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15/12/2024

बॉलीवुड काे एक बेहतर वापसी की जरूरत है। लेकिन लगता है कि आज के कलाकारों में वो दम नहीं बचा है जो देव आनंद, सुनील दत्त, राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, शाहरुख, सलमान और आमिर खान में था।

वो जब उतरते थे तो लोग पर्दे फाड़ देते थे। जोश में लंबी कतारें लग जाती थीं। आज बॉलीवुड को लगता है कि अब उनकी वो औकात नहीं बची है। अब उन्हें अगर कहीं सहारा दिखता है तो वो है साउथ इंडिया इंडस्ट्री। हर कोई वहीं से अपना जेब खर्च निकाल रहा है। या फिर साउथ इंडिया डायरेक्टर्स की मदद से फिल्में बना रहा है।

आपको क्या लगता है कि बॉलीवुड में क्या कमी है? जो इस वक्त सुधारनी चाहिए।

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" लोगों ने सम्मान में झुकना बंद कर दिया है।"सम्मान में झुकने को सीधे शब्दों में कहें तो किसी को इज्जत देना। इसके पीछे कई...
23/11/2024

" लोगों ने सम्मान में झुकना बंद कर दिया है।"

सम्मान में झुकने को सीधे शब्दों में कहें तो किसी को इज्जत देना। इसके पीछे कई वजह हैं लेकिन एक मुख्य वजह हैं। ऐसा लगता है कि बीच में आए कुछ Influencers ये समझाने में कामयाब हो गए कि आपके लिए मां-बाप मेहनत करें तो वो आपके ऊपर अहसान नहीं कर रहे हैं बल्कि वो तो उनका फर्ज है। ऐसे ही स्कूल-कॉलेज में अध्यापक पढ़ाए तो वो उसकी नौकरी है। उनके प्रति सम्मान में क्या झुकना। जीवन के अगले मोड़ पर बढ़ें तो आती है नौकरी या बिजनेस। नौकरी करते वक्त सीनियर समझाए तो वो भी एहसान नहीं कर रहा। बल्कि सोच तो ये हो गई है कि कैसे उसकी कुर्सी हथियाए जाए। सीख तो लेंगे लेकिन सम्मान क्यों दें?

आपको याद होंगी 60 और 70 के दशक की फिल्में? अगर देखी होंगी तो आपको पता होगा कि एक हीरो जब गांव से निकलकर शहर आता है, नौकरी की तलाश में रहता है तो वह राह में उसका साथ देने वाले व्यक्ति को कभी नहीं भूलता। बल्कि उसकी बुरी परिस्थितियों में मदद करता है। उसके जीवन के अंत तक उसका साथ निभाता है।

आज आखिरी बार हमें कब याद है जब हमनें किसी ऐसे शख्स को याद भी किया हो जिसने आपके जीवन में सबसे अहम रोल निभाया हो? जिसने आपको जीवन के गंभीर पहलूओं को समझाया हो? साथ दिया हो? मदद की हो?

नहीं न तो सोचिए और सम्मान देना शुरू कीजिए। क्योंकि फिर ही आप खुद के लिए सम्मान की आस कर पाएंगे। हम अपने बच्चों को भी ये खुद करके ही सिखा सकते हैं।

हां, एक बात और हमारी भारतीय संस्कृति में सम्मान देने का तरीका सबसे बेहतर है। इसके बाद अगर देखें तो दक्षिण कोरिया का दिखाई पड़ता है। हम सम्मान में पैर छूते हैं। दक्षिण कोरियाई सम्मान में आधे झुक जाते हैं।

वहीं वाहियात है तो पश्चिमी परंपरा। जिसमें वो थैंकस और हाथ मिलाकर आगे बढ़ जाते हैं। ये सम्मान करने का तरीका फॉर्मल है। हिंदी में कहें तो यह खानापूर्ति है।

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कुछ कहते हैं मुझे पहाड़ पसंद है। कुछ कहते हैं मुझे समंदर पसंद है। मैं कहता हूं, मुझे नेचर पसंद है। शायद यही वजह है कि मु...
20/11/2024

कुछ कहते हैं मुझे पहाड़ पसंद है। कुछ कहते हैं मुझे समंदर पसंद है।

मैं कहता हूं, मुझे नेचर पसंद है। शायद यही वजह है कि मुझे गोवा भी पसंद है तो मुझे मनाली की वादिया भी।

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