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पर्ची से तर्जी तक ...मोहन का सफर    आलोक एम इन्दौरिया  मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव एक मुख्यमंत्री के रूप में एक...
09/12/2024

पर्ची से तर्जी तक ...मोहन का सफर

आलोक एम इन्दौरिया

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव एक मुख्यमंत्री के रूप में एक साल पूरा करने जा रहे हैं और जाहिर सी बात है कि इस 1 साल का लेखा-जोखा आम आदमी जानना चाहेगा ।यह बात अलग है की आम आदमी से ज्यादा उनके विरोधी दल के लोग और इसके साथ-साथ सत्ता में विरोधी उनके लोग भी इस चीज को जानना चाहेंगे कि आखिर मोहन यादव के 1 साल का लेखा-जोखा क्या है ? क्या वे अपने पीछे शिवराज सिंह द्वारा खींची गई उस बड़ी लकीर के आसपास है , बराबर हैं या फिर उन्होंने अभी सफऱ की शुरुआत की है। यह बात अलहदा है कि शिवराज से उनकी तुलना इसलिए नहीं की जा सक्ती क्योंकि शिवराज ने 17 साल इस प्रदेश में हुकूमत की और जाहिर सी बात है कि उनके कामों की फैहरिस्त यकीनन लंबी होगी। लेकिन यदि हम मोहन यादव के सिर्फ और सिर्फ एक साल की कामों के लेखा-जोखा में झांकने की कोशिश करें तो हम पाएंगे कि कम समय में उन्होंने बहुत काम किया है इसमें शक नहीं है। 11 दिसंबर 20 23 को गुप फोटो की तीसरी लाइन में बैठे हुए डॉ मोहन यादव को भी शायद इल्म नहीं था की वह प्रदेश के शहंशाह बनने वाले हैं। जब पर्ची पर लिखा उनका नाम बोला गया तो सभी हथ प्रभ रह गए क्योंकि शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्रतोमर ,प्रहलादपटेल और कैलाश विजयवर्गीय जैसे बड़े नाम के बीच से एक बहुत अदना सा नाम मोहन मुख्यमंत्री के रूप में कल कमान ने चुना और उन पर पर्ची वाले मुख्यमंत्री की मोहर चस्पा हो गई। मगर एक साल के अल्प समय में ही वे पर्ची वाले मुख्यमंत्री से तर्जी वाले मुख्यमंत्री बन गए। और ऐसी तर्जी वाले की जिनकी तूती मध्य प्रदेश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश ,बिहार ,झारखंड ,हरियाणा और महाराष्ट्र तक बोलने लगी। एक साधारण मंत्री से सीधा मुख्यमंत्री बन जाना ग्रहों का उच्च योग हो सकता है लेकिन उसे पद पर बने रहकर प्रशासनिक कसावट ,विरोधी दलों से जूझने के साथ अपनी ही पार्टी के लोगों की राजनीतिक चालों और आरोपों से अपने आप को बचाना बहुत बड़ी चुनौती होती है। मोहन यादव को बतौर सीएम आंतरिक और बाहरी मोर्चे पर जबरदस्त मशक्कत करनी पड़ी है। लेकिन यह शायद उन पर महाकाल की कृपा रही कि न केवल सभी अवरोधों को पार करते हुए न केवल धूमकेतु की भांति मध्य प्रदेश की राजनीति में स्थापित हो गए बल्कि एक कट्टर हिन्दुत्व वादी और बेहतर मुख्यमंत्री के रूप में वे देश में अपना ठोस मुकाम बना डाला। बेशक मोहन यादव का मुख्यमंत्री के रूप में अभी अल्प समय ही हुआ है लेकिन यदि उनके कामों पर नजर डालें तो कामों की सूची बहुत लंबी है जिसमें इंफ्रास्ट्रक्चर, इंडस्ट्री ,एग्रीकल्चर इरिगेशन ,हेल्थ ,रिवेन्यू ,एजुकेशन पुलिसिंग समैत ऐसा कोई विभाग नहीं है जिसमें 1 साल के दौरान काम ना हुआ हो। लेकिन जो सबसे उल्लेखनीय काम है वह है औद्योगीकरण के क्षेत्र में उनके द्वारा विकास के जो प्रयास किए गए हैं वह भूतो ना भविष्यति कहलाने लायक है। पहली बार इस सेक्टर में जबरदस्त काम हुआ है और 5 रीजनल इंडस्ट्री कांक्लेव और चार शहरों के रोड शो से कुल मिलाकर 2 लाख 38 620 करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले हैं ।इसके साथ-साथ 84240 करोड़ का निवेश रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में माना जा रहा है ।इसमें जहां लगभग बेशुमार लोगों को रोजगार मिलेगा वहीं इन उद्योगों से जुड़ी हुई अन्य छोटी इंडस्ट्री और माल सप्लाई करने वालों के रोजगार के नये अवसर खुलेंगे इसमें शक नहीं है। अभी ताजा - ताजा नर्मदापुरम के इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में लगभग 32000 करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले हैं जो 50000 रोजगार के अवसर प्रदान करेंगे ।यकीनन उधोगों के क्षेत्र में मध्य प्रदेश के इतिहास की यह अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि है। इसके अतिरिक्त विदेश से भी भारी निवेश के प्रस्ताव लेकर मध्य प्रदेश के मोहन वापस लौटे हैं। जमीन की रजिस्ट्री के साथ नामांतरण, केंद्र बेतवा लिंक परियोजना, लगभग 50000 के अधिक पद स्वास्थ्य विभाग में सृजित करना और ढाई लाख नौकरियों के लिए ठोस काम करना, मेडिकल कॉलेज की संख्या बढ़कर 17 मेडिकल कॉलेज प्रारंभ करने का प्रयास करना, सिंचाई का रकवा बढ़ाना ,प्रदेश में पीएम श्री स्कूलों और कालेजों को खोलना ,कृषि वित्त पोषण सिंचाई और अन्य सहायक योजनाओं के माध्यम से प्रदेश को एक प्रमुख कृषि उत्पादक राज्य में बदलना, सड़क निर्माण ,ग्रामीण विकास और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में भी सराहनीय काम के साथ-साथ कानून व्यवस्था को सुधार करना यह ऐसे तमाम अनगिनत काम है जिन्हें हम मुख्यमंत्री की सफलता के खाते में डाल सकते हैं। मध्य प्रदेश में एक बेहद ईमानदार और सख्त प्रशासक मुख्य सचिव अनुराग जैन और बेहद ईमानदार के साथ-साथ सख्त पुलिसिंग के लिए जाने जाने वाले डीजीपी कैलाश मकवाना की नियुक्ति इस बात का संकेत है कि वह प्रदेश को किस तरह से विकास के पद पर अरुड करके भय मुक्त बनाने का काम कर रहे हैं। मोहन यादव खांटी संघी हैं और उनके काम में स्पष्ट रूप से संघ की झलक दिखाई दे रही है। वह सुशासन के साथ-साथ हिंदुत्व के पैरोकार भी है। और योगी आदित्यनाथ तथा हेमंत शर्मा के बाद तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में हिंदुत्व के नए ब्रांड एंबेसडर के रूप में हुए देश में स्थापित हो चुके हैं इसमें शक नहीं है। संघ के जो संस्कार थे वह सरकार चलाने में कहीं ना कहीं प्रस्फुटित होते ही? हैं। उच्च शिक्षा मंत्री रहने के दौरान उन्होंने हिंदू धर्म ग्रंथ और महापुरुषों चरित्र को पढ़ाये जाने के लिए ठोस प्रयास किया ।प्रदेश के इतिहास में पहली बार जन्माष्टमी का त्योहार सरकारी स्कूलों में मनाया गया शायद यह देश में पहली बार हुआ है और यह एक संकेत था कि मोहन की धारा क्या होगी। ठीक इसी तरह दशहरे पर मंत्री और स्थानीय विधायकों ने जिस तरह पुलिस लाइनों में शस्त्र पूजा के अवसर पर भाग लिया और शस्त्र पूजा की वह एक संकेत था की मोहन सरकार हिन्दुत्व के पथ पर आरुढ हो चुकी है।गौ संवर्धन और गौ अभ्यारण बनाने की योजनाएं भी उनके द्वारा प्रचलन में लाई गई जो उनके हिंदूत्ववादी चेहरे को स्पष्ट रूप से रेखांकित करती है ।यानी सुशासन और विकास के साथ-साथ वे हिंदुत्व के मुद्दे पर भी न केवल प्रखर रहे बल्कि प्रखर होकर उन्होंने बड़े-बड़े मंचों पर अपनी बात भी रखी यह इस बात को परिलक्षित करता है कि वे प्रदेश में हिंदुत्व की लकीर को किस तेजी से बड़ा कर रहे हैं। बहरहाल मध्य प्रदेश के मोहन का कार्यकाल निसंदेह उपलब्धियां से परिपूर्ण रहा है जहां उन्होंने प्रशासन में कसावट का यथोचित प्रयास किया वहीं औद्योगीकरण के लिए सार्थक प्रयास किया।बेशक उनके नेतृत्व में विजयपुर का चुनाव हारे लेकिन कमलनाथ के छिंदवाड़ा में उपचुनाव जीतकर उन्होंने जो सिक्का कायम किया वह अभी तक कोई नहीं कर पाया ।मध्य प्रदेश के परिसीमन का उनका काम न केवल अकल्पनीय है बिल्कुल बल्कि अद्भुत भी है ।यह भी सच है कि मध्य प्रदेश में पहली बार कोई सरकार संघ के सामंजस्य से चल रही है तो उसका श्रेय मोहन यादव को जाता है और उन्होंने प्रदेश में अपनी 1 साल में मुकम्मल जगह बना ली वही लोकप्रियता की पायदान लगातार चढ़ते हुए एक अच्छे मुख्यमंत्री के साथ हिंदू हितों के पैरोंकार रूप में एक नई इमेज भी गढी है। (लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक है)

