Jai Sanatan

Jai Sanatan �ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः�
�� सनातन धर्म ��
� गर्व से कहो हम हिंदू हैं �
� Jai Shri Ram �
(1)

करवा चौथ माता की कहानी 🙏🙏🚩🚩🕉🕉🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 #करवा_चौथ_माता #करवा_चौथ #करवाचौथएक बार की बात है। एक साहूकार के सात बेटे और एक...
20/10/2024

करवा चौथ माता की कहानी 🙏🙏🚩🚩🕉🕉🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
#करवा_चौथ_माता
#करवा_चौथ
#करवाचौथ

एक बार की बात है। एक साहूकार के सात बेटे और एक बेटी थी। बेटी का विवाह हो चुका था, बेटी अपने मायके में आयी थी। बेटी का नाम करवा था। सातों भाई अपनी इस इकलौती करवा बहन को बहुत गहरा प्रेम करते थे। अपनी बहन का पूरा ध्यान रखते है। जब करवा मायके में आयी हुई थी तो एक दिन शाम को सभी भोजन करने के लिए बैठे। कार्तिक मास, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि थी। अतः घर में साहूकार की सभी बहुओं ने और साहूकार की बेटी करवा ने चतुर्थी/ चौथ का व्रत रखा हुआ था।

जब साहूकार के सभी बेटे भोजन के लिए बैठे तो उन्होंने अपनी बहन को भोजन करने के लिए कहा। भाइयों का भोजन करने के लिए बुलाने पर बहन ने कहा- भाई, अभी चाँद नहीं आया है। जब चाँद आ जाएगा तब मैं चाँद को अर्घ्य देकर व्रत पूरा करके ही भोजन करुंगी। करवा के ऐंसा कहने पर भाइयों को चिन्ता हुई कि बहन भूखी है और अभी चाँद भी नहीं आया है।

ऐंसे में सात भाइयों में से सबसे छोटा भाई बाहर किसी दूर के पेड़ पर जाकर उसमें अग्नि जलाकर उसमें एक छलनी लगाकर बहन के पास आया और बहन को कहने लगा- देखो बहन चाँद आ गया है। अब खाना खा लो। बहन ने अपनी भाभियों को भी कहा- भाभी देखो चाँद निकल आया है। अब आप लोग भी अर्घ्य देकर व्रत पूरा करके भोजन कर लो। भाभियों ने ननद करवा की बात सुनकर कहा- ननद, ये चाँद तुम्हारा आया है। हमारा नहीं।

ऐंसा कहने के बाद यह करवा अकेले ही भोजन करने के लिए बैठ जाती है और जैंसे ही भोजन का पहला ग्रास अपने मुंह में लेती है तो उसे छींक आ जाती है। दूसरा ग्रास मुंह में लेती है तो उसमें बाल निकल जाता है। इसके बाद जैंसे ही भोजन का तीसरा ग्रास मुंह में लेने को रहती है तो उसी समय उसके ससुराल से न्योता आता है कि उसके पति का स्वास्थ्य बहुत खराब है।

वह शीघ्र पति को देखने ससुराल आ जाए। इसके बाद उसकी भाभी उसे सच्चाई बताती हैं कि उसके साथ ऐंसा इसलिए हुआ क्योंकि उसने करवा चौथ का व्रत तोड़ दिया था। उसके भाइयों ने आग जलाकर झूठ कहा कि चाँद निकल गया और उसने सच मानकर अपना व्रत तोड़ दिया। इसी कारण उसका पति बीमार हुआ। सच्चाई जानने के बाद जब करवा अपने ससुराल को जाती है और यह प्रतिज्ञा करती है कि मैं अपने पति को कुछ नहीं होने दुंगी।

दुर्भाग्यवश, जब करवा अपने ससुराल पहुँचती है तो उसका पति प्राण छोड़ चुका होता है। पति के प्राण चले जाने पर करवा अपने दुःख को सहन नहीं कर पाती है और सभी से कहती है कि मैं अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं होने दुंगी। मैं अपने पति से दूर नहीं रह सकती। मैं एक पतिव्रता और सतीत्व की शक्ति से अपने पति के प्राणों को वापस लाउंगी। करवा की इन बातों को सुनकर सब उसे पागल-पागल कहने लगते हैं और करवा के पति को श्मशान में अंतिम संस्कार के लिए ले जाते हैं।

करवा भी अपने हठ और पति के वियोग में श्मशान में चली जाती है और वंहा सबको अपने पति की चिता जलाने से इन्कार करती है। करवा की बार-बार जिद करने पर सभी पारिवारिक लोग करवा की बात मान लेते हैं और करवा के पति का अंतिम संस्कार नहीं करते हैं। सब घर चले जाते जाते हैं। करवा अपने मृत पति को लेकर दूर कंही एक झोपड़ी में रहने लगती है और अपने पति को जीवित करने के लिए भगवान की पूजा व्रत आदि करने लगती है। एक साल बीत जाता है।

करवा उसी दिन का इंतजार करती है जब उसने अपने मायके में चतुर्थी का व्रत तोड़ा था। एक वर्ष बीतने के बाद जब फिर से वही कार्तिक मास की चौथ (चतुर्थी) का दिन आता है तो करवा अपने पति के प्राणों के लिए निर्जला करवा चौथ का व्रत रखती है। करवा अपने पति को पुनर्जीवित करने के लिए माँ जगदंबा से प्रार्थना करती है कि मेरे पति के प्राणों को वापस लायें। मुझे मेरा सुहाग वापस लौटाएं।

जब करवा का यह व्रत पूरा होने को रहता है तो उसके व्रत से माँ प्रसन्न हो जाती है और उसे कहती है कि यदि तुम अपने पति के प्राणों को वापस पाना चाहती हो तो अपनी सबसे छोटी भाभी के पास जाओ। वही तुम्हारे पति के प्राणों को वापस ला सकती है क्योंकि करवा का व्रत तोडने का कारण उसका सबसे छोटा भाई ही था। उसी ने पेड़ पर अग्नि जलाकर बहन को झूठ कहा था कि चाँद आ गया है।

