Manish Raj

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कैमरामन ने आते ही अपना काम शुरू कर दिया ❤️🫢🥰
12/05/2024

कैमरामन ने आते ही अपना काम शुरू कर दिया ❤️🫢🥰

एक वक्त के बाद हम बेहतर बनने की चाह छोड़ देते हैं...क्योंकि हमारा इस बनावटी दुनिया‌ से मोह नहीं रह जाता‌ हम थक चुके होते...
21/09/2023

एक वक्त के बाद हम बेहतर बनने की चाह छोड़ देते हैं...क्योंकि हमारा इस बनावटी दुनिया‌ से मोह नहीं रह जाता‌ हम थक चुके होते‌ हैं प्रयत्न करते-करते अतीत में निभाए गए कई रिश्तों से और उनसे मिले निराशाजनक परिणामों से..इसलिए अब अपनी ही विचित्र सी धुन में मग्न रहने लगते हैं,अंत का इंतजार करते हुए..!

महादेव..🙏🙏

* अपनी मां से कहो कि प्रॉपर्टी मेरे नाम कर दे*रात के दो बज रहे हैं पर मुझे नींद नहीं आ रही है। मन बहुत उदास है। एक बार प...
21/09/2023

* अपनी मां से कहो कि प्रॉपर्टी मेरे नाम कर दे*

रात के दो बज रहे हैं पर मुझे नींद नहीं आ रही है। मन बहुत उदास है। एक बार पलट कर पति वीरेन की तरफ देखा तो वो बड़ी ही सुकून भरी नींद में सो रहे थे। एक बार तो देख कर मन घृणा से भर गया। पिछले कुछ दिनों में जो कुछ भी घटा है मेरे साथ, उसने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया है। मेरा तो कोई अस्तित्व ही नहीं है। जिसने जैसा चाहा वैसा चलाया। और अब जैसा चाह रहे हैं वैसे ही सांचे में ढालने की कोशिश कर रहे हैं। और उसमें मेरे पति का योगदान सबसे ज्यादा है।

मेरा नाम रिया वर्मा है। मैं अपने ससुराल में छोटी बहू हूं। मेरे ससुराल में मेरी सास सरला जी, मेरे पति वीरेन और मैं और हमारा एक बेटा है।

अब आते हैं असल मुद्दे पर। दरअसल अभी एक महीने पहले मेरे पिता का आकस्मिक निधन हो गया। घर में मां के अलावा कोई नहीं बचा। मैं अपने माता-पिता की इकलौती संतान हूं। मम्मी पापा बताते थे कि मेरे जन्म के दो साल बाद एक बेटा हुआ था पर वह दो दिन से ज्यादा जी नहीं पाया। इसे अपनी नियति मानकर उन्होने मेरी परवरिश पर ही ध्यान दिया और दूसरे बच्चे की आस छोड़ दी।

खैर, पिताजी की मृत्यु के बाद अब कई फैसले लेने थे। सबसे बड़ा फैसला की मां कहां रहेगी? क्योंकि मां अब बिल्कुल अकेली हो चुकी थी इसलिए मैं उन्हें अकेला छोड़ना नहीं चाहती थी, लेकिन ससुराल में मां को लाने को भी तैयार नहीं थी। कारण, जब मेरे बेटे ने जन्म लिया था उस समय मेरी मां यहां एक महीने के लिए आई थी। मेरी सास और मेरे पति ने तो उन्हें नौकरानी ही समझ लिया था। बेचारी मेरी मां सुबह से रात तक काम ही लगी रहती थी। पर मजाल है कि दोनों मां-बेटे में से कोई उनकी मदद तो करा दे।

लेकिन इस बारे में वीरेन को कोई चिंता नहीं थी, बल्कि वह तो दिन-रात यही बातें करता था कि प्रॉपर्टी का क्या करना है? क्योंकि उसे अच्छे से पता था कि मां ने पूरा फैसला मेरे ऊपर डाल दिया है। लेकिन मैं तो यह देख कर हैरान थी कि ससुराल में तो मुझे कभी निर्णय लेने नहीं दिया जाता था। आज मेरे मायके में भी मुझे फैसले लेने का हक नहीं था। वीरेन मुझे अपने हिसाब से चलाने की कोशिश कर रहे थे।

इस एक महीने में मुझसे कई बार कह चुके हैं कि अपनी मां से कहो कि प्रॉपर्टी मेरे नाम कर दे तो मैं उनकी जिम्मेदारी उठाने को तैयार हूं। वैसे भी अब वह अकेली क्या कर लेंगी? किसी ना किसी सहारे की जरूरत तो पड़ेगी ही ना।

पर मेरा मन नहीं मानता। जो इंसान अपनी बीवी के हाथ में खर्चे देने से पहले दस बार सवाल जवाब करता है। दस बातें सुनाता है, वो उसकी मां की खर्चा उठा ले ऐसा हो नहीं सकता।

और दूसरी और जरूरी बात, उनके माँ ने कौन सी अपनी प्रॉपर्टी उनके नाम कर दी, पर फिर भी खुशी-खुशी उनका खर्चा तो उठा रहे हैं ना। तुम्हारे भैया भाभी तो बाहर रहते हैं। साल में दो-तीन बार आते हैं सारा खर्चा विरेन ही तो उठाते हैं। तो ये इंसान मेरी मां से सौदेबाजी क्यों करना चाहता है। बस यही बात मेरे दिल को चुभ रही है।

कल रात जब सासू मां से इस बारे में बात की तो उन्होंने मुझे ही डांट दिया,
"क्या गलत कह रहा है वो? मेरा बेटा तुम्हारी मां के खर्चे क्यों उठाएगा? बेचारे को कोल्हू का बैल समझ रखा है क्या?"

