Ganpati Group of Institutions

Ganpati Group of Institutions offers B.Pharmacy, D.Pharmacy, Diploma Polytechnic and Bachelor of Education (B.ed)

17/09/2024

ॐ श्री गणेशाय नमः॥

केंद्रीय युवा कल्याण व खेल राज्य मंत्री ने आज #दिल्ली में #समरसता #गणेश जी के दर्शन कर, आरती में शामिल होकर बाप्पा का आशीर्वाद लिया।
विघ्नहर्ता श्री गणेश जी का आशीर्वाद सदैव सभी पर बना रहे।


 #राष्ट्रीय_स्वयंसेवक_संघ के स्वयंसेवको द्वारा नित्यप्रति की जाने वाली  #प्रार्थना का हिंदी अनुवाद 🚩नमस्ते सदा वत्सले मा...
14/09/2024

#राष्ट्रीय_स्वयंसेवक_संघ के स्वयंसेवको द्वारा नित्यप्रति की जाने वाली #प्रार्थना का हिंदी अनुवाद 🚩

नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे,
त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोsहम्।

हे प्यार करने वाली मातृभूमि! मैं तुझे सदा (सदैव) नमस्कार करता हूँ। तूने मेरा सुख से पालन-पोषण किया है।

महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे,
पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते।। १।।

हे महामंगलमयी पुण्यभूमि! तेरे ही कार्य में मेरा यह शरीर अर्पण हो। मैं तुझे बारम्बार नमस्कार करता हूँ।

प्रभो शक्ति मन्हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता,
इमे सादरं त्वाम नमामो वयम्
त्वदीयाय कार्याय बध्दा कटीयं,
शुभामाशिषम देहि तत्पूर्तये।

हे सर्वशक्तिशाली परमेश्वर! हम हिन्दूराष्ट्र के सुपुत्र तुझे आदर सहित प्रणाम करते है। तेरे ही कार्य के लिए हमने अपनी कमर कसी है। उसकी पूर्ति के लिए हमें अपना शुभाशीर्वाद दे।

अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिम,
सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत्,
श्रुतं चैव यत्कण्टकाकीर्ण मार्गं,
स्वयं स्वीकृतं नः सुगं कारयेत्।। २।।

हे प्रभु! हमें ऐसी शक्ति दे, जिसे विश्व में कभी कोई चुनौती न दे सके, ऐसा शुद्ध चारित्र्य दे जिसके समक्ष सम्पूर्ण विश्व नतमस्तक हो जाये। ऐसा ज्ञान दे कि स्वयं के द्वारा स्वीकृत किया गया यह कंटकाकीर्ण मार्ग सुगम हो जाये।

समुत्कर्षनिःश्रेयसस्यैकमुग्रं,
परं साधनं नाम वीरव्रतम्
तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा,
हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्राsनिशम्।

उग्र वीरव्रती की भावना हम में उत्स्फूर्त होती रहे, जो उच्चतम आध्यात्मिक सुख एवं महानतम ऐहिक समृद्धि प्राप्त करने का एकमेव श्रेष्ठतम साधन है। तीव्र एवं अखंड ध्येयनिष्ठा हमारे अंतःकरणों में सदैव जागती रहे।

विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर्,
विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम्।
परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रं,
समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम्।। ३।। ।।

हे माँ तेरी कृपा से हमारी यह विजयशालिनी संघठित कार्यशक्ति हमारे धर्म का सरंक्षण कर इस राष्ट्र को वैभव के उच्चतम शिखर पर पहुँचाने में समर्थ हो।

भारत माता की जय।.. 🚩
RSS: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

 #हिन्दी  #भाषा की  #प्रख्यात  #साहित्‍यकार '  #पद्म_विभूषण '  #महादेवी_वर्मा की  #पुण्यतिथि पर  #विनम्र  #श्रद्धांजलि 💐...
11/09/2024

#हिन्दी #भाषा की #प्रख्यात #साहित्‍यकार ' #पद्म_विभूषण ' #महादेवी_वर्मा की #पुण्यतिथि पर #विनम्र #श्रद्धांजलि 💐💐💐

Boosting R&D like never before❗A massive Rs 50,000 crore investment over 5 years (2023-28) to fuel innovation and resear...
10/09/2024

Boosting R&D like never before❗

A massive Rs 50,000 crore investment over 5 years (2023-28) to fuel innovation and research.




MyGovIndia

Tackling Real-World Challenges with Speed and Innovation❗ANRF’s Interdisciplinary Research Centres are set to address ec...
10/09/2024

Tackling Real-World Challenges with Speed and Innovation❗

ANRF’s Interdisciplinary Research Centres are set to address economic, environmental, and social issues with a rapid, innovative approach.
Enhancing science integration with humanities, attracting investments, and streamlining research processes.




MyGovIndia

Elevating Research to New Heights❗Backing Basic Research Projects, offering Early Career Support through Grants & Fellow...
10/09/2024

Elevating Research to New Heights❗

Backing Basic Research Projects, offering Early Career Support through Grants & Fellowships, and fostering International Collaboration for Indian researchers.

Empowering the next wave of innovation❗




MyGovIndia

Turning Research into Real-World Impact!Breaking down barriers between academic research and industry applications. We’r...
10/09/2024

Turning Research into Real-World Impact!

Breaking down barriers between academic research and industry applications. We’re ensuring promising discoveries become market-ready products, uniting key stakeholders and boosting funding and investments.




MyGovIndia

Leading the way in research excellence with World-Class Centres❗Introducing Centre of Excellence—bringing premier resear...
10/09/2024

Leading the way in research excellence with World-Class Centres❗

Introducing Centre of Excellence—bringing premier research hubs to the forefront. Enjoy flexible, transparent funding and an “Ease of Doing Research” approach to drive innovation.




MyGovIndia

Igniting the Future with Mission Mode Funding❗Elevating India’s global competitiveness through collaborative, mission-dr...
10/09/2024

Igniting the Future with Mission Mode Funding❗

Elevating India’s global competitiveness through collaborative, mission-driven innovation.




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Bridging Science, Tech, and Academia!Introducing Partnerships for Accelerated Innovation and Research (PAIR)—fostering u...
10/09/2024

Bridging Science, Tech, and Academia!

