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भारतीय संस्कृति का मूलमंत्र है आपसी भाईचारा, प्रेम और सद्भावना : चंद्र भूषण पाण्डेय - सामाजिक सौहार्द, भाईचारे और गौरवशा...
12/03/2025

भारतीय संस्कृति का मूलमंत्र है आपसी भाईचारा, प्रेम और सद्भावना : चंद्र भूषण पाण्डेय

- सामाजिक सौहार्द, भाईचारे और गौरवशाली भारतीय संस्कृति का प्रतीक है होली : चंद्र भूषण पाण्डेय

- खंड शिक्षा अधिकारी संग छात्रों ने मनाया रंगों का त्योहार

- कंपोजिट विद्यालय भिटौली में मनाया गया होलीकोत्सव

महराजगंज
महराजगंज जनपद के घुघली क्षेत्र के कंपोजिट विद्यालय भिटौली में बुधवार को होलीकोत्सव का आयोजन हर्षोल्लास के साथ किया गया। विद्यालय के छात्र- छात्राओं, शिक्षकों और बीईओ चंद्र भूषण पाण्डेय ने एक साथ मिलकर होली के रंगों में सराबोर होकर भारतीय संस्कृति का त्योहार होलिकोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया।

इस अवसर पर बच्चों को होली त्योहार के महत्ता के बारे में बीईओ चंद्र भूषण पाण्डेय ने कहा कि होली न केवल रंगों का त्योहार है, बल्कि यह सामाजिक सौहार्द, आपसी भाईचारे और भारतीय संस्कृति के गौरव का प्रतीक भी है। उन्होंने कहा कि इस पर्व का उद्देश्य समाज में प्रेम और सद्भावना बनाए रखना है। हमें होली पर सामाजिक एकता और सद्भाव का संदेश देना चाहिए, ताकि समाज में खुशहाली बनी रहे। यही भारतीय संस्कृति और सनातन का मूल है। उन्होनें कार्यक्रम में छात्राओं को होली पर्व के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत, प्रेम और आपसी भाईचारे को बढ़ावा देने का संदेश देता है।

विद्यालय का प्रभारी प्रधानाध्यापिका श्रीमती पारोमिता विश्वास ने बच्चों को होली से जुड़ी पौराणिक कथाएं सुनाईं, जिसमें भक्त प्रह्लाद और होलिका दहन की कथा प्रमुख थी। उन्होंने बताया कि यह पर्व हमें अच्छाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

- सांस्कृतिक कार्यक्रम में बच्चों ने गुलाल लगाकर दी होली की शुभकामनाएं

कार्यक्रम के दौरान बच्चों ने रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं। उन्होंने होली से जुड़ी पारंपरिक लोकगीत गाए और नृत्य संगीत प्रस्तुत किया। बच्चों ने गुलाल से एक-दूसरे को रंग लगाकर होली की शुभकामनाएं बधाई दी। शिक्षक शिवेन्द्र कुमार रौनियार ने बच्चों को पर्यावरण अनुकूल होली मनाने तथा आपसी सौहार्द बनाये रखने की प्रेरणा दी।

इस अवसर पर विद्यालय की रसोईया, बच्चे और अभिभावक आदि मौजूद रहे।

#बेसिकशिक्षाविभाग

महिला शक्ति सम्मान, 2025 से सम्मानित हुई अर्चना सिंह - आने वाली कई पीढ़ियों को प्रेरित करती हैं रुढ़िवादिता की बेड़ियों ...
08/03/2025

महिला शक्ति सम्मान, 2025 से सम्मानित हुई अर्चना सिंह

- आने वाली कई पीढ़ियों को प्रेरित करती हैं रुढ़िवादिता की बेड़ियों को तोड़ कर आगे आने वाली स्त्रियाँ : अर्चना सिंह

महराजगंज
मुजफ्फरपुर, बिहार के साहित्यिक पब्लिकेशन एम एस केशरी पब्लिकेशन की ओर से संस्थापिका मुस्कान केशरी द्वारा महराजगंज जनपद में बेसिक शिक्षा विभाग में कार्यरत प्रधानाध्यापिका अर्चना सिंह को शिक्षा और साहित्य लेखन के क्षेत्र में बहुमूल्य योगदान देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला शक्ति सम्मान 2025 से सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर संस्थापिका मुस्कान केशरी ने कहा कि अर्चना जी बहुमुखी प्रतिभा की धनी शिक्षिका, युवा कवियत्री, लेखिका और सामाजिक सरोकारों के प्रति चिन्तित रहती हैं।
ये जितनी सारगर्भित रचनाएँ लिखती हैं उतनी ही मधुर और आकर्षक ढँग से प्रस्तुत भी करती हैं l इनके लिखे शोध पत्र, लेख और कविताएँ राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित हो रहे हैं l मीडिया से बात करते हुए अर्चना जी ने कहा कि आज देश की महिलाओं ने हर क्षेत्र में खुद को साबित कर दिखाया है। रुढिवादिता की बेड़ियों को तोड़ कर आगे आने वाली स्त्रियाँ न केवल खुद बुलंदियों पर पहुंचती है बल्कि आने वाली कई पीढ़ियों को प्रेरित करती हैं । महिलाएं जब आगे बढ़ती हैं तो समाज समृद्ध होता है और राष्ट्र आगे बढ़ता है।

