Teekhar

Teekhar हिन्दी साहित्य का नया शिल्पकार
(24)

उसने सीखा था,सब कुछ स्वीकार कर लेनाअपनी नियति मानकर ईश्वर जो करता है, अच्छा करता हैईश्वर सत्ता हैऔरसत्ता से सवाल नहीं कि...
08/06/2024

उसने सीखा था,
सब कुछ स्वीकार कर लेना
अपनी नियति मानकर
ईश्वर जो करता है, अच्छा करता है
ईश्वर सत्ता है
और
सत्ता से सवाल नहीं किया जाता
सत्ता पर संदेह नहीं किया जाता
सवाल न किये जाने पर
संदेह न किये जाने पर
सत्ता
ईश्वर हो जाती है।

●●●
आयुष्मान |

वह भाषा जो तुमने शत्रुओं के लिए रचीतुम तक लौटकर आएगी एक दिनसावधान रहो उस घृणा सेजो तुम्हारे भीतर उफनती है किसी और के लिए...
08/06/2024

वह भाषा जो तुमने शत्रुओं के लिए रची
तुम तक लौटकर आएगी एक दिन
सावधान रहो उस घृणा से
जो तुम्हारे भीतर उफनती है
किसी और के लिए

पत्थर पीटते-पीटते
आदमी कब पत्थर हो जाता है
पता नहीं चलता।

●●●
पराग पावन |

05/05/2024

कभी कभी कोई याद
कोई बहुत पुरानी याद
दिल के दरवाज़े पर
ऐसे दस्तक देती है
शाम को जैसे तारा निकले
सुब्ह को जैसे फूल
जैसे धीरे धीरे ज़मीं पर
रौशनियों का नुज़ूल
जैसे रूह की प्यास बुझाने
उतरे कोई रसूल
जैसे रोते रोते अचानक
हँस दे कोई मलूल
कभी कभी कोई याद कोई बहुत पुरानी याद
दिल के दरवाज़े पर ऐसे दस्तक देती है

●●●
उबैदुल्लाह अलीम |

दोष तुम्हारा नहीं-हमारा हैजो हमने तुम्हें इंद्रासन दिया;देश का शासन दिया;तुम्हारे यश के प्रार्थी हुए हम;तुम्हारी कृपा के...
16/04/2024

दोष तुम्हारा नहीं-हमारा है
जो हमने तुम्हें इंद्रासन दिया;
देश का शासन दिया;
तुम्हारे यश के प्रार्थी हुए हम;
तुम्हारी कृपा के शरणार्थी हुए हम;
और असमर्थ हैं हम
कि उतार दें तुम्हें
इंद्रासन से-देश के शासन से,
अब जब तुम व्यर्थ हो चुके हो-
अपना यश खो चुके हो!
●●●
केदारनाथ अग्रवाल |

नागरिक!इतिहास के बहानेएक कवि आपसे आपके वर्तमान की बात करना चाहता है।●●●कुमार अम्बुज  |                                  ...
15/04/2024

नागरिक!
इतिहास के बहाने
एक कवि आपसे
आपके वर्तमान की बात
करना चाहता है।
●●●
कुमार अम्बुज |

मैं तुम्हें नेपथ्य में नहीं रखूँगाना किसी भ्रम मेंमैं तुम्हें दुलारुँगाअपनी बेटियों की तरहतुम्हारे केशों की खुशबू मेंमाद...
15/04/2024

मैं तुम्हें नेपथ्य में नहीं रखूँगा
ना किसी भ्रम में
मैं तुम्हें दुलारुँगा
अपनी बेटियों की तरह

तुम्हारे केशों की खुशबू में
मादकता है
तुम्हारे पैरों के नीचे की धरती
नशा करती है
तुम्हें पता है
प्रेम और प्रतिक्षाएँ एक साथ
जन्म लेती हैं

