Arun Tiduar

Arun Tiduar आप इस पेज की माध्यम से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपने आपको चेंज भी कर सकते हो। इस लिए पेज को फॉलो कर

आगामी लोक सभा चुनाव 2024 को लेकर चौका मंडल द्वारा विस्तृत चर्चा/परिचर्चा किया गया। जिसमें JLKM/JBKSS के वरीय उपाध्यक्ष स...
29/04/2024

आगामी लोक सभा चुनाव 2024 को लेकर चौका मंडल द्वारा विस्तृत चर्चा/परिचर्चा किया गया। जिसमें JLKM/JBKSS के वरीय उपाध्यक्ष सह रांची लोकसभा प्रत्याशी देवेंद्र नाथ महतो के नॉमिनेशन/ नामांकन, 4 मई 2024 को रांची के समाहरणालय में होने वाला है। जिसमें झारखंड के परंपरागत ढोल नगाड़ों और वस्त्र पहनकर, चांडिल प्रखंड के पश्चिम भाग के सभी सक्रिय सदस्यों ने दल बल के साथ नॉमिनेशन/ नामांकन रैली में भाग लेने का निर्णय लिया गया।

*झारखंड सरकार की 60/40 नियोजन नीति के विरोध में* NH33 चौका में सड़क जाम करने के दौरान जेल की  सलाखों तक सफर करने वाले।  ...
13/04/2024

*झारखंड सरकार की 60/40 नियोजन नीति के विरोध में* NH33 चौका में सड़क जाम करने के दौरान जेल की सलाखों तक सफर करने वाले। हमारे क्रांतिकारी साथी *पाठक चंद्र महतो* जी को उनके बुलंद हौसले को जोहार /सलाम करते हुए,
उनके जमानत पर चौका मण्डल अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया।
जिसमें चौका पंचायत के ग्राम प्रधान सच्चीकांत महतो,खूंटी पंचायत के पंचायत समिति परीक्षित महतो एवं पूर्व मुखिया छुटू सिंह मुंडा, इत्यादि सदस्य उपस्थित थे।

20/03/2024
05/03/2024

आज मेरा फेसबुक अकाउंट कुछ देर तक कुछ काम नहीं कर रहा था।
फेसबुक के सीईओ महादेय ऐसा नहीं करें।
Tiger Jairam Mahato -क्रांतिकारी का लाइव देखने दीजिए।

"झारखंड आंदोलनकारी"  #पूर्व_सांसद_सुनील_महतो जी को शहादत  दिवस के अवसर पर श्रद्धांजलि एवं कोटि-कोटि नमन:🙏💐🙏💐🌺🌺🌸🌼💮🏵️🙏🏵️💮🌼...
04/03/2024

"झारखंड आंदोलनकारी" #पूर्व_सांसद_सुनील_महतो जी को शहादत दिवस के अवसर पर श्रद्धांजलि एवं कोटि-कोटि नमन:🙏💐🙏
💐🌺🌺🌸🌼💮🏵️🙏🏵️💮🌼🌸🌺🌺💐

#वीर_शहीद_सांसद_सुनील_महतो_शहादत_दिवस_पर_विशेष---
#@{आज ही के दिन 17 साल पहले यानी 4 मार्च 2007 को झाड़खंड राज्य के राजनीतिक इतिहास में पहली बार किसी Member of Parliament (MP Jamshedpur) वीर शहीद सुनील महतो जी का एक बहुत बड़ी साज़िश के तहत नक्सलियों के द्वारा अंधाधुंध गोलियां चलाकर हत्या कर दी गई थी पूर्वी सिंहभूम जिला के घाटशिला विधानसभा के बाघुड़िया गाँव में होली परब के दिन फुटबॉल प्रतियोगिता में वे मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे। वहां उन्हें पुरस्कार वितरण करना था तभी नक्सलियों ने उन्हें घेर गोली चलाकर मार दिया...और आज तक इसका सही से कोई भी सरकार इतने साल हो जाने के बाद भी जांच नहीं कराया है जब कि अभी उसी पार्टी का राज्य में सरकार है जिस पार्टी से शहीद सुनील महतो जीत कर दिल्ली पहुचे थे खुद भी और राज्य से बाहर पहली बार ओड़िशा में एक सांसद को भी JMM से टिकट देकर जिताये थे । लेकिन दुर्भाग्य इस राज्य का की जितने भी सरकार बने किसी ने अभी तक शहीद सुनील महतो हत्याकांड का ना तो आवाज उठाया और ना ही NIA से जांच की मांग किया गया।}@ #