बच्चों का शैक्षणिक स्तर बेहतर बनाने में हमारा आंगन-हमारे बच्चे कार्यक्रम कारगार : चंद्रभूषण पाण्डेय घुघली बीआरसी में ‘हम...
04/03/2025

बच्चों का शैक्षणिक स्तर बेहतर बनाने में हमारा आंगन-हमारे बच्चे कार्यक्रम कारगार : चंद्रभूषण पाण्डेय

घुघली बीआरसी में ‘हमारा आंगन-हमारे बच्चे’ उत्सव का आयोजन

घुघली, महराजगंज

महराजगंज जनपद के बीआरसी घुघली में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा जनपद स्तरीय हमारा आंगन- हमारे बच्चे उत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन के साथ सहायक विकास अधिकारी पंचायत श्याम सुंदर तिवारी व खण्ड विकास अधिकारी घुघली द्वारा किया गया।

हमारा आंगन-हमारे बच्चे उत्सव में घुघली ब्लाक के सभी प्राथमिक विद्यालयों से संबद्ध व चयनित बाल वाटिका तथा कक्षा एक व दो के निपुण बच्चे, नोडल शिक्षक, शिक्षक संकुल आंगनवाड़ी सुपरवाइजर, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को सम्मानित किया गया।

बीआरसी घुघली में हमारा आंगन- हमारे बच्चे उत्सव में सहायक विकास अधिकारी पंचायत श्याम सुंदर तिवारी ने ईसीसीई पर प्रकाश डालते हुए कार्यक्रम में उपस्थित आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों सुपरवाइजर्स नोडल शिक्षक एवं शिक्षक संकुलों को उत्कृष्ट कार्य करने हेतु शुभकामनाएं देते हुए प्री प्राइमरी एजुकेशन का क्रियान्वयन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के परिप्रेक्ष्य में करते हुए उत्तम परिणाम लाने के लिए प्रोत्साहित किया।
खण्ड शिक्षा अधिकारी घुघली चंद्रभूषण पाण्डेय ने इस अवसर पर कहा कि बच्चों का शैक्षणिक स्तर बेहतर बनाने में हमारा आंगन-हमारे बच्चे कार्यक्रम कारगार है। चाहे वह घर हो या विद्यालय बच्चे ही आंगन की शोभा होते हैं। खण्ड शिक्षा अधिकारी द्वारा उपस्थित सभी कार्यकत्रियों को शिक्षा में गुणात्मक सुधार की दिशा में आगे बढ़ने पर जोर दिया गया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि द्वारा ब्लाक स्तर पर चयनित निपुण बच्चों को कापी कलम शील्ड व ज्योमेट्री बॉक्स सहित कई उपहार दिए गए।

प्रतिनिधि सीडीपीओ घुघली श्रीमती सोनी राय ने कहा कि हमारे आंगन हमारे बच्चे कार्यक्रम का आयोजन सराहनीय है। निश्चित ही इससे बच्चों का शैक्षणिक स्तर बेहतर होगा। शिक्षक और आंगनबाड़ी की जिम्मेदारी बढ़ गई है। उन बच्चों की देखभाल, शिक्षण एवं संस्कार पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। बच्चे आगे की शिक्षा तभी आसान तरीके से पा सकेंगे जब बुनियाद मजबूत होगी। प्राथमिक शिक्षक संघ में ब्लाक मंत्री रिजवानुल्लाह खान ने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्र एक ऐसा स्थान है जहां गरीब और जरूरतमंद परिवार के बच्चे आसानी से पहुंच सकते हैं। उन्होंने कहा कि एकेडमी की तरह परिषदीय विद्यालय पर शिक्षा गुणवत्तापूर्ण संचालित हो रही है। एनसीआरटी की किताबें बच्चों के लिए हितकारी है। संचालन कर रहे शिक्षक राजेश उपाध्याय ने कहा कि आंगनबाड़ी और परिषदीय विद्यालय आपसी सामंजस्य के साथ बच्चों को बढ़िया शिक्षा के साथ संस्कारयुक्त भी दे रहा है। जो मजबूत राष्ट्र बनाने में एक कड़ी का काम करेगा। इस दौरान कुल 40 बच्चों को पुरस्कृत और सम्मानित किया गया। इस मौके पर एआरपी पारसनाथ, परमानंद विश्वकर्मा, संतोष चौधरी समस्त शिक्षक संकुल, अंजलि मिश्रा, अनिल सिंह, डाॅ. धनंजय मणि त्रिपाठी, श्रीमती अनिता सिंह, कौशल्या जायसवाल, राजकुमार, हीरा रतन गौतम आदि मौजूद रहे।

फोटो परिचय :
कार्यक्रम को संबोधित करते खंड विकास अधिकारी घुघली अमरनाथ पाण्डेय

अब 'पिया बावरी' को आप अमेजन से भी खरीद सकते हैं । लिंक नीचे कमेंट बॉक्स में है। पिया बावरी  Archana Tiwari उमेश कुमार पट...
26/02/2025

अब 'पिया बावरी' को आप अमेजन से भी खरीद सकते हैं । लिंक नीचे कमेंट बॉक्स में है।

पिया बावरी Archana Tiwari उमेश कुमार पटेल 'श्रीश' Gorakhnath Patel Pratibha S डॉ धनंजय मणि त्रिपाठी Divya Prakash Dubey AstroGuru DrDhananjay Mani AstroGuru Dr. Dhananjay Mani Tripathi Fans Club Brajesh Pathak