जो प्रतिक्षाओं में जीते हैं
जो किसी के आने या जाने
या मिलने कि प्रतिक्षाओं से पीड़ित हैं
वो विश्व के सबसे शांत लोग है
उन्हें युद्धों से कोई मतलब नहीं है
उन्हें मतलब होता है
जो युद्धों से लौटकर नहीं आए उनसे
वो बंदूकों से इतर
किताबें पकड़ना ज्यादा पसंद करते हैं।
किसी तोप या गोले दागने से
बेहतर लगता है
किसी व्यस्त चौराहे पर जाकर
वॉयलन बजाया जाए
गीत गाया जाए

ओह ! प्रिय
आओ गले लगाओ
जीओ मुझे, मेरी साँसे छुओ
मुझसे रुठो, मुझे मनाओ
आओ गले लगाओ
प्रतिक्षाओं की मार का अर्थ
गहरा है
इतना गहरा जितना वो कुँआ है
जेठ के महीने में
जो गाँव के सबसे व्यस्त चौराहे पे है
लेकिन एक दिन बारिश आऐगी
जलस्तर बढेगा
कुँआ उपर तक जलमग्न होगा
उस दिन एक नंगी , भीगी हुई सड़क पर
तुम आओगी
श्वेत चमकते दमकते बिंदु सी
मेरी पीड़ाओं को हरने के लिए
और हमारे भीगे बदन
गले मिलेंगे
तुम हौले से मेरे कान में कहोगी
प्रेम कभी विदा नहीं ले सकता
वो मुड़कर आता है
जेठ में ना सही तो
किसी साल के
चौमासे की बारिश में।
●●●
राकेश मलिक |

यह कैसी दुनिया हैजहां घर की दीवारें परकोटे सी हैंपिता स्वप्न हंताऔर मां सिर्फ़ तमाशबीनजिसे दरख़्त को खाद-पानी देना हैवही...
14/04/2024

यह कैसी दुनिया है
जहां घर की दीवारें परकोटे सी हैं
पिता स्वप्न हंता
और मां सिर्फ़ तमाशबीन
जिसे दरख़्त को खाद-पानी देना है
वही जड़ पर कुल्हाड़ी चलाता है
रुंधे स्वर में पिता कराहते
और मानते कि ईश्वर कहीं तो है
जबकि दोनों के विश्वास में
ईश्वर का चेहरा हमेशा अलग रहा
छल-प्रपंच से भरी इस दुनिया में
परम्परा से भिन्न सोचती स्त्री एक आखेट है
उसे इल्म तक नहीं कि हर जगह
वह ताक़तवर और चालाक शिकारियों से घिरी है।
●●●
यतीश कुमार |

चमन से ख़ुशबुओं का इस्तिआ'रा ले गया कोईहमारे गुल्सिताँ से रंग सारा ले गया कोईहमें जो राह दिखलाता था जीवन के अँधेरों मेंह...
11/04/2024

चमन से ख़ुशबुओं का इस्तिआ'रा ले गया कोई
हमारे गुल्सिताँ से रंग सारा ले गया कोई

हमें जो राह दिखलाता था जीवन के अँधेरों में
हमारे आसमाँ से वो सितारा ले गया कोई

बहुत वीरान रहता है फ़लक आँखों का ये जब से
चुरा कर उस से उस का माह-पारा ले गया कोई

भला अब ज़िंदगी में देखने को क्या रहा बाक़ी
जो भाता था हमें वो हर नज़ारा ले गया कोई

लगेगी पार कैसे नाव अब ये ख़ुदा जाने
उसे मंजधार में रख कर किनारा ले गया कोई

बदल देता था जो मेंडक को इक राजा की सूरत में
जहाँ से अब वो जादू का पिटारा ले गया कोई

दिल-ए-बेताब को 'मधुमन' क़रार आए भी तो कैसे
सुकूँ तो छीन कर हम से हमारा ले गया कोई

●●●
मधु मधुमन |

उस वक़्त भगत सिंह जेल में बंद थे, एक बार पंजाब के नेता 'भीमसेन सच्चर' ने उनसे पूंछा था -"आप और आपके साथियों ने लाहौर षड्य...
23/03/2024

उस वक़्त भगत सिंह जेल में बंद थे, एक बार पंजाब के नेता 'भीमसेन सच्चर' ने उनसे पूंछा था -
"आप और आपके साथियों ने लाहौर षड्यंत्र केस में अपना बचाव क्यों नही किया?"

