04/09/2023
चाहिए सबको गाय का शुद्ध देशी घी लेकिन पालेंगे लोग घर घर पर कुत्ता !!
अब यह बताओ कि घी मिलेगा कहाँ से ??
या तो केमिकल डाल कर बनाया जाएगा नहीं तो कुत्ते से निकाला हुआ घी खाओ ।
क्यों माँग करते हो गाय का "शुध्द" घी की ??
आजकल पशु प्रेमी या Animal Lover उन्हें ही बोला जाता है जो कुत्ते के साथ जीभ से जीभ डालकर फ़ोटो खिंचायें ,उन्हीं के साथ सोएं और भोजन करें ।
मतलब पहले सब पशु हत्यारे थे मानो !!!! 😑
पहले के समय में एक गरीब से गरीब व्यक्ति के घर चार पाँच गायें आसानी से मिल जाती थी ।
आजकल के लोग शादी विवाह लड़के और लड़की की Salary देखकर और यह देखकर कि माँ बाप से अलग रह रहा हो , करते हैं ।
लेकिन पहले कोई उस व्यक्ति के दरवाजे तक नहीं जाता था जिसके घर पशु धन न हो ।
पहले के समय में यह देखकर शादी विवाह टाल दिया जाता था या नहीं करते थे कि उसके दुवारे मात्र 10 पूँछें दिखी , मतलब उसके घर मात्र 10 ही गाय भैंस हैं ।
जिसके घर कम से कम 50 गायें होती थी , उसे सम्पन्न और वैभवशाली समझा जाता था ।
पहले के समय में किसी के घर का आकलन उसके दुवारे पड़े हुए अनाज और दलान में भरे हुए अनाज की बोरियों से की जाती थी ।
तब दालें और चावल पैकेटों में दरिद्रों की तरह नहीं आते थे ।
बड़े बड़े ओसार बरामदा दालों , तिलहनों , बोरियों में भरे अनाजों से पटा रहता था ।
पहले किसी को कोई भी आवश्यकता होती थी तो Barter system चलता था ।
जैसे किसी ने चावल बोया है और किसी ने दाल । तो जिसको जो चाहिए वह चावल देकर दालें , बाजरा , जौ , ज्वार ,सरसों इत्यादि लेता था ।( गेहूँ तब इतना नहीं बोया जाता था )
मुझे याद है सुबह सुबह हम 4 बजे जब भोर में जागते थे तो हर घरों से दूर दूर तक बस बाल्टियों में दूध के छंन्नं छन्न दुहने की आवाज़ें आती थी ।
हमने वह जमाना देखा है जब भरी भरी ताजे ताजे दूध की 6 से 10 बाल्टियाँ घर के मुख्य दरवाजे पर रखी रहती थी ।
आजकल के लोग क्या जानें दूध और दही क्या होता है ।
बोरसी में आग सुलगा कर कच्चा दूध पूरे पूरे दिन भर मटके में खौलता रहता था । लाल हो जाता था पूरा । किसी के भी घर में घुस जाओ बस जलते दूध की महक , घी , दही , मट्ठे की महक से पूरा घर महकता रहता था ।
सुबह , दिन दोपहर शाम हर वक्त घी दूध दही से सब डूबे रहते थे ।
ओहहः !!! हाय !! क्या दिन थे वह । तब उस समय यह कभी नहीं सोचा था कि यह दिन गूलर के फूल के समान दूभर हो जाएगा और जब हम अपने बच्चों को यह बताएँगे कि ऐसा था तो वह यह सब बातें गप्प मानेंगे !!
जाने कहाँ गए वह दिन !!
कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन !!
हम सोच तक नहीं सकते थे कि कभी गाय के घी के आगे भी "शुद्ध" लिखने की आवश्यकता भी पडेगी ।
कभी सोचा भी नहीं था कि दूध के आगे भी "शुद्ध" लिखने की आवश्यकता पड़ेगी ।
अरे घी का मतलब ही शुद्ध होता है । दूध तो स्वयं में ही शुद्ध है ।
फिर यह "शुद्ध" लिखने की बीमारी कैसे आयी ????
और इसी को हम विकास कहते हैं !!
गज़ब हमारी मानसिकता बन गयी है ।। अरे विकसित तो हम पहले थे कि हम स्वयं आत्म निर्भर थे और वैभव धन धान्य से परिपूर्ण थे । न ज्यादा हाय हाय और न ही इतनी मानसिक विपन्नता ।
देखिएगा ज्यों ज्यों हम विकसित होते जायेंगे , कुत्ते हमारे बेड पर आते जायेंगे और गायों का विनाश होता जाएगा और वह बाहर घूमेंगी ।
यही कलियुग के विकास का द्योतक है ।
जितना हम कुत्ते के साथ हम बिस्तरी करने लगेंगे उतना हम विकसित होते जाएंगे । देखना एक दिन हम उस विकास के मुहाने पर होंगे जब अपने पालतू कुत्ते से अपना बच्चा पैदा करने को आधुनिकता की सर्वोच्च निशानी मानी जायेगी औरहम उसको सगर्व स्वीकार करेंगे ।
विदेशों में तो चल पड़ा है , लोग अपने कुत्ते के Sperms को सहेज कर रखवाते हैं ताकि उसको कभी उपयोग में ला सकें ।
सब होगा , देखते जाईयेगा ।
कलियुग अपना वर्चस्व अवश्य दिखायेगा ।