11/07/2023
#ज्ञानगंगा_Part77
"गुर्दे ठीक करना व शैतान को इंसान बनाना "
मैं भक्त जगदीश पुत्र श्री प्रभुराम, गाँव- पंजाब खोड़, दिल्ली-81 । डी. टी. सी. (दिल्ली ट्रांस्पोर्ट कॉर्पोरेशन) में मकैनिक हूँ। मुझे शराब ने राक्षस वत्ति का इन्सान बना दिया था। शराब पीना, मुर्गे खाना, सिगरेट पीना, हुक्का पीना ।
मैं नौकरी से शाम को लगभग 7 या 8 बजे आता था। कई बार घर आने में शराब ज्यादा पीने पर 9 या 10 भी बज जाते थे। शराब में पागल हुए एक बार इधर एक बार उधर लड़खड़ाते हुए पैरों से घर में घुसता था। आते ही पत्नी व बच्चों को पीटना शुरु कर देना, हर रोज घर में कहर होता था। जिन बच्चों को प्यार के साथ अपनी छाती से लगाना चाहिए था वे मासूम बच्चे मुझको देखकर चारपाई के नीचे घुस जाते थे। बच्चे अपने पिता जी के घर आने की राह देखते हैं कि पापा जी आएगें, हमारे लिए खाने की चीजें लाएगें। परन्तु मैं खाने की चीजों की बजाय शराब में पागल हुए लाल आँखों से उनको मारने लग जाता था।
दूसरी तरफ मेरी धर्मपत्नी सुमित्रा देवी भी अपने दुःखी जीवन के साथ खतरनाक बीमारी से जूझती हुई स्वांस पूरे कर रही थी। उसके दोनों गुर्दे खराब हो चुके थे। डॉक्टरों ने कह दिया था कि दवाई खाते रहो। लेकिन छः महीने से ज्यादा यह जीवित नहीं रह सकती। ऑल इंडिया मैडीकल और डॉ. राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल दिल्ली से भी यह रिपोर्ट मिली कि गुर्दे खराब हो चुके हैं और यह छः महीने से ज्यादा जीवित नहीं रह सकती और साथ में दवाई भी अंत समय तक खाते रहना होगा। उन मासूम बच्चों का क्या हाल होगा जिनका पिता शराब पीता हो, माँ मत्युशैय्या पर हो। कोई वजन का कार्य नहीं कर सकती। तो उन बच्चों को जब यह पता चला कि तुम्हारी मम्मी ( माता जी ) भी छ: महीने से ज्यादा जीवित नहीं रहेगी तो उन बच्चों की आँखों से आंसु बहते रहते थे। एक तो पिता जी शराबी और दूसरी तरफ हमारी माता जी जानलेवा बीमारी से पीड़ित, हमारा क्या होगा? तीन लड़के तथा एक लड़की अपनी माता जी के पास गिरकर रोने लगे तथा कहा कि हे भगवान हम सब को भी हमारी माता जी के साथ ही अपने पास बुला लेना । यहाँ किसके सहारे जीयेंगे ?
परमात्मा ने उन बच्चों की भी पुकार सुनी और हमारे भी शुभ कर्म उदय हुए कि हमारे पड़ोस में ही भक्तमति निहाली देवी ने अपने गुरुदेव संत रामपाल जी महाराज की आज्ञानुसार 30-31-1 जनवरी 1997 को सतगुरु गरीबदास जी महाराज की अमतमयी वाणी तीन दिन का अखण्ड पाठ अपने घर करवाया। जिसमें संत रामपाल जी महाराज ने 31 दिसम्बर 1996 को रात्री में 9 से 11 बजे तक सत्संग किया। मेरी धर्मपत्नी सुमित्रा देवी भी पड़ोस में सत्संग सुनने के लिए चली गई। थोड़ी देर बाद मैं (जगदीश ) भी अपनी नौकरी से घर आ गया। घर आने पर बच्चों से पता चला कि हमारी माता जी पड़ोस में माई निहाली देवी के घर सत्संग सुनने के लिए गई है। यह सुनकर मैं बहुत क्रोधित हुआ और मैंने कहा कि कहाँ पाखण्डियों के पास चली गई ? मैं अभी उसको पीटते हुए घर लाता हूँ। यह विचार कर मैं भक्तमति निहाली देवी के घर चला गया। मैंने शराब पी रखी थी। जब मैं निहाली माई के घर पहुँचा तो संत रामपाल जी महाराज सत्संग कर रहे थे। बहुत संख्या में भक्तजन सत्संग सुन रहे थे। उन सभी को देखकर मैं कुछ नहीं बोला और चुपचाप सबसे पीछे बैठ गया। मैंने सत्संग सुना।
सत्संग में महाराज जी ने बताया कि
शराब पीवै कड़वा पानी, सत्तर जन्म श्वान के जानी।
