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Bangladesh Migrants: A Threat to India ||
06/09/2024

Bangladesh Migrants: A Threat to India ||

झारखंड चुनाव: आव्रजन संबंधी भय से राजनीतिक तनाव बढ़ा ||झारखंड के विधानसभा चुनाव से दो महीने दूर, भाजपा के नवीनतम दावे कि...
06/09/2024

झारखंड चुनाव: आव्रजन संबंधी भय से राजनीतिक तनाव बढ़ा ||

झारखंड के विधानसभा चुनाव से दो महीने दूर, भाजपा के नवीनतम दावे कि भारत में जमीन और सत्ता हासिल करने के लिए आदिवासी महिलाओं की शादी बांग्लादेश के अवैध मुस्लिम प्रवासियों से की जा रही है, भ्रम और चिंता पैदा कर रही है। संथाल परगना क्षेत्र में, कथित जनसंख्या परिवर्तन के आसपास स्पष्ट शत्रुता की जांच करने के लिए अभिनय लक्ष्मण साहिबगंज और पाकुड़ की यात्रा करते हैं।

जैसे ही झारखंड के साहेबगंज जिले के राजमहल शहर में गंगा का गाढ़ा भूरा कीचड़ दक्षिण की ओर अपने अंतिम विस्तार की ओर बढ़ता है, दोपहर की अज़ान (प्रार्थना के लिए आह्वान) की गूंज सुनाई देती है। यह अपने रास्ते में आने वाली झाड़ियों को चुपचाप खींच लेता है। मालदा जिले के दक्षिणी सिरे को बनाने वाली छोटी सी पट्टी, जो पश्चिम बंगाल की गर्दन का हिस्सा है, निर्जन गंदे पानी के लंबे मील तक दिखाई देती है। इसके पार बांग्लादेश स्थित है ||

पार करने में कठिनाई का स्तर क्या है?" 44 वर्षीय प्रदीप भगत पूछते हैं, जो राजमहल के बाहर एक कस्बे बरहरवा में पले-बढ़े हैं। "हमारे क्षेत्र में मुस्लिम आबादी में वृद्धि के लिए कोई अन्य स्पष्टीकरण नहीं है। वह कहते हैं, "वे बांग्लादेश से मुसलमान आ रहे हैं। अपने सुविधा स्टोर में बैठे हुए, वह ऊपर से टिन शेड पर गिरती बारिश को देखते हैं।

Note : LIkes And Folllow My Page.

झारखंड भारतीय उपमहाद्वीप में स्थित एक राज्य है जिसकी शिल्पकला भारतीय सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है। झारखंड क...
01/09/2023

झारखंड भारतीय उपमहाद्वीप में स्थित एक राज्य है जिसकी शिल्पकला भारतीय सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है। झारखंड की शिल्पकला उसके स्थानीय जनजातियों और सांस्कृतिक विविधताओं का परिचायक होती है, जिनमें मुख्य रूप से पहाड़ी और घाघरिया जनजातियाँ शामिल हैं।

झारखंड की शिल्पकला के मुख्य आकार में निम्नलिखित शैलियाँ शामिल हैं:

1. *खोवरशी शिल्प*: खोवरशी एक प्रमुख लोककला है जिसमें बातचीत को व्यक्त करने के लिए चित्रों का उपयोग किया जाता है। यह चित्र मुख्य रूप से धारोहरिक घरों की दीवारों पर बनाए जाते हैं।

2. *पैंटिंग और काढ़ाई*: झारखंड के कुछ क्षेत्रों में पैंटिंग और काढ़ाई की परंपरा है। यहाँ पर विभिन्न प्रकार के डिजाइन और मोटीफ्स को कपड़ों पर बनाने का काम किया जाता है।

3. *ढोक्रा कला*: ढोक्रा कला झारखंड के कुछ क्षेत्रों में पाई जाती है, जिसमें लोहे की आबूझ का उपयोग होता है। इसमें विभिन्न प्रकार के आकृतियाँ और डिज़ाइन्स बनाए जाते हैं जो आधुनिक और पारंपरिक दोनों रूपों में हो सकते हैं।

4. *मूड़ा कला*: मूड़ा कला झारखंड की एक प्रमुख लोककला है, जिसमें मिट्टी के बनाए जाते हैं। यह जलक्रियाएँ होती हैं जिनमें मूर्तियाँ बनाने की कला शामिल होती है।

5. *पोखरा शिल्प*: पोखरा शिल्प झारखंड की जनजातियों की खास पहचान है, जिसमें वनस्पति और जल संसाधनों का उपयोग होता है।

6. *धानी पैंटिंग*: झारखंड में धानी पैंटिंग भी एक प्रसिद्ध शिल्पकला है जिसमें बोर्ड पर चित्र बनाने का काम किया जाता है।

झारखंड की शिल्पकला उसकी स्थानीय सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसका अद्यतन समय-समय पर होता रहता है जिससे यह सांस्कृतिक धरोहर जीवंत बनी रहती है।|

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भारत में जनजातियों की आदिवासी ज्वेलरी कला विविधता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। यहाँ आपको कुछ प्रमुख भारतीय आदिवासी ...
30/08/2023

भारत में जनजातियों की आदिवासी ज्वेलरी कला विविधता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। यहाँ आपको कुछ प्रमुख भारतीय आदिवासी जनजातियों की ज्वेलरी कला के बारे में जानकारी मिलेगी:

