
27/01/2025
ूटता_है_दिल_स्त्री_का..!!
स्त्री साथ कहाँ ....
छोड़ती है........
वो तो छोड़ देती है...जीना..
सुकून....से बाते..
जागती पलकों में
जाने कितनी राते...
वो छोड़ देती है....
अपना ख्याल...
बच्चों का दुलार...
छोड़ देती हैं रसोई में बनाने
मन पसन्द व्यंजन....
पहनने...मन पसन्द.कपड़े
छोड़ देती..है...चाय की मिठास...
शाम की आस....
सुबह...का....अलसाना...
पूजागृह में इष्ट से बतियाना...
चाय के बहाने करीब आना...
पेड़ पौधों से...नजरें मिलाना..
तुलसी को..जल चढ़ाना..
सासू माँ के पैर...दबाना..
खुद को सजाना...
सोलह ऋंगार निभाना...
पड़ोस में बतियाना..
रिश्तेदारी निभाना..
तुम्हारा..मन....
तुम्हारी साँसें...
तुम्हारा....प्यार.....
सब...बेकार.....
जब टूटता है दिल...
स्त्री.......का.....
फिर भी स्त्री साथ कहाँ छोड़ती है...
जब तक उसमें साँस हैं...
मर मर कर भी खुद में तुझको जिन्दा रखती हैं......
#हाँ तभी तो वो स्त्री है........
#क्यूँकि..जीतना तुम्हारी विरासत है,
तुम्हारा #पौरूष....
और हारना ही हमारा #स्त्रीत्व
♥️♥️♥️♥️♥️♥️