अतः करवा अपनी सबसे छोटी भाभी के पास जाती है और उनके पांव को पकड़कर कहने लगती है कि मुझे मेरा सुहाग वापस दिलवा दो। बार-बार कहने से करवा की भाभी अपनी छोटी अंगुली को चीरकर उससे रक्त अमृत निकालती है और करवा के पति के मुंह में डालती है।

ऐंसा करने पर करवा का पति- “जय गणेश, जय गौरी, जय गणेश, जय गौरी” कहता हुआ पुनर्जीवित हो जाता है। इस प्रकार भगवान की कृपा से करवा का पति वापस आ जाता है तब करवा माँ गौरी से प्रार्थना करती है कि हे माँ गौरी, जिस प्रकार आज आपने इस करवा को फिर से सुहागन बनाया और चिर सुहागन का वरदान दिया ठीक उसी प्रकार, हे माँ! सभी स्त्रियों को सुहागन का वरदान मिले।




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मै इसी तरह नई-नई #प्रेरणादायक #कहानी और #भक्ति_कहानी आप लोगों को प्रस्तुत करता रहता हुं।

मेरे प्यारे भाइयों आप यह कहानी भक्ति और भगवान की शेयर जरूर करें जिससे उन लोगों को भी विश्वास हो जिन्हें भगवान पर विश्वास नहीं है और हमारा सोया हुआ हिंदू जाग सके... राधे राधे...जय श्री कृष्ण 🙏🙏🙏🚩🚩
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🌺🙏🚩ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः🚩🙏🌺

19/08/2024

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 19 अगस्त 2024*
*⛅दिन - सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - पूर्णिमा रात्रि 11:55 अगस्त 19 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
*⛅नक्षत्र - श्रवण प्रातः 08:10 तक, तत्पश्चात धनिष्ठा प्रातः 05:45 अगस्त 20 तक, तत्पश्चात शतभिषा*
*⛅योग - शोभन रात्रि 12:47 अगस्त 20 तक तत्पश्चात अतिगण्ड*
*⛅राहु काल - प्रातः 07:54 से प्रातः 09:30 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:18*
*⛅सूर्यास्त - 07:08*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:48 से 05:33 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:17 से दोपहर 01:09 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:21 अगस्त 20 से रात्रि 01:06 अगस्त 20 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - श्रावणी पूर्णिमा, रक्षाबंधन, हयग्रीव जयंती, गायत्री जयंती, संस्कृत दिवस, श्रावण सोमवार व्रत, ऋग्वेद उपाकर्म, यजुर्वेद उपाकर्म, सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 06:18 से प्रातः 08:10 तक)*
*⛅विशेष - भद्रा काल में राखी बांधना निषिद्ध है। भद्रा का समय (प्रातः 06:18 से दोपहर 01:32 तक)। पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹रक्षाबन्धन : 19 अगस्त 2024🌹*

*🔹सर्व मंगलकारी वैदिक रक्षासूत्र🔹*

*🌹 भारतीय संस्कृति में ‘रक्षाबन्धन पर्व’ की बड़ी भारी महिमा है । इतिहास साक्षी है कि इसके द्वारा अनगिनत पुण्यात्मा लाभान्वित हुए हैं फिर चाहे वह वीर योद्धा अभिमन्यु हो या स्वयं देवराज इन्द्र हो । इस पर्व ने अपना एक क्रांतिकारी इतिहास रचा है ।*

*🔹वैदिक रक्षासूत्र🔹*

*🌹 रक्षासूत्र मात्र एक धागा नहीं बल्कि शुभ भावनाओं व शुभ संकल्पों का पुलिंदा है । यही सूत्र जब वैदिक रीति से बनाया जाता है और भगवन्नाम व भगवद् भाव सहित शुभ संकल्प करके बाँधा जाता है तो इसका सामर्थ्य असीम हो जाता है ।*

*🔸कैसे बनायें वैदिक राखी ?🔸*

*🌹 वैदिक राखी बनाने के लिए एक छोटा सा ऊनी, सूती या रेशमी पीले कपड़े का टुकड़ा लें । उसमें दूर्वा, अक्षत (साबुत चावल) केसर या हल्दी, शुद्ध चन्दन, सरसों के साबुत दाने-इन पाँच चीजों को मिलाकर कपड़े में बाँधकर सिलाई कर दें । फिर कलावे से जोड़कर राखी का आकार दें । सामर्थ्य हो तो उपरोक्त पाँच वस्तुओं के साथ स्वर्ण भी डाल सकते हैं ।*

*🔸वैदिक राखी का महत्त्व🔸*

*🌹 वैदिक राखी में डाली जाने वाली वस्तुएँ हमारे जीवन को उन्नति की ओर ले जाने वाले संकल्पों को पोषित करती हैं' ।*

*🌹दूर्वा : जैसे दूर्वा का एक अंकुर जमीन में लगाने पर वह हजारों की संख्या में फैल जाती है, वैसे ही ‘हमारे भाई या हितैषी के जीवन में भी सदगुण फैलते जायें, बढ़ते जायें…..’ इस भावना का द्योतक है दूर्वा । दूर्वा गणेश जी की प्रिय है अर्थात् हम जिनको राखी बाँध रहे हैं उनके जीवन में आने वाले विघ्नों का नाश हो जाय ।*

*🌹 अक्षत (साबुत चावल) : हमारी भक्ति और श्रद्धा भगवान के, गुरु के चरणों में अक्षत हो, अखण्ड और अटूटट हो, कभी क्षत-विक्षत न हों – यह अक्षत का संकेत है । अक्षत पूर्णता की भावना के प्रतीक हैं। जो कुछ अर्पित किया जाय, पूरी भावना के साथ किया जाय ।*