सफल लोगों की चार बातेंजीवन में अच्छे अवसर तो सबके सामने आते हैं, लेकिन उनमें से कुछेक ही सफल हो पाते हैं। क्या आप जानना ...
22/02/2025

सफल लोगों की चार बातें

जीवन में अच्छे अवसर तो सबके सामने आते हैं, लेकिन उनमें से कुछेक ही सफल हो पाते हैं। क्या आप जानना नहीं चाहेंगे कि ऐसा क्यों होता है? वो कौन-सी बातें हैं, जो वास्तव में उन्हें दूसरों से अलग करती हैं। आइए नजर डालते हैं सफल लोगों की कुछ अच्छी आदतों पर

1 जल्दी जागना

सफल लोग, सुबह जल्दी जागने का अभ्यास करते हैं, ताकि वे अपनी सुबह के घंटों का और अधिक उत्पादकता से इस्तेमाल कर सकें। असल में जब आप जल्दी उठते हैं, तो आपको उन चीजों को करने के लिए अधिक समय मिलता है, जो आप शायद करना चाहते हैं, लेकिन समय की कमी के कारण असमर्थ हैं। जल्दी जागने से आपको अपने विचारों को व्यवस्थित करने, यहां तक कि अपने दिन की योजना बनाने के लिए अधिक समय मिलता है। आप अपने शरीर व दिमाग के लिए स्वस्थ गतिविधियों से जुड़ सकते हैं।

2 कल्पना शक्ति का उपयोग

सफल लोगों को पता है कि वे अपनी कल्पना का उपयोग भविष्य बनाने के लिए कैसे कर सकते हैं, बजाय इसके कि वे उन चीजों के बारे में सोचें और कल्पना करें, जो वे नहीं चाहते हैं। कल्पना करना, तेजी से किसी व्यक्ति की उपलब्धि और सफलता को बढ़ा सकता है यदि वह सुबह में कुछ मिनटों के लिए या बिस्तर पर जाने से पहले अपने सपने या इच्छा की कल्पना करने के लिए तैयार है। ऐसा करने का एक शक्तिशाली तरीका यह है कि मन को किसी उच्चतम लक्ष्य और इरादों की उपलब्धि की मजबूत तस्वीरों को रोजाना दिखाया जाए। ऐसा करके अगर आप मन को प्रशिक्षित करें, तो यह आपको वह सफलता दिलाएगा जो आप चाहते हैं।

4 ध्यान में बैठना

सफल लोग मौन में बैठने के लिए समय निकालते हैं। शांत हो जाना, मौन में अकेले समय बिताना, बुद से जुड़ना हमारे शरीर, मन और समग्र दृष्टिकोण पर बहुत सकारात्मक प्रभाव डालता है। ध्यान में अपने विचारों के साथ अकेले होने से आप मन की स्पष्टता, एकाग्रता, आत्मविश्वास व शांति ला सकते हैं, जो हमें हमारे काम को अधिक कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से करने में मदद करते हैं। इसीलिए अपनी दिनचर्या में कुछ समय इसे भी दें।

3 मानसिक समृद्धि के प्रयास

टीवी देखने, सोशल मीडिया पर लगातार स्क्रोल करते हुए समय बर्बाद करने या काम टालते रहने के बजाय सफल लोग अपना समय ज्ञान और जुनून बढ़ाने वाली चीजों के बारे में पढ़ने और समझने में अधिक व्यतीत करते हैं। वे उन पुस्तकों और पत्रिकाओं को पढ़ना चुनते हैं, जो उनके जीवन को समृद्ध करते हैं, उनके आत्मविश्वास को बढ़ाते हैं, उन्हें बड़ा सोचने के लिए प्रेरित करते हैं और उन्हें अपने सपनों को वास्तविकता बनाने के लिए प्रेरित करते हैं। चाहे आप समाचार पत्र-पत्रिकाएं, ब्लॉग या किताबें पढ़ें। ये सारी चीजें हमारे जीवन में आदर्श मूल्य ही जोड़ने का काम करते हैं।

डॉ. धनंजय मणि त्रिपाठी, एस्ट्रोगुरू एवं वास्तु विशेषज्ञ

"पुलिस प्रशासन ..........द्वारा एक अपील"अभिभावक बच्चों को स्कूल में शिक्षक द्वारा डांटने पीटने पर बुरा ना माने , ये बात ...
21/02/2025

"पुलिस प्रशासन ..........द्वारा एक अपील

"अभिभावक बच्चों को स्कूल में शिक्षक द्वारा डांटने पीटने पर बुरा ना माने , ये बात समझे कि बच्चे की स्कूल में पिटाई अंत में पुलिस की पिटाई ठुकाई से अच्छी है,"

अनुशासन के लिए प्रसिद्ध स्कूलों में विद्यार्थियों के हेयर स्टाइल और उनकी चाल-ढाल को लेकर चाहे कितनी भी सख़्ती की जाए, उनके व्यवहार में कोई सुधार दिखाई नहीं दे रहा है। शिक्षक निराश होकर केवल देखते रह जाते हैं, लेकिन कुछ नहीं कर पाते।

यदि माता-पिता का बच्चों पर ध्यान और नियंत्रण कम हो जाए, तो वे इस प्रकार के व्यक्तियों में तब्दील हो जाते हैं।

अनुशासन केवल बातों से नहीं आता; थोड़ा डर और सजा भी जरूरी है।

बच्चों को स्कूल में डर नहीं है,
घर लौटने पर भी डर नहीं है,
इसीलिए समाज आज भयभीत हो रहा है।
वही बच्चे आज गुंडे बनकर लोगों पर हमला कर रहे हैं।
उनके व्यवहार से कई लोग अपनी जान गंवा रहे हैं।
उसके बाद वे पुलिस के हाथ लगते हैं और अदालत में सजा पाते हैं।

*“गुरु का सम्मान न करने वाला समाज नष्ट हो जाता है।”*
*"यह सत्य है"*

गुरु का न भय है, न सम्मान। ऐसे में पढ़ाई और संस्कार कैसे आएंगे?

