14/06/2023
जिगर का टुकड़ा, घर का शहजादा चला गया।
सुनकर यह खबर निःशब्द हूँ मैं,
क्या बोलूं, क्या लिखूं, स्तब्ध हूँ मैं।
रगों में दौड़ता खून मेरा जम गया,
मेरे घर का एक सदस्य कम गया।
छाती पीट-पीट कर रो रही है माँ,
रो-रो कर अपना धीरज खो रही है माँ।
मेरे लाल तू इतना कमजोर तो नहीं था,
साझा करता दिल में दर्द जो कहीं था।
मौत को गले लगा कर तू हमें भी मार गया,
मेरा राजा-बेटा कैसे जिंदगी से हार गया ?
तू चला गया देश को वीरान कर गया,
तेरा इस तरह जाना हमें हैरान कर गया।