Pragatisheel Pustak Kendra

आज झीवरहेड़ी गाँव, देहरादून में 'महात्मा ज्योतिबा फूले पुस्तकालय' का उदघाटन हुआ। इस पुस्तकालय की खास बात यह है कि इसे गा...
02/09/2024

आज झीवरहेड़ी गाँव, देहरादून में 'महात्मा ज्योतिबा फूले पुस्तकालय' का उदघाटन हुआ। इस पुस्तकालय की खास बात यह है कि इसे गांव के लोगों ने आपस में चंदा इकट्ठा करके खोला है। कार्यक्रम में गांव के लोगों ने यह बताया कि हमारे नायक ज्योतिबा फूले, सावित्री बाई फूले, पेरियार, बाबा साहेब और भगतसिंह ये सभी शिक्षित थे और इन्होंने समाज की बेहतरी के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया, हमें भी अपने नायकों की राह पर चलने की जरूरत है।

प्रगतिशील पुस्तक केन्द्र की नीव रखने वाले जन इतिहासकार और संस्कृतकर्मी प्रो. लालबहादुर वर्मा की स्मृति व्याख्यान माला की...
17/05/2024

प्रगतिशील पुस्तक केन्द्र की नीव रखने वाले जन इतिहासकार और संस्कृतकर्मी प्रो. लालबहादुर वर्मा की स्मृति व्याख्यान माला की द्वितीय प्रस्तुति में आप सादर आमंत्रित हैं।

देश-दुनिया में चल रही राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक उथल-पुथल के बारे में लेखों को समेटे हुए देश-विदेश पत्रिका का नया अंक आ...
11/05/2024

देश-दुनिया में चल रही राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक उथल-पुथल के बारे में लेखों को समेटे हुए देश-विदेश पत्रिका का नया अंक आपके सामने है।

अपनी प्रति मंगवाने के लिए सम्पर्क करें...

इस अंक के महत्वपूर्ण लेख हैं--

-- उत्तराखण्ड में लागू समान नागरिक संहिता संविधान की मूल भावना के खिलाफ

-- चुनावी बॉण्ड घोटाला : भाजपा को चन्दा, कम्पनियों को धन्धा और जनता को फन्दा –– अमित इकबाल

-- इलेक्टोरल बॉण्ड घोटाले पर जानेमाने अर्थशास्त्री डॉक्टर प्रभाकर का सनसनीखेज खुलासा

-- मोदी के शासनकाल में अर्थव्यवस्था की दशा और दिशा –– मोहित पुण्डिर

-- भारत के शैक्षणिक और वैज्ञानिक बुनियादों पर खतरा–– अजहर

-- हिन्दू–मुस्लिम सौहार्द के पैरोकार नजरुल इस्लाम –– शैलेन्द्र चैहान

-- साहिर लुधियानवी : मेरे गीत तुम्हारे हैं –– विजय गुप्त

-- सरकार डिजिटल तानाशाही लागू करने की फिराक में

-- हसदेव वन क्षेत्र बचाओ आन्दोलन

-- कम्पनी राज : देश की शासन व्यवस्था कम्पनियों के ठेके पर–– अमित इकबाल

-- डॉ– रोज डगडेल : आयरिश स्वतंत्रता सेनानी को सलाम

-- वह शख्स जिसके नक्शेकदम पर चलता है नेतन्याहू ––क्रिस बैम्बेरी

-- अमरीका में फैक्टरी फार्मिंग का विकास और पारिवारिक पशुपालन का विनाश –– विक्रम प्रताप

शहीदों की याद में आयोजित विचारगोष्ठी में शामिल हों!
21/03/2024

शहीदों की याद में आयोजित विचारगोष्ठी में शामिल हों!

आज 08 मार्च को अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर, महिला एकता केन्द्र, देहरादून के साथियों ने करबरी ग्रांट इलाके में  ...
08/03/2024

आज 08 मार्च को अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर, महिला एकता केन्द्र, देहरादून के साथियों ने करबरी ग्रांट इलाके में गीत और नारों के साथ महिला जागरूकता मार्च निकाला। गलियों और नुक्कड़ों पर अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के महत्व पर बात रखी गई और पर्चे बांटे गये।
सभी से 10 मार्च को दोपहर 3 बजे रविदास मंदिर झीवरहेड़ी में महिलाओं के मुद्दों पर होने वाली सभा में शामिल होने का आह्वान किया गया।

विश्व पुस्तक मेले में आज का दिन बच्चों के नाम और किताबें भी खरीदी। कल आखिरी दिन है। आप भी आइए, ये मौका साल में एक बार आत...
17/02/2024

