Journalist Arjun Jaiswal

Journalist Arjun Jaiswal A journalist by profession. But my passion is what defines me. I am committed only to one ideology- Truth..

राजेश खन्ना जिस समय अपनी मर्जी की फिल्म, अपनी मर्जी का डायरेक्टर और अपनी मर्जी का किरदार आजादी से चुन रहे थे उस समय अमित...
19/04/2024

राजेश खन्ना जिस समय अपनी मर्जी की फिल्म, अपनी मर्जी का डायरेक्टर और अपनी मर्जी का किरदार आजादी से चुन रहे थे उस समय अमिताभ बच्चन दो से तीन मिनट के रोल के लिए भी दर दर भटक रहे थे। राजेश खन्ना और जया भादुड़ी की फिल्म बावर्ची के दौरान अमिताभ बच्चन और जया अच्छे दोस्त बन गए थे जिसके चलते अमिताभ बच्चन हर दिन सैट पर उनसे मिलने पहुंच जाया करते थे।

इससे परेशान होकर राजेश खन्ना जया से कहा करते थे कि तुम इस लड़के से मत मिला करो इसका कुछ नहीं होने वाला तुम अपने करियर पर ध्यान दो। इसके जवाब में जया ने राजेश खन्ना को कहा था कि देखना एक दिन ये लड़का तुमसे भी बड़ा सुपरस्टार बनेगा। इन‌ सब बातों से अनजान अमिताभ बच्चन अपने हर कम को निष्ठा और लगन से करते जा रहे थे।

जिसे देखते हुए उन्हें आनंद फिल्म में राजेश खन्ना के साथ काम करने का मौका मिला। इस फिल्म के दौरान मिली पहचान को देखते हुए अमिताभ बच्चन ने कहा था कि उनकी पहचान सिर्फ इसलिए है क्योंकि उन्होंने राजेश खन्ना के साथ काम किया है। धीरे धीरे समय बीतता रहा और अमिताभ बच्चन अपने समय पालन , काम के प्रति समर्पण से कई निर्माता और निर्देशकों के पसंदीदा बन गए ।

और राजेश खन्ना देर से आने वाली आदत से हर किसी की आंखों में खटकने लगे । साल 1973 में राजेश खन्ना के मना करने के बाद अमिताभ बच्चन को जंजीर फिल्म में काम करने का मौका मिला जिसने उनके करियर को पूरी तरह से बदल‌कर रख दिया । एंग्री यंग मैन के किरदार का हर संवाद लोगों की जुबान पर चढ़ गया था और सिनेमा के हर गली कूचे में अमिताभ बच्चन का नाम गूंजने लगा था।

इस फिल्म के बाद हर किसीने यह मान लिया था कि हिंदी सिनेमा को अपना अगला सुपरस्टार मिल गया है। इसी दौरान एक बार फिर अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना को फिल्म नमक हराम में साथ काम करने का मौका मिला। यह फिल्म देखने के बाद राजेश खन्ना ने भी कह दिया था कि अब मेरे तख्त का वारिस मुझे और फिल्म इंडस्ट्री को मिल गया है।

फिल्म प्रशंसकों और राजेश खन्ना की इस बात को अगले साल हुए फिल्म अवार्ड शोज ने भी सही साबित कर दिया । 1974 में आयोजित हुए फिल्म अवार्ड में बेस्ट एक्टर का अवार्ड ऋषि कपूर को मिला था जिसके लिए ऋषि कपूर ने कहा था कि वह अवार्ड उन्होंने खरीदा था।
और उस अवार्ड पर अमिताभ बच्चन का ही हक था। इसके अलावा बेस्ट सुपोर्टिंग एक्टर का अवार्ड अमिताभ बच्चन को मिला था।

यह बदलाव सिनेमा से बाहर आम लोगों के बीच भी देखा जाने लगा था। यहां तक कि नाईयों की दुकानों में राजेश खन्ना कट के लिए 2 रुपए और अमिताभ बच्चन कट के लिए साढ़े तीन रुपए लिए जाने लगे थे। जंजीर के बाद शोले और दीवार जैसी फिल्मों ने हिंदी सिनेमा में रोमांटिक फिल्मों का दौर खत्म कर दिया था।

उपर आका और नीचे काका के नारे लगाने वाले प्रोड्यूसरों की कतार अब धीरे धीरे राजेश खन्ना के दरवाजे से खत्म होने लगी थी। 1982 में वो मौका भी आया जब राजेश खन्ना ने अपनी आंखों से अपने स्टारडम को खुद से अलग होते हुए देखा ।
दरअसल 1982 में आई फिल्म शक्ति के मुहुर्त पर राजेश खन्ना को बुलाया गया था।

राजेश खन्ना के आते ही आसपास खड़े लोगों का हुजूम राजेश खन्ना के इर्द गिर्द जुट गया। लेकिन थोड़ी देर बाद जब अमिताभ बच्चन सैट पर आए तो राजेश खन्ना के पास खड़ा हर व्यक्ति ज्यों का त्यों बिना आटोग्राफ लिए अमिताभ बच्चन के पास चला गया। इसके घटना के बाद राजेश खन्ना अपने घर की बजाय अपने ऑफिस गए और कहा जाता है कि वह रात उन्होंने रोते हुए गुजारी थी।

इसी दौरान राजेश खन्ना अपनी निजी जिंदगी में भी कुछ ऐसे ही अनुभवों से गुजर रहे थे।
डिम्पल कपाड़िया ने राजेश खन्ना को छोड़ दिया था, राजनीति में गए लेकिन वह सफर भी अच्छा साबित नही हुआ।

इसके बाद अमिताभ बच्चन ने भी 90’s के आखिरी सालों में अपने करियर को ढलान पर आते हुए देखा था। Abcl कम्पनी के का बंद होना और फिल्में ना मिलने की वजह से अमिताभ बच्चन भी निराश हो गए थे। लेकिन उन्होंने अपने अहंकार और स्टारडम को पीछे छोड़ कर फिर से काम मांगने का फैसला किया और यश चोपड़ा के पास गए जिन्होंने उन्हें मोहब्ब्ते फिल्म में काम करने का मौका दिया।

लेकिन राजेश खन्ना को अपनी पुरानी आदतों ने अब भी जकड़ रखा था जो उन्हें काम मांगने से मना कर रही थी। और उनकी इसी आदत के चलते मिस्टर इंडिया जैसी फिल्म से भी उन्हें हाथ धोना पड़ा था। इसके बाद राजेश की दिनचर्या का अधिकतर समय शराब के साथ गुजरने लगा । साल 2005 के दौरान राजेश खन्ना उस समय पुरी तरह से टुट गए थे