गरीब, सो नारी जारी करें, सुरापान सो बार एक चिलम हुक्का भरें, डूबैं काली धार ।। कबीर, मानुष जन्म पाय कर, नहीं भजैं हरि नाम जैसे कुआ जल बिना, खुदवाया किस काम ।।
महाराज जी ने सत्संग में बताया कि जिन बच्चों को पिता जी ने सीने से लगाना चाहिए, उस शराबी व्यक्ति को देख कर बच्चे चारपाई के नीचे छुप जाते हैं। शराबी व्यक्ति आप भी दुःखी, धनहानि, समाज में इज्जत समाप्त तथा परिवार तथा पड़ौस व रिश्तेदारों तक को परेशान करके बद दुआऐं प्राप्त करता है। जैसे शराबी की पत्नी व बच्चे तो कहर का शिकार होते ही हैं। परन्तु पत्नी के माता-पिता, भाई-बहन आदि भी दिन-रात चिन्तित रहते हैं । सर्व पाप का भार उस नादान शराबी के शीश पर आता है। मनुष्य जन्म प्रभु ने भक्ति करके आत्म कल्याण करने को दिया है, इसको शराब आदि में नष्ट नहीं करना चाहिए। जैसे बच्चा स्कूल में शिक्षा ग्रहण नहीं करता, आवारा गर्दी में घूमता रहता है। वह शिक्षा से वंचित रह जाता है। फिर सारी आयु मजदूरी करके जीवन निर्वाह करता है। फिर उसे याद आता है कि यदि में आवारागर्दी न करता तो आज अन्य सहपाठियों की तरह बड़ा अधिकारी होता। परन्तु अब क्या बने, यह तो उस समय सोचना था । कबीर साहेब कहते हैं कि -
अच्छे दिन पीछे गये, गुरु से किया न हेत ।
अब पछतावा क्या करे, जब चिड़ियां चुग गई खेत ।।
इसी प्रकार यदि मनुष्य जन्म में जो प्राणी प्रभु भक्ति नहीं करता वह पशु-पक्षियों की योनियों को प्राप्त होता है। जो व्यक्ति शराब पीता है, वह शराब के नशे में खाने की भरी थाली को लात मारता है। भक्ति न करने से भिन्न-भिन्न प्राणियों की योनियों में कष्ट उठाता है। कभी वह कुत्ते की योनी धारण करता है। कुत्ता सारी रात सर्दी में भी गली में रहता है। ऊपर से वर्षा तथा सर्दियों की रात्री में महाकष्ट उठाता है। सुबह भूख सताती है। किसी घर की रसोई में घुसने की चेष्टा करता है। घर वाले डण्डा या पत्थर मारते हैं। कुत्ता बहुत देर तक चिल्लाता रहता है। फिर अन्य घर में घुसता है, वहाँ न जाने रोटी मिलेगी या सोटी (डण्डा ) । यदि वहाँ भी डण्डा नसीब में हुआ तो वह शराबी जो अब कुत्ता बना है, गाँव के बाहर जाता है। भूख से व्याकुल हुआ मनुष्यों का मल खाता है। यदि वह नादान प्राणी जब मनुष्य शरीर में था, सत्संग में आता, अच्छे विचार सुनता, बुराई त्यागकर अपना कल्याण करवाता तथा बच्चों को अच्छी शिक्षा तथा प्रभु की दीक्षा प्रदान करवाता, सदा सुखी हो जाता। शराब का नशा कुछ समय रहता है। परमात्मा के नाम भजन से हुए सुख का आनन्द सदा साथ रहता है।
उपरोक्त सत्संग आदरणीय संत रामपाल जी महाराज का सुन कर मेरी शराब छू मंत्र हो गई। आँखों से आंसु बह चले। घर चला गया, नींद नहीं आई । 1 जनवरी 1997 को दोपहर 1.30 बजे अपनी पत्नी को साथ लेकर संत रामपाल जी महाराज के पास गया, उनसे आत्म कल्याण के लिए उपदेश प्राप्त किया। उसके बाद आज (2005) तक शराब, तम्बाकु तथा मांस छुआ भी नहीं। मेरी पत्नी ने भी सतगुरु रामपाल जी से उपदेश लिया। उस दिन के बाद वह बिल्कुल स्वस्थ है। डॉक्टरों के ईलाज तथा बीमारी की एक्स-रे आदि की रिपोर्ट आज भी हमारे घर रखी है।
जन-जन को दिखाते हैं। मेरी सर्व से प्रार्थना है कि आप भी प्रभु के चरणों में आओ संत रूप में आए परमेश्वर के संदेश वाहक संत रामपाल को पहचानों। मुफ्त नाम उपदेश प्राप्त करके कंप्या अपना कल्याण करवाऐं। सत साहेब |
भक्त जगदीश मोबाईल नं. 9268475242
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संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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