1. *खोवरशी जनजाति (Santal)*: खोवरशी जनजाति के लोग झारखंड और पश्चिम बंगाल में बसे हुए हैं और उनकी ज्वेलरी कला मुख्य रूप से सोने, चांदी, और धातु की बनी होती है। वे आकृतियों, पत्तियों, और गहनों की तरह की ज्वेलरी बनाते हैं जो उनकी सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा है।

2. *घाघरिया जनजाति (Oraon)*: घाघरिया जनजाति झारखंड, चात्तीसगढ़, ओडिशा, और पश्चिम बंगाल में पाई जाती है और उनकी ज्वेलरी में सोने, चांदी, और फीते का उपयोग होता है। उनकी ज्वेलरी में धारोहरिक मोती, पत्तियाँ, और आकृतियाँ शामिल होती हैं।

3. *भील जनजाति*: भारत के विभिन्न क्षेत्रों में बसे भील जनजाति के लोग अपनी विशेष ज्वेलरी कला के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी ज्वेलरी में धातु, सोना, और पत्थरों का उपयोग होता है और उनकी आकृतियाँ और डिज़ाइन्स बहुत ही रूचिकर होते हैं।

4. *नागा जनजाति*: नागा जनजाति नागालैंड राज्य में बसी हुई है और उनकी ज्वेलरी कला अपने आकृतियों, घंटियों, और विभिन्न प्रकार के मोतियों के लिए प्रसिद्ध है।

5. *आदिवासी जनजातियाँ पूरे भारत में*: भारत में और भी कई आदिवासी जनजातियाँ हैं जिनकी अपनी विशेष ज्वेलरी कला है, जैसे कि मणिपुरी, ग़ोंड, मुण्डा, खोंड, आदि।

आदिवासी जनजातियों की ज्वेलरी कला उनकी सांस्कृतिक पहचान का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह उनकी सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाता है जो उनकी विशेषता को बढ़ावा देता है।

बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के मूल स्वरूप में विद्यमान हैं औषधियों के देवता -बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर...
28/08/2023

बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के मूल स्वरूप में विद्यमान हैं औषधियों के देवता -

बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है, जो कि भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है। ज्योतिर्लिंग देवघर जिले पर है, जो झारखण्ड राज्य, भारत में स्थित है। यहां के बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को बाबा बैद्यनाथ भी कहते हैं।

आपने उल्लेख किया है कि इस ज्योतिर्लिंग के मूल स्वरूप में विद्यमान हैं औषधियों के देवता। इसमें आपकी बात सही है क्योंकि भगवान शिव के इस रूप को ब्रह्मा, विश्वकर्मा और वैद्यनाथ के नाम से जाना जाता है। वैद्यनाथ का अर्थ होता है 'औषधियों का भगवान' और उन्हें औषधियों के देवता के रूप में पूजा जाता है। इसका मतलब है कि वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के प्रतिष्ठित स्थल पर औषधियों की विशेष पूजा और अर्चना की जाती है, जिसका मान्यता से इलाज के लिए आशीर्वाद मिलता है।

इस प्रकार, बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग हिन्दू धर्म में उपास्य औषधियों के देवता के रूप में पूजे जाते हैं।

शिव से संबंधित विभिन्न मान्यताओं के अवलोकन से यह स्पष्ट हो जाता है कि रुद्र की उपासना की प्रसिद्धि धीरे-धीरे शिव की उपासना में बदल गई। रुद्र के विभिन्न नामों के साथ औषधि के कारण उन्हें वैद्य के रूप में भी महत्व दिया गया। शिव को पार्वती और उमा के साथ सम्बद्ध किया गया है। हिन्दू उपासना पद्धति में शिव के इस रूप की लोकप्रियता बढ़ी। उत्तर वैदिक काल में लिंगोपासना की परंपरा विकसित हुई, और इसके साथ ही शिवोपासना के प्रसिद्ध केंद्र भी उत्पन्न हुए। भारतीय लिंगोपासना की परंपरा में द्वादश ज्योतिर्लिंगों का महत्व बढ़ा, और वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का महत्व इसी प्रकार भारतवर्ष में प्रस्तुत हुआ॥

वीर शैवमत में इस बात का उल्लेख है कि शिव से ही समस्त चराचर की उत्पत्ति हुई है और शिव में ही सब विलीन हो जाते हैं, क्योंकि सांख्यकार कपिल महर्षि का मत है कि स्थावर जंगम रूपी इस जगत् की उत्पत्ति रजः, सत्व, तमोमयी प्रकृति से हुई है, इससे भिन्न कोई जगतकर्त्ता नहीं है और प्रकृति पुरुषों का विवेक ही मुक्ति है, परन्तु यह मत श्रुतियों के विरुद्ध पड़ता है, क्योंकि "तत्सृष्टवात देवानु प्रविष्टः, यतो वा इमानि भूतानि जायन्ते, भू इमान लोकायनिशतः ईशनिभिः" इत्यादि श्रुतियां एक स्वर से प्रतिपादित करती हैं कि परमेश्वर ने ही अपने शक्ति विलास से जगत् की सृष्टि की है। इसके अतिरिक्त नीलग्रीवा विलोहित ऋतं च सत्यम् आदि श्रुतियां भी ईश्वर की गुण विभूति आदि का ही प्रतिपादन करती हैं। प्रकृति से जड़ है, अतः चेतन की सहायता के बिना वह अकेली सृष्टि की रचना कभी नहीं कर सकती।

