साहित्य और सिनेमा

साहित्य और सिनेमा Contact information, map and directions, contact form, opening hours, services, ratings, photos, videos and announcements from साहित्य और सिनेमा, Digital creator, Gwalior.

साहित्य और सिनेमा एक-दूसरे से गहरे जुड़े हैं। क्योंकि साहित्यिक कृतियां फिल्मों के लिए प्रेरणा होती हैं, जबकि सिनेमा ने साहित्य को भी नई दिशा दी है।
मेरे यूट्यूब चैनल "साहित्य और सिनेमा" पर जानकारी पाएं: https://youtube.com/

सिनेमा पर केंद्रित पुस्तकें
15/01/2025

सिनेमा पर केंद्रित पुस्तकें

सभी देश एवं प्रदेशवासियों को मकर संक्रांति पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।नव उर्जा, नव उत्साह, नव उल्लास का यह शुभ पर्व आपके...
14/01/2025

सभी देश एवं प्रदेशवासियों को मकर संक्रांति पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।
नव उर्जा, नव उत्साह, नव उल्लास का यह शुभ पर्व आपके जीवन में सुख, समृद्धि, सौहार्द शान्ति एवं अपार खुशियां लेकर आए।
डॉ. मनोज कुमार विसारिया 🌺🌷🍀🙏

ंक्रांति #मकरसंक्रांति2025

स्वामी विवेकानंद | राष्ट्रीय युवा दिवस | विवेकानंद जयंती। #राष्ट्रीय_युवा_दिवस_2025🙏💖🙏  साहित्य और सिनेमा की ओर से विश्व...
12/01/2025

स्वामी विवेकानंद | राष्ट्रीय युवा दिवस | विवेकानंद जयंती।
#राष्ट्रीय_युवा_दिवस_2025🙏💖🙏
साहित्य और सिनेमा की ओर से विश्व के सबसे प्रांजल, सबसे दिव्य, सबसे तेजस्वी कर्म-गुरु और धर्म-प्रतिनिधि, स्वामी विवेकानन्द जी की जयन्ती पर शत-शत नमन, एवं राष्ट्रीय युवा दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।


"दिन में एक बार अपने आप से बात करें अन्यथा, आप इस दुनिया में एक उत्कृष्ट व्यक्ति से मिलने से चूक सकते हैं."🙏💖🙏

विश्व हिंदी दिवस हर साल 10 जनवरी को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1975 में हुई थी, जब पहला विश्व हिंदी सम्मेलन नागपुर में आ...
10/01/2025

विश्व हिंदी दिवस हर साल 10 जनवरी को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1975 में हुई थी, जब पहला विश्व हिंदी सम्मेलन नागपुर में आयोजित किया गया। इसका उद्देश्य हिंदी भाषा को वैश्विक स्तर पर प्रचारित और प्रसारित करना है। 2006 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने इसे औपचारिक रूप से घोषित किया। इस दिन हिंदी भाषा के महत्व, उसके ऐतिहासिक योगदान, और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी बढ़ती स्वीकृति को रेखांकित किया जाता है। भारतीय दूतावास और विदेशों में भी हिंदी से जुड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं ताकि इसकी सांस्कृतिक और भाषाई धरोहर को संजोया जा सके।
साहित्य और सिनेमा की ओर से आप सभी #भारत वासियों को विश्व हिंदी दिवस की #हार्दिक #शुभकामनाएं!
🌺🌷🙏

आज की कविता है- नेहा नरुका
09/01/2025

आज की कविता है- नेहा नरुका

माथा चूमना #कविता #नेहा_नरुका #हिन्दीकविता

तुम्हे याद करते करते ------------------------भारतीय सिनेमा के इतिहास में यदि किसी गीत को कामुकता का भाव समेटे हुए उत्कृष...
09/01/2025

तुम्हे याद करते करते
------------------------
भारतीय सिनेमा के इतिहास में यदि किसी गीत को कामुकता का भाव समेटे हुए उत्कृष्टतम गीत कहा जाए, तो वह "आम्रपाली" फिल्म का यह अमर गीत ही होगा.
यह गीत अपनी सोलो परफॉर्मेंस और अभिनेत्री वैजयंती माला जी की अनुपम अभिनय क्षमता के कारण विशिष्ट हो जाता है। उन्होंने अपने एकल प्रदर्शन से रुपहले परदे पर अनगिनत भावों की अनूठी छटा बिखेरी है।