" पर माँजी जैसे आप हमारी जिम्मेदारी हो, वैसे ही मेरी मां भी तो हमारी जिम्मेदारी है ना"

" तू मेरी बराबरी अपनी मां से कर रही है? मैंने अपने बेटे को जन्म दिया है, पाल पोस कर बड़ा किया है। बदले में वह मेरी सेवा कर रहा है तो तुझे देखकर जलन हो रही है। इतना ही सेवा करवाने का शौक था तो एक बेटा और पैदा कर लेती तेरी मां। और वैसे भी औरत को क्या पता कि किस तरह से फैसले लेने है। तेरे पापा तो रहे नहीं अब तो निर्णय वीरेन ही लेगा ना"

इसके आगे मैं कुछ कह ना सकी। गलत तो कुछ कह नहीं रही थी वो। मैं बेटी हूं, बेटा नहीं, यह मेरी सास ने बता दिया था। पर बेटा मजबूत हो और बेटी कमजोर, ऐसा हो नहीं सकता। अब मेरे दिमाग में एक ही बात है। मैं निर्णय ले चुकी हूं कि मुझे क्या करना है। बस वह निर्णय लेकर मैं सो गई।

सुबह जब उठी तो आज की सुबह कुछ अलग ही लगी। मैं जल्दी जल्दी घर के काम कर रही थी। मुझे देखकर मेरी सासू मां वीरेन से बोली,

" आज बहू को कहीं जाना है क्या? बड़ी जल्दी जल्दी काम निपटा रही है"
मुझे देखकर वीरेन ने कहा,

" कहीं जा रही हो क्या तुम?"
" हां, मां के पास जा रही हूँ"
" क्यों? तुमने तो मुझसे पूछा भी नहीं "
" सोच रही हूँ कि वहां का घर बेच दूँ "

बात सुनकर वीरेन के चेहरे पर चमक आ गई। इससे पहले की वीरेन कुछ कहता, मैंने कहा,

" सोच रही हूँ कि वहां की प्रॉपर्टी बेचकर यहां मां के नाम से एक छोटा सा मकान ले लूँ और बाकी पैसे मां के नाम से अकाउंट में ट्रांसफर कर दूं। माँ के खर्चों में काम आएंगे। माँ पास में रहेगी तो मैं भी उन्हें आसानी से दिन में जाकर संभाल लूंगी"

" तुम्हारी इतनी हिम्मत कि तुम मेरे फैसले के ऊपर जाओ। देख रहा हूं बहुत ज्यादा बोलने लगी हो आजकल"

"मैं आपके फैसले के ऊपर कहाँ जा रही हूँ? मैंने कभी ससुराल में बीच में नहीं बोला। कभी किसी निर्णय में आपने मुझे साथ में नहीं लिया। पर अब तो मेरे मायके से संबंधित फैसला लेना है और वह मैं ले सकती हूं। मेरी मां है, उन्होंने मुझे जन्म दिया है, तो उनके बारे में सोचने की जिम्मेदारी मेरी है ना। अगर मैं नहीं सोचूंगी तो लोग सौदेबाजी करने को तैयार हो जाएंगे। और वो मुझे मंजूर नहीं"

" बहु अपनी मां के लिए तू हम से लड़ने को तैयार है"
अबकी बार बीच में मेरी सास बोली।

"देखिए माँजी, कल आप ही ने मुझे यह रास्ता बताया था। आपने कहा था ना कि मेरा बेटा है वह तुम्हारी मां की जिम्मेदारी क्यों उठाएगा? इसी तरह मैं अपनी मां की बेटी हूं, अगर मुझे रोका तो मैं आपकी जिम्मेदारी नहीं उठाऊंगी। आप अच्छी तरह से याद रखिएगा आपका बेटा सिर्फ कमाता है पर इस मकान को घर मैं बनाती हूं"

मेरी बात सुनकर दोनों में से किसी ने कुछ नहीं कहा। जानती हूं नाराज है, तो नाराज रहने दो। इनकी नाराजगी के चलते मेरी मां को मुझे मोहताज थोड़ी ना करना है। बस फटाफट अपना काम निपटा कर मैं चल पड़ी थी अपने फैसले को अमल करने।
Copied
आभार :-लक्ष्मी कुमावत
शिक्षाप्रद कहानियां,शिक्षाप्रद कहानियां ,👌

 #जज्बा.iजब मैं ऑटो में बैठा तो देखा की ड्राइवर की गोद में एक छोटी सी बच्ची है ,तो मैं समझा कि शायद बच्ची ने आज जिद की ह...
23/06/2023

#जज्बा.i

जब मैं ऑटो में बैठा तो देखा की ड्राइवर की गोद में एक छोटी सी बच्ची है ,तो मैं समझा कि शायद बच्ची ने आज जिद की होगी कि पापा मैं भी साथ जाऊंगी या फिर उसे चलने से पहले उतार देगा ! मगर जब रिक्शा चला...
तो देखा कि वह बच्ची रेस दे रही है और उसका पापा दूसरी तरफ से स्टेरिंग पकड़कर उसे कुछ बता रहा है
रास्ते में यह सब कुछ देखता रहा और सुनता रहा !
जब मंजिल पर पहुंचा, तो उसे किराया देने के बाद पूछा ..
तो उस पर रिक्शा ड्राइवर ने मुझे बताया कि मेरा एक हाथ से अपाहिज हूं इसलिए हम दोनों मिलकर रिक्शा चलाते हैं मुझे यह गवारा नहीं कि मेरी बेटी किसी के घर में सफाई करें और मैं भिखारी बनूं !

बच्ची को पढा भी रहा हूं और घर का खर्च भी चल रहा है और खुशहाल जिंदगी बिता रहा हूं !
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पहली बात तो ये लेखक-निर्देशक ओम राउत ने रामायण खोलकर तक न देखी है और तथाकथित बुद्धिजीवी मनोज मुंतशिर 'शुक्ला' ने रामायण ...
18/06/2023

पहली बात तो ये लेखक-निर्देशक ओम राउत ने रामायण खोलकर तक न देखी है और तथाकथित बुद्धिजीवी मनोज मुंतशिर 'शुक्ला' ने रामायण का 'र' भी न पढ़ा है। इसलिए कुछ भी, जो मन में आया करते चले गए। रावण को मिला वरदान तक ज्ञात न था। तो हिरणकश्यप के ही वरदान से काम चला लिया।