भगत सिंह का जवाब था- "इन्कलबियों को मरना ही होता है, क्योंकि उनके मरने से ही उनका अभियान मज़बूत होता है, अदालत में अपील से से नही।"

भारत माता के अमर सपूतों के शहीद दिवस पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कोटिशः नमन।

#शहीद_दिवस

साल का आखिरी दिन.. बताइए किन मामलों में ख़ास रहा ? या फिर साधारण ही रहा ?
31/12/2023

साल का आखिरी दिन.. बताइए किन मामलों में ख़ास रहा ? या फिर साधारण ही रहा ?

12/12/2023

टूट जाने पर चीज़ें पहले-सी नहीं रहतीं

बहुत संभाल कर थामो
यह देश है
बोनचाईना का कोई टी सेट नहीं

कि टूट कर बिख़र गया और
हम बस शोक मना कर रह गये।

●●●
अनिला राखेचा |

08/12/2023

हो काल गति से परे चिरंतन,
अभी यहाँ थे अभी यहीं हो।
कभी धरा पर कभी गगन में,
कभी कहाँ थे कभी कहीं हो।

तुम्हारी राधा को भान है तुम,
सकल चराचर में हो समाये।
बस एक मेरा है भाग्य मोहन,
कि जिसमें होकर भी तुम नहीं हो।
न द्वारका में मिलें बिराजे,
बिरज की गलियों में भी नहीं हो।
न योगियों के हो ध्यान में तुम,
अहम जड़े ज्ञान में नहीं हो।

तुम्हें ये जग ढूँढता है मोहन,
मगर इसे ये खबर नहीं है।
बस एक मेरा है भाग्य मोहन,
अगर कहीं हो तो तुम यहीं हो।

●●●
कुमार विश्वास |

प्रेम हर वर्जना तोड़कर, मुझे छूना चाहता है मेरे शरीर के हर रहस्य से परिचित कराता प्रेम देखना चाहता है मुझे भीगते हुए कि ब...
26/11/2023

प्रेम हर वर्जना तोड़कर, मुझे छूना चाहता है
मेरे शरीर के हर रहस्य से परिचित कराता प्रेम
देखना चाहता है मुझे भीगते हुए
कि बारिश मुझे बहुत पसंद है,
ये मुझसे ज्यादा उसे पता है
वो मंद से तार सप्तक के हर सुर छेड़ता है
और मैं उसकी लय में गुनगुनाती हूँ
हाँ प्रेम मुझे हर बार अचंभित करता है
कि मेरे अंदर बचा जीवन आज भी उतना ही सुंदर है
जैसे बारिश के बाद भीगी सुबह
जैसे पहाड़ों पर खिली धूप
जैसे मरुस्थल में मिला जलप्रपात
पर जैसे मौसम रूठते हैं
नदियाँ सूखती हैं
पहाड़ दरकते हैं
प्रेम भी गुजरता है विभिन्न अवस्थाओं से
सूखा, रूठा, दरका हुआ
बस कभी ख़त्म नहीं होता
वो फिर से बरसता है
मुझे बताने को कि बारिश मुझे बहुत पसंद है।

●●●
पल्लवी विनोद | जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं

असत्य अधिक आकर्षक होता है। ●●●जयशंकर प्रसाद |
04/11/2023

असत्य अधिक आकर्षक होता है।
●●●
जयशंकर प्रसाद |

मैं इसलिए दुखी नहीं हूँ कि तुमने मुझसे झूठ बोला, मैं इसलिए दुखी हूँ कि अब मैं तुम पर विश्वास नहीं कर सकता।●●●फ्रेडरिक नी...
20/10/2023