“मत मारो! मत डांटो! जो खुद नहीं पढ़ना चाहता उससे क्यों सवाल करो? यदि पढ़ने पर जोर दिया गया या काम कराया गया तो गलती शिक्षकों की होगी!”

पांचवीं कक्षा से ही अजीब हेयर स्टाइल, कटे हुए जींस, दीवारों पर बैठना और आते-जाते लोगों का मजाक उड़ाने की आदत बन जाती है।
यदि कोई कहे, “अरे सर आ रहे हैं!” तो जवाब होता है, “आने दो!”

कुछ माता-पिता तो यहां तक कहते हैं, “हमारा बच्चा न भी पढ़े तो कोई बात नहीं, लेकिन शिक्षक उसे मारें नहीं।”

जब उनसे पूछा जाता है कि “आपके बाल किसने काटे?” तो जवाब आता है, “हमारे पापा ने करवाया ऐसे, सर।”

बच्चों के पास पढ़ाई का सामान नहीं होता। पेन हो तो किताब नहीं, किताब हो तो पेन नहीं।
बिना डर के शिक्षा कैसे संभव है?
बिना अनुशासन के शिक्षा का कोई परिणाम नहीं।

“डर न रखने वाली मुर्गी मार्केट में अंडे नहीं देती।”
आज के बच्चों का व्यवहार भी ऐसा ही हो गया है।

स्कूल में गलती करने पर सजा नहीं दी जा सकती, डांटा नहीं जा सकता, यहां तक कि गंभीरता से समझाया भी नहीं जा सकता।
आज के माता-पिता चाहते हैं कि सबकुछ दोस्ताना माहौल में कहा जाए।
क्या यह संभव है?

क्या समाज भी ऐसा करता है?
पहली गलती करने पर क्षमा करता है?

अब शिक्षकों के अधिकार नहीं बचे हैं।
*यदि शिक्षक सीधे बच्चे को सुधारने की कोशिश करें, तो वह अपराध बन जाता है।*
*लेकिन वही बच्चा बड़ा होकर गलती करे तो उसे मृत्युदंड तक दिया जा सकता है।*

माता-पिता से एक विनती:
बच्चों के व्यवहार को सुधारने में शिक्षक मुख्य भूमिका निभाते हैं।
कुछ शिक्षकों की गलती के कारण सभी शिक्षकों का अपमान न करें।

90% शिक्षक केवल बच्चों के अच्छे भविष्य की कामना करते हैं।
यह सच है।

इसलिए आगे से हर छोटी गलती के लिए शिक्षकों पर आरोप न लगाएं।

हम जब पढ़ते थे, तब कुछ शिक्षक हमें मारते थे।
लेकिन हमारे माता-पिता स्कूल आकर शिक्षकों से सवाल नहीं करते थे।
वे हमारे कल्याण पर ही ध्यान देते थे।

पहले माता-पिता बच्चों को गुरु के महत्व को समझाने की जिम्मेदारी उठाएं।

बच्चों के भविष्य के बारे में एक बार सोचें।

बच्चों की बर्बादी के 60% कारण हैं – दोस्त, मोबाइल और मीडिया।
लेकिन बाकी 40% कारण माता-पिता ही हैं!

अत्यधिक प्रेम, अज्ञानता और अंधविश्वास बच्चों को नुकसान पहुंचाते हैं।

आज के 70% बच्चे –

👉 माता-पिता यदि कार या बाइक साफ करने को कहें तो नहीं करते। ओर बिना प्रयोजन की चीजें वो भी महंगी खरीदने की जिद करते हैं,
👉 बाजार से सामान लाने के लिए तैयार नहीं होते। अब तो ऑनलाइन ही मंगा लेते हैं। खरीददारी का तजुर्बा भी नहीं है।
👉 स्कूल का पेन या बैग सही जगह नहीं रखते।
👉 घर के कामों में मदद नहीं करते। और टीवी में कुछ से कुछ देखते रहते हैं।
👉 रात 10 बजे तक सोने की आदत नहीं और सुबह 6-7 बजे जागते नहीं।
👉 गंभीर बात कहने पर पलटकर जवाब देते हैं।
👉 डांटने पर चीजें फेंक देते हैं।
👉 पैसे मिलने पर दोस्तों के लिए खाना, आइसक्रीम और गिफ्ट्स पर खर्च कर देते हैं।
👉 नाबालिग लड़के बाइक चलाते हैं, दुर्घटनाओं का शिकार होते हैं और केस में फंस जाते हैं।
👉 लड़कियां दैनिक कार्यों में मदद नहीं करतीं।
👉 मेहमानों के लिए पानी का गिलास तक देने का मन नहीं होता।
👉 20 साल की उम्र में भी कुछ लड़कियों को खाना बनाना नहीं आता।
👉 सही ढंग से कपड़े पहनना भी एक चुनौती बन गया है।
👉 फैशन, ट्रेंड और तकनीक के पीछे भाग रहे हैं।

