Hamar Sangwari

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22/03/2024
27/11/2023

25/08/2023

BASTAR TRIBAL MARKET // बस्तर बजार कटेकल्याण / खुले आम लड़की भी दारू बेचती है 🍾

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Bastar Market: यूं तो बस्तर अपने आप में एक जीवन शैली है लेकिन जब आप बस्तर के हाट बाजार में जाएंगे, उसे देखेंगे तो आपको बस्तर जीवन शैली की विविधता दिखाई देगी। बस्तर संभाग के हर दस किलोमीटर में आपको अलग-अलग तरह की जीवन शैली दिखाई देगी। यहाँ के हाट बाजार में आसपास के कई गांव के लोग शामिल होते हैं। सप्ताह भर का राशन खरीदते हैं। बस्तर के हाट-बाजार में लोगों के मनोरंजन के लिए मुर्गा-लड़ाई और महुआ शराब भी उपलब्ध होता है।

धूप👇🏻
इस बाजार में साल के पेड़ों से निकाले जाने वाला धूप भी देखने को मिलता है। इसकी खुशबू काफी अच्छी होती है

सांप जैसी दिखने वाली मछलियां👇🏻
बस्तर के इस बाजार में सांप जैसी दिखने वाली मछलियां भी बिकती हैं जिसे दुडुम मछली कहते हैं। यह मछली स्वास्थय की दृष्टि से बेहद लाभकारी होती हैं। शरीर में खून बढ़ाने के लिए भी यह बहुत लाभदायक होती है।

बाजार का अलग-अलग भाग -👇🏻
इन बाजारों में सब्जियों का अलग भाग, मछलियों का अलग, कपड़ों का अलग, साज-सज्जा के सामानों का अलग भाग, शराब का अलग भाग, सूखी मछलियों का अलग भाग होता है। आदिवासियों का यह हाट बाजार बहुत सुलझा हुआ होता है।

रागी👇🏻
रागी, जिसे स्थानीय भाषा में मड़िया कहा जाता है, यह भी इस बाजार में उपलब्ध होता है। मड़िया से पेज और अन्य तरह के पकवान बनाए जाते हैं।

सूखा मछली - सुक्सी👇🏻
सूखा मछली वाले भाग में आपको विभिन्न प्रकार की सुक्सी देखने को मिलेंगी। इनमें चिंगरी, बामहीन, और कई तरह की सुक्सी देखने को मिलेंगी।

साज सज्जा के सामान👇🏻
महिलाओं द्वारा प्रयोग किय जाने वाला पाउडर, ज्वेलरी, क्रीम, पायल, चूड़ियां, इत्यादि इस हाट बाजार में मिल जाती हैं। इसके अलावा यहां अलग-अलग जनजातियों द्वारा उपयोग किया जाने वाला आदिवासी आभूषण भी मिलता है।
इलेक्ट्रॉनिक सामान
यहाँ के बाजार में बैटरी वाले लाइट, और अन्य तरह की इलेक्ट्रॉनिक सामान भी उपलब्ध होते हैं।
देवी देवताओं से जुड़े सामान
बाजार में देवी देवताओं से जुड़े सामान भी उपलब्ध होते हैं। जैसे मूर्ती, पूजा के सामन, घंटी, घुँघरू, तुर्रा(शंख) इत्यादि।

किसानी में प्रयोग किए जाने वाले औजार-👇🏻
चूँकि बस्तर प्रकृति से जुड़ा हुआ है तो जाहिर सी बात है कि यहाँ किसानी भी होती होगी। ऐसे में यहाँ किसानों के लिए फावड़ा, हंसिया, गैंती, कुल्हाड़ी, कुदाल,
इत्यादि मिलते हैं।

सूखे अंगूर की भी होती ही बिक्री-👇🏻
इस बाजार में सूखे अंगूर की भी बिक्री होती है। बता दें कि इन सूखे अंगूरों से शराब बनाई जाती है।
सूखा महुआ- बाजार में सूखा महुआ भी बेचा जाता है जिसे ग्रामीण खरीदकर शराब बनाते हैं।

हरी सब्जियां-👇🏻
इसके अलावा अन्य बजारों की तरह ही यहाँ हरी सब्जियों की बिक्री होती है। बरबट्टी, धनियां, टमाटर, मिर्च, मुनगा, गोभी, लौकी, कद्दू, सेमी इत्यादि यहाँ मिलते हैं। इसके अतिरिक्त बरसात में यहाँ फुटु, बोड़ा, करील भी बेचे जाते हैं।

