Anil Rajora

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Anil Rajora, Everything related to society, social issues, Facts and Reality checks, Products reviews and Fun तो बनता ही है।
And The Most Important is "कभी कभी हास्य व्यंग के बाण भी चलेंगे।"

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18/09/2024

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|Mobile Madness| by Anil RajoraWatch Now
30/08/2024

|Mobile Madness| by Anil Rajora
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A practical discussion about addiction of smart phone mobile in kids, The possible way you can deal of mobile addiction in your kids, the disadvantages of hi...

78 सालों में क्या खोया क्या पाया ?भारत के नागरिकों के लिए एक खास संदेश।
15/08/2024

78 सालों में क्या खोया क्या पाया ?
भारत के नागरिकों के लिए एक खास संदेश।

Inspiring message from Anil Rajora on the 78th Independence Day of India!Join us as Anil Rajora delivers a powerful message to the people and students of Ind...

सभी भारतीयों को 78वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं! 🇮🇳इस गौरवशाली दिन पर, आइए हम अपनी आज़ादी, एकता और शक्ति का ...
14/08/2024

सभी भारतीयों को 78वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं! 🇮🇳

इस गौरवशाली दिन पर, आइए हम अपनी आज़ादी, एकता और शक्ति का जश्न मनाएं। मेरे इस विशेष संदेश को देखें, जो भारत के लोगों और विद्यार्थियों के लिए समर्पित है। आइए, मिलकर अपने देश का उज्ज्वल भविष्य बनाएं। 🌟
https://youtu.be/duEylgxzYyo?si=9kQVFh97T5h_TTJe

#स्वतंत्रतादिवस #भारत78 #भारतीयहोनेपरगर्व #विद्यार्थियोंकेलिए #एकतामेंअनेकता #स्वतंत्रतादिवस #भारत #देशभक्ति #विकसितभारत

Inspiring message from Anil Rajora on the 78th Independence Day of India!Join us as Anil Rajora delivers a powerful message to the people and students of Ind...

आखिर सड़क हादसे हो ही क्यों रहे हैं, क्या लोग इसी प्रकार से जिम्मेदारों की लापरवाही से मरते रहेंगे ?                 आखि...
10/07/2024

आखिर सड़क हादसे हो ही क्यों रहे हैं, क्या लोग इसी प्रकार से जिम्मेदारों की लापरवाही से मरते रहेंगे ?

आखिर भारत में लोगो की जान इतनी सस्ती क्यों है ?

08/07/2024

सहमत हों तो शेयर अवश्य करना -
उन बोझिल गणित, इंग्लिश और SST के कुछ घंटे घटाकर यदि
व्हीकल ड्राइविंग,
बेसिक मेडिकल एजुकेशन
खानपान की ट्रेनिंग
योगा , स्पोर्ट्स की ट्रेनिंग
बेसिक law and Constitution Right of Kids
Moral Responsibility (परिवार, समाज और जानवरों के प्रति दायित्व)
कानून द्वारा सही और गलत की जानकारी
अपराध की परिभाषा
सामान्य दिनचर्या में किए जाने वाले अपराधो की सजा
सामाजिक सौहार्द की ट्रेनिंग
मानव होने के नाते कुछ फर्ज
देश के लिए एक नागरिक की जिम्मेदारी

ये उपरोक्त बिंदुओं पर theortical और प्रैक्टिकल पढ़ाए जाने लगें तो ना जाने कितने ही बच्चे खुशी खुशी स्कूल जाएं ना की आज के बच्चो की तरह स्कूल जाना एक बोझ लगे।
भारत के अधिकांश प्रतिशत बच्चे स्वेच्छा से स्कूल नहीं जाना चाहते हैं , यदि मां बाप का दवाब ना हों तो कभी स्कूल की तरफ देखें भी ना

है ना विचारणीय ?

05/07/2024

हादसे से कोई सबक नहीं लिया, are Great

नमस्कार दोस्तों, Please   and   my   निरंतर चलना आगे बढ़ना ही जीवन का सबसे सही मंत्र है।
12/06/2024

नमस्कार दोस्तों, Please and my

निरंतर चलना आगे बढ़ना ही जीवन का सबसे सही मंत्र है।

06/06/2024

जिनके तलवे चाट चाट के गोदी मीडिया ने 10 साल जीभ घिसी, वो इतनी जल्दी पलट जायेगी खुद बीजेपी ने भी नही सोचा होगा, आज तो मीडिया का मुस्लिम प्रेम, अखिलेश प्रेम देखे नही बन रहा।

कल कह रहे थे की इस देश में हिंदुत्व के मुद्दे पर चुनाव नही जीता जा सकता और मुस्लिमो की तारीफ में बड़े कसीदे पढ़ रहे थे, आज बता रहे हैं की कैसे राम मंदिर बनवाने के बाद भी जनता खासकर हिंदुओ ने को आखिर क्यों वोट नही किया, और रही सही कसर ने अखिलेश की सादगी की तारीफ करकर पूरी कर दी।

