03/08/2020
रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है, और इसका इतिहास...
रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है? रक्षा बंधन आने वाला है. ये सुनकर ही बहुत सी बहनों के चेहरे में खुशी झलक जाती है. और हो भी क्यूँ न ये भाई बहन का रिश्ता ही कुछ ऐसा होता है किसे की शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है. ये रिश्ता इतना ज्यादा पवित्र होता है की इसका सम्मान पूरी दुनिभर में किया जाता है.
ऐसे में शायद ही कोई होगा जिसे की ये न पता हो की रक्षा बंधन का अर्थ क्या है और इसे कैसे मनाया जाता है?
भाई और बहन की bonding पूरी तरह से unique होती है. जहाँ पूरी दुनिभर में भाई बहन के रिश्ते को इतना सम्मान दिया जाता हो वहां पर भारत कैसे पीछे हट सकता है. भारत जिसे की संस्कृतियों की भूमि भी माना जाता है. वहीं तो इस रिश्ते को एक अलग ही पहचान दिया गया है. इसकी इतनी ज्यादा महत्व है की इसे एक त्योहार के रूप में मनाया जाता है.
इस त्यौहार में भाई बहन के प्यार को एक tradition के तरह मनाया जाता है. रक्षा बंधन एक special हिंदू त्यौहार है जिसे की केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुसरे देशों जैसे की Nepal में भी भाई बहन के प्यार का प्रतिक मानकर खूब हर्षउल्लाश से मनाया जाता है. इस पर्व “Raksha Bandhan” को श्रावण माह के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. जो की अक्सर अगस्त के महीने में आता है.
चूँकि इस त्यौहार के विषय में हम सभी को जरुर से जानना चहिये इसलिए आज हमने सोचा की क्यूँ न आप लोगों को रक्षा बंधन के बारे में पूरी जानकारी प्रदान की जाये. इससे आप लोगों को भी भारत के इस महान पर्व के विषय में पता चले साथ में रक्षा बंधन कैसे मनाया जाता है इसकी भी जानकारी मिल सकें. तो फिर बिना देरी के चलिए शुरू करते हैं.
रक्षा बंधन का पर्व दो शब्दों के मिलने से बना हुआ है, “रक्षा” और “बंधन“. संस्कृत भाषा के अनुसार, इस पर्व का मतलब होता है की “एक ऐसा बंधन जो की रक्षा प्रदान करता हो”. यहाँ पर “रक्षा” का मतलब रक्षा प्रदान करना होता है उअर “बंधन” का मतलब होता है एक गांठ, एक डोर जो की रक्षा प्रदान करे.
ये दोनों ही शब्द मिलकर एक भाई-बहन का प्रतिक होते हैं. यहाँ ये प्रतिक केवल खून के रिश्ते को ही नहीं समझाता बल्कि ये एक पवित्र रिश्ते को जताता है. यह त्यौहार खुशी प्रदान करने वाला होता है वहीँ ये भाइयों को ये याद दिलाता है की उन्हें अपने बहनों की हमेशा रक्षा करनी है.
रक्षाबंधन क्यों मनाते है?
ये सवाल की रक्षा बंधन हम क्यूँ मानते हैं आप में से बहुतों के मन में जरुर होगा. तो इसका जवाब है की यह त्यौहार असल में इसलिए मनाया जाता है क्यूंकि ये एक भाई का अपने बहन के प्रति कर्तव्य को जाहिर करता है. वहीँ इसे केवल सगे भाई बहन ही नहीं बल्कि कोई भी स्त्री और पुरुष जो की इस पर्व की मर्यादा को समझते है वो इसका पालन कर सकते हैं.
इस मौके पर, एक बहन अपने भाई के कलाई में राखी बांधती है. वहीँ वो भगवान से ये मांगती है की उसका भाई हमेशा खुश रहे और स्वस्थ रहे. वहीँ भाई भी अपने बहन को बदले में कोई तौफा प्रदान करता है और ये प्रतिज्ञा करता है की कोई भी विपत्ति आ जाये वो अपने बहन की रक्षा हमेशा करेगा.
