
03/02/2025
अनवरी मुस्तफा कॉन्फ्रेंस जश्ने दस्तारबंदी – मदरसा बरक़ातिया।
दस्तारबंदी एक अहम इस्लामी रस्म है, जिसमें तालीम मुकम्मल करने वाले तालिबे इल्म के सर पर दस्तार (पगड़ी) रखी जाती है। यह न सिर्फ इल्मी मुकाम की पहचान होती है, बल्कि बुजुर्गों की दुआओं का एक अमानत भी होती है। इसी सिलसिले में मदरसा बरक़तिया में "अनवरी मुस्तफा कॉन्फ्रेंस" का शानदार इंतेज़ाम किया गया, जहां 9 हुफफाj keram की दस्तारबंदी हुई। इस मौके पर कई अजीम उलमा-ए-किराम तशरीफ लाए और मज़हबी व इल्मी नसीहतों से महफिल को रोशन किया। इस मौके पर कार्यक्रम में शामिल हुए उत्पल यादव को सम्मानित किया गया साथ ही उत्पल यादव ने लोगों को संबोधित किया।
हुफफा जे के राम अपने इल्मी सफर में कई सालों से मेहनत कर रहे थे। उन्होंने सिर्फ मज़हबी तालीम हासिल नहीं की, बल्कि मज़हबी तालीम को हंसी-खुशी और आम इंसानों की जिंदगी से जोड़ने का हुनर भी सीखा।
इस तरह की दस्तारबंदी सिर्फ एक रस्म नहीं होती, बल्कि यह मज़हबी तालीम के सफर की एक बुलंदी की अलामत होती है। इससे यह पैग़ाम मिलता है कि इल्म और दीन की रोशनी को फैलाने वाले लोग हमारी सोसायटी के सबसे क़ीमती लोग हैं। दस्तार सिर्फ सिर पर रखी जाने वाली पगड़ी नहीं, बल्कि यह एक ज़िम्मेदारी है, जो इल्म के हक़ को अदा करने और इसे दूसरों तक पहुंचाने की ताकीद करती है।
अल्लाह तआला हुफफा जे के राम को दीन की और ज्यादा खिदमत की तौफीक अता फरमाए और उनकी दस्तारबंदी मुबारक करे। आमीन!
इस मौके पर शामिल हुए।
Hazrat M***i Kazim Raja Markaji
Utpal Yadav
Disco Bhai
Sallan Bhai
Lal Mohammad Sahab
Faiz Khan Sahab
Sonu Siddiqui Sahab
Nigari Salam urf daha bhai
Sohail Ahmed Sahab
Janab haleem Sahab
Janab Daddu Sahab
Hafiz mukim Sahab
Farooq Alam Sahab
Imroz alam Saheb
Halim saheb
Karim saheb
Munna masoori Saheb