Abu Shaham Khan Alig

Abu Shaham Khan Alig Proud Indian,An Aligarian,Humanist,An Avid Fan Of Classic Urdu Poetry,Cricket And Other Sports
(2)

Wo Jo Khud Pairwi-E-Ehl-E-Wafa Karta Tha
Mujh Se Milta Tha To Talqeen-E-Wafa Karta Tha

Us Ke Daman Ma Koi Phool Nahi Mere Liye
Jo Meri Tangi-E-DamaaN Ka Gila Karta Tha

Aaj Jo Us Ko Bulaya To Wo Gumsum Hi Raha
Dil DhaRakne Ki Jo Awaz Suna Karta Tha

Aaj Wo Meri Har Ik Baat Ke Ma'ni Pooche
Jo Meri Soch Ki Tehreer Likha Karta Tha

Abdul Hamid Adam
21/12/2023

Abdul Hamid Adam

Munir Niyazi
15/12/2023

Munir Niyazi

प्रश्न: क्या मुस्लिम काबा का पूजा करते है ये बस एक सवाल का जवाब है उत्तर : ‘काबा’ किबला है अर्थात् वह दिशा जिधर मुसलमान ...
15/12/2023

प्रश्न: क्या मुस्लिम काबा का पूजा करते है

ये बस एक सवाल का जवाब है

उत्तर : ‘काबा’ किबला है अर्थात् वह दिशा जिधर मुसलमान नमाज़ के समय अपने चेहरे का रुख़ करते हैं। यह बात सामने रहनी चाहिए कि यद्यपि मुसलमान अपनी नमाज़ों में काबा की तरफ़ अपना रुख़ करते हैं लेकिन वे काबा की पूजा नहीं करते। मुसलमान एक अल्लाह के सिवा किसी की पूजा नहीं करते और न ही किसी के सामने झुकते हैं।
क़ुरआन में कहा गया है—
‘‘हम तुम्हारे चेहरों को आसमान की ओर उलटते-पलटते देखते हैं। तो क्या हम तुम्हारे चेहरों को एक किब्ले की तरफ़ न मोड़ दें, जो तुम्हें प्रसन्न कर दे। तुम्हें चाहिए कि तुम जहाँ कहीं भी रहो अपने चेहरों को उस पवित्र मस्जिद की तरफ़ मोड़ लिया करो। (क़ुरआन, सूरह:2 आयत:144)

1. इस्लाम एकता की बुनियादों को मज़बूत करने में विश्वास करता है

नमाज़ पढ़ते वक़्त यह संभव था कि कुछ लोग उत्तर की ओर अपना रुख़ करते और कुछ दक्षिण की ओर। एक मात्र वास्तविक स्वामी की इबादत में मुसलमानों को संगठित करने के लिए यह आदेश दिया कि चाहे वे जहाँ कहीं भी हों, वे अपने चेहरे एक ही दिशा की ओर करें अर्थात् काबा की ओर। यदि कुछ मुसलमान ‘काबा’ के पश्चिम में रहते हैं तो उन्हें पूर्व की ओर रुख़ करना होगा। इसी प्रकार अगर वे ‘काबा’ के पूर्व में रह रहे हों तो उन्हें पश्चिम की दिशा में अपने चेहरे का रुख़ करना होगा।

2. ‘काबा’ का तवाफ़ (परिक्रमा) ईश्वर के एकत्व का प्रतीक है

मुसलमान जब मक्का में स्थित मस्जिदे-हराम (प्रतिष्ठित मस्जिद) जाते हैं तो वे काबा का तवाफ़ करते हैं। यह कार्य एक ईश्वर में विश्वास रखने और एक ही ईश्वर की उपासना करने का प्रतीकात्मक प्रदर्शन है, क्योंकि जिस तरह गोल दायरे का एक केन्द्रीय बिन्दु होता है उसी तरह ईश्वर भी एक ही है जो पूजनीय है।

3. हज़रत उमर (रजि़॰) का बयान

काबा में लगे हुए ‘हजरे-अस्वद’ (काले पत्थर) से संबंधित दूसरे इस्लामी शासक हज़रत उमर (रजि़॰) से एक कथन इस्लामी इतिहास में उल्लिखित है। हदीस की प्रसिद्ध पुस्तक ‘सहीह बुख़ारी’ भाग-दो, अध्याय-हज, पाठ-56, हदीस न॰ 675 के अनुसार हज़रत उमर (रजि़॰) ने फ़रमाया
‘‘मुझे मालूम है कि (हज़रे-अस्वद) तुम एक पत्थर हो। न तुम किसी को फ़ायदा पहुँचा सकते हो और न नुक़सान और मैंने अल्लाह के पैग़म्बर (सल्ल॰) को तुम्हें छूते (और चूमते) न देखा होता तो मैं कभी न तो तुम्हें छूता (और न ही चूमता)