साथ में वो भी भगवान से अपने बहन ही लम्बी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की मनोकामना करता है. वहीँ इस त्यौहार का पालन कोई भी कर सकता है फिर चाहे वो सगे भाई बहन हो या न हो. अब शायद आपको समझ में आ ही गया होगा की रक्षा बंधन क्यूँ मनाया जाता है.
रक्षा बंधन का इतिहास (History of Raksha Bandhan in Hindi)
राखी का त्यौहार पुरे भारतवर्ष में काफी हर्ष एवं उल्लाश के साथ मनाया जाता है. यह एक ऐसा त्यौहार है जिसमें क्या धनी क्या गरीब सभी इसे मनाते हैं. लेकिन सभी त्योहारों के तरह ही राखी इन हिंदी के भी एक इतिहास है, ऐसे कहानियां जो की दंतकथाओं में काफी लोकप्रिय हैं. चलिए ऐसे ही कुछ रक्षा बंधन की कहानी इन हिंदी के विषय में जानते हैं.
1. सम्राट Alexander और सम्राट पुरु
राखी त्यौहार के सबसे पुरानी कहानी सन 300 BC में हुई थी. उस समय जब Alexander ने भारत जितने के लिए अपनी पूरी सेना के साथ यहाँ आया था. उस समय भारत में सम्राट पुरु का काफी बोलबाला था. जहाँ Alexander ने कभी किसी से भी नहीं हारा था उन्हें सम्राट पुरु के सेना से लढने में काफी दिक्कत हुई.
दिवाली क्यों मनाया जाता है
जब Alexander की पत्नी को रक्षा बंधन के बारे में पता चला तब उन्होंने सम्राट पुरु के लिए एक राखी भेजी थी जिससे की वो Alexander को जान से न मार दें. वहीँ पुरु ने भी अपनी बहन का कहना माना और Alexander पर हमला नहीं किया था.
2. रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूँ
रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूँ की कहानी का कुछ अलग ही महत्व है. ये उस समय की बात है जब राजपूतों को मुस्लमान राजाओं से युद्ध करना पड़ रहा था अपनी राज्य को बचाने के लिए. राखी उस समय भी प्रचलित थी जिसमें भाई अपने बहनों की रक्षा करता है. उस समय चितोर की रानी कर्णावती हुआ करती थी. वो एक विधवा रानी थी.
और ऐसे में गुजरात के सुल्तान बहादुर साह ने उनपर हमला कर दिया. ऐसे में रानी अपने राज्य को बचा सकने में असमर्थ होने लगी. इसपर उन्होंने एक राखी सम्राट हुमायूँ को भेजा उनकी रक्षा करने के लिए. और हुमायूँ ने भी अपनी बहन की रक्षा के हेतु अपनी एक सेना की टुकड़ी चित्तोर भेज दिया. जिससे बाद में बहादुर साह के सेना को पीछे हटना पड़ा था.
3. इन्द्रदेव की कहानी
भविस्य पुराण में ये लिखा हुआ है की जब असुरों के राजा बाली ने देवताओं के ऊपर आक्रमण किया था तब देवताओं के राजा इंद्र को काफी क्ष्यती पहुंची थी.
इस अवस्था को देखकर इंद्र की पत्नी सची से रहा नहीं गया और वो विष्णु जी के करीब गयी इसका समाधान प्राप्त करने के लिए. तब प्रभु विष्णु ने एक धागा सची को प्रदान किया और कहा की वो इस धागे को जाकर अपने पति के कलाई पर बांध दें. और जब उन्होंने ऐसा किया तब इंद्र के हाथों राजा बलि की पराजय हुई.
इसलिए पुराने समय में युद्ध में जाने से पूर्व राजा और उनके सैनिकों के हाथों में उनकी पत्नी और बहनें राखी बांधा करती थी जिससे वो सकुशल घर जीत कर लौट सकें.
4. माता लक्ष्मी और राजा बलि की कहानी
असुर सम्राट बलि एक बहुत ही बड़ा भक्त था भगवान विष्णु का. बलि की इतनी ज्यादा भक्ति से प्रसन्न होकर विष्णु जी ने बलि के राज्य की रक्षा स्वयं करनी शुरू कर दी. ऐसे में माता लक्ष्मी इस चीज़ से परेशान होने लगी. क्यूंकि विष्णु जी अब और वैकुंठ पर नहीं रहते थे.
