर भृमित होकर जी रहे ह
जबकि जाट समाज अपनी मेहनत और लगन से हर क्षेत्र में पहचान बनाए हुए हैं
जाटो से जलने वालो को यही कहूंगा कि
जलना भूनना छोड़ कर रीस करो आगे बढ़ो🙏
#जाट

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