इस सबका कारण हम ही हैं।
हमारा गर्व, प्रतिष्ठा और प्रभाव बच्चों को जीवन के पाठ नहीं सिखा पा रहे हैं।

“कष्ट का अनुभव न करने वाला व्यक्ति जीवन के मूल्य को नहीं समझ सकता।”

आज के युवा 15 साल की उम्र में प्रेम कहानियों, धूम्रपान, शराब, जुआ, ड्रग्स और अपराध में लिप्त हो रहे हैं।
दूसरे आलसी बनकर जीवन का कोई लक्ष्य नहीं रखते।

बच्चों का जीवन सुरक्षित रखना हम सबकी जिम्मेदारी है।
यदि हम सतर्क नहीं हुए तो आने वाली पीढ़ी बर्बाद हो जाएगी।

बच्चों के भविष्य और उनके अच्छे जीवन के लिए हमें बदलना होगा।

🙏 इस संदेश को पढ़ने वाले सभी लोग इसे अपने दोस्तों और रिश्तेदारोंके के साथ साझा करें।

“मुझे नहीं लगता कि हर कोई बदलेगा…
लेकिन मुझे भरोसा है कि कम से कम एक व्यक्ति तो बदलेगा।”

शिक्षक रहम कर सकते हैं पुलिस नहीं

"पुलिस कि ठुकाई पिटाई और बाद में कोर्ट कचहरी तक पैसे खर्च होते हैं, शिक्षक की डाट डपट पर कोई खर्चा नहीं होता "
*"पुलिस प्रशासन ........ "*🙏

इन महिलाओ को नहाने की इजाजत नहीं है अफ्रीका,कुनैन प्रांत में रहने वाली हिम्बा जनजाति की महिलाओं को जीवन मे केवल एक बार न...
25/01/2025

इन महिलाओ को नहाने की इजाजत नहीं है अफ्रीका,कुनैन प्रांत में रहने वाली हिम्बा जनजाति की महिलाओं को जीवन मे केवल एक बार नहाने की इजाजत है वो भी अपनी शादी के दिन। वहां की महिलाओं को पानी से हाथ धोने तक कि मनाही है। आप मे से जिन्हें नहाना पसंद नहीं है वो इसी जनजाति में शामिल हो सकते हैं।

#हमारे_हनुमान_जी

With Archana Tiwari – I just got recognized as one of their top fans! 🎉
25/01/2025

With Archana Tiwari – I just got recognized as one of their top fans! 🎉

मिड डे मील से भरता था बच्चों का पेट..रविवार को छुट्टी थी इसलिए बच्चे भूखे ही रह गए। बच्चों को भूख से तड़पता देख मां ने ज...
25/01/2025

मिड डे मील से भरता था बच्चों का पेट..रविवार को छुट्टी थी इसलिए बच्चे भूखे ही रह गए। बच्चों को भूख से तड़पता देख मां ने जान दे दी। मिड डे मील के लिए मिलने वाले खाद्यान्न ,धनराशि से हम मास्टर लोग भले ही परेशान हो जाते हों। और कई बार मन भी होता है कि यह मिड डे मील का झंझट बंद हो जाना चाहिए।
लेकिन कभी-कभी मिड डे मील इन गरीब परिवारों के लिए वरदान जैसा लगता है‌।एक मां ने इसलिए जहर खा लिया क्योंकि परिवार में 8 सदस्य थे और आटा केवल 6 रोटियां बनाने भर का था बच्चों को जब टुकड़ों में रोटियां बांटी गईं तो मां यह दुख नहीं सह पाई और उसने जान दे दी।

डॉ धनंजय मणि त्रिपाठी #हमारे_हनुमान_जी

14/12/2024

बेटा चौथी कक्षा में पढ़ रहा था, तभी शिक्षक ने पिता को बताया कि आपका बेटा बहुत बढ़िया शतरंज खेलता है। यदि इसे खेलने दिया जाय तो बहुत आगे जाएगा...
पिता बड़े डॉक्टर थे, माता भी डॉक्टर। हमारे समाज में ऐसे दम्पत्ति बच्चे के जन्म के पहले की तय कर देते हैं कि बच्चा डॉक्टर बनेगा। पर उस पिता ने रिस्क लिया, और आज के हिसाब से बहुत बड़ा रिस्क लिया। बच्चे को शतरंज खेलने में ही आनन्द आता था तो उसके जिम्मे केवल शतरंज खेलने का ही काम रहने दिया। मतलब समझ रहे हैं? बच्चे ने चौथी कक्षा के आगे पढ़ाई ही नहीं की है।
आप अपने आसपास दृष्टि दौड़ा कर देखिये, क्या ऐसा कोई पढा लिखा पिता दिखता है जो खेलने के लिए बेटे की पढ़ाई छुड़वा दे? नहीं मिलेगा। क्यों? क्योंकि हमारा लक्ष्य ही है कि बच्चा किसी तरह पढ़ लिख कर कहीं नौकर लग जाय। हम इससे उपर सोच ही नहीं पाते...
हाँ तो पिता ने बच्चे की पढ़ाई छुड़वा दी। बच्चा अच्छा खेल रहा था तो स्कूल के बाहर भी खेलने जाने लगा। अब छोटे बच्चे को अकेले तो कहीं भेज नहीं सकते, सो माता ने भी अपनी नौकरी लगभग छोड़ ही दी। उसके पीछे साये की तरह लगी रहती, उसके भोजन और सुविधा का ध्यान रखती, पसन्द-नापसंद का ध्यान रखती...
2017 में केवल ग्यारह वर्ष के उस बच्चे से किसी पत्रकार ने पूछा- आप आगे क्या करना चाहते हैं? लड़के ने बिना किसी झिझक के कहा था- मुझे सबसे कम आयु का ग्रैंडमास्टर बनना है। मुझे सबसे कम आयु का विश्व चैंपियन बनना है।
कल वह बच्चा सचमुच सबसे कम आयु का विश्वविजेता बन गया है। इस उपलब्धि में उसकी प्रतिभा, उसका समर्पण, उसे मिली सुविधाओं की भूमिका तो है ही, बस सबसे बड़ी भूमिका उसके पिता डॉ रजनीकांत के उस रिस्क की है जो उन्होंने उसकी चौथी कक्षा में पढ़ाई छुड़वा कर उठाई थी।
पुराने बूढ़े कहते थे- "लीक छोड़ कर तीन चले, शायर सिंह सपूत..." लीक पर चलने वाले अब भी दाल रोटी की व्यवस्था में लगे रह जाते हैं। राजा वही बनता है, जो रिस्क लेता है...
गुकेश दूबे को बहुत बहुत बधाई...

