12/12/2022
समय कभी खराब नहीं होता वो तो अपनी गति अनुसार चलता रहता है, हमारे जीवन में सुख दुख के उतार चढ़ाव आतें रहते हैं
हमें धैर्य के साथ अपना काम करते रहना होगा , जय #कुदरत
#आदिवासी_समाज (समुदाय) विश्वदृष्टि मे 🌿🍃 ,
प्रकृति व आदिवासी समुदाय एक दूसरे के प्रति पूरूक है अर्थात एक सिक्के के दो पहलू है
प्रकृति व्यापकतम मे प्राकृतिक, भौतिक, या पदार्थिय जगत या ब्राह्मण है
प्रकृति और आदिवासी के बीच अटुट रिश्ता है, पारंपरिक रूप से आदिवासी न सिर्फ प्रकृति पर निर्भर व आश्रित रहे है बल्कि उसकी रक्षा करते आये है, आदिवासी समाज ने इस बात को बहुत पहले ही समझ लिया था कि मनुष्य को अगर अगली पीढ़ी के लिए एक बेहतर दुनिया बचा के रखना है तो उन्हें पर्यावरण की रक्षा करनी होगी
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक दुनिया में लगभग 37 करोड़ आदिवासी रहते हैं, भारत में 705 जनजातियों मे बटे है जो 8.6 प्रतिशत के लगभग है
भारत में आदिवासियों को कई धर्मों में कनवर्टेड कर दिया या स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन कर दिया है जिसके .पीछे अनेकों कारण हो सकते हैं फिर भी आदिवासी अपने कल्चर को मन से नहीं भुला है व #प्रकृतिवादी विचारों को महत्व देते हैं। पेड़ पौधे, पहाड़, नदियां, चांद, सूरज की पूजा करते हैं
अर्थात पर्यावरण को सुरक्षित रखना ही प्रकृति शक्ति है के विचारों को महत्व देते है,
आदिवासीकारण इस धरती के पूराने साथी कहा जाए तो भी कोई अतिशयोक्ति नहीं
जिन्होंने प्रकृति को मां समान समझा व जल, जंगल, जमीन की रक्षार्थ प्राण भी न्योछावर किये, जंगल ही उनके उनका परिवार है, जंगली जानवरों को भी वे अपने परिवार का अटूट हिस्सा मानते है
प्रकृति से प्राप्त संसाधनों से ही वे अपना जीवन निर्वाह करते हैं लेकिन प्रकृति से उतना ही लेते हैं जितना की जरूरत होती है, साथ ही वृक्षारोपण करना, बागवानी फल पैदा करना आदि सामंजस्य बनाए रखते हैं
औधोगिकरण व तकनीकी युग से पहले तक पर्यावरण की स्थिति बहुत सुरक्षित थी लेकिन विज्ञान के युग मे पर्यावरण का बुरी तरह खनन किया, उद्योगपतियों ने अपने नीजी स्वार्थ के चलते आदिवासियों को बेदखल कर जंगल की जगह बडे़ बडे प्लांटस स्थापित किए, कम्पनियां खोली, वक्त बदल गया, वक्त के साथ साथ आदिवासियों का रहन सहन भी बदल गया लेकिन आदिवासियों का जल, जंगल, जमीन के प्रति लगाव कम नहीं हुआ है, आज भी आदिवासियों के क्षेत्रों मे पर्यावरण हरा भरा है
पालो व फलो में देख सकते हैं।
🌹जोहार जय आदिवासी 🏹