जब उनके घर आशीर्वाद को इन्कम टैक्स डिपार्टमेंट ने सील कर दिया था। इन सब बातों को देखते हुए राजेश खन्ना ने टीवी की दुनिया से वापसी करने का मन बनाया लेकिन उनकी एक शर्त थी कि उन्हें उतने रुपए मिलने चाहिए जितने अमिताभ बच्चन को केबीसी के लिए मिलते हैं। बीग बॉस ने उनकी इस शर्त को भी मान लिया था

लेकिन अंतिम मौके पर अक्षय कुमार के कहने पर राजेश खन्ना ने बिग बॉस में जाने से मना कर दिया । इसके बाद राजेश खन्ना को वफ़ा जैसी फिल्मों और पंखे के विज्ञापन करते हुए देखा गया । भारतीय सिनेमा के पहले सुपरस्टार को बदहाली और बेचारगी में देखना काफी कष्टदायक था लेकिन यह रास्ता भी राजेश खन्ना ने खुद ही अपने लिए चुना था।

प्रशंसा और प्रशंसकों से घिरे रहने की लालसा और ज्यादा से ज्यादा काम करने की आदत उन्हें इस मोड़ पर लाई थी जहां उनके पास कुछ नहीं था। साल 2005 में फिल्मफेयर ने राजेश खन्ना को लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड के लिए चुना जिसे देने के लिए खुद अमिताभ बच्चन मौजूद थे। राजेश खन्ना का उस अवार्ड शो में दिए गए भाषण में वो बेचारगी और बेबसी साफ नजर आ रही थी।

18 जुलाई 2012 के दिन राजेश खन्ना अपनी तन्हा जिंदगी को छोड़कर इस दुनिया से विदा हो गए। एक अभिनेता ,जो ताउम्र सुपरस्टार रहा लेकिन इस बीच उन्होंने अर्श से फर्श तक का दर्दनाक सफर भी तय किया, अपनों को पराया बनते हुए भी देखा।

इज्जते ,शोहरतें ,चाहते ,उल्फते
कोई चीज इस दुनिया में रहती नहीं
आज मैं हूं जहां कल कोई और था
ये भी एक दौर है वो भी एक दौर था।
दौर खत्म हो गया लेकिन राजेश खन्ना की यादें अब भी हर किसी के जहन में जिंदा है और जब तक यादें जिंदा रहती है कलाकार भी जीवित होता है।

Cp

घर रहेंगे, हमीं उनमें रह न पाएंगेसमय होगा, हम अचानक बीत जाएंगे.!
02/04/2024

घर रहेंगे, हमीं उनमें रह न पाएंगे
समय होगा, हम अचानक बीत जाएंगे.!

13/03/2024

अनुकंपा भाई हो केतनो कर ल जतन अबकी हो जाई पतन 😢
वाल्मीकिनगर लोकसभा
70% बीजेपी
30 % जदयू बाकी भईल बियाह मोर करबो का🤣😂🤣🤣😂🤣😂🤪

भगवान श्रीकृष्ण पवित्र ग्रंथ 'गीता' के 14वें अध्याय के 05वें श्लोक में अपने शिष्य एवं मित्र अर्जुन से कहते हैं- हे परंतप...
17/01/2024

भगवान श्रीकृष्ण पवित्र ग्रंथ 'गीता' के 14वें अध्याय के 05वें श्लोक में अपने शिष्य एवं मित्र अर्जुन से कहते हैं- हे परंतप! सात्विक, राजसिक और तामसिक ये तीनों गुण प्रकृति से उत्पन्न होते हैं। इन तीन गुणों के चलते अविनाशी जीवात्मा शरीर में बंध जाती है या बंधी रहती है।

श्रद्धा होना तब भी आसान है...पर मुश्किल है "दादी"की तरह सपने संजोना कि एक दिन "मनोज"वर्दी "पहन के ही आवेगा"।     "प्रीतम...
06/01/2024

श्रद्धा होना तब भी आसान है...
पर मुश्किल है "दादी"की तरह सपने संजोना कि एक दिन "मनोज"वर्दी "पहन के ही आवेगा"।
"प्रीतम पांडेय"सा दोस्त जो बिन जाने ही एक अनजान को
अपने साथ रख लेगा।
कहा मिलेगा "गौरी भईया"जैसा जो हर विफलता पर आपको हौसला दे कर"री स्टार्ट"बोलेगा।मनोज की सफलता में ही वह खुद को सफल मान लेगा।
नहीं मिलते अब "दुष्यंत"जैसे प्रेरणा स्रोत की सोया आत्मबल जगा दे।
"कमलेश" सा भाई और कर्तव्यनिष्ठ,ईमानदार पिता हर "गरीब" के नसीब में कहाँ होता है?

श्रद्धा होना तब भी आसान है.... पर "मनोज"की सफलता में इन सब के भी सपने थे... ❤️🌻
अब तक की सबसे बेहतरीन मोटिवेशनल फिल्म "12th फेल" बनाने के लिए विधु विनोद चोपड़ा जी को साधुवाद।।

नव वर्ष 2024 की हार्दिक शुभकामनाएं...💐💐यह नया साल आपके जीवन में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली लेकर आए। ईश्वर से प्रार्थना है ...
01/01/2024

नव वर्ष 2024 की हार्दिक शुभकामनाएं...💐💐

यह नया साल आपके जीवन में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली लेकर आए। ईश्वर से प्रार्थना है कि यह वर्ष आपके जीवन में अपार उमंग, आरोग्य और उन्नति लेकर आए।
जय श्री राम 🚩🙏

जहाँ हर तरफ एनिमल मूवी का हाइप बना हुआ है उस हाइप मे 12th फेल जैसी मास्टर पीस मूवी दब कर रग रहीं गई क्योंकि मूवी मे कोई ...
23/12/2023