विश्व पुस्तक मेले में आज का दिन बच्चों के नाम और किताबें भी खरीदी। कल आखिरी दिन है। आप भी आइए, ये मौका साल में एक बार आता है।

गार्गी प्रकाशन
स्टॉल न. R 22, हॉल न. 1
में आपका इन्तजार रहेगा।

***प्रगतिशील पुस्तक केंद्र***
30/09/2023

***प्रगतिशील पुस्तक केंद्र***

हमें अगर राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से जागरूक रहना है तो इस तरह की मैगजीन पढ़नी जरूरी है। वरना मुख्यधार...
20/06/2023

हमें अगर राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से जागरूक रहना है तो इस तरह की मैगजीन पढ़नी जरूरी है। वरना मुख्यधारा की मीडिया का शिकार होकर उल्टी दिशा में बहते रहेंगे।

इस किताब का अनुवाद मैंने एक हफ्ते में कर दिया था। मैं और अमरपाल अपने एक साथी के घर कुछ समय के लिए गये थे, जहाँ अंग्रेजी ...
14/06/2023

इस किताब का अनुवाद मैंने एक हफ्ते में कर दिया था। मैं और अमरपाल अपने एक साथी के घर कुछ समय के लिए गये थे, जहाँ अंग्रेजी में यह किताब मिली, जिसमें चे ग्वेरा के बारे फिदेल का संस्मरण है। मैंने अनुवाद शुरू कर दिया और अमरपाल ने मेरी हर जरूरत पूरी की।

इस किताब का संक्षिप्त परिचय--

चे ग्वेरा के बारे में फिदेल कास्त्रो के भाषणों और वक्तव्यों का यह संकलन उनके सहयोद्धा, अन्तरंग मित्र और कामरेड के उद्गार हैं जो प्रत्यक्ष अनुभवों पर आधारित हैं। चे के व्यक्तित्व और व्यावहारिक कार्रवाइयों का इतना सहज, तथ्यपूर्ण और रागात्मक चित्रण तथा इतना गहरा और सही मूल्यांकन फिदेल के अलावा किसी अन्य के वश में नहीं था। 1955 में मैक्सिको सिटी में पहली मुलाकात और कुछ घंटों की बातचीत में बनी फिदेल और चे की दोस्ती ग्रान्मा अभियान, सियेरा माएस्त्रा की पहाड़ियों में छापामार लड़ाई, क्यूबा के केन्द्रीय भाग में बतिस्ता के खिलाफ आखिरी लड़ाई और समाजवादी नवनिर्माण के दौरान फौलाद में ढलती गयी। दुनिया भर के क्रान्तिकारी आन्दोलन के इतिहास में इन दोनों क्रान्तिकारियों की दोस्ती, युगान्तरकारी एकजुट कार्रवाइयाँ और हर महत्त्वपूर्ण मामले में वैचारिक एकता सिर्फ क्यूबा और लातिन अमरीका ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में परिवर्तनकारी शक्तियों के लिए प्रेरणास्पद रही है और आगे भी बनी रहेगी।

चे ग्वेरा और फिदेल कास्त्रो की दोस्ती में दरार डालने और उनके वैचारिक मतभेदों के बारे में झूठ और अफवाह फैलाने का प्रयास अमरीकी साम्राज्यवादियों और तमाम तरह के पूँजीवादी लोगों द्वारा तो लगातार किया ही गया, वामपंथी घेरे के कुछ लोगों द्वारा भी समय–समय पर ऐसे प्रयास किये गये। 1965 में चे ग्वेरा की अचानक क्यूबा से अनुपस्थिति के बाद अटकलबाजियों और किस्से–कहानियों का नया सिलसिला चल पड़ा। कुत्साप्रचार की इस आँधी को तब विराम लगा, जब फिदेल कास्त्रो ने क्यूबाई कम्युनिस्ट पार्टी की केन्द्रीय कमेटी की पहली बैठक के बाद अपना भाषण दिया। उन्होंने उस भाषण में चे के साथ अपनी अटूट एकता का इजहार करते हुए उनके द्वारा क्यूबा छोड़ते समय उनके नाम लिखे पत्र को भी पढ़ा। वह ऐतिहासिक पत्र और भाषण इस पुस्तक के पहले अध्ययन में दिया गया है।