शिव तत्व की व्याख्या के क्रम में यह सत्य सर्वोपरि है। इसी प्रकार ''भूयशामस्यार बलियस्त्वम्'' इस न्याय से मनु आदि की स्मृतियां भी परमेश्वर का जगत-कल सिद्ध करती हैं, किन्तु सांख्य मत के इस विचार को वेदवाद के निरूपण में आलोचना के रूप में ही देखा जाता है। वीर शैव विज्ञान में शक्ति विशिष्टाद्वैत मत में जो शक्ति उसमें सूक्ष्मचिद् विशिष्ट शक्ति और स्थूलचिर विशिष्ट शक्ति इन दोनों ही विचारधाराओं की मान्यता है। इनमें से पहली शक्ति से शिव का ग्रहण और दूसरी से जीव का बोध होता है। शक्ति विशिष्टाद्वैत पद के विग्रह शक्ति विशिष्ट परमात्मा और जीवात्माओं के ऐक्य का ही बोध होता है।

वीर शैववाद में शिव के महत्व की विवेचना इसी क्रम में विद्यमान है। धर्म रूप शक्ति और धर्मी रूप शिव से भिन्न नहीं हैं। शक्ति तत्व से लेकर पृथ्वी तत्व पर्यन्त, यह सम्पूर्ण विश्व शिव तत्व से ही उत्पन्न हुआ है। इसलिए शिव उसका कारण है और जगत उसका कार्य है।|

िका कारण और घट कार्य होने पर भी मृतिका घट से अलग नहीं होकर जैसे घट भर में व्याप्त है, वैसे ही कारण रूपी शिव जगद्रूप कार्य में व्याप्त हैं। इससे यह सिद्ध है कि जगत का उपादान कारण शिव ही हैं। पूर्ववर्ती अवस्था वाली वस्तु जैसे आगे की स्थूल वस्तु का उपादान कारण होती है, अर्थात् जैसे घटत्वावस्था विशिष्ट घट पदार्थ का उपादान कारण, कापलात्वावस्था विशिष्ट कपाल पदार्थ होता है, वैसे ही सूक्ष्मावस्था विशिष्ट ब्रह्म, स्थूलावस्था विशिष्ट जगद्रूप ब्रह्म का उपादान कारण है, इसलिए शिव को कारण ब्रह्म और जगत का कार्य ब्रह्म कहा गया है।

वीर शैवमत में आणव, माया और कार्मिक इन तीनों मलों को आत्मा से आवृत कहा गया है और परमेश्वर की इच्छा, ज्ञान, क्रिया नामक चेष्टाएं ही संकोच भाव से त्रिविध मल रूप हो गई हैं। इन्हीं से आवृत आत्मा अपने विभुत्व को खोकर पशु हो जाती है। शिव तत्व के बोध से इन मलों का विनाश संभव है। कश्मीरी शैवमत में भी शिव को महत्व दिया गया है। स्पन्द शास्त्र और प्रतिभा शास्त्र के माध्यम से शिव-तत्व के बोध को स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है। वस्तुतः कश्मीरी शैव दर्शन में शिव तत्व विमर्श को परम सत्य से जोड़ने का प्रयास किया गया है और दिव्य दृष्टि बोध की व्याख्या की गई है। लिंगायत की परम्परा भी उत्तर वैदिक प्रकरण की बात है, साथ ही शक्तिवाद और शाक्त साधना के माध्यम से शिव का लोक-मानस की दृष्टि में अध्ययन करने का प्रयास किया गया है।|

शिव से संबंधित विभिन्न मान्यताओं के अवलोकन से यह स्पष्ट हो जाता है कि रुद्र की उपासना की प्रसिद्धि धीरे-धीरे शिव की उपासना में बदल गई। रुद्र के विभिन्न नामों के साथ औषधि को उपयोगिता के कारण उन्हें वैद्य के रूप में भी महत्व दिया गया। शिव को पार्वती और उमा के साथ सम्बद्ध किया गया है। हिन्दू उपासना पद्धति में इसी रूप की लोकप्रियता बढ़ी ||

08/11/2022

Happy Guru Nanak jayanti ||

टोमोर्रोव धनबाद पॉलिटिक्स की और से आपको और आपके पुरे परिवार को दीपावली की ढेर सारी बधाई और शुभकामनायें  |               ...
24/10/2022

टोमोर्रोव धनबाद पॉलिटिक्स की और से आपको और आपके पुरे परिवार को दीपावली की ढेर सारी बधाई और शुभकामनायें |

16/10/2022

जोहर : दीपावली के शुरू होने से 10 दिन पहले ही यह पर्व उन सभी लोगो के लिए गले का फास बन जाता है , जो सालो से मोन धारण कर अपने घर के किसी कोने में बैठे होते है | जिससे अपने घर के बाहर हो रहे छोटे बड़े समस्या से कोई फर्क नहीं पड़ता है | पर जैसे ही दीपावली का पर्व आने वाला होता है इन्हे एक साथ न जाने कितने सारे प्रदुषण दिखाई देने लगते है ( एयर पोलुशन , साउंड पोलुशन और ही न जाने कितने )| और ज्ञान की बाते ऐसे करेंगे जैसे 8- 10 सालो से रिसर्च कर के बैठे हो |

