MR DIL KI BAATE

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05/03/2024
02/03/2024

Ram Ram Jai shree Ram🙏

26/02/2024

Thanks for being a top engager and making it on to my weekly engagement list! 🎉 Anshu Shrivastava, Happy Pathania, པདྨ་ འབྲས་ལྗོངས་པ།, Bandi Karthik Kumar, Muhammad Mudsir, Pappu Pandey, Floyd Fernandes, Ganesh Singh, Kanai Mondal

23/02/2024

Jai shree ram🙏🙏🙏

14/02/2024

10k Family Completed ✌✌ Thanku for your such love & support Love u All...

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11/02/2024

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जानिए  #लोटा और  #गिलास के पानी में अंतर......... #भारत में हजारों साल की पानी पीने की जो सभ्यता है वो गिलास नही है, ये ...
08/01/2024

जानिए #लोटा और #गिलास के पानी में अंतर.........
#भारत में हजारों साल की पानी पीने की जो सभ्यता है वो गिलास नही है, ये गिलास जो है #विदेशी है.
गिलास भारत का नही है. गिलास #यूरोप से आया.
और यूरोप में #पुर्तगाल से आया था. ये पुर्तगाली जबसे भारत देश में घुसे थे तब से गिलास में हम फंस गये.
गिलास अपना नही है. अपना लोटा है. और लोटा कभी भी #एकरेखीय नही होता. तो #वागभट्ट जी कहते हैं कि जो बर्तन एकरेखीय हैं उनका #त्याग कीजिये. वो काम के नही हैं. इसलिए गिलास का पानी पीना अच्छा नही माना जाता. लोटे का पानी पीना अच्छा माना जाता है. इस पोस्ट में हम गिलास और लोटा के पानी पर चर्चा करेंगे और दोनों में अंतर बताएँगे.
फर्क सीधा सा ये है कि आपको तो सबको पता ही है
कि पानी को जहाँ धारण किया जाए, उसमे वैसे ही #गुण उसमें आते है. पानी के अपने कोई गुण नहीं हैं.
जिसमें डाल दो उसी के गुण आ जाते हैं. #दही में मिला दो तो #छाछ बन गया, तो वो दही के गुण ले लेगा.
दूध में मिलाया तो #दूध का गुण. लोटे में पानी अगर रखा तो बर्तन का गुण आयेगा. अब लौटा गोल है तो वो उसी का गुण धारण कर लेगा. और अगर थोडा भी गणित आप समझते हैं तो हर गोल चीज का #सरफेस_टेंशन कम रहता है. क्योंकि सरफेस एरिया कम होता है तो सरफेस टेंशन कम होगा. तो सरफेस टेंशन कम हैं तो हर उस चीज का सरफेस टेंशन कम होगा. और स्वास्थ्य की दष्टि से कम सरफेस टेंशन वाली चीज ही आपके लिए लाभदायक है.अगर ज्यादा सरफेस टेंशन वाली चीज आप पियेंगे तो बहुत तकलीफ देने वाला है. क्योंकि उसमें #शरीर को तकलीफ देने वाला एक्स्ट्रा प्रेशर आता है.
गिलास और लोटा के पानी में अंतर गिलास के पानी और लौटे के पानी में जमीं आसमान का अंतर है.
इसी तरह #कुए का पानी, कुंआ गोल है इसलिए सबसे अच्छा है. आपने थोड़े समय पहले देखा होगा कि सभी #साधू #संत कुए का ही पानी पीते है. न मिले तो प्यास सहन कर जाते हैं, जहाँ मिलेगा वहीं पीयेंगे. वो कुंए का पानी इसीलिए पीते है क्यूंकि कुआ गोल है, और उसका सरफेस एरिया कम है. सरफेस टेंशन कम है. और साधू संत अपने साथ जो केतली की तरह पानी पीने के लिए रखते है वो भी लोटे की तरह ही आकार वाली होती है. जो नीचे चित्र में दिखाई गई है.