अक्टूबर 1967 में बोलीविया में छापामार लड़ाई लड़ते हुए चे की मृत्यु के बाद भी अटकलबाजियों का दौर शुरू हुआ। फिदेल ने एक टेलीविजन कार्यक्रम में चे की मृत्यु की पुष्टि की। उन्होंने तमाम समाचारों, रिपोर्टों और बयानों का तथ्यपूर्ण विश्लेषण करके यह स्थापित किया कि चे की घायल अवस्था में गिरफ्तारी के बाद सीआईए समर्थित बोलीवियाई सैन्य अधिकारियों ने हत्या की और उनके अन्तिम अवशेषों को छुपा दिया। उन्होंने बताया कि इस कटु सत्य को हमें स्वीकारना होगा कि चे अब नहीं रहे लेकिन शारीरिक रूप से दुश्मनों ने भले ही उन्हें खत्म कर दिया हो, उनके आदर्शों, विचारों और कार्रवाइयों के रूप में प्रस्तुत उदाहरण को, जनता के दिलों में चे की स्मृतियों को वे खत्म नहीं कर पायेंगे। चे हमारे बीच आज भी हैं और कल भी भावी पीढ़ियों का मार्ग प्रशस्त करते रहेंगे।

इस संकलन में चे की याद में विभिन्न अवसरों पर दिये गये भाषण हैं जिनमें क्यूबा की क्रान्ति में उनके योगदान का सजीव चित्रण है। इसके अलावा एक क्रान्तिकारी के रूप में चे के व्यक्तित्व की विशेषताओं को ठोस घटनाओं के माध्यम से बताया गया है। अलग–अलग छावियों और दृश्यों को अगर एकत्रित किया जाय तो चे के क्रान्तिकारी जीवन की एक मुकम्मिल तस्वीर हमारे सामने आ जाती है। विभिन्न राष्ट्रीय–अन्तरराष्ट्रीय मुद्दों पर चे की राजनीतिक समझ और अवस्थिति को भी इसमें यथास्थान प्रस्तुत किया गया है। एक पत्रकार को दिये गये इन्टरव्यू का अंश सबसे महत्त्वपूर्ण है जिसमें फिदेल ने समाजवादी खेमें में वैचारिक भटकाव और विवरण पर चे की राय के माध्यम से अपना रुख स्पष्ट किया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से बताया है कि सोवियत संघ और समाजवादी खेमें के अन्य देशों के पतन का एक प्रमुख कारण समाजवादी निर्माण की प्रक्रिया में पूँजीवादी विचारों और तौर–तरीकों का अपनाया जाना है। इस जहर के ज्यादा से ज्यादा उपयोग का ही नतीजा है कि उन देशों में समाजवाद मरता जा रहा है।

संयोगवश अभी कुछ ही माह पहले चे ग्वेरा की शहादत की 50वीं बरसी गुजरी है। ऐसे समय में, जब पूरी दुनिया में मेहनतकश वर्गों का विश्वव्यापी आन्दोलन सामयिक आघात और वैचारिक विभ्रम का शिकार हुआ है, एक महाकाव्यात्मक संघर्ष से विस्तृत ऐतिहासिक दस्तावेजों का यह संकलन न सिर्फ चे के व्यक्तित्व और कृतित्व का सम्पूर्ण चित्र प्रस्तुत करता है बल्कि एक अनुकरणीय उदाहरण के रूप में क्यूबा के क्रान्तिकारियों और उनकी बेमिसाल बहादुराना संघर्षों की भी झलक प्रस्तुत करता है।

इस पुस्तक के अनुवाद, प्रस्तुति और कलेवर के बारे में पाठकों के सुझाव और आलोचनाओं का हमें इन्तजार रहेगा।

--गार्गी प्रकाशन
साभार -- Digamber
प्रगतिशील पुस्तक केन्द्र देहरादून पर उपलब्ध।

वहाँ दीवार पर लिखा होता है। "उत्पादकता हम से है, हम से है।"लेकिन मुनाफे और मुनाफे में हिस्सेदारी के बारे में कोई जिक्र न...
30/05/2023

वहाँ दीवार पर लिखा होता है। "उत्पादकता हम से है, हम से है।"
लेकिन मुनाफे और मुनाफे में हिस्सेदारी के बारे में कोई जिक्र नहीं होता!

एक-एक किताब का नाम ध्यान से देखिये ....और अगर आप एक बेहतर समाज की कल्पना करते हैं तो आपको जरूर ये किताबें पढ़नी चाहिए। य...
04/03/2023

एक-एक किताब का नाम ध्यान से देखिये ....और अगर आप एक बेहतर समाज की कल्पना करते हैं तो आपको जरूर ये किताबें पढ़नी चाहिए। ये किताबें उन लोगों द्वारा रचित या अनुवादित हैं, जिन्होने बेहतर समाज का सपना देखा और उस सपने को पूरा करने में लग गए और हमारे लिए पथ प्रवर्तक हैं।