ग्वालियर के प्रियंक ने डरबन में जीता गोल्ड मेडल ग्वालियर । शहर की युवा प्रतिभा प्रियंक भदोरिया ने दक्षिण अफ्रीका के डरबन...
04/12/2024

ग्वालियर के प्रियंक ने डरबन में जीता गोल्ड मेडल

ग्वालियर । शहर की युवा प्रतिभा प्रियंक भदोरिया ने दक्षिण अफ्रीका के डरबन शहर में 11 वें कॉमनवेल्थ अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता कराटे चैंपियनशिप में प्रथम स्थान हासिल किया व गोल्ड मेडल जीता । प्रियंक ने वर्ष 2015 में कराटे सीखना शुरू किया था व इसके बाद निरंतर बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं । वल्र्ड कराटे प्रतियोगिता में प्रियंक ने 216 वीेंं रैंक हासिल की थी व अब कॉमनवेल्थ कराटे चैंपियनशिप जो 26 नवंबर से दक्षिण अफ्रीका के डायमंड शहर में आरंभ हुई थी उसमें प्रियंक ने गोल्ड मेडल हासिल कर शहर प्रदेश व देश का नाम रोशन किया है उनके शुभचिंतकों मित्रों व रिश्तेदारों ने इस उपलब्धि के लिए उन्हें हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं दीं ।

आई एम सॉरी; हरदोई एसपी नीरज ने कैमरे पर माफी मांगी, बोले- ऐसा फिर कभी नहीं होगाUP Police News:महकमे के लोगों की गलती के ...
03/12/2024

आई एम सॉरी; हरदोई एसपी नीरज ने कैमरे पर माफी मांगी, बोले- ऐसा फिर कभी नहीं होगा

UP Police News:महकमे के लोगों की गलती के लिए किसी पुलिस कप्‍तान को ऑन कैमरा माफी मांगते आपने शायद ही देखा हो लेकिन यूपी के हरदोई के पुलिस अधीक्षक नीरज कुमार जादौन ने कुछ ऐसा किया ही है। पूरे मामले में यूं तो हरदोई पुलिस की गलती है लेकिन खुद आगे बढ़कर माफी मांगने के पुलिस कप्‍तान के स्‍टैंड की हर कोई तारीफ कर रहा है। एसपी नीरज कुमार जादौन ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर माफी मांगी है। आइए आपको बताते हैं कि ऐसा क्‍या हुआ था कि एसपी को यूं माफी मांगनी पड़ी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस साल अक्‍टूबर महीने में एक हादसे में एक भाई-बहन घायल हुए थे। घटना के अगले दिन मामले की एफआईआर दर्ज हुई थी। इस मामले में इंसाफ की मांग करते हुए भाई अपनी बहन को लेकर एसपी ऑफिस पहुंचा था। हादसे की वजह से महिला चोटिल थी। उसे चलने में दिक्‍कत हो रह‍ी थी। इसके बावजूद पुलिस ऑफिस पर मौजूद सिपाहियों ने दोनों को रोक दिया था। उन्‍हें गाड़ी से अंदर नहीं जाने दिया। इसके बाद पीड़िता को चादर के सहारे उठा कर रोड से एसपी ऑफिस तक लाया गया। उनकी शिकायत थी कि पुलिस ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की। मामले की जानकारी होते ही पुलिस अधीक्षक ने पहले जांच कराई। जब उन्‍हें पूरी सच्‍चाई का पता चला तो वीडियो जारी कर अपने मातहतों के किए पर माफी मांगी। उन्‍होंने यह भी कहा कि आगे कभी इस तरह की घटना रिपीट (दोबारा) नहीं होगी।

