अल्फाज़

अल्फाज़ शायरी
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11/01/2025
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25/12/2024

Thanks for being a top engager and making it on to my weekly engagement list! 🎉 Kumar Rajesh, Roshan Panchal, Varma Sahab Varma Sahab, Gourav Madaan, Seema Tripathi, Man Man, संजय आयल सिघानी, Parashant Dubeay

हे भगवान यह हो क्या रहा है आजकल बूढ़ी मां को छत पर लावारिस डाला…ओढ़ने के लिए रज़ाई तो दूर चादर तक नहीं थी। छत पर इसलिए र...
21/12/2024

हे भगवान यह हो क्या रहा है आजकल बूढ़ी मां को छत पर लावारिस डाला…ओढ़ने के लिए रज़ाई तो दूर चादर तक नहीं थी। छत पर इसलिए रखा ताकि…सर्दी में ख़ुद मर जाए। साँसें छीनने से पहले पल-पल मारा। “लड़ते थे बचपन में अम्मा मेरी है, अम्मा मेरी है। आज लड़ा करते हैं अम्मा तेरी है, अम्मा तेरी है। जिस अम्मा ने पाला-पोसा बड़ा किया। गला घोंट मार डाला…अम्मा तेरी है न अम्मा मेरी है।
माँ बच्चों के लिए ढेर सारी धन धौलत जोड़ जाती है,
मरने के बाद बच्चों के लिए अपना शरीर भी छोड़ जाती है।😟😟🥲🥲 ऐसी कहानियाँ पढ़ने को न मिलें तो एक अच्छे समाज का प्रदर्शन होगा।
🥲🥲🥲🥲🥲

शाम घर आकर जब मैंनेखुद को झड़ाया तोइतनी आँखें गिरी जमीं परकुछ घूरती, कुछ रेंगतीकुछ टटोलती मेरा तन मनकुछ आस्तीन में फंसी थ...
20/12/2024

शाम घर आकर जब मैंने
खुद को झड़ाया तो
इतनी आँखें गिरी जमीं पर
कुछ घूरती, कुछ रेंगती
कुछ टटोलती मेरा तन मन
कुछ आस्तीन में फंसी थी
कुछ कॉलर में अटकी थी
कुछ उलझी थी बालों में
गर्दन के पीछे चिपकी मिली
कुछ उंगलियों में पोरों में
कुछ नशीली कुछ रसीली
कोई बेशर्मी से भरी हुई
ये आंखें ऐसी क्यों हैं?
उनकी हमारी सी आंखें
पर इतना अंतर क्यों है?
मैं रोज़ प्रार्थना करती हूँ
कुछ न चिपका मिले मुझ पर
जैसी मैं सुबह जाती हूँ घर से
वैसे साफ सुथरी आऊं वापस
मगर ऐसा हो पाता नहीं
बोझ उठाये नजरों का हरदम
चलते रहना नियति है मेरी, शायद।

2024 - अलविदा का एक साल 🏏
19/12/2024

2024 - अलविदा का एक साल 🏏

19/12/2024

साले की बुराई, शक्की को दवाई,
प्रेमिका को, अपने दोस्त से मिलाना,
पत्नी को अपनी असली इनकम बताना,
नवजात कुत्ते के बच्चे को सहलाना,
और पहलवान की बहन से इश्क लड़ाना,
कभी नहीं, कभीनहीं।
नाई से उधारी में दाढ़ी या फिर सेकंडहैण्ड गाड़ी,
नॉन वेज होटल में वेजिटेरियन खाना,
और बिना पानी देखे टॉयलेट में जाना,
कभी नहीं, कभी नहीं।
दो नंबर की कमाई रिश्तेदार के नाम रखना,
सुंदर जवान नौकरानी को काम पर रखना,
पत्नी से सुंदर पड़ोसन को बताना,
और पुलिस वाले को मकान में किराये पर रखना,
कभी नहीं, कभी नहीं।
बिना हाथ दिए गाड़ी मोड़ना,
सफ़र में सहयात्री के भरोसे अटैची छोड़ना,
चिपकू मेहमान को बढ़िया खाना खिलाना,
टीचर के बच्चे को ट्यूशन पढ़ाना,
कभी नहीं, कभी नहीं।
चोरी के डर से पड़ोसी को सुलाना,
कम उम्र की महिला को आंटी बुलाना,
लंगर की पंक्ति में आखिर में बैठना,
और पत्नी से उसके मायके में ऐंठना,
कभी नहीं, कभी नहीं।

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