मैं इसलिए दुखी नहीं हूँ कि तुमने मुझसे झूठ बोला, मैं इसलिए दुखी हूँ कि अब मैं तुम पर विश्वास नहीं कर सकता।

●●●
फ्रेडरिक नीत्शे |

"जब हम अपनी निजता को स्वीकारते हैं तब फ़ैसले समझदारी से होते हैं।"•••विजयश्री तनवीर | जन्मदिन की शुभकामनाएं     #तीखर    ...
11/10/2023

"जब हम अपनी निजता को स्वीकारते हैं तब फ़ैसले समझदारी से होते हैं।"

•••
विजयश्री तनवीर | जन्मदिन की शुभकामनाएं

#तीखर

07/10/2023

क्या ज़रूरी है कि यह मालूम ही हो लक्ष्य क्या है?
अनवरत संघर्षरत इस ज़िंदगी का पक्ष क्या है?

क्या बुरा है मान लूँ यदि
चाल का संपूर्ण आकर्षण अनिश्चित मार्ग
जिसका अंत है शायद
कहीं भी,
या कहीं भी नहीं।

दृष्टि में आलोक इंगित, एक तारा,
ग़ैर राहों में भटकता एक बंजारा,
समझ लूँ शान से
हर क्षण हमारा घर
कहीं भी
या कहीं भी नहीं।

क्या बुरा है यदि किसी क्षण से अचानक
प्रस्फुटित हो एक प्रगल्भ बहार-सा मूर्छित वनों में
पुनः अपने बीज के भवितव्य ही तक लौट आऊँ...
और अगला क़दम हो मेरा उठाया क्रम

कहीं भी,
या कहीं भी नहीं।

●●●
कुँवर नारायण |

बाँसुरी के इतिहास मेंउन कीड़ों का कोई ज़िक्र नहींजिन्होंने भूख मिटाने के लिएबाँसों में छेद कर दिए थे। कीड़ों को तो पता ह...
28/09/2023

बाँसुरी के इतिहास में
उन कीड़ों का कोई ज़िक्र नहीं
जिन्होंने भूख मिटाने के लिए
बाँसों में छेद कर दिए थे।

कीड़ों को तो पता ही नहीं था
कि वे संगीत के इतिहास में हस्तक्षेप
कर रहे हैं..

●●●
नरेश सक्सेना |

#तीखर

आपको अपना अपमान सहने की कला आनी चाहिए।●●●सरदार पटेल   |     #तीखर
28/09/2023

आपको अपना अपमान सहने की कला आनी चाहिए।

●●●
सरदार पटेल |

#तीखर

वक़्त ख़ुश ख़ुश काटने का मशवरा देते हुए रो पड़ा वो आप मुझ को हौसला देते हुए ●●●रियाज़ मजीद  |    #तीखर                  ...
27/09/2023

वक़्त ख़ुश ख़ुश काटने का मशवरा देते हुए
रो पड़ा वो आप मुझ को हौसला देते हुए

●●●
रियाज़ मजीद |

#तीखर

प्यारे पाठकों,अब आप तीखर द्वारा प्रकाशित रचनाएं, पोस्टर एवं वीडियोज़ सीधे अपने व्हाट्सएप पर प्राप्त कर सकते हैं। कृपया ती...
27/09/2023

प्यारे पाठकों,

अब आप तीखर द्वारा प्रकाशित रचनाएं, पोस्टर एवं वीडियोज़ सीधे अपने व्हाट्सएप पर प्राप्त कर सकते हैं। कृपया तीखर के व्हाट्सएप चैनल से जुड़ें।
चैनल से जुड़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें -
https://whatsapp.com/channel/0029Va5wXp2FMqrTK5U2Xc18