Introducing Partnerships for Accelerated Innovation and Research (PAIR)—fostering unique collaborations between top-tier institutions and universities. Together, we’re creating a transformative research environment, fast-tracking progress with a Hub and Spoke framework.




MyGovIndia

𝐓𝐡𝐞 𝐝𝐚𝐰𝐧 𝐨𝐟 𝐚 𝐧𝐞𝐰 𝐞𝐫𝐚 𝐢𝐧 𝐈𝐧𝐝𝐢𝐚𝐧 𝐫𝐞𝐬𝐞𝐚𝐫𝐜𝐡 𝐢𝐬 𝐡𝐞𝐫𝐞 𝐰𝐢𝐭𝐡 𝐭𝐡𝐞 𝐀𝐧𝐮𝐬𝐚𝐧𝐝𝐡𝐚𝐧 𝐍𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧𝐚𝐥 𝐑𝐞𝐬𝐞𝐚𝐫𝐜𝐡 𝐅𝐨𝐮𝐧𝐝𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧 (𝐀𝐍𝐑𝐅)!Today, PM  lead...
10/09/2024

𝐓𝐡𝐞 𝐝𝐚𝐰𝐧 𝐨𝐟 𝐚 𝐧𝐞𝐰 𝐞𝐫𝐚 𝐢𝐧 𝐈𝐧𝐝𝐢𝐚𝐧 𝐫𝐞𝐬𝐞𝐚𝐫𝐜𝐡 𝐢𝐬 𝐡𝐞𝐫𝐞 𝐰𝐢𝐭𝐡 𝐭𝐡𝐞 𝐀𝐧𝐮𝐬𝐚𝐧𝐝𝐡𝐚𝐧 𝐍𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧𝐚𝐥 𝐑𝐞𝐬𝐞𝐚𝐫𝐜𝐡 𝐅𝐨𝐮𝐧𝐝𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧 (𝐀𝐍𝐑𝐅)!

Today, PM leads the Inaugural Governing Board Meeting of the ANRF.

Here are some of the groundbreaking announcements that will revolutionize the research landscape in India.




MyGovIndia

07/09/2024

समस्त देशवासियों को #गणेश_चतुर्थी 🚩 की हार्दिक शुभकामनाएं।

🏵️ #गणपति_बाप्पा_मोरया 🏵️

25/08/2024
24/08/2024
10/07/2024

#पतंजलि वाले #बाबा अब #आईटी में हाथ आजमाएंगे।🤔
बाबा रे बाबा पहले तो सिर्फ #मेडिसिन #लॉबी वाले पीछे पड़े थे, यहां तो न जाने कौन-कौन पीछे पड़ जाएगा❓

हमारे गौरव शाली इतिहास को हमारे सामने तोड़ मरोड़ के पेश किया गया ताकि हम वही माने जो वो हमको बता रहे हैं इसका एक जीता जा...
28/06/2024

हमारे गौरव शाली इतिहास को हमारे सामने तोड़ मरोड़ के पेश किया गया ताकि हम वही माने जो वो हमको बता रहे हैं इसका एक जीता जागता उदाहरण यह है:-
👇👇👇👇

#टॉर्च का #आविष्कार

हमें हमेशा यह बताया गया कि टॉर्च का आविष्कार एक ब्रिटिश डेविड मिशेल ने 1899 में किया .....

यह तथ्य अब संदेह के घेरे में जाता दिख रहा है वह इसलिए कि इसके 124 वर्ष पहले की कोटाशैली की 1775 ई. की हिंदुस्तान की एक पेंटिंग The Walters Art Museum Baltimore USA में रखी हुई मिली है, जिसमें एक शिकारी को हिरणों का शिकार करते हुए दिखाया गया है और एक स्त्री हिरणों पर टॉर्च पर प्रकाश फेंकते हुए शिकारी का मार्गदर्शन कर रही है ....!!

हमारे धन संपत्ति के साथ इन विदेशियों ने हमारा ज्ञान-विज्ञान तकनीक आदि भी सब कुछ चुराया है।
और इससे भी अधिक प्राचीन प्रमाण वैदिक काल के मिस्र के इतिहास के है ।।
दूसरी 5000-7000 वर्ष पूर्व हुई नक्काशी है, यह ठीक वैसी ही आकृति है, जो कभी बल्ब हुआ करती थी....!!

IIT-M researchers develop zinc-air batteries as alternative to lithium-ion batteriesResearchers at the Indian Institute ...
03/06/2022

IIT-M researchers develop zinc-air batteries as alternative to lithium-ion batteries

Researchers at the Indian Institute of Technology, Madras (IIT-M) are developing zinc-air batteries as an alternative to lithium-ion batteries for use in electric vehicles.

IIT-M researches,according to information available have already applied for patents for the technology.

A senior researcher at IIT-M who is in the know of things told IANS that the zinc-air batteries are economical and have a longer shelf life and this makes them useful in two and three-wheeler electric vehicles.

Researchers are also advocating for separate zinc-air recharge stations similar to petrol stations and zinc-air battery users can swap their used and empty batteries with the charged ones.

This is a major advantage of the zinc-air batteries as lithium-ion batteries have to be replaced in total with a charged lithium-ion battery and lead to double the capital investment when compared to zinc-air batteries.

The research team of IIT-Madras is also planning to recharge used ‘zinc cassettes’ through solar panels.

Researchers said that the zinc-air batteries are safe as they don’t catch fire as the batteries use aqueous electrolytes.

A senior researcher in the Chemical Engineering department of IIT-Madras said that zinc is available in large volumes in the country and said that his team was developing a futuristic model of zinc-air batteries for Electric Vehicles.

 #वीरशिरोमणी, मेवाड़ी सरदार महाराणा प्रताप जी व महावीर छत्रसाल जी की जयंती पर शत् - शत् नमन💐💐💐💐💐💐💐
02/06/2022

#वीरशिरोमणी, मेवाड़ी सरदार महाराणा प्रताप जी व महावीर छत्रसाल जी की
जयंती पर शत् - शत् नमन💐💐💐💐💐💐💐

आज देवी अहिल्या बाई होल्कर की जयंती है...मालवा के शासक मल्हारराव होलकर अपने पुत्र खंडेराव की स्थिति से अत्यंत परेशान थे....
31/05/2022

आज देवी अहिल्या बाई होल्कर की जयंती है...

