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DharamKaramTv धर्म, परंपरा, अध्यात्म, मंत्र, ज्योतिष और वास्तु जैसे जीवनोपयोगी विषयों के बारे में है धर्म हमें व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से सशक्त बनाता हैं। धर्म हमें सीखने, बढ़ने और जुड़ने में मदद करता हैं DharamKaram Tv धर्म, परंपरा, अध्यात्म, मंत्र, ज्योतिष और वास्तु जैसे जीवनोपयोगी विषयों के बारे में है धर्म हमें व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से सशक्त बनाता हैं। धर्म हमें सीखने, बढ़ने और जुड़ने मे

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DharamKaram Tv का उद्देश्य मानव के जीवन चार लक्ष्य - धर्म (एक न्यायपूर्ण और अच्छा जीवन जीना), अर्थ (भौतिक सफलता की खोज), काम (आनंद की खोज) और मोक्ष (आत्मज्ञान, जो एक व्यक्ति को पीड़ा से मुक्त करता है और आत्मा को ब्रह्म के साथ जोड़ता है) की और सब को अग्रसर करना है।

31/07/2024

कामिका एकादशी व्रत कथा

कामिका एकादशी का व्रत 31 जुलाई को रखा जाएगा

युधिष्ठिर ने पूछा : गोविन्द ! वासुदेव ! आपको मेरा नमस्कार है ! श्रावण (गुजरात महाराष्ट्र के अनुसार आषाढ़) के कृष्णपक्ष में कौन सी एकादशी होती है ? कृपया उसका वर्णन कीजिये ।

भगवान श्रीकृष्ण बोले : राजन् ! सुनो । मैं तुम्हें एक पापनाशक उपाख्यान सुनाता हूँ, जिसे पूर्वकाल में ब्रह्माजी ने नारदजी के पूछने पर कहा था ।

नारदजी ने प्रशन किया : हे भगवन् ! हे कमलासन ! मैं आपसे यह सुनना चाहता हूँ कि श्रवण के कृष्णपक्ष में जो एकादशी होती है, उसका क्या नाम है? उसके देवता कौन हैं तथा उससे कौन सा पुण्य होता है? प्रभो ! यह सब बताइये ।

ब्रह्माजी ने कहा : नारद ! सुनो । मैं सम्पूर्ण लोकों के हित की इच्छा से तुम्हारे प्रश्न का उत्तर दे रहा हूँ । श्रावण मास में जो कृष्णपक्ष की एकादशी होती है, उसका नाम ‘कामिका’ है । उसके स्मरणमात्र से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है । उस दिन श्रीधर, हरि, विष्णु, माधव और मधुसूदन आदि नामों से भगवान का पूजन करना चाहिए ।

भगवान श्रीकृष्ण के पूजन से जो फल मिलता है, वह गंगा, काशी, नैमिषारण्य तथा पुष्कर क्षेत्र में भी सुलभ नहीं है । सिंह राशि के बृहस्पति होने पर तथा व्यतीपात और दण्डयोग में गोदावरी स्नान से जिस फल की प्राप्ति होती है, वही फल भगवान श्रीकृष्ण के पूजन से भी मिलता है ।

जो समुद्र और वनसहित समूची पृथ्वी का दान करता है तथा जो ‘कामिका एकादशी’ का व्रत करता है, वे दोनों समान फल के भागी माने गये हैं ।

जो ब्यायी हुई गाय को अन्यान्य सामग्रियोंसहित दान करता है, उस मनुष्य को जिस फल की प्राप्ति होती है, वही ‘कामिका एकादशी’ का व्रत करनेवाले को मिलता है । जो नरश्रेष्ठ श्रावण मास में भगवान श्रीधर का पूजन करता है, उसके द्वारा गन्धर्वों और नागोंसहित सम्पूर्ण देवताओं की पूजा हो जाती है ।

अत: पापभीरु मनुष्यों को यथाशक्ति पूरा प्रयत्न करके ‘कामिका एकादशी’ के दिन श्रीहरि का पूजन करना चाहिए । जो पापरुपी पंक से भरे हुए संसारसमुद्र में डूब रहे हैं, उनका उद्धार करने के लिए ‘कामिका एकादशी’ का व्रत सबसे उत्तम है । अध्यात्म विधापरायण पुरुषों को जिस फल की प्राप्ति होती है, उससे बहुत अधिक फल ‘कामिका एकादशी’ व्रत का सेवन करनेवालों को मिलता है ।