तुम लोग वाल्मीकि जी, तुलसीदास बाबा, अन्य रामायण वर्जन को छोड़ दीजिए, रामानंद सागर जी वाली से कोसों दूर खड़े रहे हो। इतने दूर से जो देखा, वही फिल्मा दिया।

आदिपुरुष के निर्माण व इतने निम्न स्तर के संवाद लिखने और हनुमान जी के किरदार को कॉमिक स्वरूप में दिखलाने के लिए ओम और मनोज को सह-श्रम कारावास यानी उम्र कैद होनी चाहिए। लुक हज़म न हुआ था, फिर भी एडजेस्ट करके समर्थन किया। लेकिन विश्वास करो, बजरंगबली इस अपराध के लिए कभी क्षमा नहीं करेंगे।

इसे देखकर लगता है। ओम राउत ने मार्वल और डीसी की फिल्में ख़ूब देखी होंगी, उन्हें देखकर कुछ बनाने का मन किया, तो उनके समक्ष आदिपुरुष में रामायण को सुपर हीरो फॉर्मेट में दिखलाने निकले है। भारतीय परिवेश में सुपर हीरो को दर्शाने हेतु सांकेतिक वर्जन लिखते, रामायण को अडॉप्ट करने की कतई जरूरत न थी। क्योंकि इस लायक न हो बे। ऐसे भावनाओं से खिलवाड़ करने पर तनिक लज्जा न आई।

इतिहास के तथ्यों को तोड़ मरोड़ या सिनेमाई लिबर्टी ले सकते हो, लेकिन मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम की कथा इतिहास नहीं है बल्कि सनातन की धरोहर है। क़िरदारों से ऐसी छेड़छाड़ डिस्क्लेमर से भी माफ़ न होगी।

लेखकों ने हनुमानजी, लक्ष्मण, मेघनाद, सबरी आदि क़िरदारों को धूमिल कर दिया। या कहे मजाक बना दिया। मेघनाद, मेघनाद कम हैरी पॉटर की बेलाट्रिक्स लेस्ट्रेंज अधिक लगे, काले जादू की तरह ओलंपिक की दौड़ दौड़ने लगा दिया। तिस पर सड़कछाप डायलॉग दिए गए।

हनुमानजी के बाहुबल वाले सीक्वेंस भी बेहद सूक्ष्म करके दिखाए है, सोचा था कुछ बढ़िया एंगल में सीक्वेंस देखने को मिलेंगे। लेकिन प्रभाष को पीठ पर बिठाने के अलावा कुछ न रखा।

लक्ष्मण को शक्ति लगनी थी, वक्त की कमी के चलते नाग पाश में ही मूर्छित कर दिया, वैद्य सुषेण व्यस्त थे। इसलिए अपनी नर्स को भेज दिया। रावण मायावी अवश्य था, लेकिन इतना नहीं, कि साँपों से मालिश करवाएं।

सबरी स्वयं चली आई, क्योंकि लेखक के पास वक्त न था। उनके पिताजी ने कसम दी थी कि 179 मिनट में ही खत्म करनी है 180 मिनट भी न होनी चाहिए।

प्रभाष! बाहुबली छवि की किस्तें खत्म हो गई, अब रिटायरमेंट ले लो या कुछ दिन अवकाश लेकर स्क्रिप्ट चयन करना सीखों। श्रीराम को पाने के लिए बॉडी नहीं, श्रद्धा भाव काफ़ी है। कोई फ्रेम कनेक्ट न कर सके। तुमने अब न हो पाएगा...

सैफ अली खान! बौना रावण चुना, जुगाड़ से बड़ा दिखलाने में लंगड़ा त्यागी बना दिए, हाव-भाव में इम्प्रेसिव लगे। लेकिन लुक से रावण कम खिलजी अधिक नज़र आए।

वीएफएक्स और आर्ट वर्क में फ़िल्म जगत का सबसे बड़ा घोटाला है। कोई ढंग का सीक्वेंस न था। लंका कम वोल्डनमोट का महल अधिक नजर आया। इतनी हाई टेक लंका रही, फिर भी रावण चमगादड़ यूज करते दिखलाया है।

कुछ सीक्वेंस ठीक लगे है, अयोध्याजी भव्य और सुंदर दिखलाई है। लेकिन इनकी भव्यता कौनसी बिनाह पर समझें, कुछ समझ न आया।

मूर्ख ओम राउत और मनोज मुंतशिर आपको क्या लगता है क्या नहीं, कोई फ़र्क न पड़ता है। युवा पीढ़ी व बच्चों को तुमने ज्यादा मालूम है क्योंकि उन्हें उनकी दादी-नानी ने श्रीराम कथा सुनाई है और रामानन्द सागर जी की कथा को लॉकडाउन में देख चुके है। कलयुग परिपेक्ष्य में कुछ दिखलाना था तो त्रेता युग जाने की क्या आवश्यकता थी। राम लीला तो हर साल होती है, ऐसा ही कुछ लिख लेते।

फिर कह रही हूँ, चिरंजीवी हनुमान जी अपने प्रभु की कथा को ऐसा वर्जन देने के दुस्साहस में इतने गदा मारेंगे। सोच न पाओगे, क्या हुआ। अब भी वक्त है क्षमा मांग लो।

जो भी टिकट बुक करवा लिए है वे देखना चाहते है तो सनद रहे, रामानंद सागर जी द्वारा कृत रामायण को घर छोड़कर निकले, बल्कि नहीं निकले तब भी कोई फ़र्क न पड़ेगा। इसे देखो या नहीं, कतई जरूरी न है

एक रेस्टोरेंट में कई बार देखा गया  कि, एक व्यक्ति (भिखारी) आता है और भीड़ का लाभ उठाकर नाश्ता कर चुपके से बिना पैसे, दिए...
17/06/2023

एक रेस्टोरेंट में कई बार देखा गया कि, एक व्यक्ति (भिखारी) आता है और भीड़ का लाभ उठाकर नाश्ता कर चुपके से बिना पैसे, दिए निकल जाता है। एक दिन जब वह खा रहा था तो एक आदमी ने चुपके से दुकान के मालिक को बताया कि यह भाई भीड़ का लाभ उठाएगा और बिना बिल चुकाए निकल जाएगा।