सरफेस टेंशन कम होने से पानी का एक गुण लम्बे समय तक जीवित रहता है. पानी का सबसे बड़ा गुण है सफाई करना. अब वो गुण कैसे काम करता है वो आपको बताते है. आपकी #बड़ी_आंत है और #छोटी_आंत है,
आप जानते हैं कि उसमें #मेम्ब्रेन है और कचरा उसी में जाके फंसता है. पेट की सफाई के लिए इसको बाहर लाना पड़ता है. ये तभी संभव है जब कम सरफेस टेंशन वाला पानी आप पी रहे हो. अगर ज्यादा सरफेस टेंशन वाला पानी है तो ये कचरा बाहर नही आएगा, मेम्ब्रेन में ही फंसा रह जाता है.
दुसरे तरीके से समझें, आप एक एक्सपेरिमेंट कीजिये. थोडा सा #दूध ले और उसे चेहरे पे लगाइए, 5 मिनट बाद रुई से पोंछिये. तो वो रुई काली हो जाएगी. स्किन के अन्दर का कचरा और गन्दगी बाहर आ जाएगी. इसे दूध बाहर लेकर आया. अब आप पूछेंगे कि दूध कैसे बाहर लाया तो आप को बता दें कि दूध का सरफेस टेंशन सभी वस्तुओं से कम है. तो जैसे ही दूध चेहरे पर लगाया, दूध ने चेहरे के सरफेस टेंशन को कम कर दिया क्योंकि जब किसी वस्तु को दूसरी वस्तु के सम्पर्क में लाते है तो वो दूसरी वस्तु के गुण ले लेता है.
इस एक्सपेरिमेंट में दूध ने स्किन का सरफेस टेंशन कम किया और त्वचा थोड़ी सी खुल गयी. और त्वचा खुली तो अंदर का कचरा बाहर निकल गया. यही क्रिया लोटे का पानी पेट में करता है. आपने पेट में पानी डाला तो बड़ी आंत और छोटी आंत का सरफेस टेंशन कम हुआ और वो खुल गयी और खुली तो सारा कचरा उसमें से बाहर आ गया. जिससे आपकी आंत बिल्कुल साफ़ हो गई. अब इसके विपरीत अगर आप गिलास का हाई सरफेस टेंशन का पानी पीयेंगे तो आंते सिकुडेंगी क्यूंकि #तनाव बढेगा. तनाव बढते समय चीज सिकुड़ती है और तनाव कम होते समय चीज खुलती है. अब तनाव बढेगा तो सारा कचरा अंदर जमा हो जायेगा और वो ही कचरा #भगन्दर, #बवासीर, मुल्व्याद जैसी सेंकडो पेट की बीमारियाँ उत्पन्न करेगा.
इसलिए कम सरफेस टेंशन वाला ही पानी पीना चाहिए. इसलिए लौटे का पानी पीना सबसे अच्छा माना जाता है, गोल कुए का पानी है तो बहुत अच्छा है. गोल तालाब का पानी, पोखर अगर खोल हो तो उसका पानी बहुत अच्छा. नदियों के पानी से कुंए का पानी अधिक अच्छा होता है. क्योंकि #नदी में गोल कुछ भी नही है वो सिर्फ लम्बी है, उसमे पानी का फ्लो होता रहता है. नदी का पानी हाई सरफेस टेंशन वाला होता है और नदी से भी ज्यादा ख़राब पानी समुन्द्र का होता है उसका सरफेस टेंशन सबसे अधिक होता है.
अगर #प्रकृति में देखेंगे तो #बारिश का पानी गोल होकर धरती पर आता है. मतलब सभी #बूंदे गोल होती है क्यूंकि उसका #सरफेस टेंशन बहुत कम होता है.
तो गिलास की बजाय पानी लोटे में पीयें.
तो लोटे ही घर में लायें.
गिलास का प्रयोग बंद कर दें. जब से आपने लोटे को छोड़ा है तब से भारत में लौटे बनाने वाले #कारीगरों की रोजी रोटी ख़त्म हो गयी. गाँव गाँव में कसेरे कम हो गये, वो #पीतल और #कांसे के लौटे बनाते थे.
सब इस गिलास के चक्कर में भूखे मर गये.
तो वागभट्ट जी की बात मानिये और लौटे वापिस लाइए