जहाँ हर तरफ एनिमल मूवी का हाइप बना हुआ है उस हाइप मे 12th फेल जैसी मास्टर पीस मूवी दब कर रग रहीं गई क्योंकि मूवी मे कोई सेक्स सुक्स का सीन नहीं था दो चार किसिंग सीन नहीं थे ग्लैमरस नहीं था लेकिन जो 12th फेल मूवी मे था शायद वो एनिमल मे नहीं था मनोज शर्मा की वास्तविक जीवनी पर आधारित इस फिल्म को आज के युवा वर्ग को तो 4-5 बार तो देखना ही चाहिए की कैसे 12th की परीक्षा मे चिटिंग ना होने से एक लड़का जो 12th मे फेल होता है और फिर कैसे मध्यप्रदेश के चंबल से एक लड़का डीएसपी बनने का सपना लिए निकलता है जिसे बस इतना मालूम होता है कि उसे डीएसपी बनने के लिए PCS की तैयारी करनी पड़ती है और फिर उसे जब पता चलता है कि डीएसपी से भी बड़ा कोई पद होता है जिसे पाने के लिए आईएएस की परीक्षा पास करनी होती है तो वह खाली हाथ अपने अड़ियल सोच के साथ निकल पड़ता मुखर्जी नगर की गलियों मे जहाँ वो अपने संघर्षों की पटकथा लिखता है लाईब्रेरी मे एक छोटी सी नौकरी और फिर उसके बाद चक्की की मशीन मे काम करते हुए अपने आखिरी और चौथे प्रयास मे हिन्दी माध्यम से आईपीएस बनता है जिसके संघर्षों मे उसकी प्रेमिका सुधा का साथ मूवी को अलग लेवल पर ले जाता है मूवी के एक सीन मे जब सुधा कहती है "तुम कहते थे न मनोज की अगर मैं आई लव यू बोल दूं तो तुम मेरे लिए दुनियाँ पलट दोगे तो मनोज जाओ अब पलट दो दुनियाँ" या फिर इंटरव्यू से पहले का वो सीन जब सुधा के पत्र को मनोज पढ़ता है जिसमें लिखा होता "मनोज तुम चाहे आईपीएस ऑफिसर बनो या चक्की मे काम करो मैं सारी जिंदगी तुम्हारे साथ बिताना चाहती हूँ विल यू मैरी मी मनोज" सुधा का किरदार देखने के बाद लगता है कि ऐसी पसंदीदा स्त्री हर पुरूष के जीवन मे होनी चाहिए जिसके लिए फिर कोई मनोज किसी सुधा के लिए पूरी दुनियाँ पलट दे खैर फिर रिज़ल्ट के आने से पहले की वो म्यूजिक बैकग्राउंड के साथ चल रहीं अटल बिहारी वाजपेयी की पंक्तियाँ "टूटे हुए सपने की सुने कौन सिसकी अंतर को चीर ब्यथा पलकों पर ठिठकी आँसू ना बहाऊंगा सिर्फ मुस्कुराऊंगा कह देनाभाग्य से मैं कल लौट आऊंगा" या फिर वो सीन जब मनोज कॉल पर अपनी माँ को बता रहा होता है कि माँ मैं आईपीएस बन गया है और उस वक़्त मनोज के "पापा का कहना की जा रहा हूँ उस कर्मचारी को बताने की तुमने आईपीएस के बाप से दुश्मनी ली है..। खैर संसाधनो का रोना रोने वाले और एक दो असफ़लताओ से निराश हो कर बैठने वाले लोगों के दिलों मे ये मनोज शर्मा की कहानी जान डाल देगी..❤️🌻

यूँ ही आबाद रहेगी दुनिया,हम न होंगे, कोई हम सा होगा!Miss you Hitman...♥️
16/12/2023

यूँ ही आबाद रहेगी दुनिया,
हम न होंगे, कोई हम सा होगा!
Miss you Hitman...♥️

12/12/2023

बीजेपी कुछ ज्यादा ही प्रयोग कर रही है...
प्रयोग के चक्कर में कहीं भाष्मासुर वाला हाल मत हो जाए।
अनुभवहीन व्यक्ति जो पहली बार विधायक बना उसे सीधे सीएम बना देना..।
समझ से परे है!

'अगर आपके लहू में रोष नहीं है, तो ये पानी है जो आपकी रगों में बह रहा है. ऐसी जवानी का क्या मतलब अगर वो मातृभूमि के काम न...
08/12/2023

'अगर आपके लहू में रोष नहीं है, तो ये पानी है जो आपकी रगों में बह रहा है. ऐसी जवानी का क्या मतलब अगर वो मातृभूमि के काम ना आए..।'

~ चंद्रशेखर आजाद

मध्यप्रदेश में तो बीजेपी की सुनामी है।दिग्विजय सिंह-कमलनाथ की जोड़ी का कोई असर ही नहीं।मोदी का करिश्मा और मामा-सिंधिया क...
03/12/2023

मध्यप्रदेश में तो बीजेपी की सुनामी है।

दिग्विजय सिंह-कमलनाथ की जोड़ी का कोई असर ही नहीं।

मोदी का करिश्मा और मामा-सिंधिया की ज़मीनी मेहनत।
साथ ही छत्तीसगढ़ में भी भाजपा की वापसी तय।

26/11/2023
दुनिया भर के क्रिकेट में अगर सबसे लीचड़ क्रिकेट टीम का जिक्र होगा तो वो बांग्लादेश ही होगी। खेल भावना नाम की चीज नहीं है...
07/11/2023

दुनिया भर के क्रिकेट में अगर सबसे लीचड़ क्रिकेट टीम का जिक्र होगा तो वो बांग्लादेश ही होगी। खेल भावना नाम की चीज नहीं है इनमे और ना ही इनके लोकल दर्शकों में। हम भले पाकिस्तान को पसंद नहीं करते जिसकी तमाम वजहें हैं, जिसमें पॉलिटिक्स और आतंकवाद अहम हैं। लेकिन क्रिकेट में उनके अंदर खेल भावना भरी हुई हैं और इनके दर्शकों में भी.. हल्की फुल्की ट्रोल बाज़ी तो खेल का हिस्सा है। इन दोनों देशों का उदाहरण इसलिए दिया हूं क्योंकि दोनों भारत से ही निकले हैं।

आज श्रीलंकाई बल्लेबाज एंजलो मैथ्यूज बैटिंग करने आया जिसमें थोड़ा विलंब हो गया। जिसकी वजह से शाकिब उल हसन ने अंपायर से अपील कर दी और इसे आउट करार दे दिया गया। विश्व क्रिकेट में इस तरह आउट होने का यह पहला मामला हैं।
जबकि यहां बता दें कि एंजलो मैथ्यूज तो समय से पहले क्रीज पर पहुंच ही गए थे, लेकिन उनके हेलमेट का स्ट्रिप टूट गया था। जिसे बदलने के दौरान थोड़ी देरी हो गई। ऐसे में बिना हेलमेट के भला कोई गार्ड कैसे ले सकता है। ये बात भी सोचने वाली है। अंपायर ने भी एंजलो मैथ्यूज को देखा बावजूद इसके उसने आउट दे दिया। यह सरासर गलत और घटिया कारनामा रहा।