उसकी बात सुनकर रेस्टोरेंट का मालिक मुस्कराते हुए बोला – उसे बिना कुछ कहे जाने दो, हम इसके बारे में बाद में बात करेंगे। हमेशा की तरह भाई ने नाश्ता करके इधर-उधर देखा और भीड़ का लाभ उठाकर चुपचाप चला गया। उसके जाने के बाद, उसने रेस्टोरेंट के मालिक से पूछा कि मुझे बताओ कि आपने उस व्यक्ति को क्यों जाने दिया।

रेस्टोरेंट के मालिक ने कहा आप अकेले नहीं हो, कई भाइयों ने उसे देखा है और मुझे उसके बारे में बताया है। वह रेस्टोरेंट के सामने बैठता है और जब देखता है कि भीड़ है, तो वह चुपके से खाना खा लेता है। मैंने हमेशा इसे नज़रअंदाज़ किया और कभी उसे रोका नहीं, उसे कभी पकड़ा नहीं और ना ही कभी उसका अपमान करने की कोशिश की.. क्योंकि मुझे लगता है कि मेरी दुकान में भीड़ इस भाई की प्रार्थना की वजह से है

वह मेरे रेस्टोरेंट के सामने बैठे हुए प्रार्थना करता है कि, जल्दी इस रेस्टोरेंट में भीड़ हो तो मैं जल्दी से अंदर जा सकूँ, खा सकूँ और निकल सकूँ। और निश्चित रूप से जब वह अंदर आता है तो हमेशा भीड़ होती है। तो ये भीड़ भी शायद उसकी "प्रार्थना" से है

शायद इसीलिए कहते है कि मत करो घमंड इतना कि मैं किसी को खिला रहा हूँ.. क्या पता की हम खुद ही किसके भाग्य से खा रहे हैँ

बहुत ही मार्मिक कहानी है, थोड़ा समय निकाल कर जरूर पढ़ें।पति-पत्नी रोज साथ में तय समय पर एक ही ट्रेन में सफर करते थे। एक ...
28/05/2023

बहुत ही मार्मिक कहानी है, थोड़ा समय निकाल कर जरूर पढ़ें।

पति-पत्नी रोज साथ में तय समय पर एक ही ट्रेन में सफर करते थे। एक युवक और था, वो भी उसी ट्रेन से सफर करता था, वो पति-पत्नी को रोज देखता। ट्रेन में बैठकर पति-पत्नी ढेरों बातें करते। पत्नी बात करते-करते स्वेटर बुनती रहती।

उन दोनों को जोड़ी एकदम परफेक्ट थी। एक दिन जब पति-पत्नी ट्रेन में नहीं आए तो उस युवक को थोड़ा अटपटा लगा, क्योंकि उसे रोज उन्हें देखने की आदत हो चुकी थी। करीब 1 महीने तक पति-पत्नी ने उस ट्रेन में सफर नहीं किया। युवक को लगा शायद वे कहीं बाहर गए होंगे।

एक दिन युवक ने देखा कि सिर्फ पति ही ट्रेन में सफर रहा है, साथ में पत्नी नहीं है। पति का चेहरा भी उतरा हुआ था, अस्त-व्यस्त कपड़े और बड़ी हुई दाढ़ी। युवक से रहा नहीं गया और उसने जाकर पति से पूछ ही लिया- आज आपकी पत्नी साथ में नहीं है।

पति ने कोई जवाब नहीं दिया। युवक ने एक बार फिर पूछा- आप इतने दिन से कहां थे, कहीं बाहर गए थे क्या? इस बार भी पति ने कोई जवाब नहीं दिया। युवक ने एक बार फिर उनकी पत्नी के बारे में पूछा। पति ने जवाब दिया- वो अब इस दुनिया में नहीं है, उसे कैंसर था।

ये सुनकर युवक को अचानक झटका लगा। फिर उसने संभलकर और बातें जाननी चाहीं। पति ने युवक से कहा कि- पत्नी को लास्ट स्टेज का कैंसर था, डॉक्टर भी उम्मीद हार चुके थे। ये बात वो भी जानती थी, लेकिन उसकी एक जिद थी कि हम ज्यादा से ज्यादा समय साथ में बिताएं।

इसलिए रोज जब मैं ऑफिस जाता तो वो भी साथ में आ जाती। मेरे ऑफिस के नजदीक वाले स्टेशन पर हम उतर जाते, वहां से मैं अपने ऑफिस चला जाता और वो घर लौट आती थी। पिछले महीने ही उसकी डेथ हुई है। इतना कहकर पति खामोश हो गया।

तय स्टेशन पर पति ट्रेन से उतर गया। अचानक युवक का ध्यान उसके स्वेटर पर पड़ी। उसने देखा कि ये तो वही स्वेटर है जो उसकी पत्नी ट्रेन में बुना करती थी, उसकी एक बाजू अभी भी अधूरी थी, जो शायद उसकी पत्नी बुन नहीं पाई थी। पति-पत्नी का असीम प्रेम उस स्वेटर में झलक रहा था।

पति-पत्नी का रिश्ता अटूट होता है, सिर्फ मौत ही उन्हें अलग कर सकती है। पत्नी अपने पति का हर सुख-दुख में साथ देती है तो पति भी पत्नी को दुनिया की हर खुशी देना चाहता है। यही इस रिश्ते का सबसे खूबसूरत अहसास है। इसलिए साथ रहते हुए खुशी-खुशी जीवन बिताएं।...🙏🙏🙏...

