Jainism

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(7)

13/10/2021

Jai gurudev🙏🙏🙏🙏
19/09/2021

Jai gurudev🙏🙏🙏🙏

🙏बारह भावना🙏
15/09/2021

🙏बारह भावना🙏

We are make बारह भावना in 3 parts 😇😇If u like it plz share with ur frnds nd jain community to spread the Jainism 🙏🙏And do ur reviews in comments box 😊

https://youtu.be/lrI3Q5oOq0o
11/09/2021

https://youtu.be/lrI3Q5oOq0o

We are make बारह भावना in 3 parts 😇If u like it plz share with ur frnds nd jain community to spread the Jainism 🙏🙏Do ur reviews in comments box 😊

https://youtu.be/24NrrZS4AOI
08/09/2021

https://youtu.be/24NrrZS4AOI

Jai Jinendra🙏🙏 my name is sajal jain i m from Firozabad city of bangles😇 if u like my song then plz share it 🙏🙏❤️

करीब1500 सौ.साल प्राचीन. अतिशयकारी पारसनाथ जी के दर्शन जरूर करे नेमिनाथ जिनालय बदरवास जिला शिवपुरी मध्यप्रदेश..
05/09/2021

करीब1500 सौ.साल प्राचीन. अतिशयकारी पारसनाथ जी के दर्शन जरूर करे नेमिनाथ जिनालय बदरवास जिला शिवपुरी मध्यप्रदेश..

ऐसा मंदिर , जहां अर्धरात्रि में अपने आप बजने लगती हैं घंटियां और ढोलक जब स्वर्णमयी हो गईं थीं वेदियां, अद्भुत और अलौकिक ...
05/09/2021

ऐसा मंदिर , जहां अर्धरात्रि में अपने आप बजने लगती हैं घंटियां और ढोलक
जब स्वर्णमयी हो गईं थीं वेदियां, अद्भुत और अलौकिक है ये मंदिर

श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर शहडोल (मध्यप्रदेश)
विराट नगरी शहडोल मध्य प्रदेश छेत्र पर पार्श्वनाथ दिगम्बर
जैन मंदिर में स्थित चतुर्थ कालीन आतिशयकरी प्रतिमा विराजमान है ..
निकटम नगर-डिंडोरी, मंडला

शहडोल- ऐसा मंदिर जहां अर्धरात्रि में अपने आप में घंटियां बजने लगती हैं, ढोलक बजने लगते हैं, अद्भुत और अलौकिक है ये मंदिर, और इस मंदिर की कई चमत्कारिक कहानियां भी हैं। ये मंदिर है शहडोल का पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर।

1952 में शहडोल में स्थापित पाश्र्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर अतिशयकारी है। जहां आज भी अर्धरात्रि में घण्टी व ढोलक बजते हैं। इस मंदिर से जैन समाज की विशेष आस्था जुड़ी हुई है। ऐसा मानना है कि अर्धरात्रि में देवों द्वारा पूजा अर्चना की जाती है। यही वजह है कि रात में इस मंदिर के अंदर कोई भी नहीं रुक पाता है। इतना ही नहीं आप चाहकर भी मंदिर में कोई अनिष्ट कार्य नहीं कर सकते हैं।

मंदिर के संरक्षक कोमल चंद नायक की मानें तो साल 2009 में जयपुर के मिस्त्री यहां से लगभग 20 तोला सोना चोरी कर ले गया था, लेकिन इस घटना के बाद उसका पूरा परिवार अस्त व्यस्त होने लगा। जिसके बाद उसने चोरी किया हुआ सोना वापस कर दिया था।

वर्ष 1982 में आचार्य विद्यासागर महराज सम्मित शिखर में शामिल होने के लिए निकले थे। उस दौरान उनका नगर आगमन हुआ था। उस वक्त वह पाश्र्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर पहुंचे जहां पहुंचने के साथ ही उनके मुख से निकला कि यहां आकर मेरी पूरी थकान मिट गई। प्रभु आप यहां विराजमान हैं, आपको तो स्वर्ण मंदिर में होना चाहिए।