महुआ शराब की भी बिक्री-👇🏻
यहाँ के बाजारों में देसी शराब यानि महुआ शराब की भी बिक्री होती है।

तीखुर-👇🏻
आपने कहीं भी तीखुर का हलवा बिकता नहीं देखा होगा। लेकिन बस्तर के बाजार में तीखुर का हलवा भी बेचा जाता है।

छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचल में कई प्रकार के रीति रिवाज वेशभूषा परंपरा रहन-सहन के साथ-साथ बोली भाषा देखने सुनने को मिलता है छत्तीसगढ़ विशेष रूप से अपनी संस्कृति के लिए गौरव का विषय है जिसे देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक पहुंचते ही रहते हैं छत्तीसगढ़ कई पर्यटन स्थलों से भरा पड़ा है चाहे वह मंदिर जलप्रपात गुफा या फिर नृत्य वेशभूषा की हो इन सभी में अग्रणी स्थान है यहां हम आपको दिखाने वाले हैं बस्तर बाजार यहां ऐसे ऐसे सामान मिलते हैं जो आपको भारत या अन्य देश में कहीं और नहीं मिले चाहे वह कपड़ा आयुर्वेदिक औषधि या खाने-पीने के समान एवं बेचने के लिए अनोखे अंदाज अधिकतर देशों में किलो के भाव में फल सब्जी वस्तु प्राप्त किया जाता है लेकिन आपको यहां एक कूड़े के भाव में मिलेगा बस्तर में विशेष रुप से कई प्रकार के दारू बनाया जाता है कई आयुर्वेदिक होते हैं यहां की सल्फी विशेष प्रसिद्ध है जो पेड़ों से निकाला जाता है ऐसे कई प्रकार के हाथों से बनाया गया दारू जो आपको आकर्षित करेंगे स्वास्थ्य के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद अगर आप इसे कम मात्रा में सेवन करते हैं सेल्फी ताड़ीरान लौंडा महुआ और इन्हें बस्तर बियर के नाम से भी जाना जाता है

In the rural areas of Chhattisgarh, many types of customs, customs, customs, customs, living habits as well as spoken language are heard. Chhattisgarh is full of many tourist places, whether it is temple, waterfall, cave or dance costumes, it is the leading place in all of them, here we are going to show you Bastar market, here you get such items which you will not find anywhere else in India or other country. Whether it is a cloth Ayurvedic medicine or a unique way to sell food and drink, fruits and vegetables are obtained in kilos in most countries, but here you will find many types of liquor, especially in Bastar, in the price of a litter. It is made, there are many ayurvedics, here sulfi is especially famous, which is extracted from trees, there are many types of hand-made liquor that will attract you, it is very beneficial for health if you consume it in small quantities Selfie Tadiran Launda Mahua and Inko Bastar Beer also known as

24/08/2023

तीरथगढ़ जलप्रपात ,जगदलपुर //TIRATHGARH JALPRAPAAT JAGDALPUR CHHATTISGARH

ये जगह के बारे में जाने 👇🏻👇🏻

इस झरने की आवाज सुन आ जाएगा मजा, 300 फीट ऊंचे सीढ़ीनुमा पहाड़ से गिरता है दुधिया पानी
Tirathgarh Waterfall: यह जलप्रपात फोटोग्राफी के शौकीन पर्यटक के लिए सबसे अच्छे स्थलों में से एक है, आसपास के खूबसूरत दृश्य मन को मोह लेते हैं साथ ही अच्छे फोटो भी आते हैं.

छत्तीसगढ़ प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है. यहां अनेकों खूबसूरत झरने हैं. उन्हीं में से एक झरना है तीरथगढ़ जलप्रपात. यह छत्तीसगढ़ के सबसे ऊंचे झरनों में से एक है. यह झरना कांगेर घाटी नेशनल पार्क में स्थित है. आसपास हरे भरे वनस्पति इस झरने की सुंदरता में चार चांद लगाते हैं. अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं तो आपको तीरथगढ़ वॉटरफॉल अवश्य जाना चाहिए. यहां जाने के बाद आपको सुखद अहसास होगा. बारिश के मौसम में यह जगह और दर्शनीय हो जाती है. वहीं पर्यटकों की बड़ी संख्या भी यहां पहुंचती है.