मालवा के शासक मल्हारराव होलकर अपने पुत्र खंडेराव की स्थिति से अत्यंत परेशान थे. उन्हें यह प्रतीत होता था कि उनका पुत्र उनके जैसा वीर नहीं है, आखिर कैसे चलेगा वंश! कैसे कोई आगे आकर उनकी गद्दी सम्हालेगा? क्या होगा यदि शत्रुओं ने आक्रमण कर दिया? इन्हीं ऊहापोह में दिन कट रहे थे. फिर एक दिन वह कहीं जा रहे थे, चौन्दी गाँव में ठहर गए! अचानक से ही एक आरती सुनकर वह मंत्रमुग्ध हो गए! ऐसा मधुर एवं आकर्षक स्वर जिसे सुनकर कोई भी गाँववासी स्वयं के कदम नहीं थाम पा रहा था. वह भी मदहोश से चल पड़े. मल्हरराव ने चित्त पर नियंत्रण पाते हुए किसी से पूछा तो मंत्रमुग्ध श्रोता ने उत्तर दिया प्रतीत होता है कि आप यहाँ नए हैं, यह हमारी अहिल्या है!”

अहिल्या! आह! कितना मधुर नाम है! ध्वनि में कितनी दृढता है, स्वर कितना सधा हुआ, देवी स्तुति के समय कितना तेज है! आह, यही मेरे पुत्र के लिए उचित है! दस-बारह बरस की बालिका ने मल्हरराव को एक दिशा दे दी! इतनी तेजस्वी बालिका, यही मेरे परिवार के लिए उचित है! मल्हरराव जैसे एक निर्णय लेकर उसके घर पहुँच गए! और इस प्रकार गाँव का तेजस्वी स्वर मालवा के महल में गूंजने लगा!

बालिका अहिल्या, मालवा की वधु अहिल्याबाई हो गईं! अहिल्या ने शीघ्र ही अपने श्वसुर की सहायता शासन के कार्यों में करनी आरम्भ कर दी! जटिल कार्यों को चुटकी में हल निकालते देखकर मल्हर राव चकित रह जाते और उन्हें अपने निर्णय पर गर्व होता! परन्तु नियति में कुछ और ही लिखवाकर लाईं थी अहिल्या बाई! वर्ष 1754 में 29 बरस की आयु में उनके पति खंडेराव का निधन हो गया एवं उन्होंने सती होने का निर्णय लिया! परन्तु उनके श्वसुर ने उन्हें सती न होने दिया! अहिल्याबाई ने पुत्र बनकर उनकी सेवा का प्रण लिया! उसके उपरान्त अहिल्याबाई ने राजकाज का कार्य अपने कन्धों पर ले लिया! और अपने पुत्र का राजतिलक किया! परन्तु सच्चे व्यक्तियों के जीवन में परीक्षा अधिक होती हैं और उनके पुत्र का भी निधन हो गया! गद्दी पर कोई उत्तराधिकारी न देखकर शत्रुओं की नज़र शीघ्र ही मालवा पर जम गयी! परन्तु यह तलवार म्यान में रखने के लिए नहीं थी, अहिल्याबाई का स्वर अवश्य मधुर था, परन्तु हाथी की सवारी उन्होंने महल की शोभा के लिए नहीं सीखी थी. तुकोजी होलकर को सेनापति नियुक्त किया. एवं गद्दी पर स्वयं बैठीं.

अहिल्याबाई ने अपने शासनकाल में कई दुर्गों एवं सड़कों का निर्माण कराया. जनता से प्रत्यक्ष सम्वाद किया. उनके लिए उनका कर्म ही उनका ईश्वर था. मंदिरों का जीर्णोद्धार करवाया. मात्र मालवा के ही नहीं बल्कि उनके लिए हर तीर्थ स्थान पूज्य था, उन्होंने काशी, गया, सोमनाथ, अयोध्या आदि के मंदिरों को भी दान दिए! साहित्य के प्रति उनके ह्रदय में अनुराग था. उन्होंने अपने द्वार सरस्वती के उपासकों के लिए खोल रखे थे, जैसे मोरोपंत, खुशाली राम.

13 अगस्त 1795 को जब उनका देहांत हुआ, तब तक वह स्वतंत्र स्त्री, स्वतंत्र शासिका के रूप में अपना नाम दर्ज करा चुकी थीं! बार बार उन्होंने हंस कर कहा “भारत की स्त्री कभी दास नहीं होती!”

 #मुंशीप्रेमचंद जी की अपनी पत्नी के साथ फोटो जिसमें उन्होंने फटे जूते पहने हुए हैं. इस फोटो को देखकर हरिशंकर परसाई जी ने...
28/05/2022

#मुंशीप्रेमचंद जी की अपनी पत्नी के साथ फोटो जिसमें उन्होंने फटे जूते पहने हुए हैं.
इस फोटो को देखकर हरिशंकर परसाई जी ने एक लेख लिखा था
जिसमें उन्होंने कहा था "सोचता हूँ—फोटो खिंचवाने की अगर यह पोशाक है,
तो रोजाना पहनने की कैसी होगी?

नहीं, इस आदमी की अलग-अलग पोशाकें नहीं होंगी—
इसमें पोशाकें बदलने का गुण नहीं है।
यह जैसा है, वैसा ही फोटो में खिंच जाता है।
यह पोशाक बदल भी नहीं सकता
क्योंकि इसने भारत की जनता के मर्म को छुआ है
इस की पोशाक के पीछे गोदान जैसे महाकाव्य की आदरांजली भी तो है...

