Hind Yugm Blue

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यदि आपको लगता है कि आपके लिखे को पाठक मिल सकते हैं, तो आप ठीक जगह पर हैं। हिंद युग्म ब्लू लेखक-प्रकाशक की साझी कोशिशों से किताबें प्रकाशित करने का एक उपक्रम है।

यह कहानी प्रमुखतः एक लड़का (छोटू) और एक महिला को ध्यान में रखकर लिखी गई है। यह कहानी मूलतः एक स्त्री को सामाजिक दृष्टि से...
04/04/2024

यह कहानी प्रमुखतः एक लड़का (छोटू) और एक महिला को ध्यान में रखकर लिखी गई है। यह कहानी मूलतः एक स्त्री को सामाजिक दृष्टि से मिलने वाली अवहेलना और एक नवयुवक के उस स्त्री के ओर आकर्षित होने की कहानी है। छोटू के बचपन और पढ़ाई-लिखाई के दिनों में दिलचस्प घटनाएँ भी घटित होती हैं जो बहती हुई कहानी के बीच में भाव बदलती रहती हैं। समाज के तानों से तंग आकर यह स्त्री भक्ति मार्ग चुनने को विवश हो जाती है, जहाँ उसे घोर सामाजिक तिरस्कार का सामना करना पड़ता है। इस कहानी में कहीं-कहीं हँसी-मज़ाक़ भी दिखाई देता है तो कहीं आँखों को भिगोने के क्षण भी आते हैं।
कुल-मिलाकर यह कहानी कई दिशाओं में भ्रमण करते हुए अंतत एक यमुना के किनारे आकर उस लड़की की सूनी कलाइयों पर जाकर समाप्त हो जाती है।

किताब अमेज़न और फ़्लिपकार्ट पर उपलब्ध है।

अमेज़न लिंक:- https://amzn.in/d/3cCkzzE

#प्रायश्चित

उपन्यास ‘शून्य से आख़िर तक’ एक खोज है। खोज किसी भी क्षण, कार्य, प्रेम, यात्रा के जीवन से मृत्य की। पाठकों और लेखक के बीच...
03/04/2024

उपन्यास ‘शून्य से आख़िर तक’ एक खोज है। खोज किसी भी क्षण, कार्य, प्रेम, यात्रा के जीवन से मृत्य की। पाठकों और लेखक के बीच के रिश्ते पर भी सीधा संवाद करते हुए यह उपन्यास आपस में एक संभाषण-सी लगती है। विद्यालय के पहले प्रेम से लेकर, हिमाचल की वादियों में यात्रा व कविताओं, शायरियों, गानों से भरपूर अपने पाठकों को अपने साथ बाँधे और जोड़े रखने में यह किताब समर्थ है शून्य से आख़िर तक।

अमेज़न लिंक:- https://amzn.in/d/jcEFCsL

। #शून्यसेआख़िरतक

होंगे वे प्रेम सदा पूजनीय जिनमें होगा सदा समर्पण अति कोमल सहज हृदय भावों का नित-नित ही होगा अर्पणहोंगे वे प्रेम सदा पूजन...
06/09/2023

होंगे वे प्रेम सदा पूजनीय
जिनमें होगा सदा समर्पण
अति कोमल सहज हृदय भावों का
नित-नित ही होगा अर्पण

होंगे वे प्रेम सदा पूजनीय
त्याग तपस्या जिनकी परिपाटी
अपनी अंतः वेदना छुपाकर
पीड़ित जन को खुशियाँ बाँटी

होंगे वे प्रेम सदा पूजनीय
सत्य पूर्ण जिनका निश्छल संसार
गंगा स्वयं करे आलिंगन
ले अति पवित्र प्रवाह अपार

होंगे वे प्रेम सदा पूजनीय
ईर्ष्या में भी जो अमृत बन जाते
प्रति तिक्त, कसाय रसों को मधु कर
दान अमरता का कर जाते।

- माधुरी महाकाश 'महालय' कविता संग्रह से।

हिंद युग्म के प्रशंसक किताबों के साथ।🌼स्थान- गाँधी हॉल परिसर, इंदौरदिनांक- 11 अगस्त से 20 अगस्त 2023समय- 12 बजे से रात 9...
18/08/2023