कट्टरपंथियों के डर से चिन्मय दास का केस लड़ने को तैयार नहीं वकील, अब बेल पर अगले साल सुनवाईइस्कॉन के संत चिन्मय कृष्ण दा...
03/12/2024

कट्टरपंथियों के डर से चिन्मय दास का केस लड़ने को तैयार नहीं वकील, अब बेल पर अगले साल सुनवाई

इस्कॉन के संत चिन्मय कृष्ण दास को बांग्लादेश में जेल से बाहर निकलने के लिए इंतजार करना होगा। मंगलवार को केस की सुनवाई थी, लेकिन उनकी पैरवी के लिए कोई वकील ही नहीं पहुंचा। खबर है कि कट्टरपंथियों के डर से वकील उनका केस लेने से ही डर रहे हैं। इसी के चलते जब मंगलवार को अदालत लगी तो उनकी पैरवी के लिए कोई नहीं था। इस पर बेंच ने उनकी बेल अर्जी पर सुनवाई के लिए 2 जनवरी, 2025 की नई तारीख तय की है।

केन्द्रीय मंत्री सिंधिया ने दिया श्रीमती कमला इंदौरिया की स्मृति में छात्रा मेहर को स्वर्ण पदकशिवपुरी। शिवपुरी मेडिकल कॉ...
01/12/2024

केन्द्रीय मंत्री सिंधिया ने दिया श्रीमती कमला इंदौरिया की स्मृति में छात्रा मेहर को स्वर्ण पदक

शिवपुरी। शिवपुरी मेडिकल कॉलेज की एमबीबीएस प्रथम बैच की पासआउट छात्रा सुश्री मेहर को एमबीबीएस की परीक्षा में यूनिवर्सिटी टॉप करने तथा छात्राओं में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने के उपलक्ष्य पर उन्हें श्रीमती कमला देवी मेमोरियल गोल्ड मेडल केन्द्रीय मंत्री एवं क्षेत्र के लाडले सांसद श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया के करकमलों से कल श्रीमंत राजमाता विजया राजे सिंधिया चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल के सभागार में प्रदान किया गया।
इस अवसर पर ज़िले के प्रभारी मंत्री प्रदुम्न सिंह तोमर,विधायक देवेंद्र जैन, ज़िप अध्यक्ष श्रीमती नेहा यादव, कलेक्टर रवीन्द्र कुमार चौधरी,पुलिस अधीक्षक अमन सिंह राठौड़, नपाध्यक्ष गायत्री शर्मा, गोल्ड मेडल प्रदाता तथागत फाउंडेशन के अध्यक्ष आलोक एम इंदौरिया,नमन एस इंदौरिया एडवोकेट ग्वालियर हाईकोर्ट, उधोगपति अर्जुन लाल दीवान कत्था मील,डीन डॉ परमहंस मंच पर उपस्थित थे।
बताते चलें कि स्वर्गीय श्रीमती कमला देवी इंदौरिया शिक्षाविद के साथ साथ एक उत्कृष्ट एवं बेहद ईमानदार शिक्षा अधिकारी भी रहीं हैं और उन्होंने अपने गर्ल्स स्कूल शिवपुरी के लंबे प्राचार्य कार्यकाल के दौरान शिवपुरी के गर्ल्स स्कूल को उस काल खण्ड में एक नयी ऊंचाई प्रदान की थी।
इसके साथ साथ उपसंचालक शिक्षा के पद पर रहते हुए उनकी बेमिसाल ईमानदारी और कड़ा प्रशासन आज भी याद किया जाता है। वे बीएड कॉलेज ग्वालियर की प्राचार्या के साथ ग्वालियर की डिप्टी डीएसई भी रहीं और पदमा विधालय में अध्यापन का कार्य किया। उनकी स्मृति को चिरस्थाई बनाने के लिए उनके पुत्र तथागत फाउंडेशन के अध्यक्ष आलोक एम इंदौरिया एवं पौत्र नमन इंदौरिया एडवोकेट ग्वालियर हाईकोर्ट ने मेडिकल कॉलेज शिवपुरी को गोल्ड मेडल उपलब्ध कराया जों हर साल मेडिकल कॉलेज की उस छात्रा को प्रदान किया जाएगा जो छात्रा वर्ग में एमबीबीएस फायनल इयर की परीक्षा में सर्वाधिक अंक हासिल करेगी।
इसी क्रम में शनिवार को यह गोल्ड मेडल छात्रा अजहर मेहर को दिया गया, शिवपुरी के लिए गौरव की बात यह है कि शिवपुरी मेडिकल कॉलेज की इस छात्रा ने जहां छात्रा वर्ग में सर्वाधिक अंक प्राप्त किए वहीं यूनिवर्सिटी टॉप की है।
केन्द्रीय मंत्री श्रीमंत सिंधिया ने इस पुनित कार्य के लिए गोल्ड मेडल प्रदाता आलोक एम इंदौरिया परिवार को साधुवाद भी दिया और भूरि भूरि प्रशंसा की। वहीं तथागत फाउंडेशन के अध्यक्ष आलोक एम इंदौरिया ने श्रीमंत सिंधिया के प्रति ह्रदय की गहराईयों से कृतज्ञापित की। और मेडिकल कॉलेज,चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रति आभार व्यक्त किया है।

सबनानी का सिंधिया जी पर बयान निंदनीय व पार्टी नीति विरुद्ध  : मोहन भिलवार  ग्वालियर ।  भाजपा प्रदेश महामंत्री भगवान दास ...
01/12/2024