 #आपको_ताजमहल_अजूबा_लगता_है,तो यह पढ़िए बारिश की पूर्व सूचना देता है  #कानपुर का  #जगन्नाथ मंदिर ।क्या आप कल्पना कर सकते ...
28/05/2022

#आपको_ताजमहल_अजूबा_लगता_है,तो यह पढ़िए बारिश की पूर्व सूचना देता है #कानपुर का #जगन्नाथ मंदिर ।

क्या आप कल्पना कर सकते हैं किसी ऐसे भवन की जिसकी छत चिलचिलाती धूप में टपकने लगे बारिश की शुरुआत होते ही जिसकी छत से पानी टपकना बंद हो जाए।

ये घटना है तो हैरान कर देने वाली लेकिन सच है उत्तर प्रदेश की औद्योगिक नगरी कहे जाने वाले कानपुर जनपद के भीतरगांव विकास खंड से ठीक तीन किलोमीटर की दूरी पर एक गांव है बेहटा।

यहीं पर है धूप में छत से पानी की बूंदों के टपकने और बारिश में छत के रिसाव के बंद होने का रहस्य।

यह घटनाक्रम किसी आम ईमारत या भवन में नहीं बल्कि यह होता है भगवान जगन्नाथ के अति प्राचीन मंदिर में
छत टपकने से हो जाती है बारिश की आहट -

ग्रामीण बताते हैं कि बारिश होने के छह-सात दिन पहले मंदिर की छत से पानी की बूंदे टपकने लगती हैं इतना ही नहीं जिस आकार की बूंदे टपकती हैं उसी आधार पर बारिश होती है।

अब तो लोग मंदिर की छत टपकने के संदेश को समझकर जमीनों को जोतने के लिए निकल पड़ते हैं हैरानी में डालने वाली बात यह भी है कि जैसे ही बारिश शुरु होती है छत अंदर से पूरी तरह सूख जाती है।

वैज्ञानिक भी नहीं जान पाए रहस्य -
मंदिर की प्राचीनता व छत टपकने के रहस्य के बारे में मंदिर के पुजारी बताते हैं कि पुरातत्व विशेषज्ञ एवं वैज्ञानिक कई दफा आए लेकिन इसके रहस्य को नहीं जान पाए हैं। अभी तक बस इतना पता चल पाया है कि मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य 11वीं सदी में किया गया।

मंदिर की बनावट बौद्ध मठ की तरह है। इसकी दिवारें 14 फीट मोटी हैं। जिससे इसके सम्राट अशोक के शासन काल में बनाए जाने के अनुमान लगाए जा रहे हैं ।वहीं मंदिर के बाहर मोर का निशान व चक्र बने होने से चक्रवर्ती सम्राट हर्षवर्धन के कार्यकाल में बने होने के कयास भी लगाए जाते हैं । लेकिन इसके निर्माण का ठीक-ठीक अनुमान अभी नहीं लग पाया है।

भगवान जगन्नाथ का यह मंदिर अति प्राचीन है। मंदिर में भगवान जगन्नाथ बलदाऊ व सुभद्रा की काले चिकने पत्थरों की मूर्तियां विराजमान हैं। प्रांगण में सूर्यदेव और पद्मनाभम की मूर्तियां भी हैं। जगन्नाथ पुरी की तरह यहां भी स्थानीय लोगों द्वारा भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकाली जाती है लोगों की आस्था मंदिर के साथ गहरे से जुड़ी है। लोग दर्शन करने के लिए आते रहते हैं ।

 #अयोध्या में निर्माणाधीन श्री राम जन्मभूमि मंदिर की प्रगति रिपोर्ट (23 मई, 2022 तक की स्थिति)(1) मेसर्स लार्सन एंड टुब्...
24/05/2022

#अयोध्या में निर्माणाधीन श्री राम जन्मभूमि मंदिर की प्रगति रिपोर्ट (23 मई, 2022 तक की स्थिति)

(1) मेसर्स लार्सन एंड टुब्रो (एल एंड टी) मंदिर और परकोटा (प्राचीर) के निर्माण के लिए ठेकेदार नियुक्त हैं ॥ टाटा कंसल्टेंट इंजीनियर्स (टीसीई) परियोजना प्रबंधन सलाहकार नियुक्त हैं ॥ और चार इंजीनियर हैं श्री जगदीश आफले पुणे आईआईटी-मुंबई, गिरीश सहस्त्रभुजनी गोवा आईआईटी-मुंबई, जगन्नाथजी औरंगाबाद, अविनाश संगमनेरकर नागपुर ये सभी ट्रस्ट की ओर से स्वयंप्रेरणा स्वेच्छा से सेवा दे रहे हैं ॥

(2) 05 अगस्त, 2020 को, भारत के माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भविष्य के मंदिर के गर्भगृह (गर्भगृह) स्थल पर पूजा करके निर्माण कार्य को गति प्रदान की थी ॥

(3) एल एंड टी ने भविष्य के मंदिर की नींव के लिए एक डिजाइन का प्रारूप बनाया था , उसके अनुरूप परीक्षण किया गया था, परंतु आशानुरूप परिणाम नहीं आए तो इस विचार को स्थगित कर दिया गया , यह परीक्षण अगस्त-सितंबर-अक्टूबर, 2020 में किया गया था।

(4) नवंबर-2020 के महीने में, निदेशक (सेवानिवृत्त)-आईआईटी-दिल्ली की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था। समिति के अन्य सदस्य निदेशक (वर्तमान)-आईआईटी-गुवाहाटी, निदेशक (वर्तमान)-एनआईटी-सूरत, दिल्ली, मुंबई और चेन्नई के आईआईटी के प्रोफेसर, निदेशक-सीबीआरआई-रुड़की, एलएंडटी और टीसीई की ओर से वरिष्ठ इंजीनियर थे , निर्माण समिति के अध्यक्ष श्री नृपेंद्र मिश्र की प्रेरणा से यह विशेषज्ञ समिति बनी थी।

(5) जीपीआर सर्वेक्षण - नवंबर-2020 के महीने में, नेशनल जियो रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनजीआरआई)-हैदराबाद से अनुरोध किया गया था कि वह निर्माण स्थल पर जमीन का अध्ययन करके और अपनी रिपोर्ट प्रदान करे ताकि नींव के डिजाइन को तय करने में मदद हो सके। एनजीआरआई ने जीपीआर तकनीक का उपयोग करते हुए भू-सर्वेक्षण किया और क्षेत्र की खुली खुदाई करके भूमि के नीचे का मलबा और ढीली मिट्टी को हटाने का सुझाव दिया। यह जीपीआर सर्वेक्षण नवंबर-दिसंबर 2020 में आयोजित किया गया था।

