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हकीम अजमल खान (1868-1927) भारत में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति थे, जो यूनानी चिकित्सा में अपनी विशेषज्ञता, स्वतंत्रता संग्राम ...
04/10/2024

हकीम अजमल खान (1868-1927) भारत में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति थे, जो यूनानी चिकित्सा में अपनी विशेषज्ञता, स्वतंत्रता संग्राम के प्रति अपने समर्पण और शैक्षिक सुधार में अपने प्रयासों के लिए जाने जाते थे। हर साल 11 फरवरी को, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार हकीम अजमल खान के जन्मदिन को "यूनानी दिवस" ​​के रूप में मनाती है, जो उनकी विरासत को श्रद्धांजलि देता है। यह लेख हकीम अजमल खान के जीवन को श्रद्धांजलि के रूप में कार्य करता है। यह उनकी उल्लेखनीय यात्रा की एक झलक प्रदान करता है, जिसमें चिकित्सा, शिक्षा और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में उनके महत्वपूर्ण योगदान पर जोर दिया गया है।

Hakim Abdul Hameed, the Founder Chancellor of Jamia Hamdard, was honoured by the Government of India in 1965 with Padma ...
03/10/2024

Hakim Abdul Hameed, the Founder Chancellor of Jamia Hamdard, was honoured by the Government of India in 1965 with Padma Shri, the fourth highest Indian civilian award and in 1992, with third highest Indian honour of Padma Bhushan for his contribution to education and traditional system of Unani Medicine.


नैतिकता का हमारे जीवन में महत्व: नैतिक शिक्षा मनुष्य के जीवन में बहुत आवश्यक है। इसका आंरभ मनुष्य के बाल्यकाल से ही हो ज...
17/09/2024

नैतिकता का हमारे जीवन में महत्व: नैतिक शिक्षा मनुष्य के जीवन में बहुत आवश्यक है। इसका आंरभ मनुष्य के बाल्यकाल से ही हो जाता है। सब पर दया करना, कभी झूठ नहीं बोलना, बड़ों का आदर करना, दुर्बलों को तंग न करना, चोरी न करना, हत्या जैसा कार्य न करना, सच बोलना, सबको अपने समान समझते हुए उनसे प्रेम करना, सबकी मदद करना, किसी की बुराई न करना आदि कार्य नैतिक शिक्षा या नैतिक मूल्य कहलाते हैं। सभी धर्मग्रंथों का उद्देश्य रहा है कि मनुष्य के अंदर नैतिक गुणों का विकास करना ताकि वह मानवता और स्वयं को सही रास्ते में ले जा सके। एक बच्चे को बहुत पहले ही घरवालों द्वारा नैतिक मूल्यों से अवगत करा दिया जाता है। जैसे-जैसे उसकी शिक्षा का स्तर बढ़ता जाता है। उसके मूल्यों में विस्तार होना आवश्यक हो जाता है। ये मूल्य उसे सिखाते हैं कि उसे समाज में, बड़ों के साथ, अपने मित्रों के साथ व अन्य लोगों के साथ कैसे व्यवहार करना चाहिए। विद्यालय में किताबों में वर्णित कहानियों और महत्वपूर्ण घटनाओं के माध्यम से उसके मूल्यों को संवारा व निखारा जाता है। यदि एक देश का विद्यार्थी नैतिक मूल्यों से रहित होगा, तो उस देश का कभी विकास नहीं हो सकता। लेकिन विडंबना है कि यह नैतिक मूल्य हमारे जीवन से धूंधले होते जा रहे हैं। हमारी शिक्षा प्रणाली से नैतिक मूल्यों का क्षरण हो रहा है। क्योंकि इनमें नैतिक शिक्षा का अभाव है। अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए हम किसी भी हद तक गिर जाते हैं। ये इस बात का संकेत है कि समाज कि स्थिति कितनी हद तक गिर चुकी है। चोरी, डकैती, हत्याएँ, धोखा-धड़ी, जालसाज़ी, बेईमानी, झूठ, दूसरों और बड़ों का अनादर, गंदी आदतें नैतिक मूल्यों में आई कमी का परिणाम है। हमें चाहिए नैतिक शिक्षा के मूल्य को पहचाने और इसे अपने जीवन में विशेष स्थान दे।