अब लक्ष्मी जी ने एक ब्राह्मण औरत का रूप लेकर बलि के महल में रहने लगी. वहीँ बाद में उन्होंने बलि के हाथों में राखी भी बांध दी और बदले में उनसे कुछ देने को कहा. अब बलि को ये नहीं पता था की वो औरत और कोई नहीं माता लक्ष्मी है इसलिए उन्होंने उसे कुछ भी मांगने का अवसर दिया.
इसपर माता ने बलि से विष्णु जी को उनके साथ वापस वैकुंठ लौट जाने का आग्रह किया. इसपर चूँकि बलि से पहले ही देने का वादा कर दिया था इसलिए उन्हें भगवान विष्णु को वापस लौटना पड़ा. इसलिए राखी को बहुत से जगहों में बलेव्हा भी कहा जाता है.
5. कृष्ण और द्रौपधी की कहानी
लोगों की रक्षा करने के लिए Lord Krishna को दुष्ट राजा शिशुपाल को मारना पड़ा. इस युद्ध के दौरान कृष्ण जी की अंगूठी में गहरी चोट आई थी. जिसे देखकर द्रौपधी ने अपने वस्त्र का उपयोग कर उनकी खून बहने को रोक दिया था.
भगवान कृष्ण को द्रौपधी की इस कार्य से काफी प्रसन्नता हुई और उन्होंने उनके साथ एक भाई बहन का रिश्ता निभाया. वहीं उन्होंने उनसे ये भी वादा किया की समय आने पर वो उनका जरुर से मदद करेंगे.
बहुत वर्षों बाद जब द्रौपधी को कुरु सभा में जुए के खेल में हारना पड़ा तब कौरवों के राजकुमार दुहसासन ने द्रौपधी का चिर हरण करने लगा. इसपर कृष्ण ने द्रौपधी की रक्षा करी थी और उनकी लाज बचायी थी.
6. महाभारत में राखी
भगवान कृष्ण ने युधिस्तिर को ये सलाह दी की महाभारत के लढाई में खुदको और अपने सेना को बचाने के लिए उन्हें राखी का जरुर से उपयोग करना चाहिए युद्ध में जाने से पहले. इसपर माता कुंती ने अपने नाती के हाथों में राखी बांधी थी वहीँ द्रौपधी ने कृष्ण के हाथो पर राखी बांधा था.
7. संतोधी माँ की कहानी
भगवान गणेश के दोनों पुत्र सुभ और लाभ इस बात को लेकर परेशान थे की उनकी कोई बहन नहीं है. इसलिए उन्होंने अपने पिता को एक बहन लाने के लिए जिद की. इसपर नारद जी के हस्तक्ष्येप करने पर बाध्य होकर भगवान् गणेश को संतोषी माता को उत्पन्न करना पड़ा अपने शक्ति का उपयोग कर.
वहीँ ये मौका रक्षा बंधन ही था जब दोनों भाईओं को उनकी बहन प्राप्त हुई.
8. यम और यमुना की कहानी
एक लोककथा के अनुसार मृत्यु के देवता यम ने करीब 12 वर्षों तक अपने बहन यमुना के पास नहीं गए, इसपर यमुना को काफी दुःख पहुंची.
बाद में गंगा माता के परामर्श पर यम जी ने अपने बहन के पास जाने का निश्चय किया. अपने भाई के आने से यमुना को काफी खुशी प्राप्त हुई और उन्होंने यम भाई का काफी ख्याल रखा.
इसपर यम काफी प्रसन्न हो गए और कहा की यमुना तुम्हे क्या चाहिए. जिसपर उन्होंने कहा की मुझे आपसे बार बार मिलना है. जिसपर यम ने उनकी इच्छा को पूर्ण भी कर दिया. इससे यमुना हमेशा के लिए अमर हो गयी.
भारत के दुसरे धर्मों में रक्षा बंधन कैसे मनाया जाता है?
चलिए अब जानते हैं की कैसे भारत के दुसरे धर्मों में रक्षा बंधन मनाया जाता है.