4,,रही बात चूमने की तो आप के आश्रमछाप ज्ञान की वजह से आप को चूमने और पूजने तक का फर्क पता नही है । प्यार से हम आप अपने बच्चे को भी चूमते है तो क्या इसका मतलब यह है की हम या आप अपने बच्चे की पूजा इबादत उपासना करते है इतनी भी समझ नही है आप को
मोहब्बत और इबादत दोनों अलग चीज होती है हम उस चीज से भी मोहब्बत करते है और उसे सम्भाल कर रखते है जिसे हम यादगार के तौर पर भी रखते है

5. लोग काबा पर चढ़कर अज़ान देते थे

अल्लाह के पैग़म्बर (हज़रत मुहम्मद सल्ल॰) के ज़माने में तो लोग काबा पर चढ़कर अज़ान देते थे। यह बात इतिहास से सिद्ध है। कोई भी मूर्तिपूजक मूर्ति पर चढ़कर खड़ा नहीं होते है

Majrooh Sultanpuri
14/12/2023

Majrooh Sultanpuri

Garmi-E-Hasrat-E-Nakam Se Jal Jaate HainHam Charaghon Ki Tarah Shaam Se Jal Jaate HainSham.A Jis Aag Men Jalti Hai Numa....
14/12/2023

Garmi-E-Hasrat-E-Nakam Se Jal Jaate Hain
Ham Charaghon Ki Tarah Shaam Se Jal Jaate Hain

Sham.A Jis Aag Men Jalti Hai Numa.Ish Ke Liye
Ham Usi Aag Men Gumnam Se Jal Jaate Hain

Bach Nikalte Hain Agar Atish-E-Sayyal Se Ham
Shola-E-Ariz-E-Gulfam Se Jal Jaate Hain

Khud-Numa.I To Nahin Sheva-E-Arbab-E-Vafa
Jin Ko Jalna Ho Vo Aram Se Jal Jaate Hain

Rabt-E-Baham Pe Hamen Kya Na Kahenge Dushman
Ashna Jab Tire Paigham Se Jal Jaate Hain

Jab Bhi Aata Hai Mira Naam Tire Naam Ke Saath
Jaane Kyuun Log Mire Naam Se Jal Jaate Hain

Qateel Shifai

Aatish Raza
14/12/2023

Aatish Raza

Firaq Gorakhpuri
14/12/2023

Firaq Gorakhpuri

Hasrat Mohani
13/12/2023

Hasrat Mohani

Daagh Dehalvi
13/12/2023

Daagh Dehalvi

जीवनी जोश मलीहाबादी का जन्म शब्बीर हसन खान के रूप में 1894 में लखनऊ के पास मलीहाबाद में हुआ था।  वह एक जागीरदार परिवार स...
13/12/2023

जीवनी

जोश मलीहाबादी का जन्म शब्बीर हसन खान के रूप में 1894 में लखनऊ के पास मलीहाबाद में हुआ था। वह एक जागीरदार परिवार से थे और उनके पूर्वज प्रतिष्ठित और विद्वान लोग थे। उनके परदादा फकीर मोहम्मद खान 'गोया' फारसी के कवि और राजा गाजीउद्दीन हैदर की सेना में एक अधिकारी थे। उनके दादा मोहम्मद अहमद खान अहमद और उनके पिता बशीर अहमद खान 'बशीर' भी कवि थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही हुई। उन्होंने नेयाज़ अली खान से फ़ारसी, मौलाना ताहिर से उर्दू, मौलवी कुदरतुल्लाह बेग से अरबी और मास्टर गोमती प्रसाद से अंग्रेजी सीखी। उन्होंने शिक्षा की शुरूआत सीतापुर, लखनऊ और अलीगढ से की। आख़िरकार उन्होंने आगरा से सीनियर कैम्ब्रिज की पढ़ाई की। उन्होंने कुछ समय शांतिनिकेतन में बिताया, लेकिन अपने पिता की मृत्यु के बाद उन्हें घर लौटना पड़ा।