प्रेम की पीड़ा गहरी होती है,पर गरीब की पीड़ा उससे भी गहरी होती है। ●●●शरद जोशी  |    #तीखर                              ...
27/09/2023

प्रेम की पीड़ा गहरी होती है,
पर गरीब की पीड़ा उससे भी गहरी होती है।

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शरद जोशी |

#तीखर

किसी के चरित्र के बारे में बात करते हुए ये सोचना चाहिए कि क्या प्यार किसी इंसान के लिए मददगार साबित हुआ है? इसका जवाब मै...
27/09/2023

किसी के चरित्र के बारे में बात करते हुए ये सोचना चाहिए कि क्या प्यार किसी इंसान के लिए मददगार साबित हुआ है? इसका जवाब मैं आज देता हूँ।

"जहाँ तक प्यार के नैतिक स्तर का सम्बंध है मैं ये कह सकता हूँ ये अपने मे एक भावना से अधिक कुछ भी नही और ये पशुवृत्ति नही है बल्कि मधुर मानवीय भावना है, प्यार सदैव मानव चरित्र को ऊँचा करता है कभी भी नीचा नही दिखाता बशर्ते कि प्यार प्यार हो, इनलड़कियों-प्रेमिकाओं को कभी भी पागल नही कहा जा सकता जैसा की हम फिल्मों में देखते है, वे सदैव पाशविक वृत्ति के हाँथो में खेलती रहती है, सच्चा प्यार कभी भी सृजित नही किया जा सकता ये अपने आप ही आता है, कब कोई नही कह सकता, मैं ये कह सकता हूँ की नौजवान युवक-युवती आपस मे प्यार कर सकते है और वे अपने प्यार के सहारे अपने आवेगों से ऊपर उठ सकते है अपनी पवित्रता कायम रख सकते है, मैं यहाँ स्पष्ट कर देना चाहता हूँ जब मैंने प्यार को मानवीय कमजोरी कहा था तो ये किसी सामान्य व्यक्ति को लेकर नही था जहाँ तक की बौद्धिक स्तर पर सामान्य व्यक्ति होते है और वे सबसे उच्च आदर्श स्थिति होगी जब मनुष्य प्यार, घृणा और अन्य सभी भावनाओं पर नियंत्रण पा लेगा, जब मनुष्य कर्म के आधार पर अपना पक्ष अपनाएगा, एक व्यक्ति की दूसरे व्यक्ति से प्यार की मैंने निंदा की है वो भी एक आदर्श स्थिति होने पर मनुष्य के पास प्यार की एक गहरी भावना होनी चाहिए जिससे वो एक व्यक्ति विशेष तक सीमित न कर के सर्वव्यापी बना देने, मेरे विचार से मैंने अपने पक्ष को काफी स्पष्ट कर दिया है, हाँ एक बात तुम्हे मैं खासतौर पर बताना चाहता हूँ कि बावजूद क्रांतिकारी विचारों के हम नैतिकता सम्बन्धी सभी सामाजिक धारणाओं को नही अपना सके, क्रांतिकारी बातें कर के इस कमजोरी को बहुत सरलता से छिपाया जा सकता है लेकिन वास्तविक जीवन में हम तुरन्त ही थर-थर काँपना शुरू कर देते हैं, मैं तुमसे अर्ज करूँगा की ये कमजोरी त्याग दो, अपने मन मे बिना कोई गलत भावना लाये अत्यंत नम्रतापूर्वक क्या मैं तुमसे आग्रह कर सकता हूँ कि तुम में जो अतिआदर्शवाद उसे थोड़ा-सा कम कर दो।"

