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21/07/2023

इतिहास में दर्ज कराने को निकला नाम,
किसी की महत्वकांक्षा ने ली कितनों की जान l

21/07/2023
21/07/2023

Janhvi Kapoor promoted Bawaal with Varun Dhawan in a must-have kurta and palazzo set. It is just the right pick for this humid weather.

20/07/2023



संदर्भ
गैर-जनजातीय मैतेई (Meitei) समुदाय को अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe- ST) का दर्जा देने की 10 वर्ष पुरानी अनुशंसा पर आगे की कार्रवाई करने के मणिपुर उच्च न्यायालय द्वारा राज्य सरकार को दिए गए निर्देश के बाद मणिपुर में सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई।

अनुसूचित जनजाति में मैतेई को शामिल करने के कथित कदम के विरुद्ध अखिल जनजातीय छात्र संगठन मणिपुर (All-Tribal Student Union Manipur- ATSUM) द्वारा ‘जनजाति एकजुटता रैली’ आयोजित किये जाने के बाद हिंसा बढ़ गई।
मणिपुर की जातीय संरचना
मणिपुर राज्य एक फुटबॉल स्टेडियम की तरह है जिसके मध्य में इंफाल घाटी खेल के मैदान का प्रतिनिधित्व करती है और आसपास की पहाड़ियाँ गैलरी हैं। घाटी—जिसमें मणिपुर का लगभग 10% भूभाग शामिल है, में गैर-जनजातीय मैतेई समुदाय का प्रभुत्व है, जो राज्य की 64% से अधिक आबादी का भी निर्माण करते हैं और राज्य के कुल 60 विधानसभा सदस्यों में से 40 प्रदान करते हैं।
राज्य के 90% भौगोलिक क्षेत्र का निर्माण करने वाली पहाड़ियों में 35% से अधिक दर्जा-प्राप्त जनजातियों का निवास है, लेकिन वे विधानसभा में केवल 20 विधायक ही भेजते हैं।
जबकि अधिकांश मैतेई हिंदू हैं और उनके बाद आबादी में सबसे बड़ी हिस्सेदारी मुस्लिम समुदाय की है, 33 दर्जा-प्राप्त जनजातियाँ—जिन्हें मोटे तौर पर ‘कोई भी नगा जनजाति’ (Any Naga tribes) और ‘कोई भी कुकी जनजाति’ (Any Kuki tribes) के रूप में वर्गीकृत किया गया है, मुख्यतः ईसाई हैं।
ST दर्जे की मांग के समर्थन में मैतेई समुदाय का क्या तर्क है?
मैतेई लोगों के लिये ST दर्जे की मांग वर्ष 2012 में मणिपुर अनुसूचित जनजाति मांग समिति (Scheduled Tribe Demand Committee of Manipur- STDCM) द्वारा शुरू की गई।
वर्ष 1949 में भारत संघ में राज्य के विलय से पहले मैतेई को जनजाति के रूप में मान्यता प्राप्त थी। मैतेई समुदाय मानता है कि ST का दर्जा समुदाय को ‘संरक्षित’ करने और उनकी ‘पैतृक भूमि, परंपरा, संस्कृति एवं की रक्षा’ के लिये आवश्यक है।
वर्ष 1972 में केंद्रशासित प्रदेश मणिपुर को भारत का 19वाँ राज्य बनाया गया।
मैतेई समुदाय का मानना है कि उन्हें बाहरी लोगों के विरुद्ध संवैधानिक सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है, जहाँ राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों से उन्हें तो प्रतिबंधित रखा गया है लेकिन वहाँ के जनजातीय लोग सिकुड़ती जा रही इंफाल घाटी में भूमि खरीद सकते हैं। मैतेई समुदाय यह आशंका रखता है कि ‘वृहत नगालिम’ (Greater Nagalim) का सृजन मणिपुर के भौगोलिक क्षेत्र को कम कर देगा।