बीते श्रीलंकाई सीरिज में शनाका शतक बनाने वाला था, शमी ने मांकड़ विधि से आउट कर दिया। शानाका चल भी दिया लेकिन कैप्टन रोहित शर्मा ने उसको बुलाकर बैटिंग करवाई और उसने शतक भी बनाया।

एक बार इंग्लैंड में टेस्ट मैच के दौरान इयान बेल गलतफहमी की वजह से रन आउट हो गया। कप्तान धोनी ने उसको वापस बुलाया और बेल ने उस मैच में शतक बना दिया था। बाद में धोनी का यह फैसला आईसीसी ने गेम ऑफ स्पिरिट ऑफ डेकेड चुना। बांग्लादेशियो ने क्रिकेट को गली क्रिकेट बना दिया है। ग्राउंड में मार पीट कर लेते हैं। क्रिकेट तो इन्होंने सीख ली और इंप्रूवमेंट भी हुई इनके खेल में वक्त के साथ लेकिन अपनी बदमिजाजी की वजह से हमेशा चर्चा में रहे हैं।

एक लड़का क्रिकेटर बनना चाहता था। खेल नही जुनून था उसके लिए क्रिकेट। सोचा कोई एकेडमी ज्वाइन कर लू, क्या पता भीतर छुपा टेल...
04/11/2023

एक लड़का क्रिकेटर बनना चाहता था। खेल नही जुनून था उसके लिए क्रिकेट। सोचा कोई एकेडमी ज्वाइन कर लू, क्या पता भीतर छुपा टेलेंट बाहर आ जाएं। पर वहा लगते थे पैसे, जो उस लड़के के पास थे नही।पर हौंसला था, हर हालात से लड़ने का। पढ़ने लिखने में मेहनती था तो उसने बच्चो को मैथ की ट्यूशन देना शुरू कर दिया। जो कमाता था वो एकेडमी के हवाले कर देता था, अपना कोई शौक नही था उसका। एक शौक था वैसे, पढ़ाने का।इसी शौक की वजह से वो क्रिकेट एकेडमी में छोटे बच्चो के बीच चला जाता। वहा वो बच्चो को वो सिखाता जो उसने सीखा था। धीरे धीरे बच्चे उसकी सलाह पर अमल करने लगे, और जब वो अच्छा परफॉर्म करते तो उसे लड़के के अंदर का एक मायूस कोना उन्हे कामयाब होता देखकर खिल उठता। कुछ वक्त गुजरने के बाद उस लड़के को समझ आया कि मेरा प्यार तो क्रिकेट है, पर मुझे कामयाब होने से ज्यादा खुशी किसी को कामयाब होते हुए देखकर होती है। फिर कुछ सोचकर उसने फैसला किया कि मैं कोचिंग के लिए जरूरी सारी चीजे सीखूंगा। फिर उस लड़के ने कोचिंग की जरूरी मेरिट पूरी की और हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन ने उसे असिस्टेंट फिल्डिंग कोच की जॉब दे दी।

असिस्टेंट ही सही, पर लड़का अब कोच बन गया था। शादी की उम्र हो रही थी, मौके भी आए पर उस लड़के को कुछ और करना था और उसके दरमियान वो किसी तरह की रुकावट नहीं चाहता था। वो जानता था कि उसके दिन के 24 घंटे दूसरे खिलाड़ियों को निखारने में लग जाने है, तो शादी जैसे जिम्मेदारी भरे रिश्ते के लायक वो खुद को नही समझता था। अपनी लगन और मेहनत से वो धीरे धीरे ही सही पर अपने गोल की तरफ बढ़ रहा था। उसका गोल क्या था, नेशनल क्रिकेट एकेडमी का हिस्सा बनना। जहा पूरे देश की नई क्रिकेट प्रतिभाओं को निखारा और सवारा जाता है। उस लड़के की ख्वाहिश थी की वो एनसीए में वो नौकरी हासिल करे जिसमे उसे एनसीए में ही क्रिकेट और क्रिकेट खेलने वालो के बीच रहना हो। उसी दौरान आईपीएल टीम डेक्कन चार्जर्स में उसे नौकरी मिल गई, वहा उसे बहुत सीखने समझने को मिला। फिर एक दिन ऐसा आया जब वो एनसीए में रेजिडेंस के तौर पर ज्वॉइन हो गया। उसे एनसीए की पेमेंट से तीन गुना ज्यादा के भी ऑफर मिले पर उसे यही करना था। और फिर वही होने लगा, दिन रात की मेहनत।

2017 में इंडिया ए की टीम बांग्लादेश गई, उस लड़के को टीम के साथ भेजा गया। फिर एक समय आया जब भारतीय क्रिकेट टीम की दो टीमें अलग अलग दौरे पर गई थी तो एक टीम का फील्डिंग कोच उसे नियुक्त किया गया। वहा उसकी मुलाकात राहुल द्रविड़ से हुई। राहुल द्रविड़ से उसने कहा कि मैं अपनी टीम से बात करना चाहता हु, द्रविड़ की इजाजत से उसने बोलना शुरू किया, बात खत्म हुई तो द्रविड़ ने आकर उसका कंधा थपथपाया और शाबाशी दी। उस दौरान उस लड़के की इंग्लिश अच्छी नही थी, वो प्लेयर्स से मिलकर अपनी बाते पूरी तरह से नही कह पाता था। वो वापस आया तो उसने अपने एक दोस्त को पकड़ा और कहा कि मैं रोज आधे घंटे किसी एक टॉपिक पर बोलूंगा तुम बस मुझे ऑब्जर्व करके बताना की क्या गलत कर रहा हु क्या सही। ऑनलाइन वॉयस चैट ग्रुप में वो ऐसे ही घुस के अपनी इंग्लिश झाड़ता रहता। धीरे धीरे उसने अपनी भाषा और स्पीच सुधार ली। अब जब अगली दफा उसे इंडियन टीम का फील्डिंग कोच नियुक्त किया गया तो वो बहुत क्लियर तरीके से अपनी बात खिलाड़ियों को समझा सकता था।

