01/09/2023
कड़ा और कालिंजर ये सब पासियो के अधिकार में था
कन्नौज के राजा जयचंद की हार के बाद , अवध के पूरब दक्षिण ( प्रयागराज कौशांबी तरफ़ के भाग ) दोवाब में पासियो ने पुन कब्जा कर लिया ,
सरकारी दस्तावेज़ एस बात के ठोस प्रमाण है की इन्ही पासियो ने पश्चिम में ' राजपासी' तथा मध्य में ' भर ' नाम से खुद को स्थापित किया था ,1896 में लिखित पुस्तक गुजिस्ता ए लखनऊ में अबुल हलीम शरर्र स्पष्ट तौर पर लिखा है " भर और पासी एक ही नस्ल के दो अलग अलग नाम से जानी जानें वाली एक जाति है " ।
अंग्रेज़ी दस्तावेज़ अनुसार कड़ा और कालिंजर पर पासी राजाओं का अधिपत्य था बाद में यह मुस्लिम सुलतानों के हाथो में जाता रहा है .....
कड़ा किला जयचंद का किला क्यों....?
ब्रिटिश दस्तावेज़ में कई अनाप शनाप कहानियां दी गई
उसी में से एक कहानी ये है
" की जयचंद की कुतुबुद्दीन ऐबक से हार के बाद सैय्यद कुतुब-उद-दीन ने राजा जय चंद के साथ लड़ाई लड़ी और कनौज पर विजय प्राप्त की; बाद में उसने कर्रा के किले में और उसके भाई मानिक चंद ने मानिकपुर के किले में शरण ली। उनका पीछा करने वाले मुसलमानों ने अपनी सेना को दो टुकड़ियों में विभाजित कर दिया, और मानिकपुर को अपने अधीन करने के लिए कुतुब-उद-दीन के बेटे क़ियाम-उद-दीन के नेतृत्व में एक दल को भेजा, जबकि कुतुब-उद-दीन खुद कर्रा में रहा ...दो महीने के युद्ध ने घेरने वालों और घेरने वालों दोनों के हजारों लोगों को मार डाला, लेकिन अंत में दोनों स्थानों के राजा अपने परिवारों को अपने साथ ले गए, अपने किले छोड़ दिए, और दक्षिण की ओर किसी पहाड़ी क्षेत्र में चले गए।
"तज़किरात-उस-सादात" में कहा गया है कि अवध के गवर्नर कुतुब-उद-दीन एबक भी इन किलों की विजय में मुसलमानों की सहायता के लिए आए थे।
जयचंद का किले में शरण लेने के वजह से आगे चलकर जयचंद का किला कहलाने लगा इसलिए कड़ा का किला जयचंद का नही , बल्की राजा कड़ेदीन पासी का है ,
साक्ष्य सबूत समय आने पर प्रस्तुत कर दिए जायेंगे 🙂
The Pasi Landlords
( कुंवर प्रताप रावत )