
13/01/2025
*समाजसेवा और चिकित्सा के संगम से बदला बुजुर्गों का जीवन*
कैथल । डॉ. विक्रांत टांक, स्पोर्ट्स फिजियोथेरेपिस्ट और समाजसेवी, अपनी पेशेवर कुशलता के साथ समाज में बदलाव लाने का अनूठा कार्य कर रहे हैं। उन्होंने न केवल अधरंग, बुजुर्गों और शारीरिक समस्याओं से पीड़ित मरीजों की मदद की है, बल्कि मानसिक तनाव, नशे की लत और आत्महत्या जैसी गंभीर समस्याओं से जूझ रहे युवाओं को भी नया जीवन दिया है। उनके साथ पत्रकार कृष्ण प्रजापति से की विस्तृत बातचीत के मुख्य अंश यहां प्रस्तुत हैं।
**प्रश्न: डॉ. विक्रांत, आपकी इस यात्रा की शुरुआत कैसे हुई?*
उत्तर: यह सब मेरे बचपन के अनुभवों से शुरू हुआ। मैंने देखा कि कई लोग शारीरिक और मानसिक समस्याओं से जूझ रहे थे, लेकिन उन्हें मदद नहीं मिल पाती थी। मैंने फिजियोथेरेपी को एक ऐसा माध्यम चुना, जिससे मैं न केवल शारीरिक दर्द को ठीक कर सकूं, बल्कि मानसिक और सामाजिक समस्याओं को भी हल कर सकूं। जब मैंने पहली बार किसी अधरंग के मरीज को चलना सिखाया, तो मेरी सोच बदल गई। मुझे समझ आ गया कि यह काम सिर्फ पेशा नहीं, बल्कि मेरा जुनून है।
*प्रश्न: युवाओं को नशे की लत से बाहर निकालने में आपकी सबसे बड़ी चुनौती क्या थी?*
उत्तर: सबसे बड़ी चुनौती, युवाओं का भरोसा जीतना है। नशे की लत के शिकार लोग खुद को पूरी तरह से हार मान चुके होते हैं। वे मानते हैं कि अब उनकी जिंदगी में कुछ अच्छा नहीं हो सकता। मैंने उनके साथ व्यक्तिगत स्तर पर जुड़ने की कोशिश की। उनके डर, असुरक्षा और तकलीफों को समझा। हमारी एनजीओ की टीम ने ऐसे युवाओं के लिए विशेष कार्यक्रम तैयार किए, जिनमें योग, फिजियोथेरेपी और काउंसलिंग का समावेश था। जब वे खुद को शारीरिक रूप से मजबूत और मानसिक रूप से संतुलित महसूस करने लगे, तो उनका आत्मविश्वास लौट आया।
*प्रश्न: बुजुर्गों और अधरंग से पीड़ित मरीजों के साथ आपका अनुभव कैसा रहा?*
उत्तर: बुजुर्गों और अधरंग के मरीजों को मदद करना मेरे दिल के बहुत करीब है। इन मरीजों की हालत अक्सर ऐसी होती है कि वे अपनी उम्मीद भी खो चुके होते हैं। मैंने उनके लिए ऐसी फिजियोथेरेपी तकनीकें विकसित कीं, जो उनकी स्थिति के अनुसार हों। उदाहरण के लिए, मैंने अधरंग के मरीजों के लिए धीरे-धीरे मांसपेशियों को सक्रिय करने वाले व्यायाम तैयार किए। एक बार एक बुजुर्ग मरीज, सुनील गुलाटी जो की व्हीलचेयर पर थे, जब पहली बार खड़े हुए तो उनके चेहरे पर जो मुस्कान आई वो मेरे लिए अविस्मरणीय थी। मरीजों के चेहरे पर आने वाली मुस्कान, मुझे हर दिन बेहतर करने के लिए प्रेरित करती है।
*प्रश्न: आपने आत्महत्या के कगार पर खड़े युवाओं की मदद कैसे की?*
उत्तर: आत्महत्या की प्रवृत्ति से जूझ रहे युवाओं को बचाने के लिए मैंने कई स्तरों पर काम किया। सबसे पहले, मैंने उनकी समस्याओं को बिना किसी पूर्वाग्रह के सुना। इसके बाद, मैंने उन्हें सकारात्मक दिशा देने के लिए काउंसलिंग और मोटिवेशनल सेशन शुरू किए। मैं उन्हें यह एहसास कराने की कोशिश करता हूं कि उनका जीवन महत्वपूर्ण है और उनकी समस्याएं स्थायी नहीं हैं। कई बार, शारीरिक व्यायाम और ध्यान (मेडिटेशन) ने भी उनकी मानसिक स्थिति को सुधारने में मदद की।
*प्रश्न: आपके इस काम से समाज को क्या संदेश मिलता है?*
उत्तर: मेरा मानना है कि हम सब एक-दूसरे की मदद करके ही समाज को बेहतर बना सकते हैं। हर व्यक्ति के पास अपनी परेशानियों का समाधान खोजने की ताकत है, बस जरूरत है, उन्हें सही दिशा दिखाने की। मैंने अपने काम के माध्यम से यही संदेश देने की कोशिश की है कि किसी भी स्थिति में हार मानना हल नहीं है।
*प्रश्न: आप अपनी इस यात्रा को आगे कैसे बढ़ाना चाहते हैं?*
उत्तर: मेरी योजना है कि मैं अपनी सेवाओं को और अधिक लोगों तक पहुंचा सकूं। मैं चाहूंगा कि फिजियोथेरेपी को शारीरिक समस्याओं से परे मानसिक और सामाजिक समस्याओं का समाधान करने वाला एक माध्यम बनाया जाए। इसके लिए मैं अपने ज्ञान को और गहराई से सीखना और उसे समाज के भले के लिए उपयोग करना चाहता हूं।