bhojpuri masti and hindi shayari

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04/01/2024
25/12/2023

Good night friends

Good night all friends
15/12/2023

Good night all friends

युवा दिलो कि धडकन गरीबो के मसीहा स्वर्गीय पुर्व सासंद भालचन्द यादव के छोटे पुत्र बढे भईया सुबोधचन्द यादव जी को जन्मदिन क...
10/12/2023

युवा दिलो कि धडकन गरीबो के मसीहा स्वर्गीय पुर्व सासंद भालचन्द यादव के छोटे पुत्र बढे भईया सुबोधचन्द यादव जी को जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई

मिल जाएगी मंज़िल भटकते भटकते,गुमराह तो वो है जो घर से निकले ही नहीं.!!
09/12/2023

मिल जाएगी मंज़िल भटकते भटकते,
गुमराह तो वो है जो घर से निकले ही नहीं.!!

26/11/2023

Good night all freind

15/10/2023

Fouji bhai ka super dance वीडीयो पुरा देखे मजा आ जायेगा😜😜😄

30/09/2023

बहुत सेक्सी डान्स है कृपया लास्ट तक देखे please follow kare jyada se jyada log
🤣🤣

@फ़ॉलोअर्स @हाइलाइट

25/09/2023

Thanku friend

01/06/2023

कुछ लड़के समय से पहले ही मर्द बन जाते है

यह घर से निकले हुए लौंडे है साहब, घर से निकले हुए लौंडे है ये, यह साले रोते नहीं हैं बस कमाते हैं रुकते नहीं है बस दौड़ते हैं साला इतना दौड़ते हैं इतना कमाते हैं कि साला इनके पास कुछ बचता ही नहीं है,₹20 के हवाई चप्पल से 4000 के बाद तक का सफर बाटा के जूते तक का सफर और फिर भी अपने गांव अपने वतन अपने घर लौटने के बाद गमछा और लुंगी पर ज़िंदा रहने वाले ये लौंडे है साहब।

काश आपको समझा पाता कि घर से दूर रहना क्या होता है
गलियों के नवाब परदेश में मजदूर बन कर रह जाते है
हीरो वाली २४ इंच की साइकिल से चलने वाले लौंडे पल्सर १५० पर भी तन्हा हो जाते है

पर्व और त्योहारों में जब घर पर तरह तरह के पकवान बनते हैं तो दाल भात चोखा खाकर ,मां से झूठ बोल कर उसे पूरी सब्जी का नाम देकर रह जाते है उम्र के इस मोड़ पर अचानक से लड़के बड़े हो जाते है , छोटी बहनों से लड़ना छोड़ उनकी शादी के लिए पैसे इक्कठा करने लगते है ,
लौंडे से लड़का रूपी मर्द बनना इतना भी आसान कहा है यारा , घर के चिराग परदेश में रूम नंबर के आधार पर पहचाने जाते है चार तरह की सब्जी खाने वाले लौंडे लड़के परदेश आते ही मैग्गी चावल पर ज़िंदा रहना सीख जाते है

घर से दूर अक्सर लौंडे अपने गांव का घर बनाने का सपना देखने लगते हैं
उस पुराने घर की ईट उस घर का सीमेंट उस घर का छड़ ,एकड़ में फैली ज़मीन की चिंता इन्हे होने लगती है धिरे धिरे ये गांव से दूर होते जाते है धिरे धिरे एकड़ से जमीन बीघा में और बीघा से डिसमिल में ,साला पता ही नही चलता है कि किलोमिटर तक चलने वाले लौंडे कब 10*10 के कमरे में सिमट कर रह जाते है एक एकड़ में कितने बीघे होते है एक बीघा में कितने कट्ठे होते हैं एक कट्ठा में कितने डिसमिल होते हैं एक डिसमिल में कितना स्क्वायर फिट होता है और एक एक स्क्वायर फीट में हजारों सपने जोड़ने वाले वह लड़के परदेश में 10 बाई 10 में के रूम में सिगरेट के धुए के तले अपना त्यौहार मना लेते हैं

गांव का वह आम का पेड़ त्रिलोकी चाचा का दलाल सुमारू का चौपाल कलावती चाची के हाथ का चटनी,माई का खाना,बाबू जी का चप्पल नुक्कड़ की चाय की दुकान को ये लौंडे परदेश में आजकल बड़े-बड़े मॉलों में खोजते हुए नजर आते हैं वह लौंडे आज कल मॉल में जाकर भी तंहा रह जाते हैं कुछ कर गुजरने की चाहत आंखों में न जाने कितने सपने कितने अरमान जगाती इनकी आंखे अचानक से परिवार की जरूरत बन जाती है 24 घंटे बहनों और छोटे भाइयों से लड़ने वाले लौंडे अचानक से संजीदा हो जाते हैं। छोटे भाई बहनों के लिए महंगे महंगे फोन खरीदने वाले लौंडे खुद के लिए सदा मोबाइलसेट पर खुश हो जाया करते हैं यह कहकर इस का बैटरी बैकअप अच्छा है

खुद के लिए बुलेट खरीदने से पहले बाबू जी के ज़मीन पर लिया हुआ कर्जा याद करने लगते है मां बाप बहन भाई के लिए महंगा कपड़ा खरीदने के बाद अपने लिए फुटफ़ाट का रास्ता अपना लेते है हजारों किलोमीटर दूर लौंडे फिर से त्योहारों में अकेले हो जाते हैं

हजारों किलोमीटर दूर अपनों के लिए रहने वाले हैं लौंडे फिर से त्योहारों में तन्हा हो जाते हैं कभी-कभी जी चाहता है इन लौंडो का कि बंद कमरे में बहुत तेज रो लेे, लेकिन बचपन कि वो नसियत की लड़कियां रोती है जो मां ने दी थी इन लौंडो को चुप करा देती है और फिर वो वह घुटन वह दर्द न जाने कितने सालों तक इन्हें रुलाता रहता है

ये लौंडे है ये रोते नहीं है बस महसूस करते है कि शायद अगला छठ गला दिवाली अगला राखी अगला होली घर पर हो

कोई पर्व त्योहार नही है बे बस गांव की याद आ रही थी

चलो बे अब चलते है ऑफिस में बहुत काम था आज,बहुत थक गए है

©अंकित

13/11/2022

फ़िज़ा में ज़हर भरा है जरा संभल कर चलो,
मुखालिफ आज हवा है जरा संभल कर चलो,
कोई देखे न देखे बुराइयां अपनी,
खुदा तो देख रहा है जरा संभल कर चलो।

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