सबनानी का सिंधिया जी पर बयान निंदनीय व पार्टी नीति विरुद्ध : मोहन भिलवार

ग्वालियर । भाजपा प्रदेश महामंत्री भगवान दास सबनानी द्वारा दिए गए बयान से सिंधिया समर्थकों में भारी आक्रोश है । ग्वालियर दलित एकता परिषद के अध्यक्ष मोहन भिलवार ने एक बयान जारी कर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री भगवान दास सबनानी द्वारा जारी किए गए उस बयान पर अपनी आपत्ति जताई जिसमें सबनानी ने कहा है कि विजयपुर उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी रामनिवास रावत की हार के जिम्मेदार श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं । श्री सिंधिया को जिम्मेदार बताने वाले सबनानी जी शायद यह भूल रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी एक अनुशासित व सैद्धांतिक पार्टी है जो कि अपनी अनुशासित व कैडर आधारित कार्यशैली के लिए पूरे विश्व में अलग पहचान रखती है । जबकि सबनानी जी द्वारा एक जिम्मेदार पद पर रहते हुए इस तरह के बयान देना पार्टी के अनुशासन तोडऩे की श्रेणी में आता है जो कि निंदनीय है । श्री सिंधिया भारतीय जनता पार्टी के ऐसे नेता हैं जिनकी कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगाना सबनानी की अपरिपक्व सोच को दर्शाता है । भिलवार ने आगे कहा कि इस तरह की गैरजिम्मेदाराना बयान बाजी पर वरिष्ठ नेतृत्व को ध्यान देने की आवश्यकता है जिससे भविष्य में इस तरह की अनुशासन हीन बयानबाजी पर अंकुश लगाया जा सके । मोहन भिलवार ने कहा कि श्री सिंधिया के मार्गदर्शन में कार्य करने वाले पार्टी के सच्चे कार्यकर्ताओं को इससे बेहद दुख हुआ व भावनायें आहत हुई है ।

अडानी को जेल में होना चाहिए, सरकार बचा रही है -राहुल गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने उद्योगपति गौतम अडानी...
29/11/2024

अडानी को जेल में होना चाहिए, सरकार बचा रही है -राहुल गांधी

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने उद्योगपति गौतम अडानी की गिरफ्तारी की मांग बुधवार को फिर उठाई और आरोप लगाया कि केंद्र सरकार उन्हें बचा रही है। उन्होंने संसद परिसर में संवाददाताओं से बातचीत में दावा किया कि अमेरिका में अडानी को हजारों करोड़ रुपये की अनियमितता के मामले में आरोपित किया गया है, ऐसे में उन्हें जेल में होना चाहिए। इससे पहले, अडानी समूह की कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड ने बुधवार को कहा कि अरबपति गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी पर कथित रिश्वतखोरी के मामले में अमेरिका के विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (एफसीपीए) के उल्लंघन का कोई आरोप नहीं लगाया गया है।कंपनी का यह भी कहना है कि उन पर प्रतिभूति धोखाधड़ी के तहत आरोप लगाया गया है जिसमें मौद्रिक दंड लगाया जाना शामिल है।
इस बारे में पूछे जाने पर राहुल गांधी ने कहा, ‘‘क्या आपको (मीडियाकर्मियों को) लगता है कि अडानी अपने खिलाफ लगे आरोपों को स्वीकार करेंगे? आप किस दुनिया में रह रहे हैं? निश्चित तौर पर वह इनकार करेंगे। जैसा कि हमने पहले कहा है, उनको गिरफ्तार किया जाना चाहिए।’’राहुल गांधी ने कहा, ‘‘छोटे-छोटे मामले में सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया जाता है। इन सज्जन को अमेरिका में हजारों करोड़ रुपये (की अनियमितता) के लिए अभ्योरोपित किया गया है। इनको जेल में होना चाहिए।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अडानी को बचा रही है। राहुल गांधी ने कुछ दिनों पहले भी अडानी की गिरफ्तारी की मांग की थी।

सत्ता को अधिकार मानते थे, नहीं मिली तो जनता से ही गुस्सा; पीएम मोदी का विपक्ष पर हमलाप्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को ओड...
29/11/2024

सत्ता को अधिकार मानते थे, नहीं मिली तो जनता से ही गुस्सा; पीएम मोदी का विपक्ष पर हमला

प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को ओडिशा की धरती से विपक्ष पर निशाना साधा। पीएम ने विपक्ष पर सत्ता को अपना जन्म सिद्ध अधिकार समझने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह लोग केवल जनता को गुमराह करके सत्ता का सुख भोगना चाहते हैं। पीएम ने कहा कि जनता ने उनके झूठ को पकड़ लिया है। अब वह इस बात से इस कदर गुस्सा हो गए हैं कि देश के खिलाफ ही साजिश करने लगे हैं।ओडिशा में भाजपा के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा कि विपक्ष पिछले दस सालों से सत्ता का सुख नहीं भोग पाया है। इसलिए वह गुस्से में आकर देश के खिलाफ साजिश करने लगा है। पीएम ने कहा कि पिछले लगभग ढाई दशकों से प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री होते हुए मैंने राजनीति को इतना तो समझा है कि इसमें नीतिगत विरोध स्वाभाविक है। किसी योजना या किसी मुद्दे को लेकर अलग-अलग राय हो सकती है। राजनीतिक दल भी अपनी बात को लोगों के बीच में पहुंचाने के लिए आंदोलन करते रहते हैं। लेकिन यह आंदोलन लोकतंत्र के दायरे में रहकर ही होते हैं।पीएम ने कहा कि लेकिन पिछले कुछ समय से आपने देखा होगा कि एक बड़ा बदलाव हुआ है। विरोध का तरीका बदल गया है। विरोध के नाम पर संविधान की भावना को कुचल दिया जाता है। लोकतंत्र की सभी मर्यादाएं खारिज कर दी जाती है। पीएम ने कहा कि वह लोग जो सत्ता को अपना जन्म सिद्ध अधिकार मानते हैं। वह देश की जनता से ही गुस्सा हैं। वह भी इसलिए क्योंकि जनता ने उनके अलावा किसी और को अपना आशीर्वाद दे दिया है।लंबे समय से चला रहे झूठ की दुकान,

अब जनता समझ गई- पीएम मोदी
पीएम ने अपना हमलावर रुख जारी रखते हुए कहा कि विपक्षी पार्टियां पिछले कई सालों से झूठ और अफवाहों की दुकान चला रही हैं। अब जबकि वह इतने सालों से सत्ता में नहीं है तो उन्होंने अपनी इस झूठ फैलाने की मुहिम को और तेज कर दिया है। पीएम ने कहा कि आज उनका झूठ भाजपा के कार्यकर्ताओं,देश के जगे हुए नागिरकों और देश से प्यार करने वालों और संविधान का सम्मान करने वालों के लिए एक बड़ी चुनौती बन रहा है। पीएम ने कहा कि इसलिए में सभी देशवासियों से कहना चाहता हूं कि हमें सतर्क रहने की जरूरत है। हमें उनके हर झूठ का पर्दाफाश करना होगा।