‘कामिका एकादशी’ का व्रत करनेवाला मनुष्य रात्रि में जागरण करके न तो कभी भयंकर यमदूत का दर्शन करता है और न कभी दुर्गति में ही पड़ता है ।

लालमणि, मोती, वैदूर्य और मूँगे आदि से पूजित होकर भी भगवान विष्णु वैसे संतुष्ट नहीं होते, जैसे तुलसीदल से पूजित होने पर होते हैं । जिसने तुलसी की मंजरियों से श्रीकेशव का पूजन कर लिया है, उसके जन्मभर का पाप निश्चय ही नष्ट हो जाता है ।

या दृष्टा निखिलाघसंघशमनी स्पृष्टा वपुष्पावनी
रोगाणामभिवन्दिता निरसनी सिक्तान्तकत्रासिनी ।
प्रत्यासत्तिविधायिनी भगवत: कृष्णस्य संरोपिता
न्यस्ता तच्चरणे विमुक्तिफलदा तस्यै तुलस्यै नम: ॥

‘जो दर्शन करने पर सारे पापसमुदाय का नाश कर देती है, स्पर्श करने पर शरीर को पवित्र बनाती है, प्रणाम करने पर रोगों का निवारण करती है, जल से सींचने पर यमराज को भी भय पहुँचाती है, आरोपित करने पर भगवान श्रीकृष्ण के समीप ले जाती है और भगवान के चरणों मे चढ़ाने पर मोक्षरुपी फल प्रदान करती है, उस तुलसी देवी को नमस्कार है ।’

जो मनुष्य एकादशी को दिन रात दीपदान करता है, उसके पुण्य की संख्या चित्रगुप्त भी नहीं जानते । एकादशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण के सम्मुख जिसका दीपक जलता है, उसके पितर स्वर्गलोक में स्थित होकर अमृतपान से तृप्त होते हैं । घी या तिल के तेल से भगवान के सामने दीपक जलाकर मनुष्य देह त्याग के पश्चात् करोड़ो दीपकों से पूजित हो स्वर्गलोक में जाता है ।’

भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं : युधिष्ठिर ! यह तुम्हारे सामने मैंने ‘कामिका एकादशी’ की महिमा का वर्णन किया है । ‘कामिका’ सब पातकों को हरनेवाली है, अत: मानवों को इसका व्रत अवश्य करना चाहिए । यह स्वर्गलोक तथा महान पुण्यफल प्रदान करनेवाली है । जो मनुष्य श्रद्धा के साथ इसका माहात्म्य श्रवण करता है, वह सब पापों से मुक्त हो श्रीविष्णुलोक में जाता है ।

17/06/2024

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है निर्जला एकादशी का व्रत सबसे कठिन व्रत माना जाता है ज्येष्ठ भीषण गर्मी का महीना होता है और ज्यादातर भक्त जल की एक बूंद भी ग्रहण नहीं करते। इसी कारण सिर्फ इस एकादशी व्रत से साल की सभी 24 व्रत का फल मिल जाता है जो लोग 18 जून को निर्जला एकादशी व्रत रखेंगे, वे जान लें कि इस व्रत को करने से सभी पाप मिट जाते हैं व्यक्ति को जीवन के अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है आइये जानते हैं कब है निर्जला एकादशी और इसे भीमसेनी एकादशी क्यों कहते हैं और पारण नियम क्या है

20/03/2024
https://youtu.be/yStZEHcfme0?si=Dw-5ez_El_hobamk
14/12/2023

https://youtu.be/yStZEHcfme0?si=Dw-5ez_El_hobamk

जब किसी व्यक्ति की उपासना, दान पुण्य को भगवान स्वीकार नहीं करते तो उसके पीछे एक नहीं बहुत सारे कारण होते हैं। ‌पूजा ...