बाकि खाना-पीना बच्चे पैदा करना और मर जाना तो चलता ही रहेगा।

किताब का नामलू शुन क्रान्ति काल का साहित्यकिताब का एक अंश... उन्होंने(लू शुन) अपने साहित्य कर्म के बारे में स्पष्ट लिखा ...
01/11/2022

किताब का नाम
लू शुन
क्रान्ति काल का साहित्य
किताब का एक अंश...
उन्होंने(लू शुन) अपने साहित्य कर्म के बारे में स्पष्ट लिखा है--"मैं उन लोगों की मौन आत्मा की तस्वीर पेश करना चाहता हूँ, जो हजारों वर्षों से चट्टानों के बीच घास के रूप में अंकुरित हैं।"

यह किताब आप gargibooks.com से प्राप्त कर सकते हैं।
देहरादून के साथी *प्रगतिशील पुस्तक केन्द्र* से प्राप्त कर सकते हैं।

यह छोटी सी पुस्तिका आपको अहसास कराती है कि किस प्रकार पूँजीवादी व्यवस्था हमें अकेलेपन के गड्ढे में ढकेल रही है, हमारे मा...
31/10/2022

यह छोटी सी पुस्तिका आपको अहसास कराती है कि किस प्रकार पूँजीवादी व्यवस्था हमें अकेलेपन के गड्ढे में ढकेल रही है, हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर इसका कितना बुरा प्रभाव पड़ता रहा है।
यह पुस्तिका इससे निकलने का रास्ता भी सुझाती है।

पुस्तिका में

* मानसिक स्वास्थ्य और मानव स्वभाव
* कार्य और रचनाशीलता का दमन
* अर्थपूर्ण जुड़ाव और अकेलापन
* भौतिकवाद तथा पहचान और रचनात्मकता की खोज
* वर्ग संघर्ष के रूप में प्रतिरोध

आप इसे gargibooks.com से भी मँगा सकते हैं।
देहरादून के साथी 'प्रगतिशील पुस्तक केन्द्र' से प्राप्त कर सकते हैं।

गार्गी प्रकाशन देश विदेश में अपने पाठकों को पुस्तकों एवं पत्रिकाओं के माध्यम से कम मूल्य पर ऐसा स्तरीय…

एक नयी और पठनीय पुस्तक आपके समक्ष प्रस्तुत है-- मूसा से मार्क्स तक, लेखक-- सैय्यद सिब्ते हसन. मूल रूप से उर्दू में छपी इ...
19/01/2022

एक नयी और पठनीय पुस्तक आपके समक्ष प्रस्तुत है-- मूसा से मार्क्स तक, लेखक-- सैय्यद सिब्ते हसन. मूल रूप से उर्दू में छपी इस किताब का हिंदी अनुवाद डॉ फ़िदा हुसैन ने किया है.

मार्क्स और एंगेल्स ने अपने साम्यवादी विचारों को ‘वैज्ञानिक समाजवाद’ और पुराने समाजवाद को ‘काल्पनिक समाजवाद’ से परिभाषित किया था। काल्पनिक समाजवाद से उनका अभिप्राय सामाजिक सुधार की वे योजनाएँ थीं जो यूरोप के बुद्धिजीवी समय–समय पर प्रस्तुत करते रहते थे। तथ्य, समाज के वास्तविक हालात से नहीं प्राप्त किये गये थे बल्कि उन विचारकों की व्यक्तिगत इच्छाओं के प्रतिबिम्ब थे। इसके विपरीत वैज्ञानिक समाजवाद, पूँजीवादी व्यवस्था के वास्तविक हालात का जरूरी और तार्किक परिणाम था। इसके नियम सामाजिक विकास और विशेष रूप से पूँजीवादी व्यवस्था के गहन अध्ययन से प्राप्त किये गये थे। इस किताब के शुरू के आधे हिस्से में विस्तार से दुनिया भर के आदिम काल से अब तक के तमाम साम्यवादियों-समाजवादियों के बारे में और उनके सिधान्तों के बारे में दिया गया, जिससे गुजरना बेहद रोचक और ज्ञानवर्धक है। किताब के बाकी के आधे हिस्से में मार्क्स- एंगेल्स के लेखन के जरिये वैज्ञानिक समाजवाद की रूपरेखा बनाई गयी है। समाजवाद के इतिहास को एंगेल्स की मृत्यु पर समाप्त कर दिया गया है। हालाँकि बाद में समाजवादी जीवन दर्शन अब तरक्की करके एक जिन्दा हकीकत, एक अन्तरराष्ट्रीय शक्ति बन गया है।

इस किताब का अध्ययन हर उस व्यक्ति को करना चाहिए जिसे दुनिया के इतिहास तथा उसकी चालक शक्तियों के कालक्रम को समझने की जिज्ञासा हो।

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