आज तो देश का सबसे बड़ा और उत्तर प्रदेश का बेताज बादशाह भी विश्लेषण कर रहा की अंदरूनी कलह, नेताओ की टशन और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की वजह से बीजेपी हारी है, धन्य है भारतीय मीडिया, आज विश्लेषण कर रहे हो जब करना चाहिए था तब चप्पल चाट रहे थे।

तुम सबसे बढ़िया तो और वाले हैं कम से कम सरकार को उनकी कमियां रोज रोज गिनवा तो रहे था , ना की तुम्हारी तरह केवल पैकेज लेकर विज्ञापन कर रहे थे।

कौन सी सरकार ऐसी है जिसके अंदर कमियां ना हो लेकिन सरकार को कमी सुनने की आदत तो हो, तुम जैसे पत्रकारों ने ही बीजेपी का असली बेड़ा गर्क किया है।

थोड़ा बहुत भी शर्म और लिहाज होती तो कभी तो सरकार के नेत्र खोलने के लिए कोई कमियों वाली खबर चलाते ।

पूरे अयोध्या में मीडिया को केवल #रामलला का #मंदिर तो दिखाई दिया लेकिन किसी भी बड़े चैनल ने ये दिखाने की हिम्मत नही जुटाई की राम जी घर बनने के चक्कर में कितनी के घर उजड़ गए।

जितने भी ये मीडिया वाले चरण चाटक हैं उनको ये समझना चाहिए की यदि बड़े अपना फर्ज ना निभाए तो अक्सर बच्चे बिगड़ ही जाते हैं जिससे वो अपने भविष्य में परेशान ही होते हैं, लेकिन यहां तो मीडिया ने अपना फर्ज ही नही निभाया, सरकार प्रेम में ऐसे डूबे की सरकार को ही ले डूबे।

एक बार #अयोध्या जाकर देखते तो सही की आखिर लोकल अयोध्या वासियों पर क्या बीत रही है, वास्तव में कितने लोगो को रोजगार मिल रहा है, लोकल का कुछ भला भी हुआ या बस सब बाहर गांव के लोगो के यहां 8 - 8 हजार की नौकरी ही कर रहे हैं, जिनके घर टूटे उनसे पूछते तो सही की सरकार वाला घर उनके पुराने घर से कितना दूर है, मार्केट से कितना दूर है, कितनी जगह में बना हुआ है, और कितना पैसा अतिरिक्त देना पड़ा।

कभी मीडिया वाले गांव में जाकर किसानों से पूछते तो सही की चाचा लड़का #अग्निवीर बन गया खुशी है की नही, तुम जैसे दौगले लोगो की वजह से असल में बीजेपी हारी हैं ।

3, 3 महान हस्ती बैठी हुई थी मोदी जी के इंटरव्यू में किसी ने ये बात काटने की हिम्मत भी नहीं जुटाई की नही मोदी जी आप गलत कह रहे हैं, गांधी जी को तो आजादी से पहले से उनके आंदोलन और देश को दिए बलिदान की वजह से पूरा विश्व तब से जानता है जब आप पैदा भी नही हुए था।

मीडिया वालो ने मोदी की नाव डुबाई है, और अगर आज ये उस आदमी के अगेंस्ट जाकर अपने आप को बहुत सीधा, लोकतंत्र वादी और सच्चा दिखाना चाहते हैं तो उसका कोई फायदा अब नही।

धन्यवाद

28/05/2024


पेड़ लगाओ जीवन बचाओ

इसे न्याय व्यवस्था की धज्जियां खुद न्याय पालिका के रक्षकों द्वारा होना कहा जायेगा।शायद जज साहब को ईश्वर की अदालत में अपन...
22/05/2024

इसे न्याय व्यवस्था की धज्जियां खुद न्याय पालिका के रक्षकों द्वारा होना कहा जायेगा।
शायद जज साहब को ईश्वर की अदालत में अपना केस खुद लड़ना होगा तब ही इस केस में असली फैसला होगा।
#शर्मनाक

यदि मनोविज्ञान की बातों में थोड़ी बहुत भी वास्तविकता है तो ये क्या इस प्रकार के रजिस्टर छात्रों के मस्तिष्क को एकाग्रित ...
06/02/2024

यदि मनोविज्ञान की बातों में थोड़ी बहुत भी वास्तविकता है तो ये क्या इस प्रकार के रजिस्टर छात्रों के मस्तिष्क को एकाग्रित होकर पढ़ाई करने दे सकते हैं।

जैसी बड़ी कंपनी अपने रजिस्टर पर इस प्रकार के चित्र छाप कर बेच रही है, यह की सीरीज का फोटो है जिसके ग्राफिक्स और पिक्चर को पसंद किया जाता है, खासकर बच्चों में।

तो सवाल ये है की मनोविज्ञान के अनुसार किसी बच्चे को एकाग्रचित होकर पड़ने के लिए सभी फिल्मों, गेम्स आदि को भूलना चाहिए और फिर पूरे मन से पढ़ाई करनी चाहिए, आपको क्या लगता है की बच्चा वास्तव में पढ़ पाता होगा या नहीं ??