*🌹 केसर या हल्दी : केसर की प्रकृति तेज होती है अर्थात् हम जिनको यह रक्षासूत्र बाँध रहे हैं उनका जीवन तेजस्वी हो । उनका आध्यात्मिक तेज, भक्ति और ज्ञान का तेज बढ़ता जाय । केसर की जगह पर पिसी हल्दी का भी प्रयोग कर सकते हैं। हल्दी पवित्रता व शुभ का प्रतीक है। यह नजरदोष न नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करती है तथा उत्तम स्वास्थ्य व सम्पन्नता लाती है ।*

*🌹चंदन : चन्दन दूसरों को शीतलता और सुगंध देता है । यह इस भावना का द्योतक है कि जिनको हम राखी बाँध रहे हैं, उनके जीवन में सदैव शीतलता बनी रहे, कभी तनाव न हो । उनके द्वारा दूसरों को पवित्रता, सज्जनता व संयम आदि की सुगंध मिलती रहे । उनकी सेवा-सुवास दूर तक फैले ।*

*🌹 सरसों : सरसों तीक्ष्ण होती है । इसी प्रकार हम अपने दुर्गुणों का विनाश करने में, समाज द्रोहियों को सबक सिखाने में तीक्ष्ण बनें ।*

*🌹अतः यह वैदिक रक्षासूत्र वैदिक संकल्पों से परिपूर्ण होकर सर्व मंगलकारी है । यह रक्षासूत्र बाँधते समय यह श्लोक बोला जाता हैः*

*येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।*
*तेन त्वां अभिबध्नामि1 रक्षे मा चल मा चल।।*

*🌹 इस मंत्रोच्चारण व शुभ संकल्प सहित वैदिक राखी बहन अपने भाई को, माँ अपने बेटे को, दादी अपने पोते को बाँध सकती है । यही नहीं, शिष्य भी यदि इस वैदिक राखी को अपने सदगुरु को प्रेमसहित अर्पण करता है तो उसकी सब अमंगलों से रक्षा होती है तथा गुरुभक्ति बढ़ती है ।*

*🌹 शिष्य गुरु को रक्षासूत्र बाँधते समय ‘अभिबध्नामि’ के स्थान पर ‘रक्षबध्नामि’ कहे ।*

17/08/2024

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 17 अगस्त 2024*
*⛅दिन - शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - द्वादशी प्रातः 08:05 तक तत्पश्चात त्रयोदशी प्रातः 05:51 अगस्त 18 तक*
*⛅नक्षत्र - पूर्वाषाढ़ा प्रातः 11:49 तक तत्पश्चात उत्तराषाढ़ा*
*⛅योग - प्रीति प्रातः 10:48 तक तत्पश्चात आयुष्मान*
*⛅राहु काल - प्रातः 09:30 से प्रातः 11:07 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:17*
*⛅सूर्यास्त - 07:10*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:48 से 05:32 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:18 से दोपहर 01:09 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:21 अगस्त 18 से रात्रि 01:06 अगस्त 18 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - शनि त्रयोदशी, प्रदोष व्रत*
*⛅विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹रोगप्रतिरोधक शक्ति (Immunity) बढाने हेतु सशक्त उपाय 🔹*

*🔸१. जो लोग सुबह की शुद्ध हवा में प्राणायाम करते हैं उनमें प्राणबल बढ़ने से रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ती है और इससे कई रोगकारी जीवाणु मर जाते हैं । जो प्राणायाम के समय एवं उसके अलावा भी गहरा श्वास लेते हैं उनके फेफड़ों के निष्क्रिय पड़े वायुकोशों को प्राणवायु मिलने लगती है और वे सक्रिय हो उठते हैं । फलत: शरीर की कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है, जिससे मन प्रसन्न रहता है ।*

*🔸२. सूर्यकिरणों में अद्भुत् रोगप्रतिकारक शक्ति है । संसार का कोई वैद्य अथवा कोई मानवी उपचार उतना दिव्य स्वास्थ्य और बुद्धि की दृढ़ता नहीं दे सकता है जितना सुबह की कोमल सूर्य-रश्मियों में छुपे ओज-तेज से मिलता है । प्रात:काल सूर्य को अर्घ्य-दान, सूर्यस्नान ( सिर को कपड़े से ढककर ८ मिनट सूर्य की ओर मुख व १० मिनट पीठ करके बैठना ) और सूर्यनमस्कार करने से शरीर ह्रष्ट-पुष्ट व बलवान बनता है ।*

*🔸३. तुलसी के १-२ पौधे घर में जरूर होने चाहिए । दूसरी दवाएँ कीटाणु नष्ट करती है लेकिन तुलसी की हवा तो कीटाणु पैदा ही नही होने देती है । तुलसी के पौधे का चहुँ ओर २०० मीटर तक प्रभाव रहता है । जो व्यक्ति तुलसी के ५-७ पत्ते सुबह चबाकर पानी पीता हैं उसकी स्मरणशक्ति बढ़ती है, ब्रह्मचर्य मजबूत होता है । सैकड़ो बीमारियाँ दूर करने की शक्ति तुलसी के पत्तों में है । तुलसी के एक चुटकी बीज रात को पानी में भिगोकर सुबह पीने से आप दीर्घजीवी रहेंगे और बहुत सारी बीमारियों को भगाने में आपकी जीवनीशक्ति सक्षम एवं सबल रहेगी ।*

*🔸४. नीम के पत्ते, फल, फूल, डाली, जड़ इन पाँचों चीजों को देशी घी के साथ मिश्रित करके घर में धूप किया जाय तो रोगी को तत्काल आराम मिलता है, रोगप्रतिकारक शक्तिवर्धक वातावरण सर्जित हो जाता है ।*

*🔸५. टमाटर, फूलगोभी, अजवायन व संतरा रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाते हैं अत: भोजन में इनका उपयोग करें । हल्दी, जीरा, दालचीनी एवं धनिया का उपयोग करें । परिस्थितियों को देखते हुए अल्प मात्रा में लहसुन भी डाल सकते हैं ।*

*🔸६. १५० मि.ली. दूध में आधा छोटा चम्मच हल्दी डाल के उबालकर दिन में १-२ बार लें ।*