कार्यकर्ताओं को जोश देने के लिए झूठ गढ़ता है विपक्ष- पीएम मोदी
पीएम ने 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की तरफ से दिए चौकीदार चोर के नारे पर भी तंज कसा। पीएम ने कहा कि ये सत्ता के भूखे लोग केवल झूठ ही बोलते हैं। 2019 में इन्होंने झूठ फैलाया कि चौकीदार चोर है। 2019 का चुनाव खत्म हो गया और 2024 का भी लेकिन तब से लेकर अब तक यह चौकीदार को चोर नहीं कह पाए। मतलब जब तब चौकीदार चोर था अब ईमानदार हो गया।
पीएम ने तंज कसते हुए कहा कि यह लोग केवल झूठ गढ़ते हैं और जब जनता इनका झूठ पकड़ लेती है तो यह और बड़ा झूठ गढ़ते हैं। ऐसा वे इसलिए भी करते हैं ताकि उनके कार्यकर्ताओं में जोश बना रहे। पीएम ने कहा कि विपक्ष अब केवल सत्ता प्राप्त करना चाहता है। फिर चाहे इसके लिए उसे कुछ भी करना पड़े।

इंदौर की मॉडल नूपुर में देखी जा रही बॉलीवुड एक्ट्रेस करीना की झलकमेरा नाम नूपुर छाबड़ा है, मैं एक मॉडल, सिंगर, एक्ट्रेस,...
26/11/2024

इंदौर की मॉडल नूपुर में देखी जा रही बॉलीवुड एक्ट्रेस करीना की झलक
मेरा नाम नूपुर छाबड़ा है, मैं एक मॉडल, सिंगर, एक्ट्रेस, डांसर और वीडियो क्रिएटर हूं। मेरा एक यूट्यूब चैनल भी है। जिसमें आपको मेरे गाने और वीडियो देखने को मिल जाएंगे। मैं मध्य प्रदेश के इंदौर से हूं, यहां मैंने बी.कॉम की पढ़ाई कर रखी है। यह बात इंदौर की मॉडल नूपुर छाबड़ा ने इंटरव्यू के दौरान कही। दरअसल नूपुर को नजदीक से जानने वाले उनमें बॉलीवुड एक्ट्रेस करीना कपूर की झलक देखते हैं और उन्हें इंदौर की करीना कहते हैं। अपने इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि इंदौर में मैंने प्रमोशन कॉन्सेप्ट शूट किया। उनकी तुलना करीना कपूर से किए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मैं नहीं चाहती कि मुझे किसी और से कंपेयर किया जाए, लेकिन मुझे चाहने वाले बॉलीवुड अभिनेत्री से मुझे कंपेयर करते हैं, तो अच्छा लगता है। वैसे मेरे लिए ये किसी सम्मान से कम नहीं है।

शुरू से ही मुझे मॉडलिंग का शौक था

नूपुर ने बताया कि लड़कियों को रैंप वॉक करते हुए देखती थी, तब से ही मैंने मॉडल बनने का सपना देख लिया था। स्कूल टाइम से ही मुझे डान्सिंग का, एकटिंग का और गाने का शौक था। मैं मॉडलिंग के अलावा बिजनेस करतीं हूं। मेरे शोरूम में लड़कियों के लिए वेस्टर्न वेयर, नाइट वेयर मिलता है।

परिवार को बताया अपनी ताकत

नूपुर ने कहा कि मेरा परिवार ही मेरी ताकत है। मेरे परिवार ने मुझे पूरी तरह से सपोर्ट किया है। हर कदम पर मेरा साथ दिया है। जहां तक मुझे लगता है कि अगर मेरा परिवार मेरे साथ नहीं होता, तो मैं अपने जीवन में इस मुकाम तक नहीं पहुंच पाती। मैंने जो करना चाहा मेरे परिवार ने मुझे करने दिया। मेरे परिवार और उनकी खुशियों से बढ़कर मेरे लिए कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं चाहती हूं कि मेरा बिजनेस बढ़ता रहे, इंदौरवासियों का सम्मान बढ़ता रहे। मेरा यूट्यूब चैनल बहुत बड़ा बने। मेरी डान्सिंग, सिंगिंग और एक्टिंग को दुनिया देखे। इससे मेरे साथ-साथ मेरे इंदौर का भी नाम हो।

बारातियों की बस और एक कार के बीच भीषण टक्कर में पांच की मौतउत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में सोमवार तड़के बारातियों की एक ब...
25/11/2024

बारातियों की बस और एक कार के बीच भीषण टक्कर में पांच की मौत

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में सोमवार तड़के बारातियों की एक बस और कार के बीच भीषण टक्कर में चार महिलाओं समेत पांच लोगों की मौत हो गई तथा चार अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस हादसे पर शोक प्रकट करते हुए शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की है। अपर पुलिस अधीक्षक नृपेंद्र कुमार ने बताया कि यह हादसा मल्लावां कोतवाली क्षेत्र के गौरी नगर में हुआ जिसमें कार सवार सीमा (40), प्रतिभा (32), रामलली (45), प्रतिभा (42) और शुभम की मौत हो गयी। पुलिस के मुताबिक शिवराजपुर से बारातियों को लेकर जा रही एक कार मल्लावां कोतवाली क्षेत्र के गौरी नगर में तड़के करीब तीन बजे बघौली से आ रही एक बस से टकरा गई। बस में भी बाराती सवार थे। उसने बताया कि इस घटना में चार अन्य लोग घायल भी हुए हैं जिनकी गंभीर हालत को देखते हुए उन्हें लखनऊ मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया है। पुलिस ने बताया कि शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस हादसे पर शेक प्रकट किया। राज्य सरकार द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन के अधिकारियों को निर्देश दिया कि घायलों को तत्काल अस्पताल पहुंचाकर उनका समुचित उपचार सुनिश्चि करें। इसमें कहा गया कि मुख्यमंत्री ने शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।

चुनाव प्रचार में नारे घुसपैठियों के हर साल 25 लाख बांग्लादेशियों को वीजा देती है मोदी सरकारभारत और बांग्लादेश के बीच इति...
24/11/2024

चुनाव प्रचार में नारे घुसपैठियों के हर साल 25 लाख बांग्लादेशियों को वीजा देती है मोदी सरकार