उनके मुखारबिंद से इन शब्दों के निकलने के साथ ही मंदिर परिसर में स्थापित छह बेदियां स्वर्णमयी हो गईं थीं जो आज भी उसी स्थिति में हैं। जैन समाज के लोगों का यह भी कहना है कि यहां एक दीपक जलाने के साथ ही लगभग 100 दीप एक साथ जल उठते हैं। जिसका प्रमाण समाज के कई लोगों ने अपनी आंखो से देखा है। जैन समाज के लोग इसे अद्भुत और अलौकिक मानते हैं।

सभी शिक्षकों को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ💐शिक्षकों की महत्ता को सही स्थान दिलाने वाले भारत के पूर्व राष्ट्रपति ड...
05/09/2021

सभी शिक्षकों को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ💐

शिक्षकों की महत्ता को सही स्थान दिलाने वाले भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस पर उन्हें नमन🙏
5 सितंबर, भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।

पाली में जैन एकता का परिचय जैन धर्म का सबसे बड़ा त्यौहार  पर्व पर्यूषण पर पाली में 9  दिवसीय प्रतिष्ठान बंद  राजस्थान का...
04/09/2021

पाली में जैन एकता का परिचय

जैन धर्म का सबसे बड़ा त्यौहार पर्व पर्यूषण पर पाली में 9 दिवसीय प्रतिष्ठान बंद राजस्थान का एकमात्र प्रदेश पाली जहां पर हर साल पर्व पयुषण पर 9दिवसीय प्रतिष्ठान बंद होते

Adherents of Jainism first arrived in the United Kingdom (UK) in the 19th century. The UK, mainly England, has since bec...
02/09/2021

Adherents of Jainism first arrived in the United Kingdom (UK) in the 19th century. The UK, mainly England, has since become a center of the Jain diaspora.

Many Halari Oshwal Jain community migrated to East Africa and from there to Britain, where the community is around 30,000. Swetambara Jain temples have been built in London, Leicester and then at Potters Bar, the latter being the largest purpose-built Jain temple outside India. Along with the Shwetambar temples, a new Digambar temple had just opened near London. The Oshwal Association did not accept any state funding in the construction of the Potters Bar temple and therefore did not have to comply with conditions of use. In contrast, the Jain temple in Leicester was built with donations from the local Jain community as well as two grants from Leicester City Council. The acceptance of state funding required a commitment to social inclusion and promotion of the building for non-religious community purposes (Gale and Naylor 2002).

Jain Temple at Potters Bar is situated in Hertfordshire, north-east of London. Potters Bar is a small town which is situated about 15 miles from London. Here, outside the town of Potters Bar, Oshwal community has bought 84 acres of land in 1980. Potters Bar is about 15 miles N E of Central London. The first Shikharbandhi Temple to be built on virgin land in Europe was consecrated in August 2005 at Potters Bar. Mool nayak is Mahavir Svami; on his left is Parshvanath and on his right is Adishvara.

Oshwal community has established a small temple but plans have been approved to build a bigger Temple in future. After the foundation stone was laid in September 1997, work commenced on building the temple which was constructed in accordance with ancient principles. Using 1300 tons of pink sandstone and 500 tonnes of Indian marble, individual pieces were carved in India and then assembled on site by Indian craftsmen, a process that took fifteen months and cost an estimated £4.5 million. Multipurpose halls with catering facilities, administrative Building, children playground, Jain temple

In 2005, Oshwal Association of the U.K (OAUK) completed the building of the first traditional Shikarbandh Jain Derasar/Temple at Oshwal Centre, Potters Bar. The temple is built within the landscaped garden and laid in the grounds in the shape of the Jain symbol of Cosmos. The landscaped garden contains 24 small shrines (Devkulikas) that house the 24 Tirthankaras.

In the main hall of the temple, there are magnificent idols of Jain Tirthankar Shri Adinath Bhagwan, Shri Parshvanath Bhagwan and Shri Mahavir Swami. Due to the Derasar, Oshwal Centre is now a focal point for the Jain faith in the UK and a major attraction for Jains and non-Jains not only from the UK, but worldwide. Today there are some five million Jains worldwide, and they represent a miniscule of India's population.