फिर आया साल 2023, भारतीय टीम और टीम मैनेजमेंट पर बहुत सवाल उठ रहे थे। कागज पर इस टीम की मजबूती पर किसी को शक नहीं था, पर ये सब एक साथ क्लिक नही हो पा रहे थे। उस लड़के को लगा कि कुछ तो किया जाना चाहिए जिससे टीम के अलग अलग मोतीयो को एक धागे में पिरो कर जीत की माला बनाई जाए। उसने एक नया ट्रेडिशन शुरू किया, बेस्ट फिल्डिंग के लिए मेडल देने का। इससे मैदान के अंदर और मैदान के बाहर एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा शुरू हुई खिलाड़ियों में जिसका असर उनकी परफॉर्मेंस में आया। मेडल सेरेमनी को इंट्रेस्टिंग बनाने के लिए उस लड़के ने दुनिया जहा के पैंतरे आजमाए, कभी स्टेडियम की स्क्रीन पर मेडल अनाउंस होता, कभी स्पाइडी कैम पर विजेता की फोटो टंगी मिलती। तो कभी स्टेडियम की रंगीन रोशनी बताती की आज कौन जीता है। बाकी टीम भी बहुत मजबूत और टेलेंटेड है, पर उनके पास टी दिलीप जैसा कोच नही है जिसे टीम को बांधना आता हो, जो छोटी छोटी चीजों को इतना इंट्रेस्टिंग बना दे कि मैदान में ही खिलाड़ी कैच लेकर उनकी तरफ इशारे करके कहे कि मुझे मेडल दो। बेशक भारतीय टीम के खिलाड़ी मेहनती और टैलेंटेड है, पर आई टीम के पीछे टी दिलीप जैसे कितने लोगो का जुनून है जो इस टीम को आज उस मुकाम तक ले गया है कि जीतना छोड़िए कोई टीम लड़ नही पा रही इसके सामने। टी दिलीप को देखकर आप एक टीचर की अहमियत समझ सकते है, दिलीप के नाम कोई रिकॉर्ड नहीं है, ना ही वो फर्स्ट क्लास का बहुत बड़ा नाम है, पर दूसरो की कामयाबी से खुश होने की आदत ही उन्हे दुनिया के सभी कोच से अलग करती है।

Bihar News: स्वास्थ्य व्यवस्था लचर, बगहा में दो हफ्तों से एंबुलेंस खराब; जैसे-तैसे अस्पताल पहुंच रहीं प्रसूताएं, देखें र...
01/11/2023

Bihar News: स्वास्थ्य व्यवस्था लचर, बगहा में दो हफ्तों से एंबुलेंस खराब; जैसे-तैसे अस्पताल पहुंच रहीं प्रसूताएं, देखें रिपोर्ट
https://jagran.com/bihar/west-champaran-ambulance-service-disrupted-in-phc-harnatand-for-two-weeks-patients-upset-bad-condition-health-department-23570196.html


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27/10/2023

सड़कें भी आवारा हो गई......
शहर में राजनीति दौड़ती है इस कदर सड़क भी आवारा हो गई।
वह गांव ही भला था जहां रात में कोई दिख जाए तो मन में हलचल।
यह सोच के गांव नहीं सोता था वह शख्स अंधेरी रात में क्यों घूम रहा था।
क्या उसके घर में सुबह चूल्हा नहीं जला था या दुख दहलीज पर खड़ा था।
यह शहर है शहर के रास्ते में चलने वाले मुसाफिर से कोई नहीं पूछता।
राजनीति इस तरह छाई रास्ते आवारा इंसान बेचारा हो गया।

Hardik Pandya World Cup 2023: न्यूजीलैंड के खिलाफ अहम मैच से बाहर हुए हार्दिक पांड्या, BCCI ने दिया इंजरी पर बड़ा अपडेटh...
20/10/2023

Hardik Pandya World Cup 2023: न्यूजीलैंड के खिलाफ अहम मैच से बाहर हुए हार्दिक पांड्या, BCCI ने दिया इंजरी पर बड़ा अपडेट
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बीसीसीआई ने टीम इंडिया के स्टार ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या की इंजरी पर बड़ा अपडेट दिया है। बोर्ड ने बताया है कि हार्...

"मनोरंजन"35 साल रेलवे में टीटी की नौकरी करने के बाद रिटायर हुए। घर पर रहने लगे।एक महिने बाद ही पत्नी ने पति से कहा डाक्ट...
08/10/2023

"मनोरंजन"
35 साल रेलवे में टीटी की नौकरी करने के बाद रिटायर हुए। घर पर रहने लगे।
एक महिने बाद ही पत्नी ने पति से कहा डाक्टर के पास जाना है, मुझे थोड़ा सा चैकअप कराना है।
😉
शाम पत्नी को डाक्टर के पास ले जाकर पति ने कहा जाइए दिखाईये,,
उसने रोनी सी सूरत बनाकर कहा आप आगे आईये
मेरा तो बहाना था
दरअसल आपको दिखाना था
🙄
डाक्टर साब , ये पिछले 35 साल रेलवे में टीटी रहे,
सप्ताह में केवल दो दिनों के लिये घर आते थे, बाकी दिन बाहर रहते थे।
लगातार "रेल यात्रा के वातावरण" को सहते थे।
🙄
अब रिटायरमेंट के बाद घर आते ही कमाल कर दिया है,
चार फीट चौड़े पलंग को काट कर दो फीट का कर दिया है,
अटैची को सांकल से बांध कर ताला लगाते हैं,
तकिये में हवा भरते हैं और चप्पलें सिरहाने रखते हैं,
कमरे का ट्यूब लाइट अलग हटा दिया है और
उसकी जगह जीरो वाट का वल्ब लगा दिया है,
😉
टेप रिकार्डर से फिल्मी गानों का कैसेट निकाल कर,,
रेल्वे एनाउंसमेंट,
गाड़ी चलने की ध्वनि,
घंटी की घनघनाहट,
और
गरम चा,,इय समोसा की कर्कश आवाज का केसेट लगाते हैं,
मूंगफली के छिलके,और बीड़ी सिगरेट के टुकड़े पलंग के चारों ओर फैलाते हैं ,
😉
मैं तो रात भर जागती हूँ
और ये आराम से सो जाते हैं
पता नहीं कैसी जिंदगी जीते हैं
कप में चाय दो, तो कुल्हड़ में पीते हैं ,
😉
एक रात मेहमान आये तो मैंने इन्हें जगाया,
इन्होने करवट बदली और मेरे हाथ में ट्रेन का टिकट और सौ रुपये का नोट थमाया।
🙄
मैने कहा ये क्या है,तो बोले रसीद नही बनाना
इंदौर आये तो ख्याल से उठाना
🙄
पिताजी से,दहेज में मिला सोफासेट आधे दामों में बेंच आये है,
बदले में दो सीमेंट की ब्रेंच खरीद लाये है,
🙄
बेडरूम में लगीं पेंटिग्स को अलग कर दिया है,
उनकी जगह,
भारतीय रेल आपकी अपनी सम्पत्ति है,
जंजीर खींचना मना है😁
लिखवा दिया है,
😉
एक रात इनके पास आकर बैठी
इन्होने पांव मोड़े और कहा आइए
आइए आराम से बैठिये
😉
डाक्टर साब बताने में शर्म आती है पर आपसे क्या छिपाना है
इन्होने ने मुझसे पूंछा
बहन जी आपको कहाँ जाना है
😘
डायनिंग टेबिल पर खाना खाने से मना करते हैं
पूड़ियां मिठाई के डिब्बे में और सब्जी को प्लास्टिक की थैली में भरते हैं,
🙄
एक रात मेरे भाई और पिताजी आये
दोनों इनकी हरकत से बहुत लजाये
रात में भाई ने इनकी अटैची जरा सी खिसकाई
ये गुस्से में बोले जंजीर खींचू चोरी करते शर्म नहीं आई
🙄
सुबह सुबह बूढ़े पिताजी जल्दी उठ कर नहाने जा रहे थे
बालकनी पर इनके पास वाली खिड़की से आ रहे थे
उन्होंने खिड़की से हाथ डाल कर इन्हें जगाया
इन्होने गुस्से में कहा इस तरह से मत जगाओ
यहाँ कुछ नहीं मिलेगा,
🙄 बाबा ,आगे जाओ
पिताजी आगे गये तो उन्हें वापस बुलाया
😉
उन्हें एक रुपये का सिक्का दिया और पूंछा कौन सा स्टेशन आया
😉
इनका अजीब कारनामा है
एक पर एक हंगामा है
अभी कबाड़ी के यहाँ से एक पुराना टेबिल फेन मंगवाया
छत पर लटके अच्छे खासे सीलिंग फेन को उतार कर उसकी जगह टेबिल फेन लटकाया
🙄
उसे चालू करने विचित्र तरीका अपनाते हैं
जेब से कंघी निकाल कर पंखा घुमाते हैं
😉
सुबह मंजन ब्रश साबुन निकाल कर बाथरूम की ओर जाते हैं,
मैं कहतीं हूँ बेटा गया है
तो वहीं लाइन लगाते हैं
🙄
समझाती हूँ आ जाओ, तो रोकते हैं
हर दो मिनट के बाद बाथरूम का दरवाजा ठोकते हैं
🙄
इन्होने पूरे घर को सिर पर उठा लिया है
घर को वेटिंग रूम और बैडरूम को ट्रेन का कम्पार्टमेंट बना दिया है
🙄
इनके साथ बाकी जिंदगी कैसे कटेगी हम यह सोच कर डरते हैं
और ये सात जनम की बात करते हैं
हम तो एक ही जनम में पछताये
भगवान किसी युवती को रेलवे के टीटी की पत्नी न बनाये ! 🙄🙄
-सादर साभार 🙏