(6) उत्खनन - निर्धारित मंदिर स्थल और उसके आसपास लगभग छह एकड़ भूमि से लगभग 1.85 लाख घन मीटर मलबा और पुरानी ढीली मिट्टी को हटाया गया। इस काम में करीब 3 महीने (जनवरी-फरवरी-मार्च, 2021) लगे। यह स्थल एक विशाल खुली खदान की तरह दिखता था - गर्भगृह में 14 मीटर की गहराई और उसके चारों ओर 12 मीटर की गहराई वाला मलबा व बालू हटाई गई ॥ एक बड़ा गहरा गड्ढा बन गया।

(7) बैक-फिलिंग और मिट्टी को सुदृढ़ करने के लिए रोलर कॉम्पैक्ट कंक्रीट (आरसीसी) का उपयोग - चेन्नई आईआईटी के प्रोफेसरों ने इस विशाल गड्ढे को भरने के लिए विशेष इंजीनियरिंग मिश्रण का सुझाव दिया। आरसीसी कंक्रीट को सुझाई गई विधि परत दर परत के रूप में कंक्रीट डालना था। 12 इंच की एक परत को 10 टन भारी क्षमता वाले रोलर द्वारा 10 इंच तक दबाया जाता था। घनत्व मापा जाता था ॥ गर्भगृह में 56 परत और शेष क्षेत्र में 48 परतों को डाला गया। इसे पूरा होने में अप्रैल 2021 से सितंबर 2021 तक लगभग 6 महीने लगे । उक्त फिलिंग को 'मिट्टी सुदृढ़ीकरण द्वारा भूमि सुधार' नाम दिया गया ॥

(7) मानव निर्मित चट्टान - यह कहा जा सकता है कि मिट्टी के भीतर एक विशाल मानव निर्मित चट्टान,कम से कम 1,000 वर्षों के लिए दीर्घायु और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए बनाई है ॥

(8) अक्टूबर 2021 - जनवरी 2022 के मध्य भूमिगत RCC की ऊपरी सतह पर, और अधिक उच्च भार वहन क्षमता की एक और 1.5 मीटर मोटी सेल्फ-कॉम्पैक्टेड कंक्रीट RAFT (लगभग 9,000 क्यूबिक मीटर मात्रा में) को 9MtrX 9Mtr के आकार के खंडों में बैचिंग प्लांट, बूम प्लेसर मशीन और मिक्सर का उपयोग करके डाला गया था। । RAFT के निर्दोष निर्माण के इस चरण में IIT-कानपुर के एक प्रोफेसर और परमाणु रिएक्टर से जुड़े एक वरिष्ठ इंजीनियर ने भी योगदान दिया।

(9) हम कह सकते हैं कि RCCऔर RAFT दोनों संयुक्त रूप से, भविष्य के मंदिर सुपर-स्ट्रक्चर की नींव के रूप में कार्य करेंगे। देश के प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थानों और संगठनों के सामूहिक विमर्श का यह परिणाम है। इस RAFT को पूरा होने में चार महीने लगे (Oct.21-Jan.2022)

(10) प्लिंथ कार्य - मंदिर के फर्श / कुर्सी को ऊंचा करने का कार्य 24 जनवरी 22 , को शुरू हुआ और यह अभी भी प्रगति पर है। प्लिंथ को RAFT की ऊपरी सतह के ऊपर 6.5 मीटर की ऊंचाई तक उठाया जाएगा। । प्लिंथ को ऊंचा करने के लिए कर्नाटक और तेलंगाना के ग्रेनाइट पत्थर के ब्लॉक का इस्तेमाल किया जा रहा है। एक ब्लॉक की लंबाई 5 फीट, चौड़ाई 2.5 फीट और ऊंचाई 3 फीट है। इस कार्य में लगभग 17,000 ग्रेनाइट ब्लॉकों का उपयोग किया जाएगा। सितंबर, 2022 के अंत तक प्लिंथ को ऊंचा करने का काम पूरा होने की अपेक्षा है।

(11) बहुत शीघ्र गर्भगृह और उसके आसपास नक्काशीदार बलुआ पत्थरों को रखना प्रारम्भ होगा । प्लिंथ का काम और नक्काशीदार पत्थरों की स्थापना एक साथ जारी रहेगी। राजस्थान के भरतपुर जिले में बंसी-पहाड़पुर क्षेत्र की पहाड़ियों से गुलाबी बलुआ पत्थरों का उपयोग मंदिर निर्माण में किया जा रहा है। मंदिर में करीब 4.70 लाख क्यूबिक फीट नक्काशीदार पत्थरों का इस्तेमाल किया जाएगा। राजस्थान में सिरोही जिले के पिंडवाड़ा कस्बे में नक्काशी स्थल से नक्काशीदार पत्थर अयोध्या पहुंचने लगे हैं।

(12) मंदिर के गर्भगृह क्षेत्र के अंदर राजस्थान की मकराना पहाड़ियों के सफेद संगमरमर का प्रयोग किया जाएगा। मकराना संगमरमर की नक्काशी का कार्य प्रगति पर है और इनमें से कुछ नक्काशीदार संगमरमर के ब्लॉक भी अयोध्या पहुंचने लगे हैं।

(13) परकोटा-आच्छादित बाहरी परिक्रमा मार्ग-- मंदिर निर्माण क्षेत्र और उसके प्रांगण के क्षेत्र सहित कुल 8 एकड़ भूमि को घेरते हुए एक आयताकार दो मंजिला परिक्रमा मार्ग परकोटा बनेगा , इसी के पूर्व भाग में प्रवेश द्वार होगा। इसे भी बलुआ पत्थर से बनाया जाएगा। यह परकोटा भीतरी भूतल से 18 फीट ऊंचा है और चौड़ाई में 14 फीट होगा। इस परकोटा में भी 8 से 9 लाख घन फीट पत्थर का उपयोग होगा।