22/11/2023

देवउठनी एकादशी व्रत कथा - गुरुवार, 23 नवंबर 2023

पौराणिक कथा के अनुसार, एक राज्य में सभी लोग एकादशी व्रत रखते थे. उस दिन नगर के किसी भी व्यक्ति या पशु पक्षी को अन्न का एक दाना भी नहीं दिया जाता था. एक समय ऐसा हुआ कि किसी दूसरी जगह का व्यक्ति राजा के दरबार में पहुंचा और नौकरी देने की प्रार्थना करने लगा. तब राजा ने कहा कि नौकरी तो ठीक है, लेकिन शर्त यह है कि माह में दो दिन एकादशी व्रत के दिन अन्न नहीं मिलेगा. राजा ने नौकरी की यह शर्त बताई.

उस व्यक्ति ने नौकरी के लिए राजा की शर्त मांग ली. अगले माह एकादशी व्रत था. उस दिन उसे अन्न नहीं मिला. उसे फलाहार की सामग्री दी गई. वह राजदरबार में पहुंचा और राजा से कहने लगा कि फलाहार से उसका पेट नहीं भरेगा. उसे अन्न चाहिए. यदि अन्न नहीं खाएगा तो उसके प्राण निकल जाएंगे. वह राजा के सामने गिड़गिड़ाने लगा.

राजा ने उस व्यक्ति को नौकरी की शर्त याद दिलाई. फिर भी वह राजा से अन्न की मांग करता रहा. उसकी स्थिति को देखकर राजा ने उसे अन्न देने का आदेश दे दिया. उसे आटा, चावल और दाल मिल गया. वह नदी के तट पर पहुंचा और सबसे पहले स्नान किया. फिर भोजन तैयार करने लगा. जब खाना बन गया तो उसने भगवान से प्रार्थना की कि भोजन तैयार है, आप भोजन ग्रहण करें.

उसकी प्रार्थना सुनकर भगवान विष्णु अपने चतुर्भुज स्वरूप में पीले वस्त्र धारण किए प्रकट हुए. उसने प्रभु के लिए भोजन परोसा. भगवान विष्णु अपने उस भक्त के साथ भोजन करने लगे. भोजन के बाद भगवान अपने लोक वापस और वह व्यक्ति अपने काम पर चला गया. जब अगली एकादशी आई तो उसने राजा से कहा कि उसे दोगुना अन्न दिया जाए. पहली एकादशी पर वह भूखा ही रहा क्योंकि उस दिन साथ में भगवान ने भी भोजन किया. उतने अन्न में दोनों भोजन ठीक से नहीं कर पाते हैं.

उसकी बात सुनकर राजा अचरज में पड़ गया. राजा ने कहा कि तुम्हारी बात पर विश्वास नहीं है कि तुम्हारे साथ भगवान भोजन करते हैं. वह तो सभी एकादशी व्रत करता है, पूजा पाठ करता है, लेकिन आज तक भगवान ने उसे दर्शन नहीं दिए.
इस पर नौकर ने राजा से कहा कि आपको विश्वास न हो तो आप साथ में चलकर स्वयं ही देख लें. एकादशी के दिन राजा एक पेड़ के पीछे छिप गया. नौकर ने हमेशा की तरह नदी में स्नान किया और भोजन तैयार कर दिया. उसने कहा कि भगवान भोजन तैयार है, आप भोजन ग्रहण करें. इस बार भगवान नहीं आए. उसने कई बार पुकारा, लेकिन भगवान नहीं आए. तब उसने कहा कि यदि आप नहीं आए तो वह इस नदी में कूदकर जान दे देगा.

उसने फिर भगवान को पुकारा, लेकिन भगवान नहीं आए तो वह नदी में कूदने के लिए आगे बढ़ा. तभी भगवान प्रकट हो गए और उसे रोक लिया. वे उसके साथ बैठकर भोजन किए. उसके बाद उसे अपने विमान में बैठा लिया और अपने साथ अपने धाम लेकर चले गए. यह देखकर राजा को ज्ञान हुआ कि मन की शुद्धता के साथ ही व्रत और उपवास का फल मिलता है. उसके बाद से राजा भी पवित्र मन से व्रत और उपवास करने लगा. जीवन के अंत में उसे भी स्वर्ग की प्राप्ति हुई.