"जो पीछे रहेंगे और मेरी जैसी बीमारी का शिकार होंगे उनसे बेरुखी का व्यवहार न करना, झिड़ककर उनके दुःख-दर्दों को न बढ़ाना क्योंकि उनको तुम्हारी हमदर्दी की जरूरत है, क्या मैं ये आशा रखूँ कि तुम किसी विशेष व्यक्ति के प्रति खुंदक रखने के बजाय उनसे हमदर्दी रखोगे उनको इसकी बहुत जरूरत है तुम तब तक इन बातों को नही समझ सकते जब तक कि स्वयं इस चीज़ का शिकार न बनो लेकिन मैं यहाँ सब कुछ क्यों लिख रहा हूँ दरअसल मैं अपनी बातें स्पष्ट तौर पर कहना चाहता हूँ मैंने अपना दिल खोल दिया है।"

तुम्हारा
भगत सिंह

(यह पत्र भगत सिंह ने अपने मित्र सुखदेव को लिखा था)

#जन्मदिवस_विशेष

ज़िंदगी को उसकी शक्ल में पेश करना चाहिए जैसी कि वह है, न कि वह जैसी थी या जैसी होगी और या जैसी होनी चाहिए।●●●सआदत हसन मं...
26/09/2023

ज़िंदगी को उसकी शक्ल में पेश करना चाहिए जैसी कि वह है, न कि वह जैसी थी या जैसी होगी और या जैसी होनी चाहिए।

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सआदत हसन मंटो |

#तीखर

कितनी छोटी बातों में कितने बड़े मतलब छुपे होते हैं जैसे -एक छोटे से बीज में एक विशाल बरगद!●●●मुदित श्रीवास्तव  |    #तीख...
26/09/2023

कितनी छोटी बातों में
कितने बड़े मतलब छुपे होते हैं
जैसे -
एक छोटे से बीज में
एक विशाल बरगद!

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मुदित श्रीवास्तव |

#तीखर

अंधेरे ने आज तक कभी किसी प्रकाश को नहीं बुझाया। मिट्टी के एक छोटे से दीये में भी उतनी ताकत है कि सारे जगत का अंधकार मिलक...
25/09/2023

अंधेरे ने आज तक कभी किसी प्रकाश को नहीं बुझाया। मिट्टी के एक छोटे से दीये में भी उतनी ताकत है कि सारे जगत का अंधकार मिलकर भी उसे नहीं बुझा सकता।

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ओशो |

#तीखर

जनता क्या है?एक भेड़ है! जो दूसरों की ठंड के लिएअपनी पीठ परऊन की फसल ढो रही है। ●●●धूमिल  |     #तीखर                   ...
25/09/2023

जनता क्या है?
एक भेड़ है!
जो दूसरों की ठंड के लिए
अपनी पीठ पर
ऊन की फसल ढो रही है।

●●●
धूमिल |

#तीखर

पुरुष प्रेम सतत करता है, पर, प्रायः, थोड़ा-थोड़ा,नारी प्रेम बहुत करती है, सच है, लेकिन, कभी-कभी।●●●रामधारी सिंह 'दिनकर' ...
23/09/2023

पुरुष प्रेम सतत करता है, पर, प्रायः, थोड़ा-थोड़ा,
नारी प्रेम बहुत करती है, सच है, लेकिन, कभी-कभी।

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रामधारी सिंह 'दिनकर' | #जन्मजयँती |

#तीखर

मनुष्य बड़ा ढोंगी जीव है। वह दूसरों को वही सिखाने का उद्योग करता है, जिसे वह स्वयं कभी भी नहीं समझता।●●●जयशंकर प्रसाद  |...
22/09/2023

मनुष्य बड़ा ढोंगी जीव है। वह दूसरों को वही सिखाने का उद्योग करता है, जिसे वह स्वयं कभी भी नहीं समझता।

●●●
जयशंकर प्रसाद |

#तीखर

घर की शादी में सबसे सस्ते कपड़े सिर्फ़ पिता के होते हैं।●●●
21/09/2023

घर की शादी में सबसे सस्ते कपड़े सिर्फ़ पिता के होते हैं।
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