OM namo narayan ji Jai guru maharaj.
ओम नमो नारायण जी जय गुरु महाराज।
ओम नमो नारायण जी जय गुरु महाराज।
सदुपदेश
हनुमान जी ने भगवान की हर प्रकार की सेवा की, पर उसके बदले में कुछ नहीं चाहा । दास्य भाव को अपनाते हो तो हनुमान को उदाहरण में लो । निष्काम भक्ति का यही स्वरूप है, इष्ट के निमित्त कार्य करो और उसके फल रूप में अपने लिये किसी वस्तु की याचना न करो ।
ओम नमो नारायण जी जय गुरु महाराज। Part 14
सदुपदेश
हनुमान जी ने भगवान की हर प्रकार की सेवा की, पर उसके बदले में कुछ नहीं चाहा । दास्य भाव को अपनाते हो तो हनुमान को उदाहरण में लो । निष्काम भक्ति का यही स्वरूप है, इष्ट के निमित्त कार्य करो और उसके फल रूप में अपने लिये किसी वस्तु की याचना न करो ।
ओम नमो नारायण जी जय गुरु महाराज। Part 13
सदुपदेश
हनुमान जी ने भगवान की हर प्रकार की सेवा की, पर उसके बदले में कुछ नहीं चाहा । दास्य भाव को अपनाते हो तो हनुमान को उदाहरण में लो । निष्काम भक्ति का यही स्वरूप है, इष्ट के निमित्त कार्य करो और उसके फल रूप में अपने लिये किसी वस्तु की याचना न करो ।
ओम नमो नारायण जी जय गुरु महाराज। Part 12
सदुपदेश
हनुमान जी ने भगवान की हर प्रकार की सेवा की, पर उसके बदले में कुछ नहीं चाहा । दास्य भाव को अपनाते हो तो हनुमान को उदाहरण में लो । निष्काम भक्ति का यही स्वरूप है, इष्ट के निमित्त कार्य करो और उसके फल रूप में अपने लिये किसी वस्तु की याचना न करो ।
ओम नमो नारायण जी जय गुरु महाराज। Part 11
सदुपदेश
हनुमान जी ने भगवान की हर प्रकार की सेवा की, पर उसके बदले में कुछ नहीं चाहा । दास्य भाव को अपनाते हो तो हनुमान को उदाहरण में लो । निष्काम भक्ति का यही स्वरूप है, इष्ट के निमित्त कार्य करो और उसके फल रूप में अपने लिये किसी वस्तु की याचना न करो ।
ओम नमो नारायण जी जय गुरु महाराज। Part 10
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हनुमान जी ने भगवान की हर प्रकार की सेवा की, पर उसके बदले में कुछ नहीं चाहा । दास्य भाव को अपनाते हो तो हनुमान को उदाहरण में लो । निष्काम भक्ति का यही स्वरूप है, इष्ट के निमित्त कार्य करो और उसके फल रूप में अपने लिये किसी वस्तु की याचना न करो ।
ओम नमो नारायण जी जय गुरु महाराज। Part 9
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हनुमान जी ने भगवान की हर प्रकार की सेवा की, पर उसके बदले में कुछ नहीं चाहा । दास्य भाव को अपनाते हो तो हनुमान को उदाहरण में लो । निष्काम भक्ति का यही स्वरूप है, इष्ट के निमित्त कार्य करो और उसके फल रूप में अपने लिये किसी वस्तु की याचना न करो ।
ओम नमो नारायण जी जय गुरु महाराज। Part 8
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हनुमान जी ने भगवान की हर प्रकार की सेवा की, पर उसके बदले में कुछ नहीं चाहा । दास्य भाव को अपनाते हो तो हनुमान को उदाहरण में लो । निष्काम भक्ति का यही स्वरूप है, इष्ट के निमित्त कार्य करो और उसके फल रूप में अपने लिये किसी वस्तु की याचना न करो ।
ओम नमो नारायण जी जय गुरु महाराज। Part 7