भारत और बांग्लादेश के बीच इतिहास, भाषा, संस्कृति और कई बहुआयामी समानताओं के कारण गहरे संबंध हैं। दोनों देशों के बीच संप्रभुता, समानता, विश्वास और समझ पर आधारित एक व्यापक साझेदारी है जो द्विपक्षीय संबंधों में साफ झलकती है। यह साझेदारी पूरे क्षेत्र और उससे आगे भी द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक मॉडल के रूप में विकसित हुई है।' भारत-बांग्लादेश द्विपक्षीय संबंधों पर 2024 में विदेश मंत्रालय द्वारा प्रकाशित संक्षिप्त टिप्पणी में इन शब्दों का इस्तेमाल किया गया है।
वर्तमान में दोनों देशों के बीच तीन ट्रेन चलती हैं। यह हैं–
मैत्री एक्स्प्रेस (यह 2008 से चल रही है और कोलकाता और ढाका के बीच चलती है)
बंधन एक्स्प्रेस (यह 2017 से चल रही है और कोलकाता और खुलना के बीच चलती है)
मिताली एक्सप्रे (जून 2022 से चालू, न्यू जलपाइगुड़ी और ढाका के बीच चलती है)
इसके अलावा भारत और बांग्लादेश के बीच 5 बस सेवाएं भी चलती हैं जो कोलकाता, अगरतला और गुवाहाटी को ढाका और खुलना तक जोड़ती हैं। कोविड शुरु होने से कुछ सप्ताह पहले मैंने खुलना तक ट्रेन से यात्रा की थी और भारतीय इस बात से आश्चर्यचकित हो जाएंगे कि कितने लोग इसका इस्तेमाल कर सीमा पार से आते-जाते हैं। यह रेल मार्ग 1965 के युद्ध के दौरान बंद हो गया था, जिसे 2017 में फिर से सुरु किया गया।बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और भारत एशिया में बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। बांग्लादेश ने वित्त वर्ष 2023-24 में भारत को 2 अरब अमेरिकी डॉलर का सामान निर्यात किया। वित्त वर्ष 2023-24 में कुल द्विपक्षीय व्यापार 14 अरब अमेरिकी डॉलर बताया गया है, जिसका मतलब है कि उसका कारोबार भारत के पक्ष में काफी झुका हुआ है।विदेश मंत्रालय की टिप्पणी में कहा गया है कि भारत किसी एक मेडिकल मरीज के साथ तीन बांग्लादेशी तीमारदारों को भारत आने के लिए मेडिकल अटेंडेंट वीजा जारी करता है - यह एक अत्यधिक उदार प्रक्रिया है जिसे बांग्लादेश में भी लागू किया गया है। बांग्लादेश में हमारा वीजा ऑपरेशन भारत द्वारा दुनिया भर में किए जाने वाले सबसे बड़े वीजा ऑपरेशन में से एक है। यानी मेजबान देश में मौजूद आवेदन केंद्रों, प्रतिदिन प्राप्त होने वाले आवेदनों की संख्या और प्रोसेस और जारी किए जाने वाले वीजा की संख्या के संदर्भ में यह सबसे बड़ा ऑपरेशन है।शेख हसीना की सरकार के सत्ता से बाहर होने और भारत द्वारा बांग्लादेश में अपनी राजनयिक मौजूदगी कम करने के बाद इस ऑपरेशन पर असर पड़ा है, जिससे नुकसान भारत को हुआ है क्योंकि उदार वीजा प्रक्रिया भारतीय व्यापार, विशेष रूप से मेडिकल टूरिज्म (चिकित्सा पर्यटन) के लिए अत्यधिक अनुकूल रही है। दरअसल, भारत में आने वाले सभी चिकित्सा पर्यटकों में से आधे, यानी सालाना कुल 6,35,000 में से लगभग 325,000, बांग्लादेशी होते हैं।दूसरी ओर, भारत आने के लिए पाकिस्तानियों को किन-किन परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है, यह अक्टूबर 2024 में मेरे एक मित्र द्वारा लाहौर से बैंगलोर की यात्रा के माध्यम से समझा जा सकता है। इन मित्रों में से एक ने गुरुवार की रात को अटारी-वाघा सीमा पार करके अमृतसर से बैंगलोर के लिए फ्लाइट ली। अगले दिन, वह बैंगलोर में अपने प्रवेश को दर्ज कराने के लिए पुलिस स्टेशन में पहुंचा। पाकिस्तानियों को सिटी स्पेसिफिक यानी किसी एक शहर की यात्रा के लिए ही विशिष्ट वीज़ा दिया जाता है जिसके तहत उन्हें शहर में प्रवेश और निकास पर प्रत्येक शहर के पुलिस स्टेशन में पंजीकरण कराना होता है। उसके अगले दिन, शनिवार को, वह फिर से पुलिस स्टेशन में अपनी रवानगी दर्ज कराने गया, क्योंकि रविवार को स्टेशन बंद रहेगा। वह रविवार को दिल्ली के लिए रवाना हुआ और सोमवार को उसे वहां के पुलिस थाने में रिपोर्ट करना था।मैं अपने दोस्त की इन दिक्कितों आदि को समझ सकता हूं क्योंकि पाकिस्तान की मेरी कुछ यात्राओं पर मुझे भी ऐसे ही ‘रिपोर्टिंग’ वीज़ा दिए गए थे। इसका मकसद लोगों को आने से रोकना है और यही हाल उन लोगों का है जो दरअसल वीजा हासिल कर लेते हैं, जबकि अधिकांश लोगों को वीजा देने से इनकार कर दिया जाता है। वीजा को लेकर यह कड़ाई एक जैसी है और दोनों पक्ष ऐसा करते हैं।लगभग 25 लाख बांग्लादेशी पर्यटक सालाना भारत आते हैं, जबकि पाकिस्तानियों की संख्या लगभग 40,000 है। पर्यटन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2024 की पहली छमाही में, भारत आने वाले पर्यटकों में बांग्लादेशी सबसे आगे थे। इनकी संख्या अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा से ज्यादा थी। इनमें भी इन तीनों देशों के भारतीय मूल के लोगों की संख्या को देखते हुए उल्लेखनीय है। 2010 तक बांग्लादेशी पर्यटकों की संख्या लगभग 5 लाख प्रति वर्ष होती थी और उससे पहले के तीन वर्षों में भी यह संख्या लगभग इसी के आसपास थी। फिर 2014 में यह दोगुनी होकर लगभग 10 लाख हो गई और मोदी दशक में यह फिर से दोगुनी हो गई।
बांग्लादेशियों की संख्या इसलिए भी उल्लेखनीय है क्योंकि इसी दौरान भारत में सत्ता में बैठी राजनीतिक पार्टी की ओर से बांग्लादेशियों के प्रति बयानबाजी चरम पर थी। यहां तक ​​कि हाल ही में संपन्न चुनाव अभियान में भी बीजेपी नेतृत्व की ओर से मतदाताओं को दिए गए संदेश में ‘बाहरी लोगों’ जैसे धमकी भरे बयान दिए गए।इस निरंतर भय-प्रचार को देखते हुए, ज्यादातर भारतीय शायद यही सोचेंगे कि बांग्लादेश के साथ वीज़ा व्यवस्था वैसी ही है जैसी पाकिस्तान के साथ है। जबकि ऐसा नहीं है और वास्तविक आंकड़ों पर नज़र डालने से पता चलता है कि बीजेपी ने बांग्लादेश के लोगों की अधिक खुली आवाजाही की अनुमति देकर उसके साथ संबंध बनाने में पिछली सरकारों की समझदारी भरी कार्रवाइयों को जारी रखा है। आंकड़े बताते हैं कि यह भारत के लिए फायदेमंद रहा है।बेशक दोनों देशों के बीच आवागमन उतना खुला नहीं है जितना कि दूसरे पड़ोसी देशों के साथ है, जिसके बारे में हमारे विदेश मंत्रालय के नोट में लिखा है कि: 'भारत और नेपाल के बीच घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंध हैं, जिनकी विशेषता सदियों पुराने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध, खुली सीमा और लोगों के बीच गहरे संपर्क हैं।'यह भाषा, बांग्लादेश के साथ हमारे रिश्तों के बताने वाली भाषा के समान ही है, लेकिन एक अंतर है। वह यह है कि नेपाल के साथ हमारी खुली सीमा है और दोनों ओर के नागरिकों को दूसरे देश में जाने या रोजगार खोजने के लिए वीजा या पासपोर्ट की भी जरूरत नहीं होती है।