१. हिंदू धर्म में – यह त्यौहार हिंदू धर्म में काफी हर्ष एवं उल्लाश के साथ मनाया जाता है. वहीँ इसे भरत के उत्तरी प्रान्त और पश्चिमी प्रान्तों में ज्यादा मनाया जाता है. इसके अलावा भी दुसरे देशों में भी इसे मनाया जाता है जैसे की नेपाल, पाकिस्तान, मॉरिशस में भी मनाया जाता है.
२. Jain धर्म में – जैन धर्म में उनके जैन पंडित भक्तों को पवित्र धागा प्रदान करते हैं.
३. Sikh धर्म में – सिख धर्म में भी इसे भाई और बहन के बीच मनाया जाता है. वहीँ इसे राखाडी या राखरी कहा जाता है.
भारतीय धर्म संस्कृति के अनुसार रक्षा बंधन का त्योहार श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है. यह त्योहार भाई-बहन को स्नेह की डोर में बांधता है. इस दिन बहन अपने भाई के मस्तक पर टीका लगाकर रक्षा का बंधन बांधती है, जिसे राखी कहते हैं.
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त और पांचांग कब है?
राखी का त्यो हार इस बार 3 अगस्त, यानी स्वतंत्रता दिवस के दिन होने वाला है. इस दिन गुरुवार पड़ रहा है.
यदि हम सुभ मुहूर्त की बात करें तब इस साल रक्षा बंधन पर राखी बांधने मुहूर्त काफी लंबा है. रक्षा बंधन 2020 के दिन बहने अपने भाई को सुबह 05:49 से शाम के 6:01 बजे तक राखी बांध सकती हैं.
रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है?
सभी त्योहारों के तरह ही रक्षा बंधन को मनाने की एक विधि होती है जिसका पालन करना बहुत ही आवश्यक होता है.
चलिए इस विषय में विस्तार में जानते हैं.
रक्षाबंधन के दिन सुबह जल्दी उठकर नहा लेना होता है. इससे मन और शरीर दोनों ही पवित्र हो जाता है. फिर सबसे पहले भगवान की पूजा की जाती है. पुरे घर को साफ कर चरों तरफ गंगा जल का छिडकाव किया जाता है.
अब बात आती है राखी बांधने की. इसमें पहले राखी की थाली को सजाया जाता है. रक्षाबधंन के प्रवित्र त्याहार के दिन पितल की थाली मे ऱाखी ,चंदन ,दीपक ,कुमकुम, हल्दी,चावल के दाने नारियेल ओर मिठाई रखी जाती है.
अब भाई को बुलाया जाता है और उन्हें एक साफ़ स्थान में नीचे बिठाया जाता है. फिर शुरू होता है राखी बांधने की विधि.सबसे पहले थाली के दीये को जलाती है, फिर बहन भाई के माथे पर तिलक चन्दन लगाती है. वहीँ फिर भाई की आरती करती है. उसके बाद वो अक्षत फेंकती हुई मन्त्रों का उच्चारण करती है. और फिर भाई के कलाई में राखी बांधती है. वहीँ फिर उसे मिठाई भी खिलाती है. यदि भाई बड़ा हुआ तब बहन उसके चरण स्पर्श करती है वहीँ छोटा हुआ तब भाई करता है.
अब भाई अपने बहन को भेंट प्रदान करता है. जिसे की बहन खुशी खुशी लेती है. एक बात की जब तक राखी की विधि पूरी न हो जाये तब तक दोनों को भूका ही रहना पड़ता है. इसके पश्चात राखी का रस्म पूरा होता है.
भारत के दुसरे प्रान्तों में रक्षा बंधन कैसे मनाया जाता है?
चूँकि भारत एक बहुत ही बड़ा देश है इसलिए यहाँ पर दुसरे दुसरे प्रान्तों में अलग अलग ढंग से त्योहारों को मनाया जाता है. चलिए अब जानते हैं की रक्षाबंधन को कैसे दुसरे प्रान्तों में मनाया जाता है.