हिंद युग्म के प्रशंसक किताबों के साथ।🌼

स्थान- गाँधी हॉल परिसर, इंदौर
दिनांक- 11 अगस्त से 20 अगस्त 2023
समय- 12 बजे से रात 9 बजे तक।

मुझे नहीं मालूम कि कविता बैठकर कैसे लिखी जाती है, मैंने सदैव ही चलते-चलते कविताएँ लिखीं। जहाँ जैसे भाव दिखे, हृदय के तार...
13/08/2023

मुझे नहीं मालूम कि कविता बैठकर कैसे लिखी जाती है, मैंने सदैव ही चलते-चलते कविताएँ लिखीं। जहाँ जैसे भाव दिखे, हृदय के तारों से टकराए और कविता की परिणिति स्वतः होती गई। प्रसन्नता में, दुख में, पीड़ा के क्षणों में, प्रार्थना में, प्रेम में, प्रत्येक स्थान पर जहाँ-जहाँ इस सृष्टि पर भाव है, वहाँ-वहाँ उन भावों के सरोवर में मेरे कविता रूपी कमल स्वतः खिल जाते हैं। ‘महालय’ मेरी कविताओं का एक ऐसा संग्रह जिसमें अनेक प्रकार के भावों व विचारों का समावेश है। ‘महालय’ मेरे हृदय की अंतर्ध्वनि है, मेरी साहित्य यात्रा का प्रथम पड़ाव है।

~माधुरी महाकाश

किताब अमेज़ॉन पर ऑर्डर के लिए उपलब्ध है।

लिंक- https://amzn.eu/d/aLJkKIO

सोचता था मैं हमारे जैसा अफ़साना कहाँ हैहै कहाँ माशूक़ ऐसी मुझ सा दीवाना कहाँ है- रोहित कुमार 'लव लेटर' कविता संग्रह से।क...
08/08/2023

सोचता था मैं हमारे जैसा अफ़साना कहाँ है
है कहाँ माशूक़ ऐसी मुझ सा दीवाना कहाँ है

- रोहित कुमार
'लव लेटर' कविता संग्रह से।

किताब अमेज़ॉन और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है।

क़ानून में सबूत की प्रधानता है चाहे किसी भी तरह से जुटाया जाए। सबूतों की सत्यता की जाँच अदालतें एक सीमित दायरे में करके ...
27/07/2023

क़ानून में सबूत की प्रधानता है चाहे किसी भी तरह से जुटाया जाए। सबूतों की सत्यता की जाँच अदालतें एक सीमित दायरे में करके अपने कर्त्तव्य की इतिश्री कर लेती हैं।

- कमलाकर मिश्रा 'पिताजी और तारीख़ किताब' से।

किताब अमेज़ॉन और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है।

न्याय पाने के लिए औक़ात भी चाहिए और उचित पैरवी भी। यूँ ही नहीं कि वकील साहब के भरोसे बैठ गए और सोचा कि न्याय मिलना अधिका...
18/07/2023

न्याय पाने के लिए औक़ात भी चाहिए और उचित पैरवी भी। यूँ ही नहीं कि वकील साहब के भरोसे बैठ गए और सोचा कि न्याय मिलना अधिकार है मिल ही जाएगा।

- कमलाकर मिश्रा 'पिताजी और तारीख़ किताब' से।

किताब अमेज़ॉन और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है।

न्याय की ज़िम्मेदारी की शपथ लेने वाले लोग षड्यंत्रों को नहीं देख पाए और नेत्रहीन की तरह केवल उतना ही देखा जितना दिखाया ग...
10/07/2023

न्याय की ज़िम्मेदारी की शपथ लेने वाले लोग षड्यंत्रों को नहीं देख पाए और नेत्रहीन की तरह केवल उतना ही देखा जितना दिखाया गया। अपने विवेक का इस्तेमाल न्यायपालिका में प्रतिबंधित तो नहीं लेकिन कोई एक निश्चित सीमा से आगे जाकर सच को जानने की कोशिश ही नहीं करता क्योंकि क़ानून की किताबों के अनुसार इसकी आवश्यकता नहीं बताई गई है। क़ानून में सबूत की प्रधानता है चाहे किसी भी तरह से जुटाया जाए। सबूतों की सत्यता की जाँच अदालतें एक सीमित दायरे में करके अपने कर्त्तव्य की इतिश्री कर लेती हैं। किसी के पास न इतना समय है न कोई आवश्यकता समझी जाती है कि सच्चाई के आधार पर निर्णय दिया जाए। बस एक प्रक्रिया का पालन होता है और न्याय देने की ज़िम्मेदारी भी नौकरी की तरह निभाई जाती है न कि ज़िम्मेदारी के साथ न्याय किया जाता है।

