18/04/2022
।।जानिये, भोजन ग्रहण करने के नियम।।
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1. पांच अंगो ( दो हाथ , २ पैर , मुख ) को अच्छी तरह से धो कर ही भोजन करे।
2. गीले पैरों खाने से आयु में वृद्धि होती है।
3. प्रातः और सायं ही भोजन का विधान है।
4. पूर्व और उत्तर दिशा की ओर मुह करके ही खाना चाहिए।
5. दक्षिण दिशा की ओर किया हुआ भोजन प्रेत को प्राप्त होता है।
6. पश्चिम दिशा की ओर किया हुआ भोजन खाने से रोग की वृद्धि होती है।
7. शैय्या पर , हाथ पर रख कर , टूटे फूटे वर्तनो में भोजन नहीं करना चाहिए।
8. मल मूत्र का वेग होने पर , कलह के माहौल में , अधिक शोर में , पीपल , वट वृक्ष के नीचे , भोजन नहीं करना चाहिए।
9.परोसे हुए भोजन की कभी निंदा नहीं करनी चाहिए।
10. खाने से पूर्व अन्न देवता , अन्नपूर्णा माता की स्तुति कर के , उनका धन्यवाद देते हुए , तथा सभी भूखो को भोजन प्राप्त हो ईश्वर से ऐसी प्राथना करके भोजन करना चाहिए।
11. भोजन बनाने वाला स्नान करके ही शुद्ध मन से , मंत्र जप करते हुए ही रसोई में भोजन बनाये और सबसे पहले ३ रोटिया अलग निकाल कर ( गाय , कुत्ता , और कौवे हेतु ) फिर अग्नि देव का भोग लगा कर ही घर वालो को खिलाये।
12. इर्षा , भय , क्रोध , लोभ , रोग , दीन भाव , द्वेष भाव , के साथ किया हुआ भोजन कभी पचता नहीं है।
13. आधा खाया हुआ फल , मिठाईया आदि पुनः नहीं खानी चाहिए।
14. खाना छोड़ कर उठ जाने पर दुबारा भोजन नहीं करना चाहिए।
15. भोजन के समय मौन रहे।
16. भोजन को बहुत चबा चबा कर खाए
17. रात्री में भरपेट न खाए।
18. गृहस्थ को 32 ग्रास से ज्यादा नही खाना चाहिए ।
19. सबसे पहले मीठा , फिर नमकीन , अंत में कडुवा खाना चाहिए।
20. सबसे पहले रसदार , बीच में गरिष्ठ , अंत में द्रव्य पदार्थ ग्रहण करे।
21. थोडा खाने वाले को --आरोग्य , आयु , बल , सुख, सुन्दर संतान , और सौंदर्य प्राप्त होता है।
22. जिसने ढिढोरा पीट कर खिलाया हो वहा कभी न खाए।
23. कुत्ते का छुवा , रजस्वला स्त्री का परोसा , श्राद्ध का निकाला , बासी , मुह से फूक मरकर ठंडा किया , बाल गिरा हुवा भोजन , अनादर युक्त , अवहेलना पूर्ण परोसा गया भोजन कभी न करे।
महाकाल सब का कल्याण करें, जय श्रीं महाकाल 🙏🏻🌹