उनके अनुसार, मैतेई समुदाय धीरे-धीरे अपनी पैतृक भूमि में हाशिए पर पहुँचता जा रहा है।
वर्ष 1951 में उनकी आबादी मणिपुर की कुल आबादी का 59% थी, जो वर्ष 2011 की जनगणना के आँकड़ों के अनुसार, घटकर 44% रह गई।
नगा और कुकी आंदोलनों ने भी मैतेई राष्ट्रवाद को हवा दी। 1970 के दशक में जनसांख्यिकीय परिवर्तन और पारंपरिक मैतेई क्षेत्रों के सिकुड़ने पर चिंताएँ उभरने लगीं।
वर्ष 2006-12 की अवधि में बाहरी लोगों को रोकने के लिये मणिपुर में इनर लाइन परमिट (ILP) की मांग उठी। म्यांमार के साथ मणिपुर की पारगम्य सीमा पर कुकी-ज़ोमी लोगों की मुक्त आवाजाही ने जनसांख्यिकीय परिवर्तन के भय को हवा दी।
मणिपुर की जनसंख्या की वृद्धि दर वर्ष 1941-51 की अवधि में 12.8% थी जो वर्ष 1951-61 के दौरान बढ़कर 35.04% और वर्ष 1961-71 में 37.56% हो गई जब परमिट प्रणाली को समाप्त कर दिया गया।
मणिपुर में सरकार सबसे बड़ी नियोक्ता है और अनुसूचित जनजातियों के लिये नौकरियों में आरक्षण एक तुलनात्मक लाभ का सृजन करता है।
अवसंरचना विकास (जैसे रेलवे का विस्तार जो मणिपुर में अवसरों के द्वार खोलेगा) ने असुरक्षा की भावना को और बढ़ा दिया है।
जनजातीय समूह मैतेई को ST दर्जा देने के विरुद्ध क्यों हैं?
मैतेई समुदाय जनसांख्यिकीय एवं राजनीतिक लाभ की स्थिति रखता है और वह अकादमिक रूप से भी अधिक उन्नत है।
मैतेई को ST का दर्जा मिलने से उनके लिये नौकरी के अवसरों की हानि होगी और उन्हें पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि प्राप्त करने तथा जनजातीय लोगों को वहाँ से बेदखल करने का अवसर मिलेगा।
मैतेई लोगों की भाषा (मैतेई या मणिपुरी) संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल है और उनमें से कई की SC, OBC या EWS दर्जे से जुड़े लाभों तक पहुँच है।
कुकी और नगा ध्यान दिलाते हैं कि जनजातीय क्षेत्र राज्य के भौगोलिक क्षेत्र का 90% हैं, लेकिन इसके बजट और विकास कार्यों का बड़ा अंश मैतेई बहुल इंफाल घाटी पर केंद्रित रहता है।
ST सूची में शामिल करने की प्रक्रिया
राज्य सरकारें जनजातियों को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने के लिये अनुशंसा करती हैं।
राज्य सरकार की अनुशंसा के बाद जनजातीय कार्य मंत्रालय उसकी समीक्षा करता है और उन्हें गृह मंत्रालय के तहत भारत के रजिस्ट्रार जनरल के अनुमोदन के लिये भेजता है।
अनुमोदन के बाद इसे राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग को भेजा जाता है और फिर अंतिम निर्णय के लिये केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है।
एक बार जब मंत्रिमंडल इसे अंतिम रूप प्रदान कर देता है, तब वह संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 और संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 में संशोधन के लिये संसद में एक विधेयक पेश करता है।