*🔸७. रोगप्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने हेतु प्राणदा टेबलेट, ब्राह्म रसायन, होमियो तुलसी गोलियाँ, तुलसी अर्क (१०० मि.ली. पानी में १ से ५ बूँद आयु व प्रकृति अनुसार), होमियों पॉवर केअर आदि का सेवन लाभदायी है ।*

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞**⛅दिनांक - 14 अगस्त 2024**⛅दिन - बुधवार**⛅विक्रम संवत् - 2081**⛅अयन - दक्षिणायन**⛅ऋतु - वर्षा...
14/08/2024

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 14 अगस्त 2024*
*⛅दिन - बुधवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - नवमी प्रातः 10:23 तक तत्पश्चात दशमी*
*⛅नक्षत्र - अनुराधा दोपहर 12:13 तक तत्पश्चात जयेष्ठा*
*⛅योग - इंद्र शाम 04:06 अगस्त 14 तक तत्पश्चात वैधृति*
*⛅राहु काल - दोपहर 12:44 से दोपहर 02:21 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:16*
*⛅सूर्यास्त - 07:12*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:47 से 05:32 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:22 अगस्त 15 से रात्रि 01:06 अगस्त 15 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - सर्वार्थ सिद्धि योग व अमृत सिद्धि योग (प्रातः 06:16 से दोपहर 12:13 तक)*
*⛅विशेष - नवमी को लौकी खाना गौमाँस के सामान त्याज्य है। दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹धन व विद्या प्रदायक मंत्र🔹*

*श्रीहरि भगवान सदाशिव से कहते हैं : “हे रूद्र ! भगवान श्री गणेश का यह मंत्र ‘ॐ गं गणपतये नम: ।’ धन और विद्या प्रदान करनेवाला है । १०० बार इसका जप करनेवाला प्राणी अन्य लोगों का प्रिय बन जाता है ।” (गरुड़ पुराण, आचार कांड, अध्याय:१८५ )*

*वह अन्य लोगों का प्रिय तो होगा किंतु ईश्वर का प्रिय होने के लिए जपे तो कितना अच्छा !*

*ऋषि प्रसाद – मार्च २०२०*

*🔹गौमाता रोग-दोष निवारिणी🔹*

*🔸कमजोर बच्चों के लिए : अत्यधिक निर्बल, रोगी तथा सूखाग्रस्त बच्चों को गाय के थन से सीधे ही धार बच्चे के मुँह में डालें । प्रतिदिन दो-चार धार बच्चे के मुँह में डालने से बच्चे का स्वास्थ्य धीरे-धीरे ठीक होने लगेगा ।*

*🔸निर्बल तथा रोगी व्यक्तियों को गाय के धारोष्ण दूध (तुरंत निकाला गया दूध) का झाग चाट चाटकर धीरे-धीरे पीना चाहिए । इस प्रकार मात्र २० मिलिलिटर दूध पीने से ही एक लिटर दूध के बराबर लाभ मिलता है ।*

*🔸चक्कर आना तथा प्यास लगना : गोदुग्ध चक्कर आना, अधिक प्यास लगना, पुराना ज्वर, रक्त विकार आदि तकलीफों को दूर करता है तथा क्रोध को शांत करता है ।*

*🔸आँख में चमक लगना या गर्मी के कारण आँख लाल होना : वैल्डिंग की चमक से या गर्मी के दिनों में तेज धूप से कभी-कभी आँखों में चमक लग जाती है, आँखें लाल हो जाती हैं तथा दर्द करने लगती हैं । इसके निवारण के लिए गाय के दूध में फिटकरी डालकर उसे उबालें ताकि दूध फट जाय । फटे दूध का छैना साफ-स्वच्छ रूई के फाहे पर रख लें । उस छैने को फाहे सहित आँखों पर बाँधकर आराम से लेट जायें । आँखें बहुत जल्दी ठीक हो जाएँगी ।*

*🔸दुग्ध वर्जित : बासी दूध, ठंडा, खट्टा, दुर्गंधयुक्त, फटा, खराब रंग का दूध नहीं पीना चाहिए । कफ, खाँसी, अतिसार, श्वास और गैस के रोगी दूध का प्रयोग न करें । अगर करें तो बताई गई विधि और दवा के साथ ही प्रयोग करें ।*

13/08/2024
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞**⛅दिनांक - 08 अगस्त 2024**⛅दिन - गुरूवार**⛅विक्रम संवत् - 2081**⛅अयन - दक्षिणायन**⛅ऋतु - वर्ष...
07/08/2024

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 08 अगस्त 2024*
*⛅दिन - गुरूवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - चतुर्थी रात्रि 12:36 अगस्त 09 तक तत्पश्चात पंचमी*
*⛅नक्षत्र - उत्तर फाल्गुनी रात्रि 11:34 तक तत्पश्चात हस्त*
*⛅योग - शिव दोपहर 12:39 तक तत्पश्चात सिद्ध*
*⛅राहु काल - दोपहर 02:23 से शाम 04:01 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:13*
*⛅सूर्यास्त - 07:17*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:46 से 05:30 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:19 से दोपहर 01:11*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:24 अगस्त 09 से रात्रि 01:07 अगस्त 09 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - विनायक चतुर्थी*
*⛅विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन-नाश होता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹वर्षा ऋतु में विशेष लाभदायी🔹*

*🔹पेट के व अन्य विकारों में लाभकारी अजवायन*

*🔸अजवायन उष्ण, तीक्ष्ण, जठराग्निवर्धक, उत्तम वायु कफनाशक, आमपाचक व पित्तवर्धक है । वर्षा ऋतु में होनेवाले पेट के विकारों, जोड़ों के दर्द, कृमि- रोग तथा कफजन्य विकारों में अजवायन खूब लाभदायी है ।*

*🔹औषधीय प्रयोग🔹*

*🔸 भोजन से आधे घंटे पहले अजवायन में थोड़ा-सा काला नमक मिलाकर गुनगुने पानी के साथ लेने से मंदाग्नि, अजीर्ण, अफरा (gas), पेट के दर्द एवं अम्लपित्त (hyperacidity) में राहत मिलती है ।*