फिल्म के दौरान एक दृश्य आता है जिसमे सब कुछ बर्बाद होने के बाद बेटी का पिता से वार्तालाप होता है वो कहती है की "पापा इन ...
21/05/2023

फिल्म के दौरान एक दृश्य आता है जिसमे सब कुछ बर्बाद होने के बाद बेटी का पिता से वार्तालाप होता है वो कहती है की "पापा इन सब मामले में आप भी बराबर के दोषी हैं आपने मुझे विदेशी तथ्यों के बारे में पढ़ाया पाश्चात्य देशों का खूब भर भर के ज्ञान दिया परंतु मुझे कभी अपनी संस्कृति और सभ्यता से अवगत नही कराया"

कहने का साफ साफ मतलब है की आप किसी भी धर्म या समुदाय से संबंधित हैं, यदि आप अपने घरों के बच्चों को उनकी संस्कृति उनकी सभ्यता से जोड़े रहेंगे तो कोई भी विधर्मी या अनैतिक व्यक्ति उनका कोई आजीवन ब्रेन वाश नही कर पायेगा..! जो गलतियां पहले हो चुकी हैं उन्हे फिर से ना दोहराएं आपकी बच्ची के आंखो में ऐसे आंसू न आएं, उनकी खुशियों को संभालना आपकी जिम्मेदारी भी है और कर्तव्य भी 🙏

 #बनारस...मुझे नहीं पता कि तुम किस शहर में रहते हो, किसी दिन बैग में एक-काद कपड़े रख के निकल पड़ो बनारस।कहतें हैं कि मुम्ब...
26/04/2023

#बनारस...

मुझे नहीं पता कि तुम किस शहर में रहते हो, किसी दिन बैग में एक-काद कपड़े रख के निकल पड़ो बनारस।

कहतें हैं कि मुम्बई मायानगरी है जहाँ छोटे-छोटे इंसानों के बड़े बड़े सपने पूरे हुए हैं!
पर बनारस...

ये वो जगह है जहाँ पर इंसान बड़े से बड़े सपने को जलते हुए, मिट्टी में खाक होते हुए देखता है...
एक चद्दर रख लेना साथ में या फिर बनारस सिटी स्टेशन के बाहर से 10 रुपये में बिकने वाली पन्नी ले लेना और पहुँच पड़ना सीधे मणिकर्णिका।
ये वो जगह है जहां इंसानी लाशों के जलते हुए उजाले में सिर्फ और सिर्फ सच्चाई दिखाई देती है।

एक रात के लिए भूल जाना कि तुम्हारे क्रेडिट कार्ड के लिमिट कितनी है, तुम्हारे डेबिट कार्ड में कितने पैसे पड़े हैं जिन्हें तुम अभी निकाल के 5 स्टार होटल बुक कर सकते हो, भूल जाना अपने पैरों में पड़े हुए जूते की कीमत या कलाई में टिक-टिक करती हुई घड़ी की कीमत और पन्नी बिछाकर बैठ जाना एक कोने में और देखना चुप चाप वहाँ का तमाशा। तुम्हें सिर्फ और सिर्फ सच दिखाई देगा। तुम देखोगे की कैसे वो लोग जिन्होनें अपनी जिंदगी सबकुछ भूलकर अपने सपनों को पूरा करने में बिता दी कैसे यहाँ औंधे मुँह पड़े हैं। वो लोग जो जिनके पास कभी समय नही रहा लोगों के लिए उन्हें कैसे लोग जलते हुए ही छोड़ कर चला जाया करते हैं, वो लोग जिन्होंने अपने ईगो में आकर किसी के सामने झुकना नहीं स्वीकारा वो कैसे अभी गिरे हुए हैं, और इस कदर गिरे हुए हैं कि बिना चार लोगों के उन्हें उठाया भी नही जा सकता।

वो लोग जिन्हें गुमान था अपने हुस्न अपनी हर एक चीज़ पर आज कैसे कुछ घंटों के बाद उनका यहाँ कुछ भी अपना नहीं रहेगा।
हमेशा हमेशा के लिए, वो लोग जिन्होंने ठोकर मार दी उनको जिन्होंने उन्हें सबसे ज्यादा चाहा और आज उनके पास कोई आखिरी लौ बुझने तक साथ बैठने वाला तक नहीं , वो लोग जिन्होनें पहनी महंगी घड़ियाँ पर आज पता चला कि समय क्या है, वो लोग जिन्होंने पूरी जिंदगी दूसरों को दुःख दिया उनकी आवाज आज उनकी चटकती हड्डियों से कैसे निकल रही हैं, तुम देखोगे की यहाँ जो हो रहा है वही सच है बाकी सब झूठ

तो सुनो न यार!
कभी भी किसी को दुःख मत दो!
हाँ पता है कि दुनिया के सबको खुश नही रखा जा सकता पर हर कोई आपसे दुखी भी नही हो सकता, अभी मैं कुछ भी कर दूँ, कितना भी बुरा उससे दुनिया के बड़े-बड़े सेलेब्रिटी को कोई फर्क पड़ने वाला है क्या?
नही!
तो वही तुमसे दुःखी होगा जो तुमसे प्यार करता हो, जो तुमसे जुड़ा हुआ है, तो अगर तुम किसी को खुशी नही दे सकते तो पहले ही बोल दो और उसे भी उन्ही बाकी के सेलिब्रिटी वाले कैटेगरी में डाल दो, वरना एक बार जुड़ जाने के बाद कभी भी किसी को मत रुलाओ अपनी वजह से, अपनों की वजह से!

पता नहीं किस पिक्चर का डायलॉग है पर सच है ''हमारी दादी" कहती थीं कि कभी किसी की ''आह'' नही लेनी चाहिए'' वरना ये आह चीखती हैं, चिल्लाती हैं, जलती हुई हड्डियों से इसकी आवाज दूर तक शमसान पर गूँजती है! और उस वक्त कोई सुनने वाला नही होता, एक दिन तो इस शरीर को अकड़ ही जाना है तब तक के लिए अपनी अकड़ थोड़ा किनारे रख लो।

बस एक रात की बात है जाओ कभी मणिकर्णिका, सब सीख जाओगे बिना किसी के सिखाए, यकीन करो अगली सुबह अपना बैग, घड़ी, और जूते और शायद खुद को भी साथ लेकर वापस आने का भी मन नही करेगा क्योंकि जलती हुई हड्डियों की चीखें बहुत सन्नाटा भर देंगी तुम्हारे अंदर जो किसी का दर्द, दुःख हँसते हुए ले लेने के लिए काफी रहेगा हमेशा के लिए।

अत्यंत ह्रदय विदारक घटना.....जम्मू-कश्मीर में ट्रक में आग लगने की दुर्घटना में सेना के जवानों का शहीद होना  हृदय विदारक ...
22/04/2023

अत्यंत ह्रदय विदारक घटना.....जम्मू-कश्मीर में ट्रक में आग लगने की दुर्घटना में सेना के जवानों का शहीद होना हृदय विदारक है...मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिजनों के साथ हैं...