कामिका एकादशी व्रत कथाकामिका एकादशी का व्रत 13 जुलाई को रखा जाएगायुधिष्ठिर ने पूछा : गोविन्द ! वासुदेव ! आपको मेरा नमस्क...
13/07/2023

कामिका एकादशी व्रत कथा

कामिका एकादशी का व्रत 13 जुलाई को रखा जाएगा

युधिष्ठिर ने पूछा : गोविन्द ! वासुदेव ! आपको मेरा नमस्कार है ! श्रावण (गुजरात महाराष्ट्र के अनुसार आषाढ़) के कृष्णपक्ष में कौन सी एकादशी होती है ? कृपया उसका वर्णन कीजिये ।

भगवान श्रीकृष्ण बोले : राजन् ! सुनो । मैं तुम्हें एक पापनाशक उपाख्यान सुनाता हूँ, जिसे पूर्वकाल में ब्रह्माजी ने नारदजी के पूछने पर कहा था ।

नारदजी ने प्रशन किया : हे भगवन् ! हे कमलासन ! मैं आपसे यह सुनना चाहता हूँ कि श्रवण के कृष्णपक्ष में जो एकादशी होती है, उसका क्या नाम है? उसके देवता कौन हैं तथा उससे कौन सा पुण्य होता है? प्रभो ! यह सब बताइये ।

ब्रह्माजी ने कहा : नारद ! सुनो । मैं सम्पूर्ण लोकों के हित की इच्छा से तुम्हारे प्रश्न का उत्तर दे रहा हूँ । श्रावण मास में जो कृष्णपक्ष की एकादशी होती है, उसका नाम ‘कामिका’ है । उसके स्मरणमात्र से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है । उस दिन श्रीधर, हरि, विष्णु, माधव और मधुसूदन आदि नामों से भगवान का पूजन करना चाहिए ।

भगवान श्रीकृष्ण के पूजन से जो फल मिलता है, वह गंगा, काशी, नैमिषारण्य तथा पुष्कर क्षेत्र में भी सुलभ नहीं है । सिंह राशि के बृहस्पति होने पर तथा व्यतीपात और दण्डयोग में गोदावरी स्नान से जिस फल की प्राप्ति होती है, वही फल भगवान श्रीकृष्ण के पूजन से भी मिलता है ।

जो समुद्र और वनसहित समूची पृथ्वी का दान करता है तथा जो ‘कामिका एकादशी’ का व्रत करता है, वे दोनों समान फल के भागी माने गये हैं ।

जो ब्यायी हुई गाय को अन्यान्य सामग्रियोंसहित दान करता है, उस मनुष्य को जिस फल की प्राप्ति होती है, वही ‘कामिका एकादशी’ का व्रत करनेवाले को मिलता है । जो नरश्रेष्ठ श्रावण मास में भगवान श्रीधर का पूजन करता है, उसके द्वारा गन्धर्वों और नागोंसहित सम्पूर्ण देवताओं की पूजा हो जाती है ।

अत: पापभीरु मनुष्यों को यथाशक्ति पूरा प्रयत्न करके ‘कामिका एकादशी’ के दिन श्रीहरि का पूजन करना चाहिए । जो पापरुपी पंक से भरे हुए संसारसमुद्र में डूब रहे हैं, उनका उद्धार करने के लिए ‘कामिका एकादशी’ का व्रत सबसे उत्तम है । अध्यात्म विधापरायण पुरुषों को जिस फल की प्राप्ति होती है, उससे बहुत अधिक फल ‘कामिका एकादशी’ व्रत का सेवन करनेवालों को मिलता है ।

‘कामिका एकादशी’ का व्रत करनेवाला मनुष्य रात्रि में जागरण करके न तो कभी भयंकर यमदूत का दर्शन करता है और न कभी दुर्गति में ही पड़ता है ।

लालमणि, मोती, वैदूर्य और मूँगे आदि से पूजित होकर भी भगवान विष्णु वैसे संतुष्ट नहीं होते, जैसे तुलसीदल से पूजित होने पर होते हैं । जिसने तुलसी की मंजरियों से श्रीकेशव का पूजन कर लिया है, उसके जन्मभर का पाप निश्चय ही नष्ट हो जाता है ।

या दृष्टा निखिलाघसंघशमनी स्पृष्टा वपुष्पावनी
रोगाणामभिवन्दिता निरसनी सिक्तान्तकत्रासिनी ।
प्रत्यासत्तिविधायिनी भगवत: कृष्णस्य संरोपिता
न्यस्ता तच्चरणे विमुक्तिफलदा तस्यै तुलस्यै नम: ॥