*🔸भोजन के पहले कौर के साथ अजवायन खाने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है ।*

*🔸अजवायन और तिल समभाग मिलाकर दिन में १-२ बार खाने से अधिक मात्रा में व बार-बार पेशाब आने की समस्या में राहत मिलती है ।*

*🔸अजवायन और एक लौंग का चूर्ण शहद मिलाकर चाटने से उलटी में लाभ होता है ।*

*🔸१५ से ३० दिनों तक भोजन के बाद या बीच में गुनगुने पानी के साथ अजवायन लेने से मासिक धर्म के समय होनेवाली पीड़ा में राहत मिलती है । (यदि मासिक अधिक आता हो, गर्मी अधिक हो तो उक्त प्रयोग न करें । सुबह खाली पेट २ से ४ गिलास पानी पीने से अनियमित मासिक स्राव में लाभ होता है ।)*

*🔹उपरोक्त सभी प्रयोगों में अजवायन की सेवन मात्रा: आधा से २ ग्राम ।*

*🔹अजवायन का तेल🔹*

*🔸लाभ: अजवायन के तेल की मालिश संधिवात (arthritis) और गठिया में खूब लाभदायी है ।*

*🔸तेल बनाने की विधि : २५० मि.ली. तिल के तेल को गरम करके नीचे उतार लें । इसमें १५ से २० ग्राम अजवायन डालकर कुछ देर ढक के रखें फिर छान लें । अजवायन का तेल तैयार ! इससे दिन में २ बार मालिश करें ।*

*🔹सावधानी : ग्रीष्म व शरद ऋतु में तथा पित्त प्रकृति वालों को अजवायन का उपयोग अत्यल्प मात्रा में करना चाहिए ।*
*- ऋषि प्रसाद जून 2023*

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞**⛅दिनांक - 06 अगस्त 2024**⛅दिन - मंगलवार**⛅विक्रम संवत् - 2081**⛅अयन - दक्षिणायन**⛅ऋतु - वर्ष...
05/08/2024

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 06 अगस्त 2024*
*⛅दिन - मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - द्वितीया शाम 07:52 तक तत्पश्चात तृतीया*
*⛅नक्षत्र - मघा शाम 05:44 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी*
*⛅योग - वरीयान प्रातः 11:00 तक तत्पश्चात परिघ*
*⛅राहु काल - शाम 04:02 से शाम 05:40 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:13*
*⛅सूर्यास्त - 07:18*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:45 से 05:29 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:19 से दोपहर 01:12*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:24 अगस्त 07 से रात्रि 01:07 अगस्त 07 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - मंगला गौरी व्रत*
*⛅विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹 चातुर्मास्य व्रत की महिमा🌹*

*🔸 चतुर्मास में प्रतिदिन एक समय भोजन करने वाला पुरुष अग्निष्टोम यज्ञ के फल का भागी होता है । पंचगव्य सेवन करने वाले मनुष्य को चन्द्रायण व्रत का फल मिलता है । यदि धीर पुरुष चतुर्मास में नित्य परिमित अन्न का भोजन करता है तो उसके सब पातकों का नाश हो जाता है और वह वैकुण्ठ धाम को पाता है । चतुर्मास में केवल एक ही अन्न का भोजन करने वाला मनुष्य रोगी नहीं होता ।*

*🔸 जो मनुष्य चतुर्मास में केवल दूध पीकर अथवा फल खाकर रहता है, उसके सहस्रों पाप तत्काल विलीन हो जाते हैं ।*

*🔸 पंद्रह दिन में एक दिन संपूर्ण उपवास करने से शरीर के दोष जल जाते हैं और चौदह दिनों में तैयार हुए भोजन का रस ओज में बदल जाता है । इसलिए एकादशी के उपवास की महिमा है । वैसे तो गृहस्थ को महीने में केवल शुक्लपक्ष की एकादशी रखनी चाहिए, किंतु चतुर्मास की तो दोनों पक्षों की एकादशियाँ रखनी चाहिए ।*

*🔸 जो बात करते हुए भोजन करता है, उसके वार्तालाप से अन्न अशुद्ध हो जाता है । वह केवल पाप का भोजन करता है । जो मौन होकर भोजन करता है, वह कभी दुःख में नहीं पड़ता । मौन होकर भोजन करने वाले राक्षस भी स्वर्गलोक में चले गये हैं । यदि पके हुए अन्न में कीड़े-मकोड़े पड़ जायें तो वह अशुद्ध हो जाता है । यदि मानव उस अपवित्र अन्न को खा ले तो वह दोष का भागी होता है । जो नरश्रेष्ठ प्रतिदिन ‘ॐ प्राणाय स्वाहा, ॐ अपानाय स्वाहा, ॐ व्यानाय स्वाहा, ॐ उदानाय स्वाहा, ॐ समानाय स्वाहा’ – इस प्रकार प्राणवायु को पाँच आहुतियाँ देकर मौन हो भोजन करता है, उसके पाँच पातक निश्चय ही नष्ट हो जाते हैं ।*

*🔸चतुर्मास में जैसे भगवान विष्णु आराधनीय हैं, वैसे ही ब्राह्मण भी । भाद्रपद मास आने पर उनकी महापूजा होती है । जो चतुर्मास में भगवान विष्णु के आगे खड़ा होकर ‘पुरुष सूक्त’ का पाठ करता है, उसकी बुद्धि बढ़ती है ।*

*🔸 चतुर्मास सब गुणों से युक्त समय है । इसमें धर्मयुक्त श्रद्धा से शुभ कर्मों का अनुष्ठान करना चाहिए ।*
*सत्संगे द्विजभक्तिश्च गुरुदेवाग्नितर्पणम् ।*
*गोप्रदानं वेदपाठः सत्क्रिया सत्यभाषणम् । ।*
*गोभक्तिर्दानभक्तिश्च सदा धर्मस्य साधनम् ।*