ये एक सामंती शोषण से ग्रसित समाज में नगरवधू का तमगा लिए एक बेजोड़ कलाकार और एक नर्तकी के मनोभावों को दर्शाता गीत है.जिसमे वो अपने नगरवधू के सामाजिक स्टेटस से बाहर निकल एक आम स्त्री की तरह अपनी मनोव्यथा को व्यक्त करने के लिए व्याकुल है। वो स्त्रैण इच्छाएं जिनमे प्रेम ,कामुकता और अपने प्रियतम के सानिध्य पाने की दबी छुपी लालसा है।

गीत का आरम्भ वैजयंती माला जी के "विचित्र-वीणा" वाद्य यंत्र के तारों को छेड़ते अपनी कामनाओं को व्यक्त करने की झिझक भरी कोशिश से होता है।
यह दृश्य मानो किसी स्त्री के अंतरंग क्षणों की झलक है, जिसमें वह अपने प्रेम को छिपाने का असफल प्रयास करती है।
ये सीन कुछ ऐसा ही ही जिसमे कोई स्त्री किसी से अंतरंग क्षणों में कुछ भी पहल करने से पहले इधर उधर देखते हुए अपनी प्रेम पहल को छुपाने की नाकाम कोशिश करती हो। उसके बाद धीरे से उनके अधरों से शब्द छलकने लगते हैं -

