महादेव ही मालिक

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सौराष्ट्र में सोमनाथ है और श्रीशैल में मल्लिकार्जुन,उज्जैन में महाकाल और ओंकार में ममलेश्वर।परलिया में वैद्यनाथ हैं और ड...
23/12/2024

सौराष्ट्र में सोमनाथ है और श्रीशैल में मल्लिकार्जुन,
उज्जैन में महाकाल और ओंकार में ममलेश्वर।

परलिया में वैद्यनाथ हैं और डाकिनी में भीमाशंकर,
सेतुबंध में रामेश्वर और दारुक वन में नागेश।

वाराणसी में विश्वेश्वर हैं और गौतमी के तट पर त्र्यंबकेश्वर,
हिमालय में केदारनाथ और शिवालय में घृष्णेश्वर।

जो भी व्यक्ति इन ज्योतिर्लिंगों का सुबह-शाम पाठ करता है,
उसके सात जन्मों के पाप स्मरण मात्र से नष्ट हो जाते हैं।

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सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम् ।
उज्जयिन्यां महाकालम्ॐकारममलेश्वरम् ॥१॥
'परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमाशंकरम् |
सेतुबंधे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ||
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यंबकं गौतमीतटे |
हिमालये तु केदारम् घुश्मेशं च शिवालये ||'

एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः ।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति ॥४॥

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मन मुकुर सुधारि। बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि॥बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार...
21/12/2024

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मन मुकुर सुधारि। बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार॥

॥चौपाई॥

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥
राम दूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥

महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा॥

हाथ वज्र औ ध्वजा बिराजे।
काँधे मूँज जनेऊ साजे॥
शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जग वंदन॥

विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज सँवारे॥

लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये॥
रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते।
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राजपद दीन्हा॥

तुम्हरो मंत्र विभीषण माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं॥
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥

राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डरना॥

आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हाँक ते काँपै॥
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै॥

नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥

सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा॥
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै॥

चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥
साधु सन्त के तुम रखवारे।
असुर निकन्दन राम दुलारे॥

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता॥
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥

तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै॥
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई॥

और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई॥
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥

जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई॥

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा॥

॥दोहा॥

पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥

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11/12/2024

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01/12/2024

सौराष्ट्र में सोमनाथ है और श्रीशैल में मल्लिकार्जुन,
उज्जैन में महाकाल और ओंकार में ममलेश्वर।

परलिया में वैद्यनाथ हैं और डाकिनी में भीमाशंकर,
सेतुबंध में रामेश्वर और दारुक वन में नागेश।

वाराणसी में विश्वेश्वर हैं और गौतमी के तट पर त्र्यंबकेश्वर,
हिमालय में केदारनाथ और शिवालय में घृष्णेश्वर।

जो भी व्यक्ति इन ज्योतिर्लिंगों का सुबह-शाम पाठ करता है,
उसके सात जन्मों के पाप स्मरण मात्र से नष्ट हो जाते हैं।
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सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम् ।
उज्जयिन्यां महाकालम्ॐकारममलेश्वरम् ॥१॥
'परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमाशंकरम् |
सेतुबंधे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ||
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यंबकं गौतमीतटे |
हिमालये तु केदारम् घुश्मेशं च शिवालये ||'

एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः ।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति ॥४॥

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