Jain Temple Oshwal Centre,
Potters Bar,
Coopers Ln Rd, Hertfordshire,
Potters Bar EN6 4DG, UK
Contact number +44 1707 643838

(Sources: Various sites on Google)

02/09/2021

😍  #कुंडलपुर_बड़े_बाबा 😍  #श्रीआदिनाथ_भगवान 😊जैनों के विशेष  #तीर्थ क्षेत्रों में से एक, विश्व के सबसे 🤗अद्भुत मंदिरों मे...
01/09/2021

😍 #कुंडलपुर_बड़े_बाबा 😍 #श्रीआदिनाथ_भगवान 😊
जैनों के विशेष #तीर्थ क्षेत्रों में से एक, विश्व के सबसे 🤗अद्भुत मंदिरों में से एक, विश्व की सबसे अद्भुत जिन प्रतिमाओं में से एक... #कुंडलपुर के बड़े बाबा #श्रीआदिनाथ😍 भगवान का यह मंदिर अपनी पूर्णता के अंतिम चरणों में है।

आचार्य भगवन के आशीर्वाद एवं निर्देशन में बन रहे इस ऐतिहासिक जिनालय के पंचकल्याणक 2022 में, आचार्य भगवन के ससंघ सानिध्य में होने की प्रबल सम्भावनाये है।

वर्तमान में आचार्य भगवन के परम आज्ञानुवर्ती शिष्य निर्यापक श्रमण मुनिश्री #योगसागर जी महाराज ससंघ कुंडलपुर में विराजमान है।

31/08/2021

जय जिनेन्द्र 🙏🙏🙏पर्युषन पर्व आ रहा है😍😍 आप सब त्याग की भावना भाए ऐसी हम कामना करते हैं एक छोटी सी प्रस्तुति आपके साथ शेयर कर रहे हैं अगर पसंद आए तो ज्यादा से ज्यादा ग्रुप में शेयर करें🙏🙏

सभी जैन मित्र ग्रुप में शेयर करे. जैनो के पावन पर्व पर्युषण महापर्व पर हमारे एक जैन भाई द्वारा लिखा एवम गाया हुआ गीत. #श...
31/08/2021

सभी जैन मित्र ग्रुप में शेयर करे.
जैनो के पावन पर्व पर्युषण महापर्व पर हमारे एक जैन भाई द्वारा लिखा एवम गाया हुआ गीत.
#शेयर