29/02/2024
09/02/2024
*प्रेस विज्ञापित* ==========*अति महत्वपूर्ण बैठक सुसम्पन्न *----------------------------------------आप सभी को बताना चाहत...
06/01/2024

*प्रेस विज्ञापित*
==========
*अति महत्वपूर्ण बैठक सुसम्पन्न *
----------------------------------------
आप सभी को बताना चाहता हूँ कि आगामी दिनांक *22 जनवरी* 2024 को *हिन्दुओं* के लिए बहुत ही ख़ुशी तथा गौरव का दिन हैं।
इसी शुभ दिन को *अयोध्या के भव्य राम मंदिर का उद्घाटन (प्राण प्रतिष्ठा)* होने जा रहा हैं।

इसलिए दिनांक *06 जनवरी* 2024 दिन शनिवार, *समय 4 pm* को *नव दुर्गा मंदिर (+2 हाई स्कूल) चौका* के प्रांगण में एक अति महत्वपूर्ण *बैठक* सुसम्पन्न हुई।
जिसमें आगामी *22 जनवरी* 2024 के शुभ दिन के शुभ अवसर पर *नव दुर्गा पूजा कमिटी, चौका मोड़* के मंदिर में, निम्नलिखित कार्यक्रमों का आयोजन करने का विचार किया गया।
🚩विधिवत पूजा अर्चना,
🚩हवन यज्ञ,
🚩दीप प्रज्वलित एवं महाआरती,
🚩प्रसाद वितरण,
🚩रंगारंग सांस्कृतिक एवं धार्मिक अनुष्ठान।

जिसमें कमिटी के सभी सदस्यों और पूर्व पदाधिकारियों तथा चौका मोड़,के दुकानदारों ने अपना उपस्थित दर्ज कर सहमति प्रदान किये।

1जनवरी 1948 #खरसावां_गोलिकांडवीर शहीदों को हुल जोहार,हुल जोहार, हुल जोहार 🙏💐💐🙏💥खरसावां गोलिकांड विशेष :-================...
01/01/2024