उसे यह फ़िक्र है हरदम, नया तर्जे-जफ़ा क्या है?हमें यह शौक देखें, सितम की इंतहा क्या है?दहर से क्यों खफ़ा रहे, चर्ख का क्...
07/10/2023

उसे यह फ़िक्र है हरदम, नया तर्जे-जफ़ा क्या है?
हमें यह शौक देखें, सितम की इंतहा क्या है?

दहर से क्यों खफ़ा रहे, चर्ख का क्यों गिला करें,
सारा जहाँ अदू सही, आओ मुकाबला करें।

कोई दम का मेहमान हूँ, ए-अहले-महफ़िल,
चरागे सहर हूँ, बुझा चाहता हूँ।

मेरी हवाओं में रहेगी ख़यालों की बिजली,
यह मुश्त-ए-ख़ाक है, फ़ानी रहे रहे ना रहे।

मैं सुबह का वो दीया हूं, जो दिन निकले तो बुझ जाएगा।
पर ये शरीर मुट्ठी भर राख है, रहे या ना रहे कोई फर्क नहीं पड़ता।

मेरे विचार जिंदा रहेंगे, और देश की आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देंगी।
- सरदार भगत सिंह

ऑस्ट्रेलिया को पहले वनडे में 5 विकेट से हराकर भारतीय टीम तीनों फॉर्मेट की ICC रैंकिंग में दुनिया की नंबर वन टीम बन गई है...
22/09/2023

ऑस्ट्रेलिया को पहले वनडे में 5 विकेट से हराकर भारतीय टीम तीनों फॉर्मेट की ICC रैंकिंग में दुनिया की नंबर वन टीम बन गई है। भारत ने ऑस्ट्रेलिया को मोहाली में 27 साल बाद शिकस्त दी है। टॉस हारकर ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए सभी 10 विकेट खोकर 50 ओवर में 276 रन बनाए। मोहम्मद शमी ने 10 ओवर में 51 रन देकर 5 विकेट चटकाए। बुमराह, अश्विन और जडेजा के हाथ 1-1 सफलता लगी। जवाब में भारत में 12 गेंद बाकी रहते 5 विकेट खोकर 281 रन बना दिए। ऋतुराज गायकवाड़, शुभमन गिल, सूर्यकुमार यादव और केएल राहुल ने अर्धशतक जड़े। मोहाली के आइएस बिंद्रा स्टेडियम में भारतीय कप्तान केएल राहुल ने टॉस जीता और पहले गेंदबाजी करने का निर्णय लिया। चोटिल ट्रेविस हेड की जगह ऑस्ट्रेलिया के लिए डेविड वॉर्नर के साथ मिशेल मार्च ओपनिंग करने उतरे। मोहम्मद शमी ने पहले ओवर की चौथी गेंद गुड लेंथ डिलीवरी ऑन मिडिल स्टंप डाली। गेंद ने टप्पा खाने के बाद बाहर की तरफ शेप लिया, लेकिन तब तक मार्श फ्रंट फुट डिफेंस करने के लिए कमिटेड हो चुके थे। बल्ले का बाहरी किनारा फर्स्ट स्लिप में शुभमन गिल के हाथ चला गया।