‘जो दर्शन करने पर सारे पापसमुदाय का नाश कर देती है, स्पर्श करने पर शरीर को पवित्र बनाती है, प्रणाम करने पर रोगों का निवारण करती है, जल से सींचने पर यमराज को भी भय पहुँचाती है, आरोपित करने पर भगवान श्रीकृष्ण के समीप ले जाती है और भगवान के चरणों मे चढ़ाने पर मोक्षरुपी फल प्रदान करती है, उस तुलसी देवी को नमस्कार है ।’

जो मनुष्य एकादशी को दिन रात दीपदान करता है, उसके पुण्य की संख्या चित्रगुप्त भी नहीं जानते । एकादशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण के सम्मुख जिसका दीपक जलता है, उसके पितर स्वर्गलोक में स्थित होकर अमृतपान से तृप्त होते हैं । घी या तिल के तेल से भगवान के सामने दीपक जलाकर मनुष्य देह त्याग के पश्चात् करोड़ो दीपकों से पूजित हो स्वर्गलोक में जाता है ।’

भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं : युधिष्ठिर ! यह तुम्हारे सामने मैंने ‘कामिका एकादशी’ की महिमा का वर्णन किया है । ‘कामिका’ सब पातकों को हरनेवाली है, अत: मानवों को इसका व्रत अवश्य करना चाहिए । यह स्वर्गलोक तथा महान पुण्यफल प्रदान करनेवाली है । जो मनुष्य श्रद्धा के साथ इसका माहात्म्य श्रवण करता है, वह सब पापों से मुक्त हो श्रीविष्णुलोक में जाता है ।

श्री महाकाल की पालकी - सोमवार 10 जुलाई 2023विश्व प्रसिद्ध बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक दक्षिणमुखी भगवान श्री महाकालेश्व...
10/07/2023

श्री महाकाल की पालकी - सोमवार 10 जुलाई 2023

विश्व प्रसिद्ध बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक दक्षिणमुखी भगवान श्री महाकालेश्वर की श्रावण-भाद्रपद माह में निकलने वाली सवारियों के क्रम में श्रावण माह के पहले दिन ही सोमवार 10 जुलाई को पालकी में भगवान मनमहेश के स्वरूप में अपने भक्तों को दर्शन देने के लिये नगर भ्रमण पर निकलेंगे।

भगवान श्री महाकालेश्वर के श्री मनमहेश स्वरूप का विधिवत पूजन-अर्चन महाकाल मन्दिर के सभा मण्डप में होने के पश्चात भगवान श्री मनमहेश पालकी में विराजित होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे।

भगवान की सवारी मन्दिर से अपने परंपरागत निर्धारित समय शाम 4 बजे निकलेगी। मन्दिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा भगवान श्री मनमहेश को सलामी (गार्ड ऑफ ऑनर) दी जायेगी।

भगवान श्री महाकालेश्वर की पालकी मन्दिर से निकलने के बाद महाकाल रोड, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार और कहारवाड़ी से होती हुई रामघाट पहुंचेगी। जहां शिप्रा नदी के जल से भगवान का अभिषेक और पूजन-अर्चन किया जायेगा। इसके बाद सवारी रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मन्दिर, सत्यनारायण मन्दिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्रीचौक, गोपाल मन्दिर, पटनी बाजार, गुदरी बाजार से होती हुई पुन: श्री महाकालेश्व्र मन्दिर पहुंचेगी।

शिव भक्ति का पवित्र महीना सावन, मंगलवार, 4 जुलाई 2023 से शुरू हो गया है  इस वर्ष सावन 59 दिनों का होगा। 4 जुलाई से सावन ...
08/07/2023

शिव भक्ति का पवित्र महीना सावन, मंगलवार, 4 जुलाई 2023 से शुरू हो गया है इस वर्ष सावन 59 दिनों का होगा। 4 जुलाई से सावन का पवित्र महीना शुरू होकर 31 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान 18 जुलाई से 16 अगस्त तक अधिक मास रहेगा। इसी कारण शिवजी की पूजा-पाठ और भक्ति के लिए सावन का महीना दो माह का होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु योगनिद्रा में होते हैं। ऐसे में सृष्टि का संचालन भगवान शिव के हाथों में रहता है। इस माह में रखें गए व्रत से भोलेनाथ प्रसन्न होकर अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं सावन में शिव पूजा की विधि, सामग्री और मुहूर्त से जुड़ी समस्त जानकारी यहां से प्राप्त करें

शिव भक्ति का पवित्र महीना सावन, मंगलवार, 4 जुलाई 2023 से शुरू हो गया है इस वर्ष सावन 59 दिनों का होगा। 4 जुलाई से सावन का पव.....