30/08/2021

नवकार मंत्र संपूर्ण शास्त्र है

नवकार मंत्र अपने आप में एक संपूर्ण शास्त्र है, एक साधना पथ है। प्रभु महावीर की संपूर्ण साधना पद्धति नवकार मंत्र में समाहित है। नवकार मंत्र की शुरुआत है नमो से। साधना की सर्वसिद्धि के लिए जिस पहले गुण की आवश्यकता है, वह है नमन, समर्पण, अहं-विर्जन। नवकार मंत्रके जाप से अधोमुखी बुद्धि ऊर्ध्वमुखी बनती है, इच्छा की पूर्ति ही नहीं, इच्छा का ही अभाव हो जाता है और जिसमें इच्छा का अभाव है, वह जगत का सम्राट है।
नवकार को आत्मसात करना मुक्ति का दीप ज्योतिर्मान करना है।
नमो अरिहंताणं (अरिहंत भगवंतों को नमस्कार करता हूँ)।
नमो सिद्धाणं (सिद्ध भगवंतों को नमस्कार करता हूँ)।
नमो आयरियाणं (आचार्य भगवंतों को नमस्कार करता हूँ)।
नमो उवज्झायाणं (उपाध्याय महाराजों को नमस्कार करता हूँ)।
नमो लोऐ सव्व साहूणं ( साधु महाराजों को नमस्कार करता हूँ)।
एसो पंच णमुक्कारो (इन पाँचों को किया हुआ नमस्कार)।
सव्व पावप्पणासणो (सब पापों का नाश करने वाला है)।
मंगलाणंच सव्वेसिं
पढमं हवई मंगल (सभी मंगलों में श्रेष्ठ मंगल है)।
नवकार मंत्र का रचयिता कोई नहीं है। यह मंत्र शाश्वत है। अनादिकाल से प्रचलित है। इसमें कुल अड़सठ अक्षर हैं। ये अड़सठ तीर्थ के सूचक हैं, जिसमें अक्षर थोड़े हों, भाव अधिक हो, गिसके जाप से ईष्ट फल की प्राप्ति हो, वह मंत्र कहलाता है। पंच परमेष्ठि नमस्कार महामंत्र,पंचमंगल महाश्रुतस्कंध भी कहते हैं। पंच परमेष्ठि के पाँचों पदों के कुल मिलाकर 108 गुण पंच परमेष्ठि में अरिहंत और सिद्ध दो देव हैं, आचार्य, उपाध्याय एवं साधु ये तीन गुरु हैं। अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु, दर्शन, ज्ञान, चारित्र व तप नवपद हैं। नवकार को 14 पूर्व का सार कहा है।
संसार के सभी दूसरे मंत्रों में भगवान से या देवताओं से किसी न किसी प्रकार की माँग की जाती है, लेकिन इस मंत्र में कोई माँग नहीं है। जिस मंत्र में कोई याचना की जाती है, वह छोटा मंत्र होता है और जिसमें समर्पण किया जाता है, वह मंत्र महान होता है। इसमंत्र में पाँच पदों को समर्र्पण और नमस्कार किया गया है इसलिए यह महामंत्र है। नमो व णमो में कुछ लोगों का मतभेद है, लेकिन प्राकृत व्याकरण की दृष्टि से दोनों सही हैं। एक-दूसरे को गलत कहना संप्रदाय हठ है।
नमो अरिहंताणं में बहुवचन है, इस पद में भूतकाल में जितने अरिहंत हुए हैं, भविष्य में जितने होंगे और वर्तमान में जितने हैं, उन सबको नमस्कार करने के लिए बहुवचन का प्रयोग किया गया है। जैन दृष्टि से अनंत अरिहंत माने गए हैं। अरिहंत चार कर्मों के क्षय होने पर जबकि सिद्ध आठ कर्मों के क्षय होने पर बनते हैं। लेकिन सिद्ध की आत्मा भी अरिहंतों के उपदेश से ही चारित्र लेकर कर्मरहित होकर सिद्ध बनती है तथा सिद्ध बनने का मार्ग व सिद्ध का स्वरूप अरिहंत ही बताते हैं, इसलिए पहले अरिहंत को नमस्कार किया गया है।
नमोकार मंत्र पूर्णतः आध्यात्मिक विकास का मंत्र है, इस मंत्र द्वारा लौकिक आशाओं, आकांक्षाओं की पूर्णता की परिकल्पना करना ही इस मंत्र की अविनय और अशातना है। इस मंत्र के पदों का जो क्रम रखा गया है, वह आध्यात्मिक विकास के विभिन्ना आयामों और उनके सूक्ष्म संबंधों के बड़े ही वैज्ञानिक विश्लेषण का परिचायक है।

नवकार मंत्र गिनने के लाभ

नवकार मंत्र का भावपूर्वक एक अक्षर बोलने पर :- सात सागरोपम जितने पापो का नाश होता है ।
"नमो अरिहंताणं" इतना एक पद बोलने पर :-50 सागरोपम जितने पाप नष्ट होते है ।
संपूर्ण नवकार मंत्र गिनने से 500 सागरोपम जितने पाप नष्ट होते हैं एवं सुबह उठकर आठ नवकार् गिनने से 4000 सागरोपम जितने पाप नष्ट होते हैं।
संपूर्ण नवकार वाली गिनने से 54000 सागरोपम जितने पाप नष्ट होते है। सागरोपम अर्थात् गिनने में कठिनाई हो इतने अरबों वर्ष। यह नवकार महामंत्र शक्तिदायक, विध्नविनाशक,प्रभावशाली, चमत्कारी है।
जन्म के समय बालक के कान में यह मंत्र सुनाने से उसके जीवन में समृद्धि प्राप्त होती है एवं मृत्यु के समय सुनाने पर सदगति प्राप्त होती है। दॄढ विश्वास तथा शुद्ध मन से इस मंत्र का जाप नित्य करने से विश्व में , परिवार में तथा मन में शांति रहती है , मन स्वच्छ और निर्मल बनता है ।

हल खींचते समय यदि कोई बैल गोबर या मूत्र करने की स्थिति में होता था तो किसान कुछ देर के लिए हल चलाना बन्द करके बैल के मल-...
29/08/2021

