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जोहार जय बिरसा
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#जळगाव जिल्हा NH 6 महामार्ग बंद #
15/12/2022
12/12/2022
देखो आज के द्रोणाचार्य अब SC,ST,OBC के बच्चों का अंगूठा नही आपके बच्चों के इंटरव्यू में नंबर काटते है और हम इन विदेशी यूरेशियन ब्राम्हणों को देवता का रूप मानते है
12/12/2022
हमें आज तक यही पढ़ाया गया था, कि गांधी ने साइमन कमीशन का विरोध किया था ,, लेकिन यह नहीं पढ़ाया जाता कि तीन शख्स थे जिन्होंने साइमन कमीशन का स्वागत भी किया था ।
इन तीन शख्स के नाम निम्न है -
1- ओबीसी से चौधरी सर छोटूराम जी। जो पंजाब से थे।
2- एससी से डॉक्टर बी आर अम्बेडकर। जो मध्यप्रदेश से थे।
3- ओबीसी शिव दयाल चौरसिया जो यूपी से थे।
अब सवाल ये उठता है कि गांधी ने साइमन का विरोध क्यों किया?
क्योंकि 1917 में अंग्रेजो ने एक एक कमेटी का गठन किया था,, जिसका नाम था साउथ बरो कमिशन,, जो कि भारत के शूद्र अति शूद्र अर्थात आज की भाषा में एससी एसटी और ओबीसी के लोगों की पहचान कर उन्हें हर क्षेत्र में अलग अलग प्रतिनिधित्व दिया जाए,, और हजारों सालों से वंचित इन 85% लोगों को हक अधिकार देने के लिए बनाया गया था,, उस समय ओबीसी की तरफ से शाहू महाराज ने भास्कर राव जाधव को,, और एससी एसटी की तरफ से डॉक्टर अम्बेडकर को इस कमीशन के समक्ष अपनी मांग रखने के लिए भेजा।
लेकिन ये बात बाल गंगाधर तिलक को अच्छी नहीं लगी और उन्होंने कोल्हापुर के पास अथनी नाम के गांव में जाकर एक सभा लेकर कहां कि तेली,, तंबोली,, कुर्मी कुनभट्टों को संसद में जाकर क्या हल चलाना है।
इस तरह विरोध होने के बाद भी अंग्रेजो ने तिलक की बात को नहीं माना और 1919 में अंग्रजों ने एक बात कहीं कि भारत के ब्राह्मणों में भारत की बहु संख्यक लोगों के प्रति न्यायिक चरित्र नहीं है।
इसे ध्यान में रखते हुए 1927 में साइमन कमीशन 10 साल बाद फिर से भारत में एक ओर सर्वे करने आया,, कि इन मूलनिवासी लोगों को भारत छोड़ने से पहले अलग अलग क्षेत्र में उचित प्रतिनिधित्व दिया जाए,,,
इस साइमन कमिशन में 7 लोगों की एक आयोग की तरह कमेटी थी,, जिसमे सब संसदीय लोग थे।
इसलिए इसमें उन लोगों को शामिल नहीं किया जा सकता था,, जो लोग भारत के मूलनिवासी लोगों के हक़ अधिकार का हमेशा विरोध करते थे,, जब यह कमिशन एससी एसटी और ओबीसी लोगों का सर्वे करने भारत आया तो,, गांधी,, लाला लाजपराय,, नेहरू और आरएसएस ने इसका इतना भयंकर विरोध किया कि कई जगह साइमन को काले झंडे दिखाए गए,, लाला लापतराय ने इसलिए अपने प्राण दे दिए,, चाहे मै मर भी क्यों न जाऊं लेकिन इन शूद्र अति शूद्र लोगों को एक कोड़ी भी हक अधिकार नहीं मिलने चाहिए।
गांधी ने लोगों को ये कहकर विरोध करवाया कि इसमें एक भी सदस्य भारतीय नहीं है,, दूसरे अर्थों में गांधी ये कहना चाहता था,, कि इस कमिशन में ब्राह्मण बनियों को क्यों नहीं लिया।
क्योंकि गांधी ने मरते दम तक एक भी ओबीसी के आदमी को सविधान सभा में नहीं पहुंचने दिया,, इसलिए बाबा साहब ने ओबीसी के लिए आर्टिकल 340 बनाया और संख्या के अनुपात में हक अधिकार देने का प्रावधान किया।