झारखंड के लेागों ने संविधान के साथ जल जंगल जमीन की रक्षा की, नतीजों पर बोले राहुल गांधीराहुल गांधी ने झारखंड के चुनाव नत...
23/11/2024

झारखंड के लेागों ने संविधान के साथ जल जंगल जमीन की रक्षा की, नतीजों पर बोले राहुल गांधी

राहुल गांधी ने झारखंड के चुनाव नतीजों पर झारखंड के लोगों का आभार जताया. महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों पर सवाल उठाते हुए उन्होंने वायनाड में प्रियंका गांधी को मिली जीत पर गर्व जताया.

महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव नतीजों पर राहुल गांधी ने कहा कि झारखंड की जनता ने इंडिया गठबंधन को जनादेश दिया है. इसके लिए दिल से धन्यवाद. उन्होंने सीएम हेमंत सोरेन, कांग्रेस और झामुमो के सभी कार्यकर्ताओं को इस जीत के लिए बधाई और शुभकामनाएं दीं. उन्होंने कहा कि यह गठबंधन की जीत के साथ साथ जल जंगल जमीन की रक्षा की जीत है.

महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे अप्रत्याशित
राहुल गांधी ने महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों को अप्रत्याशित बताया. उन्होंने कहा कि हम इन नतीजों का विस्तार से विश्लेषण करेंगे. राहुल गांधी ने प्रदेश के सभी मतदाता बहनों और उनके समर्थक के साथ कार्यकर्ताओं की मेहनत को सराहा और उनका आभार भी जताया.वायनाड में जीत से महसूस हो रहा गर्व
वायनाड में बहन प्रियंका की जीत पर राहुल गांधी ने कहा कि मुझे बहुत गर्व महसूस हो रहा है, क्योंकि वायनाड में मेरे परिवार ने प्रियंका पर भरोसा किया है. मैं जानता हूं कि वह हमारे प्रिय वायनाड को प्रगति और समृद्धि के प्रतीक में बदलने के लिए साहस, करुणा और अटूट समर्पण के साथ नेतृत्व करेंगी.

महाराष्ट्र में NDA की जीत समझ से परे, सवाल हर किसी के मन में बोले उद्धव ठाकरेमहाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव नतीजों पर शिव...
23/11/2024

महाराष्ट्र में NDA की जीत समझ से परे, सवाल हर किसी के मन में बोले उद्धव ठाकरे

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव नतीजों पर शिवसेना यूबीटी नेता उद्धव ठाकरे की प्रतिक्रिया सामने आई है. उद्धव ठाकरे ने कहा कि जो परिणाम आए हैं वो अनपेक्षित हैं, लेकिन महाविकास अघाड़ी को जिन लोगों ने वोट दिया है मैं उनका धन्यवाद करता हूं. कुछ लोग ईवीएम की जीत बता रहे हैं, हो सकता है, लेकिन हम महाराष्ट्र के स्वाभिमान के लिए लड़ते रहेंगे. अब देखना है कि ये जीत आम आदमी को पचता है या नहीं, ये सोचने वाली बात है. परिणाम पूरी तरह से अप्रत्याशित और रहस्यमय है. यह कैसे हुआ यह सवाल हर किसी के मन में है.उद्धव ठाकरे ने आगे कहा कि हमें ऐसी उम्मीद है कि असल बीजेपी का कोई नेता मुख्यमंत्री होगा. अभी जीते हैं तो हम उनका अभिनंदन करते हैं, लेकिन राज्य में लाडली बहना योजना के साथ-साथ बाकी स्कीम चालू रखें. अब विधानसभा में ये लोग कोई बिल लाएंगे तो पास कराने में कोई दिक्कत नहीं होगी. लोगों ने एनडीए को वोट क्यों दिया पता नहीं. राज्य में सोयाबीन की कीमत नहीं मिली, नौकरी नहीं मिली, बाकी समस्याएं भी जस की तस हैं.

‘यह परिणाम समझ से परे है’
उद्धव ठाकरे ने कहा कि हमने पूरे राज्य में यात्रा की. इस नतीजे का मतलब है कि लोगों ने महायुति को वोट क्यों दिया? क्या आपने इसलिए दिया क्योंकि सोयाबीन का भाव नहीं मिल रहा? क्या आपने इसलिए दिया क्योंकि कपास की कोई कीमत नहीं है? क्या आपने इसलिए दिया क्योंकि राज्य का उद्योग गुजरात ले जाया जा रहा है? क्या आपने महिला सुरक्षा के लिए वोट किया? मैं नहीं समझता. ये लहर प्यार की नहीं बल्कि गुस्से की है. यह परिणाम रहस्यमय है. इसके पीछे का रहस्य कुछ दिनों में पता लगाना होगा.