1जनवरी 1948
#खरसावां_गोलिकांड
वीर शहीदों को हुल जोहार,
हुल जोहार, हुल जोहार
🙏💐💐🙏
💥खरसावां गोलिकांड विशेष :-
=================
देश के तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने देशी रियासतों को मिलाकर देश के एकीकरण की प्रक्रिया शुरू की. तमाम रियासतोंं को 3 श्रेणियों अ- बड़ी रियासतें, बी- मध्यम और सी श्रेणी में छोटी रियासतोंं को बांटा गया. खरसावां और सरायकेला छोटी रियासत थीं.एकीकरण और रियासतोंं के विलय की प्रक्रिया में खरसावां, सरायकेला रियासत प्रमुखों ने ओडिशा के साथ अपने विलय को मंजूरी दे दी थी और 1 जनवरी 1948 को औपचारिक तौर पर सत्ता हस्तांतरण के दिन के रूप में निर्धारित किया गया था. लेकिन हो, भूमिज, मुंडा, संथाल और अन्य आदिवासी इस विलय के खिलाफ थे. वे अपने लिए एक अलग आदिवासी बाहुल्य राज्य- झारखंड की मांग कर रहे थे.25 दिसंबर 1947 को चंद्रपुर-जोजोडीह में नदी किनारे आयोजित सभा रियासतों के विलय के खिलाफ आदिवासियों बाहुल्य क्षेत्रों को मिलाकर आदिवासी राज्य की मांग पर आदिवासियों को एकजुट करने और 1 जनवरी को साप्ताहिक हाट के दिन खरसावां बाजार मैदान में सभा करने का फैसला किया गया, जहां मरंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा के द्वारा संबोधित किया जाना तय हुआ.संविधान सभा के सदस्य, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र और आदिवासी महासभा के प्रमुख जयपाल सिंह मुंडा के आगमन की सूचना आदिवासियों के मध्य जैसे ही पहुंची, उन्हें सुनने-देखने के लिए रांची, चक्रधरपुर, चाईबासा, करंडीह, परसुडीह, तमाड़, वुंडू, जमशेदपुर, खरसावां, सरायकेला के स्थानीय आदिवासी बच्चे, बूढ़े, नौजवान, औरत, मर्द सभी कई दिनों की तैयारी के साथ सिर पर गठरी, खाने-पीने के सामान और परंपरागत हथियारों- कुल्हाड़ी, तीर धनुष, ढोल नगाड़े से लैस होकर पैदल ही सभा स्थल की ओर चल पड़े.गुरुवार साप्ताहिक हाट का दिन होने के चलते सामान्य से अधिक लोग बाजार के मैदान और उसके आसपास मौजूद थे. सभा के लिए लोगों का आना जारी था. आजादी के गीत, आदिवासी एकता के नारे, अलग राज्य- जय झारखंड की मांग, रियासतोंं के विलय के निर्णय और ओडिशा मुख्यमंत्री के खिलाफ नारे लगाये जा रहे थे. 50,000 से अधिक लोगों के सभा स्थल पर पहुंचने से ये अंदाजा हो गया था कि रियासतोंं के विलय के निर्णय ने पूरा आदिवासी बाहुल्य इलाके को सुलगा दिया था.ओडिशा के तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय पाणी किसी भी तरह के विरोध को बलपूर्वक कुचलने के लिए पहले से ही तैयार थे, लिहाजा उन्होंने पूर्व में ही अपनी तैयारी कर ली थी. ओडिशा सशस्त्र सुरक्षा बल और पुलिस के जवानों को सभा के आयोजन से 2 हफ्ते पहले 18 दिसंबर 1947 को जंगल के रास्ते खरसावां भेज दिया गया था. इनमें 3 हथियारबंद कंपनी शामिल थीं जिन्हें खरसावां के स्कूल में ठहराया गया था.‘झारखंड आबुव: ओडिशा जरी कबुव: रोटी पकौड़ी तेल में, विजय पाणी जेल में’ का नारा आसमान में गूंजने लगा. जुलूस की लंबी-लंबी कतारें चलने लगी, जुलूस दोपहर बाद हाट मैदान में जाकर सभा में तब्दील हो गया.आदिवासी महासभा के नेताओं ने दूर-दराज से आए आदिवासियों को संबोधित किया. लेकिन मरंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा खरसावां की सभा में शामिल नहीं हो सके. आदिवासियों का एक जत्था खरसावां के तत्कालीन राजा से मिलना चाहता था ताकि विलय निर्णय पर पुनर्विचार का अनुरोध किया जा सके लेकिन संभव नहीं हुआ.सभा के समाप्त होने के कुछ ही देर बाद अचानक बिना किसी चेतावनी के ओडिशा सरकार के आदेश पर आधुनिक हथियारों से लैस ओडिशा सुरक्षा बल और पुलिस ने आदिवासियों पर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी.लोग जान बचाने के लिए इधर से उधर भागने लगे, कुछ जमीन पर लेट गए, कुछ मैदान में बने कुएं में कूद गए, कुछ भगदड़ में मारे गए. इनमें बच्चे, बुजुर्ग और महिलाओं की तादाद सबसे अधिक थी. पूरा मैदान लाशों से पट गया था और अब मैदान को ओडिशा मिलिट्री और पुलिस ने चारों तरफ से घेर लिया.घायलों को न तो मैदान से बाहर जाने दिया गया और न इलाज के लिए अस्पताल ले लाया गया. सेना और पुलिस के जवानों ने लाशों को ट्रकों में भरकर सारंडा के जंगलो में फेंक दिया. मैदान स्थित लाशों से भरे कुएं को रात में ही स्थायी रूप से बंद कर दिया गया. भारत सरकार ने भी अपनी और से कोई जांच नही बैठाई.