1. पश्चिमी घाट में रक्षाबंधन कैसे मानते है
पश्चिमी घाट की बात करें तब वहां पर राखी को एक देय माना जाता है भगवान वरुण को. जो की समुद्र के देवता है. इस दिन वरुण जी को नारियल प्रदान किये जाते हैं. इस दिन नारियल को समुद्र में फेंका जाता है. इसलिए इस राखी पूर्णिमा को नारियल पूर्णिमा भी कहा जाता है.
2. दक्षिण भारत में रक्षाबंधन कैसे मानते है
दक्षिण भारत में, रक्षा बंधन को अवनी अबित्तम भी कहा जाता है. ये पर्व ब्राह्मणों के लिए ज्यादा महत्व रखता है. क्यूंकि इस दिन वो स्नान करने के बाद अपने पवित्र धागे (जनेयु) को भी बदलते हैं मन्त्रों के उच्चारण करने के साथ. इस पूजा को श्रावणी या ऋषि तर्पण भी कहा जाता है. सभी ब्राह्मण इस चीज़ का पालन करते हैं.
3. उत्तरी भारत में रक्षाबंधन कैसे मानते है
उत्तरी भारत में रक्षा बंधन को कजरी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. इस पर्व के दौरान खेत में गेहूं और दुसरे अनाज को बिछाया जाता है. वहीं ऐसे मौके में माता भगवती की पूजा की जाती है. और माता से अच्छी फसल की कामना की जाती है.
4. गुजरात में रक्षाबंधन कैसे मानते है
गुजरात के लोग इस पुरे महीने के प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग के ऊपर पानी चढाते हैं. इस पवित्र मौके पर लोग रुई को पंच्कव्य में भिगोकर उसे शिव लिंग के चारों और बांध देते हैं. इस पूजा को पवित्रोपन्ना भी कहा जाता है.
5. ग्रंथो में रक्षाबंधन
यदि आप ग्रंथो में देखें तब आप पाएंगे की रक्षाबंधन को ‘पुन्य प्रदायक ‘ माना गया है. इसका मतलब की इस दिन अच्छे कार्य करने वालों को काफी सारा पुन्य प्राप्त होता है.
रक्षाभंदन को ‘विष तारक‘ या विष नासक भी माना जाता है. वहीँ इसे ‘पाप नाशक’ भी कहा जाता है जो की ख़राब कर्मों को नाश करता है.
रक्षा बंधन का महत्व
रक्षाबंधन का महत्व सच में सबसे अलग होता है. ऐसा भाई बहन का प्यार शायद ही आपको कहीं और देखने को मिले किसी दुसरे त्यौहार में. ये परंपरा भारत में काफी प्रचलित है और इसे श्रावन पूर्णिमा के लिए मनाया जाता है.
यह एकमात्र ऐसा पर्व है जिसमें की बहन भाई के हाथों में राखी बांधकर उससे अपने रक्षा की कसम लेती है. वहीँ भाई का भी ये कर्तव्य होता है की वो किसी भी परिस्थिति में अपने बहन की रक्षा करे. सच में ऐसा पवित्र पर्व आपको दुनिया में कहीं और देखने को न मिले.
राखी का त्यौहार श्रावन के महीने में पड़ता है, इस महीने में गर्मी के बाद बारिस हो रही होती है, समुद्र भी शांत होता है और पुर वातावरण भी काफी मनमोहक होता है.
ये महिना सभी किशानों, मछवारे और सामुद्रिक यात्रा करने वाले व्यवसायों के लिए भी काफी महत्व रखता है. रक्षाबंधन को नारियली पूर्णिमा भी कहा जाता है भारत के सामुद्रिक तट इलाकों में. इस दिन वर्षा के देवता इंद्र और सुमद्र के देवता वरुण की पूजा की जाती है. वहीँ देवताओं को नारियल अर्पण किये जाते हैं और खुशहाली की कामना की जाती है.
इसमें नारियल को समुद्र में फेंका जाता है या कोई दुसरे पानी के जगह में. लोगों का मानना है की प्रभु श्रीराम भी माता सीता को छुड़ाने के लिए इसी दिन अपनी यात्रा प्रारंभ की थी. उन्होंने समुद्र को पत्थरों से निर्मित पुल के माध्यम से पार किया था जिसे की वानर सेना ने बनाया था. नारियल के उपरी भाग में जो तीन छोटे छोटे गड्ढे होते हैं उसे प्रभु शिवजी का माना जाता है.
