28/09/2023
क्या सचमुच मनुष्य ईश्वर का खिलौना है?
यही मानव जीवन का महत्त्व है, की हसते-खेलते जीवन के प्राण हर लेना। ईश्वर के लिए मानव जीवन केवल बालको का घरोंदा है, जिसके बनाने का न कोई हेतु है और न बिगडने का। अगर वाकई में मनुष्य ईश्वर का खिलौना है तो, फिर बालको को भी तो अपने घरोंदे से, अपनी कागज की नाव से, अपनी लकडी के घोडो से ममता होती है। अच्छे खिलोनो को वह अपनी जान के पीछे छुपा कर रखता है। अगर ईश्वर बालक ही है, तो वह विचित्र बालक है।
किन्तु बुद्धि तो ईश्वर का यह रूप स्वीकार नही करती। अनंत सृष्टि का करता उद्दंड बालक नही हो सकता। उसे हम उन सारे गुणों से विभूसित करते है। क्या हसते-हसते प्रेममय जीवन के प्राण हर लेना कोई खेल है। क्यों इश्वर ऐसा पैशाचिक खेल खेलता है। ईश्वर ने अपने पैशाचिक खेल से रेडियो की दुनिया मे आवाज का जादू बिखराने वाले, एक कुशल वक्ता, स्ट्रीट थिएटर से जुड़े एक हुनरमंद कलाकार, कवि, लेखक और न जाने कितनी ऐसी प्रतिभाओं के मालिक संजीव कुमार उर्फ संजू, को हम से छीन लिया। लेकिन फिर भी मै उसी ईश्वर से यह दुआ करता हूँ की वह संजीव जी की आत्मा को शांति दे.