*🔸 ‘सत्संग, भक्ति, गुरु, देवता और अग्नि का तर्पण, गोदान, वेदपाठ, सत्कर्म, सत्यभाषण, गोभक्ति और दान में प्रीति – ये सब सदा धर्म के साधन हैं ।’*

*🔸 देवशयनी एकादशी से देवउठी एकादशी तक उक्त धर्मों का साधन एवं नियम महान फल देने वाला है । चतुर्मास में भगवान नारायण योगनिद्रा में शयन करते हैं, इसलिए चार मास शादी-विवाह और सकाम यज्ञ नहीं होते । ये मास तपस्या करने के हैं ।*

*🔸 चतुर्मास में योगाभ्यास करने वाला मनुष्य ब्रह्मपद को प्राप्त होता है । ‘नमो नारायणाय’ का जप करने से सौ गुने फल की प्राप्ति होती है । यदि मनुष्य चतुर्मास में भक्तिपूर्वक योग के अभ्यास में तत्पर न हुआ तो निःसंदेह उसके हाथ से अमृत का कलश गिर गया । जो मनुष्य नियम, व्रत अथवा जप के बिना चौमासा बिताता है वह मूर्ख है ।*

*🔸बुद्धिमान मनुष्य को सदैव मन को संयम में रखने का प्रयत्न करना चाहिए । मन के भलीभाँति वश में होने से ही पूर्णतः ज्ञान की प्राप्ति होती है ।*

*🔸 ‘एकमात्र सत्य ही परम धर्म है । एक सत्य ही परम तप है । केवल सत्य ही परम ज्ञान है और सत्य में ही धर्म की प्रतिष्ठा है । अहिंसा धर्म का मूल है । इसलिए उस अहिंसा को मन, वाणी और क्रिया के द्वारा आचरण में लाना चाहिए ।’*
*(स्कं. पु. ब्रा. 2.18-19)*

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04/08/2024

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 04 अगस्त 2024*
*⛅दिन - रविवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - अमावस्या शाम 04:42 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
*⛅नक्षत्र - पुष्य दोपहर 01:26 तक तत्पश्चात अश्लेषा*
*⛅योग - सिद्धि प्रातः 10:38 तक तत्पश्चात व्यतीपात*
*⛅राहु काल - शाम 05:41 से शाम 07:19 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:12*
*⛅सूर्यास्त - 07:19*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:45 से 05:28 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:19 से दोपहर 01:12*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:24 अगस्त 05 से रात्रि 01:08 अगस्त 05 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - दर्श अमावस्या, हरियाली अमावस्या, रवि पुष्य योग व सर्वार्थ सिद्धि योग (सूर्योदय से दोपहर 01:26 तक)*
*⛅विशेष - अमावस्या के दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹अमावस्या के दिन ध्यान रखने योग्य बातें🔹*

*🔸1. जो व्यक्ति अमावस्या को दूसरे का अन्न खाता है उसका महीने भर का पुण्य उस अन्न के स्वामी/दाता को मिल जाता है।*
*(स्कन्द पुराण, प्रभाव खं. 207.11.13)*

*🔸2. अमावस्या के दिन पेड़-पौधों से फूल-पत्ते, तिनके आदि नहीं तोड़ने चाहिए, इससे " ब्रह्म हत्या " का पाप लगता है ! -विष्णु पुराण*

*🔸3. अमावस्या के दिन तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*

*🔸4. जमीन है अपनी... खेती का काम करते हैं तो अमावस्या के दिन खेती का काम न करें, न मजदूर से करवाएं ।*

*🔸5. जप करें, भगवत गीता का ७ वां अध्याय अमावस्या को पढ़ें और उस पाठ का पुण्य अपने पितृ को अर्पण करें । सूर्य को अर्घ्य दें और प्रार्थना करें, आज जो मैंने पाठ किया ...अमावस्या के दिन, मेरे घर में जो गुजर गए हैं, उनको उसका पुण्य मिल जाए । " तो उनका आर्शीवाद हमें मिलेगा और घर में सुख-सम्पति बढ़ेगी ।*

*🔸6. कर्जा हो गया है तो, अमावस्या के दूसरे दिन से पूनम तक रोज रात को चन्द्रमा को अर्घ्य दें, समृद्धि बढ़ेगी ।*

*🔹गरीबी भगाने का शास्त्रीय उपाय🔹*

*गरीबी है, बरकत नहीं है, बेरोजगारी ने गला घोंटा है तो फिक्र न करो । हर अमावस्या को घर में एक छोटा सा आहुति प्रयोग करें ।*

*🔸सामग्री : १. काले तिल २. जौ ३. चावल ४. गाय का घी ५. चंदन पाउडर ६. गूगल ७. गुड़ ८. देशी कपूर एवं गौ चंदन या कण्डा ।*

*🔸विधि: गौ चंदन या कण्डे को किसी बर्तन में डालकर हवन कुण्ड बना लें, फिर उपरोक्त ८ वस्तुओं के मिश्रण से तैयार सामग्री से, घर के सभी सदस्य एकत्रित होकर नीचे दिये गये मंत्रों से ५ आहुति दें ।*
*आहुति मंत्र*
*१. ॐ कुल देवताभ्यो नमः*
*२. ॐ ग्राम देवताभ्यो नमः*
*३. ॐ ग्रह देवताभ्यो नमः*
*४. ॐ लक्ष्मीपति देवताभ्यो नमः*
*५. ॐ विघ्नविनाशक देवताभ्यो नमः*

*इस प्रयोग से थोड़े ही दिनों में स्वास्थ्य, समृद्धि और मन की प्रसन्नता दिखायी देगी ।*

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞**⛅दिनांक - 02 अगस्त 2024**⛅दिन - शुक्रवार**⛅विक्रम संवत् - 2081**⛅अयन - दक्षिणायन**⛅ऋतु - वर्...
02/08/2024