(14) कुल पत्थर की मात्रा - इस मंदिर परियोजना में - परकोटा (नक्काशीदार बलुआ पत्थर) के लिए उपयोग किए जाने वाले पत्थरों की मात्रा लगभग 8 से 9 लाख क्यूबिक फीट है, 6.37 लाख घन फीट बिना नक्काशी वाला ग्रेनाइट प्लिंथ के लिए, लगभग 4.70 लाख क्यूबिक फीट नक्काशीदार गुलाबी बलुआ पत्थर मंदिर के लिए, 13,300 घन फीट मकराना सफेद नक्काशीदार संगमरमर गर्भगृह निर्माण के लिए और 95,300 वर्ग फुट फर्श और क्लैडिंग के लिए प्रयोग किया जाएगा।

(15) रिटेनिंग वॉल - मंदिर के चारों ओर मिट्टी के कटान को रोकने और भविष्य में संभावित सरयू बाढ़ से बचाने के लिए दक्षिण , पश्चिम और उत्तर में रिटेनिंग वॉल का निर्माण भी चल रहा है। सबसे निचले तल पर इस वॉल की चौड़ाई 12 मीटर है और नीचे से इस वॉल की कुल ऊंचाई लगभग 14 मीटर होगी। यह ध्यान रखना आवश्यक है कि मंदिर के पूर्व से पश्चिम की ओर के स्तरों में 10 मीटर का अंतर है अर्थात पूर्व की ओर से पश्चिम की ओर ढलान है।

(16) वर्तमान में सभी गतिविधियां एक साथ प्रगति पर हैं, उदाहरण के लिए, गर्भगृह के चारों ओर प्लिंथ और नक्काशीदार गुलाबी बलुआ पत्थर के ब्लॉकों की स्थापना, पिंडवाड़ा में गुलाबी बलुआ पत्थरों की नक्काशी, मकराना मार्बल्स की नक्काशी और आरसीसी रिटेनिंग वॉल निर्माण आदि। मंदिर का यह निर्माण कार्य निश्चित ही एक इंजीनियरिंग चमत्कार कहा जायेगा ॥

(17) प्रथम चरण में एक तीर्थ सुविधा केंद्र लगभग 25,000 तीर्थयात्रियों को आवश्यक सुविधाएं प्रदान करेगा। इसे पूर्व की दिशा में मंदिर पहुंच मार्ग के निकट बनाया जाएगा।

(18) भगवान वाल्मीकि, केवट, माता शबरी, जटायु, माता सीता, विघ्नेश्वर (गणेश) और शेषावतार (लक्ष्मण) के मंदिर भी योजना में हैं और इन्हें कुल 70 एकड़ क्षेत्र के भीतर परन्तु परकोटा के बाहर मंदिर के आसपास के क्षेत्र में निर्माण किया जायेगा ॥

(19) मंदिर के आयाम:
(i) भूतल पर पूर्व-पश्चिम दिशा में लंबाई - 380 फीट।
(ii) भूतल पर उत्तर-दक्षिण दिशा में चौड़ाई - 250 फीट।
(iii) गर्भगृह पर जमीन से शिखर की ऊंचाई - 161 फीट
(iv) बलुआ पत्थर के स्तंभ- भूतल-166; प्रथम तल -144; दूसरा तल - 82 (कुल-392)

(v) आम तौर पर हर महीने निर्माण समिति सभी इंजीनियरों और वास्तुकारों के साथ श्री नृपेंद्र मिश्राजी की अध्यक्षता में 2 से 3 दिनों तक बैठती है और प्रत्येक विवरण पर बहुत बारीकी से चर्चा करती है। श्री सी.बी. सोमपुरा, अहमदाबाद मंदिर और परकोटा के वास्तुकार हैं, जबकि श्री जय काकतीकर (डिजाइन एसोसिएट्स, नोएडा) परकोटा से बाहर के शेष क्षेत्र के लिए वास्तुकार हैं।

(20) श्री राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण समग्र, परोपकारी और समकालिक संस्कृति पर आधारित सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की रक्षा, संरक्षण और बढ़ावा देने के लिए एक ऐतिहासिक कार्य है। यह देश की राष्ट्रीय एकता और अखंडता को सुनिश्चित करेगा। आने वाली पीढ़ियां इसे सांस्कृतिक स्वतंत्रता और राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के लिए अग्रणी कार्य के रूप में देखेंगी।
प्रस्तुति द्वारा — ( क ) श्री नृपेंद्र मिश्र , अध्यक्ष श्री राम जन्मभूमि मन्दिर निर्माण समिति ( ख) चम्पत राय , महामन्त्री , श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र
#श्रीरामजन्मभूमि #श्रीराम_मंदिर

10/05/2022

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काल तत्व और उसकी गणना जगत के रचयिता चतुर्मुख ब्रह्मदेव की उत्पत्ति में आरम्भ होती है। यह ज्ञान हमें वैदिक ग्रन्थ, सूर्य ...
03/05/2022

काल तत्व और उसकी गणना जगत के रचयिता चतुर्मुख ब्रह्मदेव की उत्पत्ति में आरम्भ होती है। यह ज्ञान हमें वैदिक ग्रन्थ, सूर्य सिद्धान्त (१.१२ से १.२४ तक) और मनुस्मृति (१:६४ से १:७३ तक) से प्राप्त होता है।

तदनुसार,

◆ चतुर्मुख ब्रह्मदेव की आयु १०० वर्ष की है। उनके एक वर्ष में ३६० दिन होते हैं और उनकी आयु ३६० x १०० = ३६००० दिन है।

◆ चतुर्मुख ब्रहादेव का एक दिन एक कल्प है और एक रात एक (अल्प) प्रळय है। उनका एक दिवस = ४३२ करोड मनुष्य वर्ष (४.३२ बिलियन वर्ष)।

◆ हर एक कल्प के अन्त में अल्प प्रळय होता है, समस्तजगत अव्यक्त में हो जाता है (जैसे मनुष्य के सुषुप्ति में पूर्ण जगत समा जाता है)। पुनः अगले कल्प प्रारम्भ से नया जगत प्रकट होता है।
◆ चतुर्मुख ब्रह्मदेव की जीवक लीला की समाप्ति महाप्रलय कहलाती है जहाँ ब्रह्मा अन्तर्निहित