1925 में, जोश ने तत्कालीन हैदराबाद रियासत में उस्मानिया विश्वविद्यालय में काम करना शुरू किया। लेकिन उनके क्रांतिकारी लेखन के कारण, विशेषकर राज्य के तत्कालीन शासक हैदराबाद के निज़ाम के विरुद्ध एक नज़्म लिखने के कारण, उन्हें राज्य छोड़ना पड़ा।

कुछ समय तक जोश बॉलीवुड से भी जुड़े रहे। उन्होंने 1943 से 1948 तक फिल्मों के लिए कई गीत और संवाद लिखे। फिल्म 'मन की जीत' के लिए ज़ोहराबाई अंबालेवाली द्वारा गाए गए उनके विचारोत्तेजक गीत 'मोरे जोबना का देखो उबर' को गंभीर आलोचना का सामना करना पड़ा और उन्होंने अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए फिल्में पूरी तरह से छोड़ दीं।

जोश एक पत्रकार भी थे और उन्होंने विभिन्न प्रकाशनों के संपादक के रूप में भी काम किया। उन्होंने "कलीम" पत्रिका की स्थापना की जिसमें उन्होंने भारत में ब्रिटिश शासन से आजादी के पक्ष में खुलकर लेख लिखे। उनकी प्रतिष्ठा फैल गई, और वह शायर-ए-इंकलाब के रूप में प्रसिद्ध हो गए। वह स्वतंत्रता संग्राम में अधिक सक्रिय रूप से शामिल हो गए और उस युग के कुछ राजनीतिक नेताओं, विशेषकर जवाहरलाल नेहरू के करीब आ गए।

आजादी के बाद, प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू के आग्रह के बावजूद जोश 1958 में पाकिस्तान चले गए। भारत में उर्दू भाषा के भविष्य के बारे में उनकी चिंता का कारण यह था, क्योंकि उन्हें आशंका थी कि हिंदू बहुमत उर्दू के बजाय हिंदी के उपयोग को प्रोत्साहित कर सकता है। वह कराची में बस गए और मौलवी अब्दुल हक के साथ अंजुमन-ए-तराक़ी-ए-उर्दू के लिए काम किया।

22 फरवरी 1982 को इस्लामाबाद में उनका निधन हो गया।

जोश को आम तौर पर या तो क्रांति या रोमांस के कवि के रूप में जाना जाता था लेकिन वास्तव में, वह एक बहुआयामी कवि थे। जोश ने उर्दू में प्रतिरोध कविता की शैली की स्थापना की। उनकी शायरी दशकों तक फैली हुई है और कई विद्वानों और आलोचकों का मानना ​​है कि वह 20 वीं शताब्दी में उर्दू भाषा के तीन सर्वश्रेष्ठ कवियों में से एक थे, अन्य दो इकबाल और फैज़ थे।

उन्हें 1954 में "पद्म भूषण" से सम्मानित किया गया था

उनके काव्य संग्रह में शामिल हैं-

"शोला-ओ-शबनम", "जुनून-ओ-हिकमत", "फ़िक्र-ओ-निशात", "सनबल-ओ-सलासल", "हर्फ़-ओ-हिकायत", "सरोद-ओ-खरोश", "इरफ़ानियत" -ए-जोश'', ''आवाज-ए-हक'', 'रूह-ए-अदब'', ''शायर की रातें'', ''जोश के सौ शेर'', ''नक्श-ओ-निगार'', ''शोला-ओ-शबनम'' , "पैग़म्बर-ए-इस्लाम", "जुनून-वा-हिकमत", "हुसैन और इंकलाब", "आयत वा नग़मात", "सैफ-ओ-सुबू", "सुमूम-ओ-सबा", "तुलू-ए- फ़िक्र”, “मूजिद-वा- मुफ़क्किर”, “क़तरा-ए-क़ुल्ज़ुम”, “नवादिर-ए-जोश”, “इल्हाम-ओ-अफ़कार”, “नुजूम-ओ-जवाहिर”, “जोश के मर्सिये”, “ उरूस-ए-अदब”, “इरफ़ानियात-ए-जोश”, “मेहराब-ओ-मेजराब”, “दीवान-ए-जोश”।