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 02 अगस्त 2024*
*⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - त्रयोदशी दोपहर 03:26 तक तत्पश्चात चतुर्दशी*
*⛅नक्षत्र - आर्द्रा प्रातः 10:59 तक तत्पश्चात पुनर्वसु*
*⛅योग - हर्षण प्रातः 11:45 तक तत्पश्चात वज्र*
*⛅राहु काल - प्रातः 11:07 से दोपहर 12:46 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:11*
*⛅सूर्यास्त - 07:21*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:44 से 05:28 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:19 से दोपहर 01:12*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:24 अगस्त 03 से रात्रि 01:08 अगस्त 03 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - श्रावण मासिक शिवरात्रि, सर्वार्थ सिद्धि योग ( प्रातः 10:59 से प्रातः 06:11 जुलाई 03 तक)*
*⛅विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। चतुर्दशी के दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹दंडवत प्रणाम का महत्व🔹*

*🔸ईश्वर की भक्ति के लिए अपने भीतर के सभी नकारात्मक तत्वों को हमें त्यागना पड़ता है और खुद को ईश्वर के चरणों में समर्पित करना होता है । ऐसा हम तभी कर सकते हैं जब हमारे भीतर मौजूद अभिमान हमारे अंतर्मन से निकल जाए । इसलिए शष्टांग प्रणाम के बढ़ावा दिया गया है ।*

*🔹दंडवत प्रणाम कैसे करते हैं ?🔹*

*🔸अपने शरीर को दंडवत मुद्रा में लाते हुए सिर, हाथ, पैर, जाँघे, मन, ह्रदय, नेत्र और वचन को मिलकर लेट कर प्रणाम करें। अष्ट अंगों में दोनों पाँव, दोनों घुटने, छाती, ठुण्डी और दोनों हथेलियाँ शामिल हैं । इस प्रकार के प्रणाम को हम ‘दण्डवत प्रणाम’ इसलिए भी कहते हैं ।*

*🔹अष्टांग दंडवत नमस्कार करने से लाभ🔹*

*👉 1. दंडवत प्रणाम करने से व्यक्ति जीवन के असली अर्थ को समझ पाता है और आगे की दिशा में बढ़ पाता है ।*

*👉 2. व्यक्ति के भीतर समान भाव की प्रवृत्ति जागृत होती है और अभिमान खत्म हो जाता है ।*

*👉 3. दंडवत प्रणाम करने से अहम नष्ट होता है, ईश्वर के निकट पहुंचने का रास्ता है दंडवत प्रणाम ।*

*👉 4. मन में दया और विनम्रता जैसे भाव पनपने लगते हैं ।*

*👉 5. आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायक है अष्टाङ्ग नमस्कार ।*

*👉 6. मसल्स के स्टिम्युलेशन और एक्टिव प्रयोग से पीठ मजबूत होने लगती है ।*

*👉 7. व्यक्ति अपने शरीर में ऊर्जा महसूस करने लगता है ।*

*👉 8. पाचन क्रिया में संतुलन बनाये रखने में लाभकारी है ।*

*🔹स्त्रियों को दंडवत प्रणाम क्यों नहीं करना चाहिए ?*

*'धर्मसिन्धु’ नामक ग्रंथ में इसका उत्तर हमें मिलता है, जिसमें स्पष्ट तौर पर निर्देश दिया गया है-*

*‘ब्राह्मणस्य गुदं शंखं शालिग्रामं च पुस्तकम् ।*
*वसुन्धरा न सहते कामिनी कुच मर्दनं।।’*

*अर्थात् – ब्राह्मणों का पृष्ठभाग, शंख, शालिग्राम, धर्मग्रंथ एवं स्त्रियों का वक्षस्थल यदि प्रत्यक्ष रूप से भूमि का स्पर्श करते हैं तो हमारी पृथ्वी इस भार को सहन नहीं कर सकती है । यदि पृथ्वी इस असहनीय भार को सहन कर भी लेती है तो वह इस भार को डालने वाले से उसकी अष्ट-लक्ष्मियों का हरण कर लेती है ।*

*🔹स्त्रियां ऐसे करें प्रणाम :🔹*

*🔸स्त्रियां दंडवत प्रणाम के बजाय घुटनों के बल बैठकर अपने मस्तक को भूमि से लगाकर प्रणाम कर सकती हैं ।*

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*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞**⛅दिनांक - 31 जुलाई 2024**⛅दिन - बुधवार**⛅विक्रम संवत् - 2081**⛅अयन - दक्षिणायन**⛅ऋतु - वर्षा...
31/07/2024

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 31 जुलाई 2024*
*⛅दिन - बुधवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - एकादशी दोपहर 03:55 तक तत्पश्चात द्वादशी*
*⛅नक्षत्र - रोहिणी प्रातः 10:12 तक तत्पश्चात मृगशिरा*
*⛅योग - ध्रुव दोपहर 02:14 तक तत्पश्चात व्याघात*
*⛅राहु काल - दोपहर 12:46 से दोपहर 02:25 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:10*
*⛅सूर्यास्त - 07:22*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:44 से 05:27 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:24 अगस्त 01 से रात्रि 01:08 अगस्त 01 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - रोहिणी व्रत, कामिका एकादशी, सर्वार्थ सिद्धि योग (अहोरात्रि)*
*⛅विशेष - एकादशी को सिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹एकदाशी में क्या करें, क्या ना करें ?*

*🌹1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें । नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें ।*

*🌹2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें ।*

*🌹हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l*

*🌹राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।।* *सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।*

*एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*

*🌹3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जाप करना चाहिए ।*

*🌹4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।*

*🌹5. एकदशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।*

*🌹6. व्रत के ( दशमी, एकादशी और द्वादशी ) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - का सेवन न करें ।*

*🌹7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए । आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।*