संशोधन विधेयक को लोकसभा और राज्यसभा द्वारा पारित कर दिए जाने के बाद राष्ट्रपति कार्यालय संविधान के अनुच्छेद 341 और 342 के तहत इस पर अंतिम निर्णय लेता है।
हाल की अशांति क्यों उत्पन्न हुई?
जबकि वन क्षेत्रों से जनजातीय लोगों की बेदखली और मैतेई के लिये ST दर्जे की मांग हाल के सबसे प्रमुख प्रेरक कारक रहे हैं, वस्तुतः पिछले एक दशक से विभिन्न मुद्दों को लेकर मैतेई समुदाय और जनजातीय समूहों के बीच विभाजन बढ़ा है।
परिसीमन प्रक्रिया में विद्यमान समस्याएँ: वर्ष 2020 में जब केंद्र ने राज्य में वर्ष 1973 के बाद से पहली परिसीमन प्रक्रिया शुरू की तो मैतेई समुदाय ने आरोप लगाया कि इसके लिये उपयोग किये गए जनगणना के आँकड़े जनसंख्या विभाजन को सटीक रूप से नहीं दर्शाते हैं।
दूसरी ओर जनजातीय समूहों (कुकी और नागा) का दावा है कि राज्य की आबादी में उनकी हिस्सेदारी 40% हो गई है लेकिन विधानसभा में उनका प्रतिनिधित्व कम है।
पड़ोसी क्षेत्र से प्रवासियों की घुसपैठ: म्यांमार में फ़रवरी 2021 के सैन्य तख्तापलट के कारण भारत के पूर्वोत्तर में शरणार्थी संकट उत्पन्न हुआ। मैतेई नेताओं ने आरोप लगाया है कि चुराचांदपुर ज़िले में अचानक गाँवों की बाढ़ आ गई है।
नशीले पदार्थों की समस्याः कुछ जनजातीय समूह निहित स्वार्थों के करण नशीले पदार्थों के विरुद्ध सरकार के सघन अभियान को विफल करने का प्रयास कर रहे हैं।
अफीम के खेतों को नष्ट करने के साथ नशा विरोधी अभियान शुरू किया गया था। मणिपुर के कुकी-ज़ोमी समुदाय से संबंधित ‘अवैध आप्रवासी’ साफ़ की गई ज़मीनों पर नशीले पदार्थों की खेती कर रहे हैं।
हाल की अशांति: पहला हिंसक विरोध तब भड़क उठा जब एक कुकी ग्राम के निवासियों को वहाँ से बेदखल किया गया।
चुराचांदपुर-खौपुम संरक्षित वन क्षेत्र (चुराचांदपुर और नोनी ज़िलों में) के 38 गाँव ‘अवैध बस्ती’ हैं और इसके निवासी ‘अतिक्रमणकर्ता’ हैं जिन्होंने अफीम की खेती और नशीली दवाओं के कारोबार के लिये आरक्षित एवं संरक्षित वनों तथा वन्यजीव अभयारण्यों का अतिक्रमण किया है।
कुकी समूहों ने दावा किया है कि सर्वेक्षण और निष्कासन अनुच्छेद 371C का उल्लंघन है, क्योंकि कुकी पहाड़ी क्षेत्र के निवासी हैं।
अनुच्छेद 371C मणिपुर विधानसभा की एक समिति के निर्माण का प्रावधान करता है जिसमें राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों से चुने गए सदस्य शामिल होंगे और उस समिति के उपयुक्त कार्यकरण की ज़िम्मेदारी राज्यपाल की होगी।
राज्य स्तर पर मणिपुर विधानसभा (पहाड़ी क्षेत्र समिति) आदेश, 1972 के तहत गठित पहाड़ी क्षेत्र समिति (Hill Area Committee) मौजूद है। राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों से निर्वाचित सभी विधायक पहाड़ी क्षेत्र समिति के सदस्य होते हैं।
राज्य सरकार दो कुकी चरमपंथी समूहों के साथ हस्ताक्षरित अभियान निलंबन समझौते से बाहर निकल गई है क्योंकि वे प्रदर्शनकारियों को उकसाने से संलग्न पाए गए हैं।
मणिपुर का भूगोल और मणिपुर में हिंसा का इतिहास