- कमलाकर मिश्रा 'पिताजी और तारीख़ किताब' से।

किताब अमेज़ॉन और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है।

पाठकीय समीक्षा-किताब- पिताजी और तारीख़...................................................................कमलाकर,तुम्हारा ...
09/07/2023

पाठकीय समीक्षा-
किताब- पिताजी और तारीख़...................................................................

कमलाकर,
तुम्हारा उपन्यास पढ़ा। वास्तव में यह संस्मरण ही है,जो साहित्य की एक विधा है। राहुल सांकृत्यायन इस विधा के मूर्धन्य साहित्यकार हैं। अथातो घुमक्कड़ जिज्ञासा। उनकी एक कृति है जिसे हमने बारहवीं कक्षा में पढ़ा था। तुम्हारे द्वारा प्रस्तुत संस्मरण मुझे अपने अनुभवो के नज़दीक ही महसूस हुआ, इसलिए अधिक रूचिकर लगा। इलाहाबाद में लल्ला चुंगी के पास महिला छात्रावास के सामने मेरा भी ५४ कमरों का पुश्तैनी घर था, जिसके मात्र ६ कमरों में हम रहते थे,शेष में सरकार द्वारा रेंट कंट्रोल एक्ट द्वारा सुरक्षा का आवरण लिए हुए काबिज़ गुंडे किरायेदार। वकील होने के बावजूद पिताजी सारी जिंदगी इन्हीं किरायेदारो से मुकदमे लड़ते रहे और ४७ वर्ष की अल्पायु में नश्वर शरीर और जगत को त्यागकर चले गए। मैंने भी इस क्रम को जारी रखा, परन्तु शीघ्र समझ में आया कि जब कोई भौतिक सम्पत्ति अथवा सम्बंध दुःख देने लगे ,तब उसका त्याग कर देना चाहिए। अतः सात साल की वकालत और पुश्तैनी संपत्ति के मोह को त्याग कर ईश्वर की कृपा को साथ लेकर कर्म भूमि पर कर्म करने डट गया। क्योंकि कर्म साकाम था, अतः फल विशेष अवश्यंभावी था,पुनः धन सम्पत्ति अर्जित हो गई। अब ईश्वर इसका उपयोग किस प्रकार से करवायेगा और करवा रहा है, यह उसी की इच्छा पर छोड़ निष्काम कर्म में प्रवृत्त होने का प्रयास है। वह भी उसी की प्रेरणा और कृपा से पूर्ण होगा ऐसा विश्वास है। जीवन के इस पड़ाव पर मैंने यह अनुभव किया भौतिक सम्पत्ति और सम्बन्धों को कर्तव्यों की पूर्ति हेतु ही महत्व देना उचित है, उससे किंचित मात्र है अधिक नही, अन्यथा यह मोह को जागृत करके जीवन को कलुषित कर दुःख का कारण बनते हैं। जीवन का एक महत्वपूर्ण समय जो सभी को प्रभु ने एक निश्चित अवधि के दिया है, निरर्थक ही व्यतीत हो जाता है और हम अपनी जीवन यात्रा समाप्त कर मानव शरीर को त्याग कर परलोक चले जाते हैं। तुम्हारे संस्मरण में मुझे सभी पात्रों और विभिन्न परिस्थितियों के अवलोकन के पश्चात यही संदेश मिलता दिखाई दिया।
इति।🙏

यह पुस्तक है नहीं श्रृंगार कीयह पुस्तक है नहीं शब्दालंकार कीयह पुस्तक है नहीं सिर्फ विचार कीयह पुस्तक है तो केवल प्यार क...
08/07/2023

यह पुस्तक है नहीं श्रृंगार की
यह पुस्तक है नहीं शब्दालंकार की
यह पुस्तक है नहीं सिर्फ विचार की
यह पुस्तक है तो केवल प्यार की

- रोहित कुमार
( लव लेटर)