ओडिशा सरकार ने आदिवासियों के इस नरसंहार को छुपाने के लिए पत्रकारों के घटनास्थल पर जाने से प्रतिबंध लगा दिया. यहां तक कि बिहार सरकार द्वारा भेजे गए चिकित्सा दल और सेवा दल को वापस कर दिया गया. आजादी के मात्र 133 दिन बाद ही खरसावां में कर्फ्यू लगा दिया गया.अंग्रेजी अख़बार द स्टेट्समेन ने 3 जनवरी को घटना को रिपोर्ट करते हुए 35 आदिवासियों के मारे जाने की सूचना दी, ओडिशा सरकार के अनुसार 32 और बिहार सरकार के आंकड़ों के अनुसार मरने वालों की संख्या 48 थी. लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार इनकी संख्या कई हजारों में थी.प्रताप केशरी देव अपनी पुस्तक मेमोरी ऑफ बाईगोन एरा में मरने वालों की संख्या दो हजार से अधिक बताते हैं.संतोष किरो की किताब द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ जयपाल सिंह मुंडा में बताया गया है कि इस घटना के बारे में डॉ. राममनोहर लोहिया ने कहा था, ‘यह दूसरा जलियांवाला बाग है. जलियांवाला बाग गोलीकांड को पूरा भारत स्वाधीनता संग्राम के महत्वपूर्ण पृष्ठ के रूप में जानता है. जहां विदेशी शासक और विदेशी जनरल डायर ने गोलियां चलाई थीं, आज़ाद भारत की ओडिशा सरकार, जो अपने ही देशवासियों की थी, ने खरसावां में अपने ही देशवासियों पर गोली चलाई. इससे शर्मनाक और अफ़सोस की बात क्या हो सकती हैं.’हजारों आदिवासियों की शहादत ने आदिवासी बाहुल्य इलाकों का ओडिशा में विलय को रोक दिया था. यही वो दौर था जब आदिवासियों के लिए अलग राज्य ‘झारखंड’ की मांग अपने चरम पर थी.खरसावां नरसंहार के बाद 28 फरवरी 1948 को आदिवासी महासभा ने अपने स्थापना दिवस (30- 31 मई 1938) के अवसर पर ‘छोटा नागपुर और संथाल परगना को मिलकर नए आदिवासी बाहुल्य प्रांत के गठन’ और ‘आदिवासी पूर्ण स्वराज से एक कदम पीछे नहीं हटेंगे’ के संकल्प को दोहराया.आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों को बंगाल, ओडिशा और मध्य प्रदेश में सम्मिलित किए जाने का विरोध किया गया. परिणामस्वरूप आदिवासी महासभा ने अपने आप को राजनीतिक संगठन ‘झारखंड पार्टी’ में परिवर्तित कर लिया.मतय हेंब्रम, हरी सरदार, मानकी पा, खेरसे पूर्ति, मड़की सोय, लखन हेंब्रम, धनेश्वर बानरा, कुंबर डांगिल, रघुनाथ पांडया, सुभाष हेंब्रम, बिटू राम सोय, मोराराम हेंब्रम, सूरा बोदरा, बुधराम सांडिल इत्यादि वो गिने-चुने नाम हैं जिनकी पहचान हो पाई. ज्यादातर शहीदों की लाशें कभी बरामद ही नहीं हुई.नरसंहार में सरकारी गोली के शिकार आदिवासियों को शहीद का दर्जा भी नहीं दिया गया, यहां तक कि एफआईआर तक दर्ज नहीं हुई. न किसी को इस घटना में सजा दी गई.बिहार सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह ने ओडिशा सरकार की इस पुलिस कार्यवाही पर केंद्र सरकार से दखल देने की मांग की और दोनों रियासतोंं का ओडिशा में विलय रोक दिया गया. इस नरसंहार पर एक जांच कमेटी का गठन भी किया लेकिन कभी उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई और न उस रिपोर्ट पर कभी चर्चा ही हुई.केंद्र सरकार ने बुधकर आयोग की सिफ़ारिशों के आधार पर सरायकेला और खरसावां रियासतोंं का 18 मई 1948 को बिहार में विलय कर दिया.खरसावां नरसंहार से मात्र 133 दिन पूर्व आजादी की पूर्व संध्या पर संविधान सभा की बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा था, ‘कई वर्षो पहले हमने नियति के साथ वादा किया था और अब समय आ गया हैं कि हम अपने उस वादे को निभाए, आज आधी रात को जब पूरी दुनिया सो रही होगी तब भारत जिंदगी और आज़ादी के साथ उठेगा.’लेकिन आदिवासी समाज को आज़ादी की ये सुबह उतनी खुशनुमा नहीं थी जितनी बाकियों के लिए थी. आजादी का जश्न आदिवासी समाज मना नहीं पाया, यही स्थिति आज भी बदस्तूर जारी हैं.खरसावां नरसंहार के 74 वर्ष बाद आदिवासियों के जख्म अभी भी ताजा हैं. आदिवासी आज भी एक जनवरी नये साल के रूप में नहीं बल्कि काला-शोक दिवस के रूप में याद करते हैं. प्रतिवर्ष घटना स्थल पर शहीदों का ‘दुल सुनुम’ श्राद्ध का आयोजन करके शहीदों को याद किया जाता हैं.जलियावाला बाग़ को भारतीय इतिहास में जो स्थान प्राप्त हुआ वह खरसावां नरसंहार को नहीं दिया गया. उसे छुपाने की कोशिशें आज भी जारी हैं. लेकिन आदिवासियों की स्मृतियों, कहानियों, गीतों में आज भी यह नरसंहार जीवंत हैं.यह पहला आदिवासी हत्याकांड नहीं है, जिसे इतिहास की किताबों से दूर किया गया बल्कि इसी तरह मानगढ़ (1913, राजस्थान ) नरसंहार को भी उचित स्थान नहीं दिया गया.(लेखक दिल्ली विश्वविद्यालय के श्याम लाल कॉलेज में पढ़ाते हैं.)