मछवारे भी अपने मछली पकड़ने की शुरुवात इसी दिन से करते हैं क्यूंकि इस समय समुद्र शांत होता है और उन्हें पानी में जाने में कोई खतरा नहीं होता है.
किशानों के लिए ये दिन कजरी पूर्णिमा होता है. किशान इसी दिन से ही अपने खेतों में गेहूं की बिज बोते हैं और अच्छी फसल की कामना करते हैं भगवान से.
ये दिन ब्राह्मणों के लिए भी काफी महत्वपूर्ण होता है. क्यूंकि इस दिन वो अपने जनेयु को बदलते हैं मन्त्रों के उचार्रण के साथ. वहीँ वो इस पूर्णिमा को ऋषि तर्पण भी कहते हैं. वहीँ विधि के ख़त्म हो जाने के बाद ये आपस में नारियल से निर्मित मिठाई खाते हैं.
यदि आप भी उन्ही में से एक हैं तब जरुरु से आपको भी इस rakhi 2020 shayari एक बार जरुर देखना चाहिए.
ये लम्हा कुछ ख़ास हैं,
बहन के हाथों में भाई का हाथ हैं,
ओ बहना तेरे लिए मेरे पास कुछ ख़ास हैं
तेरे सुकून की खातिर मेरी बहना,
तेरा भाई हमेशा तेरे साथ हैं ….!!!
ओस की बूंदों से भी प्यारी है, मेरी बहना
गुलाब की पंखुड़ियों से भी नाज़ुक है, मेरी बहना
आसमां से उतारी कोई राजकुमारी है, मेरी बहना
सच कहूँ तो मेरी आँखों की राजदुलारी है, मेरी बहना
बहनों को भाइयों का साथ मुबारक हो
भाइयों की कलाइयों को बहनों का प्यार मुबारक हो
रहे ये सुख हमेशा आपकी जिन्दगीं में
आप सबको राखी का पावन त्यौहार मुबारक हो
तोड़े से भी ना टूटे, ये ऐसा मन बंधन है,
इस बंधन को सारी दुनिया कहती रक्षा बंधन है।
बहन का प्यार किसी दुआ से कम नहीं होता,
वो चाहे दूर भी हो तो गम नहीं होता,
अक्सर रिश्ते दूरियों से फीके पड़ जाते है,
पर भाई-बहन का प्यार कभी कम नहीं होता।
कच्चे धागों से बनी डोर है राखी,
प्यार और मीठी शरारतों की होड़ है राखी,
भाई की लम्बी उम्र की दुआ है राखी,
बहन के प्यार का धुआं है राखी।
सुख की छाँव हो या गम की तपिश,
मीठी सी तान हो या तीखी धुन,
उजियारा हो या अंधकार किनारा हो या बीच धार,
महफ़िल हो या तन्हाई,
हर हाल में तुम्हारे साथ है तुम्हारा भाई।
भैया तुम जियो हजारों साल,
मिले कामयाबी तुम्हें हर बार,
खुशियों की हो तुमपे बौंछार,
यही दुआ करते है हम बार बार।
चंदन की लकड़ी फूलों का हार,
अगस्त का महिना सावन की फुहार,
भाई की कलाई पर बहन का प्यार,
मुबारक हो आपको राखी का त्यौहार।
सावन के महीने में राखी का त्यौहार आता हैं
परिवार के लिए जो कि ढेरों खुशियाँ लाता हैं
रक्षाबन्धन के पर्व की कुछ अलग ही बात हैं
भाई-बहन के लिए पावन प्रेम की सौगात हैं
रेशम के धागों का है यह मजबूत बंधन
माथे पर चमके चावल रोली और चन्दन
प्यार से मिठाई खिलाये बहन प्यारी
देख इसे छलक उठीं आँखों भर आया मन
अगले पांच सालों के लिए रक्षाबंधन उत्सव की तारीख पता करें
चलिए जानते हैं अगले पांच वर्षों तक किस दिन रक्षा बंधन आने वाला है.