वीर सपूतों को विनम्र श्रद्धांजलि...

प्रभु श्री राम दिवंगत आत्माओं को अपने श्री चरणों में स्थान प्रदान करें..

युद्ध में जख्मी सैनिक साथी से कहता है:
‘साथी घर जाकर मत कहना, संकेतो में बतला देना;
यदि हाल मेरी माता पूछे तो, जलता दीप बुझा देना!
इतने पर भी न समझे तो दो आंसू तुम छलका देना!!
यदि हाल मेरी बहना पूछे तो, सूनी कलाई दिखला देना!
इतने पर भी न समझे तो, राखी तोड़ दिखा देना !!
यदि हाल मेरी पत्नी पूछे तो, मस्तक तुम झुका लेना!
इतने पर भी न समझे तो, मांग का सिन्दूर मिटा देना!!
यदि हाल मेरे पापा पूछे तो, हाथों को सहला देना!
इतने पर भी न समझे तो, लाठी तोड़ दिखा देना!!
यदि हाल मेरा बेटा पूछे तो, सर उसका सहला देना!
इतने पर भी न समझे तो, सीने से उसको लगा लेना!!
यदि हाल मेरा भाई पूछे तो, खाली राह दिखा देना!
इतने पर भी न समझे तो, सैनिक धर्म बता देना!

सौतेली मां...एक लफ्ज जो किसी स्त्री के वजूद पर दाग की तरह होता है...एक टैग होता है जो समाज, रिश्तेदार, परिवार की तरफ से ...
16/04/2023

सौतेली मां...
एक लफ्ज जो किसी स्त्री के वजूद पर दाग की तरह होता है...
एक टैग होता है जो समाज, रिश्तेदार, परिवार की तरफ से दिया जाता है...
चाहे किसी ने अपनी जिंदगी का एक एक पल अपने बच्चों के लिए क्यों ना दे दिया हो पर उसपर एक शक हमेशा से बना कर रखते हैं लोग...
उस एक औरत के सिवा, सारी दुनिया खुद को उस बच्चे का अपना बताने पर तुली रहती है और उसकी मां को पराया और बुरा...
क्या विडंबना है जीवन की, और कितनी ओछी सोच है...
सौतेली मां का मतलब बुरी औरत होती है, तो जो अच्छी सौतेली मां है उसे तो अच्छा रहने दो, उसको तो मां बने रहने देना चाहिए...
सुख दुख, अच्छा बुरा जब लोग हैंडल नहीं कर सकते तो क्यों जो सब संभाल रही है उसे कटघरे में खड़ा करना है...
जब बच्चे खुश हैं, मां खुश है, एक हसता खेलता परिवार है, तो क्यों लोग बीच में आग लगाने आते हैं, क्या किसी की खुशी देखी नहीं जाती या कोई गॉसिप करने को नहीं मिल रही है तो इस बात का अफसोस है...
मां सिर्फ मां होती है... अच्छी या बुरी नहीं होती...
बुरी होती है लोगो की सोच और मानसिकता...✍🏻🙏🏻

13/04/2023

जो लोग कहते है ना
कि हमने तो पैसा नही ,इज्जत कमाई है
खाली जेब लेकर निकलना कभी बाजार में
ये वहम भी दूर हो जाएगा

धोनी पूरे साल क्रिकेट से दूर रहते है अंतराष्ट्रीय क्रिकेट से बहुत पहले सन्यास भी ले चुके है आईपीएल से पहले एक महीने का प...
13/04/2023

धोनी पूरे साल क्रिकेट से दूर रहते है अंतराष्ट्रीय क्रिकेट से बहुत पहले सन्यास भी ले चुके है आईपीएल से पहले एक महीने का प्रैक्टिस सेशन के बदौलत वो ग्राउंड पर आज भी 15 साल पहले वाले ही धोनी दिखते है जो मैदान के किसी भी कोने मे दूसरे स्टैंड मे बॉल को भेज सकते है आज की धोनी की पारी अविश्वसनीय पारी थी संदीप शर्मा की वो आखिरी यॉर्कर बॉल जिस पर शायद दुनियाँ का कोई भी खिलाड़ी कुछ नही कर पाता धोनी की कोशिश ज़बर्दस्त थी हार जीत से परे धोनी का आज भी जीतने की आखिरी बॉल तक कोशिश करने का जुनून हम जैसे दिल फेंक फैंस के लिए संजीवनी था वो धोनी का बॉल को दर्शक दीर्घा मे भेजना सुकून दायक और स्मरणीय पल था शाबाश धोनी शानदार धोनी इस उम्र मे भी "माही मार रहा है" बोलने का मौका देने के लिए शुक्रिया धोनी..💛🌻

90 के दशक की बरात30-40 साल पहले बैलगाड़ी व एक्का दुक्का ट्रेक्टर में बरात जाती थी। जिस दिन बरात जाती सभी में बड़ा उत्साह...
10/04/2023

90 के दशक की बरात
30-40 साल पहले बैलगाड़ी व एक्का दुक्का ट्रेक्टर में बरात जाती थी। जिस दिन बरात जाती सभी में बड़ा उत्साह रहता था। काका,ताऊ, भाई, भतीजे, बाबा सब चकाचक बनकर तैयार हो जाते थे। सभी सवार होकर अपने ईष्ट देवताओं के जयकारे लगाकर रवाना होते थे। और रास्ते में मौज मस्ती व गीत गाते हुए। सफर का मजा लेते थे। उस बरात में एक दो व्यक्ति ऐसे होते थे जो जल्दी चिढ़ते थे सभी उन्हीं पर मजा लेते थे। बरात के पहुंचते ही धूरगोला चलाते थे , जो उस गांव में बरात आने के संकेत होते थे। बरातियों को पंच अंथाई,पर जनमासा लगा कर बैठा देते थे। सबसे पहले चाय पानी, उसके बाद चावल घी बूरो दबा के खैचते थे। पूरा गांव बरातियों की खातिरदारी में लगा रहता था। और बरात लगभग 3- चार दिन रूकती थी। खूब हंसी ठठ्ठा होते थे। रस्तेदारों का सम्मान होता था।
वर्तमान में सब कुछ बदल गया। स्कॉर्पियो ,इनोवा से बरात जाएगी । जाते ही भपर सिस्टम में ढक्का मुक्की नास्ते के बाद 1-2 घंटे डीजे के साथ चढाई खाना खाया और वापस घर बस दूल्हा फेरा खाने के लिए रह जाता है। और 2-4 घरवाले।
खैर जो भी है समय का परिवर्तन है।