कमेंट्स का स्वागत है ...

राम को समझना हो तो अपने अंदर झाकिए - जब जान कर भी अपराध किया तो कैसे राम बन पाओगेकिसी और का अधिकार लिया तो कैसे राम बन प...
22/01/2024

राम को समझना हो तो अपने अंदर झाकिए -

जब जान कर भी अपराध किया तो कैसे राम बन पाओगे
किसी और का अधिकार लिया तो कैसे राम बन पाओगे
दुष्टों का जब साथ दिया तो कैसे राम को पाओगे
जब निर्दोष का भी अपमान किया तो कैसे राम बन पाओगे।

चाहे अपनी हो या पराई, देख के नारी जो झुकजाई,
वानर की सेना बनवाई, लंका जार विजय फहराई,
तनिक नही राज का डर, तनिक नही भोज की आशा, जीवन सुमिरन हो उसका जो जपे राम की माला।

जय श्री राम

अनिल राजौरा

06/01/2024

विचार

एक तरफ तो ऐसा लगता है की ज्ञान सबसे शक्तिशाली है, कभी ऐसा लगता है की अनुभव सबसे शक्तिशाली है परंतु कभी ऐसी परिस्थिति भी आतीं हैं जब ज्ञानी और अनुभवी लोग भी गलती करते हैं तब अहसास होता है की समय सबसे शक्तिशाली है।

क्योंकि समय ही वह बूटी है जिसके पास दुनिया की हर समस्या का इलाज, हर अंधकार में प्रकाश और व्यक्ति को हर स्तिथि में यह विश्वास दिला सकती है की एक ना एक दिन उसका भी समय आएगा।

कभी कभी हमसे जाने अंजाने ऐसी गलतियां अपने से कम ज्ञानी तथा कम अनुभवी व्यक्तियों के साथ हो जाती हैं जो ज्ञान और अनुभव के मानकों पर हमारे द्वारा की जाएं उचित नहीं मानी जा सकती, परंतु कहते हैं ना समय बड़ा बलवान ।

हमें सदेव प्रयत्न करना चाहिए की यदि कोई हमारे पास आया है तो हम उसकी बात को ध्यान से सुने, उसके मर्म अथवा समस्या को सुने, उसके भाव को समझें और उसके बाद अपने ज्ञान और अनुभव के आधार पर उसके साथ व्यवहार करें।

कभी कभी हमारा समय से पहले अर्थात उसकी बात पूरी सुने हुए अपना निर्णय दे देना गलत है, जैसे आपका अपना बच्चा यदि आपके पास कभी आता है और उसके मन में आपसे कुछ मांगने की मंशा है (और आप अपने अनुभव के आधार पर यह जानते भी हो की यह कुछ मांगने आया है ) तब भी आपको उस बालक की बात को पूर्ण संतुष्टि तथा धैर्य के साथ सुनना चाहिए तथा उसके बाद आपको अपना निर्णय देना चाहिए, संभवत यदि आपका निर्णय उसकी मंशा अनुसार नही है तब तो आपको अत्यंत धैर्य के साथ उसकी बात सुनकर अपना निर्णय उसे समझाना चाहिए।

जैसे यदि समय ने कभी हमें किन्ही पारिवारिक या सामाजिक या अपने कार्यछेत्र में न्यायधीश बनने का सौभाग्य दिया है परंतु हम अपने ज्ञान और अनुभव के अहंकार में पक्षकारों की बात सुने बिना ही अपना निर्णय दे दें तो ये ऐसे मानिए जैसे समय ने ही तत्काल आपसे आपका पद वापस ले लिया।

समय हर व्यक्ति को किसी ना किसी रूप में सत्ता अवश्य देता है चाहे आप अपने परिवार के मुखिया हो, छोटे से समुदाय के मुखिया हो, चाहे कार्यस्थल के या किसी भी अन्य रूप में आपको सत्ता सुख अवश्य भोगने को मिलता है परंतु वहां आपके द्वारा दिए गए निर्णय, किया गया व्यवहार ये तय करता है की आप किस स्तर की सत्ता भोगने के योग्य हैं।

अर्थात हमारे जीवन में किया गया हर वो व्यवहार जिससे किसी ऐसे व्यक्ति को दुख हो जो आपके पास बड़ी उम्मीद लेकर आया है वह उस व्यक्ति के लिए बहुत पीढ़ादायक होता हैं, और यदि आपका ज्ञान और अनुभव आपको यह नही बता पा रहा की आप उस समय गलत थे तो आपको सही समय आने पर बिना देर किए अहसास होते ही तुरंत अपने से ज्ञान तथा अनुभव में कम व्यक्ति से भी माफी मांग लेनी चाहिए।

धन्यवाद

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