जोहार 🙏 प्रशिक्षित शिक्षक संघ झारखंड प्रदेश के सभी भावी शिक्षकों को सूचना देना चाहते हैं, कि हमारे संघ द्वारा JTET रिलेट...
19/12/2023

जोहार 🙏
प्रशिक्षित शिक्षक संघ झारखंड प्रदेश के सभी भावी शिक्षकों को सूचना देना चाहते हैं, कि हमारे संघ द्वारा JTET रिलेटेड केस फाइल का सुनवाई, माननीय झारखंड हाई कोर्ट के द्वारा 20 दिसंबर को दिया गया है।
सब कोई प्रार्थना 🙏कीजिए कि हम लोग के ही फेवर में ही सुनवाई आये। और जल्द से जल्द सरकार JTET का आयोजन करें।

13/12/2023

Tiger Jairam Mahato -क्रांतिकारी
Tarun Mahato
Baby Mahato

JBKSS Jindabad.
Jindabad, Jindabad.

13/12/2023

Tiger Jairam Mahato -क्रांतिकारी
Tarun Mahato
Baby Mahato

01/12/2023

जिंदगी का हर पल संतुष्टि दे आपको;
दिन का हर लम्हा ख़ुशी दे आपको;
जहाँ गम की हवा छू के भी न गुजरे;
खुदा वो जिंदगी दे आपको.
शादी की सालगिरह मुबारक हो!
💐💐💐❤️🫶❤️💐💐💐

Dinesh jii Weds puja jiiHappy Marriage LifeCongratulations.. 💐💐💐💐Both you #23.11.2023
24/11/2023

Dinesh jii Weds puja jii

Happy Marriage Life

Congratulations.. 💐💐💐💐Both you

#23.11.2023

 #प्रेस_विज्ञापित :------------------------ सा0 श्री श्री नव दुर्गा पूजा कमिटी, चौका मोड़, सरायकेला खरसावां। #उपाध्यक्ष_स...
20/11/2023

#प्रेस_विज्ञापित :-
-----------------------

सा0 श्री श्री नव दुर्गा पूजा कमिटी, चौका मोड़, सरायकेला खरसावां।
#उपाध्यक्ष_सच्चीकांत_महतो
#सचिव_सोमनाथ_गोराई
#संयुक्त_सचिव_लखपति_महतो
#कोषाध्यक्ष_अरुण_कुमार_महतो(Arun Tiduar)
#सदस्य_पंचायत_वासियो_एवं_सक्रिय_पूजा_मेंबर।

15/11/2023

वर्षों पूर्व धरती आबा को समर्पित लिखी थी मैंने यह रचना...