अगर , हम सब air polution की बात करे ? तो हर दिन छोटे बड़े फ़ैक्टरियो से निकलने वाला धुँआ से बहोत बड़ी मात्रा में एयर पोलुशन हो रही है पर किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता है और न ही इनके बारे में कभी न्यूज़ चैनल वाले और किसी भी राज्य की सरकार बात करती है और न ही सुन्ना चाहती है | क्यों की यहाँ से आने वाला पैसो को | ये राज्य में होने वाले इलेक्शन में उपयोग करते है | और न जाने तरह के कितने ही कामो को करते होंगे |

ठीक इसी तरह झारखण्ड सरकार के द्वारा दिवाली और छठ पूजा पर दो घंटे पटाखे चलाने की अनुमति दी गई है | झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने वायु प्रदूषण के देखते हुए आदेश दिए हैं। कि इस दीपावली में राज्य के किसी भी गली-मोहल्लों में पटाखे की बिक्री नहीं होगी। पटाखा बिक्री के लिए लाइसेंस लेना होगा। पायुक्त ने एक्सप्लोसिव रूल 2008 के तहत कुछ शर्तों के साथ पटाखा दुकान लगाने की अनुमति दिया गया है। सके लिए जगह-जगह कलस्टर बनाए जाएंगे | जहा पर खुदरा विक्रेता दुकान लगा सकें | और पटाखा बेचने वालों दुकानदारो को प्रशासन से लाइसेंस भी लेना होगा। और लाइसेंस के लिए देना होगा आवेदन | पटाखों की खुदरा बिक्री के लिए जिला सामान्य शाखा लाइसेंस जारी करेगी। इसके लिए दुकानदार को आवेदन करना होगा।

झारखण्ड सरकार के द्वारा दो घंटे ही पटाखे चलाने की अनुमति दिया गया है | प्रदूषण नियंत्रण के लिए दिवाली पर मात्र दो घंटे ही पटाखे चलाने की अनुमति होगी। इसके लिए झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने वायु प्रदूषण (ध्वनि समेत अन्य) को नियंत्रित रखने के लिए जरूरी आदेश जारी किए हैं। कहा गया है कि दिवाली पर रात 8 से 10 बजे तक ही पटाखे चलेंगे। गुरु पर्व पर भी यही समय तय हुआ है। छठ में प्रात: 6 से आठ बजे और क्रिसमस-नववर्ष पर मध्य रात्रि 11:55 से 12:30 बजे तक ही पटाखे चलाने की इजाजत रहेगी।
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जोहर - दुमका अंकिता मर्डर केस को 1 महीने से ऊपर हो चला है और लोग इस घटना को धीरे धीरे भूलते जा रहे है , और अपने रोजाना क...
03/10/2022

जोहर - दुमका अंकिता मर्डर केस को 1 महीने से ऊपर हो चला है और लोग इस घटना को धीरे धीरे भूलते जा रहे है , और अपने रोजाना के काम में व्यस्त हो गए है | पर में इस घटना को भूल नहीं सकता हु , और कोसिस करता रहूँगा की अपने ब्लॉग के साथ आपको अवगत कराता रहूँ |

16 वर्षीय छात्रा अंकिता के शरीर पर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा देने की घटना दुमका शहर में 23 अगस्त को हुई थी। 27 अगस्त को देर रात रिम्स में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। इस मामले में शाहरुख हुसैन और नईम उर्फ छोटू खान के विरुद्ध पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है। दोनों के विरुद्ध कोर्ट में अभी केस का ट्रायल चल रहा है। और शायद २ या ३ सालो तक यूँ ही चलता रहेगा | सारे सुबूत और गवाह होने के वावजूद १ महीने से कोर्ट में अभी केस का ट्रायल चल रहा है। ऐसा है भारत का सविधान का कानून | केस के ट्रायल के दौरान मौजूदा समय में सोशल मीडिया के जरिए अंकिता के गवाहों को धमकी देने का सिलसिल शुरू हो चूका है | सबसे बड़ी बात तो यह है की बीजेपी की महिला नेताओं को भी डीजीपी का नाम लेकर धमकाया जा रहा है। और अंकिता केस गवाह न देने में जोर दिया रहा है | पीड़िता को इंसाफ दिलाने की मांग को लेकर आंदोलन करने वाली भाजपा महिला मोर्चा की नेताओं- जिला अध्यक्ष नीतू झा, प्रिया दत्ता और पुष्पा सिंह को भी धमकी मिली है। सोशल मीडिया से दी जा रही धमकी में झारखंड के डीजीपी का भी नाम सामने आने से भाजपा विधायक दल के नेता ने बाबू लाल मरांडी ने राज्य के डीजीपी से इस मामले में बात की। डीजीपी को यह जानकारी दी कि धमकी से पीड़िता के पिता और अन्य गवाह डरे हुए हैं। दुमका की महिलाओं को भी झारखंड पुलिस का नाम लेकर सोशल मीडिया के माध्यम से डराया जा रहा है। भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने बताया कि झारखंड के डीजीपी को यह जानकारी नहीं थी कि कोई उनके नाम से दुमका की महिलाओं और गवाहों को धमका रहा है।

बाबू लाल मरांडी ने डीजीपी से इस मामले की जांच करा कर कार्रवाई करने का अनुरोध किया है ताकि कोर्ट में चल रहे ट्रायल में छात्रा हत्याकांड के गवाह भय मुक्त हो कर गवाही दे सके। और जो भी सोशल मीडिया के जरिए धमकी देने की गतिविधि को अंजाम दे रहा है उसके खिलाफ कठोर कार्यवाही करने की मांग की है | इधर भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश महामंत्री मंजुलता दुबे ने राज्य महिला आयोग महाराष्ट्र और राष्ट्रीय महिला आयोग के अध्यक्ष को पत्र लिख कर शिकायत करते हुए हस्तक्षेप की मांग की है।