बहुत बढ़िया निर्णय
07/07/2023

बहुत बढ़िया निर्णय

https://youtu.be/ZatexWjgKC8
30/06/2023

https://youtu.be/ZatexWjgKC8

गुरु पूजा का पर्व गुरु पूर्णिमा सोमवार, 3 जुलाई 2023 को मनाया जाएगा। कबीरदासजी ने कहा है “गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके ल....

https://youtu.be/Xl6yZKMblXU
28/06/2023

https://youtu.be/Xl6yZKMblXU

आषाढ़ मास की शुक्ल एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार देवशयनी एकादशी 29 जुलाई 2023 को है।...

12/03/2023

शीतला सप्तमी | शीतला अष्टमी | बासोड़ा पूजन | संपूर्ण विधि | क्या करें क्या न करें

27/02/2023

Amalaki Ekadashi : फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है इस दिन भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा का विधान है। इस दिन विष्णु जी को आंवला अर्पित करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस साल आमलकी एकादशी कब है आइए जानते हैं पूजा मुहूर्त, पारण समय और महत्व के बारे में

16/02/2023

महाशिवरात्रि कब है ? 18 या 19 फरवरी 2023 को, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

16/02/2023

Vijaya Ekadashi 2023: फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी का व्रत रखा जाता है इस साल ये एकादशी 16 फरवरी 2023, गुरुवार को है। मान्यता है कि जो भी इस दिन व्रत रखता है उसे हर काम में विजय मिलती है। इसलिए इस एकादशी का नाम विजया एकादशी रखा गया है। आगे जानिए इस एकादशी के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व व अन्य खास बातें…

28/01/2023

माघ माह की शुक्ल पक्ष एकादशी को जया एकादशी के रूप में मनाया जाता है अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार जया एकादशी बुधवार, 1 फरवरी 2023 को हैं शास्त्रों में एकादशी को बहुत ही पुण्यदायी माना गया है। इस दिन व्रत रखने वाले को कभी भी भूत-प्रेत, पिशाच की योनि प्राप्त नहीं होती। इस दिन पूरे विधि विधान से भगवान नारायण की पूजा करनी चाहिए। इस व्रत में केवल फलाहार करने और अन्न त्याग करने का विधान है। इस व्रत से उपासक को अग्निष्टोम यज्ञ के तुल्य फल की प्राप्ति होती है। साथ ही अनजाने में किए गए सभी पापों का अंत होता है और घर-परिवार में सुख-शांति का वास होता है।

21/01/2023

हिन्दू धर्म और ज्योतिष में सुगंध या खुशबू का बहुत महत्व माना गया है। परफ्यूम या इत्र का इस्तेमाल प्रचीनकाल से पूजा पाठ से लेकर कपड़ों पर लगाने के लिए भी किया जाता रहा है परफ्यूम, इत्र, डीओ आदि की गिनती आज कल उन चीज़ों में की जाती है जिसके बिना आज कल के युवा पीढ़ी का रहना मुश्किल हो गया है। जब आप किसी के पास से गुजरते हैं तो आपकी खुशबू आपके और आपके व्यक्तित्व के बारे में बहुत कुछ कहती है। यह अपनी ओर ध्यान भी आकर्षित करता है। सुखद गंध होने से आत्म-सम्मान बढ़ता है और आपके देखने और महसूस करने के तरीके में सुधार होता है। चाहे आप एक फल या पुष्प सुगंध पसंद करते हैं जो न सिर्फ हमारे कपड़ों को महकाता है बल्कि इससे कई उपाय भी किए जाते हैं जो आपके जीवन में आने वाली कई सारी परेशानियों को दूर कर सकता है सुगंध का संबंध शुक्र ग्रह से है और यदि शुक्र ग्रह उत्तम होता है तो लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। आईए जानते हैं इससे जुड़े कुछ खास उपाय

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