इस गेंद से ठीक पहले सेकंड स्लिप से फील्डर हटाया गया था, लेकिन उसका कोई नुकसान भारत को नहीं उठाना पड़ा। मिशेल मार्च ने 4 गेंद खेल कर 4 रन बनाए और ऑस्ट्रेलिया को 4 के स्कोर पर पहला झटका लग गया। इसके बाद मुकाबले का बड़ा लम्हा तब आया, जब शार्दुल ठाकुर के नवें ओवर की अंतिम गेंद पर श्रेयस अय्यर ने वॉर्नर का कैच टपका दिया। दरअसल फुलर लेंथ डिलीवरी ऑन ऑफ स्टंप को वॉर्नर एक्स्ट्रा कवर की दिशा में ड्राइव करना चाह रहे थे। पर गेंद बल्ले पर रुक कर आई और वॉर्नर शॉट जल्दी खेल गए। मिडऑफ की दिशा में श्रेयस अय्यर ने सिंपल सा कैच ड्रॉप कर दिया। 10 ओवर के पावरप्ले के बाद ऑस्ट्रेलिया ने 1 विकेट के नुकसान पर 42 रन बनाए। वॉर्नर और स्टीव स्मिथ ने मिलकर दूसरे विकेट के लिए 106 गेंद पर 94 रनों की साझेदारी बनाई। इस साझेदारी में डेविड वॉर्नर खासकर ज्यादा आक्रामक नजर आ रहे थे। रवींद्र जडेजा ने 19वें ओवर की दूसरी गेंद धीमी गति के साथ डाली और लेंथ पीछे की तरफ खींच ली। इस वजह से जडेजा को ज्यादा बाउंस मिला और वॉर्नर स्लॉग स्वीप के दौरान गेंद के नीचे ठीक तरीके से नहीं आ सके। लॉन्गऑन पर खड़े शुभमन गिल ने मुकाबले का अपना दूसरा कैच पकड़ लिया। वॉर्नर ने 53 गेंद पर 6 चौकों और 2 छक्कों की मदद से 52 रनों की पारी खेली।

ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 2 विकेट के नुकसान पर 98 रन हो गया। मोहम्मद शमी के 22वें ओवर की तीसरी गेंद टप्पा खाने के बाद अंदर की तरफ आई। स्मिथ ने ड्राइव करने का प्रयास किया लेकिन गेंद की मूवमेंट को संभाल नहीं सके। अंदरूनी किनारा लेकर गेंद लेग स्टंप पर जा लगी। स्टीव स्मिथ को एक पल को यकीन ही नहीं हुआ कि वह बोल्ड हो चुके हैं। स्मिथ 41 रन बनाकर निराश लौट गए। कंगारुओं को 112 के स्कोर पर तीसरा झटका लगा। अश्विन के 33वें ओवर में किस्मत ने भारत का साथ दिया। ओवर की चौथी टॉस्ड अप गेंद टर्न कर अंदर की तरफ आई और मार्नस लैबुशेन ने रिवर्स स्वीप खेलने का प्रयास किया। गेंद बल्ले का महीन किनारा लेकर राहुल के पैड्स से जा टकराई और फिर स्टंप पर आ लगी। लैबुशेन 49 गेंद पर 39 रन बनाकर स्टंप आउट करार दिए गए। ऑस्ट्रेलिया को 157 पर चौथा झटका लगा। मोहम्मद शमी के 40वें ओवर की तीसरी धीमी लेंथ बॉल पर थर्डमैन के हाथ से दूसरा रन भगाने के प्रयास में कैमरन ग्रीन 52 गेंद पर 31 रन बनाकर रनआउट हो गए। 186 के स्कोर पर आधी कंगारू टीम पवेलियन लौट गई। यहां से जोस इंग्लिश और मार्कस स्टोइनिस ने 43 गेंद पर 62 रन जोड़ दिए। इसके बाद डेथ ओवर स्पेशलिस्ट मोहम्मद शमी ने कोहराम मचा दिया।

मोहम्मद शमी के 47वें ओवर की चौथी फुलर लेंथ गेंद पर स्टोइनिस गलत लाइन खेल गए। यू मिस, आई हिट। स्टोइनिस 21 गेंद पर 5 चौकों की मदद से 29 रन बनाकर क्लीन बोल्ड हो गए। स्कोर 248 पर 6 आउट हो गया। जसप्रीत बुमराह ने 48वें ओवर की दूसरी गेंद धीमी गति के साथ लेंथ बॉल डाली। जोस इंग्लिश जल्दी शॉट खेल गए और एक्सट्राकवर को कैच दे बैठे। इंग्लिश ने 45 गेंद पर 45 रन बनाए और ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 250 पर 7 हो गया। मोहम्मद शमी के 49वें ओवर की दूसरी लेंथ बॉल आउटसाइड ऑफ पर मैथ्यू शॉर्ट ने अक्रॉस द लाइन बड़ा शॉट खेलने का प्रयास किया। 2 के निजी स्कोर पर मिडविकेट में सूर्या ने कैच पकड़ लिया। ओवर की चौथी धीमी गति के साथ आउटसाइड ऑफ डाली गई लेंथ बॉल को एबॉट स्टंप्स पर खेल बैठे। स्कोर 254 पर 8 से 256 पर 9 हो गया। पारी की अंतिम गेंद पर कमिंस 2 रन बनाजर रनआउट हुए और ऑस्ट्रेलिया 276 के स्कोर पर पर ऑलआउट हो गया। जवाब में भारतीय टीम की शानदार शुरुआत रही। पावरप्ले में टीम ने बगैर नुकसान 66 रन बना लिए। ऋतुराज गायकवाड़ और शुभमन गिल ने कंगारू गेंदबाजों की जमकर खबर ली। मैथ्यू शॉर्ट के 14वें ओवर की अंतिम आउटसाइड ऑफ टॉस्ड अप गेंद पर लॉन्गऑफ के ऊपर से छक्का जड़कर शुभमन गिल ने अपना अर्थशतक पूरा कर लिया।

मैथ्यू शॉर्ट के 18वें ओवर की दूसरी बैक ऑफ लेंथ गेंद पर स्वीपर कवर की दिशा में डबल लेकर ऋतुराज गायकवाड़ ने वनडे करियर का पहला अर्धशतक पूरा कर लिया। आखिरकार 22वें ओवर की चौथी गेंद पर ऑस्ट्रेलिया ने भारत की सलामी जोड़ी को तोड़ दिया। एडम जैम्पा के खिलाफ स्वीप शॉट खेलने के प्रयास में ऋतुराज LBW हो गए। उन्होंने 77 गेंद पर 10 चौकों की मदद से 71 रनों की धुआंधार पारी खेली। भारत को 142 पर पहला झटका लगा। जैम्पा के 24वें ओवर की चौथी गेंद पर कवर्स की दिशा में सिंगल लेने के प्रयास में श्रेयस अय्यर रन आउट हो गए। दरअसल श्रेयस शॉट खेलते ही निकल पड़े थे लेकिन नॉन स्ट्राइकर एंड पर शुभमन ने रेस्पॉन्ड नहीं किया क्योंकि वहां पर रन नहीं था। डेविड वॉर्नर का कैच टपकाने के अलावा श्रेयस अय्यर 8 गेंद में 3 रन बनाकर पवेलियन लौट गए। 148 पर टीम इंडिया ने दूसरा विकेट खो दिया। एडम जैम्पा के 26वें ओवर की तीसरी गेंद पर शुभमन गिल ने रूम बनाकर कट शॉट खेलने का प्रयास किया। पर गेंद उतनी ज्यादा शॉर्ट नहीं थी। गेंद स्किड करती हुई आई और बल्ले को बीट करते हुए ऑफ स्टंप से जा टकराई। शुभ्मन गिल 63 गेंद पर 6 चौकों और 2 छक्कों की मदद से 74 रन बनाकर पवेलियन लौटे। 151 के स्कोर पर भारत को तीसरा झटका लग गया। यहां से भारत को जीत के लिए 147 गेंद पर 126 रनों की दरकार थी।

