29/11/2022
चन्द दाने मांगती मेरी गिलहरी।
पास जा कर मेज पर वह कूदती,
पूंछ लहराती चली मेरी गिलहरी ।
बन फिरंगी डाल पर वह नाचती,
साथ में बच्चे लिए मेरी गिलहरी।
शीत गरमी और घनी बरसात में,
रोज घर आती रही मेरी गिलहरी।
जब हवाएं सर्द होती पेड़ बैठी धूप लेती,
देखती वह दूर से, आती नहीं मेरी गिलहरी।
मैं शहर जाने को घर से जब चला,
साथ चल कर रुक गई मेरी गिलहरी।
#गिलहरी 🥰🙏