#लालदास_के_अनमोल_वचन ।। #लालदास_के_भजन ।। #श्रीछोटेलाल_दास ।। #स्वामीछोटेलालबाबा ।। #महर्षि_मेंही_परमहंस, श्रीछोटेलाल दासजी परमाराध्य श्री सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंसजी महाराज के प्रिय सेवकों में से एक हैं। इन पर परमाराध्य की बड़ी कृपा है। इन्होंने जो भी पुस्तकें लिखीं हैं, परमाराध्य श्री सद्गुरु महाराज की कृपा की किरण है। इनके द्वारा कई पुस्तकें लिखी गयी हैं। श्रीछोटेलाल दास जी विद्यार्थी-जीवन से ही (1974 ई0 से 1999 ई0 तक) महर्षि आश्रम, कुप्पाघाट में रहे हैं। ये आश्रम के शान्ति-संदेश प्रेम में छपनेवाली पत्रिका तथा पुस्तकों के प्रूफ देखने का काम सेवा भाव से करते थे। प्रस्तुत ‘लालदास के अनमोल वचन'’ नामक फेसबुक पेज में पूज्य श्रीछोटेलाल दास के द्वारा लिखित सूक्तियों की पुस्तक (1 अनमोल वचन, 2 जीवन-कला, 3 अमर वाणी, 4 व्यावहारिक शिक्षा, 5 नैतिक शिक्षा, 6 प्रेरक विचार, 7
#Maharshi_mehi_ke_Anmol_Vachan, ॐ श्रीसद्गुरवे नमः सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंसजी महाराज ऋषियों और सन्तों की दीर्घकालीन अविच्छिन्न परम्परा की अद्भुत आधुनिकतम कड़ी के रूप में परिगणित हैं । भागलपुर नगर के मायागंज महल्ले के पास पावन गंगा-तट पर अवस्थित इनका भव्य विशाल आश्रम आज भी अध्यात्म-ज्ञान की स्वर्णिम ज्योति चतुर्दिक बिखेर रहा है । महर्षि का अवतरण विक्रमी संवत् 1942 के वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि तदनुसार 28 अप्रैल, सन् 1885 ई0, मंगलवार को बिहार राज्यान्तर्गत सहरसा जिले (अब मधेपुरा जिले) के उदाकिशुनगंज थाने के खोखशी श्याम (मझुआ) नामक ग्राम में अपने नाना के यहाँ हुआ था । महर्षि का जन सामान्य के लिए उपदेश था कि ईश्वर की खोज के लिए कहीं बाहर मत भटको; उसे मानस जप, मानस ध्यान, दृष्टियोग और नादानुसंधान (सुरत-शब्दयोग) के द्वारा अपने ही शरीर के अन्दर खोजो । ईश्वर की भक्ति करने के लिए कोई ख
#Maharshi_mehi_ke_Anmol_Vachan,
ॐ श्रीसद्गुरवे नमः
सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंसजी महाराज ऋषियों और सन्तों की दीर्घकालीन अविच्छिन्न परम्परा की अद्भुत आधुनिकतम कड़ी के रूप में परिगणित हैं । भागलपुर नगर के मायागंज महल्ले के पास पावन गंगा-तट पर अवस्थित इनका भव्य विशाल आश्रम आज भी अध्यात्म-ज्ञान की स्वर्णिम ज्योति चतुर्दिक बिखेर रहा है ।
महर्षि का अवतरण विक्रमी संवत् 1942 के वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि तदनुसार 28 अप्रैल, सन् 1885 ई0, मंगलवार को बिहार राज्यान्तर्गत सहरसा जिले (अब मधेपुरा जिले) के उदाकिशुनगंज थाने के खोखशी श्याम (मझुआ) नामक ग्राम में अपने नाना के यहाँ हुआ था ।
महर्षि का जन सामान्य के लिए उपदेश था कि ईश्वर की खोज के लिए कहीं बाहर मत भटको; उसे मानस जप, मानस ध्यान, दृष्टियोग और नादानुसंधान (सुरत-शब्दयोग) के द्वारा अपने ही शरीर के अन्दर खोजो । ईश्वर की भक्ति करने के लिए कोई ख
#Maharshi_mehi_ke_Anmol_Vachan, ॐ श्रीसद्गुरवे नमः सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंसजी महाराज ऋषियों और सन्तों की दीर्घकालीन अविच्छिन्न परम्परा की अद्भुत आधुनिकतम कड़ी के रूप में परिगणित हैं । भागलपुर नगर के मायागंज महल्ले के पास पावन गंगा-तट पर अवस्थित इनका भव्य विशाल आश्रम आज भी अध्यात्म-ज्ञान की स्वर्णिम ज्योति चतुर्दिक बिखेर रहा है । महर्षि का अवतरण विक्रमी संवत् 1942 के वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि तदनुसार 28 अप्रैल, सन् 1885 ई0, मंगलवार को बिहार राज्यान्तर्गत सहरसा जिले (अब मधेपुरा जिले) के उदाकिशुनगंज थाने के खोखशी श्याम (मझुआ) नामक ग्राम में अपने नाना के यहाँ हुआ था । महर्षि का जन सामान्य के लिए उपदेश था कि ईश्वर की खोज के लिए कहीं बाहर मत भटको; उसे मानस जप, मानस ध्यान, दृष्टियोग और नादानुसंधान (सुरत-शब्दयोग) के द्वारा अपने ही शरीर के अन्दर खोजो । ईश्वर की भक्ति करने के लिए कोई ख
Sab kshetra kshar apra para par...... song by -sant shahee ...
Sadguru mujhko dijiye aviral bhakti...... Ringtone
Sadguru mujhako dijiye aviral bhakti dan by- shree Chhote...