तुम्हे याद करते करते ,जायेगी रैन सारी
तुम ले गए हो अपने संग नींद भी हमारी।
~~~~~~~
ये मुखड़ा गाते गाते वो शैय्या पर लेट जातीं हैं , और मुखड़ा खत्म होते ही वो धीरे धीरे अपने मनोभावों को खुलकर बोलने को तैयार दिखतीं हैं। इस गहन भावप्रकाश के साथ गीत आगे बढ़ता है, और उनका दुपट्टा धीरे से फिसल जाता है। उसके बाद पूरे सीन में सिर्फ उनके चेहरे को फोकस किया गया है।
लेकिन इसके ख़तम होते ही कैमरा उनकी सम्पूर्ण काया को सामने लाता है। जिसमे वो कामुक वस्त्रों में नज़र आतीं हैं। इसके बाद पूरे गीत में वैजयंतीमाला जी की खूबसूरती, शालीनता और नज़ाकत का बेजोड़ संगम देखने को मिलता है।

इस गाने की शुरुआत से ही वो बेहद सेंसुअल हैं, लेकिन उनकी कामुकता में एक "गरिमा" और शालीनता दिखाई देती है।
एक ऐसा अतुलनीय कामुक सौंदर्य, जो हृदय को छू ले और आत्मा को सुकून दे। ऐसा सौंदर्य जो की पवित्र कामेच्छाओं को वासना से स्पष्ट रूप से विभाजित करता प्रतीत होता है।

गीत के अन्तरे में चलते हुए उनके कूल्हों का धीमा हिलोर अद्भुत समा बांधता है. उनकी पोशाक उरोजों को एक्सपोज़ करती प्रतीत होती है लेकिन गीत देखते हुए आप उनके वस्त्रों और उनकी काया पर फोकस कर ही नहीं पाते , क्योंकि उनके फेस एक्सप्रेशन इस कामुकता को उर्घ्व-रेतस बना कर कामुकता के भावों को उनके चेहरे और आँखों में खींच कर उसे गहन प्रेम और विरह का रूप दे देतें हैं।
और फिर आप सिर्फ और सिर्फ उनके चहरे की सुंदरता में खो जाते हो।

प्रथम अन्तरा शुरू होने से पहले वो एक हल्की सी अंगड़ाई लेकर अपने बालों को खोलतीं हैं। और फिर अचानक से विशाल महल के भव्य शयनकक्ष के अकेलेपन के आनंद को महसूस करती हैं। फिर कवि शैलेंद्र के मार्फत आम्रपाली के मुँह से बोल झरतें हैं .

"मन है की जा बसा है अनजान एक नगर में - कुछ खोजता है पागल खोयी हुई डगर में ".
उसके बाद जब वैजयंती माला गाती हैं - "इतने बड़े महल में , घबराऊँ मैं बेचारी"

ये पंक्ति गाते समय उनकी अधरों की आकृति, उनकी आंखों का दर्द, और उनके चेहरे की मासूमियत दर्शकों को मूक कर देती है। अन्तरे की अंतिम पंक्ति में "घबराऊँ" मैं बेचारी कहते क्षण वो एक बच्चे सामान मुंह बनाकर अपनी नृत्यांगना नुमा विशाल पलकों की झपकी देकर अपने अधरों को नुकीला कर देती , यह नृत्यकला और अभिनय का अद्वितीय संगम है इसमें उन्होंने अपने अधरों को नुकीलेपन की शक्ल देकर जो व्यथा व्यक्त करि है वो अदा आज तक तमाम अभिनेत्रियां कॉपी करती रहीं हैं। ( मुमताज़ जी ,साधना जी और श्रीदेवी जी ने तो इसे अपना सिग्नेचर स्टाइल ही बना डाला था )

गीत के आखिरी अन्तरे में वो शैय्या पर वीणा के सहारे लेट जाती हैं , और फिर बेचैनी में शैय्या पर हाथ फेरते हुए गाती हैं -

"बिरहा की इस चिता से , तुम ही मुझे निकालो।
जो तुम न आ सको तो, मुझे स्वप्न में बुला लो".

पूरे गीत में विचित्र-वीणा उनकी सखी उनकी हमराज बन जाती है।
इसके साथ उनके शयन कक्ष में विचित्र-वीणा उनके लिए एक मनोवैज्ञानिक प्रभाव से बाहर आने का जरिया बनती है , जिसमे वो अपने अंतरंग पलों में "नगरवधू" के विचार से बाहर आकर एक नर्तकी एक फनकार या एक साधारण स्त्री के रूप में अपने को स्थापित करती नज़र आतीं हैं। आखिरी अन्तरा वो पूरा पूरा "वीणा" के ऊपर लेटकर ही गातीं हैं और और "बिरहा" के दुःख को व्यक्त करतीं हैं।

गीत में वाद्य यंत्र वीणा उनकी सखी उनके किसी अभिवावक जैसी प्रतीत होती है। ठीक वैसे ही जब आप किसी बड़े दुःख में हो और किसी दोस्त के सानिध्य में अपना दुःख रो-रोकर निकाल रहे हो।
गीत के अंत में वो थकी हुई प्रतीत होती हैं जो की एक प्रेयसी के द्वारा अपने प्रिय के लिए एक लम्बी प्रतीक्षा की परिणीति मालूम पड़ती है। अंत में वो मुखड़े को तीन बार दोहराती हैं - तुम्हे याद करते करते ,तुम्हे याद करते करते , तुम्हे याद करते करते।
और फिर वीणा पर ही सर टेककर गहन निंद्रा में चली जातीं हैं।
-----------------------
अभिनय का ऐसा जादू बिखरने की क्वालिटी सिर्फ उसी अभिनेत्री में हो सकती है जो किसी नृत्यकला में पारंगत हो।
हालाँकि तुलना करना गलत है , फिर भी वैजयंतीमाला जी को कभी भी नरगिस जी और मीना कुमारी जी के अभिनय क्षमता के समकक्ष नहीं माना गया.