हल खींचते समय यदि कोई बैल गोबर या मूत्र करने की स्थिति में होता था तो किसान कुछ देर के लिए हल चलाना बन्द करके बैल के मल-मूत्र त्यागने तक खड़ा रहता था ताकि बैल आराम से यह नित्यकर्म कर सके,

यह आम चलन था। हमनें (ईश्वर वैदिक) यह सारी बातें बचपन में स्वयं अपनी आंखों से देख हुई हैं। जीवों के प्रति यह गहरी संवेदना उन महान पुरखों में जन्मजात होती थी जिन्हें आजकल हम अशिक्षित कहते हैं । यह सब अभी 25-30 वर्ष पूर्व तक होता रहा ।

उस जमाने का देसी घी यदि आजकल के हिसाब से मूल्य लगाएं तो इतना शुद्ध होता था कि 2 हजार रुपये किलो तक बिक सकता है । उस देसी घी को किसान विशेष कार्य के दिनों में हर दो दिन बाद आधा-आधा किलो घी अपने बैलों को पिलाता था ।

टटीरी नामक पक्षी अपने अंडे खुले खेत की मिट्टी पर देती है और उनको सेती है। हल चलाते समय यदि सामने कहीं कोई टटीरी चिल्लाती मिलती थी तो किसान इशारा समझ जाता था और उस अंडे वाली जगह को बिना हल जोते खाली छोड़ देता था । उस जमाने में आधुनिक शिक्षा नहीं थी ।

सब आस्तिक थे । दोपहर को किसान जब आराम करने का समय होता तो सबसे पहले बैलों को पानी पिलाकर चारा डालता और फिर खुद भोजन करता था । यह एक सामान्य नियम था ।

बैल जब बूढ़ा हो जाता था तो उसे कसाइयों को बेचना शर्मनाक सामाजिक अपराध की श्रेणी में आता था । बूढा बैल कई सालों तक खाली बैठा चारा खाता रहता था, मरने तक उसकी सेवा होती थी । उस जमाने के तथाकथित अशिक्षित किसान का मानवीय तर्क था कि इतने सालों तक इसकी माँ का दूध पिया और इसकी कमाई खाई है , अब बुढापे में इसे कैसे छोड़ दें , कैसे कसाइयों को दे दें काट खाने के लिए ??? जब बैल मर जाता तो किसान फफक-फफक कर रोता था और उन भरी दुपहरियों को याद करता था जब उसका यह वफादार मित्र हर कष्ट में उसके साथ होता था । माता-पिता को रोता देख किसान के बच्चे भी अपने बुड्ढे बैल की मौत पर रोने लगते थे । पूरा जीवन काल तक बैल अपने स्वामी किसान की मूक भाषा को समझता था कि वह क्या कहना चाह रहा है ।

वह पुराना भारत इतना शिक्षित और धनाढ्य था कि अपने जीवन व्यवहार में ही जीवन रस खोज लेता था । वह करोड़ों वर्ष पुरानी संस्कृति वाला वैभवशाली भारत था ,

ुल्य_भारत_था_!

Nareli Gyanoday Digamber Jain Temple in Nareli,
29/08/2021

Nareli Gyanoday Digamber Jain Temple in Nareli,

27 जैन मंदिर तोड़कर बनाई मस्जिद दिल्ली महरौली में जैन संपदा के मंदिर के ऊपर क़ुतुब मीनार मस्जिद बड़ा खुलासा साकेत कोर्ट ...
28/08/2021

27 जैन मंदिर तोड़कर बनाई मस्जिद दिल्ली महरौली में जैन संपदा के मंदिर के ऊपर क़ुतुब मीनार मस्जिद बड़ा खुलासा साकेत कोर्ट दिल्ली में लगाई अर्जी 24 दिसंबर को सुनवाई सब जैन भाइयों से अनुरोध 24 तारीख को सब साकेत कोर्ट पहुंचे सुबह 10:00 बजे सुनवाई चालू सब भाइयों से अनुरोध है कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में पहुंच कर यह दिखा दो कि जैन धर्म के जनसंख्या भी कम नहीं है अगर एक मस्जिद टूट जाती तो करोड़ों मुसलमान हो जाते मेरा अनुरोध है कि आप भी इसको अपने ग्रुपों में शेयर करें और ज्यादा से ज्यादा जनसंख्या में पहुंचकर अपना नाम रजिस्ट्रेशन कराएं हमारा यह जैन मंदिर मुगलकालीन उसे पहले जिसके ऊपर मस्जिद बनी है कुतुब मीनार बनी है इन सब को हटाना है और जैन धर्म का नाम रोशन करना है अहिंसा परमो धर्म जय जिनेंद्र संपर्क सूत्र राकेश कुमार जैन दिल्ली वाले मोबाइल नंबर 9560642882 पर संपर्क कर सकते हैं धन्यवाद सब छोटे बड़ों सबको जय जिनेंद्र बड़े सबको जय जिनेंद्र