मणिपुर में 16 ज़िले हैं, लेकिन आमतौर पर राज्य को ‘घाटी’ और ‘पहाड़ी’ ज़िलों में विभाजित निकाय के रूप में देखा जाता है। इंफाल पूर्व, इंफाल पश्चिम, थौबल, बिष्णुपुर और काचिंग जैसे आज के घाटी ज़िले निंगथौजा राजवंश (Ningthouja dynasty) द्वारा शासित पूर्ववर्ती कांगलीपाक (Kangleipak) राज्य के अंग थे।
मणिपुर घाटी छोटी-छोटी पहाड़ियों से घिरी हुई है। इन पहाड़ी क्षेत्रों में 15 नगा जनजातियों और चिन-कुकी-मिज़ो-ज़ोमी समूह (जिसमें कुकी, थडौ, ह्मार, पैइट, वैफेई और ज़ू समुदाय शामिल हैं) के लोगों का निवास है।
कांगलीपाक राज्य (जो उस समय एक ब्रिटिश संरक्षित राज्य था) पर उत्तरी पहाड़ियों से नीचे उतर कर आते नगा जनजातियों द्वारा बार-बार हमला किया जाता था। मणिपुर के ब्रिटिश राजनीतिक एजेंट ने इस समस्या के समाधान के लिये मैतेई और नगाओं के बीच एक बफ़र के निर्माण के उद्देश्य से बर्मा की कुकी-चिन पहाड़ियों से कुकी-ज़ोमी समुदाय के लोगों को आमंत्रित किया।
कुकी भी नगाओं की तरह उग्र हिंसक योद्धा थे। महाराजा ने उन्हें पहाड़ियों के किनारे बसने के लिये भूमि दी, जहाँ वे निचली इंफाल घाटी के लिये एक ढाल के रूप में कार्य कर सकते थे।
कुकी-मैतेई विभेद: पहाड़ी समुदायों (नगा और कुकी) और मैतेई लोगों के बीच राजवंश शासन के समय से ही जातीय तनाव रहा है। 1950 के दशक में स्वतंत्रता के लिये चले नगा आंदोलन ने मैतेई और कुकी-ज़ोमी समुदायों में विद्रोह को जन्म दिया। कुकी-ज़ोमी समूहों ने 1990 के दशक में ‘कुकीलैंड’ (भारत के भीतर एक अलग राज्य) की माँग करने के लिये अपन सैन्यीकरण किया। इसने उन्हें मैतेई से अलग कर दिया जिनकी पहले उन्होंने रक्षा की थी।
वर्ष 1993 में हिंदू मैतेई लोगों का मुसलमान पंगलों (Pangals) से संघर्ष हुआ। उस दौरान जनजातीय नगाओं और कुकियों के बीच भी हिंसक संघर्ष हुआ जहाँ नगाओं द्वारा एक ही दिन में सौ से अधिक कुकियों के नरसंहार की घटना भी हुई और हज़ारों कुकियों को उनके घरों से खदेड़ दिया गया।
चुराचांदपुर ज़िला: कुकी-ज़ोमी बहुल चुराचांदपुर (जो म्यांमार का सीमावर्ती ज़िला है) की बहुसंख्यक आबादी ईसाई है। यह देश का निर्धनतम ज़िला है (वर्ष 2006 में पंचायती राज मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार) और अभी भी अत्यंत निर्धन बना हुआ है।
वर्ष 2015 में जिस तरह घाटी के मैतेई लोगों ने इंफाल शहर में ILP की मांग करते हुए विरोध-प्रदर्शन किया था, वैसा ही तीव्र विरोध-प्रदर्शन चुराचांदपुर में इस मांग और नए कानूनों के प्रवेश के विरोध में किया गया था।
आगे की राह
विभिन्न समितियों द्वारा दी गई अनुशंसाओं के अनुसार ST दर्जे (मैतेई के लिये) के मानदंड का मूल्यांकन करने की आवश्यकता है, जैसे:
लोकुर समिति (वर्ष 1965) ने पहचान के लिये 5 मानदंडों की अनुशंसा की थी- आदिम लक्षण, विशिष्ट संस्कृति, भौगोलिक अलगाव, बड़े पैमाने पर समुदाय के साथ संपर्क का संकोच और पिछड़ापन।
भूरिया आयोग (वर्ष 2002-2004) ने जनजातीय भूमि एवं वन, स्वास्थ्य एवं शिक्षा, पंचायतों के कार्यकरण और जनजातीय महिलाओं की स्थिति जैसे 5वीं अनुसूची के कई विषयों पर ध्यान केंद्रित किया।
वर्ष 2013 में प्रो. वर्जिनियस शाशा (Prof. Virginius Xaxa) की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति (HLC) का गठन किया गया जिसे जनजाति समुदायों से संबंधित 5 महत्त्वपूर्ण मुद्दों के अध्ययन का कार्य सौंपा गया: (1) आजीविका एवं रोज़गार, (2) शिक्षा, (3) स्वास्थ्य, (4) अनैच्छिक विस्थापन एवं प्रवासन, और (5) विधिक एवं संवैधानिक मामले।
म्यांमार से प्रवासियों की घुसपैठ को रोकने के लिये सीमावर्ती क्षेत्रों में अधिक निगरानी की व्यवस्था की जानी चाहिये। पड़ोसी देशों के साथ आर्थिक एवं राजनयिक संबंधों को सुदृढ़ करने से क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा की वृद्धि करने में मदद मिल सकती है।
स्थानीय निवास की पहचान के लिये सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों की पहचान पर नज़र बनाए रखने की आवश्यकता है। क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिये स्थानीय विद्रोही समूह के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर करना भी उपयुक्त कदम होगा।
विवादास्पद सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (Armed Forces Special Powers Act- AFSPA), 1958 का निरसन क्षेत्र में मानवाधिकारों की स्थिति में सुधार के लिये आवश्यक है। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि कानूनी व्यवस्था निष्पक्ष एवं पारदर्शी है ताकि सुरक्षा बलों द्वारा शक्ति के दुरुपयोग को रोका जा सके।
सरकार को क्षेत्र के लोगों में स्वामित्व और अपनेपन की भावना को बढ़ावा देने के लिये निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनकी भागीदारी को प्रतोसाहित करना चाहिये।