फिर भी इस गीत को वैजयंती माला जी से बेहतर और कोई नहीं निभा सकता था। उनकी नृत्यकला में सिद्धहक्षता उन्हें इस गीत के कामुक भावों को व्यक्त करने में एक एक्स्ट्रा एज देती थी।
वहीदा रहमान जी भी क्लासिकल नृत्य में एक्सपर्ट थीं। लेकिन उनकी पर्सनैलिटी में एक गहन प्रत्यभिज्ञा एक सिम्पलिसिटी है। जो कामुकता के भावों को बाहर निकालने में असमर्थ प्रतीत होती है।
( ठीक यही अंतर् आप माधुरी दीक्षित और जूही चावला में भी देख सकते हो ).

लेकिन वैजयंती माला जी की अदा में एक कविता छुपी लगती है. और उनकी आँखें जैसे हर शब्द को कहानी में बदल देती हैं।वैजयंती माला जी की प्रतिभा इसमें है कि उन्होंने इस उत्तेजक और घोर कामुक भावों से भरे गीत को भी गरिमामय और काव्यमयी बना दिया।

ये एक कलाकार की महानता है की उत्तेजक कामुक वस्त्रों और असीम सुंदरता समाये किरदार में स्त्री की अपने प्रीतम से मिलन की बेचैनी को , उनकी अंतरंग इच्छाओं को उन्होंने इतनी शालीनता से इतने अतुलनीय असम्भव तौर पर शिष्ट तरीके से पेश किया है।
पूरे गीत में उनकी अदाओं में एक अनकही सी कामुकता है, जो पूरी तरह से मर्यादा, माधुर्य और विनम्रता से भरी हुई है।

वैजयंती माला जी उस वक़्त सिर्फ 30 बरस की थीं।
---------------
वाचस्पति शर्मा जी की वाल से 🙏🏻

08/01/2025
"सवा लाख से एक लड़ाऊं, चिड़ियन ते मैं बाज़ तुड़ाऊं, तबै गुरु गोबिंद सिंह नाम कहाऊं"।शौर्य, बलिदान और धर्म रक्षा के प्रती...
06/01/2025

"सवा लाख से एक लड़ाऊं, चिड़ियन ते मैं बाज़ तुड़ाऊं, तबै गुरु गोबिंद सिंह नाम कहाऊं"।
शौर्य, बलिदान और धर्म रक्षा के प्रतीक, सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती पर श्रद्धापूर्वक स्मरण। उनके अद्वितीय साहस, सत्य और सेवा के आदर्श युगों-युगों तक प्रेरणा देते रहेंगे। 🌷🌺🙏

हिन्दी अकादमी, दिल्ली का प्रतिष्ठित 'पत्रकारिता सम्मान (प्रिंट मीडिया)' वर्ष 2024-25 के लिए संजय सहाय को प्रदान करने की ...
05/01/2025

हिन्दी अकादमी, दिल्ली का प्रतिष्ठित 'पत्रकारिता सम्मान (प्रिंट मीडिया)' वर्ष 2024-25 के लिए संजय सहाय को प्रदान करने की घोषणा की गयी है। अपने वरिष्ठ साहित्यकार और 'हंस' संपादक के रचनात्मक अवदान को रेखांकित किये जाने पर संजय जी को हार्दिक बधाई और ढेर सारी शुभकामनाएं!!!

#साथजुड़ेंसाथपढ़ें

रुढ़िवादी परम्पराओं को तोड़कर जिन्होंने स्त्रियों के लिए शिक्षा का अलख जगाया। स्त्री अधिकारों के लिए लड़ना सिखाया। ऐसी म...
03/01/2025

रुढ़िवादी परम्पराओं को तोड़कर जिन्होंने स्त्रियों के लिए शिक्षा का अलख जगाया। स्त्री अधिकारों के लिए लड़ना सिखाया। ऐसी माँ सावित्रीबाई फुले के चरणों में शत-शत नमन और बंदन है।

देश के प्रथम महिला शिक्षा और #समाज सेविका #सावित्रीबाई फुले जी की #जयंती पर शत-शत नमन।
🌷🌺💓🙏

https://youtu.be/veyjvafUnVs?si=LIAkHo0q9QzMYIY1
01/01/2025

https://youtu.be/veyjvafUnVs?si=LIAkHo0q9QzMYIY1

दिसंबर का महीना मुझे आखिरी नही लगता है | कवयित्री : निर्मला गर्ग | कविता पाठ : डॉ जीतेन्द्र कुमार # ...

नव वर्ष की  #शुभकामनाएं!आपके जीवन में खुशियों की बरसात हो, आपके सारे सपने सच हों। #नया  #साल आपके लिए नई उमंग, नई  #आशाए...
01/01/2025

नव वर्ष की #शुभकामनाएं!
आपके जीवन में खुशियों की बरसात हो, आपके सारे सपने सच हों।
#नया #साल आपके लिए नई उमंग, नई #आशाएं और नई #उपलब्धियां लेकर आए!
आपको और आपके #परिवार को नये साल की #हार्दिक #शुभकामनाएं!
💐🌷🌺2025💓🌷💐

नव वर्ष की  #शुभकामनाएं!आपके जीवन में खुशियों की बरसात हो, आपके सारे सपने सच हों। #नया  #साल आपके लिए नई उमंग, नई  #आशाए...
01/01/2025

नव वर्ष की #शुभकामनाएं!

आपके जीवन में खुशियों की बरसात हो, आपके सारे सपने सच हों।
#नया #साल आपके लिए नई उमंग, नई #आशाएं और नई #उपलब्धियां लेकर आए!
आपको और आपके #परिवार को नये साल की #हार्दिक #शुभकामनाएं!
💐🌷🌺🙏2025🙏💓🌷💐

Address

Gwalior

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when साहित्य और सिनेमा posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Videos

Share