जब से होश संभाला है एक ही बात सुनते और देखते आ रहा हूँ लालू प्रसाद यादव घोटालेबाज है कभी CBI कभी ED कभी जेल कभी न्यायालय...
29/03/2023

जब से होश संभाला है एक ही बात सुनते और देखते आ रहा हूँ लालू प्रसाद यादव घोटालेबाज है कभी CBI कभी ED कभी जेल कभी न्यायालय पूरे देश मे एक ही घोटालेबाज नेता है पूरे देश की मीडिया की नजर मे भी एक घोटालेबाज नेता है कैसा ये नेता है जिसके पीछे वर्षो से सरकारे पड़ी है जिसके पीछे वर्षो से प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया पड़ी है बिहार के पिछड़ी जाति के लोगों से पूछोगे की लालू कौन है तो कहेंगे भगवान है अगड़ी जाति के लोगों से पूछोगे तो कहेंगे चारा चोर है आखिर कौन है लालू जो 90 के दशक से लेकर सक्रीय राजनीति मे ना होकर भी अब तक देश की राजनीति मे केंद्र बना हुआ है "लालू पिछड़े गरीब अल्पसंख्यको का रहनुमा है लालू समानता का प्रतीक है लालू ललकार है जिसके एक इशारे पर बिहार का हर एक कोना उसके समर्थकों से पाट दिया जाएगा लालू लड़ेगा आखिरी साँस तक लड़ेगा लालू ना तब झुका था लालू ना अब झुकेगा लालू लड़ाका है आखिरी साँस तक लड़ेगा...❤️🌻

जंग पर निकलता हूँ, ढाल भूल जाता हूँमैं अज़ब शिकारी हूँ, जाल भूल जाता हूँवस्ल में भी रहती है, भूलने की बीमारीहोठ  चूम आता...
23/03/2023

जंग पर निकलता हूँ, ढाल भूल जाता हूँ
मैं अज़ब शिकारी हूँ, जाल भूल जाता हूँ

वस्ल में भी रहती है, भूलने की बीमारी
होठ चूम आता हूँ, गाल भूल जाता हूँ

ये कौन राह में बैठे है मुस्कुराते हैं
मुसाफिरों को गलत रास्ता बताते हैं

तेरे लगाये हुए जख्म क्यूँ नही भरते
मेरे लगाये हुए पेड़ सूख जाते हैं..!!

~ तहज़ीब हाफ़ी

बनारस की एथलीट बेटी   #रोशनी_यादव ने खेलो इंडिया नेशनल मीट में यूपी का प्रतिनिधित्व करते 400 मीटर में कांस्य पदक जीता......
05/02/2023

बनारस की एथलीट बेटी #रोशनी_यादव ने खेलो इंडिया नेशनल मीट में यूपी का प्रतिनिधित्व करते 400 मीटर में कांस्य पदक जीता...!!

जय यदुवंशम 🇮🇳

ज़िंदगी और कुछ भी नहीं तेरी मेरी कहानी है।
05/02/2023

ज़िंदगी और कुछ भी नहीं तेरी मेरी कहानी है।

05/02/2023
ये  पत्थर 6 करोड़ साल पुराने है।हो सकता है ये पत्थर 6 करोड़ साल से अभिशप्त हो और मुक्ति के लिए तपस्या कर रहे हो।मुक्ति भी ...
05/02/2023

ये पत्थर 6 करोड़ साल पुराने है।
हो सकता है ये पत्थर 6 करोड़ साल से अभिशप्त हो और मुक्ति के लिए तपस्या कर रहे हो।
मुक्ति भी मिली तो नेपाल के गंडक नदी से मुक्त हुए और ईश्वर की कृपा हुई तो ये पत्थर स्वयं भगवान हो गए।

मेरा ईश्वर में अतिविश्वास है, मैं घोर आस्तिक हूँ मुझे पता है कि कण-कण में भगवान है, हमारे अगल-बगल हर जगह विधमान है।

सबकुछ वही कर और करा रहे है।
अब देखिए अयोध्या जी में उत्सव का माहौल है क्योंकि राम लला वर्षों बाद अपने जन्मस्थान पर जा रहे है तो ऐसे शुभ कार्य में उनके ससुराल वाले कैसे पीछे रहते।
नेपाल की गंडकी नदी से वर्षो पुराने शालिग्राम बाहर निकले है।
ये पत्थर मानो भक्ति में 6 करोड़ साल से डूबे हुए थे।
प्रभु के कहने से बाहर आए।
अब तय किया गया कि इनसे राम मंदिर के गर्भगृह के लिए सीताराम की मूर्ति बनाई जाएगी।

प्रभु की लीला देखिए।
वर्षो से तपस्या में लीन शालिग्राम को आशीर्वाद में राम होना मिला है, कहते है न कि कण कण में राम है तो शालिग्राम के कण से राम है।

जब नेपाल से शालिग्राम ने राम होने की यात्रा शुरू की, तो रामभक्तों का जमावड़ा सड़क किनारे लगने लगा और देखने लगी...कि किस भाग्यवान के हिस्से में राम होना लिखा है और लंबी प्रतीक्षा के बाद शालिग्राम पत्थर से राम होना है। उसके उस स्वरूप को आँख भर देख लेना चाहते है।