उनका गद्य कार्य-

"औराक़-ए-ज़ररीन", "मक़ालात-ए-जोश", "मकालमत-ए-जोश", "जज़्बात फितरत", "इशारात", "यादों की बारात" (आत्मकथा)।

QuranAlmighty God says: { And [mention] Job, when he called to his Lord, “Indeed, adversity has touched me, and you are ...
06/12/2023

Quran
Almighty God says: { And [mention] Job, when he called to his Lord, “Indeed, adversity has touched me, and you are the Most Merciful of the merciful.” So We responded to him and removed what afflicted him of adversity. And We gave him [back] his family and the like thereof with them as mercy from Us and a reminder for the worshippers [of Allah ]} Surah Al-Anbiya (verses from 83-84)

Prophet Ayyub (Job) was a descendant of Prophet Ibrahim. Ayyub lived in Rome with his wife and children. Ayyub was strong and healthy, had large plots of land, abundant livestock, and a righteous and beautiful family he was also a community leader who was highly respected and loved by his people. Despite his status and wealth, Ayyub was never arrogant; he was always humble, he readily helped the deprived, and constantly thanked and glorified Allah for everything he was blessed with.

As time passed, Prophet Ayyub’s wealth began to diminish—his land, livestock, servants, and money slowly evaded him until he was left with nothing. Then he lost all of his children, and then he got sick.

For years, Ayyub continued to suffer through his condition, with none but his wife by his side to take care of him. They had no money and no income, so his wife took up a job to provide for him. However, the people of the city did not allow her to work for long for they feared that she would afflict them with the same illness as her husband.

Ayyub meanwhile, continued to pray to Allah to give him the strength and patience to endure this pain and suffering.

Ayyub’s wife went to him and wailed, “O Ayyub, you are the prophet and the messenger of Allah. You have the closest relationship with Allah.

Ask Allah to take you out of this harm that you are in!” Ayyub sighed and replied, “Satan must have whispered to you and made you dissatisfied. Tell me how long did I enjoy good health and riches?” His wife responded, “Eighty years or so.”

He replied, “For how long am I suffering like this?” She said, “Seven years.” Ayyub then said, “In that case, I am ashamed to call on my Lord to remove my hardship, for I have not suffered longer than the years of good health and plenty.

It seems your faith has weakened and you are dissatisfied with the fate of Allah. If I ever regain health, I swear I will punish you with a hundred strokes! From this day onward, I forbid myself to eat or drink anything by your hand. Leave me alone and let my Lord do with me as He pleases.” Feeling helpless Ayyub turned to Allah seeking His mercy. “Verily, Satan has touched me with distress (by losing my health) and torment (by losing my wealth)!” he prayed. Allah immediately responded to Ayyub’s desperate call for help. Allah said, “Strike the ground with your foot: This is a spring of water to wash in and cool and a refreshing drink.”

Ayyub immediately performed Allah’s bidding. As he struck the ground with his foot, cold water gushed at his feet. As commanded, Ayyub drank and washed his entire body using the water. Within a short while, Ayyub’s blisters disappeared, his skin renewed completely and his internal organs began functioning. Indeed, Ayyub was completely cured by the grace of Allah! When his wife saw him, she did not recognise him. She asked him, “Where is Ayyub? Who are you? You look very similar to him.” He replied smiling, “It’s me!” Overjoyed, she thanked Allah for His mercy.

Ayyub remembered his promise to punish his wife with a hundred strokes once he regained his health. He did not want to hurt his beloved wife, nor did he want to break his oath to Allah; so Allah, the Most Wise, instructed Ayyub, “Take in your hand a bundle of thin grass and strike therewith your wife, and break not your oath.” Allah then restored Ayyub’s wealth. Ayyub and his wife were also given back their family.

Mere dushman ka beta bhi mujhe aadab karta hai...Bade logon ke bacche bhi bade maloom hote hain...Munawwar Rana
06/12/2023

Mere dushman ka beta bhi mujhe aadab karta hai...
Bade logon ke bacche bhi bade maloom hote hain...