Basic k Mani AstroGuru डॉ धनंजय मणि त्रिपाठी Brajesh Pathak AstroGuru Dr. Dhananjay Mani Tripathi Fans Club

निरंतर आगे बढ़ना ही जीवन का सार हैजीवन एक नदी की तरह है ...  जैसे नदी अपने साथ अनुभवों के कण बहाती है। हर व्यक्ति अपनी उ...
13/12/2024

निरंतर आगे बढ़ना ही जीवन का सार है

जीवन एक नदी की तरह है ...
जैसे नदी अपने साथ अनुभवों के कण बहाती है। हर व्यक्ति अपनी उम्र के साथ नई कहानियाँ जोड़ता जाता है।

कठिनाइयाँ ही असली शिक्षक हैं....
जीवन की चुनौतियाँ हमें सिखाती हैं कि कैसे मज़बूत बनें और समस्याओं से पार पाएँ।

बुढ़ापा अनुभव का ख़ज़ाना है....
बुजुर्ग होने का अर्थ है अपने जीवन के अनुभवों के माध्यम से दूसरों को रास्ता दिखाना। जैसे एक बढ़ी काकी जो ख़ुद के खो जाने के बाद भी मार्गदर्शन करती है।

जीवन की लहरों से सीखो ...
जीवन की धारा कभी-कभी कठोर चोट करती है, लेकिन यही चोटें हमें जीने का सलीका सिखाती हैं और बेहतर कल की आशा जगाती हैं।

उम्र के साथ बढ़ते जाना....
उम्र बढ़ना महज एक संख्या नहीं बल्कि अपने आप से मुलाक़ात करना है जहाँ हर अनुभव एक नया अध्याय जोड़ता है। रुकना नहीं है बल्कि निरंतर आगे बढ़ना ही जीवन का सार है।

AstroGuru DrDhananjay Mani डॉ धनंजय मणि त्रिपाठी AstroGuru AstroGuru Dr. Dhananjay Mani Tripathi Fans Club Anushree Tripathi

धन के चक्कर में क्या छूटेगा और क्या बचेगा?लगातार संकुचित होते परिवारों ने मानव जीवन की दौड़ को 'खुद से लेकर खुद तक' में ...
13/12/2024

धन के चक्कर में क्या छूटेगा और क्या बचेगा?

लगातार संकुचित होते परिवारों ने मानव जीवन की दौड़ को 'खुद से लेकर खुद तक' में ही सीमित करके छोड़ दिया है! आजकल बच्चों को दादा- दादी, चाचा-चाची, मामा-मामी एवं अन्य रिश्ते देखने को ही नहीं मिल रहे, केवल अंकल-आंटी एवं फ्रेंड सर्कल से ही गुजारा करना पड़ रहा है जैसे कोई सुनामी आई और सभी रिश्तों को निगल गई! हम लोगों को यह सोचना होगा कि जिस धन कमाने के चक्कर में हम सब कुछ छोड़ बैठे हैं जब उनकी जरूरत पड़ेगी तब क्या यह धन काम आनहीं

न जाने धन पाने के चक्कर में क्या-क्या छूटेगा और यदि बचा तो क्या बचेगा? जिंदगी की दौड़ आज इस मुकाम पर लाई है कि घरों में चूल्हा जलाने के लिए पति पत्नी दोनों को मिलकर काम करना पड़ रहा है तब जाकर कहीं शहरों में रहना सम्भव हो पा रहा है! ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या हमारी दौड़ सही दिशा में हो रही है अथवा नहीं?