भ्रष्ट राजनीतिज्ञों-नौकरशाहों के अत्याचारों से, झारखंड फिर डोल रहा है.
उठा लो हाथों में टंगला-फारसा, तीर-धनुक; भीतर से वीर बिरसा बोल रहा है.

हे वीर! तुम्हारी शहादत को सालों बीत गए, पर हमने तुम्हें ना भुलाया है.
जिस माटी खातिर लड़ना सिखाया, उसका कर अतिक्रमण आज, सामंतवादियों ने हमें रुलाया है.

हमने अलग राज्य लिया, जल-जमीन-जंगल जिसका आधार है.
पर है अजीब विडंबना, उन्हीं का आज, हो रहा यहां व्यापार है.

बिरसा तुम कहां हो? ऊंचे पर्वत पहाड़ों में.
या नदी नालों, या शैलो की फटी दरारों में.

हे वीर! तुम जहां हो, एक बार तुम्हें फिर वापस आना होगा.
आकर जंगल-जमीन, माय-माटी-मानुष को अतिक्रमणकारियों से बचाना होगा.

इस विकास और समरसता के पीछे उनकी लूट की मनसा गड़ी है.
हमारे संसाधनों, खनिज, वनों पर उनकी गिद्ध दृष्टि पड़ी है.

पहले राष्ट्रीयकरण के नाम पर, हमारी भूमि पर कब्जा जमाया जाता है.
फिर निजीकरण के नाम पर वहां, बिचौलियों को बसाया जाता है.

एक बात सुनो ना, सबकी अपनी भाषा, रीत-रिवाज, नेग-नियम हैं, क्यों उन्हें हम पर थोप रहे हो?
छीन हमारे अधिकारों को, करके हनन हमारी भाषा-संस्कृती का, क्यों पीठ पीछे छुरा घोप रहे हो?

बिरसा तुम्हारी लड़ाई अभी अधूरी है.
झारखंड में एक और उलगुलान जरूरी है.

देख तेरी भूमि पर, पूंजीवादी ताकतें हावी हो रहे हैं.
खुद बिरसाईत, अपनी अस्मिता को खो रहे हैं.

तुम्हारा था, कितना सुंदर सा, एक छोटा सपना..
मिल कर रहे हर जाति, हर वर्ग, हर समुदाय अपना.

जल जमीन जंगल धरती सब आबाद रहे.
संपन्न झारखंड रहे, ना कोई बर्बाद रहे.

पर सदन में, कुछ बिचौलिए जाकर बैठे हैं.
सत्ता है कब्जे में, इसीलिए शान से ऐठे हैं.

अपनी, जंगल काटने वाली, कुल्हाड़ी जैसा हाल है.
बिचौलियों के संग मिले हैं, कुछ अपने ही दलाल हैं.

अबुआ दिशोम-अबुआ राज नारों में अच्छा लगता है.
सब को जांचा परखा,पर ना कोई सच्चा लगता है.

जिस माटी खातिर हमने, कभी गर्दन तक कटाई है.
उसको चट कर जाने, बिचौलियों ने नजर गड़ाई है.

जिनका संरक्षण किया था, हमने बड़े प्यार से.
अब इसे लूटना चाहते हैं,वे लोग व्यपार से.

विकास समरसता तो बस एक बहाना है.
असल मकसद झारखंड की मूल पहचान मिटाना है.

देखो, वे अपने मंसूबों में सफल हो रहे हैं.
और हम अपनी पहचान-अस्तित्व खो रहे हैं.

जहां का हमें मालिक बनाया था, वही कर रहे मजदूरी हैं.
सच कहता हूं, बहुत हुआ, एक और उलगुलान जरूरी है.

जन्मदिवस पर धरती आबा को समर्पित मेरी यह रचना......

यही तो हैं, झारखण्ड की दशा,और मंत्री सभी कान में तेल लेकर सो रहे हैं।
29/09/2023

यही तो हैं, झारखण्ड की दशा,
और मंत्री सभी कान में तेल लेकर सो रहे हैं।

अभी तो राशन ही खा रहे हैं कुछ दिन में किडनी तक का खा जाएंगे।

17/09/2023

Address

Chandil

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Arun Tiduar posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to Arun Tiduar:

Videos

Share


Other Digital creator in Chandil

Show All

You may also like