परब्रह्म में विलीन हो जाता है।

◆ यह अव्यक्त - व्यक्त का चक्र अनन्त है। अतएव, काल तत्व चक्राकार स्वरूप अपितु आज के वैज्ञानिक दृष्टि के अनुसार रेखीय नहीं है।

◆ चतुर्मुखब्रह्म देव का एक दिन (कल्प) हज़ार चतुर्युग है।

◆ एक हज़ार चतुर्युग को १४ मन्वन्तर में विभाजित किया जाता है। एक मन्वन्तर एक

मनु की आयु है जो मानवता के पूर्वपुरुष हैं।

◆ प्रत्येक मन्वन्तर के अन्तर्गत ७१ चतुर्युग / महायुग हैं। ब्रह्मदेव से उद्भवित मनु प्रत्क मन्वन्तर का शासन करते हैं।

◆ १४ मन्वन्तर से एक कल्प या ब्रह्मदेव का एक दिन होता है।

◆ ब्रह्मदेव का एक पूर्ण दिवस (१ कल्प+ १ प्रळय), १००० चतुर्युग का एक दिन (कल्प) और १००० चतुर्युग का एक रात (अल्प प्रळय) है। अतएव ब्रह्माजी का एक दिवस

२ x १००० चतुर्युग हैं।

◆ ऐसे ३६० दिन का एक वर्ष एवं १०० वर्ष आयु युक्त ब्रह्मदेव के मनुष्य वर्षों में ३११.०४ ट्रिलियन वर्ष हैं। यह काल संख्या एक सृष्टि है। इस ब्रह्मदेव की आयु की आधी मात्रा को एक परार्ध कहते हैं।
◆ अभी हम ब्रह्माजी के ५१वें वर्ष के प्रथम दिन में हैं। इस १००० चतुर्युग मनुष्य वर्षीय

ब्रह्माजी के प्रथम दिन का नाम श्वेतवराह कल्प है।

◆ जैसा पहले देखा गया, यह १००० चतुर्युग मनुष्य वर्षीय ब्रह्माजी के दिन को १४ मनु में विभाजित, यह सातवें मनु द्वारा शासित, ७१वीं चतुर्युग के अन्तर्गत, वैवस्वत मन्वन्तर है।

◆ इस ७१ चतुर्युग के अन्तर्गत वैवस्वत मन्वन्तर में वर्तमान काल, २८ वाँ चतुर्युग है।

◆ हर एक युग में ६० वर्ष की कैलेंडर प्रणाली है।

◆ कलियुग के ४,३२,००० वर्षों को, पूर्वोक्त सूची क्रम के अनुसार (४,३२,०००/६०) ७,२०० संवत्सर को एक कलि के नाम से जाना जाता है। तत्स्वरूप, द्वापर युग में १४,४०० (७, २०० x २) संवत्सर होते हैं। इस तरह हर युग की गणना होती है।

◆ वर्तमान हेविळम्बी संवत्सर, कलियुग के ५११८ वाँ वर्ष है जो पूर्वोक्त ७२०० में ८५ कलि पूर्ण होकर अभी ८६ वी है। कलियुग के ४,३२,००० वर्षों को चार चरणों में विभाजित, १,०८,००० वर्षीय के

अन्तर्गत, वर्तमान ५११८ कलि युग के प्रथम पाद में है।

समस्त पूर्वोक्त वैदिक ग्रन्थ के ज्ञान के अनुसार, अब हमारा आज का दिनांक अद्य ब्रहह्मण द्वितीय पराधे श्वेतवराह कल्पे (ब्रह्मदेव की आयु के द्वितीय परा क्योंकि उनकी १०० वर्षों की आयु में ५१ वे वर्ष में हैं)

◆ वैवस्वत मन्वन्तर (१४ मन्वन्तर के 7 वीं)

→ अष्टाविम्शति (७१ चतुर्युग के 28 वीं)

● कलियुग (२८ वी चतुर्युग में कलि युग, जिसमें ४,३२,००० मनुष्य वर्ष हैं) > कलियुग के ५११८ वीं वर्ष के ८६ वीं कलि के अन्तर्गत प्रथम पाद में है।

◆ ६० वर्षीय सूची क्रम में हेविळम्बी (२०१७-२०१८ सीई) नाम ३१ वीं वर्ष में है।

◆ वर्तमान में वर्ष के छ महने दक्षिणायण कहलाते हैं (जब सूर्य आकाश में दक्षिण दिशा की ओर गमन करता है)

◆ श्रावण मास में वर्षा ऋतु होती है।

यह ध्यान देना उचित है कि ब्रह्मदेव का वर्तमान ५१वीं वर्ष का तात्पर्य है कि यह सृष्टि अब तक १८००० (३६०x५०) बार व्यक्त अव्यक्त हो चुकी है।

जानिए  #लोटा और  #गिलास के पानी में अंतर......... #भारत में हजारों साल की पानी पीने की जो सभ्यता है वो गिलास नही है, ये ...
02/05/2022