AstroGuru डॉ धनंजय मणि त्रिपाठी AstroGuru DrDhananjay Mani Brajesh Pathak Divya Prakash Dubey AstroGuru Dr. Dhananjay Mani Tripathi Fans Club

बरेली के इस स्कूल में दिखी लंबे नाखूनों वाली चुड़ैल स्कूल में सारे बच्चे दबाने लगे एक दूसरे का गला, मच गई चीख-पुकार, दौड़...
02/12/2024

बरेली के इस स्कूल में दिखी लंबे नाखूनों वाली चुड़ैल

स्कूल में सारे बच्चे दबाने लगे एक दूसरे का गला, मच गई चीख-पुकार, दौड़कर आए डॉक्टर्स

उत्तर प्रदेश में बरेली के एक स्कूल से अजीबोगरीब घटना सामने आई है, जहां कई बच्चों की अचानक हालत बिगड़ गई। स्कूल के सभी बच्चे भूत-प्रेत के भ्रम में एक दूसरे की गर्दन दबाने लगे, जिसके बाद कई बच्चे बेहोश हो गए।

यह सब देख स्कूल में चीख-पुकार मच गई. जानकारी होते ही गांव के लोगों और परिजनों में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में मेडिकल टीमें स्कूल पहुंची. आइए जानते हैं पूरा मामला क्या है।

दरअसल, बरेली के एक स्कूल से मामला सामने आया है, जहां स्कूल के बच्चे आपस में ही एक दूसरे की गर्दन दबाने लगे। इस घटना में कई बच्चे बेहोश हो गए। जिसके बाद शिक्षकों की सूचना पर स्कूल मेडिकल टीमें पहुंचीं. इस भयानक घटना के बाद सरकारी जूनियर हाई स्कूल के बच्चों में दहशत फैल गई। वहीं प्राथमिक उपचार के बाद बच्चों को छुट्टी दी गई है।

पूछे जाने पर बच्चों ने जो बताया उसे सुनकर हर किसी के पैर कांप गए. बच्चों ने बताया कि एक लंबे नाखून वाली महिला थी जो डरा रही थी. स्कूल में पूछे जाने पर बताया गया कि बच्चों ने मिड डे मील में आलू-चावल खाए थे. जिसके बाद मिड डे मील की जांच की गई. जांच में मिड डे मील बिल्कुल सही निकला।

बच्चों का इलाज करने वाले डाक्टरों ने बताया कि बच्चों में किसी बीमारी के लक्षण नहीं है. डॉक्टर बोले सर्दी या थकान की वजह से ऐसा मामला संभव हो सकता है।चिकित्सकों की नजर में ग्रुप हिस्टीरिया भी संभव है। ऐसे मामलों में पूरा समूह एक जैसा व्यवहार करता है।

डॉक्टर ने अधिक जानकारी देते हुए बताया कि कई बार ऐसा असर समूह चर्चा भी दिखाती है और परिवारों में अंधविश्वास का भी असर देखा जाता है। इस घटना के बाद पूरे इलाके में अदृश्य शक्ति के प्रकोप की अफवाह फैल गई। जिसके बाद एसडीएम ने सभी से अपील करते हुए कहा कि अफवाहों पर भरोसा न करें। यह थाना नवाबगंज क्षेत्र के ईंध जागीर से सामने आया है।

💁‍♀️ सूचना स्त्रोत - News 18 ( Daily hunt )

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संविधान दिवस पर याद किए गए डॉ भीमराव अम्बेडकर- ग्राम प्रधान बृजेश यादव के नेतृत्व में मनाया गया संविधान दिवसघुघली, महराज...
26/11/2024

संविधान दिवस पर याद किए गए डॉ भीमराव अम्बेडकर

- ग्राम प्रधान बृजेश यादव के नेतृत्व में मनाया गया संविधान दिवस

घुघली, महराजगंज

घुघली ब्लाक के ग्रामसभा बिरैचा में ग्राम प्रधान बृजेश यादव की अध्यक्षता में संविधान दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस क्रम में संविधान निर्माता डाॅ भीमराव अम्बेडकर के चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित किया गया।
इसके बाद उपस्थित ग्राम वासियों और जनप्रतिनिधियों के द्वारा संविधान की उद्देश्यिका को पढा़ गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ग्राम प्रधान बृजेश यादव ने कहा कि भारत का संविधान 26 अगस्त 1949 को बनकर तैयार हुआ था। संविधान सभा के गठन समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयंती वर्ष के रूप में 26 नवंबर 2015 को पहली बार भारत सरकार द्वारा पूरे भारत में संविधान दिवस मनाया गया और 26 नवंबर 2015 से प्रत्येक वर्ष पूरे भारत में संविधान दिवस मनाया जा रहा है। इससे पहले इसे राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में मनाया जाता था। 26 जनवरी 1950 को संविधान अमल में लाया गया।

इस दौरान ग्राम पंचायत सचिव दीप्ति जायसवाल ने भारतीय संविधान के शिल्पी डॉ. भीमराव आंबेडकर और संविधान सभा में शामिल रही तमाम विभूतियों को याद करते हुए कहा कि संविधान हम भारतीयों के लिए प्रेरणादायक और जीवन्त दस्तावेज है और स्वतंत्र भारत का आधुनिक धर्म ग्रंथ है, जो हम सबका मार्गदर्शक है। उन्होंने कहा कि संविधान को देश के हर नागरिक ने अंगीकृत किया है, इसलिए संविधान के वास्तविक संरक्षक हम भारत के लोग ही हैं। संविधान जहां एक और नागरिकों को सशक्त करता है, वहीं दूसरी ओर नागरिक भी अपने आचरण और व्यवहार से संविधान का संवर्द्धन और संरक्षण करते हैं। संविधान किसी एक का नहीं बल्कि सभी का संरक्षक है। इसलिए उसके संरक्षण और संवर्धन की जिम्मेदारी हम सभी की है।