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03/07/2023

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03/07/2023
अभी मुलाकात है, मुलाकात के बाद कुछ कह पाऊंगा लेकिन लक्ष्य एक है कि हम सबको मिलकर भाजपा को हटाना है: तेलंगाना के मुख्यमंत...
03/07/2023

अभी मुलाकात है, मुलाकात के बाद कुछ कह पाऊंगा लेकिन लक्ष्य एक है कि हम सबको मिलकर भाजपा को हटाना है: तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव से मुलाकात को लेकर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव, हैदराबाद

28 तारीख को चंद्रशेखर आजाद की गाड़ी पर हमला हुआ था। इसमें 5 टीमों का गठन किया गया था। हमें पता चला कि 4 लड़कों ने हमला क...
03/07/2023

28 तारीख को चंद्रशेखर आजाद की गाड़ी पर हमला हुआ था। इसमें 5 टीमों का गठन किया गया था। हमें पता चला कि 4 लड़कों ने हमला किया। चारों को गिरफ़्तार किया गया। इन्होंने पूछताछ में बताया कि चंद्रशेखर आजाद द्वारा पिछले कुछ महीनों में दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दिए गए बयानों से ये गुस्से में थे। इन लोगों ने 315 बोर के पिस्टल से 3 राउंड फायरिंग की। गाड़ी भी बरामद कर ली गई है। ये लोग इस मामले से बचने के लिए छोटे-मोटे मामलों में सरेंडर करने हरियाणा चले गए थे। इनको वहां से गिरफ़्तार किया गया और दोनों तमंचे भी बरामद कर लिए गए हैं। चंद्रशेखर आजाद की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जाएगी: अजय साहनी, पुलिस उप महानिरीक्षक, सहारनपुर

So much space in SPACE..
03/07/2023

So much space in SPACE..