तीरथगढ़ वॉटरफॉल छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में जगदलपुर से लगभग 38 किलोमीटर दूर कांगेर नेशनल पार्क के पास है. कांगेर नदी की सहायक नदी मुनगा और बहार नदी इस खूबसूरत झरने का निर्माण करती है. इसकी ऊंचाई लगभग 300 फीट है और यह छत्तीसगढ़ का सबसे ऊँचा जलप्रपात है.

हजारों की संख्या में आते हैं पर्यटक
यह जलप्रपात पहाड़ी के सीढ़ीनुमा प्राकृतिक संरचनाओं पर गिरता है. इस कारण पानी दुधिया दिखाई देता है जो देखने में बहुत ही मनमोहक होता है. इस खूबसूरत झरने के अलावा यहां धार्मिक स्थल भी हैं जो भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित हैं. यहां हजारों की संख्या में पर्यटकों का आगमन होता है जो सुंदर दृश्य का लुफ्त उठाते हैं.
ऐसे पहुंचे तीरथगढ़

तीरथगढ़ जलप्रपात बिलासपुर से लगभग 450 किलोमीटर की दूरी पर है. यहां आप रायपुर, कांकेर, कोंडागांव, जगदलपुर होते हुए पहुंच सकते हैं. तीरथगढ़ में वैसे तो सालभर सैलानियों का आना जाना लगा रहता है लेकिन बारिश का मौसम यहां पर्यटकों को खास आकर्षित करता है.

फोटो के लिए शानदार जगह👇🏻
यह जलप्रपात फोटोग्राफी के शौकीन पर्यटक के लिए सबसे अच्छे स्थलों में से एक है. आसपास के खूबसूरत दृश्य मन को मोह लेते हैं साथ ही अच्छे फोटो भी आते हैं. अगर आप फोटोग्राफर है तब भी आपको अवश्य जाना चाहिए. वहीं बारिश के मौसम में यह जगह और खास हो जाती है.


17/08/2023

अंधियार झोला वॉटरफॉल / छत्तीसगढ़ की खूबसूरत झरना ! (मलेवा पहाड़) फुल डिटेल्स

: ड्रोन किराय में चाइए तो संपर्क करे👉🏻राजेंद्र यादव-7898965471 / सौरभ यादव-6264198649

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16/08/2023

विश्व आदिवासी दिवस गरियाबंद 2023 !! आदिवासियों का कल्चर देखे इस वीडियो में
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आदिवासी लोगों के बारे में जाने👇🏻👇🏻

आदिवासी शब्द दो शब्दों 'आदि' और 'वासी' से मिल कर बना है और इसका अर्थ मूल निवासी होता है। भारत की जनसंख्या का 8.6% (10 करोड़ जो 2011 जनगणना के अनुसार हैं (संस्कृत ग्रंथों में)। महात्मा गांधी ने आदिवासियों को गिरिजन (क्योंकि अधिकतर आदिवासी लोग जंगल और पहाड़ों पर रहने वाले लोग हैं, जो जल जंगल जमीन के सच्चे रखवाले हैं) कह कर पुकारा है। भारतीय संविधान में आदिवासियों के लिए 'अनुसूचित जनजाति' पद का उपयोग किया गया है। भारत के प्रमुख आदिवासी समुदायों में आंध, गोंड, खरवार, मुण्डा, खड़िया, बोडो, कोल, भील, कोली, सहरिया, संथाल, भूमिज, हो, उरांव, लोहरा, बिरहोर, पारधी, असुर, नायक, भिलाला, मीणा, धानका आदि हैं।

भारत में आदिवासियों को प्रायः 'जनजातीय लोग' के रूप में जाना जाता है। आदिवासी मुख्य रूप से भारतीय राज्यों उड़ीसा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान झारखंड नॉर्थ ईस्ट के 8 राज्य में आदिवासी में बहुसंख्यक व गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल में अल्पसंख्यक है जबकि भारतीय पूर्वोत्तर राज्यों में यह बहुसंख्यक हैं, जैसे मिजोरम। भारत सरकार ने इन्हें भारत के संविधान की पांचवी अनुसूची में " अनुसूचित जनजातियों " के रूप में मान्यता दी है। अक्सर इन्हें अनुसूचित जातियों के साथ एक ही श्रेणी " अनुसूचित जाति एवं जनजाति " में रखा जाता है।

चंदा समिति ने सन् 1960 में अनुसूचति जातियों के अंर्तगत किसी भी जाति को शामिल करने के लिये 5 मानक निर्धारित किया:

1. भौगोलिक एकाकीपन
2. विशिष्ट संस्कृति
3. पिछड़ापन
4. संकुचित स्वभाव
5. आदिम जाति के लक्षण
बहुत से छोटे आदिवासी समूह आधुनिकीकरण के कारण हो रहे पारिस्थितिकी पतन के प्रति काफी संवेदनशील हैं। व्यवसायिक वानिकी और गहन कृषि दोनों ही उन जंगलों के लिए विनाशकारी साबित हुए हैं जो कई शताब्दियों से आदिवासियों के जीवन यापन का स्रोत रहे हैं। आदिवासी समाज की समस्या 1.अशिक्षा 2.अंधविश्वास&पाखण्डवाद 3.बेरोजगारी 4.भुखमरी 5.दहेजप्रथा



वीडियो देखने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻

15/08/2023

GAODHAS WATER FALL ODISHA // गौधस झरना ओड़िशा 💦!!यहाँ जाने का रास्ता ?

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11/08/2023

विश्व आदिवासी दिवस छुरा// 💃🏻फुल महोल By Hamar Sangwari !! 🥳

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आदिवासी लोगों के बारे में जाने👇🏻👇🏻

आदिवासी शब्द दो शब्दों 'आदि' और 'वासी' से मिल कर बना है और इसका अर्थ मूल निवासी होता है। भारत की जनसंख्या का 8.6% (10 करोड़ जो 2011 जनगणना के अनुसार हैं (संस्कृत ग्रंथों में)। महात्मा गांधी ने आदिवासियों को गिरिजन (क्योंकि अधिकतर आदिवासी लोग जंगल और पहाड़ों पर रहने वाले लोग हैं, जो जल जंगल जमीन के सच्चे रखवाले हैं) कह कर पुकारा है। भारतीय संविधान में आदिवासियों के लिए 'अनुसूचित जनजाति' पद का उपयोग किया गया है। भारत के प्रमुख आदिवासी समुदायों में आंध, गोंड, खरवार, मुण्डा, खड़िया, बोडो, कोल, भील, कोली, सहरिया, संथाल, भूमिज, हो, उरांव, लोहरा, बिरहोर, पारधी, असुर, नायक, भिलाला, मीणा, धानका आदि हैं।

भारत में आदिवासियों को प्रायः 'जनजातीय लोग' के रूप में जाना जाता है। आदिवासी मुख्य रूप से भारतीय राज्यों उड़ीसा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान झारखंड नॉर्थ ईस्ट के 8 राज्य में आदिवासी में बहुसंख्यक व गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल में अल्पसंख्यक है जबकि भारतीय पूर्वोत्तर राज्यों में यह बहुसंख्यक हैं, जैसे मिजोरम। भारत सरकार ने इन्हें भारत के संविधान की पांचवी अनुसूची में " अनुसूचित जनजातियों " के रूप में मान्यता दी है। अक्सर इन्हें अनुसूचित जातियों के साथ एक ही श्रेणी " अनुसूचित जाति एवं जनजाति " में रखा जाता है।

चंदा समिति ने सन् 1960 में अनुसूचति जातियों के अंर्तगत किसी भी जाति को शामिल करने के लिये 5 मानक निर्धारित किया:

1. भौगोलिक एकाकीपन
2. विशिष्ट संस्कृति
3. पिछड़ापन
4. संकुचित स्वभाव
5. आदिम जाति के लक्षण
बहुत से छोटे आदिवासी समूह आधुनिकीकरण के कारण हो रहे पारिस्थितिकी पतन के प्रति काफी संवेदनशील हैं। व्यवसायिक वानिकी और गहन कृषि दोनों ही उन जंगलों के लिए विनाशकारी साबित हुए हैं जो कई शताब्दियों से आदिवासियों के जीवन यापन का स्रोत रहे हैं। आदिवासी समाज की समस्या 1.अशिक्षा 2.अंधविश्वास&पाखण्डवाद 3.बेरोजगारी 4.भुखमरी 5.दहेजप्रथा



:THANKS FOR WATCHING…

06/08/2023

: ड्रोन किराय में चाइए तो संपर्क करे👉🏻राजेंद्र यादव-7898965471 / सौरभ यादव-6264198649

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Full video link👇🏻
https://youtu.be/AjPqdcSQCgo





THANKS FOR WATCHING…

24/06/2023

मछली पकड़ने का तरीका 😳🐠🐠

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493996

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