28/08/2021

आहारचर्या
आज के दर्शन
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ❤️

"हिंदी तिथि अनुसार श्री तरुणसागर जी समाधि दिवस ..    💐श्री तरुणसागर गुरुवे नमः 💐
28/08/2021

"हिंदी तिथि अनुसार श्री तरुणसागर जी समाधि दिवस .. 💐श्री तरुणसागर गुरुवे नमः 💐

पाप-पुण्य  विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी  के विचार 🙏 नमोस्तु गुरुदेव 🙏
28/08/2021

पाप-पुण्य विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी के विचार 🙏 नमोस्तु गुरुदेव 🙏

27/08/2021

60 दीक्षार्थीयो को आज दीक्षा का मुहुर्त प्रदान किया गया. देखे कैसे महान आत्माए हे ये.

29/11/21 को सुरत मे सभी दीक्षार्थी दीक्षा ग्रहण करेंगे....

अहो जिनशासनम....

27/08/2021

Namostu gurudev 🙏🙏🙏

जय जिनेंद्र 🙏🙏
27/08/2021

जय जिनेंद्र 🙏🙏

*🚩सर्व सिद्धि दाता, सर्व मनोकामना पूर्ण, चैतन्य चमत्कारी,  अतिशय युक्त देवाधिदेव 1008 श्री श्रेयांसनाथ भगवान ( सीपुर वाल...
26/08/2021

*🚩सर्व सिद्धि दाता, सर्व मनोकामना पूर्ण, चैतन्य चमत्कारी, अतिशय युक्त देवाधिदेव 1008 श्री श्रेयांसनाथ भगवान ( सीपुर वाले बड़े बाबा ) के विशेष जाप जिससे अनेक प्रकार के रोग, शोक, दुःख दारिद्र का नाश होता है और निरोगता, ऐश्वर्य, धन, संपत्ति, सुख, शांति की प्राप्ति होती है*

*"ॐ नमो अर्हते भगवते श्री श्रेयांसनाथाय श्रेय कराय सर्व विघ्न हराय ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रौं ह्रः अ सि आ उ सा मम् सर्व शांति कुरु कुरु स्वाहा" ।।*

*अतिशय क्षेत्र सीपुर - तहसील-सेमारी, जिला-उदयपुर, राजस्थान - 313903🚩*

26/08/2021

पर्युषण पर्व आ रहा है तो सोच रहे हैं कुछ ऐसा किया जाए जिससे जैन लोगो या प्रतिभा का प्रचार प्रसार हो आप सब अपनी राय जरूर दे 🤔🤔🤔

👤 JAIN PERSONALITIES A GANDHI BEFORE GANDHI: VIRCHAND GANDHI25th August, 2021, yesterday was the 157th Birth Anniversary...
26/08/2021

👤 JAIN PERSONALITIES

A GANDHI BEFORE GANDHI: VIRCHAND GANDHI

25th August, 2021, yesterday was the 157th Birth Anniversary of Shri Virchand Raghavji Gandhi.

Veerchand Raghavji Gandhi was born on 25 August 1864 in Mahuva near Bhavnagar, Gujarat, India to the Mahuva Nagar Sheth Raghavji Tejpalji Gandhi. After completing primary and secondary school in Mahuva, he was sent to Bhavnagar for further studies. In 1879, Gandhi married Jiviben. At the age of 16, upon placing first on the Bhavanagar matriculation examination, he was awarded the ‘Shri Jaswant Singhji’ scholarship. Gandhi continued his education at Elphinstone College, of the University of Bombay. He graduated with honors in 1884, having earned a bachelor's degree in law. Gandhi was a polyglot who spoke 14 languages, including Gujarati, Hindi, Bengali, English, Prakrit, Sanskrit, and French. A barrister by profession, he worked to defend the rights of Jains, and wrote & lectured extensively on Jainism, other religions and philosophy. A 19th Century Indian legend known for his practice of universal brotherhood, he was admired by western people. He died at the tender age of 36.

