10/08/2022
https://youtu.be/U9YTKRuIxtM
" #9अगस्त_विश्व_आदिवासी_दिवस" पर एपीआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष धी. विजय मानकर ने देश के 12 करोड़ आदिवासियों के इंडिजिनयस अधिकारों व संस्कृति का एजेंडा फिक्स किया। जिसे राष्ट्रपति महोदया, भारत सरकार एवं देश के मुख्यमंत्रियों और राज्यपालों को वे "पीटिशन" कर इसे पूरा करने की नीतिगत राजनीति करेंगे।
1. #भारत के संविधान में विस्तारित संशोधन कर आदिवासियों को अबॉरिज़नल ट्राइब / #इंडिजिनयस पिपल्स घोषित किया जाए।
2.उन्हें ILO कन्वेन्शन 169 एवं #संयुक्त राष्ट्र की इंडिजिनयस राइट्स की घोषणा 2007 के अंतर्राष्ट्रीय कानून के प्रावधानों के तहत जल, जमीन, जंगल एवं #संस्कृति के अधिकारों का प्रावधान किया जाए।
3.आदिवासियों को खनिज संपदा में 15 से 20 % के शेयर होल्डिंग के अधिकार दिए जाएं।
4.पेसा #कानून 1996 की धारा 4 (O) के अंतर्गत 5वीं अनुसूची क्षेत्रों के अंदर जिला स्तर पर छटवें अनुसूची के प्रावधानों के मॉडल बनाये जाएं।
5. संविधान के #अनुच्छेद 243 Z C के अंतर्गत "अनुसूचित क्षेत्रों" में "गैर अनुसूचित शहरी क्षेत्र" बनाने की प्रक्रिया बंद की जाए। #संसद इस पर विस्तृत कानून बनाए।
6. सभी 10 राज्यों में पेसा नियम बनाकर ग्राम सभाओं को अधिकार दिए जाएं।
7.पूर्वोत्तर राज्यों के "आदिवासी क्षेत्रों" में #आफसा कानून की वजह से "डिस्टर्ब क्षेत्र" घोषित करने की प्रक्रिया रोकी जाए, ताकि आदिवासियों के जिला व ग्रामीण काउंसिल स्वायत्तता से कार्य करें।
8. प्रमुख #आदिवासी भाषाएं जैसे भीली, गोंडी, मुंडारी, हो इ. को आठवीं अनुसूची को समाविष्ट की जाए एवं महत्वपूर्ण भाषाओं को "क्लासीकल लैंग्वेज" घोषित किया जाए एवं आदिवासी भाषाओं का संवर्धन किया जाए।
9. दूसरे राज्य पुनर्गठन #आयोग की स्थापना कर आदिवासी क्षेत्रों को ध्यान में रख "भील प्रदेश" जैसे आदिवासी राज्यों का निर्माण किया जाए।
10. 10 हज़ार साल से पूर्व देश में मिल रहे सैकड़ों पुरातात्विक स्थलों को "प्री हिस्टॉरिक इंडिजिनयस साइट्स" घोषित किया जाए और इसके लिए ASI के कानून में संशोधन किया जाए।
11. संबंधित राज्यों के #पंचायती राज अधिनियम व लैंड रेवेन्यू कोड को उचित तौर पर संशोधित कर पेसा 1996, पेसा नियम , वन अधिकार अधिनियम 2006, भूमि अधिग्रहण का नया कानून 2013 व अन्य संबंधित कानूनों से सुसंयुक्तिक बनाया जाए।
12.2021-22 की #जनगणना में बाकि धर्मों के कालमों से अलग आदिवासियों के संस्कृति व सभ्यता के लिए "अलग कालम/ कोड" बनाया जाए, जिससे वे अपनी प्राकृतिक मान्यताओं को उसमें स्वतंत्र तौर पर अभिलिखित कर सके।
13. भारत के अनुच्छेद 1 (1) में संशोधन कर भारत के पूर्व देश के मूल नाम '"गोंडवाना" को लाने पर सकारात्मक विचार हो।
जोहार! जय सेवा!!जय गोंडवाना!!!
केंद्रीय सचिवालय, एपीआई