जोहर - झारखंड बार काउंसिल  के उठाये गए कदम की सराहना करनी चाहिए | झारखंड बार काउंसिल ने ऐसे वकीलों को आड़े हाथो लिया है ज...
02/10/2022

जोहर - झारखंड बार काउंसिल के उठाये गए कदम की सराहना करनी चाहिए | झारखंड बार काउंसिल ने ऐसे वकीलों को आड़े हाथो लिया है जो वकालत नहीं करते हैं, बस अपना समय गुजारने कोर्ट जाते है | बार काउंसिल के द्वारा दिए गए रिपोर्ट में बताया गया है कि करीब छह हजार वकीलों के पास वकालत का लाइसेंस तो है, लेकिन ये प्रैक्टिस नहीं कर रहे हैं। इन वकीलों के पास वकालत का लाइसेंस होते हुए वकीलों ने अपना दूसरा पेशा भी अपना लिया है। इस रिपोर्ट में ऐसे वकीलों के नाम की लिस्ट है जो कोर्ट में बहस नहीं करते हैं, लेकिन बार संघों में मतदान कर रहे हैं और वकीलों की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी ले रहे हैं। अब तक झारखंड में सब जिलों को मिलकर 30 हजार से अधिक वकील निबंधित हैं, और कई वकालत के पेशे में ही नहीं हैं। कई वकील लाइसेंस लेकर कोर्ट में प्रैक्टिस नहीं करते। अपने निजी काम ही करने में व्यस्त है | ऐसे बहोत से वकील है जो प्रॉपर्टी डीलिंग समेत अन्य प्रकार के व्यावसाय में कार्यरत है | इनमे कोई बुराई नहीं है हर किसी को अपने और अपने परिवार का भरण पोषण के लिए काम करना चाहिए | पर झारखण्ड के वकीलों के पास वकालत का लाइसेंस होने के बावजूद वकालत के पेशे में किसी तरह के सहयोग नहीं देने से वकालत के पेशे में मिलना वाला लाभ भी नहीं लेना चाहिए था | वकालत के सिवा दूसरा काम नहीं करने का शपथपत्र बार काउंसिल ऑफ इंडिया के निर्देश पर झारखंड बार काउंसिल ने राज्य के सभी जिला बार संघों से ऐसे वकीलों की सूची मांगी थी। हालांकि अभी अंतिम सूची तैयार नहीं की गयी है। अंतिम सूची तैयार होने के बाद करीब 8 हजार वकीलों के लाइसेंस रद्द हो सकती है |

इस कदम को उठाने की बहोत ही ज्यादा जरुरत थी | बार काउंसिल से निबंधन कराने के बाद कई वकील दूसरा व्यवसाय कर रहे हैं। ऐसे में उनके साथ कुछ घटना होती है, तो वह बार जिला बार संघों के पास जाते हैं। कई बार उस वकील की जानकारी बार संघों को भी नहीं हो पाती है। जमीन कारोबार में कई वकीलों के शामिल होने की सूचना मिलने के बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने यह निर्णय लिया है।

इस आदेश के पुरे झारखण्ड में लागु होने के बाद क्या होगा यही सोच रहे होंगे -बार काउंसिल ऑफ इंडिया देशभर में ऐसे वकीलों का डाटा तैयार कर रही है, जो कोर्ट में नियमित प्रैक्टिस कर रहे हैं। इसके बाद ऐसे वकीलों का ही लाइसेंस बरकरार रखने की योजना है। इसके लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सभी जिला बार एसोसिएशन के माध्यम से एक सूची तैयार करने का आदेश दिया है। इसमें वकीलों की जांच की जाएगी कि कौन प्रैक्टिस कर रहा है और कौन नहीं। इनमें काफी ऐसे बुजुर्ग वकील भी हैं, जो अब कोर्ट नहीं आ सकते।

नए नियम से राज्य में वकीलों की ख़राब हुई छवि को सुधारा जायेगा - नए नियम से प्रदेश में केवल वही वकील ट्रेस हो जाएंगे, जो असल में कोर्ट में प्रैक्टिस करते हैं। इससे प्रोफेशनल वकीलों की संख्या बढ़ेगी और प्रैक्टिस न करने वाले वकील घर बैठ जाएंगे। इसके अलावा ऐसे वकीलों से भी छुटकारा मिल जाएगा, जो नाम के लिए वकील बने हुए हैं। अब जिला बार के होने वाले चुनाव में भी केवल सही वकील ही वोटर रहेंगे।

जोहर - हम सभी जब जब भी डाक सेवा का नाम सुनते है या पढ़ते है तो हमारे जहन  में बसी पुराने दिनों की याद तजा हो जाती है , जब...
30/09/2022