इस अवसर पर पंचायत सहायक पंकज कुमार, सदस्य सूर्य नारायन, लियाकत, राजेश, सुनील, रामअवध, श्रीमती अनीता देवी, श्रीमती जामवन्ती देवी, श्रीमती दर्मवती देवी आदि उपस्थित रहे।

पद मिल जाए बिना प्रतिभा के तो धृतराष्ट्र बनते हैं( कुंठित लोग)प्रतिभा हो और पद न मिले तो कर्ण बनते हैं(कुंठा से उत्पन्न ...
25/11/2024

पद मिल जाए बिना प्रतिभा के तो धृतराष्ट्र बनते हैं( कुंठित लोग)
प्रतिभा हो और पद न मिले तो कर्ण बनते हैं(कुंठा से उत्पन्न अहंकार)

प्रतिभा कूट कूट कर भरी होने के कारण पद कदमों में ला कर देना चाहें लेकिन पद की चाह तक न हो तो अर्जुन बनते हैं(विनम्रता)

जब आप शिखर पर रहें तो humble रहें (राम और कृष्ण की तरह)
जब आप प्रगति कर रहे हों तो gratitude में रहें,कृतज्ञ रहें( युधिष्ठिर की तरह)
जब आप स्ट्रगल कर रहे हों तो surrender रहें (अर्जुन की तरह, अर्जुन ने कृष्ण के आगे पूरा सरेंडर कर दिया था)

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25/11/2024

शिक्षक और प्रधान आपस में बनाएं सामंजस्य : चंद्रभूषण पाण्डेय

घुघली में ब्लॉक स्तरीय संगोष्ठी और उन्मुखीकरण का हुआ आयोजन

महराजगंज के घुघली ब्लाक के ब्लाक संसाधन केंद्र घुघली पर ग्राम प्रधान/ स्थानीय निकाय प्राधिकारी एवं अध्यापकों का ब्लॉक स्तरीय संगोष्ठी और उन्मुखीकरण का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि ओम प्रकाश जायसवाल रहे।

कार्यक्रम का शुभारंभ विशिष्ट अतिथि के द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर किया गया। तत्पश्चात आगंतुक अतिथियों के स्वागत में बैच एवं स्मृति चिन्ह एवं स्वागत गान से स्कूली छात्र छात्राओं द्वारा स्वागत किया गया।

विकास के लिए आपस में रखें सामंजस्य : ओम प्रकाश जायसवाल

संगोष्ठी को संबोधित करते हुए विशिष्ट अतिथि ओम प्रकाश जायसवाल ने कहा कि शिक्षक और ग्राम प्रधान आपस में सामंजस्य बैठाकर अपने- अपने क्षेत्र के विद्यालयों के विकास के लिए शिक्षा और सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं को भलीभांति स्कूली छात्र-छात्राओं तक पहुंचाएं। सरकार शिक्षा के प्रति बेहद ही गंभीर है स्कूलों का कायाकल्प हो या अध्ययन-अध्यापन हो उसके लिए हर तरीके से शिक्षक और ग्राम प्रधान को शिक्षा के प्रति जागरूक करने हेतु आगे आना होगा। तभी समाज शिक्षित होने के साथ-साथ स्कूली शिक्षा भी नौनिहालों के लिए आगामी भविष्य के लिए वरदान साबित होगी।

शेष बच्चों के खाते में जल्द आएगी राशि : चंद्रभूषण पाण्डेय

संगोष्ठी को संबोधित करते हुए खंड शिक्षा अधिकारी घुघली चंद्रभूषण पाण्डेय ने कहा कि पूरे घुघली ब्लॉक में जितने बच्चे नामांकित हैं उन बच्चों के खाते में डीबीटी के माध्यम से ड्रेस आदि का पैसा जा चुका है शेष बच्चों के खाते में भेजने की प्रक्रिया शीघ्र ही पूरी कर दी जाएगी। उपस्थित ब्लॉक के समस्त ग्राम प्रधानों से अपील किया कि स्कूली बच्चों के आधार कार्ड जिनका न बना हो हमारे यहां सेंटर पर पूरा कराने हेतु प्रेरित करें।

19 बिंदुओं को पूरा करने का लक्ष्य में सहयोग करें ग्राम प्रधान : विजय मिश्र

विशिष्ट अतिथि के रूप में ग्रहण प्रधान संघ के मण्डल अध्यक्ष विजय मिश्र ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि विद्यालय के कायाकल्प हेतु जिन 19 बिंदुओं को पूरा करने का लक्ष्य दिया गया है उसे पूर्ण करने के लिए शिक्षकों के साथ-साथ ग्राम प्रधानों के भी सहयोग की आवश्यकता है, जिसे आप सभी मिलजुल कर पूरा करने में सहयोग करें। इस मौके पर ग्राम प्रधान संघ के मंडल अध्यक्ष विजय मिश्र, घुघली नगर पंचायत संतोष जायसवाल, सभासद चंदन जायसवाल, प्राथमिक शिक्षक संघ के ब्लाक अध्यक्ष घनश्याम यादव मंत्री पवन पटेल, राजू सिंह, उपेन्द्र मिश्र, सत्येन्द्र शुक्ल, डाॅ धनंजय मणि त्रिपाठी, अखिलेश उपाध्याय, अर्चना सिंह, एआरपी परमानंद विश्वकर्मा, पारस, संतोष चौधरी, समेत घुघली क्षेत्र के समस्त ग्राम प्रधान गण मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन राजेश उपाध्याय ने किया।

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