आज के दौर में ऐसे युवा ऊर्जावान रचनाकार सामने आ रहे हैं जौ न केवल लेखन में उत्कृष्टता का ध्यान रख रहे हैं बल्कि पुस्तक प्रकाशन से जुड़े अन्य पक्षों में भी प्रकाशकों के सक्रिय सहयोगी हैं।
मौसमी चंद्रा ऐसी ही कहानीकार, कवयित्री एवं नरैटर हैं। वे प्रकाशक, लेखक, संपादक के टीमवर्क को बेहतर समझती है़।
बाकी तो स्वयं उन्हीं से सुनना बेहतर है।
मौसमी चंद्रा की प्रेम कविताएँ
वाचनः.गुरप्रीत कौर
पुस्तकः एक और अमृता
लेखकः मौसमों चंद्रा
प्रकाशकः शुभदा बुक्स
पुस्तक अमेजन व प्रकाशक पर उपलब्ध है।
8851578398
Whatsapp Sales
Coming Soon...
डॉ. लोकेंद्रसिंह कोट के मज़ेदार...धारदार व्यंग्य!
आने वाली किताब के चार लेखकों में से एक...
किश्वर अंजुम की बात!
बातें बेवजह की...!
ये बात़ें बड़े काम की हैं। इन बातों की वजह सब अपनी-अपनी खोज सकते हैं। लेखिका ममता सिंह के पास अपनी एक अलग भाषा है...अलग अंदाज है!
इस पुस्तक के गद्य में कविताएं ही समाहित हों जैसे!
हमारी वायस ऑवर आर्टिस्ट गुरप्रीत कौर ने इस पुस्तक के इंद्रधनुषी सात रंगों में आठवां रंग अपनी आवाज़ से भर दिया है।
पुस्तकः बात़े बेवजह की
लेखिकाः ममता सिंह
प्रकाशकः शुभदा बुक्स
अमेजन पर भी उपलब्ध।
जमशेदपुर प्रवासी डॉ. रत्ना मानिक हिंदी शिक्षका और विषय विभागाध्यक्ष हैं। बहुत परिपक्व कहानियां लिखती हैं। शौकिया कहानी नरैशन भी करती हैं।
शुभदा बुक्स से उनका प्रथम कहानी-संग्रह 'आँखों के जुगनू' बहुत जल्द प्रकाशित हो रहा है।
अमेजन और प्रकाशक से इसे खरीदा जा सकेगा।
प्रकाशक का संपर्क नं. वीडियो के अंत में है।
शीघ्र आने वाली पुस्तक....
डॉ. रत्ना मानिक का कहानी संग्रहः ऑखों के जुगनू
हव्वा की बेटियाँः आने वाली पुस्तक से
__________________________________
तुम तलाशते रहे हर औरत में सीता... जो चुपचाप तुम्हारी हर बात मानती रहे... हमेशा तुम्हारे तयशुदा इम्तिहानों को बिना उफ़्फ किये पास करती रहे...
तुम बाँटते रहे द्रौपदी को बेजान ज़मीन-जायदाद की तरह और अहिल्या को बदलते रहे पत्थरों में।
पर कभी तुमने जानने की कोशिश की कि ये बेजान बुत कभी ज़िन्दगी से लबरेज़ औरतें थीं...?
लेखकः ममता सिंह
नारी सशक्तीकरण के संदर्भ में.'अपराजिता'
व्याख्यानः प्रो. कुसुम त्रिपाठी (नारीवादी चिंतक व लेखक)
ललित फुलाराः मीडियाकर्मी व लेखक
'कसक' कविता संग्रहः परितोष
परितोष जी के कविता संग्रह 'कसक' पर डॉ. रश्मि की प्रतिक्रिया कुछ ऐसी रही...👇
लड़की कैक्टस थी
पाठक के रूप में नीलेश की नज़रः लड़की कैक्टस थी
(कविता संग्रह) वियोगिनी ठाकुर
रिश्तेः कविता
परितोष के आने वाले कविता संग्रह 'कसक' से एक कविताः रिश्ते
स्वरः गुरप्रीत कौर
मैथिलीशरण गुप्त जी का मूल स्वर
रविवारीय विशेष
________________________
दद्दा कहे जाने वाले हिंदी के प्रमुख कवि मैथिलीशरण गुप्त की आज पुण्यतिथि है। चिरगाँव (उ.प्र.) में जन्मे गुप्त जी का जन्मदिन ३ अगस्त हर वर्ष 'कवि दिवस' के रूप में मनाया जाता है।
भारत भारती जैसी राष्ट्रवादी कृति के रचयिता मैथिलीशरण गुप्त को सन १९५४ में भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण से भीक्षसम्मानित किया गया था।
पौराणिक इतिहास के उपेक्षित रहे स्त्री पात्रो, उर्मिला, यशोधरा आदि को अलहदा और मानवीय दृष्टिकोण से देखने का प्रयत्न उन्होंनै अपनी रचनाओं में किया ।
आज आपके लिए उनकी एक कविता उन्हीं के मूल स्वर में संजोई है हमने शुभदा से जुड़े समस्त पाठकों/आलोचकों/लेखकों के लिए।
साभारः विविधभारती
नया कहानी संग्रहः मंगरू का नगाड़ा
शुभदा की किताब़ेः एक झलक हमारा डिजिटल कैटलॉग