10/09/2024

अपने शानदार अभिनय और लोगों को हंसाने की कला के लिए चार्ली चैपलिन को साल 1973 में ऑस्कर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके साथ ही चार्ली ने कई पुरस्कारों को अपने नाम किया। बरसों तक लोगों को खुलकर हंसाने वाले चार्ली आखिरकार सबको रुला कर चले गए। उन्होंने 25 दिसंबर 1977 में 88 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया। आज भले ही वह हमारे बीच ना हो, लेकिन उनके हंसाने का अंदाज आज भी देखने को मिलता है। आज भी मनोरंजन और ठहाकों का प्रतीक चार्ली चैपलिन को ही माना जाता है और कई फिल्मों, सीरियल्स और शोज में चार्ली चैपलिन के गेटअप में लोगों को हंसाया जाता है।
चार्ली चैपलिन मूक फिल्म युग के सबसे रचनात्मक और प्रभावशाली व्यक्तित्व में से एक थे, जिन्होंने अपनी फिल्म में अभिनय, निर्देशन, पटकथा, निर्माण और संगीत खुद दिया था। वह कला के हर क्षेत्र में माहिर थे। साल 1940 में चार्ली ने तानाशाह हिटलर पर एक फिल्म बनाई थी, जिसका नाम था 'द ग्रेट डिक्टेटर', जिसमें उन्होंने हिटलर का किरदार निभाया। फिल्म में चार्ली का हिटलर को कॉमिक कैरेक्टर के रूप में पेश करना फैंस को काफी पसंद आया। इसके बाद उन्होंने लगातार कई सुपरहिट फिल्में और एक महान कलाकार बनने के रास्ते पर चल पड़े थे।
चार्ली चैपलिन का जन्म 16 अप्रैल 1889 को लंदन में हुआ था। उन्होंने कॉमिक एक्टर और फिल्ममेकर के तौर पर अपना करियर बनाया और पूरा जीवन बस लोगों को हंसाते रहें। 'जिंदगी करीब से देखने पर त्रासदी नजर आती है, लेकिन दूर से देखेंगे तो वह कॉमेडी जैसी दिखती है... यह लाइनें चार्ली चैपलिन की हैं। वह जिंदगी के दुखों को किस तरह देखते थे, वह उनकी इन लाइनों से समझा जा सकता है। वह बचपन से ही खुद दुखों के पहाड़ तले दबे रहे, लेकिन उन्होंने खुद के साथ लोगों को हंसाना सिखाया।
बचपन में ही चार्ली चैपलिन के पिता की मृत्यु हो गई थी, जिसके बाद उन्होंने अपनी मां के साथ आर्थिक तंगी का सामना किया। छोटी सी उम्र में ही चार्ली के ऊपर घर की तमाम जिम्मेदारियां आ गई थीं। उनके पिता मशहूर अभिनेता और गायक थे और उनकी मां हन्ना चैपलिन भी एक गायिका और अभिनेत्री थीं, जिस कारण चार्ली को एक्टिंग की कला विरासत में मिली और उनका भी रुझान अभिनय की तरफ था। मां के बीमार होने के बाद चार्ली को 13 साल की उम्र में ही पढ़ाई छोड़ छोटे-मोटे काम करने पड़े। 14 साल की उम्र में पहली बार उन्होंने एक नाटक में कॉमिक रोल किया, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा।

آگاہ رہو! اللہ کی یاد ہی وہ چیز ہے جس سے دلوں کو اطمینان نصیب ہوا کرتا ہےBe aware! Remembrance of Allah is the only thin...
18/07/2024

آگاہ رہو! اللہ کی یاد ہی وہ چیز ہے جس سے دلوں کو اطمینان نصیب ہوا کرتا ہے
Be aware! Remembrance of Allah is the only thing that gives satisfaction to the hearts
रब की याद ही एकमात्र ऐसी चीज़ है जिससे दिलों को संतुष्टि मिलती है।

वो कहते हैं, “जब हम सिर्फ़ हड्डियाँ और मिट्टी होकर रह जाएँगे तो क्या हम नए सिरे से पैदा करके उठाए जाएँगे?” इनसे कहो, “तुम...
13/07/2024

वो कहते हैं, “जब हम सिर्फ़ हड्डियाँ और मिट्टी होकर रह जाएँगे तो क्या हम नए सिरे से पैदा करके उठाए जाएँगे?” इनसे कहो, “तुम पत्थर या लोहा भी हो जाओ, या इससे भी ज़्यादा सख़्त कोई चीज़ जो तुम्हारे मन में ज़िन्दगी पाने से बहुत दूर हो” (फिर भी तुम उठकर रहोगे)। वो ज़रूर पूछेंगे, “कौन है वो जो हमें फिर ज़िन्दगी की तरफ़ पलटाकर लाएगा?” जवाब में कहो, “वही जिसने पहली बार तुमको पैदा किया” (क़ुरआन 17:49-51)

26/01/2024

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