He settled tax disputes of Palitana and Shikharji piggery case. In 1885, at the age of 21, he became the first honorary secretary of the Jain Association of India. During his term, he fought against a tax being levied by the ruler of Princely State of Palitana on pilgrims visiting Mount Shatrunjaya, Palitana. During the course of this fight Gandhi met Lord Reay (the British colonial governor of Bombay) and Colonel John Watson of the Kathiawar Agency. With the help of these two individuals, he ultimately negotiated an annual fixed payment of Rs.15000, rather than an individual tax on each pilgrim. Gandhi also fought to close a pig slaughterhouse that had been started in 1891 close to Mount Shikharji, a holy place of Jain pilgrimage. Gandhi spent six months in Calcutta learning Bengali and preparing his case against the slaughterhouse. He was eventually successful in getting the slaughterhouse closed.

Gandhi represented Jainism at the first World Parliament of Religions, held in Chicago in 1893. Jain monk Acharya Vijayanandsuri also known as Acharya Atmaram, had initially been invited to represent Jainism at the Parliament, but as Jain monks do not travel overseas, he could not attend. Atmaram recommended Virchand Gandhi to go in his place and serve as the emissary for the religion. Atmaram and his disciple trained Gandhi for six months.

Virchand Gandhi was important delegate to world’s 3 historic events -
- 1893′s Parliament of world religions
- 1893′s World’s Real Estate Congress and as sole Indian delegate participated World’s 3rd historic esteemed event.
- 1899′s International Congress of Commerce by Philadelphia Commercial Museum. From Old Diary Leaves by H.S. Olcott (Co-Founder of Theosophical Society) one learns that Swami Vivekananda, Virchand Gandhi and H.Dharmapala captivated public in 1893′s parliament of world religions.

As a reformer, he initiated a society in chicago called the 'Society for Education of Women in India (SEWI)' under whose banner several Indian women went to the USA for education. As a humanitarian, he collected money & sent Rs 40,000 and a shipload of grains from the USA to India during the worst famine of 1896-97.

He was scholar in various World religions. He had studied Buddhism, Vedanta Philosophy, Christianity and western philosophy. He praised Mogul Emperor Akbar for his equal treatment of all religions. Virchand Gandhi delivered 535 lectures in USA and Europe on various subjects like philosophy, occult science, concentration and others. And he happens to be one of the early personalities who introduced yoga to western people through his speeches on yoga. He is credited for scholarly translation of then a rare book, from french to English – ‘Unknown Life of jesus Christ’. Virchand Gandhi used to always express gratitude towards western people on his and nation’s behalf, in his speeches for their extended love and respect.

He was a friend of Mahatma Gandhi and used to help him in understanding Indian law by telling him stories of stalwarts and Barristers like Pheroz shah and Badruddin Tyabji etc. Virchand helped Mahatma in the latter's struggle to establish a legal practice. He also joined Mahatma in his experiments in dietetics (vegetarianism).

Virchand Gandhi died at the age of thirty-six of haemorrhaging of the lungs on 7 August 1901 at Mahuwar, near Mumbai, India.

In his Memory...
- Over the years, to commemorate this forgotten legend, in 1964 a museum was constructed in Bhuj, Kutch, Gujarat and dedicated to Veerchand Gandhi.

- In the 1990s, statues of Gandhi were erected in Chicago and Mahuva.

- He was remembered in the 1993 Parliament of World religions.

- A drama based on his life, Gandhi Before Gandhi, was performed 200 times throughout the world.

- On 8 November 2009, the Indian Postal Department honoured him by issuing a postal stamp with his image.

- And many other Jains and organisations have conducted various programmes in his memory.

(https://en.m.wikipedia.org/wiki/Virchand_Gandhi, www.livehistoryindia.com/story/snapshort-histories/the-other-gandhi-meets-the-world, https://virchandgandhi.wordpress.com/)

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