‘निराश मत हो, थक मत जाओ’
उन्होंने आगे कहा कि फिलहाल, मैं महाराष्ट्र के लोगों से यही कहना चाहूंगा कि वे निराश न हों. थके नहीं. कुछ लोग कहते हैं कि यह ईवीएम की जीत है, हो सकता है, लेकिन अगर जनता नतीजे को स्वीकार कर ले तो किसी को कुछ कहने की जरूरत नहीं है. अगर बात नहीं बनी तो हम जमकर संघर्ष करते रहेंगे, महाराष्ट्र के हित के लिए काम करते रहेंगे. मैं वादा करता हूं कि हम आपके साथ हैं.

झारखंड में हेमंत सोरेन को मिला ‘मंईयां’ का आशीर्वाद, कल्पना के स्टारडम का भी चला जादूएक ही नारा, हेमंत दोबारा’- झारखंड क...
23/11/2024

झारखंड में हेमंत सोरेन को मिला ‘मंईयां’ का आशीर्वाद, कल्पना के स्टारडम का भी चला जादू

एक ही नारा, हेमंत दोबारा’- झारखंड के विधानसभा चुनाव में जेएमएम की ओर से दिया गया यह स्लोगन अब सच के तौर पर साकार हो गया है। हेमंत सोरेन की अगुवाई वाले चार दलों के गठबंधन ने झारखंड की सत्ता-सियासत में दो ऐतिहासिक रिकॉर्ड बना दिया है। पहला यह कि झारखंड के 24 वर्षों के इतिहास में इसके पहले किसी पार्टी या गठबंधन की सरकार दूसरे टर्म में रिपीट नहीं हुई थी। दूसरा रिकॉर्ड यह कि किसी गठबंधन ने आज तक एक साथ 50 से ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज नहीं की थी।

खबर लिखे जाने तक चुनाव आयोग के आधिकारिक आंकड़े के अनुसार, जेएमएम-कांग्रेस-राजद-सीपीआई एमएल का गठबंधन 81 सदस्यीय विधानसभा की 50 से ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज करने के करीब है। इस रिकॉर्ड जीत में हेमंत सोरेन सरकार की ‘मंईयां सम्मान योजना’ को सबसे बड़ा गेम चेंजर माना जा रहा है। यह योजना अगस्त में लॉन्च हुई थी। इसके तहत 18 से 50 साल की उम्र तक की 57 लाख महिलाओं के खाते में हर महीने एक-एक हजार रुपये की राशि भेजी जा रही है। योजना जबरदस्त लोकप्रिय हुई और झारखंड की ‘मंईयां’ (बहनों) ने हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली सरकार को इस एक हजार की राशि के बदले में वोटों से मालामाल कर दिया।

राज्य की 81 में से 68 विधानसभा सीटों पर पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने ज्यादा संख्या में मतदान किया। इस चुनाव में कुल 1 करोड़ 76 लाख 81 हजार सात (1,76,81,007) लोगों ने मताधिकार का इस्तेमाल किया। इनमें महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों की तुलना में 5 लाख 51 हजार 797 (5,51,797) ज्यादा रही। महिला वोटरों की यह तादाद इस बात की तस्दीक करती है कि ‘मंईयां सम्मान योजना’ ने इस चुनाव में कैसा जादू किया है।

हेमंत सोरेन को भी इस ‘जादू’ का अहसास था। 20 नवंबर को आखिरी दौर के मतदान के बाद सोशल मीडिया एक्स पर ‘मंईयां’ के प्रति विशेष तौर पर आभार जताया था। उन्होंने लिखा था, ‘बुजुर्ग, युवा, श्रमिक, महिला, किसान- सभी ने उत्साह और उमंग के साथ लोकतंत्र के इस महापर्व में अपना अभूतपूर्व आशीर्वाद दिया। सभी ने, खासकर, राज्य की आधी आबादी- हमारी मंईयां ने बढ़-चढ़कर अपने हक-अधिकार, मान और सम्मान के लिए ऐतिहासिक रूप से झामुमो और इंडिया गठबंधन को अपना असीम आशीर्वाद दिया।‘

इसके अलावा करीब 37 लाख बिजली के बकायेदारों का बिल माफ करने और किसानों के दो लाख रुपये तक के कर्ज माफी जैसे निर्णयों का भी खासा असर रहा। इन निर्णयों से ग्रामीण क्षेत्रों के लोग सबसे ज्यादा लाभान्वित हुए थे और इसी का असर रहा कि गांवों में इस बार अब तक की सर्वाधिक वोटिंग का रिकॉर्ड बना।

हेमंत सोरेन की दोबारा सत्ता में वापसी की इस पटकथा में उनकी पत्नी कल्पना सोरेन बेहद अहम किरदार साबित हुईं। उन्होंने सत्तारूढ़ गठबंधन के स्टार प्रचारक के तौर पर सबसे अधिक करीब 105 चुनावी सभाएं कीं। लोगों से सीधे संवाद करने की उनकी अदा खूब पसंद की गई। वह झारखंड मुक्ति मोर्चा की पहली नेता हैं, जिनकी शहरी इलाकों में भी जबरदस्त अपील रही। अन्यथा, झामुमो को इसके पहले गांवों की पार्टी के तौर पर देखा जाता रहा है।

कल्पना ने इसी साल जनवरी में हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद घर की देहरी लांघ कर राजनीति में कदम रखा था और देखते-देखते वह धूमकेतु की तरह छा गईं। लोग उन्हें राजनीति में ‘विपत्ति की उत्पत्ति’ मानते हैं। हेमंत सोरेन के जेल जाने से आदिवासियों में जो स्वाभाविक तौर पर गुस्सा उभरा था, उसका असर लोकसभा चुनाव के बाद इस चुनाव में भी बरकरार रहा। भारतीय जनता पार्टी से जो आदिवासियों का जो तबका छिटका था, उसे समेटने में वह नाकाम रही।

इस चुनाव में भाजपा ने झारखंड के संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा सबसे प्रमुखता से उठाया, लेकिन उसे आदिवासियों के लिए आरक्षित सीटों पर जैसी शिकस्त मिली है, उससे साफ है कि यह मुद्दा जमीनी स्तर पर कारगर नहीं साबित हो पाया।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस चुनाव में भाजपा की ओर से चुनावी अभियान की पूरी कमान असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा और शिवराज सिंह चौहान जैसे प्रदेश के बाहर के नेताओं के हाथ में सौंपा जाना भी पार्टी की बड़ी रणनीतिक चूक रही। झारखंड के लोगों ने पूरी चुनावी लड़ाई को ‘हेमंत बनाम हिमंता’ के रूप में देखा। उन्होंने हिमंता बिस्वा सरमा को बाहरी लीडर करार देते हुए एक तरह से नकार दिया।

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