क्या आपको पता है?कि किवाड़ की जो जोड़ी होती है,उसका एक पल्ला पुरुष और, दूसरा पल्ला स्त्री होती है।ये घर की चौखट से जुड़े...
06/01/2024

क्या आपको पता है?
कि किवाड़ की जो जोड़ी होती है,
उसका एक पल्ला पुरुष और,
दूसरा पल्ला स्त्री होती है।
ये घर की चौखट से जुड़े-जड़े रहते हैं।
हर आगत के स्वागत में खड़े रहते हैं।।
खुद को ये घर का सदस्य मानते हैं।
भीतर बाहर के हर रहस्य जानते हैं।।
एक रात उनके बीच था संवाद।
चोरों को लाख-लाख धन्यवाद।।
वर्ना घर के लोग हमारी,
एक भी चलने नहीं देते।
हम रात को आपस में मिल तो जाते हैं,
हमें ये मिलने भी नहीं देते।।
घर की चौखट से साथ हम जुड़े हैं,
अगर जुड़े जड़े नहीं होते।
तो किसी दिन तेज आंधी-तूफान आता,
तो तुम कहीं पड़ी होतीं,
हम कहीं और पड़े होते।।
चौखट से जो भी एकबार उखड़ा है।
वो वापस कभी भी नहीं जुड़ा है।।
इस घर में यह जो झरोखे,
और खिड़कियाँ हैं।
यह सब हमारे लड़के,
और लड़कियाँ हैं।।
तब ही तो,
इन्हें बिल्कुल खुला छोड़ देते हैं।
पूरे घर में जीवन रचा बसा रहे,
इसलिये ये आती जाती हवा को,
खेल ही खेल में,
घर की तरफ मोड़ देते हैं।।
हम घर की सच्चाई छिपाते हैं।
घर की शोभा को बढ़ाते हैं।।
रहे भले कुछ भी खास नहीं,
पर उससे ज्यादा बतलाते हैं।
इसीलिये घर में जब भी,
कोई शुभ काम होता है।
सब से पहले हमीं को,
रँगवाते पुतवाते हैं।।
पहले नहीं थी,
डोर बेल बजाने की प्रवृति।
हमने जीवित रखा था जीवन मूल्य,
संस्कार और अपनी संस्कृति।।
बड़े बाबू जी जब भी आते थे,
कुछ अलग सी साँकल बजाते थे।
आ गये हैं बाबूजी,
सब के सब घर के जान जाते थे ।।
बहुयें अपने हाथ का,
हर काम छोड़ देती थी।
उनके आने की आहट पा,
आदर में घूँघट ओढ़ लेती थी।।
अब तो कॉलोनी के किसी भी घर में,
किवाड़ रहे ही नहीं दो पल्ले के।
घर नहीं अब फ्लैट हैं,
गेट हैं इक पल्ले के।।
खुलते हैं सिर्फ एक झटके से।
पूरा घर दिखता बेखटके से।।
दो पल्ले के किवाड़ में,
एक पल्ले की आड़ में,
घर की बेटी या नव वधु,
किसी भी आगन्तुक को,
जो वो पूछता बता देती थीं।
अपना चेहरा व शरीर छिपा लेती थीं।।
अब तो धड़ल्ले से खुलता है,
एक पल्ले का किवाड़।
न कोई पर्दा न कोई आड़।।
गंदी नजर ,बुरी नीयत, बुरे संस्कार,
सब एक साथ भीतर आते हैं ।
फिर कभी बाहर नहीं जाते हैं।।
कितना बड़ा आ गया है बदलाव?
अच्छे भाव का अभाव।
स्पष्ट दिखता है कुप्रभाव।।
सब हुआ चुपचाप,
बिन किसी हल्ले गुल्ले के।
बदल किये किवाड़,
हर घर के मुहल्ले के।।
अब घरों में दो पल्ले के,
किवाड़ कोई नहीं लगवाता।
एक पल्ली ही अब,
हर घर की शोभा है बढ़ाता।।
अपनों में नहीं रहा वो अपनापन।
एकाकी सोच हर एक की है,
एकाकी मन है व स्वार्थी जन।।
अपने आप में हर कोई,
रहना चाहता है मस्त,
बिल्कुल ही इकलल्ला।
इसलिये ही हर घर के किवाड़ में,
दिखता है सिर्फ़ एक ही पल्ला!!

😂😂😂
05/01/2024

😂😂😂

😏😏😏
04/01/2024

😏😏😏

ऐसे ही नही किसान बना जाता जिंदगी से लडाई करनी पड़ती है।
03/01/2024

ऐसे ही नही किसान बना जाता जिंदगी से लडाई करनी पड़ती है।

👌👌
03/01/2024

👌👌

हमारे बुजर्ग हम से वैज्ञानिक रूप से बहुत आगे थे। थक हार कर वापिश उनकी ही राह पर वापिश आना पड़ रहा है।1. मिट्टी के बर्तनों...
01/01/2024

हमारे बुजर्ग हम से वैज्ञानिक रूप से बहुत आगे थे। थक हार कर वापिश उनकी ही राह पर वापिश आना पड़ रहा है।

1. मिट्टी के बर्तनों से स्टील और प्लास्टिक के बर्तनों तक और फिर कैंसर के खौफ से दोबारा मिट्टी के बर्तनों तक आ जाना।

2. अंगूठाछाप से दस्तखतों (Signatures) पर और फिर अंगूठाछाप (Thumb Scanning) पर आ जाना।

3. फटे हुए सादा कपड़ों से साफ सुथरे और प्रेस किए कपड़ों पर और फिर फैशन के नाम पर अपनी पैंटें फाड़ लेना।

4. सूती से टैरीलीन, टैरीकॉट और फिर वापस सूती पर आ जाना ।

5. जयादा मशक़्क़त वाली ज़िंदगी से घबरा कर पढ़ना लिखना और फिर IIM MBA करके आर्गेनिक खेती पर पसीने बहाना।

6. क़ुदरती से प्रोसेसफ़ूड (Canned Food & packed juices) पर और फिर बीमारियों से बचने के लिए दोबारा क़ुदरती खानों पर आ जाना।

7. पुरानी और सादा चीज़ें इस्तेमाल ना करके ब्रांडेड (Branded) पर और फिर आखिरकार जी भर जाने पर पुरानी (Antiques) पर उतरना।

8. बच्चों को इंफेक्शन से डराकर मिट्टी में खेलने से रोकना और फिर घर में बंद करके फिसड्डी बनाना और होश आने पर दोबारा Immunity बढ़ाने के नाम पर मिट्टी से खिलाना....

9. गाँव, जंगल, से डिस्को पब और चकाचौंध की और भागती हुई दुनियाँ की और से फिर मन की शाँति एवं स्वास्थ के लिये शहर से जँगल गाँव की ओर आना।

इससे ये निष्कर्ष निकलता है कि टेक्नॉलॉजी ने जो दिया उससे बेहतर तो प्रकृति ने पहले से दे रखा था।

🚩जय हिंद जय भारत🚩

19/12/2023

INDIA INDIA INDIA.....

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