Munawwar Rana

मिट्टी से बने इंसान की स्थिति दफनाने के एक दिन बाद यानी ठीक 24 घंटे बाद इंसान की आंत में कीड़ों का एक समूह सक्रिय हो जात...
03/12/2023

मिट्टी से बने इंसान की स्थिति

दफनाने के एक दिन बाद यानी ठीक 24 घंटे बाद इंसान की आंत में कीड़ों का एक समूह सक्रिय हो जाता है, जो मृत व्यक्ति के मल से बाहर निकलना शुरू हो जाता है। साथ ही असहनीय दुर्गंध फैलने लगती है, जो साथी कीड़ों को निमंत्रण देने के समान है।

जैसे ही यह घोषणा की जाती है, बिच्छू और सभी कीड़े-मकौड़े मनुष्य के शरीर की ओर बढ़ने लगते हैं और मनुष्य का मांस खाने लगते हैं।

* नाक की स्थिति में पहला बदलाव दफनाने के 3 दिन बाद शुरू होता है।

* 6 दिन के बाद नाखून झड़ने लगते हैं।

* 9 दिन बाद बालों का झड़ना शुरू हो जाता है। मनुष्य के शरीर पर बाल नहीं रहते और पेट फूलने लगता है।

* 17 दिनों के बाद, पेट फट जाता है और अन्य घटक बाहर निकलने लगते हैं।

* 60 दिनों के बाद मृत शरीर से सारा मांस निकाल दिया जाता है। मानव शरीर पर मांस का एक भी टुकड़ा नहीं रहता।

* 90 दिनों के बाद सभी हड्डियाँ एक दूसरे से अलग होने लगती हैं।

* एक वर्ष के बाद, हड्डियाँ सड़ जाती हैं और अंततः जिस व्यक्ति को दफनाया गया था वह मर जाता है और धूल में मिल जाता है।

तो मेरे दोस्तो! अभिमान, अहंकार, लोभ, लालच, अहंकार, शत्रुता, ईर्ष्या, द्वेष, ईर्ष्या, सम्मान, गरिमा, नाम, पद, राजत्व, यह सब कहाँ जाता है? सब कुछ धूल में मिलता है. क्या इंसान है! मिट्टी से बना, मिट्टी में दब गया और मिट्टी बन गया। पांच-छह फीट का आदमी कब्र में जाकर गुमनाम हो जाता है. जो संसार में अहंकार करके चलता है, जो स्वयं को शक्तिशाली समझता है, जो दूसरों का तिरस्कार करता है, जो संसार पर शासन करता है, कब्र में आते ही उसकी हैसियत "धूल" ही रह जाती है।

अतः मनुष्य को अपने शाश्वत एवं शाश्वत जीवन को सुन्दर एवं शांतिपूर्ण बनाने के लिए हर क्षण सोचना चाहिए। अल्लाह सर्वशक्तिमान को याद करना चाहिए। हर अच्छे काम और इबादत में ईमानदारी पैदा करनी चाहिए और अंत की दुआ करनी चाहिए।

अल्लाह मुझे और आप सभी को कार्रवाई करने में मदद करे! (आमीन)

Dinner Today
03/12/2023

Dinner Today

03/12/2023
New looks 😀
28/11/2023

New looks 😀

Ameen
28/11/2023

Ameen

Subhanallah
27/11/2023

Subhanallah

Glorious Quran ❤️❤️❤️
27/11/2023

Glorious Quran ❤️❤️❤️

Alhamdulillah, Subhanallah,Astagfirullah, Inshallah, Mashaallah
27/11/2023

Alhamdulillah, Subhanallah,Astagfirullah, Inshallah, Mashaallah

Allah loves you 70% more than your mother do
27/11/2023

Allah loves you 70% more than your mother do

Alhamdulillah
27/11/2023

Alhamdulillah

Subhanallah
26/11/2023

Subhanallah

Sunday Lunch time
26/11/2023

Sunday Lunch time

Mirza Ghalib
26/11/2023

Mirza Ghalib

Patta patta buta buta haal hamara jaane hai...
25/11/2023

Patta patta buta buta haal hamara jaane hai...

जब पहली बार सुपरफास्ट ट्रेन में चढ़ा।सहयात्रियों से पूछने लगा, - अलीगढ़ कब आएगा ?मुझे उतरना है।सहयात्रियों ने बताया, भाई,...
23/11/2023

