09/12/2024
पर्ची से तर्जी तक ...मोहन का सफर
आलोक एम इन्दौरिया
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव एक मुख्यमंत्री के रूप में एक साल पूरा करने जा रहे हैं और जाहिर सी बात है कि इस 1 साल का लेखा-जोखा आम आदमी जानना चाहेगा ।यह बात अलग है की आम आदमी से ज्यादा उनके विरोधी दल के लोग और इसके साथ-साथ सत्ता में विरोधी उनके लोग भी इस चीज को जानना चाहेंगे कि आखिर मोहन यादव के 1 साल का लेखा-जोखा क्या है ? क्या वे अपने पीछे शिवराज सिंह द्वारा खींची गई उस बड़ी लकीर के आसपास है , बराबर हैं या फिर उन्होंने अभी सफऱ की शुरुआत की है। यह बात अलहदा है कि शिवराज से उनकी तुलना इसलिए नहीं की जा सक्ती क्योंकि शिवराज ने 17 साल इस प्रदेश में हुकूमत की और जाहिर सी बात है कि उनके कामों की फैहरिस्त यकीनन लंबी होगी। लेकिन यदि हम मोहन यादव के सिर्फ और सिर्फ एक साल की कामों के लेखा-जोखा में झांकने की कोशिश करें तो हम पाएंगे कि कम समय में उन्होंने बहुत काम किया है इसमें शक नहीं है। 11 दिसंबर 20 23 को गुप फोटो की तीसरी लाइन में बैठे हुए डॉ मोहन यादव को भी शायद इल्म नहीं था की वह प्रदेश के शहंशाह बनने वाले हैं। जब पर्ची पर लिखा उनका नाम बोला गया तो सभी हथ प्रभ रह गए क्योंकि शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्रतोमर ,प्रहलादपटेल और कैलाश विजयवर्गीय जैसे बड़े नाम के बीच से एक बहुत अदना सा नाम मोहन मुख्यमंत्री के रूप में कल कमान ने चुना और उन पर पर्ची वाले मुख्यमंत्री की मोहर चस्पा हो गई। मगर एक साल के अल्प समय में ही वे पर्ची वाले मुख्यमंत्री से तर्जी वाले मुख्यमंत्री बन गए। और ऐसी तर्जी वाले की जिनकी तूती मध्य प्रदेश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश ,बिहार ,झारखंड ,हरियाणा और महाराष्ट्र तक बोलने लगी। एक साधारण मंत्री से सीधा मुख्यमंत्री बन जाना ग्रहों का उच्च योग हो सकता है लेकिन उसे पद पर बने रहकर प्रशासनिक कसावट ,विरोधी दलों से जूझने के साथ अपनी ही पार्टी के लोगों की राजनीतिक चालों और आरोपों से अपने आप को बचाना बहुत बड़ी चुनौती होती है। मोहन यादव को बतौर सीएम आंतरिक और बाहरी मोर्चे पर जबरदस्त मशक्कत करनी पड़ी है। लेकिन यह शायद उन पर महाकाल की कृपा रही कि न केवल सभी अवरोधों को पार करते हुए न केवल धूमकेतु की भांति मध्य प्रदेश की राजनीति में स्थापित हो गए बल्कि एक कट्टर हिन्दुत्व वादी और बेहतर मुख्यमंत्री के रूप में वे देश में अपना ठोस मुकाम बना डाला। बेशक मोहन यादव का मुख्यमंत्री के रूप में अभी अल्प समय ही हुआ है लेकिन यदि उनके कामों पर नजर डालें तो कामों की सूची बहुत लंबी है जिसमें इंफ्रास्ट्रक्चर, इंडस्ट्री ,एग्रीकल्चर इरिगेशन ,हेल्थ ,रिवेन्यू ,एजुकेशन पुलिसिंग समैत ऐसा कोई विभाग नहीं है जिसमें 1 साल के दौरान काम ना हुआ हो। लेकिन जो सबसे उल्लेखनीय काम है वह है औद्योगीकरण के क्षेत्र में उनके द्वारा विकास के जो प्रयास किए गए हैं वह भूतो ना भविष्यति कहलाने लायक है। पहली बार इस सेक्टर में जबरदस्त काम हुआ है और 5 रीजनल इंडस्ट्री कांक्लेव और चार शहरों के रोड शो से कुल मिलाकर 2 लाख 38 620 करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले हैं ।इसके साथ-साथ 84240 करोड़ का निवेश रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में माना जा रहा है ।इसमें जहां लगभग बेशुमार लोगों को रोजगार मिलेगा वहीं इन उद्योगों से जुड़ी हुई अन्य छोटी इंडस्ट्री और माल सप्लाई करने वालों के रोजगार के नये अवसर खुलेंगे इसमें शक नहीं है। अभी ताजा - ताजा नर्मदापुरम के इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में लगभग 32000 करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले हैं जो 50000 रोजगार के अवसर प्रदान करेंगे ।