मैदान पर कप्तान केएल राहुल के साथ ईशान किशन बल्लेबाजी कर रहे थे। पैट कमिंस ने 33वें ओवर की तीसरी गेंद धीमी गति के शॉर्ट बॉल आउटसाइड ऑफ डाली। अपर कट खेलने के प्रयास में ईशान के बल्ले का महीन किनारा कंगारू विकेटकीपर इंग्लिश के दस्तानों में चला गया। ईशान 26 गेंद पर 18 रन बनाकर लौट गए और भारत का स्कोर 4 विकेट के नुकसान पर 185 रन हो गया। यहां से जीत के लिए 105 गेंद पर 92 रनों की दरकार थी। सूर्यकुमार यादव पर बड़ी जिम्मेदारी थी। सूर्यकुमार यादव ने फैंस को निराश नहीं किया। सूर्या ने 5 चौकों और 1 छक्के की मदद से 50 रनों की पारी खेली। एबॉट ने 47वें ओवर की चौथी फुल लेंथ गेंद पर सूर्या को पेस नहीं दिया। सूर्या का फ्लिक सीधा डीप स्क्वायर लेग फील्डर के हाथ चला गया। हालांकि यहां से भारत को जीत के लिए 20 गेंद पर सिर्फ 12 रनों की दरकार थी। एबॉट के 49वें ओवर की चौथी गेंद पर मिड ऑफ के ऊपर से छक्का जड़कर केएल राहुल ने भारत को जीत दिला दी। राहुल 63 गेंद पर 4 चौकों और 1 छक्के की मदद से 58 रन बनाकर नाबाद रहे। इस जीत के साथ ही भारतीय टीम तीनों फॉर्मेट में दुनिया की नंबर वन टीम बन गई।

मिस्टर इंडिया की सक्सेस पार्टी में एक नई फिल्म अनाउंस हुई थी, जिसे शेखर कपूर डायरेक्ट करने वाले थे। बोनी कपूर फिल्म के प...
28/08/2023

मिस्टर इंडिया की सक्सेस पार्टी में एक नई फिल्म अनाउंस हुई थी, जिसे शेखर कपूर डायरेक्ट करने वाले थे। बोनी कपूर फिल्म के प्रोड्यूसर थे, फिल्म का नाम रखा गया रूप की रानी चोरों का राजा। जैसे आज के समय में अदिपुरुष और ब्रह्मास्त्र को रिलीज से पहले एक बड़ी फिल्म के तौर पर देखा जा रहा था सेम उसी तरह की उम्मीद दर्शको को इस फिल्म से थी।उस जमाने में बड़ी फिल्मे दो ढाई करोड़ में बन जाती थी पर इस फिल्म का बजट बनते बनते आठ नौ करोड़ पहुंच गया था। फिल्म को बनने में भी छः साल लग गए। शेखर कपूर ने अपनी आदत के मुताबिक फिल्म को आधे में ही छोड़ दिया, मजबूरन बोनी कपूर को शेखर के असिस्टेंट डायरेक्टर सतीश कौशिक से फिल्म डायरेक्ट करवाना पड़ी। फिल्म सबने मिलकर बहुत दिल से बनाई थी पर ये महत्वाकांक्षी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर चारो खाने चित हो गई।

सतीश कौशिक मूल रूप से एक एक्टर थे, कई यादगार रोल कर चुके थे।एक और रोल वो करने वाले थे डेविड धवन की अगली फिल्म में। फिल्म थी राजा बाबू,और सतीश कौशिक के हुनर को देखते हुए डेविड धवन ने उन्हे नंदू का रोल दिया था। जब रूप की रानी चोरों का राजा फ्लॉप हुई तो फिल्म से जुड़े सभी लोगो की जिंदगी पर फर्क पड़ा, बोनी कपूर लगभग सड़क पर आ चुके थे। उस वक्त सतीश कौशिक को लगा कि नंदू का रोल करने के लिए ये सही वक्त नही है। वो डेविड धवन के पास गए और कहा कि नंदू बहुत कार्टूनिश कैरेक्टर है, लाउड है, अगर मैं अभी ये रोल करता हू तो लोग कहेंगे कि डायरेक्टर के तौर पर सतीश फ्लॉप हुआ तो ये दिन आए है कि ऐसे रोल करने पड़ रहे है।

डेविड धवन के हाथ में उस वक्त कई फिल्मे थी, उनमें से एक थी साजन चले ससुराल जिसमे गोविंदा के दोस्त मुत्थु स्वामी का रोल शक्ति कपूर करने वाले थे। शतीश कौशिक की परेशानी सुनकर डेविड ने शक्ति कपूर से मुत्थु स्वामी का कैरेक्टर छोड़कर नंदू का कैरेक्टर करने के लिए कहा। शक्ति कपूर के लिए दोनो ही रोल उनकी इमेज के खिलाफ थे पर नंदू मुत्थु से ज्यादा कार्टूनिस था और चैलेंजिंग भी। शक्ति कपूर ने इस चैलेंज को एक्सेप्ट कर लिया और मुत्थु का रोल छोड़कर नंदू का रोल करने को राजी हो गए। कुछ साल बाद एक एक करके दोनो फिल्मे रिलीज हुई, शक्ति कपूर ने नंदू के जरिए अपनी रेंज दिखाई, काबिलियत दिखाई इंडस्ट्री को, और मुत्थु के रोल में सतीश कौशिक ने जान डाल दी। दोनो को अपने अपने रोल के लिए फिल्मेयर अवार्ड मिला था। दोनो कैरेक्टर आज कल्ट है, जुबान पर चढ़े है। सिनेमा में कई ऐसे किरदार है जो अपने एक्टर खुद ढूंढते है, वो पहुंच जाते है किसी तरह से उसके पास जो उसे निभाने लायक होता है, इसी वजह से कुछ किरदार ऐसे है जिन्हे कभी कोई दूसरा निभा ही नही सकता। आपको क्या लगता शक्ति कपूर मुत्तु स्वामी के रोल में, और सतीश कौशिक नंदू के रोल में कैसे लगते?

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