जोहर - हम सभी जब जब भी डाक सेवा का नाम सुनते है या पढ़ते है तो हमारे जहन में बसी पुराने दिनों की याद तजा हो जाती है , जब डाकिया हमारे घरो पर चिठ्ठी देने आया करते थे | पर समय के साथ पूरी दुनिया डिजिटल की और जा रही है , ऐसे में भारतीय डाक सेवा पीछे कैसे रह सकती है | डिजिटल इंडिया पहल के तहत महानिदेशक (डाक सेवा) ने विभाग के भीतर स्थानांतरण अनुरोधों को संसाधित करने के लिए डिजिटल पर एक वेब आधारित एप्लिकेशन आज लॉन्च किया है। नई प्रणाली मानवीय हस्तक्षेप को कम करेगी जिससे व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी और कर्मचारियों को सुविधा मिलेगी | डिजिटल पर एक वेब आधारित एप्लिकेशन लॉन्च के बाद डाक विभाग के सभी कर्मचारी डिजिटली काम कर सकते है | जिनसे उन्हें अपंने काम के पुराने और नए डाटा को इकठ्ठा करने में आसानी होगी | चुकी पुराने दिनों में उन्हें डाटा को इकट्ठा करने के लिए लिखना पड़ता था जिससे पूरा दिन का समय लग जाता था | डाक सेवा डिजिटली होने के वजह कर्मचारि बहोत खुश है | अब डिजिटली काम करने में सहूलियत मिलेंगी |

Tomorrow's Dhanbad Politics टीम की और से डाक सेवा विभाग में काम कर रहे सभी कर्मचारियो को बहोत बहोत बधाई हो और शुभकामनये |

#डाक

जोहर -:गुरुवार को हुई केबिनेट बैठक में सीएम हेमंत सोरेन ने 30 प्रस्तावों पर मोहर लगी | इन प्रस्तावों में सरकार ने राज्यव...
30/09/2022

जोहर -:गुरुवार को हुई केबिनेट बैठक में सीएम हेमंत सोरेन ने 30 प्रस्तावों पर मोहर लगी | इन प्रस्तावों में सरकार ने राज्यवासियों को सड़क और स्वास्थ्य सुविधाओं की बड़ी सौगात दी है। इस कैबिनेट की बैठक में पुरे राज्य में बस तीन सड़कों के चौड़ीकरण के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई | जिसमे दो रोड रांची-पुरुलिया पथ चौड़ीकरण और फोरलेन हेतू 181 करोड़ 73 लाख की प्रशासनिक स्वीकृति.व् दूसरा रांची के बरियातू बड़गाई बोड़ैया पथ के चौड़ीकरण के लिए 111 करोड़ की प्रशासनिक स्वीकृति मिल गई है | और वहीं लोहरदगा में बनेगा 100 बेड वाला क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल . 52 करोड़ 83 लाख की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई, लोहरदगा, खूंटी और सरायकेला में क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल भवन बनेगा| ये वहां के रहने वाले लोगो के लिए बहोत बड़ी सोवगात है इसका लाभ उन्हें भविष्य में मिलने वाला है |

पर राज्य के और जिलों में रहने वालो लोहो का क्या ? जो रोज ही किसी ने किसी स्वास्थ्य समस्या से झूझ रहे है | क्यों की सरकारी अस्पताल से लोगो का भरोषा ही उठता जा रहा है , सही समय पर इलाज हो जाये यही बहोत बड़ी बात है रहने वाले लोगो के लिए | लोहरदगा में 100 बेड वाला क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल बनने के लिए 52 करोड़ 83 लाख की लगात लगने वाला है | अगर सरकार द्वारा हर जिला अस्पताल में 5 छोटी बड़ी मेडिकल चिकित्सकीय संसाधन ही दे दिए जाये और साथ ही क्रिटिकल केयर के लिए 20 बेड ही दे दिया जाये | तो लोगो कम स्वास्थ्य समस्याओ का सामना करना पड़ेगा | पर सरकार को ये सब पता होने के बाद भी मुख दर्शक बन कर चुप रहना पसंद करते है |

झारझंड के सीएम हेमंत सोरेन के द्वारा केबिनेट के फैसले -

लोहरदगा में बनेगा 100 बेड वाला क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल बनेगा. 52 करोड़ 83 लाख की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई.लोहरदगा,

खूंटी और सरायकेला में क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल भवन बनेगा.

इंटर स्टेट बस टर्मिनल जमशेदपुर में बनेगा, 70 करोड़ 40 लाख की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई.

योजना बजट के अतिरिक्त व्यय के लिए सक्षम पदाधिकारी को मिला अधिकार.

चतरा के नवगठित बचरा नगर पंचायत को विघटित करने की स्वीकृति दी गई.

सरायकेला में मेसर्स रुंगटा माइंस को नवीकरण विकल्प के साथ लीज बंदोबस्ती 30 वर्ष के लिए किया गया.

झारखंड फ्लाइंग इंसीट्यूट के गठन की स्वीकृतिराज्य के 180 मदरसों और 11 संस्कृत स्कूलों के पेंशन उपादान की स्वीकृति

हजारीबाग के बरही अनुमंडल न्यायालय हेतू 4 पदों की स्वीकृति

झारखंड औद्योगिक पार्क और लॉजिस्टिक की स्वीकृति

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत नगड़ी के मुड़मा में कुष्ठ रोगियों के लिए 256 आवास बनाने की स्वीकृति

रांची-पुरुलिया पथ चौड़ीकरण और फोरलेन हेतू 181 करोड़ 73 लाख की प्रशासनिक स्वीकृति.

रांची के बरियातू बड़गाई बोड़ैया पथ के चौड़ीकरण के लिए 111 करोड़ की प्रशासनिक स्वीकृति.