यकीनन उधोगों के क्षेत्र में मध्य प्रदेश के इतिहास की यह अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि है। इसके अतिरिक्त विदेश से भी भारी निवेश के प्रस्ताव लेकर मध्य प्रदेश के मोहन वापस लौटे हैं। जमीन की रजिस्ट्री के साथ नामांतरण, केंद्र बेतवा लिंक परियोजना, लगभग 50000 के अधिक पद स्वास्थ्य विभाग में सृजित करना और ढाई लाख नौकरियों के लिए ठोस काम करना, मेडिकल कॉलेज की संख्या बढ़कर 17 मेडिकल कॉलेज प्रारंभ करने का प्रयास करना, सिंचाई का रकवा बढ़ाना ,प्रदेश में पीएम श्री स्कूलों और कालेजों को खोलना ,कृषि वित्त पोषण सिंचाई और अन्य सहायक योजनाओं के माध्यम से प्रदेश को एक प्रमुख कृषि उत्पादक राज्य में बदलना, सड़क निर्माण ,ग्रामीण विकास और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में भी सराहनीय काम के साथ-साथ कानून व्यवस्था को सुधार करना यह ऐसे तमाम अनगिनत काम है जिन्हें हम मुख्यमंत्री की सफलता के खाते में डाल सकते हैं। मध्य प्रदेश में एक बेहद ईमानदार और सख्त प्रशासक मुख्य सचिव अनुराग जैन और बेहद ईमानदार के साथ-साथ सख्त पुलिसिंग के लिए जाने जाने वाले डीजीपी कैलाश मकवाना की नियुक्ति इस बात का संकेत है कि वह प्रदेश को किस तरह से विकास के पद पर अरुड करके भय मुक्त बनाने का काम कर रहे हैं। मोहन यादव खांटी संघी हैं और उनके काम में स्पष्ट रूप से संघ की झलक दिखाई दे रही है। वह सुशासन के साथ-साथ हिंदुत्व के पैरोकार भी है। और योगी आदित्यनाथ तथा हेमंत शर्मा के बाद तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में हिंदुत्व के नए ब्रांड एंबेसडर के रूप में हुए देश में स्थापित हो चुके हैं इसमें शक नहीं है। संघ के जो संस्कार थे वह सरकार चलाने में कहीं ना कहीं प्रस्फुटित होते ही? हैं। उच्च शिक्षा मंत्री रहने के दौरान उन्होंने हिंदू धर्म ग्रंथ और महापुरुषों चरित्र को पढ़ाये जाने के लिए ठोस प्रयास किया ।प्रदेश के इतिहास में पहली बार जन्माष्टमी का त्योहार सरकारी स्कूलों में मनाया गया शायद यह देश में पहली बार हुआ है और यह एक संकेत था कि मोहन की धारा क्या होगी। ठीक इसी तरह दशहरे पर मंत्री और स्थानीय विधायकों ने जिस तरह पुलिस लाइनों में शस्त्र पूजा के अवसर पर भाग लिया और शस्त्र पूजा की वह एक संकेत था की मोहन सरकार हिन्दुत्व के पथ पर आरुढ हो चुकी है।गौ संवर्धन और गौ अभ्यारण बनाने की योजनाएं भी उनके द्वारा प्रचलन में लाई गई जो उनके हिंदूत्ववादी चेहरे को स्पष्ट रूप से रेखांकित करती है ।यानी सुशासन और विकास के साथ-साथ वे हिंदुत्व के मुद्दे पर भी न केवल प्रखर रहे बल्कि प्रखर होकर उन्होंने बड़े-बड़े मंचों पर अपनी बात भी रखी यह इस बात को परिलक्षित करता है कि वे प्रदेश में हिंदुत्व की लकीर को किस तेजी से बड़ा कर रहे हैं। बहरहाल मध्य प्रदेश के मोहन का कार्यकाल निसंदेह उपलब्धियां से परिपूर्ण रहा है जहां उन्होंने प्रशासन में कसावट का यथोचित प्रयास किया वहीं औद्योगीकरण के लिए सार्थक प्रयास किया।बेशक उनके नेतृत्व में विजयपुर का चुनाव हारे लेकिन कमलनाथ के छिंदवाड़ा में उपचुनाव जीतकर उन्होंने जो सिक्का कायम किया वह अभी तक कोई नहीं कर पाया ।मध्य प्रदेश के परिसीमन का उनका काम न केवल अकल्पनीय है बिल्कुल बल्कि अद्भुत भी है ।यह भी सच है कि मध्य प्रदेश में पहली बार कोई सरकार संघ के सामंजस्य से चल रही है तो उसका श्रेय मोहन यादव को जाता है और उन्होंने प्रदेश में अपनी 1 साल में मुकम्मल जगह बना ली वही लोकप्रियता की पायदान लगातार चढ़ते हुए एक अच्छे मुख्यमंत्री के साथ हिंदू हितों के पैरोंकार रूप में एक नई इमेज भी गढी है। (लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक है)