*🌹8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।*

*🌹9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।*

*🌹10. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।*

*🌹11. इस दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए ।*

*🌹12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।*

*🌹13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक) ।*

*🌹14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।*

*🔹 इस विधि से व्रत करनेवाला उत्तम फल को प्राप्त करता है ।*

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*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞**⛅दिनांक - 30 जुलाई 2024**⛅दिन - मंगलवार**⛅विक्रम संवत् - 2081**⛅अयन - दक्षिणायन**⛅ऋतु - वर्ष...
29/07/2024

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 30 जुलाई 2024*
*⛅दिन - मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - दशमी शाम 04:44 तक तत्पश्चात एकादशी*
*⛅नक्षत्र - कृतिका प्रातः 10:23 तक तत्पश्चात रोहिणी*
*⛅योग - वृद्धि दोपहर 03:56 तक तत्पश्चात ध्रुव*
*⛅राहु काल - शाम 04:04 से शाम 05:43 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:10*
*⛅सूर्यास्त - 07:22*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:43 से 05:27 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:20 से दोपहर 01:12*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:25 जुलाई 31 से रात्रि 01:08 जुलाई 31 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - दूसरा मंगला गौरी व्रत, सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 06:10 से प्रातः 10:23 तक)*
*⛅विशेष - दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

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*☔वर्षा ऋतु विशेष ☔*

*🔹वर्षा ऋतु में वायु का विशेष प्रकोप तथा पित्त का संचय होता है । वर्षा ऋतु में वातावरण के प्रभाव के कारण स्वाभाविक ही जठाराग्नि मंद रहती है, जिसके कारण पाचनशक्ति कम हो जाने से अजीर्ण, बुखार, वायुदोष का प्रकोप, सर्दी, खाँसी, पेट के रोग, कब्जियत, अतिसार, प्रवाहिका, आमवात, संधिवात आदि रोग होने की संभावना रहती है ।*

*🔹इन रोगों से बचने के लिए तथा पेट की पाचक अग्नि को सँभालने के लिए आयुर्वेद के अनुसार उपवास तथा लघु भोजन हितकर है । इसलिए हमारे आर्षदृष्टा ऋषि-मुनियों ने इस ऋतु में अधिक-से-अधिक उपवास का संकेत कर धर्म के द्वारा शरीर के स्वास्थ्य का ध्यान रखा है ।*

*🔹इस ऋतु में जल की स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें । जल द्वारा उत्पन्न होनेवाले उदर-विकार, अतिसार, प्रवाहिका एवं हैजा जैसी बीमारियों से बचने के लिए पानी को उबालें, आधा जल जाने पर उतार कर ठंडा होने दें, तत्पश्चात् हिलाये बिना ही ऊपर का पानी दूसरे बर्तन में भर दें एवं उसी पानी का सेवन करें । जल को उबालकर ठंडा करके पीना सर्वश्रेष्ठ उपाय है । पीने के लिए और स्नान के लिए गंदे पानी का प्रयोग बिल्कुल न करें क्योंकि गंदे पानी के सेवन से उदर व त्वचा-सम्बन्धी व्याधियाँ पैदा हो जाती हैं ।*

*🔹500 ग्राम हरड़ और 50 ग्राम सेंधा नमक का मिश्रण बनाकर प्रतिदिन 5-6 ग्राम लेना चाहिए ।*

*🔹पथ्य आहार : इस ऋतु में वात की वृद्धि होने के कारण उसे शांत करने के लिए मधुर, अम्ल व लवण रसयुक्त, हलके व शीघ्र पचनेवाले तथा वात का शमन करनेवाले पदार्थों एवं व्यंजनों से युक्त आहार लेना चाहिए । सब्जियों में मेथी, सहिजन, परवल, लौकी, सरगवा, बथुआ, पालक एवं सूरन हितकर हैं । सेवफल, मूँग, गरम दूध, लहसुन, अदरक, सोंठ, अजवायन, साठी के चावल, पुराना अनाज, गेहूँ, चावल, जौ, खट्टे एवं खारे पदार्थ, दलिया, शहद, प्याज, गाय का घी, तिल एवं सरसों का तेल, महुए का अरिष्ट, अनार, द्राक्ष का सेवन लाभदायी है ।*

*🔹पूरी, पकोड़े तथा अन्य तले हुए एवं गरम तासीरवाले खाद्य पदार्थों का सेवन अत्यंत कम कर दें ।*

*🔹अपथ्य आहार : गरिष्ठ भोजन, उड़द, अरहर आदि दालें, नदी, तालाब एवं कुएँ का बिना उबाला हुआ पानी, मैदे की चीजें, ठंडे पेय, आइसक्रीम, मिठाई, केला, मठ्ठा, अंकुरित अनाज, पत्तियोंवाली सब्जियाँ नहीं खाना चाहिए तथा देवशयनी एकादशी के बाद आम नहीं खाना चाहिए ।*

*🔹पथ्य विहार : अंगमर्दन, उबटन, स्वच्छ हलके वस्त्र पहनना योग्य है ।*

*🔹अपथ्य विहार : अति व्यायाम, स्त्रीसंग, दिन में सोना, रात्रि जागरण, बारिश में भीगना, नदी में तैरना, धूप में बैठना, खुले बदन घूमना त्याज्य है ।*

*🔹इस ऋतु में वातावरण में नमी रहने के कारण शरीर की त्वचा ठीक से नहीं सूखती । अतः त्वचा स्वच्छ, सूखी व स्निग्ध बनी रहे इसका उपाय करें ताकि त्वचा के रोग पैदा न हों । इस ऋतु में घरों के आस-पास गंदा पानी इकट्ठा न होने दें, जिससे मच्छरों से बचाव हो सके ।*

*🔹इस ऋतु में त्वचा के रोग, मलेरिया, टायफाइड व पेट के रोग अधिक होते हैं । अतः खाने-पीने की सभी वस्तुओं को मक्खियां एवं कीटाणुओं से बचायें व उन्हें साफ करके ही प्रयोग में लें । बाजारू दही व लस्सी का सेवन न करें ।*

*🔹चातुर्मास में आँवले और तिल के मिश्रण को पानी में डालकर स्नान करने से दोष निवृत्त होते हैं ।*

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