दूसरी तरफ साइमन का स्वागत करने के लिए चौधरी सर छोटूराम जी ने एक दिन पहले ही लाहौर के रेलवे स्टेशन पर जाकर उनका स्वागत किया,, यूपी से ऐसा ही स्वागत शिवदयाल चौरसिया ने किया,, और डॉक्टर अम्बेडकर ने अलग अलग जगह पर अंग्रेजो का सहयोग किया और भारत में जाति व्यवस्था की जमीनी स्तर की सही जानकारी साइमन कमीशन को दी,, जिसकी वजह से गोलमेज सम्मेलन में हम भारत के हजारों सालों से शिक्षा,, ज्ञान,, विज्ञान,, तकनीक,, संपति,, और बोलने सुनने और पढ़ने लिखने से वंचित किए गए लोगों और उस समय के राजा महाराजाओं की ओकात एक बराबर कर दी,, वोट का अधिकार देकर।
लेकिन क्या हम ओबीसी,, एससी एस टी अपने वोट की कीमत आज तक जान पाए,, कभी नहीं जान पाए,, इसलिए हम आज भी 3% लोगों के गुलाम है।।
दूसरी बात साइमन का विरोध करके हमारे हक अधिकार का कोन लोग विरोध कर रहे थे।
1- कर्मचंद गांधी गुजरात का गोड बनिया।
2- जवाहर लाल नेहरू कश्मीरी ब्राह्मण।
3- लाला लाजपतराय पंजाब के ब्राह्मण।
4- आरएसएस के संस्थापक डॉक्टर केशव बली हेडगवार ब्राह्मण और पूरी की पूरी आरएसएस लाबी ।
ये लोग इसलिए विरोध कर रहे थे,, क्योंकि इनकी संख्या भारत में मुश्किल से 10% है और इनको ग्राम पंचायत का पंच नहीं चुना जा सकता,, इसलिए 90% एससी, एस टी और ओबीसी के वोट के अधिकार का,, शिक्षा,, संपति और अलग अलग क्षेत्र में प्रतिनिधित्व का विरोध कर रहे थे।
अत: हमें मालुम होना चाहिये हमारा इतिहास वो नहीं है जो हमे पढ़ाया जाता रहा है,, बल्कि वो है जो हम से छुपाया जाता रहा है।
जय भीम जय सविधान
🐘🐘🐘🐘🐘
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12/12/2022
*कैसे चुने सही संगठन.*
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*साथियो.*
*बाबा साहब ने सूत्र दिया,"बाबासाहेब ने सूत्र दिया था - शिक्षित बनो/करो, आंदोलित हो/करो, संगठित हो/करो...Educate, Agitate, Organise.-21.7.1942"*
*इस सूत्र में जो तीसरा स्टेप है इसका मतलब हमारे लोगों ने गलत समझ लिया है कि संगठन बनाओ. आज हर कार्यकर्ता की जेब में अपनी जात व समाज का संगठन है जिसका वो राष्ट्रीय अध्यक्ष है.*
*आज बहुजन समाज में अत्यधिक संगठन हो गए हैं. जिनके इंटरलिंक ना होने के कारण बहुजन समाज कंफ्यूज हो गया है कि हम किसके साथ जाए इसलिए यह पोस्ट लिखनी पड़ रही है. संगठन का चुनाव करने संबंधी कुछ सुझाव उदाहरण सहित.*
* *पहला सुझाव
*हमारी समस्या जाति विशेष की नहीं है अतः जाति विशेष के संगठन से न जुड़े.*
* *दूसरा सुझाव
*हमारी समस्या राष्ट्रव्यापी है अत: राष्ट्रव्यापी संगठन से ही जुड़े ना की गली मोहल्ले और क्षेत्रिय संगठन से.*
* *तीसरा सुझाव
*व्यक्ति विशेष जिस संगठन का मालिक हो उससे न जुड़े क्योंकि वह व्यक्ति विशेष समाज हित के बजाय अपने हित को वरीयता देने लगता है.*
* *चौथा सुझाव
*व्यक्ति विशेष/महापुरुष/महामाता के नाम पर बने संगठन से ना जुड़े.*
*व्यक्ति विशेष/महापुरुष/महामाता के नाम पर बने संगठन में जाति विशेष के लोग ही जुड़ते हैं या वरीयता देते हैं अन्य जाति के नहीं क्योंकि यह देश जाति प्रधान है. यहाँ पर व्यक्ति विशेष/महापुरुष/महामाता की जाति देख कर ही उसके साथ व्यवहार किया जाता है. इसलिए व्यक्ति विशेष/महापुरुष/महामाता संगठन से ना जुड़े.*
* *पांचवा सुझाव
*संगठन को संगठन के पैरामीटर्स पर कस कर देखें संगठन के 8 पैरामीटर होते 👇है.*
1.लक्ष्य
2.विचारधारा
3.नीति-रणनीति
4.कार्यक्रम
5.अनुशासन
6.नेतृत्व
7.सदस्य
8.फ्रेमवर्क
*अन्य पैरामीटर.*👇
1.मुखपत्र/मिडिया
2.प्रकाशन/साहित्य
3.केंद्रीय कार्यालय
4.रिसर्च सेंटर
5.प्रशिक्षण व्यवस्था
6.सहायक विंग्स
7.प्रेस
8.बेस
*उदाहरण " बामसेफ संगठन "*
* *पहले सुझाव पर बामसेफ.
