18/09/2022
गरीबी के गुलाबजामुन।
एक व्हाट्सएप मैसेज पढ़ा कि, श्री गौतम अडानी के विश्व के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति बन जाने पर हम खुशी व्यक्त नहीं कर रहे। यह बात वाकई काबिल ऐ गौर है। किसी साधारण खेल स्पर्धा में भी पदक मिलने पर हम गौरवान्वित महसूस करते हैं, पर जो दुनिया की सबसे बड़ी स्पर्धा है, यानी पैसे कमाने की स्पर्धा। उसमें हमारा एक व्यक्ति रजत पदक लाया, लेकिन सबको सांप सूंघ गया है।
दरअसल हम भारतीयों की विचारधारा बहुत गड्डमड्ड है, हमें समझ नहीं आता कि अपनी धारणाएं किस आधार पर विकसित करें। कुछ प्राचीन ज्ञान, कुछ सामाजिक मान्यताएं, थोड़ा साम्यवाद, थोड़ा समाजवाद, कुछ भक्तिभाव और बाकी लोकतंत्र मिलाकर जो खिचड़ी बनती है, वह हमारी वैचारिक दशा और दिशा तय करती है।
हम अमीर विरोधी लोग हैं, जैसे ही कोई हमारे बीच से उठकर पैसा कमाना शुरू करता है, वैसे ही आसपास के लोग उससे विचित्र व्यवहार करने लगते हैं। भले ही उस बेचारे ने किसी का एक भी रुपया ना मारा हो, पर अचानक वह खलनायक बन जाता है। हम अपने निकम्मेपन और असफलता को गरीबी के गुलाबजामुन कहकर निर्लज्ज आत्ममुग्धता का प्रदर्शन करने लगते हैं।
अमीरों के प्रति हमारा रवैया अनावश्यक कटुता से भरा होता है। हमारा मानना है कि इंसान अमीर बना है, तो जरूर गड़बड़ की होगी। जबकि सब जानते हैं कि, व्यापार व्यावहारिकता पर चलता है। पूर्ण आदर्शवाद से कोई अरबपति नहीं बनता, हां उसे कानून नहीं तोड़ना चाहिए, लेकिन सिद्धांत और संपत्ति एक दूसरे के प्रतिकूल होते हैं, यह हमें याद रखना होगा।
आप सोशल मीडिया पर गौर करें, तो ढेरों लोग अंबानी अडानी की निंदा करते मिलते हैं। लेकिन वही लोग जैफ बेजॉस, बिल गेट्स या एलॉन मस्क जैसे विदेशी अरबपतियों के गुणगान करते नहीं थकते। हमारे अंदर की गुलामी हमें स्वीकार नहीं करने देती, कि कोई भारतीय भी इनकी नाक नीची कर सकता है। चीनी व्यक्ति अरबपति बन जाए तो चलता है, जबकि वह पूरा देश ही नकल और पेटेंट चोरी का विशेषज्ञ है।
हम अमीरों से अपेक्षा करेंगे भी, तो बस यही कि, वे हमे मुफ्त या सस्ती सुविधाएं दें और जो पैसा कमाया है उसे दान कर दें। भले ही हम खुद अपनी कमाई का अंशमात्र भी दान नहीं करते हों, पर उनको करना चाहिए, क्योंकि भगवान ने इतना दिया है भाई। भगवान किसी को पैसे नहीं देते, वे सिर्फ योग बनाते हैं, धन मनुष्य अपनी युक्ति व बुद्धि से कमाता है। हमें अमीरों से धन की नहीं बल्कि रोजगार देने, टैक्स भरने एवं आर्थिक तरक्की का माहौल बनाने की अपेक्षा करनी चाहिए।
वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में बड़ी कंपनियां किसी भी देश की ताकत होती हैं। जब चीन की कंपनियों से मुकाबला होगा, तो हमारे सरकारी निगम ये काम नहीं कर पाएंगे। इसके लिए चाहिए अंबानी, अडानी, टाटा, महिंद्रा जैसे निजी क्षेत्र के प्रोफेशनल और प्रशिक्षित लोग, जो मिशन की तरह काम करें और नवोन्मेषी हों। अगर बजाज अपनी मोटरसाइकिल के दम पर अफ्रीका के बाजारों से चीनी कंपनियों को बाहर कर सकता है, तो अन्य भारतीय कंपनियां भी ये काम कर सकती हैं।
समय है कि हम अपनी सोच बदलें, बड़े व्यापारी लुटेरे नहीं होते। वे मेहनती, स्मार्ट और तेजतर्रार लोग होते हैं, जो साधनों और अवसरों का बेहतर उपयोग कर जिंदगी की रेस में आगे दौड़ते हैं। अगर विश्व के शीर्ष धनिको में आज दो नाम भारत के हैं, तो यह गर्व करने की बात है। छोटा हो या बड़ा हर व्यापारी अथवा प्रोफेशनल को श्री गौतम अडानी से सीखने की जरूरत है, उन्होंने शून्य से शिखर तक का सफर तय किया है। मेरी तरफ से उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं ,वे जल्द से जल्द नंबर एक की पदवी हासिल करें और देश का गौरव बढ़ाएं।
साभार।