10/04/2023

आज की बड़ी खबरें:

एअर इंडिया की कई उड़ानें तकनीकी कारणों से रद्द, यात्रियों ने जताई नाराजगी।

बिहार में कोरोना को लेकर अलर्ट जारी, राज्य के सभी अस्पतालों में आज होगी मॉक ड्रिल।

हरियाणा के सोनीपत में मस्जिद पर अटैक, 15-20 हथियारबंद हमलावरों पर आरोप।

17/03/2023
16/03/2023

I don't know who she is but hats off to her courage to speak the unspoken unpalatable truth! 👏

क्या से क्या हो गया देखते-देखते? 🧕🛕🤔
16/03/2023

क्या से क्या हो गया देखते-देखते? 🧕🛕🤔

04/03/2023

कौन सा राज्य बच गया है,
जहां बिहारी न पीटे गए हों?

14/02/2023

सूत्रों के मुताबिक़ BBC के दिल्ली ऑफिस में इनकम टैक्स की रेड की ख़बर आ रही है. ऑफिस को सील करने की तैयारी.

05/01/2023

| Gujarat | Bajrang Dal workers protest against the promotion of Shah Rukh Khan's movie 'Pathaan' at a mall in the Karnavati area of Ahmedabad (04.01)

(Video source: Bajrang Dal Gujarat's Twitter handle)

Hardik Pandya meets Home Minister Amit Shah ahead of Sri Lanka seriesRead  Story | aninews.in/news/sports/cr…           ...
31/12/2022

Hardik Pandya meets Home Minister Amit Shah ahead of Sri Lanka series

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  | Assam: Guwahati witnesses beautiful sunset to end the year 2022.
31/12/2022

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Anant Ambani to marry Radhika Merchant, their 'Roka' ceremony was held today at Shrinathji Temple at Nathdwara, Rajastha...
29/12/2022

Anant Ambani to marry Radhika Merchant, their 'Roka' ceremony was held today at Shrinathji Temple at Nathdwara, Rajasthan.

(File Pics)

29/12/2022

| Congress MP Rahul Gandhi had a joyful moment with his mother Sonia Gandhi during the party's 138th Foundation Day celebration event in Delhi.

भारत ऐसी कड़कती ठंड में सड़कों पर बिना कपड़ों के बैठा है, जी हाँ, असली भारत यही है 🥲
29/12/2022

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28/12/2022

भारतीय रेलवे में कर्मचारियों की संख्या

• 2018: 12 लाख 70 हजार
|
4 साल
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• 2022: 12 लाख 12 हजार.

Amit Shah to hold high-level meetings on Leh-Ladakh, J-K this eveningRead  Story | aninews.in/news/national/…
28/12/2022

Amit Shah to hold high-level meetings on Leh-Ladakh, J-K this evening

Read Story |
aninews.in/news/national/…

28/12/2022

अद्भुत, अलौकिक और अकल्पनीय... !!!

Do you think rising UPI transactions will lead to a slow death of ATMs?
28/12/2022

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27/12/2022

UP के बुलंदशहर में 20 परिवारों ने अपनाया हिंदू धर्म

BJP विधायक की मौजूदगी में 100 से अधिक लोगों की हुई घर वापसी

27/12/2022

यूपी के सिपाही लोग .

27/12/2022

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27/12/2022

BSSC परीक्षा में जब दोनों पाली का प्रश्नपत्र लीक हुआ, फिर सरकार केवल प्रथम पाली की परीक्ष रद्द करा कर खानापूर्ति करने में क्यों लगी है, जी बिहार के छात्रों के प्रतिभा का हनन करना बंद करिए अगर आपकी मंशा साफ है तो BSSC, BPSC परीक्षा का CBI से जाच कराइये ।

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