जब पहली बार सुपरफास्ट ट्रेन में चढ़ा।
सहयात्रियों से पूछने लगा, - अलीगढ़ कब आएगा ?
मुझे उतरना है।
सहयात्रियों ने बताया, भाई, ये गाड़ी फास्ट ट्रैन है।
अलीगढ़ से गुजरेगी मगर रुकेगी नहीं।
मैं घबरा गया।
सहयात्रियों ने समझाया, " घबराओ नहीं।
अलीगढ़ में ये ट्रेन रोज स्लो हो जाती है। तुम एक काम करो, अलीगढ़ में जैसे ही ट्रेन स्लो हो , तो तुम दौड़ते हुए प्लेटफॉर्म पर उतरना और फिर बिना रुके थोड़ी दूर तक, ट्रेन जिस दिशा में जा रही है, उसी दिशा में दौड़ते रहना। इससे तुम गिरोगे नहीं 😊👍
अलीगढ़ आने से पहले सहयात्रियों ने मुझे गेट पर खड़ा कर दिया। अलीगढ़ आते ही सिखाए अनुसार मैं प्लेटफार्म पर कूदा और कुछ अधिक ही तेजी से दौड़ गया।
इतना तेज दौड़ा कि अगले कोच तक जा पहुँचा। उस दुसरे कोच के यात्रियों में से, किसी ने मेरा हाथ पकड़ा तो किसी ने शर्ट पकड़ी और मुझे खींचकर ट्रेन में चढ़ा लिया। ट्रेन फिर गति पकड़ चुकी थी। सहयात्री मुझ से कहने लगे,
भाई, तेरा नसीब अच्छा है जो, ये गाड़ी तुझे मिल गई। ये फास्ट ट्रेन है, अलीगढ़ में तो रुकती ही नहीं । " 😁😁

Today's Lunch Prawn fry and Rice
22/11/2023

Today's Lunch Prawn fry and Rice

Shihanukville Cambodia
22/11/2023

Shihanukville Cambodia

Alhamdulillah
22/11/2023

Alhamdulillah

So true
21/11/2023

So true

19/11/2023

Dear Indian Cricket Team, Winning and losing are both part of the game. Throughout the whole tournament, you performed amazingly well. Through the highs and lows, we love you. ❤️

Temba Bavuma said " It didn’t seem like an ICC event tonight, lets be brutally honest. I didn’t hear “Waka Waka” . So ye...
16/11/2023

Temba Bavuma said " It didn’t seem like an ICC event tonight, lets be brutally honest. I didn’t hear “Waka Waka” . So yes, that does play a role."

16/11/2023

Sagar kinare

आंख बंद करके इस मैच को फ्लैशबैक में देखें और कल्पना करें कि मोहम्मद शमी इस मैच में नहीं खेल रहे हों। यकीन करें आप कांप ज...
16/11/2023

आंख बंद करके इस मैच को फ्लैशबैक में देखें और कल्पना करें कि मोहम्मद शमी इस मैच में नहीं खेल रहे हों। यकीन करें आप कांप जाएंगे।

कमेंटेटर कह रहा है कि जब भी भारत की टीम पर संकट आता है कप्तान रोहित शर्मा मोहम्मद शामी की ओर देखता है। यह सच है आज की जीत फिर से शामी की वजह से है। लेकिन एक कप्तान मोदी जी भी हैं जो तमाम शामियों की ओर नहीं देखते।आज की जीत फिर से साबित करती है देश सबको साथ लेकर चलने से ही आगे बढ़ेगा।

मुझे एक बात हमेशा सालती है। मोदी और उनके समर्थकों ने देश को कभी एक टीम नहीं समझा, उन्हें मोहम्मद शामी नहीं चाहिए। यही वजह है कि हम आर्थिक, सामाजिक लोकतांत्रिक मोर्चों पर लगातार पराजित होते हैं।

शामी जैसे बार बार साबित करते हैं कि देश तो सबको साथ लेकर चलने से ही आगे बढ़ेगा और कोई रास्ता नहीं है। दूसरी बात जब शामी बढ़िया बालिंग करता है और देश जीतता है तो लंपट भक्त के मुंह पर यह तमाचे की तरह पड़ता है। ऐसा होने पर हमें खुशी मिलती है।

STAND UP AND SALUTE SHAMI...!!!
15/11/2023

STAND UP AND SALUTE SHAMI...!!!

Mohammed Shami won the POTM award in the Semi Finals...!!!- This is the greatest ever performance by a player in a WC ed...
15/11/2023

Mohammed Shami won the POTM award in the Semi Finals...!!!

- This is the greatest ever performance by a player in a WC edition. 🇮🇳🫡

Address

Chhapra

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Abu Shaham Khan Alig posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to Abu Shaham Khan Alig:

Videos

Share


Other Digital creator in Chhapra

Show All