किताब अमेज़ॉन और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है।

#नईकिताब

यह पुस्तक है नहीं श्रृंगार कीयह पुस्तक है नहीं शब्दालंकार कीयह पुस्तक है नहीं सिर्फ विचार कीयह पुस्तक है तो केवल प्यार क...
05/07/2023

यह पुस्तक है नहीं श्रृंगार की
यह पुस्तक है नहीं शब्दालंकार की
यह पुस्तक है नहीं सिर्फ विचार की
यह पुस्तक है तो केवल प्यार की

- रोहित कुमार
( लव लेटर)

किताब ऑर्डर लिंक- https://amzn.to/446uOnO

#नईकिताब

हम किसी समस्या पर तब तक नहीं सोचते जब तक हम खुद उससे प्रभावित या प्रताड़ित नहीं होते।अमेज़ॉन पर यह किताब उपलब्ध है।ऑर्डर ...
02/07/2023

हम किसी समस्या पर तब तक नहीं सोचते जब तक हम खुद उससे प्रभावित या प्रताड़ित नहीं होते।

अमेज़ॉन पर यह किताब उपलब्ध है।

ऑर्डर लिंक- https://amzn.to/3JvSh9B

बड़े-बुजुर्ग अक्सर कहते हैं कि किसी मामले को लेकर अगर किसी को आए दिन कोर्ट-कचहरी का चक्कर लगाना पड़ जाए तो उसकी ज़िंदगी ...
28/06/2023

बड़े-बुजुर्ग अक्सर कहते हैं कि किसी मामले को लेकर अगर किसी को आए दिन कोर्ट-कचहरी का चक्कर लगाना पड़ जाए तो उसकी ज़िंदगी तारीख़ पे तारीख़ लेते ही गुज़रने लगती है। हालाँकि अगर वकील अच्छा मिल जाए और विवाद को अच्छी तरह से समझकर काम करे तो निश्चित ही इस तारीख़ से छुटकारा मिल सकता है। कमलाकर मिश्र के संस्मरणात्मक उपन्यास ‘पिताजी और तारीख़’ में न्याय-व्यवस्था की इसी खामी की ओर इशारा करते हुए एक बुज़ुर्ग पिता की कहानी को दर्ज किया गया है जिसे बहुत मुश्किलों के बाद तारीख़ से छुटकारा मिलता है। यह किताब अमेज़ॉन पर उपलब्ध है।

ऑर्डर लिंक- https://amzn.to/3JvSh9B

कविता वैसे तो हृदय के अंतस से ध्वनित होकर मस्तिष्क में पहुँचती है और फिर कवि उसे काग़ज़ पर उतार लेता है। लेकिन हृदय का अ...
27/06/2023

कविता वैसे तो हृदय के अंतस से ध्वनित होकर मस्तिष्क में पहुँचती है और फिर कवि उसे काग़ज़ पर उतार लेता है। लेकिन हृदय का अंतस भी तभी जागृत होता है जब उसे झंकृत करने वाला कोई प्रेमी या प्रेयसी हो। फिर तो कविताएँ स्वयं ही बनने लगती हैं। कवि रोहित कुमार की काव्य-रचना इसी केंद्र बिंदु को पकड़े हुए आगे बढ़ती है और वह स्वीकारते हैं कि कविताएँ लिखना तो उनके लिए बहाना भर है, दरअसल यह तो एक प्रेम पत्र है जिसे उन्होंने कविताओं का रूप दे दिया है। कवि का प्रेम पत्र ही अब ‘लव लेटर’ के रूप में पुस्तकाकार है और रोहित चाहते हैं कि यह प्रेम पत्र उनकी प्रेयसी तक पहुँच जाए।

किताब प्री-बुकिंग लिंक- https://amzn.to/446uOnO

#नईकिताब

समाज का एक वर्ग पुरुषों के घरेलू होने को ही स्त्रियों की समस्या को ख़त्म करने जैसा समझ लेता है। मुद्दा घरेलू होना नहीं स्...
27/04/2023

समाज का एक वर्ग पुरुषों के घरेलू होने को ही स्त्रियों की समस्या को ख़त्म करने जैसा समझ लेता है। मुद्दा घरेलू होना नहीं स्त्री पर क़ाबिज़ होना है।

- पूनम 'पूर्णाश्री' किताब 'अथ स्त्री उवाच' से...

किताब अमेज़ॉन और फ़्लिपकार्ट पर उपलब्ध है।

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