बूढ़े-बुजुर्ग अपनी पीढ़ियों को बतला रहे होंगे, आँखें इन पलों को देखने के लिए व्याकुल थी। न जाने कितनी आँखें इस घड़ी की प्रतीक्षा में सो गई। उन्हें राम को जाते देखना न लिखा था।
देखो, राम जा रहे है और अयोध्या जी की गोद में बैठ जाएंगे।

युवा इन दृश्यों को समेटकर अपनी सबसे बड़ी विरासत में जोड़ लेंगे और आने वाली पीढ़ियों को बतलाएँगे कि शालिग्राम को जाते व राम होते, अपनी आँखों से देखा था।
मेरे राम यही होकर गुजरे और विश्राम को ठहरे थे, हमने उन्हें स्पर्श किया।

तुम जिन्हें देख रहे हो वो राम है।
हमने उन्हें राम होते देखा था, इन आँखों ने जीवन का सबसे सुखद पल संभालकर रखा हुआ है। ताकि तुन्हें अपनी विरासत सौंप सके। राम को देखने लोग घरों से निकल आए, किसी ने आवाज़ तक न लगाई, ना किसी से निमंत्रण दिया।
बस अपने प्रभु के जाने की आहट से पहचान गए कि उनके प्रभु अयोध्याजी के लिए निकल रहे है और कभी भी उनके द्वार से होकर गुजर सकते है। उनके स्वागत में हजारों की संख्या में श्रदालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा। आखिर राम जाते कौन न देखना चाहेगा।

उन शिलाओं ने न जाने कितनी तपस्या की होगी, कि स्वयं प्रभु श्रीराम मिले.उनका कद भी अयोध्याजी के मुकाबले रहा होगा। क्योंकि दोनों में राम बसे है, सारे जग में राम है।

उन आँखों को देखना चाहिए, जो पूछती थी।
राम कब आएंगे, देखिए राम जा रहे है। रामभक्त उनका दर्शन लाभ ले रहे है। साथ ही मोदी सरकार के बजट पर चर्चा कर रहे है। कि क्या है बजट मे क्या है?

भगवान राम का मंदिर वास्तव में इतना विराट सपना था जो पूरा हो रहा है.भगवान सब मैनेज कर के रखे थे... अब उनका घर बन रहा है।
साभार 🙏
जय सनातन जय_सियाराम

नरसिंह यादव करेंगे भारतीय दल का नेतृत्व 🇮🇳 आज से शुरू हो रहे जग्रेब ओपन (Zagreb Open) के लिए भारतीय पहलवानों का दल क्रोए...
01/02/2023

नरसिंह यादव करेंगे भारतीय दल का नेतृत्व 🇮🇳

आज से शुरू हो रहे जग्रेब ओपन (Zagreb Open) के लिए भारतीय पहलवानों का दल क्रोएशिया पहुंच गया

मेरे लिए ये महत्वपूर्ण नहीं है कि बागेश्वर वाले बाबा के पास चमत्कारिक शक्तियां हैं कि नहीं ..बात ये भी नहीं है कि उन्हें...
20/01/2023

मेरे लिए ये महत्वपूर्ण नहीं है कि बागेश्वर वाले बाबा के पास चमत्कारिक शक्तियां हैं कि नहीं ..

बात ये भी नहीं है कि उन्हें वेद मंत्रों का सही और पूर्ण ज्ञान है या नहीं ..

बात केवल इतनी है कि यदि वे अज्ञानी भी हैं तो भी वो श्रेष्ठ हैं क्योंकि वे राष्ट्र और धर्म के साथ खड़े हैं और हिन्दूओं को धर्म के प्रति जागरूक कर रहे हैं..

कई निकृष्ट जो हिन्दूओं को अली मौला गाकर भ्रमित करते हैं वे यदि ज्ञानी भी हैं तो भी वो सम्मान पाने योग्य कदापि नहीं..

जो भी राष्ट्र और धर्म के साथ खड़े हैं.. वह पूज्य हैं..

मैं बागेश्वर धाम वाले धीरेंद्र शास्त्री के साथ हूँ। और जब तक वो हिन्दू हित में लगे रहेंगे हर राष्ट्रवादी उनके साथ रहेगा

मैं पूर्णतः समर्थन करता हूँ।

🚩जय बागेश्वर धाम की 🙏
🚩जय श्री राम 🙏

निगाहें अगर पहले झूमके पर पड़ती है, मुबारक हो अभी तहजीब सलामत है..❤️🌻
18/01/2023

निगाहें अगर पहले झूमके पर पड़ती है,

मुबारक हो अभी तहजीब सलामत है..❤️🌻

सारा का सारा मैच मे रन बना रहा, अब सारा ज्यादा दूर नहीं रही ..❤️🔥
18/01/2023

सारा का सारा मैच मे रन बना रहा,

अब सारा ज्यादा दूर नहीं रही ..❤️🔥

मेरे साथ तुम रहो, जाने की बात ना करो..❤️🌻
17/01/2023

मेरे साथ तुम रहो,

जाने की बात ना करो..❤️🌻

मेरे जेहन से निकलो मेरे बिछड़े दिलबर, मुझे ज़माने के और हसीन चेहरे देखने है..❤️🌻
17/01/2023

मेरे जेहन से निकलो मेरे बिछड़े दिलबर,

मुझे ज़माने के और हसीन चेहरे देखने है..❤️🌻

कवि जी के जीवन शैली से प्रभावित युवा, हास्य कवि बनने की फ़िराक मे लगे हैं ..❤️😥
17/01/2023

कवि जी के जीवन शैली से प्रभावित युवा,

हास्य कवि बनने की फ़िराक मे लगे हैं ..❤️😥

16/01/2023

एक बेवफा के ज़ख्मो पर मरहम लगाने हम गए
मरहम न मिला पर मरहम की कसम मर हम गए..
Altaf Raja was the first to do word play..

Alataf -1
Others -0

16/01/2023

काश कि तुम खैनी होती... रगड़ कर तुम्हें हम अपने होंठों से लगा लेते..!

16/01/2023

अंधा होना प्रेमी होने की पहली निशानी है दोस्त..!

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