१५ अगस्त २०१९ गुरूवार
३ अगस्त २०२० सोमवार
२२ अगस्त २०२१ रविवार
११ अगस्त २०२२ गुरूवार
३० अगस्त २०२३ बुधवार
रक्षा बंधन स्टेटस इन हिंदी
यदि आप भी दुसरो के ही तरह इस रक्षाबंधन में Raksha Bandhan Status in hindi की तलाश कर रहे हैं, तब आपकी तलाश यहीं पर ख़त्म होती है. क्यूंकि यहाँ हमने बहुत से Raksha bandhan status लिखे हुए हैं जिनका इस्तमाल आप आसानी से कर सकते हैं.
वहीं अगर आपको भी अपने भाई या बहन के लिए कोई special status भेजना है तब आप जरुर से बढ़िया staus messages चाहिए जो की आपके feeling को बयान कर सकें.
तो लीजिये एक बहुत ही बेहतरीन collection raksha bandhan quotes की भाई और बहन के लिए. इन्हें पढ़ें और शेयर करना न भूलें.
तोड़े से भी ना टूटे, ये ऐसा मन बंधन हैं,
इस बंधन को सारी दुनिया कहती रक्षा बंधन हैं!
बहना ने भाई की कलाई से प्यार बांधा हैं,
तुम खुश रहो हमेशा यही सौगात माँगा हैं !
दुनियाँ की हर ख़ुशी तुझे दिलाऊंगा मैं,
अपने भाई होने का हर फ़र्ज़ निभाऊंगा मैं।
भाई से ज्यादा ना कोई उलझता हैं
ना भाई से ज्यादा कोई समझता हैं ।
रंग बिरंगी राखी बाँधी, फिर सूंदर सा तिलक लगाया,
गोल गोल रसगुल्ला खाकर, भैया मन ही मन मुस्कुराया !
फूलों का तारों का सबका कहना हैं,
दुनिया में सबसे अच्छे मेरे भैया हैं…!!
Raksha Bandhan Quotes In Hindi
कभी हमसे लड़ती है, कभी हमसे झगड़ती है, लेकिन बिना कहे हमारी हर बात को समझने का हुनर भी बहन ही रखती है। हैप्पी रक्षा बंधन !!
कच्चे धागों में समाया हुआ है, ढेर सारा प्यार और अपनापन। भाई और बहन का प्यार लेकर फिर से आया है, सावन।। शुभ रक्षाबंधन !!
बहन कभी नहीं मांगती है, सोने-चाँदी के हार। उसे तो सिर्फ चाहिए, भाई का प्यार-दुलार।। राखी की शुभ कामनायें !!
यह लम्हा कुछ खास है, बहन के हाथों में भाई का हाथ है। ओ बहना तेरे लिए मेरे पास कुछ खास है, तेरे सुकून की खातिर मेरी बहना, तेरा भाई हमेशा तेरे साथ है।। रक्षाबंधन की शुभकामनायें!!
खुश किस्मत होती है, वो बहन जिसके सर पर भाई का हाथ होता है। लडना झगडना फिर प्यार से मनाना, तभी तो यह रिश्ता इतना प्यार होता है। हैप्पी रक्षाबंधन !!
रक्षाबंधन को छोड़कर ऐसा कौन सा त्यौहार जो की भाई बहन के प्यार को दर्शाता है?
रक्षाबंधन के तरह ही एक दूसरा त्यौहार भी है जो की भाई बहन के प्यार को दर्शाता है. इसे त्यौहार का नाम है भाईदूज. इस त्यौहार में भाई बहन के रिश्ते को मजबूती प्रदान करने के लिए मनाया जाता है.
इसमें बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती है और उनके अच्छे स्वास्थ्य की मनोकामना करती हैं. वहीँ भाई भी सदा अपने बहन के साथ खड़ा होने के प्रतिज्ञा करते हैं. वहीँ दोनों एक दुसरे को मिठाई खिलाते हैं और भाई अपने बहन को तौफे देता है.
लोग अपने पारंपरिक पोषाक धारण करते हैं जिससे की पर्व की गरिमा बनी रहे. वहीँ ये केवल भाई बहन के आपसी मेल मिलाप का ही समय नहीं होता बल्कि पूरा परिवार एक दुसरे के साथ अच्छे से रहते है।