जानिए #लोटा और #गिलास के पानी में अंतर.........
#भारत में हजारों साल की पानी पीने की जो सभ्यता है वो गिलास नही है, ये गिलास जो है #विदेशी है.
गिलास भारत का नही है. गिलास #यूरोप से आया.
और यूरोप में #पुर्तगाल से आया था. ये पुर्तगाली जबसे भारत देश में घुसे थे तब से गिलास में हम फंस गये.
गिलास अपना नही है. अपना लोटा है. और लोटा कभी भी #एकरेखीय नही होता. तो #वागभट्ट जी कहते हैं कि जो बर्तन एकरेखीय हैं उनका #त्याग कीजिये. वो काम के नही हैं. इसलिए गिलास का पानी पीना अच्छा नही माना जाता. लोटे का पानी पीना अच्छा माना जाता है. इस पोस्ट में हम गिलास और लोटा के पानी पर चर्चा करेंगे और दोनों में अंतर बताएँगे.
फर्क सीधा सा ये है कि आपको तो सबको पता ही है
कि पानी को जहाँ धारण किया जाए, उसमे वैसे ही #गुण उसमें आते है. पानी के अपने कोई गुण नहीं हैं.
जिसमें डाल दो उसी के गुण आ जाते हैं. #दही में मिला दो तो #छाछ बन गया, तो वो दही के गुण ले लेगा.
दूध में मिलाया तो #दूध का गुण. लोटे में पानी अगर रखा तो बर्तन का गुण आयेगा. अब लौटा गोल है तो वो उसी का गुण धारण कर लेगा. और अगर थोडा भी गणित आप समझते हैं तो हर गोल चीज का #सरफेस_टेंशन कम रहता है. क्योंकि सरफेस एरिया कम होता है तो सरफेस टेंशन कम होगा. तो सरफेस टेंशन कम हैं तो हर उस चीज का सरफेस टेंशन कम होगा. और स्वास्थ्य की दष्टि से कम सरफेस टेंशन वाली चीज ही आपके लिए लाभदायक है.अगर ज्यादा सरफेस टेंशन वाली चीज आप पियेंगे तो बहुत तकलीफ देने वाला है. क्योंकि उसमें #शरीर को तकलीफ देने वाला एक्स्ट्रा प्रेशर आता है.
गिलास और लोटा के पानी में अंतर गिलास के पानी और लौटे के पानी में जमीं आसमान का अंतर है.
इसी तरह #कुए का पानी, कुंआ गोल है इसलिए सबसे अच्छा है. आपने थोड़े समय पहले देखा होगा कि सभी #साधू #संत कुए का ही पानी पीते है. न मिले तो प्यास सहन कर जाते हैं, जहाँ मिलेगा वहीं पीयेंगे. वो कुंए का पानी इसीलिए पीते है क्यूंकि कुआ गोल है, और उसका सरफेस एरिया कम है. सरफेस टेंशन कम है. और साधू संत अपने साथ जो केतली की तरह पानी पीने के लिए रखते है वो भी लोटे की तरह ही आकार वाली होती है. जो नीचे चित्र में दिखाई गई है.
सरफेस टेंशन कम होने से पानी का एक गुण लम्बे समय तक जीवित रहता है. पानी का सबसे बड़ा गुण है सफाई करना. अब वो गुण कैसे काम करता है वो आपको बताते है. आपकी #बड़ी_आंत है और #छोटी_आंत है,
आप जानते हैं कि उसमें #मेम्ब्रेन है और कचरा उसी में जाके फंसता है. पेट की सफाई के लिए इसको बाहर लाना पड़ता है. ये तभी संभव है जब कम सरफेस टेंशन वाला पानी आप पी रहे हो. अगर ज्यादा सरफेस टेंशन वाला पानी है तो ये कचरा बाहर नही आएगा, मेम्ब्रेन में ही फंसा रह जाता है.
दुसरे तरीके से समझें, आप एक एक्सपेरिमेंट कीजिये. थोडा सा #दूध ले और उसे चेहरे पे लगाइए, 5 मिनट बाद रुई से पोंछिये. तो वो रुई काली हो जाएगी. स्किन के अन्दर का कचरा और गन्दगी बाहर आ जाएगी. इसे दूध बाहर लेकर आया. अब आप पूछेंगे कि दूध कैसे बाहर लाया तो आप को बता दें कि दूध का सरफेस टेंशन सभी वस्तुओं से कम है. तो जैसे ही दूध चेहरे पर लगाया, दूध ने चेहरे के सरफेस टेंशन को कम कर दिया क्योंकि जब किसी वस्तु को दूसरी वस्तु के सम्पर्क में लाते है तो वो दूसरी वस्तु के गुण ले लेता है.
इस एक्सपेरिमेंट में दूध ने स्किन का सरफेस टेंशन कम किया और त्वचा थोड़ी सी खुल गयी. और त्वचा खुली तो अंदर का कचरा बाहर निकल गया. यही क्रिया लोटे का पानी पेट में करता है. आपने पेट में पानी डाला तो बड़ी आंत और छोटी आंत का सरफेस टेंशन कम हुआ और वो खुल गयी और खुली तो सारा कचरा उसमें से बाहर आ गया. जिससे आपकी आंत बिल्कुल साफ़ हो गई. अब इसके विपरीत अगर आप गिलास का हाई सरफेस टेंशन का पानी पीयेंगे तो आंते सिकुडेंगी क्यूंकि #तनाव बढेगा. तनाव बढते समय चीज सिकुड़ती है और तनाव कम होते समय चीज खुलती है. अब तनाव बढेगा तो सारा कचरा अंदर जमा हो जायेगा और वो ही कचरा #भगन्दर, #बवासीर, मुल्व्याद जैसी सेंकडो पेट की बीमारियाँ उत्पन्न करेगा.
इसलिए कम सरफेस टेंशन वाला ही पानी पीना चाहिए. इसलिए लौटे का पानी पीना सबसे अच्छा माना जाता है, गोल कुए का पानी है तो बहुत अच्छा है. गोल तालाब का पानी, पोखर अगर खोल हो तो उसका पानी बहुत अच्छा. नदियों के पानी से कुंए का पानी अधिक अच्छा होता है. क्योंकि #नदी में गोल कुछ भी नही है वो सिर्फ लम्बी है, उसमे पानी का फ्लो होता रहता है. नदी का पानी हाई सरफेस टेंशन वाला होता है और नदी से भी ज्यादा ख़राब पानी समुन्द्र का होता है उसका सरफेस टेंशन सबसे अधिक होता है.
अगर #प्रकृति में देखेंगे तो #बारिश का पानी गोल होकर धरती पर आता है. मतलब सभी #बूंदे गोल होती है क्यूंकि उसका #सरफेस टेंशन बहुत कम होता है.
तो गिलास की बजाय पानी लोटे में पीयें.
तो लोटे ही घर में लायें.
गिलास का प्रयोग बंद कर दें. जब से आपने लोटे को छोड़ा है तब से भारत में लौटे बनाने वाले #कारीगरों की रोजी रोटी ख़त्म हो गयी. गाँव गाँव में कसेरे कम हो गये, वो #पीतल और #कांसे के लौटे बनाते थे.
सब इस गिलास के चक्कर में भूखे मर गये.
तो वागभट्ट जी की बात मानिये और लौटे वापिस लाइए

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