मौजूदा पिछले कुछ सालो में ऑनलाइन गेमिंग इडस्ट्री का विकाश सबसे तेज गति से हुई है | बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप और वेंचर कैपिट...
28/09/2022

मौजूदा पिछले कुछ सालो में ऑनलाइन गेमिंग इडस्ट्री का विकाश सबसे तेज गति से हुई है | बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप और वेंचर कैपिटल फर्म सिकोइया के दिए गए आकोड़ो के अनुसार , भारत में ऑनलाइन गेमिंग इडस्ट्री सालाना ३८% की तीब्रता से अपने पाँव फैला रही है | भारत में सालाना 38% की तीब्रता से शायद ही यहाँ की शिक्षा दर बड़ी हो | 5जी टेलीकॉम सर्विसेज की सेवाएं सुरु होने के साथ ही ईद इडस्ट्री की ग्रोथ और तीब्रता से बढ़ेगी | केपीएमजी के अनुसार , भारत में अभी तक 400 से ज्यादा गेमिंग कंपनियां है और ऑनलाइन गेम खेलने वालो की संख्या 42 करोड़ है | आपको शायद ही पता होगा पूरा भारत के सभी स्कूलों में पड़ने वालो बच्चो की संख्या 25 करोड़ ही है जीसे आप अंदाज़ा लगा सकते है की हमारे देश की शिक्षा को फाटे हाल में हो छोर दिया गया है | और पुरे विश्व में गेम खेलने वालो की संख्या सबसे ज्यादा चीन देश में है | गेमिंग इंडस्ट्री के बदौलत भारत दुनिया के शीर्ष 5 मोबाइल गेमिंग बाजारों में शामिल जो गया है | केपीएमजी के द्वारा किये गए आकलन में बताया गया है , वर्ष 2023 - 2024 के आखिर तक भारतीय गेमिंग इंडस्ट्री की आय 29,400 करोड़ से ऊपर निकल जाएगी , जो वर्ष 2020 -2021 में 14,311 करोड़ रुपए थी |

गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी कंपनी क्लाउड गेमिंग के बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही है , भारत में 5जी टेलीकॉम सर्विस की सेवाएं शुरू होते ही गेम खेलने वाले उसेर्स को नए गेमदेखने और खेलने को मिलेंगे | और साथ ही भारती एयरटेल डिजिटल के CEO आदर्श नायर ने कहा है की हमारी फोकस एरिया गेमिंग बिज़नेस स्ट्रेटजी पर होगा | 5जी टेक्नोलॉजी में लो लटेंसी के साथ हाई स्पीड भी मिलेगी | जो क्लाउड गेमिंग के लिए 5जी के लिए सबसे ज्यादा उपयोग होगा | 5जी के साथ देश में क्लाउड गेमिंग का नया दौर शुरू हो जायेगा | इस साल के आखिर तक देश में 5जी सेवाएं शुरू होने जा रही है | विदेश की बहोत सी कम्पनिया भारत के टेलीकॉम कंपनियों से बात कर रही है की भारत में 5जी नेटवर्क के साथ क्लाउड गेमिंग सर्विसेज लांच कर सके |

दुर्गा पूजा के समाप्त होने के बाद  मनी लॉड्रिंग के साथ कई और गंभीर आरोपों से झूझ रही आईएएस अधिकारी  पूजा सिंघल की जमानत ...
27/09/2022

दुर्गा पूजा के समाप्त होने के बाद मनी लॉड्रिंग के साथ कई और गंभीर आरोपों से झूझ रही आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल की जमानत पर फैसला होगा | निचली अदातल ने मनरेगा घोटाला और मनी लॉड्रिंग मामले में निलंबित चल रही आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल की जमानत याचिका पर सुनवाई अब दुर्गा पूजा के बाद होगी | पिछले समय से इस केस की सुनवाई अंबुज नाथ की कोर्ट में हो रही है | पिछली सुनवाई में ईडी ने अपना जवाब दाखिल करने के लिए कोर्ट से कुछ और समय मांगा था | जिसके वजह से इस मामले की सुनवाई के लिए दुर्गा पूजा की छुट्ठी समाप्त होने के बाद का समय निर्धारित किया गया है। निचली अदातल ने पूजा सिंघल की जमानत याचिका ख़ारिज किये जाने के बाद आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल हाइ कोर्ट की और रुख करते हुए अपनी जमानत के लिए गुहार लगा रही है | जमानत याचिका में पूजा सिंघल ने कहा है कि उन्हें इस मामले में फंसाया जा रहा है , और उनकी तबियत अच्छी नहीं है इस आधार पर उन्हें जमानत दी जाए।

इडी के द्वारा किये गए छापेमारी में दस्तावेजी सबूतों, बयानों, बैंक लेनदेन और कुछ डिजिटल सबूतों का मिल जाने के बाद पूजा सिंघल के पास ऐसे ही फर्जी ब्यान की लिस्ट भरी पड़ी है , पूजा सिंघल को ऐसा लगता है की ऐसे बोलने से कोर्ट के द्वारा जमानत दे दी जाएगी | पूजा सिंघल चार महीने से जेल मेंबंद हैं ऐसे अधिकारी को ४ महीने नहीं पुरे १० साल जेल में बंद कर देना चाहिए और उनकी पूरी सम्पति को सर्कार के द्वारा सीज कर देना चाहिए |