*बामसेफ जाति विशेष का संगठन नहीं है बल्कि एससी एसटी ओबीसी व इनसे कन्वर्टेड एमसी का संगठन है.*
* *दूसरे सुझाव पर बामसेफ
*बामसेफ विश्वव्यापी संगठन है. जो विश्व स्तर पर भी प्रचार करता है.*
*तीसरे सुझाव पर बामसेफ
*बामसेफ व्यक्ति विशेष का संगठन नहीं है यहां प्रजातांत्रिक व्यवस्था है.*
* *चौथे सुझाव पर बामसेफ
*बामसेफ व्यक्ति विशेष/महापुरुष/महामाता के नाम पर बना संगठन नहीं है बल्कि बहुजन समाज (अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग व इनसे धर्मांतरित अल्पसंख्यक) का संगठन है.*
* *5 वें सुझाव यानि संगठन के पैरामीटर्स पर बामसेफ
*1.लक्ष्य-व्यवस्था परिवर्तन अर्थात विषमतापरक अमानवीय अवैज्ञानिक असंवैधानिक असामाजिक अव्यवस्था के बजाय समतापरक मानवीय वैज्ञानिक संवैधानिक सामाजिक व्यवस्था की स्थापना.*
*2.विचारधारा-फुले-अंबेडकरी-पेरियार वादी विचारधारा.*
*3.नीति-रणनीति-संवैधानिक मूल्यों का पालन करते हुए रक्तहीन क्रांति/जन आन्दोलन का आह्वान .*
*4.कार्यक्रम.*
*नियमित कार्यक्रम-मूलनिवासी मेला, राज्य अधिवेशन, जिला अधिवेशन, राष्ट्रीय अधिवेशन, बोडी बैठके राष्ट्रीय समस्याओ को मुद्दा बनाकर उन विषयो पर चर्चा व निष्कर्ष ...*
*जयंतिया-करुणामयी माता रमाबाई अंबेडकर, शिक्षामाता सावित्रीबाई फुले, राजमाता जीजाबाई, राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले, विश्व रत्न डॉ.अंबेडकर, जननायक बिरसा मुंडा, राजर्षि छत्रपति शाहू जी महाराज ...स्मृति दिवस-6 दिसंबर, 28 नवंबर सभी जन्म जयन्तियों का एक दिनसीय कार्यक्रम.*
*ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित कार्यक्रम-1 जनवरी, 26 जनवरी, 26 नवंबर, सत्यशोधक समाज स्थापना दिवस, सम्राट अशोक विजयदशमी, मनुस्मृति दहन दिवस, विश्व मूलनिवासी दिवस आदि.*
*अन्य उपरोक्त कार्यक्रम की सफलता व जन जागरण हेतु कॉर्नर बैठकें, संपर्क अभियान, रैली आदि.*
*5.अनुशासन-स्वअनुशासन.*
*6. ज्वलनशील मुद्दों जैसे ओबीसी जनगणना ईवीएम हटाओ आदि आदि पर धरना प्रदर्शन , रैली महारैली, भारत बंद व संध मुख्यालय का घेराव के सफलतम आयोजन करना. सदस्य-एससी एसटी ओबीसी व इनसे कन्वर्टेड एमसी.*
*8.फ्रेमवर्क-पूरा भारत व विश्व स्तर पर भी प्रचार.*
*अन्य पैरामीटर 👇*
1.मुखपत्र/मिडिया-6 भाषाओं में मुखपत्र मूलनिवासी टाइम्स
2.प्रकाशन व साहित्य- चार दर्जन पुस्तकें प्रकाशित
3.केंद्रीय कार्यालय-दिल्ली
4.रिसर्च सेंटर-नागपुर, महाराष्ट्र
5.प्रशिक्षण व्यवस्था-समय-समय पर कैडर कैंप
6.सहायक विंग्स-मूलनिवासी विद्यार्थी संघ, मूलनिवासी कर्मचारी कल्याण महासंघ, मूलनिवासी संघ, बीवीएफ....
7.प्रेस-प्रस्तावित
8.बेस-कैडर बेस
*निष्कर्ष 👇*
*उपरोक्त बिंदुओं पर बामसेफ संगठन (एवं बामसेफ की विंग) ही खरा उतरता है, अतः....*
*JOIN BAMCEF.*
*जय मूलनिवासी 🙏.
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