20/09/2022

जोहर -1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति का विरोध करते दिख रहे है ,अखिल भारतीय भोजपुरी, मगही, मैथिली और अंगिका मंच के अध्यक्ष कैलाश यादव | ये वही लोग है जो झारखण्ड में विकाश होंने देना नही चाहते है , अखिल भारतीय भोजपुरी, मगही, मैथिली और अंगिका मंच के अध्यक्ष कैलाश यादव और इस मंच से जुड़े वो सभी लोग बिहार राज्य से है और सभी के पास बिहार के खतियान आधारित स्थानीय नीति ( Khatian Based Domicile) है , और झारखण्ड आधारित स्थानीय कागजात भी बनया लिए होंगे और ये लोग दोनों राज्यों से लाभ ले रहे है | कैलाश यादव और ऐसे मंच से जुड़े रहने वाले लोगो ली मानसिकता बहोत छोटी होती है जो हमेशा ही दूसरे लोगो के हक़ को मारते है |
जब से केबिनेट में 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति प्रस्ताव को मंजूरी मिली है ये बिलबिला उठे है इन्हे अब झारखण्ड आधारित स्थानीय नीति ( Khatian Based Domicile) खो देने का डर साफ़ साफ़ दिखाई देने लगा है | इसलिए ये लोग अपने बिल से बहार आ कर झारखण्ड सरकार और झारखण्ड वासिओ को धमकी देने पर उतारू हो गए है | कैलाश यादव ने अखिल भारतीय भोजपुरी, मगही, मैथिली और अंगिका मंच के द्वारा धमकी देते हुए कहा 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति झामुमो का नया एजेंडा हो सकता हैअपनी सरकार बचाने के लिए , पर कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के झारखंड के नेताओं ने जिस तरह से चुप्पी साध रखी है, उसका खामियाजा इन दोनों दलों और उसके नेताओं को भुगतना पड़ेगा. और साथ में भी कहा है

१. हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने में अनुसूचित जाति, जनजाति, अल्पसंख्यक, पिछड़े और अन्य सभी लोगों का योगदान है, लेकिन जिस तरह से उन्होंने असंवैधानिक 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति को मंजूरी दी है, उससे साफ है कि मुख्यमंत्री ने उन लोगों के साथ धोखा किया जिन्होंने उनपर विश्वास किया?
३. असंवैधानिक कानून लाकर सरकार क्यों राज्य में प्रेम और भाईचारे का माहौल खराब करना चाहती है?

कैलाश यादव् और उनके मंच में बोले गए उनके प्रश्नों के उत्तर मैं दे देता हूँ |

१. हेमंत सोरेन जी को मुख्यमंत्री बनाने में अनुसूचित जाति, जनजाति, अल्पसंख्यक, पिछड़े और अन्य सभी लोगों का योगदान है और भविष्य में भी योगदान होगा क्यों की झारखण्ड वासि अपने राज्य को मुखिया बिहीन नहीं देखना चाहेंगे | यहाँ के लोग राज्य का विकाश चाहते है पूरा झारखण्ड राज्य खनीज सम्पदा से भरा हुआ होने के बावजूद यहाँ के लोग के पिछड़ा वर्ग रखा जाता है , झारखण्ड के लोग अपने परिवार का भरण पोषण के लिए दूसरे राज्य जाते है और आप सभी की तरह बहार राज्य से आये हुए लोग झारखण्ड को अपने बाप का जागीर बनाये हुए है | 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति को मंजूरी मिलना बिहार और अन्य राज्य के लोगो को असंवैधानिक ही लगेगा, क्यों की आप सब को दो राज्यों का स्थानीय निति का फायदा नहीं मिलने वाला है | उन् सभी के पास किसी एक राज्य का विकल्प ही रह जायेगा | झारखण्ड वासी हमेश आभारी रहेंगे की मुख्यमंत्री ने झारखण्ड के हीत के लिए और राज्य के लोगो की हितो की रक्षा करने के लिए सही कदम उठाया है | अब तक ये लोह झारखण्ड को लुटते आये है अपने दोनों हाथो से | अगर अचानक से लूटने वाले लोगो को रोका जायेगा तो उन्हें ये धोका ही लगने वाला है | ये लो सरकार को वोट ही देते है अपने बचाव के लिए की इन्हे रोका न जाये |

२. कैलाश यादव और उनके लोगो को ये बताना चाहते है जब भी झारखण्ड में कोई कानून बनने की मांग उठी है या झारखण्ड के लोगों द्वारा अपने हक़ के लिए आवाज उठाया है वो हमेशा से दूसरे राज्य के लोगो को या दूसरे राज्यों के सरकारों को असंवैधानिक मांग ही लगता है | प्रेम और भाईचारा तो शुरू ही नहीं था जब से झारखण्ड राज्य अलग हुआ है और जिस तरह से खुनी संगर्ष और आंदोलन के बाद झारखण्ड राज्य मिला है वो सब को पता है | फिर भी यहाँ के लोगो ने भाईचारा बना के रखा है | पर अब और नहीं पानी सर से ऊपर जा चूका है , अगर १९३२ खतियान स्थानीय निति कानून को लागु होने के लिए भी लड़ाई करने पड़ा तो वो भी झारखण्ड के लोग करेंगे |

मैं अपने फेसबुक पेज की और से आप सब झारखण्ड वासियों से विनम्र निवेदन करता हूँ , किसी भी तरह से ये आंदोलन को रुकने न दे |

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